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बायकॉट से डरी मालदीव टूरिज्म इंडस्ट्री, पर्यटन को झटका लगते ही हरकत में आई, अपने मंत्रियों की लगा दी क्लास

#maldives_tourism_industry_targets_its_own_ministers 

भारत-मालदीव के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की लक्षद्वीप यात्रा को लेकर मालदीव के मंत्रियों की विवादित टिप्पणियों के बाद से दोनों देशों में राजनयिक विवाद चल रहा है। विवाद को बढ़ते देख मालदीव ने अपने मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया है।इस बीच देश के टूरिज्म को झटका लगता देख मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) ने बयान जारी कर मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है।

MATI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ भारत के लोगों के प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणियों की हम कड़ी निंदा करते हैं। भारत हमारे निकटतम पड़ोसियों और सहयोगियों में से एक है। MATI ने सोमवार को एक बयान में कहा, भारत हमेशा हमारे संकट भरे पल में पहला मददकर्ता रहा है। हम सरकार के साथ-साथ भारत के लोगों की तरफ से हमारे साथ बनाए गए घनिष्ठ संबंधों के लिए बेहद आभारी हैं।

इसमें आगे कहा गया, मालदीव के पर्यटन उद्योग में भी भारत सतत और अहम योगदान देने वाला देश रहा है। एक सहयोगी जिसने कोरोनावायरस महामारी में हमारे बॉर्डर खुलने के बाद हमारे वापस पटरी पर लौटने की कोशिशों में भी साथ दिया। तबसे अब तक मालदीव के लिए भारत एक अहम बाजार रहा है। यह हमारी कामना है कि दोनों देशों के रिश्ते आने वाली कई पीढ़ियों तक कायम रहें। हम दोनों के बेहतरीन रिश्तों पर नकारात्मक असर डालने वाले बयानों और गतिविधियों से खुद को दूर करते हैं।

माना जा रहा है कि इस पूरे विवाद ने मालदीव के पर्यटन उद्योग खासा नाकारात्मक असर डाला है। क्योंकि भारत के पर्यटक मालदीव टूरिज्म इंडस्ट्री की रीढ़ हैं। अगर मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों में कमी आई तो यह मालदीव अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा।

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो पिछले तीन सालों में सालाना 2 लाख से अधिक भारतीय मालदीव गए हैं। यह किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक है। फिलहाल विवाद के बाद मालदिव के टूरिज्म पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। मालदीव पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में 17 लाख से अधिक पर्यटकों ने द्वीप राष्ट्र का दौरा किया, जिनमें से 2,09,198 से अधिक पर्यटक भारतीय थे, इसके बाद रूसी (2,09,146) और चीनी (1,87,118) थे।

मालदीव विवाद में भारत के समर्थन में उतरा इजरायल, लक्षद्वीप को लेकर किया ये बड़ा ऐलान

#israel_supports_india_amid_row_with_maldives

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की तस्वीरें देख मालदीव की मुइज़्ज़ू सरकार की मंत्रियों ने भारत पर अपमानजनक टिप्णियाँ कीं।मालदीव के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है।यह मुद्दा लक्षद्वीप बनाम मालदीव बन गया हैं। कई जानी-मानी हस्तियां भी लक्षद्वीप को लेकर पोस्ट साझा करने लगे हैं। भारत के साथ समर्थन दिखाने वालों की लिस्ट में इजरायल भी जुड़ गया है। उन्होंने लक्षद्वीप में टूरिज्म को बढ़ावा देने की पहल को सपोर्ट किया है।इजराइल ने लक्षद्वीप की कुछ तस्वीरें और वीडियोज शेयर कर वहां प्रर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही है।

