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अब छुट्टी में भी छुट्टी नहीं : केके पाठक का नया आदेश , क्रिसमस डे से लेकर अगले आदेश तक अवकाश लेने पर लगाई रोक

क्रिसमस डे के अवसर पर बिहार में 25 दिसंबर को पहले से छुट्टी घोषित है पर राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा में बने शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस छुट्टी का लाभ नहीं ले सकेंगे। क्योंकि विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर 25 दिसंबर से अगले आदेश तक सभी तरह की छुट्टियां रद्द कर दी गयी है। इसकी वजह बीपीएससी द्वारा आयोजित दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों का काउंसलिंग बताया जा रहा है।

 

माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने इस आशय का आदेश जारी करते हुए कहा कि 25 दिसंबर से अगले आदेश तक शिक्षा विभाग के सभी कर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि दूसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा का परिणाम बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा प्रकाशित कर दिया गया है। 25 दिसंबर 23 से काउंसलिंग की तिथि भी विभाग द्वारा निर्धारित कर सूचना प्रकाशित कर दी गयी है। इस स्थिति में कार्य की महत्ता को देखते हुए राज्य के शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों का अवकाश दिनांक 25 दिसंबर 2023 से अगले आदेश तक रद्द की जाती है। बहुत ही अपरिहार्य स्थिति होने पर मुख्यालय से अनुमति प्राप्त करने के बाद अवकाश दिया जाएगा।

आदेश मे कहा गया है कि प्रथम चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के आधार पर नियुक्त एवं विद्यालयों में पदस्थापित विद्यालय अध्यापकों की संख्या बल की जांच इससे संबंधित डेटा के शुद्धिकरण हेतु सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को आदेश दिया जाता है कि 24 दिसंबर 23 को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों और प्रधानाध्यापकों की बैठक आहुत कर उक्त कार्य को पूरा करना सुनिश्चित करेंगे।

इससे पहले भी शिक्षा विभाग में छुट्टी की कटौती का फैसला केके पाठक की तरफ से लिया गया था। जिसका विरोध हर स्तर पर हुआ था। अब काउंसलिंग के नाम पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी गयी है।

पुलिस को चुस्त दुरुस्त करने के लिए बिहार सरकार ने बनाया प्लान, एक जनवरी से शुरू होगा ये अभियान

एक जनवरी 2024 से, बिहार पुलिस एक नई पहल, 'मिशन दिन' लागू करेगी। जिससे जांचकर्ताओं के लिए एफआईआर दर्ज होने के 75 दिनों के भीतर मामलों की जांच पूरी करना अनिवार्य हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, जांच की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पुलिस स्टेशनों और जिला पुलिस के प्रदर्शन की मासिक आधार पर नियमित रूप से समीक्षा की जाएगी। राज्य सरकार का लक्ष्य पुलिस बल को अधिक लोगों के अनुकूल और जवाबदेह बनाना है, मामलों के समाधान में तेजी लाने और आपराधिक न्याय प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के उपाय शुरू करना है।

बिहार पुलिस (मुख्यालय) के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) जेएस गंगवार के अनुसार, नई पहल विशिष्ट मामलों को छोड़कर सभी मामलों के लिए निर्धारित 75 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने सहित जांच पूरी करने पर जोर देती है। गंगवार ने कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप समय पर आरोपपत्र प्रस्तुत करने के महत्व पर प्रकाश डाला। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम की जगह नए कानूनों के संबंध में केंद्र द्वारा हालिया गजट अधिसूचना के बाद बिहार पुलिस भी आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव की तैयारी कर रही है।

गंगवार ने कहा कि नए कानूनों के कार्यान्वयन के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार, सॉफ्टवेयर अपडेट और मौजूदा मानव संसाधनों के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है और बिहार पुलिस इन बदलावों के लिए तैयारी कर रही है। संसद द्वारा अनुमोदित तीन विधेयकों में औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को संशोधित करने, आतंकवाद, लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों जैसे अपराधों के लिए कड़ी सजा देने का प्रावधान है। विधेयकों को राज्यसभा और लोकसभा दोनों में मंजूरी मिल गई, जो अधिक कठोर और आधुनिक आपराधिक कानूनों को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक विधायी बदलाव का प्रतीक है।

