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हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे भारत, इजरायल की मोदी सरकार से बड़ी अपील

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इस्राइल और हमास के बीच बीते दो सप्ताह से ज्यादा समय से युद्ध जारी है।हमास-इजरायल जंग ने दुनियाभर के देशों के दो खेमे में बांट दिया है।अमेरिका और ब्रिटेन जहां इजरायल का खुले तौर पर समर्थन कर रहे हैं। वहीं ईरान औऱ तुर्की हमास के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।तुर्की ने तो यहां तक कह दिया कि हमास आतंकी संगठन नहीं, बल्कि एक मुक्ति समूह है।इस बीच, इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने भारत सरकार से बड़ी अपील की है।भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा है कि भारत के लिए समय आ गया है कि वह अन्य कई देशों की तरह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। इजरायली राजदूत ने पत्रकारों से बातचीत में हमास के खिलाफ आतकंवाद-रोधी अभियानों में इजरायल का समर्थन करने के लिए भारत के प्रति आभार भी प्रकट किया।

इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने बुधवार को कहा कि भारत हमास को एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित करे, जैसा कि कई अन्य देशों ने किया है। गिलोन ने कहा कि सात अक्तूबर को क्रूर हमले के बाद इस्राइल ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए संबंधित भारतीय अधिकारियों से अवगत करा दिया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि इस मामले को पहले भी उठाया गया था। 

पीएम मोदी की तारीफ

गिलोन ने कहा, हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं। ये दुनिया के लोकतंत्र हैं। ऐसा कहने के बाद...मुझे लगता है कि भारत द्वारा हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित करने का समय आ गया है।इजरायली राजदूत ने कहा कि अमेरिका, कनाडा सहित कई देश और यूरोपीय संघ पहले ही हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। गिलोन ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन शुरुआती वैश्विक नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने आतंकवादी हमले की निंदा की। भारत दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण नैतिक पहचान वाला देश है और हमारे लिए महत्वपूर्ण देश हमारे साथ हैं।

यही सही समय है

उन्होंने आगे कहा, भारत के लिए यही समय है कि वह हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करे। गिलोन ने कहा, इजरायल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है।उन्होंने दोहराया कि इजरायल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। गिलोन का मानना है कि इस संघर्ष का इजरायल की आर्थिक संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध

बता दें कि सात अक्टूबर को गाजा से हमास के चरमपंथियों ने इजराइल के खिलाफ जबरदस्त और विभिन्न मोर्चों से हमला कर दिया था, जिसके बाद से संघर्ष जारी है. इजराइल ने भी बदला लेने के इरादे से गाजा पर भीषण जवाबी हमला किया है। गिलोन ने कहा कि इजराइल के लिए यह पश्चिम एशिया में अस्तित्व बचाने का युद्ध है। उन्होंने कहा कि इजराइल हमास को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को, पीएम मोदी होंगे शामिल

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अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। राम लला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में पीएम मोदी शामिल होंगे। बुधवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों चंपत राय, नृपेन्द्र मिश्रा और दो अन्य लोगों ने पीएम मोदी से पुन: मुलाकात कर आग्रह किया कि आप प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हों। ट्रस्ट के सदस्यों के आग्रह पर पीएम ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और कार्यक्रम में आने की हामी भर दी।

बता दें कि 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम का आयोजन दिन में साढ़े 12 बजे करीब आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर अयोध्या में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। वहीं पीएम मोदी कहा कि आज का दिन बहुत भावनाओं से भरा हुआ है। अभी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे। उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है। जय सियाराम।

बता दें कि एक दिन पहले ही दशहरा के मौके पर रावण दहन कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेनेद्र मोदी ने कहा था कि सदियों का इंतजार खत्म हो रहा है।दिल्ली के द्वारका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयादशमी के मौके पर कहा था कि आज हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्यतम मंदिर बनता देख पा रहे हैं। अयोध्या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्वर, पूरे विश्व को हर्षित करने वाला होगा। राम मंदिर में भगवान राम के विराजने को बस कुछ महीने बचे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के फैसले में अयोध्या में विवादित जगह पर एक ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 40 दिनों की सुनवाई के बाद यह फैसला दिया था। पीठ ने विवादित जमीन पर रामलला के हक में निर्णय सुनाया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद वो ऐतिहासिक दिन भी आ गया है जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है।

