झारखण्ड के 45 मजदूर विदेश में फंसे है विल्ख रहें हैं परिजन वतन वापसी की लगा रहे हैं गुहार
बगोदर : -सऊदी अरब में फंसे 45 मजदूरों की न ही हुई वतन वापसी,न ही मिला बकाया वेतन।फिर से सरकार से मदद की लगाई गुहार* झारखण्ड में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है।रोजगार की तलाश में आए दिन झारखण्ड के मजदूर दूसरे देश पलायन करते हैं।अपने वतन को छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर कमाने के लिए जाते हैं ताकि अपनी और अपने परिवार के लोगों की भरन-पोषण अच्छे से कर सके। लेकिन आये दिन खबर मिलती रहती है कि कंपनी वाले गरीब मजदूरों को बुलाकर शोषण करते हैं।इसी कड़ी में सऊदी अरब में झारखंड के गिरिडीह,बोकारो और हजारीबाग के फंसे 45 मजदूर एक महीने से फंसे हुए हैं।एक महीने दिन बीत जाने के बाद भी इनकी वतन वापसी और वेतन बकाया का गतिरोध अब तक दूर नहीं हो पाया है।उन्हे भारतीय दूतावास से आश्वासन दिया जा रहा है।जिसकी वजह से परेशान होकर मजदूरों ने फिर से राज्य एवं केंद्र सरकार से बकाए वेतन के साथ वतन वापसी की गुहार लगाई है।उन्होंने बताया कि पिछले 11 मई 2023 को टाॅवर खडे करनेवाली कमर्शियल टेक्नोलॉजी पल्स नामक कंपनी में काम करने के लिए सऊदी अरब गये थे।हम लोग 55 हजार रुपये कमीशन देकर यहां आए थे।भारत से सऊदी अरब ले जाते समय हमारे साथ एग्रीमेंट किया गया था कि लाइनमैन को 1500 रियाल,ओवरटाइम का 700 रियाल मिलेंगे। हम यहां सात महीने से काम कर रहे हैं, जिसमें से हमें सिर्फ दो महीने का वेतन दिया गया है। हमें बकाया नहीं दिया जा रहा है।अगर हम उनसे बकाये की मांग करते हैं तो हमसे जबरदस्ती काम कराया जाता है और जेल में डालने की धमकी दी जाती है।जिसके कारण सभी मजदूर दाने-दाने को मोहताज हो गये है।इधर मजदूरों के परिजन परेशान हैं।और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है।प्रवासी मजदूरों के हित में काम करने वाले समाजसेवी मजदूरों की आवाज उठाने वाले सिकन्दर अली का कहना है कि सरकार कंपनी पर दबाव बनाकर मजदूरों को बकाया मजदूरी और वतन वापसी का टिकट दिलाए। मजदूर के परिजन यहां बिलख रहे हैं।
वहीं प्रवासी मजदूरों के हित में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिकन्दर अली ने बताया कि यह इलाके की कोई पहली घटना नहीं है, जिसमें काम की तलाश में मजदूर विदेश जाते हैं,लेकिन उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।इसके बाद वे काफी मशक्कत के बाद अपने वतन लौट पाते हैं।इन सबके बीच आज भी पलायन का दर्द और रोजी-रोटी की चिंता देखने को मिलती है।झारखंड में रोजगार की व्यवस्था नहीं होगी,तब तक मजदूरों का पलायन देश-विदेश में होता रहेगा। *सऊदी अरब में फंसे मजदूरों में* गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के तारानारी के अर्जुन महतो,भागीरथ महतो, टेंकलाल महतो,बेको के संतोष साव,महेश साव,कामेश्वर साव, खेतको के महेश महतो,रीतलाल महतो,विजय महतो,मुंडरो के अशोक महतो जरमुने सोहन कुमार,डुमरी प्रखंड के बरियारपुर इंद्रदेव महतो,चैनपुर के राजेश कुमार महतो,पोरदाग गणेश साव,डुमरी के सुभाष कुमार,जानकी महतो, बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड के पोखरिया जगदीश महतो,गोनियाटो रामचंद्र महतो,गोमियां प्रखंड के करी के प्रदीप महतो,सीधाबारा के मनोहर महतो हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ प्रखंड के अचलजामू के सहदेव राजवार,रूपलाल महतो,करगालो के बहादुर महतो,नागेश्वर महतो,सीतल महतो,रोहित महतो,मेघलाल महतो,रंजन राज मेहता,सारूकुदर के भैरो महतो,उच्चाघाना के सुकर महतो नंदलाल महतो,लोकनाथ महतो,सुनिल महतो,बलकमक्का के तिलक महतो,थानेश्वर महतो,अम्बाटांड महानंद पटेल,प्रमोद महतो,अनंतलाल महतो,खरकट्टो के तापेश्वर महतो,सीरैय के टोकन सिंह,अलखरी के धानेश्वर महतो,नागी चुरामन महतो,केन्दुवाडीह के भुनेश्वर महतो,जितेंद्र महतो,बरकट्ठा प्रखंड के गोरहर के बालगोविंद महतो शामिल है।
Jan 11 2024, 20:36