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बनी बनाई धारणाओं से अलग हैं आशुतोष राणा की पुस्तक 'रामराज्य'
          रामकथा के न जाने कितने रूप हैं. आदि कवि वाल्मीकि की रामायण से लेकर तुलसीदास के रामचरितमानस तक. अब फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने रामकथा की एक अलग तरह की व्याख्या करने की कोशिश की हैं. उन्होनें खलनायक के तौर पर चित्रित पात्रों के चरित्र को विस्तार देकर यह कहने की कोशिश की हैं कि खलनायक माने जाने वाले चरित्रों ने ही राम को राम बनाने में अहम भूमिका निभाईं.
        उनकी किताब रामराज्य में बहुत से रूढ़ विषयों को अलग तरीके से छूने की कोशिश की गई हैं जगत में कुमाता का पर्याय बन चुकी कैकेयी के चरित्र को बिल्कुल ही अलग तरीके से देखने का प्रयास किया गया हैं. कौशल्या माता शत्रुध्न को खोजते हुए कहती हैं-" ये चारों बच्चें अपनी मां की कोख से अधिक महारानी कैकेयी की गोद को मान देते हैं.हम तो मात्र मात्र  उनको जन्म देने का आधार हैं किंतु कैकेयी उनके जीवन की निर्माता हैं.              कैकेयी शीर्षक के पहले अध्याय में वे लिखते हैं कि कैसे माता कैकेयी के कहने के बाद भी भारत मात्र अभ्यास के लिए चिड़िया को मारने से मना कर देते हैं जबकि राम निशाना लगाने में जरा भी नहीं सोचते. यहां आशुतोष के राम कहते हैं. " मां मेरे लिए किसी के भी जीवन से महत्वपूर्ण हैं माता की आज्ञा इस तरह से लेखक शुरूआत से ध्यान रखते हैं कि उसके चरित्र मजबूत रहें.
     आशुतोष एक नयी स्थापना लेकर आते हैं कि कैकेयी राम के आग्रह पर ही उनके वन चले जाने और भरत के आग्रह पर ही उनके वन चले जाने और भरत के राजतिलक का वरदान मांगती हैं वैसे आस्था को ये तर्क चौंकाता नहीं हैं क्योंकि है तो सब माया पति की माया ही- "तसि मति फिरी अहई जस भावी....." पुस्तक में राम खुद कहते हैं ".....जो बच्चे के चित्त, चरित्र, चिंतन की अभियंता हो, एसी स्त्री असाधारण ही होती हैं, और वे सभी गुण तुममें हैं.
           रामायण की कहानी में एक और बहुत ही विचित्र और रोचक पात्र हैं सूपनखा या शूर्पणखा. रामराज्य के दूसरे अध्याय इसमें उन्होंने इस चरित्र की बहुत सुंदर व्याख्या की हैं. माता-पिता ने नाम सुर्पणा रखा और कैसे जिद पर आने ये कन्या शूर्पणखा के समान व्यवहार करने लगती हैं एक ही व्यक्ति के अन्दर दो चरित्र. दरअसल तुलसीदास ने अपनी कथा में इसे बहुत ही महत्वपूर्ण चरित्र के रूप में रचा हैं- सूपनखा के तौर पर ऐसा चरित्र जिसके नाखून बहुत बड़े हो सूप की तरह हो, नाखून से अंग होते हैं, जिनका होना जरूरी है लेकिन उन्हें काटना भी पड़ता हैं. अगर नाखूनों को कामनाओं वासनाओं के प्रतीक के तौर पर मान लिया जाये, तो बहुत ही अच्छी व्याख्या आती हैं  कि कामनाएं तो होनी ही चाहिए किंतु इतनी भी नहीं कि उनके कारण नाक और कान काट दिए जाएं, आशुतोष राणा ने इस चरित्र के साथ पूरा न्याय करते हुए बहुत सशक्त रूप दिया हैं साथ ही 'बेटे' को सबसे बड़ी उपलब्धि मानने वाले समाज को भी महत्वपूर्ण संदेश दिया हैं  आशुतोष की किताब रामराज्य में शूर्पणखा के पिता ही उससे आग्रह करते हैं- मैं चाहता हूं  कि इस बार पुत्र नहीं, मेरी पुत्री सुपर्णा मेरे संपूर्ण वंश के तार का कारण बने. "पिता के इसी निर्देश पर वो जाती हैं. पंचवटी में राम-लक्ष्मण से उसकी बातचीत होती हैं.इस वार्तालाप में उसकी इस कदर पराजय होती हैं कि उसे लगता हैं कि लक्ष्मण ने उसके कान ही काट दिए उसके प्रणय निवेदन को ठुकरा कर दोनों भाईयों ने उसकी नाक भी काट दी जैसा कि मुहावरे में कहा गया हैं.