भारत में मौजूद इजराइली दूतावास ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर तस्वीरें और वीडियोज पोस्ट करते हुए लिखा, ‘फेडरल सरकार के समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के लिए हम बीते साल लक्षद्वीप में थे। इज़राइल कल से इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए तैयार है। उन्होंने आगे लिखा, ‘उन लोगों के लिए जो अभी तक #लक्षद्वीप की पुरानी और राजसी पानी के नीचे की सुंदरता को नहीं देख पाए हैं, यहां इस द्वीप के मनमोहक आकर्षण को दिखाने वाली कुछ तस्वीरें हैं।#ExploreIndianIslands

दरअसल, 2 और 3 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लक्षद्वीप दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने स्क्रॉलिंग करते हुए और समुद्री तटों पर आनंद लेते समय की कई तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर की थीं। सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें वायरल हो गईं और कई लोगों ने अपना मालदीव प्लान कैंसिल कर दिए। इससे तिलमिलाकर मालदीव के कई मंत्रियों ने लक्षद्वीप और पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। मंत्री अब्दुल्ला महजूम माजिद ने भारत पर मालदीव को निशाना बनाने का आरोप लगाया। महजूम ने अपने बयान में कहा कि भारत को सी कोस्ट टूरेरिज्म में मालदीव को टक्कर देने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद इंटरनेट पर इंडियन यूजर्स भड़क गए और एक्स पर ट्रेंड होने लगा।

इनकी अपमानजनक टिप्पणियों के कारण भारत में मालदीव के प्रति उबाल आ गया और लोगों ने मालदीव के इस रवैये की आलोचना की। एक्स (पहले ट्विटर) पर भी इसको लेकर लगातार अभियान चलाया गया। भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति की गई टिप्पणियों को राजनयिक स्तर पर भी मालदीव के साथ उठाया। प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर अपमानजनक टिप्पणियाँ करने के कारण कई बॉलीवुड सितारों और हस्तियों ने मालदीव केरवैये की निंदा की थी। साथ ही लक्षद्वीप को बढ़ावा देने वाले ट्वीट किए थे। इन ट्विट्स में उन्होंने कहा था कि वह लोग भी लक्षद्वीप जाएँगे। वहीं ऑनलाइन ट्रैवल कम्पनी EaseMyTrip ने भी कहा था कि वह मालदीव की फ्लाइट टिकट बुक करना बंद कर देंगे।

भारत के साथ दुश्मनी मालदीव को पड़ेगा “महंगा”, जानें बायकॉट से अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर

##boycotmaldives

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे पर मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना और दूसरे नेताओं की आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर सरहद के आर पार पारा चढ़ा हुआ है।

मोहम्मद मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद से लगातार पटरी से उतरते दिख रहे दोनों देशों के रिश्तों के लिए इन बयानों को बड़ा झटका बताया जा रहा है।पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर BoycottMaldives ट्रेंड कर रहा है।सोशल मीडिया पर भारत के कई नामी लोग अब लक्षद्वीप के समर्थन में उतर आए हैं। अब सबसे बड़ा सवाल मालदीव को भारत की नाराजगी का कितना नुकसान होगा? भारतीयों के बायकॉट से इस द्वीप की अर्थव्यवस्ता पर कितना असर पड़ेगा?

मालदीव को भारत की नाराजगी पड़ेगी महंगी

दरअसल, मालदीव के लिए भारत की नाराजगी काफी महंगी पड़ सकती है। मालदीव भारत से कई हजार करोड़ रुपए का सामान इंपोर्ट करता है। भारत से नजदीक होने के कारण मालदीव के लिए भारत से सामान लेना सस्ता भी है और सुगम भी। जबकि भारत मालदीव को कुछ करोड़ का ही सामान इंपोर्ट करता है। दोनों देशों के बीच के ट्रेड को देखा जाए तो यह आंकड़ा 500 मिलियन डॉलर है, जो भारतीय रुपए में करीब 4200 करोड़ है। अगर भारत मालदीव को सामान एक्सपोर्ट करना बंद कर दें, तो मालदीव का क्या होगा?

