/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1703422753132082.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1703422753132082.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1703422753132082.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1696693555832113.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:cji
सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील पर बड़ा एक्शन, बार एसोसिएशन मेंबरशिप, सुप्रीम कोर्ट में एंट्री भी बैन

#cjibrgavaiattackcaselawyerbarassociationmembership

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है। वकील राकेश किशोर की मेंबरशिप तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी।एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उनके टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री पास) भी निरस्त कर दिया है।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकील का व्यवहार पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है। यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।

बता दें कि राकेश ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। जूता सीजेआई तक नहीं पहुंच सका था। घटना के समय सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़कर बाहर किया। इस दौरान उसने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग

वहीं, गुरुवार को एक वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश पर हमले के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी। याचिका में यह भी कहा गया कि घटना के बाद भी राकेश किशोर ने मीडिया में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया और अपने कार्यों का बचाव किया।

घटना वाले दिन ही हुआ वकील का लाइसेंस रद्द

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि सुप्रीम अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था।

वकील राकेश ने कहा था- जो किया, उसका अफसोस नहीं

इस घटना के बाद आरोपी वकील राकेश ने 7 अक्टूबर को मीडिया से बात की और बताया कि वे भगवान विष्णु पर सीजेआई के बयान से आहत थे। इसी के कारण उनपर हमला करने की कोशिश की। वकील राकेश ने कहा, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। वकील ने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात

#advocaterakeshkishorewhoattackscjibrgavaidont_regret

सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।

सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा

वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।

नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र

राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।

“मुझे कोई पछतावा नहीं है”

एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।

चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश, आरोपी वकील ने लगाया- ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा

#lawyer_hurled_shoe_at_cji_br_gavai_in_supreme_court

सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई पर हमला करने की कोशिश की। सोमवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की। इस घटना के तुरंत पर वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मी एक्शन में आ गए और उसके अदालत कक्ष से बाहर निकाल दिया। इस घटना के बाद कुछ समय तक अदालत की कार्रवाई स्थगित रही। बाद में कार्रवाई सुचारु रूप से शुरू हो सकी।

जानकारी के मुताबिक, वकील भरी अदालत में ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा लगाने लगा और फिर सीजेआई गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की। आरोपी की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है। यह पूरी घटना सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में हुई। बाद में कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर निकाला। इससे कुछ देर के लिए कोर्ट की कार्यवाही बाधित रही।

सीजेआई गवई की प्रतिक्रिया आई सामने

यह घटना उस वक्त हुई जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी। बताया जा रहा है कि वकील राकेश किशोर जज के डाइस के करीब पहुंचा और जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीजेआई शांत बने रहे। बाद में उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

भगवान विष्णु की मूर्ति पर की थी टिप्पणी

माना जा रहा है कि यह घटना खजुराहो में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति से जुड़े एक पुराने मामले में सीजेआई की टिप्पणी को लेकर हुई है, टिप्पणी का कई हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया था। दरअसल, खजुराहो में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की एक शख्स की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा था कि, जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।

सीजेआई की टिप्पणी की जमकर हुई आलोचना

सितंबर में जस्टिस बीआर गवई की भगवान विष्णु की प्रतिमा के पुनर्निर्माण के मामले में टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई थी। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके विरोध की बाढ़ आ गई थी और कई लोगों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। जिसके बाद आलोचना के मद्देनजर सीजेआई ने कहा था कि वह 'सभी धर्मों' का सम्मान करते हैं।

स्वच्छता ही सेवा 2025 : 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत आज“एक दिन एक घन्टा एक साथ”विशेष कार्यक्रम के साथ 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ हुआ।महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने हरी झण्डी दिखाकर नगर निगम प्रयागराज की सुसज्जित सफाई वाहनो को रवाना किया और लगातार 156 घन्टे तक चलने वाले इस ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान की शुरुआत की।

अभियान की प्रमुख विशेषताएं।

नगर निगम की सभी गाड़ियो को विशेष सजावट के साथ रोस्टर के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया।156 घन्टे तक निरंतर सफाई कार्य चलाने हेतु नाला-नाली पार्क, सार्वजनिक स्थल GVP, CTU घाट शौचालय स्कूल- कॉलेज सड़क जलाशय सहित डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण एवं पृथक्करण की व्यापक व्यवस्था की गई।इस अवसर पर 3000 से अधिक नागरिकों ने स्वच्छता की शपथ लेकर अभियान में भागीदारी सुनिश्चित की।

नागवासुकी मंदिर परिसर में सामूहिक श्रमदान “एक दिन एक घंटा एक साथ” कार्यक्रम के तहत महापौर, पार्षदगण और नगर निगम की पूरी टीम ने नागवासुकी मंदिर पर भव्य श्रमदान किया।मंदिर परिसर को पूर्णतः कचरा-मुक्त किया गया।नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सफाई मित्रों की महत्ता और शहर को स्वच्छ रखने में जनभागीदारी का संदेश दिया गया।

महापौर का उद्बोधन

श्रमदान के पश्चात अपने सम्बोधन में उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने कहा-

> प्रयागराज की धरती हमेशा से जनसहभागिता और सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण रही है।आज हमने 156 घंटे के इस निरंतर सफाई अभियान की शुरुआत की है।यह केवल सफाई का नही बल्कि मानसिकता बदलने का संकल्प है। बापू के स्वच्छ भारत के सपने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के आदर्शों को साकार करने में हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। मैं हर नागरिक से आह्वान करता हूँ कि न केवल इन 156 घंटों के दौरान बल्कि हर दिन अपने आस-पास की स्वच्छता बनाए रखने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाएं।

महापौर ने अपने हाथों से रंगोली बनाकर स्वच्छता का संदेश भी दिया।विशेष उपस्थिति इस अवसर पर अपर नगर आयुक्त दीपेन्द्र कुमार यादव कर निर्धारण अधिकारी संजय ममगाई सभी जोनल अधिकारी स्वच्छता एवं खाद्य निरीक्षक नगर निगम प्रयागराज के अधिकारी कर्मचारी और बड़ी संख्या में सम्मानित नागरिक मौजूद रहे।नगर निगम प्रयागराज सभी नागरिकों से अपील करता है कि 2 अक्टूबर तक चलने वाले 156 घन्टे महासफाई अभियान में सक्रिय सहयोग दे और “स्वच्छ प्रयागराज स्वस्थ प्रयागराज”के संकल्प को साकार करे।