अब दूसरे देशों से 'एस्केलेटर' आयात करने की जरुरत नहीं ! 2024 में भारत में निर्माण शुरू कर देगी ये स्वदेशी कंपनी

 कोने एलिवेटर इंडिया (KONE Elevator India Private Limited) के एक अधिकारी ने बताया है कि, कंपनी अपने विस्तार कार्यक्रम के तहत 2024 की पहली छमाही से भारत में एस्केलेटर का निर्माण शुरू कर देगी। कोन एलिवेटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (MD) अमित गोसाईं ने एक बातचीत के दौरान कहा कि, अभी, श्रीपेरंबुदूर संयंत्र में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। यह जनवरी में पूरा हो जाएगा।

बता दें कि, अभी तक कोने इंडिया, चीन और फिनलैंड से एस्केलेटर आयात करता था और फिर उन्हें असेंबल करता था। लेकिन अब मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करने के लिए कंपनी घरेलू बाजार के लिए स्थानीय स्तर पर इनका विनिर्माण और संयोजन शुरू करेगी। कोने कॉरपोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी शुरुआत में घरेलू बाजार के लिए कुछ हजार लिफ्टों के मुकाबले कुछ सैकड़ों एस्केलेटर का निर्माण करेगी। कंपनी की नज़र हवाई अड्डे, मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन और शॉपिंग मॉल के लिए एस्केलेटर निर्माण करने की हैं।

उल्लेखनीय है कि, एस्केलेटर और लिफ्ट का भारतीय बाजार प्रति वर्ष लगभग 65,000 से 70,000 इकाइयों का है, जिनमें से एस्केलेटर की हिस्सेदारी 5% है। उन्होंने कहा, एलिवेटर सेगमेंट में कोने इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 25% है। उन्होंने कहा कि, 'अभी, अधिकांश घटक स्थानीय स्तर पर खरीदे जाते हैं। हम भारत में एस्केलेटर बनाने वाली एकमात्र कंपनी हैं, जबकि अन्य इसे आयात और असेंबल कर रहे हैं।'

कोने इंडिया के कैलेंडर वर्ष 2023 को CY2022 की तुलना में 15% की वृद्धि के साथ समाप्त करने की संभावना है और CY2024 के लिए समान विकास लक्ष्य को बनाए रखने की संभावना है। इस बीच, अमित गोसाईं ने राज्य सरकारों से लिफ्ट अधिनियम को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण है। अभी, इसे तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और नई दिल्ली सहित केवल 11 राज्यों द्वारा लागू किया गया है। निर्यात के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि यह कुल राजस्व का लगभग 5-7% है और अधिक उत्पादों के लॉन्च के साथ इसमें वृद्धि होना तय है।

फिर टेंशन देने लगा कोरोना, पिछले 24 घंटे में सामने आए 752 नए मामले, 21 मई के बाद सबसे अधिक

#indiarecords752newcovid19casesand4deathsin24_hours

देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने करीब 7 महीने पहले कोविड-19 से जुड़ी पब्लिक हेल्थ एडवाइजरी वापस ले ली थी लेकिन कोरोना के जेएन.1 वायरस ने एक बार फिर दुनिया भर के देशों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करने पर मजबूर कर दिया है। कोरोना के चढ़ते ग्राफ का अंदाजा इसी बता से लगाया जा सकता है कि पिछले 9 दिनों में ही कोरोना के दोगुने केस हो गए हैं। देश में कोरोना वायरस के ताजा मामलों में बड़ा उछाल देखने को मिला है, जो 23 मई के बाद सबसे अधिक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो भारत में एक दिन में कोरोना वायरस के 700 से अधिक नए केस मिलने से हड़कंप मच गया है और इतना ही नहीं, कोविड से देश में चार मरीजों की मौत भी हो गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना वायरस के 752 नए मामले सामने आए हैं, जो 21 मई 2023 के बाद सबसे अधिक है। देश में सक्रिय मामले बढ़कर 3,420 हो गए हैं। शनिवार सुबह 8 बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 24 घंटे की अवधि में खतरनाक कोरोना वायरस से चार लोगों की मौतें हुई हैं। देश में जिन चार कोरोना मरीजों की मौत हुई है, उनमें से केरल से दो, राजस्थान और कर्नाटक में एक-एक शामिल हैं।

