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ईरान की नरगिस मोहम्‍मदी को नोबेल शांति पुरस्कार, महिला उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के लिए मिला सम्‍मान

#nargis_mohammad_receives_nobel_peace_prize_for_2023

वर्ष 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार को घोषणा कर दी गई है। इस साल ये पुरस्कार ईरान की नरगिस मोहम्मदी को दिया जाएगा। ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी। मानवाधिकारों और आजादी के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। मोहम्मदी को यह पुरस्कार ईरान में महिलाओं की हालत को बेहतर बनाने के लिए किए गए संघर्ष के चलते दिया गया है।

नार्वे की नोबल कमिटी ने ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता न‍रगिस मोहम्‍मदी को साल 2023 के लिए नोबल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया है। उन्‍होंने ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।नरगिस को इसके लिए निजी कीमत चुकानी पड़ी। उन्‍हें अब तक 13 बार अरेस्‍ट किया जा चुका है। यही नहीं 5 बार दोषी ठहराया जा चुका है। नरगिस ने 31 साल जेल में बिताए हैं। यही नहीं उन्‍हें 154 कोड़े भी मारे गए हैं।नरगिस मोहम्‍मदी को जब शांति का पुरस्‍कार दिया जा रहा है, उस समय भी वह अभी जेल में हैं। 

नर्गिस मोहम्मदी एक ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (डीएचआरसी) की उपाध्यक्ष हैं। वह ईरान में डेथ पेनल्टी को खत्म करने और कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए वकील रही हैं।

मोहम्मदी को उनकी सक्रियता के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है, जिसमें पेर एंगर पुरस्कार, ओलोफ पाल्मे पुरस्कार, यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार और पीईएन/बार्बी फ्रीडम टू राइट अवार्ड जैसे पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें बीबीसी की 100 प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं में से एक के रूप में भी नामित किया गया था।

चीन के पैसों से 'भारत विरोधी' प्रोपेगेंडा ! कोर्ट में Newsclick का बचाव करेंगे कपिल सिब्बल, की फ़ौरन सुनवाई की मांग

न्यूज़क्लिक (NewsClick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने पोर्टल पर चीन समर्थक प्रोपेगेंडा फ़ैलाने के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद उनके खिलाफ दर्ज गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया था। 

सिब्बल ने कहा कि ये गिरफ्तारी अवैध है। जिसके बाद कोर्ट ने मामले को आज सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज की गई FIR के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें उन्हें 10 अक्टूबर तक 7 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया था। बता दें कि, इस सप्ताह की शुरुआत में, दोनों को पुलिस हिरासत में भेजते वक़्त, ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर रिमांड आवेदन की प्रति उनके वकील को सौंपने पर सहमति जताई थी। कल, न्यायाधीश ने आदेश दिया कि उन्हें FIR की एक कॉपी प्रदान की जाए। बता दें कि, ये आरोप तब सामने आए थे, जब 5 अगस्त को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक (Newsclick) को "भारत विरोधी" माहौल बनाने के लिए चीन से धन प्राप्त हुआ था।

इसके बाद दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज़क्लिक से संबंधित पूर्व और वर्तमान पत्रकारों और लेखकों के आवासों पर सिलसिलेवार छापे मारे गए थे। वहीं, कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे प्रेस पर हमला बताया गया था। मौजूदा कार्रवाई में न्यूज़क्लिक द्वारा कल एक बयान जारी किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसे FIR की प्रति प्रदान नहीं की गई थी, या उन अपराधों के सटीक विवरण के बारे में सूचित नहीं किया गया था, जिनके लिए उस पर आरोप लगाया गया था।

बयान में कहा गया था कि, 'न्यूज़क्लिक परिसर और कर्मचारियों के घरों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया गया था, बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए जैसे कि जब्ती मेमो का प्रावधान, जब्त किए गए डेटा के हैश मान, या यहां तक कि डेटा की प्रतियां भी। हमें अपनी रिपोर्टिंग जारी रखने से रोकने के एक ज़बरदस्त प्रयास में न्यूज़क्लिक के कार्यालय को भी सील कर दिया गया है।' इसमें आगे कहा गया है कि 'न्यूज़क्लिक ऐसी सरकार के कार्यों की कड़ी निंदा करता है, जो "पत्रकारिता की स्वतंत्रता का सम्मान करने से इनकार करती है, और आलोचना को देशद्रोह या राष्ट्र-विरोधी प्रचार मानती है।'