क्या आवारा कुत्तों पर बदल जाएगा सुप्रीम कोर्ट का आदेश? चीफ जस्टिस की टिप्पणी से मिल रहे संकेत

#willlookintothiscjionsupremecourtorderonstray_dogs

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नई बहस छिड़ गई है। कोर्ट ने 8 हफ्ते के अंदर शहर के सारे आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में डालने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डॉग लवर्स नाराज हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित जगहों पर रखने का मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) गवई के सामने भी उठाया गया है। इस मुद्दे पर सीजेआ ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर गौर करेंगे।

आवारा कुत्तों से जुड़े एक मामले को बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया। याचिका कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) नाम के एक संगठन की ओर से 2024 में दायर की गई थी। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियमों के अनुसार दिल्ली में आवारा कुत्तों के नसबंदी और टीकाकरण के निर्देश देने की मांग वाली उनकी जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था। आज जब यह याचिका सामने लाई गई तो कोर्ट ने कहा कि वह इस पर विचार करेगी।

एक वरिष्ठ वकील ने सीजेआई गवई के समक्ष इस मामले को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी। वकील ने इस मुद्दे पर अदालत के एक पुराने फैसले की तरफ ध्यान दिलाया। पिछले आदेश में बिना वजह कुत्तों को मारने पर रोक लगाई गई थी और सभी जीवों के प्रति करुणा बरतने की बात कही गई थी। इस पर सीजेआई गवई ने कहा, लेकिन दूसरी पीठ पहले ही आदेश दे चुकी है। मैं इस पर गौर करूंगा। वे न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से 11 अगस्त को दिल्ली में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के आदेश का जिक्र कर रहे थे।

वकील की दलील पप क्या बोले सीजेआई?

इसके बाद वकील ने न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से मई 2024 में पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत आवारा कुत्तों के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित कर दिया गया था। वकील ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ की ओर से पारित आदेश का का जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती। अधिकारियों को मौजूदा कानूनों और भावना के अनुसार कार्रवाई करनी होगी। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी जीवों के प्रति करुणा प्रदर्शित करना संवैधानिक मूल्य और जनभावना है। इसे बनाए रखना अधिकारियों का दायित्व है। तब मुख्य न्यायाधीश गवई ने जवाब दिया, 'मैं इस पर गौर करूंगा।'

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश?

दरअसल जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने से हो रहे रेबीज मामलों, खासकर बच्चों की मौत, को बेहद गंभीर बताते हुए सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द शेल्टर होम में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। अदालत ने शुरुआती चरण में 5,000 कुत्तों के लिए 6-8 हफ्तों में शेल्टर बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने इसके साथ ही डॉग लवर्स को चेतावनी दी कि इसमें बाधा डालने पर सख्त कार्रवाई होगी, यहां तक कि अवमानना की कार्यवाही भी हो सकती है।

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका सुनने को सुप्रीम कोर्ट बनाएगा स्पेशल बेंच, CJI गवई ने खुद को किया मामले से अलग

#justice_yashwant_varma_controversy_cji_br_gavai_recuses_himself

कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खुद को अलग कर लिया। जस्टिस वर्मा ने 'कैश-एट-रेजिडेंस' (घर से बड़ी मात्रा में नोट बरामद होने) मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने संबंधी याचिका की सुनवाई के लिए वह अलग से एक पीठ गठित कर देंगे। सीजेआई ने कहा कि नैतिक तौर पर यह सही नहीं है कि मामले की सुनवाई मेरे समक्ष हो।

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस बी आर गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं।चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे एक बेंच गठित करनी होगी।"

बता दें कि, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे सीनियर वकील सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना पैनल ने प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल लिए। इसके साथ ही पैनल पर पूर्वाग्रह के साथ काम करने और बिना पर्याप्त सबूतों के उन पर आरोप लगाने का आरोप लगाया गया।

सुप्रीम कोर्ट की ईडी को कड़ी फटकार, सीजेआई बोले-हमारा मुंह मत खुलवाइए, नहीं तो कठोर टिप्पणी करनी पड़ेगी

#supremecourtcjibrgavaiaskedwhyisedbeingusedforpolitical_battles

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ईडी को जमकर फटकार लगाई है। जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने ईडी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ बोलने पर मजबूर मत करो, वरना हमें कुछ कठोर कहना पड़ सकता है। ये टिप्पणी सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सोमवार को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट बोर्ड (MUDA) केस में ईडी की अपील की सुनवाई के दौरान की।

दरअसल, ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को MUDA केस में समन भेजा था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च में यह समन रद्द कर दिया था। ईडी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आखिर में ईडी की अपील खारिज कर दी और कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।

राजनीतिक लड़ाई में इस्तेमाल ना होने की चेतावनी

ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 'श्रीमान राजू, कृप्या हमें अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें। वर्ना हमें ईडी के खिलाफ कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। दुर्भाग्य से, मुझे महाराष्ट्र में इसे लेकर कुछ अनुभव है। इसे पूरे देश में मत फैलाइए। राजनीतिक लड़ाई को मतदाताओं के सामने लड़ने देना चाहिए, उसमें आप क्यों इस्तेमाल हो रहे हैं।

MUDA केस क्या है

साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।

क्या है MUDA मामला?

सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दी थी। जमीन को MUDA ने विकास के लिए अधिग्रहित किया, जिसके बदले पार्वती को विजयनगर तीसरे और चौथे चरण के लेआउट में 38,283 वर्ग फीट जमीन दी गई। आरोप है कि केसारे गांव की तुलना में जमीन की कीमत अधिक है। मामले को पहले निचली कोर्ट, फिर हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करेगी कांग्रेस? जानें जयराम रमेश ने क्या कहा

#congresssupportimpeachmentmotionagainstjusticeyashwant_verma

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार महाभियोग लाने की तैयारी में है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए संसद के मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुटी है। कांग्रेस लोकसभा और राज्यसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि मुख्य विपक्षी दल लोकसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगा।

न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव लाने की सत्तापक्ष की पहल के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, 'सरकार महाभियोग नहीं चला सकती। संविधान के अनुच्छेद 124 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रस्ताव सांसद ही लाते हैं। लोकसभा में 100 सांसद या राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए। हम समर्थन कर रहे हैं, हमारे सांसद लोकसभा में प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं और यह महाभियोग के लिए नहीं, बल्कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत अध्यक्ष द्वारा तीन सदस्यीय समिति गठित करने के लिए है।

जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए प्रस्ताव का समर्थ करेगी कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल लोकसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगा और उसके सांसद भी इस पर हस्ताक्षर करेंगे, क्योंकि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 'हमें ऐसा करने के लिए बाध्य' कर दिया है।

न्यायमूर्ति शेखर यादव पर भी कार्रवाई की मांग

कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस और दूसरे विपक्ष दल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव की संविधान विरोधी और सांप्रदायिक टिप्पणी के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगे और कार्रवाई की मांग करेंगे। उन्होंने आगे कहा, पिछले साल दिसंबर में 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संबंधी नोटिस दिया था, लेकिन इसके बाद से सभापति जगदीप धनखड़ ने कोई कदम नहीं उठाया है।

क्या है जस्टिस वर्मा का कैश कांड

जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे। 22 मार्च को सीजे आई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।

सुशासन तिहार : जशपुर जिले के दोकड़ा गांव पहुंचे सीएम साय, पीएम आवास के हितग्राहियों को सौंपी चाबी, बोर्ड टॉपर्स का किया सम्मान

रायपुर-  सुशासन तिहार के तीसरे चरण में प्रदेश के कोने-कोने में शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की वस्तुस्थिति जानने निकले प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का उड़नखटोला आज उनके गृह जिले जशपुर के दोकड़ा ग्राम में उतरा। यहाँ समाधान शिविर में उन्होंने सुशासन तिहार में प्राप्त आवेदनों पर की गई कार्यवाही और पीएम आवास सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद कर योजनाओं की हकीकत जानी। मुख्यमंत्री श्री साय ने आमनागरिको को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं आपके गाँव घर का बेटा हूँ। मेरा सौभाग्य है कि आपके आशीर्वाद से प्रदेश का मुख्यमंत्री बना। प्रदेश को विकास की राह में ले जाना मेरा संकल्प है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आगे कहा कि आपके आशीर्वाद से हमारी सरकार बनी है। विगत डेढ़ वर्ष में विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। सरकार बनते ही पहले केबिनेट में पीएम आवास के हितग्राहियों के लिए 18 लाख आवास की स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार आवास बन रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलासपुर में 3 लाख आवास के हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराया। अम्बिकापुर में केंद्रीय पंचायत मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 51 हजार हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनका मकान पक्का नहीं है उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। एसईसीसी और आवास प्लस के सर्वे में जिनका भी नाम है सभी का मकान बनेगा। प्रधानमंत्री ने पीएम आवास के लिए इस वर्ष बजट में बड़ी राशि का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमने किसानों से जो वादा किया था उसे पूरा किया। 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी, प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी, दो साल का बकाया बोनस की राशि भी दी। भूमिहीन कृषि मजदूरों को राशि देना शुरू किया है। महतारी वन्दन योजना से महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार की राशि देकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और महिला सशक्तिकरण का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि तेन्दूपत्ता के हितग्राहियों को लाभान्वित करने 4000 एकड़ प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक राशि को बढ़ाकर 5500 रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रामलला दर्शन योजना अंतर्गत अयोध्या में प्रभु राम के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रियों को भेजने के साथ ही अब मुख्यमंत्री तीर्थ योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना में हमारे प्रदेश के 60 वर्ष से अधिक कोई भी व्यक्ति देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में निःशुल्क जा पाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आगे कहा कि हमारी सरकार ने जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान बनाकर नामान्तरण की प्रक्रिया को भी सरल कर दिया है। अब नामान्तरण के लिए किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है। जमीन रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण हो जाएगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। अटल डिजिटल सेवा केंद्र के माध्यम से प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों में सेवाएं उपलब्ध होगी। किसानों को गाँव से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। अभी 24 अप्रैल को प्रदेश के 1460 ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सेवा केंद्र प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने स्वयं भी देखा है कि इस सेवा का लाभ आम जनमानस को मिल रहा है। इस अवसर पर पत्थलगांव की विधायक और सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष गोमती साय ने कहा कि यह सुशासन का साक्ष्य है, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार घर-घर पहुँच रही है। गाँव की समस्याओं को सुनकर दूर किया जा रहा है। केंद्र और राज्य की योजनाओं को जरूरतमंद तक पहुचाने के लिए सरकार लगी है। कलेक्टर रोहित व्यास ने जिले में सुशासन तिहार अंतर्गत प्राप्त आवेदनों के निराकरण की जानकारी देते हुए बताया कि एक लाख 32 हजार से अधिक प्राप्त आवेदनों में से एक लाख 28 हजार से अधिक आवेदनों का निराकरण किया गया है। जशपुर जिले में 54 क्लस्टर में शिविर का आयोजन किया जा रहा है। 97 प्रतिशत आवेदन का निराकरण कर लिया गया है। कलेक्टर ने बताया कि सुशासन तिहार में प्राप्त आवेदन के आधार पर हितग्राहियों को योजनाओं से भी लाभान्वित किया गया है। कुछ मांग शासन को स्वीकृति के लिए भेजी गई है। उन्होंने कहा कि समयबद्ध तरीके से हर आवेदन के निराकरण की कोशिश की गई। ग्राम दोकड़ा के समाधान शिविर में ग्राम पंचायतों के अंतर्गत 3258 आवेदन प्राप्त हुए थे। जिसमें से अधिकांश का निराकरण कर लिया गया है। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, संभागायुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा, आईजी दीपक झा, कलेक्टर रोहित व्यास, मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी सहित गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