जेएन.1 वैरिएंट के कारण बढ़ रहा संक्रमण

कोविड-19 के बढ़ते मामलों में के लिए दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे जेएन.1 वैरिएंट को प्रमुख कारण माना जा रहा है।भारत सहित दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि रिपोर्ट की जा रही है। चीन में नवंबर में बढ़े संक्रमण के मामलों के बाद सिंगापुर और फिर भारत में भी हालात बिगड़ने की खबर है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) सहित दुनिया के तमाम स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि कोरोनावायरस अपने आपको जीवित रखने के लिए लगातार म्यूटेट हो रहा है। JN.1 उसी की एक रूप है। संक्रमण की वर्तमान शीतकालीन लहर ने अचानक से चिंता जरूर बढ़ा दी है पर ज्यादातर रोगियों में इस वैरिएंट के कारण हल्के लक्षण ही देखे जा रहे हैं, बड़ी संख्या में लोग घर पर रहकर ठीक भी हो रहे हैं। हालांकि JN.1 में अतिरिक्त म्यूटेशन के कारण इसके कारण तेजी से संक्रमण बढ़ने का जोखिम जरूर देखा जा रहा है

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि पिछले चार हफ्तों के दौरान नए कोविड मामलों की संख्या में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इस अवधि के दौरान 850,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं।डब्ल्यूएचओ ने बताया कि पिछले 28 दिनों की अवधि की तुलना में नई मौतों की संख्या में 8 प्रतिशत की कमी आई है, 3,000 से अधिक नई मौतें दर्ज की गई हैं।

*जम्मू-कश्मीर के अखनूर में घुसपैठ की कोशिश नाकाम, सुरक्षाबलों की फायरिंग में एक घुसपैठिया ढेर*

#army_foils_terrorist_infiltration_attempt_in_jammu_akhnoor 

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकी हमले के बाद अखनूर में भारतीय सेना ने आतंकवादियों की घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया है। इस दौरान सुरक्षाबलों की फायरिंग में एक आतंकी ढेर हुआ है। बताया जा रहा है कि निगरानी उपकरणों के जरिए चार आतंकवादियों की संदिग्ध गतिविधि देखी गई थी। आतंकियों को घुसपैठ करते देख सुरक्षाबलों ने आतंकियों पर गोली बरसा दी। इस मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया। सुरक्षाबलों की गोली का शिकार हुए एक आतंकी के शव को उसके साथी घसीटते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार ले जाते देखे गए।

भारतीय सेना की 16वीं कोर, जिसे व्हाइट नाइट कोर के नाम से भी जाना जाता है, ने इस घटना की जानकारी दी। भारतीय सेना की 16वीं कोर ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘अखनूर में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया गया है। शुक्रवार की देर रात हमारी सर्विलांस डिवाइस के जरिए चार आतंकवादियों की संदिग्ध देखी गई। इसके बाद हमारी ओर से फायरिंग की गई। आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार एक शव को घसीटते हुए वापस ले जाते हुए देखा गया।

मिली जानकारी के मुताबिक, इन घुसपैठियों को पाकिस्तान की तरफ से पूरा सपोर्ट मिल रहा था. जिस वक्त ये घुसपैठिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारत में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। ठीक उसी वक्त पाकिस्तान की सेना ने भारतीय जवानों का ध्यान भटकाने के लिए अपनी एक पोस्ट में आग भी लगा दी। हालांकि, पाकिस्तान की ये चाल कामयाब नहीं हो पाई और सैनिकों ने तुरंत घुसपैठियों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया, जिसमें एक घुसपैठिया मारा गया।