        बस यही से उसे अपने पिता के आदेश का पालन करने का मौका मिल जाता हैं. फिर वो रावण के सामने ऐसा मेकअप करके जाती हैं कि सही में राम-लखन ने उसके नाक-कान काट दिए हों. दरअसल वो रावण के अहंकार को चुनौती देती हैं आशुतोष लिखते हैं-" अहंकारी व्यक्ति से अपनी मनोवांछित फल प्राप्त करना कितना सरल होता हैं. उसके अहंकार पर चोट पड़ते ही उसकी बुद्धि भ्रमयुक्त हो जाती हैं और भ्रमित व्यक्ति तब वह करने लगता हैं जो सामने वाला चाहता हैं, इसी का फायदा उठा कर सुपर्णा रावण को उकसाने में सफल हो जाती हैं. उसे पता हैं कि रावण को राम ही मुक्ति देंगें और कुछ का त्राण होगा.
          रावण-मंदोदरी संवाद में नीति

        अपने अध्याय ' लंका ' में मंदोदरी और रावण के बीच संवाद के जरिए आशुतोष बहुत ही नीतिपूर्वक बातों को आमजीवन के लिए उपयोगी रूप में प्रस्तुत करते हैं धर्म के अतिरिक्त स्त्री पर किए गए प्रहार को धर्म पर किए गए प्रहार साबित कर अपने अभिमान को धर्म की रक्षा के लिए किए गया काम सिद्ध कर लेता हैं. कहता हैं इसका अर्थ यह हुआ कि स्त्री के उपर की गयी चोट धर्म पर कई गयी चोट के जैसी होगी? इस प्रश्न के जवाब में मंदोदरी भी उसे धर्म की रक्षा के लिए आगे बढ़ने को कहती हैं.
         हनुमान की शक्ति
          पुस्तक के एक अध्याय का शीर्षक हनुमान भी हैं. रामकथा हनुमान के बिना पूरी हो ही नहीं सकती हनुमान की बुद्धि और बल के बारे में  जो धारणा हैं उसे इस पूरे अध्याय में लेखक ने और पुष्ट किया हैं.
         विजयपर्व नाम के अध्याय में कुंभकर्ण का उल्लेख करते हुए लेखक ने उसे रावण का वैज्ञानिक स्थापित कर दिया हैं. इसमें भी आशुतोष  बेहद सफल रहे हैं. उनके मुताबिक कुंभकर्ण के शोधों में कोई विध्न न पड़े इसके लिए रावण ने ये प्रचारित कर रखा हैं कि वो छह महीने सोता हैं, सोते हुए कुंभकर्ण को जगाने वाले को मृत्युदंड मिलेगा. साथ ही एक नयी स्थापना आशुतोष राणा ने  ये कि वो एक ऐसे  लोहे के     वाहन में निकलता हैं जो बहुत विशालकाय हैं हालांकि राम उसकी इस माया को पहचान लेते हैं. भले ही यह नाटकीय लगे, किंतु रोचक जरूर लगता हैं.
       साथ ही विभीषण की अन्तर्वासना को राम के साथ वार्तालाप में बहुत ही सलीके से पेश किया गया हैं. पुस्तक का अंतिम अध्याय सीता परित्याग निश्चित तौर  पर बहुत ही संवेदनशील हैं.