कमी को नोटकर ठीक करने के दे रहे निर्देश

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मोदी की गारंटी को पूरा किया गया है। उन योजनाओं के तहत कार्य हुआ है या नहीं, इसे धरातल में जानने के लिए दौरा कर रहे हैं। आज जशपुर जिले के दोकड़ा आया हूँ, यह मेरा 21वां जिला है। मेरे अलावा मंत्री,सांसद,विधायक और मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारी भी समाधान शिविरों में जा रहे हैं। मैं आकस्मिक निरीक्षण के तहत प्रदेश के हर दूरस्थ अंचलों में पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ। पेड़ के नीचे चौपाल लगाकर लोगों की समस्याओं को सुन रहा हूँ। सभी जगह व्यवस्था ठीक है और जहाँ कोई कमी है उसे नोटकर अधिकारियों को कमी ठीक करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

दोकड़ा में कॉलेज,पीएचसी का उन्नयन, मिनी स्टेडियम सहित अन्य कार्यों की मुख्यमंत्री ने की घोषणा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ग्राम दोकड़ा को अपना गाँव घर बताया और यहाँ के लोगों को अपना। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों ने उन्हें 4 बार सांसद बनाया। मैनी नदी में पुल यहाँ के लोगों की प्रमुख मांग थी, जिसे पूरा कर दिया गया था। अभी जो माँग आई है उसे भी पूरा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने दोकड़ा में उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज खोलने की घोषणा की। उन्होंने यहाँ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उन्नयन करने, वनवासी कल्याण आश्रम, प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण का जीर्णाेद्धार, डोरियामुड़ा तालाब का सौंदर्यीकरण, पुराने मंगल भवन के जीर्णाेद्धार के लिए राशि 20 लाख देने और इस क्षेत्र के युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक मिनी स्टेडियम निर्माण की भी घोषणा भी की।

पीएम आवास की चाबी,समूह को चेक का किया वितरण मुख्यमंत्री ने किया हितग्राहियों से संवाद और सामग्री का वितरण

जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम दोकड़ा के समाधान शिविर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हितग्राहियों को अनेक सौगातें दी। उन्होंने पीएम आवास के हितग्राही बिकेश्वर राम, सुमेर सिंह से संवाद किया। पीएम आवास के हितग्राही सुमेर सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को अपने घर भी आमंत्रित किया। समाधान शिविर में राशनकार्ड प्राप्त करने वाले परमेश्वर राम, किसान क्रेडिट कार्ड के हितग्राही संजय शर्मा ने भी समस्या का समाधान के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने शिविर स्थल पर पीएम आवास के हितग्राहियों को चाबी सौंपी। खाद्य विभाग अंतर्गत राशनकार्ड, समाज कल्याण विभाग अंतर्गत पेंशन स्वीकृति पत्र, मत्स्य विभाग अंतर्गत जाल और आइस बॉक्स, कृषि विभाग अंतर्गत केसीसी कार्ड, महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत बैग एवं टिफिन बॉक्स, बॉटल, उद्यानिकी विभाग अंतर्गत किसानों को सब्जी बीज किट, मनरेगा अंतर्गत जॉब कार्ड स्वीकृति आदेश,स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत आयुषमान कार्ड, फ़ूड बॉक्स, एनआरएलएम अंतर्गत महिला समूह के सदस्यों को मुद्रा लोन का चेक और क्रिकेट खिलाड़ियों को क्रिकेट किट आदि का वितरण किया।

दसवीं-बोर्ड परीक्षा के टॉपर विद्यार्थियों का किया सम्मान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जशपुर जिले के विद्यालयों से पढ़ाई कर माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में टॉप कर जिले का राज्य स्तर पर नाम रोशन करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान किया। उन्होंने कक्षा 12 वी कक्षा में राज्य में पांचवा स्थान हासिल करने वाली नेहा एक्का और कक्षा दसवीं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले नमन खुटिया सहित अन्य विद्यार्थियों का सम्मान कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

बीआर गवई बने भारत के 52वें चीफ जस्टिस, शपथ लेने के बाद लिया मां का आशीर्वाद

#justicebrgavainext52th_cji

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में बुधवार को आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को शपथ दिलाई। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है जो कल मंगलवार को रिटायर हो गए। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पूर्व सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हुए। पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां के पैर छुए।

2019 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज

जस्टिस गवई को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले वो बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में जज के रूप में काम कर रहे थे। वह 6 महीने तक पद पर रहेंगे। उनका कार्यकाल इस साल 23 नवंबर तक होगा।

जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं। इस दौरान वह कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने। जानते है कुछ ऐसे ही फैसलों के बारः-

नोटबंदी पर फैसले

नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 में नोटबंदी करने का फैसला लिया था। सरकार ने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार के फैसले के खिलाफ देश के हाई कोर्टों में 50 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई का फैसला किया। 16 दिसंबर 2016 को यह मामला संविधान पीठ को सौंपा गया। इस पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। सुनवाई के बाद इस पीठ ने चार-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अल्पमत का फैसला दिया था। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी बताया था।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर फैसला

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। सरकार ने पूर्ण राज्य जम्मू कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संवैधानिक पीठ ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी। इस पीठ में तत्काली सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। इस संविधान पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को सर्वसम्मति से सुनाए अपने फैसले में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को कानून सम्मत बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला

जस्टिस गवई पांच जजों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इस पीठ ने 15 फरवरी 2024 को सुनाए अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाने वाले पीठ में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पादरवीला और जस्टिस मनोज मिश्र शामिल थे। इस पीठ ने बॉन्ड जारी करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वो अब तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए। अदालत ने चुनाव आयोग को इन जानकारियों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

आरक्षण में आरक्षण पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने दो अगस्त 2024 को सुनाए अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब-कैटेगरी को भी आरक्षण दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस संवैधानिक पीठ ने छह बनाम एक के मत से यह फैसला सुनाया था। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे। इसके अलावा इस बेंच में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्र, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल थे। जस्टिस बेला त्रिवेदी का फैसला बाकी के जजों से अलग था।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील पर बड़ा एक्शन, बार एसोसिएशन मेंबरशिप, सुप्रीम कोर्ट में एंट्री भी बैन