बता दें कि राजौरी सेक्टर के डेरा की गली के जंगलों में गुरुवार को आतंकवादियों ने सेना के चार जवानों की हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही आतंकियों ढूंढ़ निकालने के लिए बड़े पैमाने पर इलाके में तलाशी अभियान जारी है। गुरुवार शाम हुए आतंकी हमले में सेना के चार जवान शहीद हो गए जबकि तीन अन्य घायल हो गए। अब सर्च ऑपरेशन के बीच पुंछ और राजौरी में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

गौरतलब कि पुंछ-राजोरी सेक्टर में 25 से 30 पाकिस्तानी आतंकवादी के सक्रिय होने का संदेह है। माना जा रहा है कि इस सेक्टर में फैले घने जंगल और प्राकृतिक गुफाओं को आतंकी अपना ठिकाना बना रहे हैं। भारत ने 2020 में चीन के साथ बिगड़े हालातों के बीच राष्ट्रीय राइफल्स की यूनिटों को पुंछ सेक्टर से हटाकर लद्दाख में स्थानांतरित कर दिया था।

सूत्रों ने कहा कि पुंछ और राजोरी क्षेत्र में पाकिस्तान और चीन द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने की साजिश रची गई है, ताकि भारतीय सेना पर लद्दाख सेक्टर से सैनिकों को हटाने और इस क्षेत्र में बलों को फिर से तैनात करने के लिए दबाव बनाया जा सके।

*अमेरिका में मंदिर पर हमला, खालिस्तान समर्थकों ने दीवार पर लिखे भारत विरोधी नारे*

#america_khalistan_supporters_attack_on_swaminarayan_temple_in_california

खालिस्तान समर्थकों ने एक बार फिर विदेशी धरती पर हिंदू मंदिर को निशाना बनाया है। अमेरिका के कैलिफोर्निया के नेवार्क में खालिस्तान समर्थकों ने हिंदू मंदिर की बाहरी दीवारों पर भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थन में नारे लिखे हैं साथ ही उन्हें क्षतिग्रस्त भी किया है।

इससे जुड़ी तस्वीरें हिंदू अमेरिका फाउंडेशन की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की गई है। इसमें स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर नारे लिखे हुए दिख रहे हैं।फाउंडेशन ने जोर देते हुए कहा कि इस घटना की जांच घृणा अपराध के रूप में होनी चाहिए। घटना के बाद मंदिर से जुड़े लोगों ने नेवार्क पुलिस विभाग और न्याय विभाग नागरिक अधिकार प्रभाग को इसके बारे में सूचित किया है। 

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार नेवार्क पुलिस सेवा ने मामले में जांच शुरू कर दी है। मंदिर के प्रवक्ता, भार्गव रावल ने कहा कि मंदिर के नजदीक रहने वाले भक्तों में से एक ने इमारत की बाहरी दीवार पर काली स्याही में हिंदू विरोधी और भारत विरोधी नारे देखे, और स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचित किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि मंदिर के अधिकारी इसकी दीवार पर भारत विरोधी नारे देखकर हैरान थे। घटना पर अधिक प्रकाश डालते हुए, नेवार्क शहर के पुलिस कप्तान जोनाथन अर्गुएलो ने कहा कि ‘लक्षित कृत्य’ की जांच की जा रही है।

वहीं इस मामले पर सैन फ्रांसिस्को में मौजूद भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कड़ी आपत्ति जताई है। दूतावास ने स्वामीनारायण मंदिर पर भारत विरोधी नारे लिखे जाने की कड़ी निंदा करते हुए बयान दिया है कि इस घटना से भारतीय समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं।

