हाथी के आतंक और किसानों के रौंदे गए फसलों का मुआवजा भुगतान करने में वन विभाग की लापरवाही, किसानों में आक्रोश*
सरायकेला : कोल्हान के नीमडीह थाना क्षेत्र के हाथी प्रभावित क्षेत्र लाकड़ी बागड़ी और चिंगड़ा पाड़कीडीह के ग्रामीण हाथी की आतंक से बारहों महीना भयभीत रहते हैं।
इस क्षेत्र में हाथी का झुंड पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के बाघमुंडी स्थित अयोध्या पहाड़ और चांडिल क्षेत्र के दलमा सेंचुरी से पहुंचकर छोटे बड़े जंगल में डेरा डाले रहते हैं, और शाम होते ही जंगल से हाथी गांवों में प्रवेश करके उपद्रव मचाते हैं।
घर और खेत खलिहान में रखे अनाज को टारगेट करते हैं। और इस क्षेत्र में विचरण करते रहते हैं। शाम होते हीं ग्रामीण आपने घर से बाहर जाने की हिम्मत नही कर पाते।
इस क्षेत्र में कुटुम बंधु आने में कतराते हैं । जहां चांडिल वन क्षेत्र के पदाधिकारी वा वनकर्मी को सूचना देने के बावजूद ग्रामीणों को सुरक्षा की दृष्टिकोण के तहत सुरक्षा उपकरण मुहैया नही कराते हैं।
जिसके कारण आज हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीण वन विभाग के प्रति नाराजगी प्रकट कर रहे हैं।
स्थानीय झामुमो के वरिष्ठ नेता सह स्वच्छ चांडिल स्वस्थ चांडिल के संस्थापक सुखराम हेंब्रम द्वारा आपने आवास कार्यालय में आए ग्रामीणों के बीच हाथी झुंड की आतंक से सुरक्षा के लिए टॉर्च लाईट,ओर फटाखे बितरण किया गया।साथ हीं उन ग्रामीणों की बाते सुने साथ ही आश्वासन दिया गया । उच्च पदाधिकारी से बाते करके इस आतंक से निजात दिलवाने की काम करेंगे ।
आज एक तरफ सरकारी सुविधा से वंचित हो जाने के कारण आज ग्रामीणों को समाजसेवी और नेता पर विश्वास रहा तथा मजबूर रहने लगा ।
लोग,क्योंकि। वन क्षेत्र पदाधिकारी की मनमानी के कारण हाथी से प्रभावित लोगों को। क्षतिपूर्ति की मुआवजा भी कई वर्ष बीत जाने के बाद नही मिला है।
यह एक विकट समस्या उत्पन्न करता है।कड़ी मेहनत और परिश्रम करके खेत में फसल उत्पादन करना और हाथी के झुंड द्वारा फसल को नष्ट कर देना,उसे निवाला बना लेना जिससे गरीब किसान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वन विभाग द्वारा समय पर क्षति पूर्ति और मुआवजा की राशि नही मिलने पर उन लोगो पर क्या गुजरता है यह पीड़ित के दर्द देखकर महसूस किया जा सकता है।
आज केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा प्रति वर्ष वन एवं पर्यावरण विभाग को करोड़ों रुपये मुहैया कराया जाता है फिर भी वन विभाग द्वारा गरीब किसानों को समय पर मुआवजा नही दिया जाता है।जिसके कारण किसान में वन विभाग के प्रति नाराजगी है।
Feb 12 2024, 17:25
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