#cjibrgavaiattackcaselawyerbarassociationmembership

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है। वकील राकेश किशोर की मेंबरशिप तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी।एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उनके टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री पास) भी निरस्त कर दिया है।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकील का व्यवहार पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है। यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।

बता दें कि राकेश ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। जूता सीजेआई तक नहीं पहुंच सका था। घटना के समय सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़कर बाहर किया। इस दौरान उसने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग

वहीं, गुरुवार को एक वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश पर हमले के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी। याचिका में यह भी कहा गया कि घटना के बाद भी राकेश किशोर ने मीडिया में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया और अपने कार्यों का बचाव किया।

घटना वाले दिन ही हुआ वकील का लाइसेंस रद्द

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि सुप्रीम अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था।

वकील राकेश ने कहा था- जो किया, उसका अफसोस नहीं

इस घटना के बाद आरोपी वकील राकेश ने 7 अक्टूबर को मीडिया से बात की और बताया कि वे भगवान विष्णु पर सीजेआई के बयान से आहत थे। इसी के कारण उनपर हमला करने की कोशिश की। वकील राकेश ने कहा, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। वकील ने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात

#advocaterakeshkishorewhoattackscjibrgavaidont_regret

सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।

सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा

वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।

नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र

राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।

“मुझे कोई पछतावा नहीं है”

एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।

चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश, आरोपी वकील ने लगाया- ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा

#lawyer_hurled_shoe_at_cji_br_gavai_in_supreme_court

सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई पर हमला करने की कोशिश की। सोमवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की। इस घटना के तुरंत पर वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मी एक्शन में आ गए और उसके अदालत कक्ष से बाहर निकाल दिया। इस घटना के बाद कुछ समय तक अदालत की कार्रवाई स्थगित रही। बाद में कार्रवाई सुचारु रूप से शुरू हो सकी।

जानकारी के मुताबिक, वकील भरी अदालत में ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा लगाने लगा और फिर सीजेआई गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की। आरोपी की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है। यह पूरी घटना सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में हुई। बाद में कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर निकाला। इससे कुछ देर के लिए कोर्ट की कार्यवाही बाधित रही।

सीजेआई गवई की प्रतिक्रिया आई सामने

यह घटना उस वक्त हुई जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी। बताया जा रहा है कि वकील राकेश किशोर जज के डाइस के करीब पहुंचा और जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीजेआई शांत बने रहे। बाद में उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

भगवान विष्णु की मूर्ति पर की थी टिप्पणी

माना जा रहा है कि यह घटना खजुराहो में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति से जुड़े एक पुराने मामले में सीजेआई की टिप्पणी को लेकर हुई है, टिप्पणी का कई हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया था। दरअसल, खजुराहो में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की एक शख्स की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा था कि, जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।

सीजेआई की टिप्पणी की जमकर हुई आलोचना

सितंबर में जस्टिस बीआर गवई की भगवान विष्णु की प्रतिमा के पुनर्निर्माण के मामले में टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई थी। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके विरोध की बाढ़ आ गई थी और कई लोगों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। जिसके बाद आलोचना के मद्देनजर सीजेआई ने कहा था कि वह 'सभी धर्मों' का सम्मान करते हैं।

स्वच्छता ही सेवा 2025 : 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत आज“एक दिन एक घन्टा एक साथ”विशेष कार्यक्रम के साथ 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ हुआ।महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने हरी झण्डी दिखाकर नगर निगम प्रयागराज की सुसज्जित सफाई वाहनो को रवाना किया और लगातार 156 घन्टे तक चलने वाले इस ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान की शुरुआत की।

अभियान की प्रमुख विशेषताएं।

नगर निगम की सभी गाड़ियो को विशेष सजावट के साथ रोस्टर के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया।156 घन्टे तक निरंतर सफाई कार्य चलाने हेतु नाला-नाली पार्क, सार्वजनिक स्थल GVP, CTU घाट शौचालय स्कूल- कॉलेज सड़क जलाशय सहित डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण एवं पृथक्करण की व्यापक व्यवस्था की गई।इस अवसर पर 3000 से अधिक नागरिकों ने स्वच्छता की शपथ लेकर अभियान में भागीदारी सुनिश्चित की।

नागवासुकी मंदिर परिसर में सामूहिक श्रमदान “एक दिन एक घंटा एक साथ” कार्यक्रम के तहत महापौर, पार्षदगण और नगर निगम की पूरी टीम ने नागवासुकी मंदिर पर भव्य श्रमदान किया।मंदिर परिसर को पूर्णतः कचरा-मुक्त किया गया।नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सफाई मित्रों की महत्ता और शहर को स्वच्छ रखने में जनभागीदारी का संदेश दिया गया।

महापौर का उद्बोधन

श्रमदान के पश्चात अपने सम्बोधन में उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने कहा-

> प्रयागराज की धरती हमेशा से जनसहभागिता और सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण रही है।आज हमने 156 घंटे के इस निरंतर सफाई अभियान की शुरुआत की है।यह केवल सफाई का नही बल्कि मानसिकता बदलने का संकल्प है। बापू के स्वच्छ भारत के सपने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के आदर्शों को साकार करने में हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। मैं हर नागरिक से आह्वान करता हूँ कि न केवल इन 156 घंटों के दौरान बल्कि हर दिन अपने आस-पास की स्वच्छता बनाए रखने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाएं।

महापौर ने अपने हाथों से रंगोली बनाकर स्वच्छता का संदेश भी दिया।विशेष उपस्थिति इस अवसर पर अपर नगर आयुक्त दीपेन्द्र कुमार यादव कर निर्धारण अधिकारी संजय ममगाई सभी जोनल अधिकारी स्वच्छता एवं खाद्य निरीक्षक नगर निगम प्रयागराज के अधिकारी कर्मचारी और बड़ी संख्या में सम्मानित नागरिक मौजूद रहे।नगर निगम प्रयागराज सभी नागरिकों से अपील करता है कि 2 अक्टूबर तक चलने वाले 156 घन्टे महासफाई अभियान में सक्रिय सहयोग दे और “स्वच्छ प्रयागराज स्वस्थ प्रयागराज”के संकल्प को साकार करे।