दशहरा पर रवि तेजा की फिल्म ‘टाइगर नागेश्वर राव’ ने मचा दिया गदर, 5वें दिन कर डाला ताबड़तोड़ कलेक्शन

 साउथ सिनेमा के पॉपुलर कलाकारों में रवि तेजा का नाम शामिल है। रवि की फैन फॉलोइंग काफी ज्यादा है, जिसके चलते फैंस उनकी फिल्मों को लेकर काफी एक्साइटेड नजर आते हैं।

रवि तेजा (रवि तेजा) की पहली पैन फिल्म ‘टाइगर नागेश्वर राव’ दर्शकों को काफी पसंद आ रही है, जिसमें एक्टर्स की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शित हो रही है। 

जानिए, 5वें दिन यानी दशहरा के मौके पर ‘टाइगर नागेश्वर राव’ की रिलीज कितनी तय की गई है।

दशहरा पर ‘टाइगर नागेश्वर राव’ ने मचाई धूम

बीते शुक्रवार को ‘टाइगर नागेश्वर राव’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई। इस दौरान बॉक्स ऑफिस पर रवि तेजा की इस फिल्म को बॉलीवुड मूवीज ‘गणपत और यारियां 2’ की चुनौती मिली। लेकिन अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर ‘टाइगर नागेश्वर राव’ ने इन हिंदी फिल्मों को धूल चटाते हुए तबाही मचा दी है।

 ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के रिलीज के 5वें दिन के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की तरफ तो सैकनिल्क की रिपोर्ट के मुताबिक दशहरा के मौके पर रवि तेजा की इस मूवी ने 5.35 करोड़ की बंपर कमाई है।

सोमवार की तुलना में मंगलवार को ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के कारोबार में काफी बढोत्तरी देखने को मिली है। साफतौर पर कहा जाए तो रवि तेजा की ‘टाइगर नागेश्वर राव’ ने दशहरा के अवसर का पूरा फायदा उठाकर शानदार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कर डाला है।

अब तक ‘टाइगर नागेश्वर राव’ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

 दिन  कलेक्शन

 पहला दिन   6.55 करोड़

 दूसरा दिन   4.13 करोड़

 तीसरा दिन   4.6 करोड़

 चौथा दिन   4.6 करोड़

 पांचवा दिन   5.35 करोड़

   

  कुल   24.69 करोड़

‘टाइगर नागेश्वर राव’ को मिला ऑडियंस का प्यार

जिस तरह से ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के सुपरस्टार और बॉक्स ऑफिस पर अपनी मजबूत पकड़ बनी हुई है। ये सासा ने कहा है कि रवि तेजा की फिल्म को दर्शकों की ओर से जांच रिस्पॉन्स मिला हुआ है।

यही कारण है जो ‘टाइगर नागेश्वर राव’ ने कामयाबी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। अब देखना ये दिलचस्प रहेगा की आने वाले दिनों में ये फिल्म कितनी और कमाई करती है।

लोगों से वोट देने की अपील करते दिखेंगे राजकुमार राव, चुनाव आयोग ने दी बड़ी जिम्मेदारी

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लोगों को वोट के लिए जागरूक करने के लिए बॉलीवुड एक्टर राजकुमार राव को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।राजकुमार राव को इलेक्शन कमीशन ने नेशनल आइकन नियुक्त किया है। ये फैसला भारत निर्वाचन आयोग ने 5 राज्यों में होने वाले चुनाव से ठीक पहले लिया है।आयोग गुरुवार यानी 26 अक्टूबर) को राजकुमार राव को आइकन नियुक्त करेगा। बता दें कि नेशनल आइकन वोटिंग को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं।