बता दें कि, NYT रिपोर्ट से पहले, न्यूज़क्लिक मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा एक और जांच का सामना कर रहा था। इसने संपादकों के परिसरों में ED द्वारा कई छापे मारे थे और मामला अभी भी लंबित है। न्यूज़क्लिक और पुरकायस्थ ने पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सितंबर 2020 में ED द्वारा दर्ज ECIR (FIR की तरह) की एक प्रति की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 21 जून, 2021 और 20 जुलाई को अंतरिम आदेश पारित कर ED को वेबसाइट और उसके प्रधान संपादक के ख़िलाफ़ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, ED ने 21 जून, 2021 और 20 जुलाई, 2021 को एक समन्वय पीठ द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द करने की मांग की थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक आवेदन पर नोटिस जारी किया था।

NewsClick पर दिल्ली पुलिस ने रखा पक्ष

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपनी जांच में दावा किया है कि उसे गुप्त सूचना मिली है कि न्यूज़क्लिक (NewsClick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ, अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम और सिंघम के स्वामित्व वाली कंपनी स्टारस्ट्रीम के कुछ चीनी कर्मचारियों ने यह दिखाने के इरादे से ईमेल का आदान-प्रदान किया कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा नहीं हैं। दिल्ली पुलिस ने यह भी दावा किया कि इन व्यक्तियों ने आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और नष्ट करने और अवैध विदेशी फंडिंग के माध्यम से किसानों के आंदोलन को लम्बा खींचने की साजिश रची। 

दिल्ली पुलिस ने बताया कि कोविड-19 महामारी को रोकने के भारत के प्रयास…

दर-दर भटकने पर मजबूर हुआ मध्यप्रदेश के उज्जैन रेपकांड आरोपी का परिवार, कोई नहीं दे रहा किराए पर मकान, प्रशासन ने ढहाया उसका घर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में सतना की नाबालिग बालिका के साथ हुए दर्दनाक दुष्कर्म कांड में अपराधी को 8 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। वहीं प्रशासन ने उसके अवैध मकान को जमींदोज कर दिया है। तत्पश्चात, उसका परिवार किराए का मकान लेने के लिए शहर भर में घूम रहे हैं किन्तु शहरवासी अपराधी के परिवार को मकान देने के लिए तैयार नहीं है। एक प्रकार से माना जा रहा है कि शहर वासियों ने अपराधी के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है।

वही कुछ दिन पहले उज्जैन में सतना जिले की नाबालिग बालिका के साथ दरिंदगी की घटना सामने आई थी। इसे लेकर शहर वासियों में खूब आक्रोश व्याप्त है। प्रशासन द्वारा उसके अवैध अतिक्रमण को तोड़ने के पश्चात् परिवार शहर में किराए का मकान तलाशने निकला है। बृहस्पतिवार दोपहर तक अपराधी के माता-पिता, भाई और भाभी ने ई-रिक्शा पर सामान बांध लिया था तथा पिता बापू नगर चिंतामन नगर समेत कई कॉलोनी में किराए का मकान ढूंढने निकला। किन्तु प्राप्त हुई खबर के मुताबिक, अपराधी के पिता को उज्जैन की 25 से ज्यादा कॉलोनी में मकान ढूंढने के बाद भी नहीं मिला। 

इतना ही नहीं मकान मालिकों ने उन्हें दूत्कार कर भगा दिया तथा कहा कि दोबारा मत आना। वहीं जिस पर्यटन होटल के बाहर अपराधी के परिवार ने कब्जा कर रखा था, उसे होटल के अफसरों ने भी हटाने के लिए कह दिया है। गौरतलब है कि 20 वर्षों से आरोपी ओर उसके परिवार ने 2 हजार स्क्वायर फीट की सरकारी जमीन पर मंदिर बनाकर कब्जा कर रखा था। बृहस्पतिवार को पुलिस अपराधी की 7 दिन की जुडिशियल कस्टडी समाप्त होने के बाद महाकाल थाना पुलिस आरोपी को लेकर एम्बुलेंस से जिला अदालत पहुंची थी। विशेष न्यायाधीश कीर्ति कश्यप ने कोर्ट के बाहर आकर अपराधी भरत सोनी को 8 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इस के चलते पुलिस ने दोपहर में जिला चिकित्सालय ले जाकर उसका मेडिकल टेस्ट करवाया तथा घटना के दिन पहने हुए कपड़े और मोबाइल को बरामद किया।

