सीटों के बंटवारे को लेकर अब होगा सिरफुटव्वल संदर्भ : सीटें 40 पर दावेदारी 52 तक पहुंची
l.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगी दल अब धीरे-धीरे अपने पत्ते खोल रहे हैं। जदयू पहले से ही 16 से कम सीटों पर कोई समझौता करने के मूड में नहीं दिखता। अब माले को पांच और भाकपा को तीन सीटें चाहिए। यानी 16+5+3=24 सीटों के बाद बची 16 सीटों राजद और कांग्रेस को समझौता करना होगा। जदयू का कहना है कि राजद, कांग्रेस और वाम दलों का पुराना गठजोड़ रहा है। इसलिए राजद ही इस मामले को सुलझाये। इसके बाद ही जदयू राजद से बात करेगा। यानी सीट शेयरिंग की गेंद राजद के पाले में है। और इससे राजद को ही जूझना होगा।
मगर जिस तरह की बयानबाजी इंडी गठबंधन में चल रही है, इससे सीटों के बंटवारे का कोई फार्मूला फिट होता नहीं दिख रहा है। दूसरी ओर राजद भी 16 सीटों पर ही लड़ना चाहता है। वहीं कांग्रेस भी 10 सीटों पर लड़ने की बात पहले ही स्पष्ट कर चुकी है। मालूम हो कि राज्य में लोक सभा की 40 सीटें ही हैं मगर घटक दलों की मांग के अनुसार सीटों की संख्या 52 तक पहुंच गयी है।
अब यक्ष प्रश्न यह है कि सीटों की शेयरिंग होगी तो कैसे और क्या गठबंधन के घटक दल एकमत हो पायेंगे।
कांग्रेस के हिसाब से अभी चुनाव दूर है। कोई हड़बड़ी नहीं है। इसलिए राहुल बाबा अपनी यात्रा पार्ट टू पर निकल गये हैं। इस बार वह कौन सी दुकान खोलने जा रहे हैं , यह भी अभी तक साफ नहीं हुआ है। दूसरी ओर राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के निमंत्रण पत्र को इंडी गठबंधन के कांग्रेस सहित अन्य सदस्यों ने अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने साफ कह दिया है कि कांग्रेस का कोई भी नेता समारोह में अयोध्या नहीं जायेगा।।
इस प्रकरण को क्या कांग्रेस की नैया डुबोने वाला माना जायेगा। क्योंकि निमंत्रण पत्र को अस्वीकार कर कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को खुश करना चाहती है। मगर दूसरी ओर हिन्दुओं के एक बड़े हिस्से को भी अपने से अलग कर दिया है,जो कांग्रेस को ही वोट देता था।
जब से यूपीए का नया अवतार हुआ है तभी से इसके घटक दलों के नेताओं के कभी सनातन धर्म पर तो कभी राम लला के बन रहे भव्य मंदिर पर जो बयान आते रहते हैं, उससे गठबंधन की ही मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
इंडी गठबंधन में अब तक सीटों की शेयरिंग पर एक राय नहीं बन पायी है। सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, शिवसेना ( उद्धव गुट ) आदि के बीच खींचतान जारी है।
और अंत में कभी सनातन तो कभी रामचरित मानस तो कभी माता सरस्वती के विरुद्ध अपमान जनक टिप्पणी तो कभी भगवान श्री राम को काल्पनिक बताने वाले नेताओं के बयान इंडी गठबंधन की जड़ में मट्ठा ही डाल रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण में एक प्रसंग है, मेघनाद हनुमान जी को बंदी बना कर जब रावण के दरबार में ले गया तो हनुमान जी ने रावण को समझाते हुए कहा था कि
संकर सहस बिष्नु अज तोही।
सखहिं न राखि राम कर द्रोही।।


शबरी की तरह सरयू को भी परम विश्वास था कि भगवान श्री राम जरूर आयेंगे। इसकी निर्मल धारा प्रभु के चरण स्पर्श को व्याकुल हो रही है। प्रभु श्री राम के गौ लोक गमन के बाद से चुपचाप अविरल कलकल बहती रही और सदियों तक कई झंझावातों को झेलते हुए अपने हृदयेश्वर प्रभु श्री राम के दर्शन का इंतजार करती रही।
Jan 13 2024, 12:48
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