ये कोई पहला मौका नहीं है जब विदेशी सरजमी पर हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया हो। इससे पहले भी कई र इस तरह के मामले सामने आए हैं। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी खालिस्तानियों ने मंदिरों को निशाना बनाया है। इस तरह की घटनाओं पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सरकार ने कई राजनयिक मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है।

*कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार का बड़ा फैसला, हिजाब पर बैन हटा, बीजेपी ने जताई कड़ी आपत्ति*

#hijab_ban_to_be_lifted_in_karnataka_cm_siddaramaiah_announced

कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में लड़कियों के हिजाब पहनने पर लगे बैन को हटाने का फै़सला किया है। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि हम हिजाब बैन के फैसले को वापस लेंगे। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि मैंने हिजाब प्रतिबंध को वापस लेने का निर्देश दिया है। बता दें कि पिछली बीजेपी सरकार ने हिजाब प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद ये मामला क़ानूनी लड़ाई का विषय बन गया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर किसी को अपने मनमुताबिक कपड़े पहनने का अधिकार है। अपने हिसाब से खाना खाना और कपड़े पहनना हमारा अधिकार है। इस पर मुझे क्यों आपत्ति होनी चाहिए। जिसको जो मर्जी है वो खाए, जो मर्जी करे वो पहने, मुझे इसकी परवाह क्यों होगी? हमें वोट पाने के लिए इस तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। इससे पहले अक्टूबर में सिद्धारमैया सरकार ने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के दौरान छात्रों को हिजाब पहनने को मंजूरी दी थी।

कांग्रेस ने चुनाव से पहले ये संकेत दिया था कि सत्ता में आने पर वो हिजाब बैन को ख़त्म कर देगी लेकिन ये पहली बार है, जब मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वो इसे हटाने जा रहे हैं। इस साल अक्टूबर में कर्नाटक सरकार ने प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं में हिजाब पहन कर आने की अनुमति दे दी थी। उस वक्त भी इसे लेकर विवाद हुआ था. लेकिन इससे संकेत मिलने लगे थे कि राज्य सरकार अगले कुछ महीनों में शिक्षा संस्थानों में हिजाब पहनकर आने पर लगे बैन को ख़त्म कर सकती है।

कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि सरकार युवाओं को धार्मिक आधार पर बांट रही है। उन्होंने आगे कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध वापस लेने का मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का फैसला हमारे शैक्षणिक स्थलों की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को लेकर चिंता पैदा करता है।

बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में शिक्षण संस्थाओं में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया था। पिछले साल प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर स्कूलों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगाया गया था। इस मामले ने एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया था। बीजेपी सरकार के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

लेकिन अदालत ने सरकार के बैन के आदेश का समर्थन किया था। अदालत ने कहा था कि शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राओं को पहले से निर्धारित यूनिफॉर्म ही पहनना होगा। अदालत ने कहा था, शिक्षण संस्थान में ऐसे कपड़े पहने जाने चाहिए जो बराबरी और एकता का संदेश दे। इसकी वजह से समाज में अशांति न हो। अदालत का कहना था कि हिजाब पहनना धार्मिक रीति-रिवाज का हिस्सा नहीं है. हालांकि बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन इस मामले पर अदालत का फै़सला बंटा हुआ था।

बजरंग पूनिया ने किया पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान, कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष के विरोध में उठाया बड़ा कदम

#wrestlerbajrangpuniawillreturnhispadma_awards

भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष के तौर पर संजय सिंह के नाम ऐलान होने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। कई भारतीय कुश्ती खिलाड़ी नए अध्यक्ष का विरोध कर रहे हैं। बृजभूषण सिंह के करीबी संज सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद विरोध में सबसे पहले साक्षी मलिक ने कुश्ती से अपने संन्यास का ऐलान करते हुए सभी को चौंका दिया। तो वहीं ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने भी अब अपने पद्म श्री पुरस्कार को लौटाने का ऐलान कर दिया है। बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक पत्र लिखते हुए अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की बात कही।

भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। बजरंग ने पद्म पुरस्कार लौटाने का एलान करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। इस खत की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बजरंग ने लिखा "मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरा स्टेटमेंट है।"

पुनिया ने पीएम को लिखे पत्र में क्या कहा

पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना पद्म श्री पुरस्कार वापस लौटाने के साथ सोशल मीडिया पर जो बयान जारी किया उसमें उन्होंने लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जीत को वापस लौटा रहा हूं, कहने के लिए बस मेरा ये पत्र है और यही मेरा बयान है। बजरंग ने अपने इस स्टेटमेंट में लिखा कि माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुएल हरासमैंट के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं दर्ज हुई तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़क पर उतरकर आंदोलन किया ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर एफआईआर दर्ज करे, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी। जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी, यानी इन 3 महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। आंदोलन 40 दिन चला, इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं। हम सबपर बहुत दबाव आ रहा था, हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची, जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं।इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे।लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है। उसने स्टेटमैंट दी कि "दबदबा है और दबदबा रहेगा।" महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। 

क्या है मामला?

बता दें कि इसी साल जनवरी के महीने में बजरंग पूनिया सहित देश के कई बड़े पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना शुरू कर दिया था। पहलवानों ने बृजभूषण सिंह और उनके समर्थकों पर महिला पहलवानों के यौन शोषण और मनमानी के आरोप लगाए थे। इसके बाद जांच का आश्वासन मिलने पर पहलवानों ने धरना खत्म किया। वह जांच से संतुष्ट नहीं हुए तो दोबारा धरना किया और इसमें जमकर बवाल हुआ। अंत में बृजभूषण हट गए और दोबारा चुनाव हुए। गुरुवार को बृजभूषण सिंह के वफादार संजय सिंह 15 में से 13 पद जीतकर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए। 

संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें साक्षी ने विरोध जताते हुए कुश्ती छोड़ने की घोषणा की। साक्षी ने कहा, "हमने दिल से लड़ाई लड़ी, लेकिन अगर बृजभूषण जैसे व्यक्ति, उनके बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती छोड़ देती हूं। आज से आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगे।" उन्होंने नम आखों के साथ अपनी बात कही। अब बजरंग पूनिया ने अपना पुरस्कार लौटाया है।

संसद में घुसपैठ करने वाले सभी आरोपियों का हुआ साइको एनालिसिस टेस्ट, ललित झा ने बताया-कौन है पूरे कांड का असली मास्टरमाइंड

#parliament_smoke_attack_psycho_analysis_test_of_accused 

13 दिसंबर को संसद में घुसपैठ मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।संसद सुरक्षा चूक मामले में पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है। पुलिस ने आरोपियों से हमले के बारे में सच निकवाने के लिए साइको एनेलिसिस टेस्ट का सहारा लिया है। सभी आरोपियों का दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने साइको एनेलिसिस टेस्ट करवाया है। टेस्ट के दौरान ललित झा ने संसद की सुरक्षा में चूक का मास्टरमाइंड मनोरंजन डी को बताया है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले के सभी आरोपियों का शुक्रवार दोपहर रोहिणी के एक सरकारी संस्थान में साइको एनालिसिस टेस्ट कराया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मास्टरमाइंड माने जाने वाले ललित झा ने परीक्षण के दौरान खुलासा किया कि इस कृत्य के पीछे असली आदमी मनोरंजन डी था, न कि वह। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक साइको एनालिसिस टेस्ट के दौरान ललित ने कहा, 'हमें अंदाजा नही था कि इस घटना पर हम सभी पर UAPA लगेगा। 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, साइको एनालिसिस टेस्ट के दौरान ललित झा ने माना कि मनोरंजन डी इस ग्रुप को बड़ा संगठन बनाना चाहता था। टेस्ट में खुलासा हुआ है कि संसद में हुई घटना के मास्टरमाइंड मनोरंजन डी ने संगठन में भर्तियों का जिम्मा आरोपी सागर को सौंपा था।