चुनाव से पहले 'मुफ्त रेवड़ियां' बांटने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, चुनाव आयोग, केंद्र, राजस्थान और एमपी सरकार को नोटिस

#freebies_case_supreme_court_issues_notice_to_central_govt_rajasthan_mp

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले फ्रीबीज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया दिखाते हुए केंद्र सरकार के साथ-साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान को भी नोटिस जारी किया है।इसके अलावा चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी कर मामले में जवाब तलब किया गया है। कोर्ट ने जवाब देने के लिए सभी पक्षों को 4 हफ्ते का वक्त दिया है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले मुफ्त में चीजें बांटने के वादों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की चुनावी लाभ वाली मुफ्त योजनाओं से लोगों पर भी बोझ बढ़ता है। याचिका के जरिए विधानसभा चुनाव से पहले मुफ्त चीजें बांटने के वादों पर रोक लगाने की मांग की गई है।चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता। हर बार यह होता है और इसका बोझ आखिरकार करदाताओं पर आता है।याचिकाकर्ता ने कहा कि चुनावी साल में राज्य सरकारें जिस तरह से धड़ाधड़ ऐलान करना शुरू कर देती हैं उसका असर तो सरकारी खजाने पर ही पड़ता है। जब सरकारी खजाने से जनता के पैसे का दोहन होना शुरू हो जाता है तो उसका असर करदाताओं पर होने लगता है। कुल मिलाजुला कर नुकसान आम जनता का ही होता है।

इस पर मुख्य न्यायाधीस जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव से पहले हर तरह के कई वादे किए जाते हैं और हम इस पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं कर सकते। हम इसे अश्विनी उपाध्याय की याचिका के साथ टैग करेंगे। लेकिन आपने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय आदि को पक्षकार बनाया है। आपको सरकार को पक्षकार बनाने की जरूरत है और आरबीआई, महालेखा परीक्षक आदि को पक्षकार बनाने की जरूरत है।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दाखिल इस नई याचिका को फ्रीबीज मामले में लंबित मुख्य याचिका के साथ जोड़ दिया है।

मध्यप्रदेश के 72 लाख किसानों को राज्यस्तरीय कृषक सम्मेलन में CM शिवराज ने दिया बड़ा तोहफा, किया ये ऐलान

मध्य प्रदेश के लाखों किसानों के लिए अच्छी खबर है। सतना में आयोजित राज्य स्तरीय कृषक सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 72 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि के 1 हजार 560 करोड़ का सिंगल क्लिक से अंतरण किया। इसके तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 30 लाख दावों में 1 हजार 58 करोड़ रुपये किसानों के एकाउंट्स में जारी किए गए। राज्य स्तरीय कृषक सम्मेलन में सतना के सीमावर्ती जिलों रीवा, पन्ना, कटनी, सीधी, छतरपुर, उमरिया आदि के कृषक सम्मिलित हुए। अन्य जिलों के कृषक समारोह से वर्चुअली जुड़े।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान कल्याण के लिए उठाए गए कदम हों या कृषि के उन्नयन के लिए संचालित गतिविधियां, हमारी सरकार ने हर क्षेत्र में अहम उपलब्धियां अर्जित की हैं। राज्य में सिंचाई के रकबे को 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 47 लाख हेक्टेयर किया है। जिसे बढ़ाकर 100 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। पानी की बचत के लिए पाइप लाइन से सिंचाई का इंतजाम किया गया है। किसानों की सुविधा के लिए अनुदान पर ट्रांसफार्मर की योजना पुन शुरू की जा रही है। किसानों को शून्य प्रतिशत पर ब्याज का इंतजाम किया गया। किसान भाईयों के लिए खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी। डिफाल्टर किसानों को सहकारिता की व्यवस्था से खाद उपलब्ध कराया जाएगा। अगर फसलों को नुकसान हुआ है तो सर्वे कराकर राहत की राशि तथा फसल बीमा का पैसा दिलवाया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में किसान कल्याण की गतिविधियां निरंतर जारी हैं। हर महीने किसानों को 1 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराने के लिए पीएम तथा मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत इंतजाम किया गया है। लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत भी किसान परिवारों को राशि मिल रही है। मोदी के नेतृत्व में खेती को लाभ का धंधा बनाने तथा किसान की आय दोगुनी करने में हम कामयाब रहे हैं। किसान अब 3-3 फसलें ले रहा है, इन फसलों की खरीद का इंतजाम भी किया गया है। प्रत्येक गरीब परिवार को रहने की जमीन का पट्टा उपलब्ध कराया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास में जो परिवार छूट गए हैं उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास उपलब्ध कराए जाएंगे।

