प्रदूषित वातावरण लोगों को कर रहा बीमार संदर्भ : ऑरेंज जोन में पटना सहित 10 जिले
इस पृथ्वी पर रहने वाले जीवधारियों को अपनी वृद्धि, विकास और अपने संतुलित जीवन चक्र को चलाने के लिए एक संतुलित वातावरण की आवश्यकता पड़ती है। वातावरण में कई तरह के जैविक और अजैविक पदार्थ निश्चित मात्रा में विद्यमान रहते हैं । कभी-कभी वातावरण में किसी भी घटक की मात्रा कम या अधिक होने या हानिकारक घटकों के शामिल हो जाने के कारण पर्यावरण प्रदुषित हो जाता है ।
आज विज्ञान का उपयोग प्रकृति के अंधाधुंध दोहन, अवैध खनन, गलत निर्माण और विनाशकारी पदार्थों के लिए किया जा रहा है इससे वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है, जिससे प्रकृति और प्राणी मात्र का अस्तित्व संकट में पड़ गया है । प्रदूषण एक अत्यंत ही धीमा जहर है जो हवा, पानी ,धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके बीमार बना देता है वरन जीव- जंतुओं, पशु- पक्षियों के साथ ही पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंचता है ।
प्रदूषण के कारण पूरे विश्व में प्राणी मात्र का अस्तित्व संकट में पड़ गया है । इसी कारण अनेक पशु - पक्षी और वन्य प्राणी इस संसार से विलुप्त हो गये। प्रदूषण के कारण कई तरह की गंभीर बीमारियां फैलने लगती हैं, इनमें कैंसर, टीबी, नेत्र और चर्म रोग आदि शामिल हैं। आज हम हम प्रदूषित पर्यावरण में जीने को अभिशप्त हैं।
देश के कई हिस्सों में नवंबर व दिसंबर के महीने में वायु प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि लोगों को खुली हवा में सांस लेना मुश्किल होने लगता है । देश की राजधानी दिल्ली का अभी यही हाल है।वायु प्रदूषण से दूर रहने का सबसे सटीक उपाय है वायु प्रदूषण को खत्म करना, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह संभव नहीं लगता । इसलिए इससे दूर रहना ही बेहतर है । लोगों को जागरूक कर वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है । साथ ही वायु प्रदूषण करने वाले कारकों को दूर करना होगा । वातावरण से धूल कम करने के लिए पानी का छिड़काव करें । सुबह - शाम में अति आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें। वहीं बाहर निकलना बहुत जरूरी हो तो अच्छी क्वालिटी वाले मास्क पहन कर ही निकलें।
खाने में गुड़, शहद ,अदरक ,काली मिर्च ,अखरोट और काजू का प्रयोग करें, जो न केवल रक्त को शुद्ध करने में सहायता करते हैं अपितु शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं। वहीं वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ - पौधे लगाने होंगे साथ ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर भी शक्ति से रोक लगाने के उपाय करने होंगे । वहीं समूह में यात्रा करने से ऊर्जा और पैसे की बचत के साथ-साथ पर्यावरण भी कम प्रदूषित होगा। औद्योगिक कल - कारखानों को सघन बस्ती से दूर स्थापित करना होगा ।
और अंत में प्रदूषण को रोकने के लिए वायुमंडल को साफ- सुथरा रखना आवश्यक है । इसके लिए जनता को जागरूक करना होगा । अगर हम अब भी नहीं चेते तो हमारी आने वाली पीढ़ियां वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव को झेलने के लिए अभिशप्त होंगी।

वायु प्रदूषण से दूर रहने का सबसे सटीक उपाय है वायु प्रदूषण को खत्म करना, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह संभव नहीं लगता । इसलिए इससे दूर रहना ही बेहतर है । लोगों को जागरूक कर वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है । साथ ही वायु प्रदूषण करने वाले कारकों को दूर करना होगा । वातावरण से धूल कम करने के लिए पानी का छिड़काव करें । सुबह - शाम में अति आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें। वहीं बाहर निकलना बहुत जरूरी हो तो अच्छी क्वालिटी वाले मास्क पहन कर ही निकलें।

रंगीन रोशनियों के त्योहार दीपावली के दो दिन बाद आता है भ्रातृ द्वितीया यानी भाई दूज । यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिंदू धर्म का पर्व है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह ऐसा पर्व है जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है ।
मानव स्वास्थ्य के लिए 200 से ऊपर एक्यूआई नुकसानदेह और 300 से ऊपर खतरनाक माना जाता है। रंगीन रोशनी के पर्व दीपावली के अवसर पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की, जिससे वायु प्रदूषण अपने खतरनाक स्तर से भी ऊपर चला गया ।
धनतेरस से शुरू पांच दिवसीय पर्व के दौरान दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है । गोवर्धन पूजा में गो धन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। ( ऐसे 2023 में गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को मनायी जायेगी, क्योंकि 13 नवंबर को अमावस्या तिथि दोपहर तक रहेगी।)
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है । इस दिन सभी लोग माता लक्ष्मी के साथ श्री गणेश जी की पूजा करते हैं । मालूम हो कि गणेश जी के साथ मां लक्ष्मी का जब लोग पूजन करते हैं तो उनमें धन का सदुपयोग करने की क्षमता विकसित होती है ।
हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में दीपावली है जो सभी के जीवन में खुशियां , हर्ष , उल्लास और उमंग लेकर आती है पर थोड़ी सी लापरवाही अनेक समस्याओं का कारण बन सकती है । त्योहारों के मौसम में सेहत पर असर पड़ना स्वाभाविक है । खास तौर पर दीपावली के अवसर पर । ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है । आप एक साथ भर पेट नहीं खाएं । थोड़े -थोड़े अंतराल पर कुछ-कुछ खाते रहें।
Nov 17 2023, 13:08
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