क्या आवारा कुत्तों पर बदल जाएगा सुप्रीम कोर्ट का आदेश? चीफ जस्टिस की टिप्पणी से मिल रहे संकेत

#willlookintothiscjionsupremecourtorderonstray_dogs

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नई बहस छिड़ गई है। कोर्ट ने 8 हफ्ते के अंदर शहर के सारे आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में डालने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डॉग लवर्स नाराज हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित जगहों पर रखने का मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) गवई के सामने भी उठाया गया है। इस मुद्दे पर सीजेआ ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर गौर करेंगे।

आवारा कुत्तों से जुड़े एक मामले को बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया। याचिका कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) नाम के एक संगठन की ओर से 2024 में दायर की गई थी। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियमों के अनुसार दिल्ली में आवारा कुत्तों के नसबंदी और टीकाकरण के निर्देश देने की मांग वाली उनकी जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था। आज जब यह याचिका सामने लाई गई तो कोर्ट ने कहा कि वह इस पर विचार करेगी।

एक वरिष्ठ वकील ने सीजेआई गवई के समक्ष इस मामले को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी। वकील ने इस मुद्दे पर अदालत के एक पुराने फैसले की तरफ ध्यान दिलाया। पिछले आदेश में बिना वजह कुत्तों को मारने पर रोक लगाई गई थी और सभी जीवों के प्रति करुणा बरतने की बात कही गई थी। इस पर सीजेआई गवई ने कहा, लेकिन दूसरी पीठ पहले ही आदेश दे चुकी है। मैं इस पर गौर करूंगा। वे न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से 11 अगस्त को दिल्ली में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के आदेश का जिक्र कर रहे थे।

वकील की दलील पप क्या बोले सीजेआई?

इसके बाद वकील ने न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से मई 2024 में पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत आवारा कुत्तों के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित कर दिया गया था। वकील ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ की ओर से पारित आदेश का का जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती। अधिकारियों को मौजूदा कानूनों और भावना के अनुसार कार्रवाई करनी होगी। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी जीवों के प्रति करुणा प्रदर्शित करना संवैधानिक मूल्य और जनभावना है। इसे बनाए रखना अधिकारियों का दायित्व है। तब मुख्य न्यायाधीश गवई ने जवाब दिया, 'मैं इस पर गौर करूंगा।'

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश?

दरअसल जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने से हो रहे रेबीज मामलों, खासकर बच्चों की मौत, को बेहद गंभीर बताते हुए सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द शेल्टर होम में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। अदालत ने शुरुआती चरण में 5,000 कुत्तों के लिए 6-8 हफ्तों में शेल्टर बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने इसके साथ ही डॉग लवर्स को चेतावनी दी कि इसमें बाधा डालने पर सख्त कार्रवाई होगी, यहां तक कि अवमानना की कार्यवाही भी हो सकती है।

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका सुनने को सुप्रीम कोर्ट बनाएगा स्पेशल बेंच, CJI गवई ने खुद को किया मामले से अलग

#justice_yashwant_varma_controversy_cji_br_gavai_recuses_himself

कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खुद को अलग कर लिया। जस्टिस वर्मा ने 'कैश-एट-रेजिडेंस' (घर से बड़ी मात्रा में नोट बरामद होने) मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने संबंधी याचिका की सुनवाई के लिए वह अलग से एक पीठ गठित कर देंगे। सीजेआई ने कहा कि नैतिक तौर पर यह सही नहीं है कि मामले की सुनवाई मेरे समक्ष हो।

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस बी आर गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं।चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे एक बेंच गठित करनी होगी।"

बता दें कि, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे सीनियर वकील सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना पैनल ने प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल लिए। इसके साथ ही पैनल पर पूर्वाग्रह के साथ काम करने और बिना पर्याप्त सबूतों के उन पर आरोप लगाने का आरोप लगाया गया।

सुप्रीम कोर्ट की ईडी को कड़ी फटकार, सीजेआई बोले-हमारा मुंह मत खुलवाइए, नहीं तो कठोर टिप्पणी करनी पड़ेगी

#supremecourtcjibrgavaiaskedwhyisedbeingusedforpolitical_battles

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ईडी को जमकर फटकार लगाई है। जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने ईडी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ बोलने पर मजबूर मत करो, वरना हमें कुछ कठोर कहना पड़ सकता है। ये टिप्पणी सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सोमवार को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट बोर्ड (MUDA) केस में ईडी की अपील की सुनवाई के दौरान की।

दरअसल, ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को MUDA केस में समन भेजा था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च में यह समन रद्द कर दिया था। ईडी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आखिर में ईडी की अपील खारिज कर दी और कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।

राजनीतिक लड़ाई में इस्तेमाल ना होने की चेतावनी

ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 'श्रीमान राजू, कृप्या हमें अपना मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें। वर्ना हमें ईडी के खिलाफ कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। दुर्भाग्य से, मुझे महाराष्ट्र में इसे लेकर कुछ अनुभव है। इसे पूरे देश में मत फैलाइए। राजनीतिक लड़ाई को मतदाताओं के सामने लड़ने देना चाहिए, उसमें आप क्यों इस्तेमाल हो रहे हैं।

MUDA केस क्या है

साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।

क्या है MUDA मामला?

सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दी थी। जमीन को MUDA ने विकास के लिए अधिग्रहित किया, जिसके बदले पार्वती को विजयनगर तीसरे और चौथे चरण के लेआउट में 38,283 वर्ग फीट जमीन दी गई। आरोप है कि केसारे गांव की तुलना में जमीन की कीमत अधिक है। मामले को पहले निचली कोर्ट, फिर हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करेगी कांग्रेस? जानें जयराम रमेश ने क्या कहा

#congresssupportimpeachmentmotionagainstjusticeyashwant_verma

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार महाभियोग लाने की तैयारी में है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए संसद के मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुटी है। कांग्रेस लोकसभा और राज्यसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि मुख्य विपक्षी दल लोकसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगा।

न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव लाने की सत्तापक्ष की पहल के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, 'सरकार महाभियोग नहीं चला सकती। संविधान के अनुच्छेद 124 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रस्ताव सांसद ही लाते हैं। लोकसभा में 100 सांसद या राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए। हम समर्थन कर रहे हैं, हमारे सांसद लोकसभा में प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं और यह महाभियोग के लिए नहीं, बल्कि न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत अध्यक्ष द्वारा तीन सदस्यीय समिति गठित करने के लिए है।

जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए प्रस्ताव का समर्थ करेगी कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल लोकसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव का समर्थन करेगा और उसके सांसद भी इस पर हस्ताक्षर करेंगे, क्योंकि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 'हमें ऐसा करने के लिए बाध्य' कर दिया है।

न्यायमूर्ति शेखर यादव पर भी कार्रवाई की मांग

कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस और दूसरे विपक्ष दल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव की संविधान विरोधी और सांप्रदायिक टिप्पणी के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगे और कार्रवाई की मांग करेंगे। उन्होंने आगे कहा, पिछले साल दिसंबर में 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संबंधी नोटिस दिया था, लेकिन इसके बाद से सभापति जगदीप धनखड़ ने कोई कदम नहीं उठाया है।

क्या है जस्टिस वर्मा का कैश कांड

जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे। 22 मार्च को सीजे आई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।

सुशासन तिहार : जशपुर जिले के दोकड़ा गांव पहुंचे सीएम साय, पीएम आवास के हितग्राहियों को सौंपी चाबी, बोर्ड टॉपर्स का किया सम्मान

रायपुर-  सुशासन तिहार के तीसरे चरण में प्रदेश के कोने-कोने में शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की वस्तुस्थिति जानने निकले प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का उड़नखटोला आज उनके गृह जिले जशपुर के दोकड़ा ग्राम में उतरा। यहाँ समाधान शिविर में उन्होंने सुशासन तिहार में प्राप्त आवेदनों पर की गई कार्यवाही और पीएम आवास सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद कर योजनाओं की हकीकत जानी। मुख्यमंत्री श्री साय ने आमनागरिको को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं आपके गाँव घर का बेटा हूँ। मेरा सौभाग्य है कि आपके आशीर्वाद से प्रदेश का मुख्यमंत्री बना। प्रदेश को विकास की राह में ले जाना मेरा संकल्प है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आगे कहा कि आपके आशीर्वाद से हमारी सरकार बनी है। विगत डेढ़ वर्ष में विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। सरकार बनते ही पहले केबिनेट में पीएम आवास के हितग्राहियों के लिए 18 लाख आवास की स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगातार आवास बन रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलासपुर में 3 लाख आवास के हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराया। अम्बिकापुर में केंद्रीय पंचायत मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 51 हजार हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनका मकान पक्का नहीं है उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। एसईसीसी और आवास प्लस के सर्वे में जिनका भी नाम है सभी का मकान बनेगा। प्रधानमंत्री ने पीएम आवास के लिए इस वर्ष बजट में बड़ी राशि का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमने किसानों से जो वादा किया था उसे पूरा किया। 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी, प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी, दो साल का बकाया बोनस की राशि भी दी। भूमिहीन कृषि मजदूरों को राशि देना शुरू किया है। महतारी वन्दन योजना से महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार की राशि देकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और महिला सशक्तिकरण का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि तेन्दूपत्ता के हितग्राहियों को लाभान्वित करने 4000 एकड़ प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक राशि को बढ़ाकर 5500 रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रामलला दर्शन योजना अंतर्गत अयोध्या में प्रभु राम के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रियों को भेजने के साथ ही अब मुख्यमंत्री तीर्थ योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना में हमारे प्रदेश के 60 वर्ष से अधिक कोई भी व्यक्ति देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में निःशुल्क जा पाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आगे कहा कि हमारी सरकार ने जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान बनाकर नामान्तरण की प्रक्रिया को भी सरल कर दिया है। अब नामान्तरण के लिए किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है। जमीन रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण हो जाएगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। अटल डिजिटल सेवा केंद्र के माध्यम से प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों में सेवाएं उपलब्ध होगी। किसानों को गाँव से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। अभी 24 अप्रैल को प्रदेश के 1460 ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सेवा केंद्र प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने स्वयं भी देखा है कि इस सेवा का लाभ आम जनमानस को मिल रहा है। इस अवसर पर पत्थलगांव की विधायक और सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष गोमती साय ने कहा कि यह सुशासन का साक्ष्य है, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार घर-घर पहुँच रही है। गाँव की समस्याओं को सुनकर दूर किया जा रहा है। केंद्र और राज्य की योजनाओं को जरूरतमंद तक पहुचाने के लिए सरकार लगी है। कलेक्टर रोहित व्यास ने जिले में सुशासन तिहार अंतर्गत प्राप्त आवेदनों के निराकरण की जानकारी देते हुए बताया कि एक लाख 32 हजार से अधिक प्राप्त आवेदनों में से एक लाख 28 हजार से अधिक आवेदनों का निराकरण किया गया है। जशपुर जिले में 54 क्लस्टर में शिविर का आयोजन किया जा रहा है। 97 प्रतिशत आवेदन का निराकरण कर लिया गया है। कलेक्टर ने बताया कि सुशासन तिहार में प्राप्त आवेदन के आधार पर हितग्राहियों को योजनाओं से भी लाभान्वित किया गया है। कुछ मांग शासन को स्वीकृति के लिए भेजी गई है। उन्होंने कहा कि समयबद्ध तरीके से हर आवेदन के निराकरण की कोशिश की गई। ग्राम दोकड़ा के समाधान शिविर में ग्राम पंचायतों के अंतर्गत 3258 आवेदन प्राप्त हुए थे। जिसमें से अधिकांश का निराकरण कर लिया गया है। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, संभागायुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा, आईजी दीपक झा, कलेक्टर रोहित व्यास, मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी सहित गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