बिहार के जातीय जनगणना के आंकड़े पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, नीतीश सरकार को भेजा नोटिस

बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में हुई जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए थे। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।कोर्ट ने जातीय गणना के जारी आंकड़ों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा- हम किसी राज्य सरकार के किसी काम पर रोक नहीं लगा सकते।इसके साथ ही कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है और अगले साल जनवरी तक जवाब देने को कहा है।

दरअसल, बिहार सरकार ने अपने स्तर पर जनगणना करने का फैसला किया था। इसके विरोध में केंद्र सरकार की दलील थी कि जनगणना पर सभी तरह के फैसले लेने का अधिकार केंद्र के पास और राज्य की सरकारें इस संबंध में कोई फैसला नहीं ले सकती।मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। जिसपर आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। जनवरी 2024 तक इस पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेंगे।इस दौरान कोर्ट ने जातिगत सर्वे पर यथास्थिति का आदेश देने से मना कर दिया और अगली सुनवाई जनवरी में करने के लिए कहा।

रोक से मना करते हुए बेंच के अध्यक्ष जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, हम किसी राज्य सरकार को नीति बनाने या काम करने से नहीं रोक सकते। सुनवाई में उसकी समीक्षा कर सकते हैं। मामले पर सुनवाई करते हुए जज ने कहा, हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है और हमें भी विस्तार से ही सुनना होगा। ये बात भी सही है कि सरकारी योजनाओं के लिए आंकड़े जुटाना जरूरी है। हम आप सभी को सुनना चाहेंगे।

बता दें कि 3 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जातीय आंकड़े जारी किए जाने के मामले मे हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।याचिकाकर्ताओं में एक सोच, एक प्रयास और यूथ फॉर इक्वेलिटी जैसे संगठन शामिल हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच जातीय गणना मामले की सुनवाई हुई।

गौरतलब है कि बिहार में हुए जातीय सर्वेक्षण से पता चला कि अन्य पिछड़ा वर्ग और उनके बीच अत्यंत पिछड़ा वर्ग राज्य की आबादी का 63% है, जिसमें ईबीसी 36% है जबकि ओबीसी 27.13% है. बिहार सरकार ने तर्क दिया था कि यह एक “सामाजिक सर्वेक्षण” था। राज्य सरकार के वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि सर्वेक्षण के आंकड़ों का इस्तेमाल कल्याणकारी उपायों को तैयार करने के लिए किया जाएगा।

जान लीजिए, अब उत्तरप्रदेश का प्रतापगढ़ बना मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन, UP में बदले गए तीन रेलवे स्टेशनों के नाम

 उत्तर प्रदेश के तीन रेलवे स्टेशनों के नाम बदल दिए गए हैं। प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन अब मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन, अंतू रेलवे स्टेशन अब से मां चंद्रिका देवी धाम अंतू और बिशनाथगंज को शनिदेव धाम बिशनाथगंज के नाम से जाना जाएगा। यहां के देवी-देवताओं के नाम इन तीन स्टेशनों के नाम में जोड़ दिए गए हैं। इन स्टेशनों की यात्रा करने वाले हैं तो जान लीजिए कि इन स्टेशनों का नाम बदल गया है। हालांकि, स्टेशन के नाम में और नाम जोड़ा गया है, पर कुछ भी हटाया नहीं गया है।

नए नाम के लिए नोटिफिकेशन जारी

 एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी के अनुसार केंद्रीय रेल मंत्रालय से पहले ही इन तीन रेलवे स्टशनों का नाम बदलने को लेकर मंजूरी मिल गई थी। रेलवे बोर्ड ने भी इसके लिए औपचारिक नोटिफिकेशन जारी किया है। अब प्रतापगढ़ जंक्शन, अंतू और बिशनाथगंज का नाम बदल गया है। इन तीनों स्टेशनों के नए नाम मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन, मां चंद्रिका देवी धाम अंतू और शनिदेव धाम बिशनाथगंज हैं।

प्रतापगढ़ के सांसद संगम लाल गुप्ता ने इन स्टेशनों के धार्मिक महत्व के आधार पर प्रतापगढ़ जंक्शन, अंतू और बिशनाथगंज रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के लिए केंद्रीय रेल मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा था। अब इन तीनों रेलवे स्टेशनों में वहां के देवी-देवताओं का नाम जोड़ दिया गया है।

