मणिपुर में असम राइफल्स को लेकर क्यों बढ़ा विवाद? जानिए पूरा मामला
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मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा का दौर जारी है।हिंसा को काबू करने के लिए 40 हज़ार से अधिक सुरक्षाकर्मी लगाए जा चुके हैं। इनमें सेना से लेकर असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और आईटीबीपी के जवान और अधिकारी शामिल हैं।हालांकि, दो समुदायों के बीच जारी हिंसा के बीच राज्ये में पुलिस और असम राइफल्स में तनातनी शुरू हो गई है। मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स के खिलाफ FIR तक दर्ज कर दी है। मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स पर ऑपरेशन में बाधा डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है।
असम राइफल्स के खिलाफ FIR
असम राइफल्स के खिलाफ FIR 5 अगस्त को दर्ज की गई थी। मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स के सैनिकों के ख़िलाफ़ काम में बाधा डालने, चोट पहुँचाने की धमकी देने और ग़लत तरीक़े से रोकने की धाराओं के तहत एफ़आईआर दर्ज की है। असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के सुरक्षा कर्मियों के ख़िलाफ़ ये एफ़आईआर विष्णुपुर ज़िले के फोउगाकचाओ इखाई पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है। पुलिस ने आरोप लगाया था कि असम राइफल्स ने बिष्णुपुर जिले में क्वाक्टा गोथोल रोड पर पुलिस वाहनों को रोका। FIR में दावा किया गया है कि असम राइफल्स ने उसके कर्मियों को तब आगे बढ़ने से रोक दिया जब राज्य पुलिस क्वाक्टा से लगे फोलजांग रोड पर कुकी उग्रवादियों की तलाश में आर्म्स ऐक्ट मामले में तलाशी अभियान चलाने के लिए आगे बढ़ रही थी। पुलिस ने दावा किया कि उसके कर्मियों को 9 असम राइफल्स ने अपने ‘कैस्पर’ वाहन से सड़क अवरुद्ध करके उन्हें रोक दिया। कथित घटना तब हुई जब राज्य पुलिस संदिग्ध कुकी आतंकवादियों का पीछा कर रही थी, जिन्होंने तीन नागरिकों की हत्या कर दी थी।
भारतीय सेना ने किया असम राइफ़ल्स का बचाव
असम राइफ़ल्स की भूमिका पर उठते सवालों का भारतीय सेना ने खंडन किया है। सेना ने असम राइफल्स का बचाव करते हुए एक बयान जारी किया है। भारतीय सेना का कहना है कि "ज़मीनी हालात की जटिल प्रकृति की वजह से विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच सामरिक स्तर पर कभी-कभी मतभेद हो जाते हैं" जिनका निपटारा सयुंक्त तंत्र के ज़रिये तुरंत कर लिया जाता है। इस मामले को लेकर सेना का कहना है कि असम राइफ़ल्स हिंसा रोकने के लिए कुकी और मैतेई क्षेत्रों के बीच बनाये गए बफ़र ज़ोन को सुनिश्चित करने के लिए कमांड मुख्यालय द्वारा दिए गए कार्य को अंज़ाम दे रही थी।
असम राइफ़ल्स की भूमिका पर सवाल उठाने के हताश प्रयास
बयान में भारतीय सेना ने कहा कि कुछ विरोधी तत्वों ने तीन मई से मणिपुर में लोगों की जान बचाने और शांति बहाल करने की दिशा में लगातार काम कर रहे केंद्रीय सुरक्षा बलों विशेष रूप से असम राइफ़ल्स की भूमिका, इरादे और अखंडता पर सवाल उठाने के हताश और असफल प्रयास बार-बार किए हैं। भारतीय सेना ने कहा कि असम राइफ़ल्स को बदनाम करने के उद्देश्य से पिछले 24 घंटों में दो मामले सामने आए हैं। पहले मामले में असम राइफ़ल्स बटालियन ने दो समुदायों के बीच हिंसा को रोकने के उद्देश्य से बफ़र ज़ोन दिशानिर्देशों को सख़्ती से लागू करने के एकीकृत मुख्यालय के आदेश के अनुसार सख़्ती से काम किया है। दूसरा मामला असम राइफ़ल्स को एक ऐसे क्षेत्र से बाहर ले जाने का है, जिससे उनका कोई संबंध भी नहीं है।
असम राइफल्स से बीजेपी भी नाराज
सत्ताधारी पार्टी बीजेपी भी असम राइफल्स से नाराज नजर आ रही है। उसकी ओर से केंद्र को एक पत्र भी लिखा गया, जिसमें असम राइफल्स को हटाने की मांग की गई। बीजेपी ने कहा कि 3 मई को जब हिंसा भड़की, तब से अब तक असम राइफल्स उसे रोकने में नाकाम रही। उसने अशांति के माहौल में पक्षपातपूर्ण काम किया, ऐसे में उनको हटाकर किसी अन्य इलाके में तैनात किया जाए
क्या है मामला?
असम राइफ़ल्स के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में मणिपुर पुलिस ने कहा है कि पाँच अगस्त को सुबह साढ़े छह बजे राज्य पुलिस की टीमें क्वाक्ता वॉर्ड नंबर आठ के पास फोल्जांग रोड के इलाक़े में अभियुक्त कुकी विद्रोहियों का पता लगाने पहुँची। कुछ ही घंटे पहले दिन में क़रीब साढ़े तीन बजे क्वाक्ता में हथियारबंद अपराधियों ने सो रहे तीन मैतेई लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में दो लोग पिता-पुत्र थे। मणिपुर पुलिस को ये शक था कि इस हत्याकांड में कुकी विद्रोहियों का हाथ है और शायद वो अब भी उसी इलाक़े में शरण लिए हुए हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक़ जब उनकी टीमें इलाक़े में क़ुतुब वाली मस्जिद पहुंचीं तो असम राइफ़ल की 9वीं बटालियन के कर्मियों ने क्वाक्ता फोल्जांग रोड के बीच अपनी बख्तरबंद कैस्पर गाड़ियां लगाकर उन्हें आगे जाने से रोका और इसी वजह से कुकी आतंकियों को किसी सुरक्षित जगह भाग जाने का मौक़ा मिला।
पहली बार नहीं हुआ विवाद
मई की शुरुआत में हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में पुलिस और असम रायफल्स के बीच टकराव चर्चा का विषय रहा है। दोनों बलों के बीच पिछले टकराव के वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए थे।दो जून को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें देखा जा सकता था कि असम राइफ़ल्स की 37वीं बटालियन के कर्मियों ने पुलिस स्टेशन के मेन गेट पर एक बख़्तरबंद कैस्पर गाड़ी लगा कर उसका रास्ता रोक दिया था। इस घटना के वीडियो में भी मणिपुर पुलिस के जवानों को असम राइफ़ल्स के सुरक्षाकर्मियों से तीखी बहस करते देखा जा सकता है।
Aug 10 2023, 11:48