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ब्रेकिंग्/ दिल्ली-NCR में फिर आया भूकंप के हल्के झटके,रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मात्र 2.6 मापी गई

दिल्ली-NCR में एक बार फिर भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं. रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मात्र 2.6 मापी गई है. यह भूकंप आज नॉर्थ दिल्ली के लोगों ने 3.36 बजे भूकंप के झटके महसूस किये.

बीते 10 दिन में ये तीसरी बार झटके महसूस किए गए हैं.

इससे पहले 6.2 और 5.4 की तीव्रता से भूकंप आया था.

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार इसका केंद्र उत्तरी दिल्ली में जमीन की सतह से 10 किमी नीचे था. 

पिछले सप्ताह दिल्ली में आया था भूकंप

इससे कुछ दिन पहले पश्चिम नेपाल में 5.6 की तीव्रता से भूकंप आया था, जिसके बाद दिल्ली एनसीआर और उत्तर भारत के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 

वहीं दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में 3 नवंबर की रात करीब 11.40 बजे भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. तब नेपाल में 6.4 की तीव्रता से धरती हिली थी. उस समय भूकंप का केंद्र नेपाल में 28.84 डिग्री अक्षांश और 82.19 डिग्री देशांतर पर 10 किमी की गहराई पर था. 

नेपाल में भूकंप आना सामान्य बात

राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र जोन IV के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र भूकंप को लेकर ज्यादा जोखिम भरा माना जाता है. वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, "नेपाल भारतीय और यूरेशिया की टेक्टॉनिक प्लेटों की सीमा पर है. इन प्लेटों में लगातार टकराव होती रहती है, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है. इस वजह से नेपाल में भूकंप आता है." 

उन्होंने कहा, "पश्चिमी नेपाल में टेक्टॉनिक हलचल के कारण 520 साल पहले तेज भूकंप नहीं आया. इस वजह से वहां धरती के नीचे बहुत सारी एनर्जी जमा हो गई. इस वजह से इन क्षेत्रों में एनर्जी रिलीज होने के लिए भूकंप आना नॉर्मल बात है."

नेपाल सहित उत्तर भारत के क्षेत्रों में बार-बार भूकंप आने की बड़ी वजह पृथ्‍वी के भीतर मौजूद प्लेटों के आपस में टकराव को माना जाता है.

दिल्ली एनसीआर में गिरा पारा, हुई ठंड का एहसास,आज भी बारिश की संभावना।

दिल्ली:गुरुवार रात से हुई बारिश के कारण मौसम में हुआ बदलाव दिल्ली का मौसम हुआ सर्द,दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में दिन का तापमान सामान्य से सात डिग्री कम दर्ज किया गया। ठंडक का एहसास भी बढ़ गया।

हल्की वर्षा

मौसम विभाग का अनुमान है कि शनिवार सुबह हल्की धुंध रह सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक बृहस्पतिवार रात से मौसम में बदलाव देखने को मिला है। पश्चिमी विक्षोभ और उससे जुड़े साइक्लोनिक सर्कुलेकशन के चलते दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में हल्की वर्षा हुई है। इससे तापमान में खासी गिरावट हुई और प्रदूषण की स्थिति में सुधार देखने को मिला।

दिल्ली का तापमान

दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में अधिकतम तापमान 22.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से सात डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान सामान्य से दो ज्यादा 16.2 डिग्री रहा। हवा में नमी का स्तर 100 से 85 प्रतिशत तक दर्ज किया गया। तहां तक वर्षा का सवाल है तो सफदरजंग मौसम केंद्र में बृहस्पतिवार रात से शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे तक कुल 10 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।

आज भी बारिश की संभावना*

जाफरपुर में सर्वाधिक 13.5 मिमी वर्षा हुई। मौसम विभाग का अनुमान है कि शनिवार को तापमान 27 से 14 डिग्री सेल्सियस तक रहेगा। इस दौरान हवा की गति चार से 12 किमी प्रतिघंटे तक रह सकती है। हल्की वर्षा भी हो सकती है।

देश की तीन युद्ध में भाग लेने वाले नायक देवराज तिवारी का आज हो रहा अंतिम संस्कार,कल सुबह 4.30 में हुआ था उनका निधन