अभिनेता राजकुमार राव वैसे तो कई फिल्मों में काम कर चुके हैं और उनकी कई फिल्में हिट हुई हैं, लेकिन 'न्यूटन' एक ऐसी फिल्म है जिसने उन्हें अलग पहचान दिलाई। 2017 में आई इस फिल्म के लिए राजकुमार राव को बेस्ट एक्टर के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। इस फिल्म में राजकुमार राव नूतन कुमार नाम के एक सरकारी क्लर्क की भूमिका में नजर आए थे। नूतन कुमार ऐसा क्लर्क था जो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध था। चुनाव आयोग एक्टर के इसी किरदार को भुनाने के लिए एक्टर के कंधों पर इतनी जिम्मेदारी डाली है। 

इससे पहले सचिन तेंदुलकर को मिली थी ये जिम्मेदारी

इससे पहले चुनाव आयोग ने इसी साल अगस्त में पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को अपना नेशनल आइकन बनाया था। दरअसल, अगले साल भारत में लोकसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ज्यादा से ज्यादा लोगों को मतदान में भागीदार बनाना चाहता है। उसका फोकस सबसे ज्यादा युवाओं पर है, इसलिए उसने पहले सचिन और फिर राजकुमार राव जैसी हस्तियों के इसके लिए चुना है।

क्या करता है नेशनल आइकन?

बता दें कि चुनाव आयोग की ओर से जिसे भी नेशनल आइकन बनाया जाता है उस सेलिब्रिटी के साथ एक ज्ञापन साइन किया जाता है। ये 3 साल के लिए होता है। इसमें सेलिब्रिटी को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य तरीकों से मतदान के लिए लोगों को जागरूक करना होता है।

किताबों में इंडिया की जगह होगा भारत के प्रस्ताव पर सियासत शुरू, जानें विपक्ष की प्रतिक्रिया

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) अपने पुस्तकों के अगले सेट में इंडिया के बजाय ‘भारत’ मुद्रित करेगा। पैनल के इस प्रस्ताव को इसके सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है। एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की मीडिया रिपोर्ट पर एनसीईआरटी का कहना है कि इस पर कुछ भी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। वहीं, इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है।

सरकार के साथ कुछ गलत हुआ- शिवकुमार

इस मामले में विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। अब कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने एनसीईआरटी पैनल की सिफारिश पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हम रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस और इंडियन फॉरेन सर्विसेज क्यों कह रहे हैं? हमारे पासपोर्ट में रिपब्लिक ऑफ इंडिया है... मुझे लगता है कि इस सरकार के साथ कुछ गलत हुआ है वे भारतीयों के दिमाग को भ्रमित क्यों कर रहे हैं? उन्होंने जो भी रुख अपनाया है वह पूरी तरह से जनविरोधी है, इंडिया विरोधी, भारत विरोधी है। मैं आपको बता रहा हूं कि उन्हें (एनसीईआरटी) एनडीए सरकार द्वारा मजबूर किया गया है। ये बिल्कुल गलत है। आप इंडिया का इतिहास नहीं बदल सकते। कर्नाटक में जो पहले था वही जारी रहेगा।

इंडिया गठबंधन से डरे हैं पीएम- प्रियंका कक्कड़

एनसीईआरटी की इस सिफारिश पर आम आदमी पार्टी की नेता प्रियंका कक्कड़ ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, यह दर्शाता है कि पीएम मोदी को इंडिया गठबंधन से कितना डर है। नाम बदलने के बजाय बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने मोदी सरकार पर लगाए आरोप

वहीं, डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन का कहना है, "सरकार केवल इसलिए नाम बदल रही है क्योंकि विपक्षी गठबंधन ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा था। यह भारत भी नहीं है। मोदी सरकार के दिमाग में घटिया और अतार्किक बातें हैं।यह डर के कारण है। एनसीईआरटी संविधान में संशोधन किए बिना ऐसा कैसे कर सकता है? 

