धीरे-धीरे चांद के करीब जा रहा चंद्रयान-3, सफलतापूर्वक दूसरी कक्षा में पहुंचा
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चंद्रयान-3 के साथ भारत ने एक बार फिर चांद की सतह पर पहुंचने की कोशिश शुरू की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया।भारत का महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 3 धीरे-धीरे कर चांद की तरफ बढ़ रहा है।भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान 3 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दूसरी कक्षा में प्रवेश कर लिया है। इसरो ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।
इसरो ने बताया कि चंद्रयान3 अब पृथ्वी से 41,603 किलोमीटर x226 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद है।यह धरती के चक्कर लगाते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलेगा। वहीं अगले चरण के लिए अगली फायरिंग कल दोपहर 2-3 बजे के बीच किए जाने की योजना है।कल यानी कि मंगलवार को चंद्रयान3 फिर से अगली कक्षा में प्रवेश करेगा।
चांद पर कब होगी सॉफ्ट लैंडिंग
बता दें कि इस मिशन की सबसे बड़ी चुनौती चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद पत्रकारों से कहा कि यान को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना बनाई गई है। सॉफ्ट लैंडिंग कराने की योजना 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर है और अगर यह संभव हो जाता है तो भारत अमेरिका, चीन और सोवियत यूनियन के बाद चांद पर यह कारनामा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और सोवियत यूनियन का मिशन सफल होने से उनका स्पेसक्राफ्ट कई बार क्रैश हुआ था। अब तक चीन एक मात्र ऐसा देश है जिसने चांग-3 मिशन 2013 के तहत अपने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की थी।
चंद्रयान-2 मिशन से कितना अलग?
चंद्रयान-2 में जहां ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर होंगे। चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से करीब 250 किलो ज्यादा वजनी है। चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ 7 साल (अनुमानित) थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं। करीब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह तक पहुंच जाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य
615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य वही है जो पिछले प्रोजेक्ट्स का था। चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जाएंगे। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना की भी स्टडी होगी।
Jul 17 2023, 19:02