देश के तीन युद्ध ,1962, 1965 और 1971 में अपना जोहर दिखाने वाले युद्धबीर नायक देवराज तिवारी नही रहे। उनका देहांत हो गया। उनकी अंत्येष्टि आज होगी।

जमशेदपुर के आकाशदीप प्लाजा स्थित क्वार्टर में रहने वाले देवराज तिवारी 10 जुलाई 1961 को भारतीय थल के इंजीनियरिंग कोर में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के बाद ही उन्हें 1962, 1965 एवं 1971 युद्ध में देश की रक्षा में लड़ने का सौभाग्य प्राप्त था। 

सफलतापूर्वक सेना में 20 साल सेवा देने के बाद 1 अगस्त 1981 को भारतीय सेना से सेवानिवृत होने के बाद केवल कंपनी में सेवा दिए। कल सुबह 4:30 बजे उनका टाटा मेन अस्पताल में हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। 

परिवार के लोगों के इंतजार में उनका पार्थिव शरीर टाटा मर्चरी में रखा गया था।

 जहां से उनके सभी सगे संबंधी आने के बाद आज सुबह 8:00 बजे उनका पार्थिव शरीर टाटा मेन अस्पताल से आकाशदीप प्लाजा गोलमुरी स्थित उनके आवास पर लाया गया। जहां से पैतृक रीति रिवाज के बाद सैनिक सम्मान पूर्वक भुइयांडीह स्वर्णरेखा घाट के लिए अंतिम सम्मान यात्रा आज 10 बजे निकली जहाँ उनका अंतिम संस्कार हो रहा है।

 देवराज तिवारी की पत्नी का निधन अभी एक महीना पहले ही हुआ था। वह नियमित डायरी में अपनी कविता लिखते थे और दो दिन पूर्व भी अपनी कविता के माध्यम से अपने हृदय का उद्धार व्यक्त किये थे। इस महान योद्धा के सम्मान यात्रा में पूर्व सैनिक सेवा परिषद पूर्वी सिंहभूम के प्रतिनिधियों के अलावा लौह नगरी के तमाम देशभक्त शामिल होंगे। 

 अस्पताल में देवशंकर तिवारी को सहयोग पहुँचाने वाले लोगों में सुशील कुमार सिंह राजीव रंजन दिनेश सिंह जावेद हुसैन हरेंदु शर्मा अजय केशरी प्रमोद कुमार राजू रंजन हँसराज सिंह सुरेंद्र मौर्या सतनाम सिंह आदि शामिल थे।

आज अंतिम संस्कार में काफी संख्यां में लोग शामिल हुए जो अश्रुपूरित नयनो से उन्हें अंतिम विदाई दिया।अभी समाचार लिखे जाने समय वैदिक रीति से उनका अंतिम संस्कार भुइयांडीह स्वर्णरेखा घाट पर हो रहा है

जयपुर से दिल्ली आ रही स्लीपर बस में लगी आग,दो लोगो को मौत,कई झुलसे


दिल्ली :- दिल्ली-जयपुर हाईवे पर एक स्लीपर बस में भीषण आग लगने से 2 लोगों की मौत हो गई और कई यात्री झुलस गए हैं. बस जयपुर से दिल्ली आ रही थी।

घटना गुरुग्राम में सिग्नेचर टावर फ्लाईओवर पर हुई. झुलसी हुई सवारियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है

दमकल की गाड़ी ने हालांकि आग पर काबू पा लिया, लेकिन बस पूरी तरह जल गई है. पुलिस ने बताया कि जयपुर से दिल्ली आ रही एक स्लीपर बस के गुरुग्राम पहुंचते ही अचानक आग लगने से 2 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य झुलस गए.