बता दें कि एनसीईआरटी समिति ने सर्वसम्मति से सभी कक्षाओं के सिलेबस के लिए INDIA की जगह भारत नाम इस्तेमाल करने की सिफारिश की। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूल के किताबों को संशोधित कर रहा है। एनसीईआरटी ने हाल ही में इसके लिए 19 सदस्यीय नेशनल सिलेबस एंड टीचिंग लर्निंग मटेरियल कमेटी (NSTC) का गठन किया था। समिति के प्रपोजल को यदि स्वीकार किया जाता है तो एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत प्रिंट होगा। हालांकि एनसीईआरटी के अधिकारियों का कहना है कि पैनल की सिफारिशों पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

राजस्थान में घटी दिल दहला देने वाली घटना! विवाद होने के बाद शख्स पर 8 बार चढ़ाया ट्रैक्टर, चिल्लाता रह गया परिवार, तमाशबीन बने रहे लोग

राजस्थान के भरतपुर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आ रही है यहाँ दो पक्षों के बीच विवादित जमीन को लेकर झगड़ा हो गया। जिसमें एक व्यक्ति का ट्रैक्टर से कुचलकर क़त्ल कर दिया गया। हैवानियत की हद इतनी कि एक बार नहीं, बल्कि व्यक्ति को 8 बार ट्रैक्टर से कुचला गया। घरवालों ने हालांकि व्यक्ति को बचाने का प्रयास किया मगर ट्रैक्टर वाले के सामने उनकी एक न चली। वो बस तेजी से शख्स के ऊपर ट्रैक्टर चलाता ही रहा। वही दूसरी तरफ कुछ व्यक्तियों ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया। जो कि सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ है। दो पक्षों के बीच लड़ाई जमीन को लेकर आरम्भ हुई थी। इस लड़ाई में 12 लोग भी घायल हुए हैं। उन सभी का हॉस्पिटल में उपचार चल रहा है। मामला बयाना थाना इलाके के गांव अड्डा का है। जानकारी के अनुसार, गांव के दो पक्ष बहादुर सिंह गुर्जर और अतर सिंह गुर्जर के परिवारों के बीच जमीन को लेकर विवाद बहुत वक़्त से चल रहा है।

दोनों पक्षों के बीच तीन दिन पहले भी झगड़ा हुआ था जिसमें दोनों पक्षों की ओर से बयाना थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था तथा पुलिस ने दोनों ही पक्षों के लगभग 22 व्यक्तियों को पाबंद किया गया था। मगर बुधवार को बहादुर सिंह गुर्जर पक्ष के लोग विवादित जमीन को ट्रैक्टर लेकर जोतने के लिए चले गए। जिसकी खबर जब दूसरे पक्ष अतर सिंह गुर्जर के परिवार को लगी को वे वहां विरोध करने पहुंच गए। खेत की जुताई के चलते दोनों पक्षों के बीच जमकर झगड़ा हुआ। जब 45 वर्षीय निर्पाठ सिंह गुर्जर ट्रैक्टर को रोक कर विरोध करने का प्रयास कर रहा था तभी ट्रैक्टर चालक ने उसको कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गई।

 ग्रामीण भी केवल तमाशबीन होकर यह मंजर देखते रहे तथा वीडियो बनाते रहे। निर्पाठ सिंह गुर्जर के घरवालों ने उसे हालांकि, बचाने का प्रयास किया। मगर ट्रैक्टर चालक इतनी तेजी से ट्रैक्टर को निर्पाठ सिंह गुर्जर के ऊपर बार-बार चढ़ा रहा था कि यदि कोई और आगे आता भी तो उसे भी वह कुचल देता। ट्रैक्टर चालक ने 8 बार निर्पाठ के ऊपर से वाहन चलाया, जब तक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं। सूचना के पश्चात् पुलिस अफसर मौके पर पहुंचे और सभी चोटिल व्यक्तियों को बयान लेकर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहीं कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। निर्पाठ सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया है। ASP ओमप्रकाश कलवानी ने बताया कि इस मामले में 5 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है। वहीं कुछ आरोपी अभी फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है। अपराधियों के खिलाफ उचित एक्शन लिया जाएगा।