कुंडा हरनामगंज का नाम बदलने का प्रस्ताव 

साल 2020 में कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि कुंडा हरनामगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर कृपालु महाराज के नाम कर देना चाहिए क्योंकि यह जगद्गुरु कृपालु महाराज का जन्मस्थान है। हालांकि, ये प्रस्ताव अभी तक मूंजर नहीं हुआ है। मंत्रालय में ये प्रस्ताव अभी विचाराधीन है।

5 राज्यों में चुनाव का खाका तैयार, जल्द होगा तारीखों का ऐलान, दिवाली के बाद हो सकते हैं मतदान

#election_commission_meeting_with_election_observers_of_5_states

इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग ने संभावित प्लान बनाकर तैयार कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 2 और राजस्थान, एमपी, मिजोरम और तेलंगाना में एक-एक चरण में मतदान संभव है। सूत्रों के मुताबिक नवंबर दूसरे हफ्ते से दिसंबर के पहले हफ्ते में अलग-अलग तारीखों और चरणों में इन राज्यों में मतदान हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक पांच राज्यों में चुनाव की तारीखें अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन वोटों की गिनती एक साथ होगी। इन सभी राज्यों में 15 दिसंबर से पहले मतगणना हो सकती है। 

बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने ये प्लान 5 राज्यों के दौरे के बाद तैयार किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की मुहर के बाद चुनाव कार्यक्रम को अंतिम मंजूरी दी जाएगी और फिर इसके बाद घोषणा की जाएगी। आज ऑब्जर्व्स की बैठक के बाद अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। 5 राज्यों के चुनावी ऑब्जर्वर के साथ आज चुनाव आयोग की दिल्ली में बैठक है। 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम के ऐलान से पहले चुनाव आयोग ने रणनीति को फाइनल करने के लिए आज अपने पर्यवेक्षकों की मीटिंग बुलाई है। चुनावी राज्यों में कैसे आदर्श आचार संहिता प्रभावी ढंग से लागू हो और धन-बाहुबल पर लगाम कसी जा सके, इस पर चर्चा की जा सकती है।

मिजोरम की विधानसभा का कार्यकाल इस साल 17 दिसंबर को खत्म हो रहा है। बीजेपी की सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) पूर्वोत्तर राज्य में सत्ता में है। तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल जनवरी में अलग-अलग तारीखों पर खत्म हो रहा है। तेलंगाना में के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सत्ता में है, जबकि मध्य प्रदेश में बीजेपी का शासन है। वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं।

चाचा या भतीजे किसकी होगी एनसीपी? पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के दावों को लेकर चुनाव आयोग करेगा सुनवाई

#election_commission_will_hear_over_ncp_name_and_symbol

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नाम और चुनाव चिह्न के दावों को लेकर शरद पवार और अजित पवार के गुट की ओर से डाली गई याचिका पर चुनाव आयोग आज सुनवाई करने वाला है।पार्टी में टूट की बात स्वीकार करते हुए चुनाव आयोग आज दोनों पक्षों की बात सुनेगा। इसके लिए दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को बुलाया गया है। एनसीपी के एक गुट का नेतृत्व शरद पवार और दूसरे का नेतृत्व अजित पवार कर रहे हैं। दोनों गुटों के बीच विवाद की शुरुआत जुलाई में हुई थी जब अजित ने पार्टी और उसके चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था।

इस पूरे विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब अजित पवार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए थे। इसी साल जुलाई की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी। अजित पवार ने 30 जून को निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था। उन्होंने पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिह्न पर भी दावा किया था। उन्होंने 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था।

भतीजे की इस चाल के खिलाफ चाचा शरद पवार ने चुनाव आयोग का रुख किया। अब दोनों गुटों को चुनाव आयोग के सामने अपना-अपना पक्ष रखना है। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने शरद पवार गुट के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अजित पवार गुट की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए और चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के प्रावधानों के तहत पार्टी का प्रतीक चिह्न भी आवंटित कर देना चाहिए।

चुनाव आयोग की सुनवाई से पहले शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान शरद पवार ने अपनी जीत का भरोसा जताया। 82 वर्षीय शरद पवार ने राकांपा की विस्तारित कार्य समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में अपनाए गए प्रस्ताव में कहा गया कि पूरी पार्टी शरद पवार के साथ है। पार्टी उनके मार्गदर्शन और दृष्टिकोण के तहत देश में भविष्य के चुनावों की तैयारी कर रही है।