नेशनल हाईवे-48, गुरुग्राम में गूगल कंपनी के नजदीक एक बस में आग लगने की सूचना मिलते ही श्रीविकासअरोड़ा_IPS, पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम सहित गुरुग्राम पुलिस के अधिकारी, फायर ब्रिगेड व रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुँची और आग पर काबू पा लिया। इस दुर्घटना में घायल पीड़ितों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति देखते हुए,18 नवंबर तक स्कूलों की छुट्टी


नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है. ऐसे में दिल्ली सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों को 9 नवंबर से 18 नवंबर तक बंद करने का ऐलान किया है. केजरीवाल सरकार ने 9 नवंबर से 18 नवंबर तक स्कूलों को विंटर ब्रेक घोषित करने के निर्देश जारी किया है. 

दिल्ली के स्कूलों में पूर्व निर्धारित दिसंबर- जनवरी में होने वाले विंटर ब्रेक को अभी घोषित करने का आदेश दिया है.प्रदूषण के चलते दिल्ली में सभी स्कूलों को औपचारिक आदेश जारी किया गया है. दिल्ली में प्रदूषण के चलते 10वी और 12 वी को छोड़ सभी स्कूलों की सभी क्लास ऑनलाइन चल रहे हैं. 

ऐसे में प्रदूषण के चलते जो स्कूल बंद करने पड़े हैं, उससे कहीं बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो इसलिए इन छुट्टियों को विंटर ब्रेक के साथ एडजस्ट किया जा रहा है. 

बता दें कि कुछ दिन पहले दिल्ली सचिवालय में सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हाई लेवल मीटिंग की गई थी, जिसमें 10 नवंबर तक 11वीं तक के सभी स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया था।

दिल्ली: राहुल गांधी ने कहा - नोटबंदी एक सोची समझी साजिश थी, रोजगार तबाह करने की


नई दिल्ली:- सात साल पहले, 8 नवंबर, 2016 को भारत एक महत्वपूर्ण आर्थिक घटना का गवाह बना था. आज ही के दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये और 1000 रुपये के उच्च मूल्य वाले मुद्रा नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की थी. 

इस अचानक और अप्रत्याशित कार्रवाई से पूरे देश में एक तरह की अफरातफरी मच गई थी क्योंकि जनता नए आर्थिक परिदृश्य से जूझ रही थी. हालांकि, सरकार ने इसे तब एक बड़ा और क्रांतिकारी कदम बताया था. लेकिन अब केंद्र सरकार और उससे जुड़ी भाजपा इस फैसले का जिक्र ज्यादा नहीं करती है।

वहीं, विपक्षी पार्टियां खासतौर से कांग्रेस और राहुल गांधी मौका-ब-मौका केंद्र सरकार को इस फैसले पर घेरने की कोशिश करती रहती है. बुधवार को एकबार फिर नोटबंदी के साल पूरे होने पर कांग्रेस के नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाये।उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना ही एक पुराना वीडियो शेयर किया.

अपने पोस्ट में उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक सोची समझी साजिश थी. रोजगार तबाह करने की, श्रमिकों की आमदनी रोकने की, छोटे व्यापारों को खत्म करने की, किसानों को नुकसान पहुंचाने की, असंगठित अर्थव्यवस्था को तोड़ने की 99% आम भारतीयों पर हमला, 1% पूंजीपति मोदी 'मित्रों' को फायदा पहुंचाने का एक हथियार था।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ये एक हथियार था, आपकी जेब काटने का और परम मित्र की झोली भर कर उसे 609 से दुनिया का दूसरा सबसे अमीर बनाने का।

खुशी की गारंटी नहीं हैं शादी,आज की महिलाएं नहीं करना चाहती हैं शादी, रहना चाहती हैं सिंगल, बढ़ रहा है ट्रेन्ड


नयी दिल्ली : आज की महिलाएं नहीं करना चाहती हैं शादी, रहना चाहती हैं सिंगल, बढ़ रहा है ट्रेन्ड। एक अध्ययन के अनुसार, जहां 49 फीसदी पुरुष अपने सिंगल स्टेटस से खुश हैं, वहीं 61 फीसदी महिलाएं सिंगल रहना चाहती हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सिंगल महिलाओं में लगभग 75 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने लिए साथी ढूंढने की कोशिश भी नहीं की, जबकि महिलाओं के मुकाबले ऐसे पुरुष केवल 65 फीसदी हैं।

कभी माना जाता था कि महिलाओं को विवाहित होना, सांस लेने के बराबर जरूरी है। लेकिन नए जमाने की महिलाएं अविवाहित यानी सिंगल रहना पसंद कर रही हैं। शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता ने उनकी सोच और स्थिति को बदला है। लेकिन क्या सिर्फ यही एक वजह है या कारण और भी हैं?