           पुस्तककार चूंकि फिल्म और रंग कर्म से जुड़े हैं तो संवादों में एक बहुत ही रोचक प्रवाह हैं. उदाहरण के लिए देखें- " वे इस सत्य को जानते हैं कि जब सकार और नकार एक दूसरे से लयबद्ध होकर मिलते हैं तब हमारे चित्त में हुंकार का उदय होता हैं और जब ये दोनों ऊर्जाएं एक-दूसरे के विरूद्ध खड़े होकर टकराने लगती हैं तब हमारे हृदय में विकार जन्म लेता हैं. सत, रज, तम की आनुपातिक संगति सृजन का घोष हैं तो इनके बीच उत्पन्न होने वाली विसंगति विध्वंस की घोषणा.
           रामराज और रामराज्य
          राम के चरित्र पर इतना सारा साहित्य हैं कथाएं हैं और उनसे भी अधिक लोकश्रुतियां हैं, फिर भी पुस्तक में कथा, भाषा और संदेश कुछ एसा हैं कि पढ़ कर अच्छा लगता है पुस्तक के पहले अध्याय में ही राम के मुंह में लेखक संदेश दिला देता हैं कि वो रामराज नहीं, रामराज्य चाहते हैं. राम कैकेयी-संवाद में वे कहते हैं- मैं रामराज नहीं, रामराज्य को स्थापित करना चाहता हुं. जहां व्यक्ति से अधिक महत्व विचार का हो, जहां प्रजा के रक्षण और पोषण का कार्य कोई व्यक्ति नहीं, अपितु विचार करते हो, प्रजा व्यक्ति पूरक नहीं, विचारपूर्वक हो."





         
*वेब के दुनिया की सबसे बड़ी स्टार बरखा सिंह ने इस दिवाली अपने खास संदेश से जीता सबका दिल*
      बॉर्न-ऑन-वेब' स्टार के रूप में जानी जाने वाली बरखा सिंह वेब की दुनिया का एक बड़ा नाम हैं। हालांकि उन्होंने वेब के अवाला टीवी और फिल्मों सहित सभी स्क्रीन्स फॉर्मेट पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। बरखा बहुमुखी कलाकार के रूप में जनता के दिलों में बसी है और अब जब दीवाली करीब है तो उन्होंने इस खास त्योहार पर अपने फैन्स को एक स्पेशल मैसेज दिया हैं।            *उन्होंने कहा*, "दिवाली का टाइम मेरे लिए बहुत खास होता है। यह साल का वह समय है जब कई शूटिंग और ब्रांड कमिटमेंट्स के साथ बिजी होने के बावजूद मैं अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए उत्सुक रहती हूं। शहरों में AQI में गिरावट के साथ कोई भी केवल एनवायरमेंटल संस्टेनिबिलीटी और पक्षियों और जानवरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्सव मनाने की दिशा में काम कर सकता है। यही हमारी पीढ़ी के लिए आगे बढ़ने का रास्ता है। मैं सभी से गुजारिश करूंगी कि वे इस फेस्टिव सीजन को वास्तव में सभी के लिए उत्सवपूर्ण बनाने के लिए अपना योगदान दें। निजी तौर पर, मैं अपनी दिवाली की सजावट के लिए सोलर एनर्जी से चलने वाली लाइटों का भी इस्तेमार कर रही हूं। मेरा सभी से विनम्र अनुरोध है कि परेशानी में फसे पक्षियों और जानवरों की सक्रिय रूप से मदद करें क्योंकि वे तेज शोर, आतिशबाजी और प्रदूषण से बहुत प्रभावित होते हैं। तो आइए इस दिवाली को बुराई पर अच्छाई, प्रेम और जीवन का उत्सव बनाएं!”
