गिरिडीह:समाजसेवी ने थाना प्रभारी द्वारा ग्रामीणों के साथ मनमानी करने के संबंध में लिखा पुलिस अधीक्षक को पत्र,की हटाने की मांग
गिरिडीह:जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस की हनक से परेशान ग्रामीणों की व्यथा की जानकारी मिलने पर क्षेत्र के समाजसेवी मनोज कुमार साहू ने कई गांवों का दौरा किया।जिसके बाद उन्होंने जिले के पुलिस अधीक्षक से उक्त थाना प्रभारी को अविलंब हटाए जाने की मांग की है।
उक्त आवेदन में उन्होंने लिखा कि वे,मनोज कुमार साहु, एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं,वे पीरटांड खुखरा थाना क्षेत्र का भ्रमण करने हेतु निकले थे। भ्रमण के दौरान स्थानीय ग्रामीणो द्वारा थाना प्रभारी के विरुद्ध अनेकों शिकायत किया गया। वहां के ग्रामीण थाना प्रभारी के व्यवहार से काफी नाराज एवं क्रोधित हैं।
लिखा कि उन्होंने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और अपने स्तर से जांच किया जो कि सही पाया गया। ग्रामीणो के कथनानुसार कई बातें खुलकर सामने आई। जिसमें पीरटांड़ प्रखण्ड के खरपोका में ईंट पकाने हेतु एक ग्रामीण द्वारा कुछ कोयला जमा किया गया था।थाना प्रभारी द्वारा ग्रामीण से पैसा मांगा गया और नही देने पर उक्त जमा कोयला को उठाकर बेच दिया गया,जबकि जब्ती सूची में नही दिखाया गया।वहीं जब्त वाहन (बोलेरो) का प्रयोग थाना प्रभारी द्वारा निजी कामों में किया जा रहा है।साथ ही तोपचांची व स्थानीय बालू ट्रेक्टर वाहनो से बतौर इंट्री पैसे की उगाही की जा रही है।
समाजसेवी ने लिखा कि स्थानीय जनता के कथनानुसार खुखरा थाना के पीछे काफी मात्रा में जमा कोयला को बेचने हेतु ग्राहक खोजा जा रहा है।जबकि वनभूमि से सादा पत्थर (क्वार्टज) का अवैध खनन थाना प्रभारी की मिली भगत से किए जाने की बात लिखा है।
उन्होंने लिखा कि स्थानीय ग्रामीणो के जमीनी विवाद में थाना प्रभारी द्वारा अनैतिक तरीके से मामला को सुलझाया जाता है, बिना पेपर जांच किये जो पैसे देता है, उसी के पक्ष में फैसला देता है और दूसरे पक्ष को डरा धमका कर जेल भेजने की धमकी देता है,जिससे ग्रामीणों में अविश्वास और डर का माहौल उत्पन्न हो गया है।
समाजसेवी साहू ने आगे लिखा कि और भी कई अन्य मामलों में गलत तरीके से पैसे की उगाही का कार्य थाना प्रभारी द्वारा किया जा रहा है जिससे ग्रामीणो में भारी आक्रोश है।
समाजसेवी साहू ने थाना प्रभारी को एक सप्ताह के अंदर थाना से हटाए जाने की मांग की है, अन्यथा पीरटांड़ के जन प्रतिनधियों एवं ग्रामीणों के साथ मिलकर उग्र आन्दोलन करने की बात कही है।
बताया जाता है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से वरीय अधिकारियों के कम दौरा होने के कारण पीरटांड़ के लोग भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं,और अपनी नियति पर आंसू बहाने को विवश हैं।ग्रामीणों का मानना है कि करोड़ों रुपए की लागत से कई विकास योजनाओं की स्वीकृति केंद्र तथा राज्य सरकार से की गई है।इसके बावजूद विकास धरातल पर नज़र नहीं आने का मुख्य कारण यह भी है।
Jan 06 2024, 13:13