40 वर्षीय सुनीता ने केवल इस वजह से सामाजिक समारोहों में जाना छोड़ दिया कि हर जगह लोग यही पूछते हैं कि “शादी के लड्डू कब खिला रही हो?” समाज में महिलाओं का सिंगल रहना एक तरह से वर्जित माना जाता रहा है। अगर किसी समारोह में कोई अविवाहित/सिंगल महिला दिख जाए तो उसके बारे में तरह-तरह की बातें की जाती हैं। कई बार तो ऐसी महिलाओं का उत्सवों में जाना भी मुश्किल हो जाता है।

वस्तुतः यह समाज का नियम है कि जो चीज आपके पास न हो, लोग उसी के बारे में पूछते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से लड़कियों की रिश्तों में बंधने और कमिटमेंट में रहने की मानसिकता में तेजी से बदलाव आ रहा है। 

शादी, जिसे सात जन्मों का बंधन माना जाता था, उससे लड़कियां दूर जा रही हैं। आज उन्हें अकेले रहना और आत्मविश्वास से जीना भा रहा है। जमाने की रीति-नीति को झुठलाती ये लड़कियां पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से लबरेज दिखती हैं। आज उनकी प्राथमिकताएं भी बदल चुकी हैं।

हाल ही में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सिंगल रहना ज्यादा पसंद करती हैं। 

डाटा एनालिस्ट ‘मिंटेल’ द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, जहां 49 फीसदी पुरुष अपने सिंगल स्टेटस से खुश हैं, वहीं 61 फीसदी महिलाएं सिंगल रहना चाहती हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सिंगल महिलाओं में लगभग 75 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने लिए साथी ढूंढने की कोशिश भी नहीं की, जबकि महिलाओं के मुकाबले ऐसे पुरुष केवल 65 फीसदी हैं।

अध्ययन के नतीजों से यह बात सामने आई कि रिश्तों को चलाने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा काम और मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि एक तरह से गृहस्थी की जिम्मेदारी हमारे देश में महिलाओं के हिस्से में ही डाल दी जाती है। रिलेशनशिप एक्सपर्ट की मानें तो महिलाएं रिश्तों को निभाने के साथ-साथ घर के कामकाज, जैसे कि खाना बनाना, घर-परिवार का ध्यान रखना, बच्चों की परवरिश करना और रिश्तों में होने वाली छोटी-मोटी लड़ाइयों का निपटारा करने जैसी चीजों में इतना ज्यादा उलझ जाती हैं कि एक समय के बाद उनकी रिश्तों के प्रति रुचि ही खत्म हो जाती है। 

उन्हें ये सब उलझन प्रतीत होने लगता है। वे अपना ‘मी’ टाइम मिस करने लगती हैं। नतीजतन, वे विवाह के बंधन से दूर भागने लगती हैं।

शादी और बच्चे को औरत की संपूर्णता से जोड़ने वाला यह दृष्टिकोण वक्त के साथ बदला है। अब सिर्फ शादी और बच्चे पैदा करना ही किसी महिला की प्राथमिकता नहीं रह गई है। 

35 वर्षीय अकाउंटेंट प्रेरणा बताती हैं कि वे सिंगल वीमेन हैं। उन्हें विवाह करने की जरूरत कभी महसूस नहीं हुई।वह कहती हैं, “मेरी जिंदगी में भी बहुत से लोग और दोस्त हैं, जिनके साथ मैं खुश हूं।” उनके साथ उनकी ही एक दोस्त भी रहती हैं। दोनों अपनी जिंदगी में खुश हैं। अब तो घरवालों ने भी हारकर उन्हें शादी के लिए बोलना छोड़ दिया है। 

