डीएम ने लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत की सुनवाई की, कई मामलों का किया ऑन स्पॉट निपटारा
पटना : जिलाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया।
लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में दो लोक प्राधिकारों के विरूद्ध पाँच-पाँच हजार रूपया का अर्थदंड लगाया गया।
डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के कुल 14 मामलों की सुनवाई की गई। 09 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा पाँच मामलो में अंतरिम आदेश पारित किया गया। दो मामले में लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में दो अंचल अधिकारियों के विरूद्ध पाँच-पाँच हजार रूपया का दंड लगाया गया।
दरअसल अपीलार्थी श्री मुन्ना शर्मा, ग्राम सकरवार टोला, प्रखंड मोकामा, अनुमण्डल-बाढ़ जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत गैरमजरूआ जमीन पर मकान बनाने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने समीक्षा में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, मोकामा द्वारा लोक शिकायत निवारण में शिथिलता बरती जा रही है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, बाढ़ के समक्ष दिनांक 10 मार्च, 2023 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग आठ महीना के अवधि में भी अंचल अधिकारी ने कोई सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया। उनका प्रतिवेदन भी असंतोषजनक तथा भ्रामक है। गैरमजरूआ जमीन पर होटल बन रहा था, इसके विरूद्ध परिवाद भी प्राप्त हुआ था फिर भी अंचल अधिकारी द्वारा उदासीन रवैया बनाए रखा गया। फलस्वरूप सरकारी जमीन पर होटल बन गया। परिवादी द्वारा बताया गया अंचल अधिकारी ने होटल बनने के बाद थाना को कार्रवाई हेतु आवेदन दिया जो उनकी मिलीभगत को दर्शाता है। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकार के इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है।
प्रथम अपीलीय प्राधिकार द्वारा भी अंचल अधिकारी के विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणी की गयी है। डीएम ने कहा कि यह लोक प्राधिकार की स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, मोकामा के विरूद्ध 5,000/- रूपये का अर्थदंड लगाया गया। साथ ही भूमि सुधार उप समाहर्त्ता को अंचल अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारी की भूमिका की जाँच करते हुए पूरे मामले की सम्यक जाँच कर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया। यदि अंचल अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पायी जाती है तो उनके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि 16 दिसम्बर को उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्री राम प्रवेश सिंह, ग्राम बाकरपुर, प्रखंड पुनपुन द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत परिमार्जन में खाता, खेसरा तथा रकबा के सुधार के संबंध में है।
डीएम ने समीक्षा में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पुनपुन द्वारा लोक शिकायत निवारण में शिथिलता बरती जा रही है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, मसौढ़ी के समक्ष दिनांक 24 अप्रैल, 2023 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग सात महीना की अवधि में भी अंचल अधिकारी ने कोई सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया। उनका प्रतिवेदन भी असंतोषजनक तथा भ्रामक है। परिमार्जन के एक सामान्य मामले में आम जनता को परेशान किया जा रहा है जिससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। प्रथम अपीलीय प्राधिकार द्वारा भी अंचल अधिकारी के विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणी की गयी है।
जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकार के इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है।
उन्होंने कहा कि यह अंचल अधिकारी की स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा लोक शिकायतों के प्रति संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पुनपुन से स्पष्टीकरण करते हुए उनके विरूद्ध 5,000/- रूपये का अर्थदंड लगाया गया। साथ ही भूमि सुधार उप समाहर्त्ता को अंचल अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारी की भूमिका की जाँच करते हुए पूरे मामले की सम्यक जाँच कर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि 15 दिसम्बर को उपस्थित रहने का निदेश दिया।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।
पटना मनीष प्रसाद
Nov 17 2023, 18:24