          बता दें, डिजिटल दुनिया में बरखा सिंह ने 'माजा मा' में ईशा हंसराज के रूप में माधुरी दीक्षित नेने के साथ स्क्रीन साझा करने से लेकर 'इंजीनियरिंग गर्ल्स', 'गर्ल्स ऑन टॉप', 'ब्रीद', 'प्लीज फाइंड अटैच्ड' जैसे शोज में अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई हैं।
*यह दिवाली एकता आर कपूर के लिए दोहरा जश्न लेकर आई है! वजह है खास!*
         एकता आर कपूर मनोरंजन जगत का एक ऐसा नाम है जिन्हें किसी परिचय Bकी जरूरत नहीं है। कंटेंट क्वीन के रूप में मशहूर, निर्माता का टेलीविजन और फिल्मों से लेकर ओटीटी तक मनोरंजन के सभी प्लेटफार्मों पर दबदबा है। दर्शकों की पसंद और पसंद के बारे में अपनी बेहद व्यावहारिक और सटीक समझ के साथ, वह एक दशक से अधिक समय से इंडस्ट्री पर राज कर रही हैं, जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और इस साल एमी में शानदार जीत के साथ एक और पुरस्कार उनके पास आया है, जिससे उनके लिए जश्न दोगुना हो गया है।
         सूत्र के अनुसार, "इस साल की दिवाली एकता आर कपूर के लिए और भी शानदार होने वाली है। जहां निर्माता अपने परिवार और इंडस्ट्री के दोस्तों के लिए एक भव्य पार्टी की मेजबानी करेंगी, वहीं वह प्रतिष्ठित पुरस्कार 'एमी में अपनी शानदार जीत का भी आनंद लेंगी। इस दिवाली एकता ने अपनी झोली में एक और उपलब्धि जोड़ ली है और यह उनके सभी उपलब्धियों का आनंद लेने लायक है।"
              पद्म श्री प्राप्त करने वाली निमार्ता, एकता नवंबर में 51वें अंतर्राष्ट्रीय एमी पुरस्कार समारोह में अंतर्राष्ट्रीय एमी निदेशालय पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली भारतीय फिल्म निर्माता होंगी। एकता हमेशा इस खेल में टॉप पर रही है और जनता के बीच सबसे अच्छा कंटेंट पेश किया है जो बड़े पैमाने पर दर्शकों को पसंद आया, यही कारण है कि उसे इतने प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके साथ एकता भारत को गौरवान्वित कर रही है और इसे वैश्विक स्तर पर ले जा रही है।
          इसके अलावा, हर साल एकता अपने घर पर एक भव्य दिवाली उत्सव पार्टी का आयोजन करती है जिसमें कई दोस्तों, परिवार और इंडस्ट्री के लोगों की उपस्थिति देखी जाती है। तो, इस साल भी, हम सभी की निगाहें एकता के दिवाली उत्सव पर हैं, जबकि वह इस शुभ अवसर पर दोहरे उत्सव का आनंद ले रही है।
डंकी से मेकर्स ने जारी किए दो शानदार पोस्टर्स, सभी किरदारों की दिखी खास झलक
शाहरुख खान के जन्मदिन के खास मौके पर रिलीज हुए डंकी ड्रॉप 1 के पहले टीजर ने यकीनन फैन्स का दिल खुश कर दिया था। फिल्म की प्यारी कहानी ने लाखों दर्शकों के दिलों को छू लिया। वास्तविक जीवन के अनुभवों से प्रेरित, डंकी प्यार और दोस्ती की एक गाथा है जो इन विभिन्न कहानियों को एक साथ लाती है, और मजेदार और दिल तोड़ने वाले जवाब देती है।
         निर्माताओं ने आज डंकी के पोस्टर लॉन्च किए, जिसमें शाहरुख खान, तापसी पन्नू, विक्रम कोचर, अनिल ग्रोवर और विक्की कौशल जैसे पांच किरदारों को एक साथ दिखाया गया है। पोस्टर खुशी को दर्शाते हैं। यह पोस्टर दोस्ती और चुनौतियों के बारे में हैं, जिनसे वे अपने सपनों को हासिल करने के लिए एक साथ गुजरते हैं।            जिओ स्टूडियोज़, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट और राजकुमार हिरानी फिल्म्स की प्रस्तुति, राजकुमार हिरानी और गौरी खान द्वारा निर्मित। अभिजात जोशी, राजकुमार हिरानी और कनिका ढिल्लों द्वारा लिखित, डंकी इस दिसंबर 2023 में रिलीज़ होने वाली है। https://www.instagram.com/p/CzN84Y1IZ5l/?igshid=MXh1b2dxYjFkZ3ltOQ==