मजरूह सुल्तानपुरी ने ठीक ही कहा है, “मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।” शायद आज के समय में यह शे’र इन महिलाओं पर फिट बैठता है। लेकिन सिर्फ अकेले ही जीवन जीना, विवाह को नकारने का कारण नहीं है, कई अन्य पहलू भी हैं, जिन पर गौर करने की आवश्यकता है, ताकि आप यह जान सकें कि आखिर आज युवतियों का रुझान विवाह के प्रति कम क्यों हो रहा है।

कोई शिकायत नहीं जिंदगी से

अब महिलाएं करियर, सामाजिक रुतबा और मन-मुताबिक जिंदगी जीने को तवज्जो देने लगी हैं। यही वजह है कि कई महिलाएं शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहतीं। हर किसी को अपने तरीके से जिंदगी जीने का हक है, मगर हमारे पुरुष प्रधान समाज में औरतों को हमेशा पुरुषों की मर्जी से चलना पड़ता है। लेकिन अब वक्त बदल रहा है। महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता ने उनकी स्थिति बदली है। सौ फीसदी न सही, लेकिन शिक्षित वर्ग की महिलाओं का एक बड़ा तबका अब अपनी शर्तों पर जिंदगी जी रहा है। समाज क्या कहेगा, इसकी चिंता छोड़कर ये महिलाएं वही करती हैं, जो उनका दिल कहता है। तभी तो आज अविवाहित महिलाओं की संख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ी है। 

खास बात यह है कि इन सिंगल वीमेंस को अपने अकेलेपन से कोई शिकायत नहीं है और ये जिंदगी की रेस में जीत दर्ज करते हुए आगे बढ़ रही हैं।

संपूर्णता और खुशी की गारंटी नहीं

‘पत्नी और मां बने बिना औरत अधूरी है!’ यह जुमला अब पुराने जमाने की बात हो गई है। 36 वर्षीय तनु कहती हैं, “मुझे नहीं लगता कि शादी संपूर्णता और खुशी की गारंटी है। मैंने अपने बहुत से दोस्तों को देखा है, जो शादीशुदा होने के बावजूद अकेलापन और खुद को प्यार से वंचित महसूस करते हैं। अपने अंदर की रिक्तता को आप खुद ही भर सकती हैं, कोई और नहीं। मैं अपने कॅरिअर में खुश हूं और अपने शौक पूरे करके संतुष्ट हूं।” आज अपने आस-पास टूट रहे वैवाहिक संबंधों को देखकर भी इन महिलाओं को अपने अकेले रहने के फैसले पर खुशी महसूस होती है।

तनु कहती हैं, “मैं घर से लेकर ऑफिस तक के काम में इतनी व्यस्त रहती हूं कि खुद के लिए भी फुरसत नहीं होती, तो अकेलापन कहां से महसूस होगा। वैसे भी घर में मम्मी-पापा सब हैं, तो कैसा अकेलापन।” इन महिलाओं को देखकर कहा जा सकता है कि कभी पति के दायरे में सिमटी रहने वाली भारतीय महिलाओं की सोच और जिंदगी अब तेजी से बदल रही है।

सफलता के लिए विवाहित होना जरूरी नहीं

पहले किसी महिला की सफलता-असफलता का अंदाजा उसकी वैवाहिक स्थिति से लगाया जाता था। मतलब अगर महिला की शादीशुदा जिंदगी सुखी है तो वह सफल है और अगर वह असफल है तो इसके पीछे का कारण उसकी डिस्टर्बिंग वैवाहिक जिंदगी है। लेकिन आज की महिलाएं यह जान चुकी हैं कि उनकी सफलता का विवाह से कोई लेना-देना नहीं है। कोई महिला कितनी सफल है, यह उसके कॅरिअर और आत्मनिर्भर होने से जुड़ा मुद्दा है, न कि विवाह से जुड़ा।

स्वतंत्र रहने की चाहत

हमारे देश का परिवारिक ढांचा ऐसा है, जिसमें पढ़ी-लिखी और कामकाजी महिलाओं को भी आजादी नहीं मिल पाती है। उन पर तरह-तरह की पाबंदियां होती हैं। उन्हें हर बात का हिसाब देना पड़ता है। अगर वे बाहर काम करती हैं तो उन्हें घरेलू कामों से भी राहत नहीं दी जाती है। इसके अलावा उन्हें अपनी आय में से अपने ही ऊपर पैसे खर्च करने से पहले पूछना पड़ता है। 

