चांद पर पहुंचकर केवल जानकारियां ही नहीं अरबों का बिजनेस देगा चंद्रयान 3, स्पेस इकॉनमी में आएगा बूम
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भविष्य में चांद पर लोगों को बसाने की भी प्लानिंग है। इससे पहले ये जानना जरूरी है कि चांद पर जीवन कितना संभव है। इस मिशन मून में हिंदुस्तान इतिहास रचने जा रहा है।चांद पर जाने की रेस में भारत उन चुनिंदा देशों में हो जाएगा जो चांद पर वो खोज कर सकते हैं, जिनसे आगे जाकर भारत चंद्रमा पर अपना बेस बनाने में कामयाब हो सके।चंद्रयान 3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग सिर्फ भारत की वैज्ञानिक दक्षता की ही सफलता नहीं होगी। इस मिशन की सफलता से बहुत कुछ जुड़ा है। यह विकसित भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस मिशन से कई तरह के मौके खुल जाएंगे। इन अवसरों से भारतीय अर्थव्यवस्था को दौड़ने के लिए बड़ी खुराक मिलेगी।
इस मिशन के साथ बड़ा आर्थिक पहलू भी जुड़ा हुआ है।दुनिया ने पहले ही अंतरिक्ष संबंधी प्रयासों से रोजमर्रा की जिंदगी में मिले फायदे देखे हैं जैसे कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जल पुनर्चक्रण के साथ स्वच्छ पेयजल तक पहुंच, स्टारलिंक द्वारा विश्वभर में इंटरनेट का प्रसार, सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियां आदि। स्पेस एक्स जैसी कई कंपनियां चांद तक के ट्रांसपोर्ट को बड़ा बिज़नस मान रही हैं। चंद्रयान के ज़रिए भारत उस बड़े बिज़नस में अपनी हिस्सेदारी के लिए तैयार है।
भारत के LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए
बीते दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ ने इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में अपना इंटरेस्ट दिखाया था। जेफ बेजोस अपनी स्पेस कंपनी ब्लू ओरिजिन में भारत के LVM3 का इस्तेमाल कॉमर्शियल और टूरिज्म पर्पज के लिए करना चाहते हैं। चंद्रयान-3 भारत के लिए भारी भरकम मून इकॉनोमी के दरवाजे खोलने वाला है।
अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में पिछले दशक में 91 प्रतिशत की वृद्धि
उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों और नौवहन के वैश्विक आंकड़ों की बढ़ती मांग के साथ कई रिपोर्टें दिखाती हैं कि दुनिया पहले ही अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि के चरण में है। ‘स्पेस फाउंडेशन’ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2023 की दूसरी तिमाही में 546 अरब डॉलर के मूल्य पर पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा पिछले दशक में इस मूल्य में 91 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है।
2025 तक 13 अरब डॉलर हो जाएगी भारत की स्पेस इकॉनमी
आंकड़ों के अनुसार, भारत की स्पेस इकॉनमी 2020 तक 9.6 अरब डॉलर की थी। 2025 तक इसके बढ़कर 13 अरब डॉलर हो जाने के आसार हैं। आज भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए भी खुला है। देश में 140 से ज्यादा स्पेस-टेक स्टार्टअप हैं। इनमें स्कायरूट, सैटश्योर, ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। ये ऐसी टेक्नोलॉजी बनाने पर काम कर रही हैं जिनका रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल है। ये कंपनियां सैटेलाइट आधारित फोन सिग्नल, ब्रॉडबैंड, ओटीटी से लेकर 5जी और सोलर फार्म तक में स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के मौके तलाश रही हैं।भारत के स्पेस सेक्टर में पैसा लगाने के लिए निवेशक लालायित हैं। स्पेस इंडस्ट्री में सरकार निजी सेक्टर का ज्यादा पार्टिसिपेशन चाहती है। इसी मंशा से उसने भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को मंजूरी दी है। यह निजी सेक्टर के लिए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को बढ़ाएगी।
चंद्रयान-3 की सफलता से बढ़ेगा निवेशकों का भरोसा
चंद्रयान-3 के सफल लॉन्च से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। वे भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में ज्यादा निवेश के लिए आकर्षित होंगे। एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर चंद्रयान-3 मिशन सफल हुआ तो यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। इससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। गूगल जैसी कंपनियां पहले से ही भारत के स्पेस-टेक स्टार्टअप में निवेश कर रही हैं। ताज्जुब नहीं करना चाहिए अगर चंद्रयान -3 मिशन की सफलता के बाद विदेशी कंपनियों की ओर से निवेश बढ़ जाए। इसके अलावा निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से नए स्टार्टअप, व्यवसाय और नौकरी के अवसर सामने आ सकते हैं। इससे आर्थिक विकास और इनोवेश को बढ़ावा मिलेगा।
Aug 22 2023, 13:37