मालदीव कैसे झेलेगा दूसरे सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर की नाराजी

भारत 2022 में मालदीव के दूसरे सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर के रूप उभरा था। मालदीव से भारतीय इंपोर्ट में मुख्य रूप से स्क्रैप मेटल्स शामिल हैं, जबकि मालदीव को भारतीय एक्सपोर्ट में कई प्रकार के इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट्स जैसे ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, रडार कंपोनेंट, रॉक बोल्डर, सीमेंट और कृषि उत्पाद जैसे चावल, मसाले, फल, सब्जियां और पोल्ट्री उत्पाद आदि शामिल हैं। खास बात तो ये है कि दोनों देशों के बीच 2013 से 2022 तक यानी दस साल में ट्रेड करीब 3 गुना तक बढ़ा है। मालदीव कस्टम सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013 में मालदीव और भारत के बीच ट्रेड 156.30 मिलियन डॉलर का था जो साल 2022 में बढ़कर 501.82 मिलियन डॉलर का हो गया। सितंबर 2023 तक यही ट्रेड दोनों देशों के बीच 416.06 मिलियन डॉलर का हो चुका है।

मालदीव के कई इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में लगा है भारत का पैसा

भारत ने मालदीव के कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में पैसा दिया हुआ है। मालदीव में भारत का अब तक का सबसे बड़ा ग्रांट प्रोजेक्ट नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट है। यह प्रोजेक्ट 222.98 करोड़ रुपये का है। इसका उद्घाटन विदेश मंत्री डॉ जयशंकर के दौरे के दौरान हुआ था। भारत सरकार 8.95 करोड़ रुपये की भारतीय ग्रांट के तहत माले में हुकुरु मिस्की की बहाली का भी समर्थन कर रही है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने जून 2019 में की थी।

भारत से टूरिस्ट नहीं गए तो हो जाएगा बर्बाद

मालदीव की इकॉनमी टूरिज्म पर निर्भर है। इस देश की इकॉनमी में टूरिज्म का योगदान 28 फीसदी है। वहीं, फॉरेन एक्सचेंज में 60 फीसदी योगदान टूरिज्म सेक्टर का होता है। मालदीव टूरिज्म डिपार्टमेंट के अनुसार, 2023 में यहां आए टूरिट्स में सबसे ज्यादा भारतीय थे। इसके बाद रूस और चीनी टूरिस्ट्स का स्थान है। साल 2023 में सबसे ज्यादा 2,09,198 भारतीय पर्यटक मालदीव गए थे। ताजा विवाद के बाद सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव और चलो लक्षद्वीप ट्रेंड कर रहा है। हजारों भारतीयों ने मालदीव के लिए अपने फ्लाइट टिकट्स और होटल बुकिंग्स कैंसिल करा दी हैं। मालदीव के लोगों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा आधार भी टूरिज्म ही है। यहां रोजगार में टूरिज्म का योगदान एक तिहाई से ज्यादा है। वहीं, पर्यटन से जुड़े सेक्टर्स को भी शामिल कर लें तो कुल रोजगार (डायरेक्ट और इनडायरेक्ट) में टूरिज्म की हिस्सेदारी लगभग 70 फीसदी है। अब आप समझ लीजिए कि भारतीयों ने मालदीव जाना छोड़ दिया तो इस देश की टूरिज्म इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी। इसलिए अब मालदीव सरकार बैकफुट पर आ गई है।

सीट शेयरिंग पर कांग्रेस-आप के बीच बनी बात! बैठक को लेकर बोले मुकुल वासनिक

#aap_congress_seat_sharing_meeting

लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बैठक हुई। बैठक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली, पंजाब के साथ ही हरियाणा और गुजरात में सीटों के बंटवारें पर चर्चा की। दोनों दलों की बीच यह बैठक कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक के निवास पर हुई। दोनों दलों के नेताओं की बीच बैठक करीब ढाई घंटे तक चली।बैठक में आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी और संदीप पाठक शामिल हुए।बैठक के बाद मुकुल वासनिक ने कहा कि आम आदमी पार्टी के साथ अच्छे माहौल में बात हुई, आप पार्टी इंडिया गठबंधन का अटूट हिस्सा है। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जल्द ही फैसला लेंगे।

