छठ पूजा में ठेकुआ का खास महत्व, जाने इसका सूर्य देव से संबंध
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है आस्था का छठ महापर्व। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में छठी माता और सूर्य देव की उपासना की जाती है। इसी छठ पूजा में ठेकुआ का खास महत्व रहता है।
छठ पूजा में बहुत से पकवान छठी मैया के लिए बनते हैं, लेकिन कहा जाता है कि बिना 'ठेकुआ' के छठ पूजा अधूरी होती है। आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर से हो चुकी है। यह पर्व 4 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। छठी मैया को छठ के पर्व में खासतौर पर ठेकुआ का भोग लगाया जाता है जिसे परवर्ती बड़ी पवित्रता के साथ बनती है।
कहा जाता है कि जब छठ का नाम लिया जाता है तो उसमें ठेकुआ का नाम जरूर आता है। क्योंकि छठी माता को ठेकुआ बेहद ही प्रिय है। मान्यता है कि छठ पर्व ठेकुआ के बिना अधूरा माना जाता है, क्योंकि ठेकुआ छठ पर्व का विशेष प्रसाद है। ठेकुआ गेहूं के आटे, गुड़ और सूजी से बनाया जाता है। ठेकुआ के आकार-प्रकार और रंग की बात करें तो यह बहुत हद तक सूर्य देव जैसा दिखता है। जिसके कारण ठेकुआ को सूर्य भगवान का प्रतीक भी माना गया जाता है। ठेकुआ, जो शर्दी समेत अन्य कई बीमारियों से बचाता है। माना जाता है कि ठेकुआ की परंपरा भी सालों पुरानी है। लेकिन इसके पीछे यह भी कारण है कि ठंडे पानी में व्रती और परिवार के लोग रहते है इससे शर्दी खासी स्वाभाविक रूप से हो जाती है लेकिन ठेकुआ गुड़ से बना होता है और गुड़ शर्दी खासी से बचाव के लिए एक उपयोगी बताया जाता है।
यह एक ऐसा मात्र पर्व है जिसमें डूबते हुए सूर्य को भी उम्मीद मान कर पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद रात भर व्रती घाट पर मौजूद रहती है। फिर सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के साथ आस्था का महापर्व छठ सम्पन्न होता है। इसके बाद ही निर्जला व्रत खत्म होता है और व्रती अन्न ग्रहण करती है।
Nov 19 2023, 20:17