NCR में भूकंप के तेज झटके, तीन मिनट के अंतराल पर दोबारा आया भूकंप दिल्ली में भूकंप के झटके. घरों से बाहर निकले लोग. यूपी, बिहार में भी भूकंप क
NCR में भूकंप के तेज झटके, तीन मिनट के अंतराल पर दोबारा आया भूकंप दिल्ली में भूकंप के झटके. घरों से बाहर निकले लोग. यूपी, बिहार में भी भूकंप के तेज झटके
ट्रेन फ्लाइटस में नही मिल रही सीटें
       बिहार का एक महत्वपूर्ण पर्व दीपावली-छठ पूजा हैं. इस पर्व को लेकर बिहारवासी दूसरे राज्यों से अपने  घर लौटते हैं. यात्रियों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा  कई स्पेशल ट्रेन चलाई जाती हैं. फिर भी यात्रियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं. ट्रेनों में कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा, फ्लाइट्स के दाम आसमान छू रहे हैं. कई यात्री हैं जो बस का सहारा ले रहे हैं. दिल्ली और बिहार के बीच जो बसें चलती हैं उनमें जेडीजी ट्रेवल्स एलटीडी, पंवार टूर एंड ट्रेवल्स ट्रेवल प्वांइट वर्ल्ड, BSRTC की बसें हैं. बस कंडक्टर पंकज सिंह ने बताया कि बिहार की सारी बसें फुल चल रही हैं.
                       पटना के गांधी मैदान से खुलती हैं बीएसआरटीसी की बस
              बस कंडक्टर ने बताया कि दीपावली और छठ पूजा को लेकर पटना के गांधी मैदान बस स्टैंड से दोपहर दो बजे एक स्लीपर बस रोज यहां से खुल रही हैं. वैसे सीटर और स्लीपर बसें रोज से यहां से खुलती हैं.त्योहार के चलते यात्रियों को बैक टू बैक सुविधा दी जा रही हैं.  दिल्ली से फिर यही स्लीपर बस दूसरे दिन शाम 4:30 बजे पटना के लिए वापस होगी
            स्लीपर बस का किराया 2047 और 1995 रूपये हैं जबकि सीटर गाड़ी का किराया 1733 रूपये हैं. किराए में 15% डिस्काउंट भी दिया जा रहा हैं. दिल्ली में बसों की बोर्डिंग पॉइंट आनंद बिहार (ISBT), कौशांबी गवर्मेंट बस डिपोट गेट नंबर-1 और कौशांबी मेट्रो स्थित महाराजा रोड हैं.
             यात्री BSRTC के अधिकारिक वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन टिकट बुक करा सकते हैं. ऑफलाइन की भी सुविधा हैं. किसी तरह की शिकायत करनी हो तो अधिकारिक वेबसाइट पर भी कर सकते हैं.
           बैरिया से खुलती हैं एक बस
      पंवार टूर एवं ट्रेवल्स (प्राइवेट बस) रामाचक बैरिया बस स्टैंड से खुलती हैं. ये बस सुबह 9 बजे पटना से दिल्ली के लिए रवाना होती हैं. पटना से दिल्ली जाने का किराया सीटर का 1500 रूपये और स्लीपर का 2500 रूपये हैं. जबकि दिल्ली से पटना आने का किराया सीटर का 2200 और स्लीपर का 4000 रूपये हैं.
          प्रतिदिन शाम में  5 बजे यह गाड़ी पटना के लिए खुलती हैं. दिल्ली में इसका बोर्डिंग पॉइंट आनंद बिहार पार्किंग नंबर 1 हैं जो एडीएम मॉल नेक्स्ट टू मारूति सुजुकी शो रूम के अॉपोजिट हैं
          दोनों बसों में स्लीपर और सीटर की सुविधा हैं.