कांग्रेस की अलायंस कमेटी के प्रमुख मुकुल वासनिक ने आगे कहा, ये चर्चा आगे भी चलेगी। कुछ दिनों में हम फिर मिलेंगे। जिसमें हम सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देंगे। क्या चर्चा हुई उस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। थोड़ा इंतजार करिये, पूरी जानकरी देंगे। दोनों ही पार्टी इस गठबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।बीजेपी को कड़ी टक्कर देंगे।

सूत्रों के मुताबिक भले ही साझा तौर पर चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस और आप ने अभी कोई घोषणा नहीं की हो लेकिन माना जा रहा है कि पंजाब और दिल्ली में दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी। इसके साथ ही गुजरात में भी कुछ सीटें आम पार्टी के लिए छोड़ी जा सकती हैं। किन सीटों पर कौन सा दल चुनाव लड़ेगा, इसका ऐलान अगले कुछ दिनों में हो सकता है।इसके साथ ही साझा चुनाव प्रचार अभियान की रूपरेखा भी बन सकती है।

सूत्रों के मुताबिक पंजाब में कांग्रेस 6 और दिल्ली में तीन सीटों की मांग कर रही है।ऐसे संकेत मिले हैं कि आम आदमी पार्टी गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में भी कांग्रेस से सीटें मांग सकती है। ऐसे में देखना होगा कि आप और कांग्रेस कितनी-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ती है।

'स्पष्ट अक्षरों में दवाएं लिखें डॉक्टर, टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट अब नहीं चलेगी..' ओडिशा हाई कोर्ट का आदेश

ओडिशा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह डॉक्टरों को पढ़ने योग्य लिखावट या बड़े अक्षरों में दवाएं लिखने के लिए बाध्य करे। न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही की अदालत ने ढेंकनाल जिले के हिंडोल के रसानंद भोई द्वारा लाए गए एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है। भोई द्वारा याचिका 25 सितंबर 2023 को दायर की गई थी। याचिका रसानंद के बड़े बेटे सौभाग्य रंजन भोई को अनुग्रह अनुदान देने से संबंधित थी, जिनकी सर्पदंश से मृत्यु हो गई थी।

न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने मुख्य सचिव से राज्य के सरकारी और निजी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों को एक परिपत्र भेजने को कहा, जिसमें डॉक्टरों को अपने पर्चे में दवाओं के नाम स्पष्ट रूप से या बड़े अक्षरों में लिखने के लिए कहा जाए। अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मामले में भी इसका पालन किया जाना चाहिए। जस्टिस पाणिग्रही ने कहा कि डॉ विश्वरंजन पति द्वारा सौवग्य का पोस्टमॉर्टम करने के बाद लिखी गई रिपोर्ट पढ़ने योग्य नहीं है। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि इसे पढ़ने के सामान्य क्रम में तब तक नहीं समझा जा सकता जब तक कि स्वयं रिपोर्ट के लेखक या हस्तलेखन विशेषज्ञ को इस तरह के विवरण की जांच करने को न कहा जाए।

उन्होंने आगे कहा कि, 'कई मामलों में, पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखते समय अधिकांश डॉक्टरों का आकस्मिक दृष्टिकोण मेडिको-लीगल दस्तावेजों की समझ को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है और न्यायिक प्रणाली को उन पत्रों को पढ़ने और एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचने में बहुत कठिनाई होती है।" जस्टिस पाणिग्रही ने आगे कहा कि, 'यह न्यायालय ओडिशा राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश देता है कि वह राज्य के सभी डॉक्टरों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट और नुस्खे बड़े अक्षरों में या सुपाठ्य लिखावट में लिखने का निर्देश जारी करें। ऐसी टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट लिखने की प्रवृत्ति, जिसे कोई आम आदमी या न्यायिक अधिकारी नहीं पढ़ सकते, डॉक्टरों के बीच एक फैशन बन गया है।'

उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को सभी चिकित्सा केंद्रों, निजी क्लीनिकों, मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को एक परिपत्र भेजने का निर्देश दिया, जिसमें उन्हें दवाएं लिखते समय या मेडिको-लीगल रिपोर्ट जमा करते समय अच्छी लिखावट या मुद्रित रूप में लिखने का निर्देश दिया जाए। इस बीच, न्यायालय ने कोविड-19 के दौरान या आपात स्थिति के दौरान चिकित्सा पेशेवरों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की भी सराहना की।

कोर्ट ने कहा कि, "यह न्यायालय इस तथ्य से भी अवगत है कि चिकित्सा पेशेवरों की ड्यूटी शेड्यूल बहुत व्यस्त और कठिन है, और आराम से कुछ लिखने के लिए समय निकालना अक्सर निर्धारित समय के भीतर अधिक से अधिक रोगियों की जांच करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न करता है।" इसमें कहा गया है, "आम तौर पर यह महसूस किया जाता है कि मेडिकल नुस्खे और मेडिकोलीगल दस्तावेज खराब लिखावट में लिखे जाते हैं जो न्यायिक प्रणाली में साक्ष्य की सराहना की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।"

आइए, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में साथ मिलकर काम करें..', IIT बॉम्बे में स्टूडेंट्स से बोले ISRO चीफ एस सोमनाथ

हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष, एस सोमनाथ ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT Bombay) द्वारा आयोजित वार्षिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी उत्सव, टेकफेस्ट के दौरान छात्रों की एक सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने छात्रों से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से योगदान देने और इसरो में शामिल होने की अपील की।

रिपोर्ट के अनुसार, ISRO चीफ सोमनाथ ने कहा कि, "मुझे यह देखकर खुशी होगी कि अधिक से अधिक IITan अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल होंगे और देश की अंतरिक्ष परियोजनाओं के निर्माण में भाग लेंगे।" जानकारी के मुताबिक, अपने भाषण के दौरान उन्होंने ISRO की भविष्य की परियोजनाओं पर चर्चा की, जिसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान, चंद्रमा पर मनुष्यों को भेजने के मिशन और चंद्रमा आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण शामिल है, जिसे इसरो ने 2047 तक निष्पादित करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने 2035 तक 'भारत अंतरिक्ष स्टेशन' (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) के प्रक्षेपण का भी उल्लेख किया, जिसका प्रारंभिक चरण 2028 निर्धारित किया गया था।

छात्रों को उन्होंने बताया कि ISRO भारत में विभिन्न संस्थानों के साथ विशेष रूप से सामग्री विज्ञान और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में संभावित अनुसंधान अवसरों की तलाश करेगा। उन्होंने विशेष रूप से IIT बॉम्बे से कक्षा में सेवाओं के लिए रोबोटिक गतिविधियों में अपनी विशेषज्ञता का योगदान देने का आह्वान किया। अपने भाषण के बाद उन्होंने छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिये। उन्होंने इस चिंता का समाधान किया कि कितने छात्र आकर्षक अंतरराष्ट्रीय नौकरियों का विकल्प चुनते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने एक उदाहरण का जिक्र किया जब उनकी टीम इंजीनियरों की भर्ती के लिए एक IIT में गई थी, लेकिन प्रेजेंटेशन में वेतन संरचना प्रदर्शित करने पर 60 फीसदी उम्मीदवार बाहर चले गए। उन्होंने देश के अंतरिक्ष प्रयासों में योगदान के महत्व पर जोर देते हुए छात्रों को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए काम करने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

'सिर्फ निलंबन काफी नहीं, मंत्रियों को बर्खास्त करो..', मालदीव को भारतीय विदेश मंत्रालय का सख्त जवाब, हल ढूंढ़ने की जिम्मेदारी वहां के राष्ट्रपति