इसके अलावा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल संसद कांड के सभी आरोपियों के नए सिम एक्टिव करवा रही है. दिल्ली पुलिस का मकसद क्लाउड के जरिये मोबाइल फोन सिम में दफन साजिश के राज से पर्दा उठाना है। पुलिस का मानना है कि नष्ट किये हुए फोन के सिम के जरिये किससे, कहां और क्या बात हुई इस पर से पर्दा उठाना जरूरी है. इसीलिए पुलिस सभी आरोपियों के नये सिम एक्टिव करवा रही है।

बता दें कि संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान घुसपैठ हुई थी। दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए थे। सोशल मीडिया पर सामने आईं तस्वीरों और वीडियो में दोनों पीली गैस छोड़ने वाले कनस्तरों को पकड़े नजर आ रहे हैं। वे नारे भी लगा रहे थे। अमोल शिंदे और नीलम देवी के रूप में पहचाने गए दो अन्य आरोपियों ने भी संसद परिसर के बाहर इसी तरह के कनस्तरों से रंगीन गैस का छिड़काव किया। वे कथित तौर पर चिल्ला रहे थे तानाशाही नहीं चलेगी।

संसद में घुसपैठ करने वाले सभी आरोपियों का हुआ साइको एनालिसिस टेस्ट, ललित झा ने बताया-कौन है पूरे कांड का असली मास्टरमाइंड

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13 दिसंबर को संसद में घुसपैठ मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।संसद सुरक्षा चूक मामले में पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है। पुलिस ने आरोपियों से हमले के बारे में सच निकवाने के लिए साइको एनेलिसिस टेस्ट का सहारा लिया है। सभी आरोपियों का दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने साइको एनेलिसिस टेस्ट करवाया है। टेस्ट के दौरान ललित झा ने संसद की सुरक्षा में चूक का मास्टरमाइंड मनोरंजन डी को बताया है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले के सभी आरोपियों का शुक्रवार दोपहर रोहिणी के एक सरकारी संस्थान में साइको एनालिसिस टेस्ट कराया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने का मास्टरमाइंड माने जाने वाले ललित झा ने परीक्षण के दौरान खुलासा किया कि इस कृत्य के पीछे असली आदमी मनोरंजन डी था, न कि वह। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक साइको एनालिसिस टेस्ट के दौरान ललित ने कहा, 'हमें अंदाजा नही था कि इस घटना पर हम सभी पर UAPA लगेगा। 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, साइको एनालिसिस टेस्ट के दौरान ललित झा ने माना कि मनोरंजन डी इस ग्रुप को बड़ा संगठन बनाना चाहता था। टेस्ट में खुलासा हुआ है कि संसद में हुई घटना के मास्टरमाइंड मनोरंजन डी ने संगठन में भर्तियों का जिम्मा आरोपी सागर को सौंपा था।

इसके अलावा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल संसद कांड के सभी आरोपियों के नए सिम एक्टिव करवा रही है. दिल्ली पुलिस का मकसद क्लाउड के जरिये मोबाइल फोन सिम में दफन साजिश के राज से पर्दा उठाना है। पुलिस का मानना है कि नष्ट किये हुए फोन के सिम के जरिये किससे, कहां और क्या बात हुई इस पर से पर्दा उठाना जरूरी है. इसीलिए पुलिस सभी आरोपियों के नये सिम एक्टिव करवा रही है।

बता दें कि संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान घुसपैठ हुई थी। दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए थे। सोशल मीडिया पर सामने आईं तस्वीरों और वीडियो में दोनों पीली गैस छोड़ने वाले कनस्तरों को पकड़े नजर आ रहे हैं। वे नारे भी लगा रहे थे। अमोल शिंदे और नीलम देवी के रूप में पहचाने गए दो अन्य आरोपियों ने भी संसद परिसर के बाहर इसी तरह के कनस्तरों से रंगीन गैस का छिड़काव किया। वे कथित तौर पर चिल्ला रहे थे तानाशाही नहीं चलेगी।