कमी को नोटकर ठीक करने के दे रहे निर्देश

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मोदी की गारंटी को पूरा किया गया है। उन योजनाओं के तहत कार्य हुआ है या नहीं, इसे धरातल में जानने के लिए दौरा कर रहे हैं। आज जशपुर जिले के दोकड़ा आया हूँ, यह मेरा 21वां जिला है। मेरे अलावा मंत्री,सांसद,विधायक और मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारी भी समाधान शिविरों में जा रहे हैं। मैं आकस्मिक निरीक्षण के तहत प्रदेश के हर दूरस्थ अंचलों में पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ। पेड़ के नीचे चौपाल लगाकर लोगों की समस्याओं को सुन रहा हूँ। सभी जगह व्यवस्था ठीक है और जहाँ कोई कमी है उसे नोटकर अधिकारियों को कमी ठीक करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

दोकड़ा में कॉलेज,पीएचसी का उन्नयन, मिनी स्टेडियम सहित अन्य कार्यों की मुख्यमंत्री ने की घोषणा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ग्राम दोकड़ा को अपना गाँव घर बताया और यहाँ के लोगों को अपना। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों ने उन्हें 4 बार सांसद बनाया। मैनी नदी में पुल यहाँ के लोगों की प्रमुख मांग थी, जिसे पूरा कर दिया गया था। अभी जो माँग आई है उसे भी पूरा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने दोकड़ा में उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज खोलने की घोषणा की। उन्होंने यहाँ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उन्नयन करने, वनवासी कल्याण आश्रम, प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण का जीर्णाेद्धार, डोरियामुड़ा तालाब का सौंदर्यीकरण, पुराने मंगल भवन के जीर्णाेद्धार के लिए राशि 20 लाख देने और इस क्षेत्र के युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक मिनी स्टेडियम निर्माण की भी घोषणा भी की।

पीएम आवास की चाबी,समूह को चेक का किया वितरण मुख्यमंत्री ने किया हितग्राहियों से संवाद और सामग्री का वितरण

जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम दोकड़ा के समाधान शिविर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हितग्राहियों को अनेक सौगातें दी। उन्होंने पीएम आवास के हितग्राही बिकेश्वर राम, सुमेर सिंह से संवाद किया। पीएम आवास के हितग्राही सुमेर सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री को अपने घर भी आमंत्रित किया। समाधान शिविर में राशनकार्ड प्राप्त करने वाले परमेश्वर राम, किसान क्रेडिट कार्ड के हितग्राही संजय शर्मा ने भी समस्या का समाधान के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने शिविर स्थल पर पीएम आवास के हितग्राहियों को चाबी सौंपी। खाद्य विभाग अंतर्गत राशनकार्ड, समाज कल्याण विभाग अंतर्गत पेंशन स्वीकृति पत्र, मत्स्य विभाग अंतर्गत जाल और आइस बॉक्स, कृषि विभाग अंतर्गत केसीसी कार्ड, महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत बैग एवं टिफिन बॉक्स, बॉटल, उद्यानिकी विभाग अंतर्गत किसानों को सब्जी बीज किट, मनरेगा अंतर्गत जॉब कार्ड स्वीकृति आदेश,स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत आयुषमान कार्ड, फ़ूड बॉक्स, एनआरएलएम अंतर्गत महिला समूह के सदस्यों को मुद्रा लोन का चेक और क्रिकेट खिलाड़ियों को क्रिकेट किट आदि का वितरण किया।

दसवीं-बोर्ड परीक्षा के टॉपर विद्यार्थियों का किया सम्मान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जशपुर जिले के विद्यालयों से पढ़ाई कर माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में टॉप कर जिले का राज्य स्तर पर नाम रोशन करने वाले विद्यार्थियों का सम्मान किया। उन्होंने कक्षा 12 वी कक्षा में राज्य में पांचवा स्थान हासिल करने वाली नेहा एक्का और कक्षा दसवीं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले नमन खुटिया सहित अन्य विद्यार्थियों का सम्मान कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

बीआर गवई बने भारत के 52वें चीफ जस्टिस, शपथ लेने के बाद लिया मां का आशीर्वाद

#justicebrgavainext52th_cji

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति भवन में बुधवार को आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को शपथ दिलाई। उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है जो कल मंगलवार को रिटायर हो गए। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पूर्व सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हुए। पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने अपनी मां के पैर छुए।

2019 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज

जस्टिस गवई को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले वो बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में जज के रूप में काम कर रहे थे। वह 6 महीने तक पद पर रहेंगे। उनका कार्यकाल इस साल 23 नवंबर तक होगा।

जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं। इस दौरान वह कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने। जानते है कुछ ऐसे ही फैसलों के बारः-

नोटबंदी पर फैसले

नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 में नोटबंदी करने का फैसला लिया था। सरकार ने पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार के फैसले के खिलाफ देश के हाई कोर्टों में 50 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई का फैसला किया। 16 दिसंबर 2016 को यह मामला संविधान पीठ को सौंपा गया। इस पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। सुनवाई के बाद इस पीठ ने चार-एक के बहुमत से फैसला सुनाते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अल्पमत का फैसला दिया था। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी बताया था।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर फैसला

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। सरकार ने पूर्ण राज्य जम्मू कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संवैधानिक पीठ ने इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी। इस पीठ में तत्काली सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। इस संविधान पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को सर्वसम्मति से सुनाए अपने फैसले में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को कानून सम्मत बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला

जस्टिस गवई पांच जजों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इस पीठ ने 15 फरवरी 2024 को सुनाए अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन बताया था।

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाने वाले पीठ में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पादरवीला और जस्टिस मनोज मिश्र शामिल थे। इस पीठ ने बॉन्ड जारी करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वो अब तक जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए। अदालत ने चुनाव आयोग को इन जानकारियों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

आरक्षण में आरक्षण पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ ने दो अगस्त 2024 को सुनाए अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब-कैटेगरी को भी आरक्षण दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस संवैधानिक पीठ ने छह बनाम एक के मत से यह फैसला सुनाया था। इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे। इसके अलावा इस बेंच में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्र, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल थे। जस्टिस बेला त्रिवेदी का फैसला बाकी के जजों से अलग था।