पीएम नरेंद्र मोदी और भारत पर की गई विवादित टिप्पणी पर भारत अब मालदीव के खिलाफ कड़ा रुख अपना रहा है। सोमवार को मालदीव के उच्चायुक्त को भारत सरकार ने तलब किया और सख्त कार्रवाई की मांग की है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में हल खोजने की जिम्मेदारी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्चायुक्त इब्राहिम शाहीब से भारत ने स्पष्ट कह दिया है कि मालदीव ने द्विपक्षीय संबंध खराब कर लिए हैं और अब इसे सुधरने की जिम्मेदारी मुइज्जू की होगी। भारत ने यह भी कहा है कि तीनों मंत्रियों का निलंबन पर्याप्त करवाई नहीं है, उन्हें बर्खास्त किया जाए। विदेश मंत्रालय ने उन्हें अपना दंगा अधिनियम भी पढ़ाया। बताया जा रहा है कि उच्चायुक्त को लेकर विदेश मंत्रालय ने सख्त रुख अख्त्यार कर लिया है और सिर्फ 4 मिनट में ही उन्हें दफ्तर में फटकार लगाकर बाहर कर दिया गया।

वहीं, भारत ने इस मामले में अब तक राष्ट्रपति मुइज्जू की चुप्पी पर भी नाराजगी जताई है। गौर करने वाली बात तो ये है कि यह घटनाक्रम ऐसे वक़्त पर सामने आया है, जब मुइज्जू फंड के लिए चीन की यात्रा पहुंचे हैं। वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फंड मांगेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय को यह भी लग रहा है कि कहीं चीन द्वारा मालदीव के मंत्रियों को जानबूझकर यह तनाव पैदा करने को तो नहीं कहा गया था। उधर, मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मंत्रियों की ओर से दिया गए बयान की जानकारी सरकार को है। साथ ही उनका कहना है कि ये मालदीव के नहीं, बल्कि मंत्रियों के व्यक्तिगत विचार हैं।

गौरतलब है कि, पीएम मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर गए थे। जिसके बाद मालदीव सरकार में मंत्री रहे मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद ने उनकी यात्रा पर विवादित टिप्पणियां कर दी थीं। इसके बाद पहले तो सोशल मीडिया पर मालदीव के विरोध में आवाज़ उठना शुरू हुई और टॉप ट्रेंड करने लगा। इसके बाद भारत सरकार ने भी कड़ी आपत्ति जताई और उच्चायुक्त को तलब कर अपना विरोध दर्ज कराया। मालदीव में लाखों भारतीय रहते हैं, साथ ही साल भर में लगभग 20 लाख भारतीय वहां छुट्टियां मनाने जाते हैं, जिससे उनका रेवेन्यू बढ़ता है। अगर भारत में इसका विरोध जोर पकड़ता है, तो मालदीव को बड़ा झटका लग सकता है।

एमपी के ग्वालियर में साले की हत्या के बाद जीजा ने लाश के साथ की बर्बरता, MP से सामने आया दिल दहला देने वाला मामला

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक व्यक्ति ने संपत्ति के लालच में अपनी पत्नी के भाई का क़त्ल कर दिया। हत्या को हादसा दिखाने के लिए साले की डेडबॉडी हाईवे पर ले गया तथा गाड़ी से टक्कर मारी। दरअसल, 5 जनवरी को आगरा-झांसी हाईवे पर बेहटा के पास एक शख्स का शव मिला था। खबर प्राप्त होने पर पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा मृतक के गले पर निशान और सिर में चोट थी। उसकी पहचान उपेंद्र यादव के तौर पर हुई। जो कि भिंड जिले का रहने वाला था।