*राहुल गांधी ने लिया सत्यपाल मलिक का इंटरव्यू, वीडियो शेयर कर केन्द्र सरकार पर कसा तंज*

#rahulgandhisatyapalmalikinterview

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का इंटरव्यू किया है।28 मिनट की इस बातचीत में राहुल गांधी ने सत्यपाल मलिक से पुलवामा, किसान आंदोलन, जातिगत जनगणना, मणिपुर में हिंसा समेत तमाम मुद्दों पर बात की है।कांग्रेस नेता ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल के इंटरव्यू का वीडियो शेयर कर केन्द्र सरकार पर तंज कसा है। इस बातचीत के वीडियो को राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करते हुए लिखा, ''क्या ये संवाद ED-CBI की भाग दौड़ बढ़ा देगा?'' 

पुलवामा हमले के लिए फिर मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार

राहुल गांधी को दिए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने 2019 पुलवामा हमले के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इंटरव्यू में भी उन्होंने यही बात दोहराई कि मैंने दो चैनलों को बताया कि ये हमारी गलती थी लेकिन मुझसे कहा गया कि इसे कहीं भी न कहें। मुझे लगा कि मेरे बयानों से जांच पर असर पड़ सकता है, लेकिन कोई जांच नहीं हुई। इसका इस्तेमाल चुनाव के उद्देश्य से किया गया। सत्यपाल ने कहा कि उन्होंने 5 विमान मांगे थे। अगर उन्होंने मुझसे कहा होता, तो मैं उन्हें तुरंत दे देता। मैंने बर्फ में फंसे छात्रों को विमान दिया था। दिल्ली में किराए पर विमान प्राप्त करना आसान है। लेकिन उनका आवेदन गृह मंत्रालय में चार महीने तक पड़ा रहा और फिर इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद सीआरपीएफ कर्मियों ने वह सड़क अपनाई जो असुरक्षित मानी जाती थी।

जम्मू कश्मीर को लेकर कही ये बात

राहुल गांधी ने पूछा कि जब आप (सत्यपाल मलिक) जम्मू कश्मीर में थे तो काफी पेचीदा समय था। इस पर आपकी क्या राय है? सत्यपाल मलिक ने कहा, आप जम्मू कश्मीर को जबदरस्ती या सेना से ठीक नहीं कर सकते। यहां के लोगों को जीत कर आप कुछ भी कर सकते हैं। समस्या का समाधान करने के लिए पहले तो राज्य का दर्जा वापस देना चाहिए है।उन्होंने आगे दावा किया कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा केंद्र सरकार ने शायद इस कारण दिया कि इनको लगता था कि पुलिस विद्रोह कर देगी, लेकिन पुलिस तो सरकार के प्रति वफादार रही है। इन्होंने (पुलिस) ईद के महीने में छुट्टी भी नहीं ली। ऐसे में राज्य का दर्जा देकर चुनाव कराने चाहिए।

अडाणी मामले पर सत्यपाल मलिक ने दिए ये जवाब

अडाणी पर सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी से कहा कि सरकार MSP पर अपना वादा निभाने में विफल रही क्योंकि अडानी ने बड़े-बड़े गोदाम बनाए, औने-पौने दाम पर फसलें खरीदीं। सत्यपाल मलिक ने कहा कि अगले साल उनकी कीमतें बढ़ेंगी और वह उन्हें बेचेंगे। अगर MSP लागू होता है, तो किसान उन्हें अपने उत्पाद सस्ती दर पर नहीं बेचेंगे। 

मणिपुर मामले पर सरकार पर हमला

वीडियो में दोनों नेताओं ने मणिपुर की स्थिति पर भी चर्चा की। मणिपुर की स्थिति पर चर्चा करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा कि सरकार का मणिपुर में कोई नियंत्रण नहीं है। सत्यपाल मलिक ने कहा, लेकिन यह केवल छह महीने के लिए है। मैं लिखित में दे सकता हूं। वे सत्ता में वापस नहीं आएंगे।