शादीशुदा होने की स्थिति में भी उनके पैसे पर पति का ही अधिकार होता है। इस सबसे बचने के लिए ही आजकल लड़कियां सिंगल रहना ज्यादा पसंद करती हैं।

आड़े आती है अधिक उम्र

कई लड़कियां तो पढ़ाई करने, जॉब में सेट होने या कुछ करने की चाहत में भी सिंगल रह जाती हैं, क्योंकि जब तक वे अपने इस सपने को पूरा करती हैं, उनकी उम्र निकल जाती है और फिर उन्हें अच्छे रिश्ते नहीं मिल पाते। इसलिए विवाह करने की इच्छा होने के बावजूद सिंगल रहना उनकी मजबूरी बन जाती है।

भारत में रिश्तों का परिदृश्य तेजी से और लगातार बदल रहा है। पिछले कुछ सालों में यह परंपरागत समाज की तुलना में आधुनिक ढांचे की ओर बढ़ रहा है। शादी और रिश्तों से जुड़े अलग-अलग सवालों को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय महिलाएं विशेष रूप से सिंगल रहना पसंद कर रही हैं। 

आज वे केवल सामाजिक मांगों के कारण रिश्ते में बंधने की जल्दबाजी नहीं कर रही हैं। सर्वे के अनुसार, देश भर की लगभग 81 प्रतिशत महिलाओं ने महसूस किया कि अविवाहित होने और अकेले रहने में अधिक आसानी होती है, यहां तक कि किसी के साथ डेटिंग करते समय भी। इनमें से लगभग 63 प्रतिशत ने कहा कि वे केवल अपने साथी की पसंद को वरीयता नहीं देंगी, बल्कि खुद के प्रति भी सच्ची रहेंगी।

सर्वे में यह भी पता चला कि 83 प्रतिशत महिलाएं तब तक इंतजार कर सकती हैं, जब तक कि उन्हें सही साथी न मिले। यानी अब महिलाओं को शादी या जीवन-साथी के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है। भारत में अब महिलाएं जागरूक हो रही हैं। वे रिश्ते में किसी तरह का समझौता नहीं करना चाह रही हैं। अब जमाना वह नहीं रहा कि वे स्वयं को घुट-घुटकर दम तोड़ती देखती रहें।

महिलाएं शादी क्यों नहीं करना चाहती हैं यह उनकी पसंद है।

समाजशास्त्री डॉ. मंजू वर्मा कहती हैं, आधुनिक जीवन-शैली को अपनाने वाली महिलाओं ने अपनी मूल प्रकृति कोमलता, ममता, संवेदना और भावात्मक आवेग की प्रचुरता को दबाते हुए एकाकी जीवन-शैली को अपनाया और इसमें उसका साथ दिया देश की राजनीतिक चेतना एवं कानूनी अधिकारों ने। इसके अलावा महिलाओं में बढ़ती आर्थिक आत्मनिर्भरता और लिव इन रिलेशन के बढ़ते चलन के कारण भी महिलाएं अब शादी को जरूरी नहीं मानतीं। 

शादी के रिश्ते में बंधने पर कई तरह की जिम्मेदारियां आ जाती हैं। ऐसे में कुछ महिलाएं परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहतीं, इसलिए भी शादी से दूर रहती हैं, या फिर शादी के बाद हुई किसी दुर्घटना के भयाभय अनुभव के कारण भी वे एकाकी जीवन को प्राथमिकता देती हैं।

दूसरी तरफ एकल परिवार के बढ़ते चलन के कारण अपना स्पेस शेयर करने, एडजस्टमेंट करने और त्याग करने जैसे शब्द उन्हें बहुत भारी लगते हैं। वे किसी अन्य के लिए किसी भी तरह का त्याग नहीं कर पाएंगी, इस डर से भी वे शादी से दूर रहती हैं। फिर तयशुदा लीक से हटकर भौतिकता के इस युग में अपने लिए सभी सामाजिक-धार्मिक वर्जनाएं तोड़ते हुए जीवन में समस्त सुख-साधन और अपनी आजादी को तलाशने में जुट जाती हैं।