पुलिस ने FIR दर्ज करके पोस्टमार्टम करवाया। तत्पश्चात, तहकीकात शुरू हुई तो मृतक के जीजा भूरे उर्फ संजय की गतिविधि संदिग्ध लगी। संदेह के आधार पर पुलिस ने उसको गिरफ्त में लिया तथा पूछताछ की। शुरुआत में संजय पुलिस को बरगलाता रहा। लेकिन, कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया। उसने बताया कि अपने साथी चालीराजा एवं उमर के साथ मिलकर साले उपेंद्र को प्लॉट दिखाने के बहाने बड़ा गांव क्षेत्र में बुलाया। यहां से गाड़ी में बैठाकर बेहटा क्षेत्र में ले गया तथा रस्सी से गला घोंटकर क़त्ल कर दिया।

हत्या को दुर्घटना दिखाने के लिए गाड़ी से लाश को टक्कर मारी थी। इसके कारण सिर में चोट आई थी। हत्या के पीछे का कारण पूछने पर उसने बताया कि उपेंद्र और संजय दोनों टेंट का व्यवसाय करते थे। उपेंद्र अक्सर संजय को गालियां देता था। इस बात से संजय खुन्नस रखने लगा। इसके अतिरिक्त उपेंद्र के पिता की 15 वर्ष पहले हत्या हो गई थी। उपेंद्र घर में इकलौता बेटा था। सारी संपत्ति उसके नाम थी। वो प्रॉपर्टी का काम भी करता था। उसकी प्रॉपर्टी के लालच में हत्या कर दी। पुलिस ने संजय एवं उसके दोनों साथियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में SP ग्वालियर राजेश सिंह ने कहा कि दोषियों को पकड़ लिया गया है तथा उनसे पूछताछ की जा रही है।

पढ़िए, सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives के ट्रैंड के बाद ट्रैवल एजेंसी ने कह डाली ये बात, 20-25 दिन में स्पष्ट होगी स्थिति

लक्षद्वीप और मालदीव इन दिनों भारत में चर्चा का मुख्य विषय बन चुके है। पीएम नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के उपरांत से देश में मालदीव का बहिष्कार भी किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने मालदीव में नियोजित अपनी छुट्टियां भी रद्द कर दी गई है। वहीं, टूर ऑपरेटर्स ने भी बड़ी संख्या में छुट्टियां रद्द करने की तैयारी भी शुरू की जा चुकी है। बता दें, छुट्टियां मनाने के लिए मालदीव भारतीयों की पसंदीदा स्थानों में से एक है।

20-25 दिन बाद साफ होगा असर

इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स का अनुमान है कि सोशल मीडिया पर मालदीव के विरुद्ध बढ़ रहे विरोध का नतीजा अगले 20-25 दिनों के भीतर स्पष्ट हो सकता है। उनका बोलना है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हवाई जहाज और होटल बुक कर चुका है तो वह इसे रद्द नहीं करने वाला है। हालांकि, उनका इस बारें में बोलना है कि बीते कुछ दिनों से मालदीव के लिए कोई नई पूछताछ नहीं हुई है। टूर कंपनी मेक माई ट्रिप के संस्थापक दीप कालरा ने जानकारी दी है कि भारतीयों ने फिलहाल मालदीव में पूर्व नियोजित छुट्टियों को रद्द नहीं किया है। सोशल मीडिया पर चले रहे ट्रेंड का असर आने वाले कुछ दिनों में ही साफ होगा। वहीं, एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहरा का कहना है कि उम्मीद है कि लोग जिन्होंने हवाई जहाज और होटलों का भुगतान कर दिया है, वह इन यात्राओं को रद्द नहीं करने वाले है। हालांकि, नई बुकिंग की उम्मीद कम है।

लक्षद्वीप में यात्रा को बढ़ावा देने के लिए लाएंगे ऑफर

खबरों का कहना है कि ऑनलाइन टूर कंपनी ईज माई ट्रिप ने प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों के कारण मालदीव की सभी उड़ानों को निलंबित भी किया जा चुका है। कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) निशांत पिट्टी ने एक्स पर पोस्ट कर बोला है कि हम देश के साथ खड़े हैं। हमने लक्षद्वीप की यात्रा के लिए अभियान शुरू किया है। उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि लक्षद्वीप का पानी और समुद्री तट मालदीव जितने ही अच्छे हैं। हम लक्षद्वीप में यात्रा को बढ़ावा देने के लिए विशेष ऑफर लेकर आने वाले है।