*मिजोरम के मुख्यमंत्री बीजेपी को क्यों दिखा रहे हैं तेवर, पीएम मोदी के साथ मंच साझा नहीं करने का किया ऐलान*

#mizoram_cm_zoramthanga_says_he_wont_share_stage_with_pm

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने जब पीएम मोदी यहां आएंगे तो वे उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे। जोरमथंगा ने कहा कि मणिपुर हिंसा में मैतेई समुदाय के लोगों ने चर्च पर हमला किया। बीजेपी मणिपुर में मैतेई समर्थक मानी जाती है। अगर पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया तो चुनाव में एमएनएफ को नुकसान होगा। बता दें कि पिछले अगस्त में जब विपक्ष संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, तब भी मिजो नेशनल फ्रंट ने बीजेपी का साथ नहीं दिया।

जब जोरमथंगा से पूछा गया कि फिर वह केंद्र में नरेंद्र मोदी के साथ क्यों हैं? इसके जवाब में जोरमथंगा ने कहा कि उनकी पार्टी पिछले 40 साल से कांग्रेस का विरोध कर रही है। यूपीए और इंडिया में कांग्रेस बड़ी साझीदार है, इसलिए वह केंद्र में बीजेपी वाले गठबंधन का समर्थन करते हैं। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने साफ तौर से कहा कि अगर पीएम चुनाव प्रचार के लिए आएंगे तो यह बेहतर होगा कि वह अकेले अपने मंच पर रहे और मैं अपने मंच पर रहूं। उन्होंने मिजोरम में आने वाले शरणार्थियों को मदद करने से उनकी पार्टी को फायदा होगा।

बता दें कि मिजोरम में 7 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।चुनाव से पहले 30 अक्टूबर को पीएम मोदी पश्चिम मिजोरम के मामित गांव में भाजपा कैंडिडेट्स के समर्थन में रैली करने आ सकते हैं।

एमपी विधानसभा चुनाव, इस्तीफा मंजूर होने के बाद बोलीं निशा बांगरे- मैं चुनाव लडूंगी ही, लोगों की इच्छा है कि लोकतंत्र का भाग बनूं

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अगले महीने मतदान होगा जिसमें अब एक माह से कम का वक़्त रह गया है। इसी दौरान प्रशासन ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इस्तीफा मंजूर होने के उपरांत पूर्व आईएएस अधिकारी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। निशा आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। कहा जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि उनके इस्तीफे को मंजूर करने में देरी होने के उपरांत पार्टी ने मनोज मालवे को चुनावी रण में उतारा है। बांगरे घर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए छुट्टी नहीं मिलने पर इस्तीफा देने के उपरांत चर्चाओं में आ गई थी।

निशा बांगरे ने बुधवार को कहा कि वह लोकतंत्र का भाग बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं चुनाव तो लड़ूंगी ही। मैंने हमेशा से कहा है कि मैं लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहती हूं। विधायिका का हिस्सा बनना भी उसका एक पार्ट है। इसलिए मैं निश्चित तौर पर चुनाव तो लड़ूंगी ही। मैं नामांकन पत्र भरूंगी।' यब पूछे जाने पर की इस्तीफा देते समय कुछ और वजह दी थी। क्या आपने तब ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था, इसपर बांगरे ने कहा, 'मैंने जिस समय इस्तीफा देते समय कारण लिखकर दिए थे। मुझे मेरे मकान के उद्घाटन में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। जब मैंने पिछले तीन-चार महीने में कारण पता किए तो पता चला कि यह सब राजनैतिक कारणों से हो रहा है। मैं हमेशा से चाहती हूं कि इस देश में अच्छी व्यवस्था बनी रहे। व्यवस्था बनती है अधिकारियों से, जनप्रतिनिधियों से। अधिकारी बनकर मैंने देख लिया। राजनैतिक मंशा अगर अच्छी हो तो अधिकारी भी अच्छा काम कर सकते हैं। इसलिए मैंने फैसला लिया है कि मैं विधायिका में जाऊंगी। जो अन्याय मेरे साथ हुआ है, उस अन्याय के खिलाफ मैं लड़ाई लड़ूंगी ताकि किसी और के साथ ऐसा अन्याय न हो।'