तेजतर्रार अफसर के. एस. प्रतिमा की उसके आवास में गला रेतकर की गई हत्या,अवैध खनन के खिलाफ की थी कार्रवाई।


बेंगलुरु : कनार्टक की राजधानी बेंगलुरु से एक स्तबध: करने वाला मामला समाने आया है।कर्नाटक के बेंगलुरु में माइंस ऐंड जियोलॉजी डिपार्टमेंट की वरिष्ठ महिला भूविज्ञानी के. एस. प्रतिमा की उनके आवास पर हत्या कर दी गई। पुलिस ने बताया कि 43 वर्षीय प्रतिमा की मौत गला घोंटने और गला रेतने से हुई है। प्रतिमा ने हाल ही में अवैध खनन और रेत माफिया पर नकेल कसा था। उनकी दक्षिण बेंगलुरु में उनके आवास पर हत्या की खबर के बाद सनसनी मच गई। 

मामला तूल पकड़े, इससे पहले मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हत्यारों ने विधान सौध के पास डोड्डाकल्लासांद्रा के गोकुल नगर में वी. वी. टावर्स में प्रतिमा के. एस. के 13वीं मंजिल के फ्लैट में उनकी गला घोंटकर हत्या की है। 

इस हत्या के मामले में कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि हत्यारों ने सर्फ प्रतिमा की हत्या की और चले गए, उन्होंने घर में किसी भी और चीज को हाथ नहीं लगाया है।हत्या का पता तब चला जब प्रतिमा का बड़ा भाई प्रतिश ने उन्हें कई बार फोन किया। 

सिविल ठेकेदार प्रतिश ने बताया कि कई बार कोशिश के बाद भी जब उनका अपनी बहन से संपर्क नहीं हो पाया तो वह सुबह ही उनके घर पहुंच गए। बेल बजाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी।पुलिस ने बताया कि यह बात तय है कि प्रतिमा की हत्या लूटपाट या घर में चोरी से संबंधित नहीं है। घर का कोई भी सामान चोरी नहीं हुआ है। अलमारी में रखे जेवर और कैश भी वैसे ही रखे मिले हैं।

पुलिस ने कहा कि प्रतिमा अवैध खनन के खिलाफ उनकी कार्रवाई की रिपोर्ट तैयार कर रही थीं। इसके अलावा प्रतिमा का एक संदिग्ध पारिवारिक विवाद है। पुलिस दोनों ही ऐंगल से मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने कहा कि यह तो तय है कि प्रतिमा की हत्या में कोई करीबी ही शामिल है। क्योंकि घर में फोर्सफुली घुसने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

दिल्ली-एनसीआर में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके,तीव्रता 5.6 मापी गई,नेपाल रहा केंद्र

दिल्ली:- दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। नोएडा गाजियाबाद में भूकंप के झटके महसूस किए गए. 3 दिन में भूकंप का ये तीसरा झटका है। दिल्ली-एनसीआर में सोमवार दोपहर बाद 4.16 बजे भूकंप के झटके महसूस किए है। भूकंप के बाद लोग अपने अपने घरों से बाहर निकलकर खुली जगह की ओर जाते दिखे। 

झटके दिल्ली से सटे नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी महसूस किए गए। नेशनल केन्द्र फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल रहा और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.6 मापी गई। 

फिलहाल अभी कहीं से भी किसी प्रकार के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई है। ज्ञात हो कि बीते शुक्रवार को ही नेपाल में भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी। इसमें जाजरकोट में 905 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 2745 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा था। 

वहीं रुकुम पश्चिम में भूकंप से 2,136 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए और 2,642 घरों को आंशिक व 4,670 घरों को सामान्य नुकसान पहुंचा था। इसके अलावा 150 से अधिक लोगों को इस जलजले में अपनी जान गंवानी पड़ी और करीब 200 लोग घायल हुए थे। 

क्यों आता है भूकंप?

पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। 

जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?

भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।

जयंती पर विशेष : ट्रक ड्राइवर की बेटी ने ऐसे बनाई इंडस्ट्री में खास पहचान, पहली नजर में ही दिल हार बैठे थें नवाजुद्दीन सिद्दीकी!


नयी दिल्ली :- छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक अपनी दमदार एक्टिंग से खास पहचान बनाने वाली अभिनेत्री सुनीता रजवार आज यानी 6 नवंबर को अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं।

टीवी सीरियल और हिंदी फिल्मों के अलावा सुनीता ने गुल्‍लक और पंचायत जैसी शानदार वेब सीरीज में अपने अभिनय के लिए जानी-जाती हैं। अपनी दम पर इंडस्ट्री पर खास मुकाम बनाने वाली सुनीता के जन्मदिन पर आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें आपको बताने जा रहे हैं।DDLJ से लेकर ZNMD तक… इस दीवाली OTT पर देखें बॉलीवुड की ये एवरग्रीन फिल्में

ट्रक ड्राइवर की बेटी बन गई अभिनेत्री

6 नवंबर 1969 में उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में जन्मीं सुनीता रजवार के पिता पहाड़ की सड़कों पर ट्रक चलाते थे। उनका जन्म तो बरेली का है, लेकिन स्कूलिंग हल्द्वानी से हुई है। बचपन से ही सुनीता को एक्टिंग में दिलचस्पी थीं। वो अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों में ड्रामा आदि में खूब भाग लेती थीं। 

सुनीता पाठक को पहला बड़ा ब्रेक निर्मल पाठक के सीरियल में मिला था। हालांकि उन्हें पहचान 2007 में फिल्म ‘एक चालीस लोक’ से मिली थीं। सुनीता की डेब्यू फिल्म एक चालीस की लास्ट लोकल है, जिसमें उन्होंने एक गैंगेस्टर का रोल निभाया था। इस फिल्म के बाद एक्ट्रेस ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पहली गर्लफ्रेंड

अपनी एक्टिंग के लिए मशहूर सुनीता रजवार का नाम उस समय लाइमलाइट में आ गया था। जब बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में ‘एन ऑर्डिनरी लाइफ’ में एक्ट्रेस को अपना पहला प्यार बताया था। 

सुनीता और नवाजुद्दीन दोनों ही थियेटर कर चुके हैं और दोनों की शानदार एक्टिंग में उसकी झलक भी साफ देखने को मिलती है। अपनी ऑटोबायोग्राफी में एक्टर ने सुनीता संग अपने रिश्ते को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया था।

गरीबी बनी ब्रेकअप की वजह

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने दावा किया था कि वो डेढ़ साल तक सुनीता के साथ रिलेशनशिप में थे और अदाकारा ने उन्हें गरीब होने के कारण छोड़ दिया था। नवाज के इन आरोपों के बाद सुनीता राजवार ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए नवाज को खरी-खोटी सुनाते हुए लिखा था कि ‘कहते हैं नसीब वक्त बदल सकता है, इंसान की फितरत नहीं। 

नवाज की किताब पढ़कर कुछ ऐसा ही लगा और यकायक 'मेलाराम वफा' का एक शेर याद आ गया, "एक बार उसने मुझको देखा था मुस्कुराकर, इतनी सी हकीकत है बाकी कहानियां हैं"। क्योंकि इस बायोग्राफी में काफी हद तक सिर्फ छपाई है, सच्चाई नहीं, कई बातें नवाज ने अपने मन से, अपने हिसाब से और अपने हक में लिखी हैं, चित भी मेरी पट भी मेरी टाइप्स।’

इन फिल्मों में किया काम

केदारनाथ, बाला, स्त्री, शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्मों में सुनीता राजवार अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुकी हैं। मगर उन्हें अपने एक्टिंग करियर में सबसे ज्यादा पॉपुलैरिटी वेब सीरीज पंचायत के दूसरे सीजन में वनकारस भूषण कुमार की पत्नी क्रांति के रोल से मिली थी। टीवी की दुनिया में भी वो हिटलर दीदी, ये रिश्ता क्या कहलता है, रामायण, संतोषी मां जैसे मशहूर शोज का हिस्सा रह चुकी हैं।