भारतीयों की पहली पसंद है मालदीव

दिल्ली के एक टूर ऑपरेटर इस बोला है कि मालदीव भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय है। लेकिन सोशल मीडिया पर जारी वाद-विवाद के कारण यात्राओं पर फर्क पड़ता हुआ नजर आ रहा है। आंकड़ों की माने तो, वर्ष 2023 में मालदीव आए 17.57 लाख पर्यटकों में से सबसे ज्यादा 2.09 लाख भारतीय ही थे। इसके उपरांत रूस और चीन हैं। हिंद महासागर में एशिया की मुख्य भूमि से तकरीबन 750 किमी दक्षिण में मौजूद मालदीव की आबादी 5.15 लाख है। यहां 1,190 द्वीप हैं, इनमें 190 ही रहने लायक हैं। सरकार को 90% आय आयातित चीजों और पर्यटन उद्योग से हो रही है।

राजस्थान के करणपुर में बीजेपी का दांव पड़ा उल्टा, मंत्री बनने के 10 दिन बाद ही चुनाव हार गए सुरेंद्र टीटी

#sri_ganganagar_srikaranpur_assembly_election

आज से ठीक 10 दिन पहले बीजेपी ने राजस्थान सरकार में सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया। तब बीजेपी के इस फैसले ने सभी को इसलिए चौंका दिया था, क्योंकि सुरेंद्र पाल बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बन गए थे। हालांकि, उन्हें मंत्रालय आवंटित नहीं किया गया था।बीजेपी ने करणपुर सीट पर जीत का परचम फहराने के लिए सुरेंद्र सिंह को विधायक बनने से पहले मंत्री बनाकर भजनलाल शर्मा कैबिनेट में शामिल कर लिया था।हालांकि यहां बीजेपी का दांव उल्टा पड़ गया।राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत पाने वाली बीजेपी श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर विधानसभा चुनाव में मात खा गई।

पूर्व में कांग्रेस के कब्जे वाली श्रीकरणपुर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के लिए बीजेपी ने यहां से चुनाव लड़ रहे पार्टी के उम्मीदवार सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बना दिया था। मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने यह बड़ा दांव खेला था। लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रूपेन्द्र सिंह कुन्नर चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को करीब 11 हजार से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया है।कांग्रेस प्रत्याशी रूपेन्द्र सिंह को अपने पिता के निधन की सहानुभूति का लाभ मिला, जो बीजेपी के मंत्री दांव पर भारी पड़ गई।

श्रीगंगानगर की करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे गुरमीत कुन्नर की मृत्यु के बाद इस सीट पर चुनाव रद्द कर दिया गया था। चुनाव आयोग ने बाद में घोषणा की थी कि 5 जनवरी को करणपुर सीट मतदान होगा। कांग्रेस ने गुरमीत कुन्नर के बेटे रूपिंदर सिंह कुन्नर को प्रत्याशी बनाया, तो बीजेपी ने अपने पहले वाले कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह टीटी पर ही भरोसा जताया। भजनलाल शर्मा के अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी और कैबिनेट का गठन हुआ तो पार्टी कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह टीटी को मंत्री बनाने का दांव चला ताकि चुनाव में सियासी लाभ पार्टी को मिल सके। लेकिन बीजेपी का दावं उल्टा पड़ गया है।

दरअसल इस सीट पर पूर्व में कांग्रेस ने अपने तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन 25 नवंबर 2024 को होने वाले मतदान से पहले गुरमित सिंह कुन्नर का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। लिहाजा चुनाव आयोग ने वहां मतदान टाल दिया था। 25 नवंबर को राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर ही मतदान हुआ था। उनमें से 115 सीटें बीजेपी और 69 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। शेष पर सीटों पर अन्य पार्टियों के प्रत्याशी और निर्दलीय विजयी हुए थे।