लोग हमेशा से मुझे जनप्रतिनिधि बनाना चाहते थे

निशा ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, 'जहां मेरे मकान का उद्घाटन होने वाला था वहां सर्वधर्म प्रार्थना होने वाली थी। चूंकि मैं उस क्षेत्र (आमला) में पिछले पांच साल से हूं, मेरी पोस्टिंग 2018 से 2021 के बीच वहां रही है। मैं लोगों के बीच रही हूं। लोगों का स्नेह मेरे साथ रहा है। वहीं के लोगों ने मुझे तब भी एक ऑप्शन के तौर पर देखा था। इसलिए मेरा ट्रांसफर बार-बार जगह-जगह हो रहा था। क्योंकि वहां के माननीय को परेशानी हो रही थी। लोगों ने उसी समय से मुझे जनप्रतिनिधि के तौर पर चाहा था। मैं उस निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही थी क्योंकि मेरा कोई पारिवारिक बैकग्राउंड नहीं है। मैं धीरे-धीरे सीख रही हूं। कभी किसी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं रही।'

 

कमलनाथ से करेंगी मुलाकात

उनका कहना है कि 'जब मेरा संघर्ष चल रहा था तो कांग्रेस ने मेरे साथ खड़े होने की बात कही। जब मुझे हिरासत में लिया गया तो कांग्रेस नेता मेरे साथ थे। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया था कि वे मेरे इस्तीफे का इंतजार करने वाले है। इसलिए, मैं आज कमल नाथ जी से मिलना चाहूंगी और उनसे उनका रुख पूछना चाहूंगी क्योंकि अब मैंने इस्तीफा दे दिया है और अब मैं लोगों के लिए लड़ने के लिए स्वतंत्र हूं जनता की लड़ाई लड़ने के लिए। लेकिन आपने जो वादा किया था उसके बारे में मैं जानना चाह रही हूं।' जब उनसे पूछा गया कि अगर कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो क्या करेंगी। इसपर पूर्व अधिकारी ने बोला है कि, 'हम तो जनता के लिए काम करेंगे। अगर जनता कहेगी कि आप निर्दलीय लड़िए या इस पार्टी से लड़िए तो मुझे कोई परेशानी नहीं है। जैसा जनता कहेगी, जो जनता का आदेश होगा उसका मैं पालन करूंगी।'

NCERT की किताबों में अब नहीं मिलेगा "INDIA", भारत के बारे में पढ़ेंगे बच्चे, प्रस्ताव को मिली मंजूरी

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान संस्थान और प्रशिक्षण परिषद यानी NCERT की किताबों में अब INDIA नाम की जगह भारत लिखा जाएगा। किताबों में जरूरी बदलाव को लेकर बने पैनल के प्रस्ताव को एनसीईआरटी ने मंजूरी दे दी है। एनसीईआरटी पैनल की सिफारिश उस वक्त की गई है जब सियासी हलको में INDIA नाम को बदलकर भारत रखने की सुगबुगाहट जोरों पर हैं। भारत नाम रखे जाने की बातें उस वक्त उठी जब सितंबर में जी20 के आयोजन के दौरान भारत की राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए निमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की बजाए 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया था।

बता दें कि एनसीईआरटी द्वारा गठित एक समिति ने किताबों में 'INDIA' को बदलकर 'भारत करने की सिफारिश की थी।पैनल द्वारा पुस्तकों के अगले सेट में इंडिया के बजाय 'भारत' प्रिंट करने के प्रस्ताव को सदस्यों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है। पैनल के सदस्यों में से एक ने इस बात की पुष्टि की है।

पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक के मुताबिक, पैनल के सभी सदस्यों ने 'INDIA' को बदलकर 'Bharat' करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब, जबकि प्रस्ताव स्वीकार किया जा चुका है तो एनसीईआरटी की नई किताबों में 'इंडिया' की जगह 'भारत' मुद्रित किया जाएगा।