BSRTC की बस सीसीटीवी से लैस हैं. स्लीपर में सोने की व्यवस्था भी ठीक हैं. निजी बस का किराया BSRTC से अधिक हैं. सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी यात्रियों के लिए BSRTC की बस विकल्प बन सकती हैं.
* सनी देओल ने लाहौर 1947 के लिए आमिर खान के साथ हाथ मिलाने के बारे में की बात! जाने क्या कहा
* सनी देओल ने लाहौर 1947 के लिए आमिर खान के साथ अपने सहयोग के पीछे कई कहानी को किया साझा*
    
      बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान प्रोडक्शंस के बैनर तले निर्मित आगामी फिल्म 'लाहौर, 1947' भारतीय सिनेमा की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है। इस पीरियड ड्रामा के साथ इंडस्ट्री के तीन बड़े नाम एक साथ आ रहे हैं, क्योंकि इस फिल्म में सनी देओल, राजकुमार संतोषी और आमिर खान की तिकड़ी पहली बार एक साथ आई है।              फिल्म की बड़ी घोषणा ने इंडस्ट्री के इन दिग्गजों के प्रोडक्शन को देखने के लिए दर्शकों के बीच उत्साह बढ़ा दिया है। इस घोषणा को और भी प्रभावशाली बनाने वाली बात यह है कि सनी देओल और आमिर खान के बीच अतीत में कई बार कॉम्पिटिशन का माहौल देखने मिला है, जहाँ दोनों सुपरस्टार्स की जीत होते हुए देखी गयी है। बॉक्स ऑफिस पर पहला ऐतिहासिक आमना-सामना 1990 में हुआ था, जब आमिर खान की 'दिल' और सनी देओल की 'घायल' एक ही दिन रिलीज हुईं थी। फिर 1996 में, यह 'राजा हिंदुस्तानी' बनाम 'घातक' थी, इसके बाद 2001 में भारतीय सिनेमा का सबसे एपिक बॉक्स ऑफिस क्लैश हुआ, जब 'लगान' उसी दिन रिलीज हुई जिस दिन 'गदर' रिलीज हुई थी। ऐसे में पहली बार दोनों स्टार्स ने हाथ मिलाया है।
         ल ही में, 'कॉफी विद करण सीजन 8' के अपने टूर के दौरान, होस्ट करण जौहर ने सनी देओल से उस पल को साझा करने के लिए कहा, जब उन्होंने और आमिर ने साथ काम का फैसला किया था। जिसपर जवाब देते हुए सनी देओल ने कहा, 'जब आमिर खान ब्लॉकबस्टर गदर 2 की पार्टी में आए तो वह मेरे पास आए और कहा कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह क्या करने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में मिलने पर हमने सहयोग के लिए कुछ विचारों और संभावनाओं पर चर्चा की और उसके बाद, हम इस प्रोजेक्ट के साथ आए और इस तरह यह हुआ।
          'लाहौर 1947' के बारे में बात करते हुए, आमिर खान आमिर खान प्रोडक्शंस के तहत निर्माता के रूप में कार्यभार संभालेंगे, जबकि निर्देशक राजकुमार संतोषी इस प्रोजेक्ट का निर्देशन करेंगे, और सनी देओल फिल्म में मुख्य अभिनेता में नज़र आएंगे। ऐसे में सनी, आमिर और संतोषी की इस शानदार तिकड़ी के इस जबरदस्त प्रोजेक्ट पर तीनों के आने को मिस नहीं किया जा सकता है।     
          आइकोनिक कल्ट क्लासिक अंदाज अपना अपना के बाद, लाहौर 1947 आमिर खान और संतोषी के फिर से साथ आने का प्रतीक है। इसके अलावा, राजकुमार संतोषी और सनी देओल ने एक साथ बॉक्स ऑफिस पर 'घायल', 'दामिनी' और 'घातक' जैसी तीन हिट फिल्में दीं हैं। ऐसे में इस तरह के दमदार ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, यह अनुमान लगाना स्वाभाविक है कि उनका अगला प्रोजेक्ट एपिक होगा।