योगी मॉडल से ही लगेगी लगाम संदर्भ : बेगूसराय में वाहन जांच के दौरान दारोगा व सिपाही को शराब माफियाओं ने कार से उड़ाया
बालू , शराब और जमीन माफियाओं की कारगुजारियां अब हद से ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। ऐसा जदयू के राजद के सहयोग से सरकार चलाने के बाद से ज्यादा दिखायी दे रहा है । कहते भी हैं कि सैयां भये कोतवाल , अब डर काहे का।
बिहार में 1990 वाली स्थिति दिखायी दे रही है । अपराधियों में प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। अपराधी बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। शराब तस्करों और बालू माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वह छापामारी करने गयी पुलिस टीम पर हमला करने का दुस्साहस कर बैठते हैं। वहीं सड़क पर वाहन जांच का दौरान माफिया दारोगा को ही कार से कुचलते हुए भाग निकलते हैं।
इसका मतलब यही निकलता है कि इन लोगों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है। बिहार में प्रशासनिक अराजकता और अपराध चरम पर हैं । हत्या , लूट, अपहरण , दुष्कर्म आदि की लगातार घट रही घटनाओं से बिहार में 1990 के दशक के जंगल राज की याद ताजा हो रही है। आम जनता इससे भयभीत हो रही है।
वहीं सरकार के मुखिया अपनी कुर्सी बचाने के लिए आंख मूंद कर बैठे हैं। किशनगंज, सारण , जहानाबाद, सहरसा, मुंगेर, पटना ,नवादा आदि जिलों में 20 से ज्यादा ऐसी घटनाएं अब तक घट चुकी हैं , जिसमें अपराधियों और बालू - दारू व भू माफियाओं द्वारा पुलिस बल पर हमले किये गये बल्कि उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया । छह माह पहले बेगूसराय में ही एक अन्य दारोगा की हत्या शराब माफिया ने कर दी थी।
जिस राज्य में पुलिस ही सुरक्षित नहीं वहां आम जनता का क्या हाल होगा यह तो भगवान ही जानता है।
बिहार में शराबबंदी को 100 फीसदी सफल नहीं मान सकते। जहां चाहिए वहां शराब उपलब्ध है । वहीं बिहार में बड़ी मात्रा में शराब जप्त की जाती है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि पुलिस संरक्षण में शराब का अवैध कारोबार किया जा रहा है।
राजस्व का होता है नुकसान : शराबबंदी से सूबे को तकरीबन छह हजार करोड रुपये के राजस्व का नुकसान का दावा किया जाता है । मगर मजे की बात यह है कि इसका एक बड़ा हिस्सा शराब का अवैध कारोबार करने वालों के पास जाने के आरोप भी लगते रहे हैं। दूसरी ओर बेरोजगार युवा शॉर्टकट से पैसा कमाने के लिए इस धंधे की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
शराब बंदी नहीं थी तो लोग दुकानों में जाकर शराब खरीदते थे मगर शराबबंदी के बाद अवैध रूप से शराब मोहल्ले - मोहल्ले में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। होम डिलीवरी तक की जा रही है। छोटे छोटे बच्चे इस धंधे में लिप्त हैं। उन पर कोई शक भी नहीं कर पाता।
और अंत में शराबबंदी सौ फीसदी सफल नहीं हो सकती, यह बात सभी जानते हैं। पूरे भारतवर्ष में सिर्फ चार राज्यों में शराबबंदी लागू है। वहीं 30- 40 प्रतिशत लोग इसके आदी हैं। वे चोरी छिपे इसका सेवन करते हैं। इसके लिए ज्यादा ताकतवर एंटी लीटर सेल बनाना होगा और उससे बिहार पुलिस को अलग रखना होगा। तभी कुछ हद तक इस पर लगाम लग सकती है।
Dec 22 2023, 07:39