संजय सिंह की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, आप सांसद के तीन करीबियों को ईडी का समन, आमने-सामने बैठाकर हो सकती है पूछताछ

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आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। दरअसल, संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद ईडी दिल्ली के शराब नीति घोटाले में शिकंजा कसती जा रही है। ईडी ने अब संजय सिंह के दो करीबियों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है।संजय सिंह के करीबी सर्वेश मिश्रा और विवेक त्यागी को तलब किया गया है। ताकी आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा सके। इसके अलावा शराब घोटाले में आरोपी दिनेश अरोड़ा के सहयोगी कंवरबीर सिंह को भी ईडी ने संजय सिंह के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया है।

ईडी ने सर्वेश मिश्रा और विवेक त्यागी को आज पूछताछ के लिए बुलाया है।माना जा रहा है कि ईडी सर्वेश मिश्रा और विवेक त्यागी को संजय सिंह के सामने बैठाकर पूछताछ कर सकती है।सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में ईडी सीडीआर और दूसरे आरोपियों के बयानों को संजय सिंह के सामने रखकर सवाल दागेगी। कुछ सवालों की वो लिस्ट जो ईडी ने संजय सिंह से पूछताछ के लिए तैयार की हुई है।

ईडी क्या सवाल पूछ सकती है?

प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से कुल मिलाकर 15 सवालों की लिस्ट तैयार की गई है। इन सवालों से संजय सिंह का आमना-सामना होने वाला हैः

1. दिनेश अरोड़ा से आपकी पहली मुलाकात कब और कहां हुई थी?

2. क्या आपके साथ दिनेश अरोड़ा और अमित अरोड़ा की कोई मीटिंग आपके सरकारी घर पर हुई थी?

3. अगर हुई थी तो ये मीटिंग कब हुई थी और क्यों हुई थी?

4. इस मीटिंग में और कौन कौन लोग शामिल थे?

5. सर्वेश मिश्रा कौन है? क्या आपका स्टाफ मेंबर है? आपके साथ कब से जुड़ा हुआ है?

6. क्या आपने दिनेश अरोड़ा को मनीष सिसोदिया से मिलवाया था?

7. क्या आपने रेस्त्रां मालिकों से पैसा इकट्ठा करने के लिए दिनेश अरोड़ा को कहा था? क्या आपके कहने पर 82 लाख रुपये का चेक दिया था?

8. अमित अरोड़ा की पीतमपुरा स्थित शराब की दुकान को ओखला ट्रांसफर कराने में आपकी की भूमिका थी? क्या आपने उसकी मदद की थी?

9. क्या दिनेश अरोड़ा ने आप तक 2 करोड़ रुपये पहुचाए थे. अगर पहुंचाया था क्यो दिया गया था?

10. क्या आपने अपने स्टाफ मेंबर सर्वेश मिश्रा को दिनेश अरोड़ा से 1 करोड़ रुपये लेने के लिए कहा था?

11. क्या ये पैसा आपके घर पर दिया गया था? जब पैसा दिया जा रहा था उस वक्त आप कहां थे?

12. क्या सर्वेश मिश्रा के दिनेश अरोड़ा से पैसा लेने की जानकारी आपको थी?

13. एक्साइज पॉलिसी की ड्राफ्टिंग में आपकी क्या भूमिका थी?

14. क्या आपने दिनेश और अमित अरोड़ा की अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात कराई थी?

आप को आरोपी बनाए जाने की तैयारी

वहीं, दूसरी तरफ ईडी आम आदमी पार्टी को आबकारी घोटाला केस में आरोपी बनाए जाने की कोशिश में हैं। इस बीच सर्वेश मिश्रा को समन भेजा जाने पार्टी के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। सर्वेश मिश्रा पार्टी के प्रवक्ता हैं और उन्हें संजय सिंह का करीबी माना जाता है।

बता दें कि संजय सिंह को बुधवार को गिरफ्तार किया गया, फिर दूसरे दिन गुरुवार को अदालत में उनकी पेशी हुई। संजय सिंह 10 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में रहेंगे।मामले में ईडी ने 10 दिन के हिरासत की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई के दौरान ईडी के समक्ष कई सवाल उठाए। राउज एवन्यू कोर्ट में विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल के समक्ष संजय सिंह को कड़ी सुरक्षा में पेश किया गया। ईडी ने संजय सिंह का 10 दिन का रिमांड मांगते हुए कहा कि वह मामले में पूरी तरह से लिप्त हैं।