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जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई बीआर गवई ने सरकार से की सिफारिश

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भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई का रिटायरमेंट नजदीक है। इस कारण अगले सीजेआई के चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीजेआई गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया है। गवई अगले महीने 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं।

23 अक्टूबर से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू

केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ही नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और सीजेआई गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सुझाने का अनुरोध किया था। संविधान के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर’ से तय होती है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को, अगर वे उपयुक्त माने जाएं, मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।

कैसे होती है सीजेआई की नियुक्ति

परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से पद छोड़ने से लगभग 30 दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को 'पद धारण करने के लिए उपयुक्त' मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।

23 नवंबर को रिटायर हो रहे सीजेआई गवई

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे।न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख बनने की कतार में अगले स्थान पर हैं। नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे।

हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 मई 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया। साल 2000 में वह हरियाणा के महाधिवक्ता बने और साल 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। वह उसी साल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद वह साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

कई ऐतिहासिक फैसलों की कर चुके हैं सुनवाई

पिछले दो दशकों में अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण, लैंगिक समानता और अनुच्छेद 370 से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। वे उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (सिडिशन लॉ) को निलंबित किया था। उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची से बाहर किए गए नामों का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था और बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया था। जस्टिस सूर्यकांत उन पीठों में भी शामिल रहे हैं जिन्होंने पेगासस जासूसी मामले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक, और वन रैंक-वन पेंशन जैसे अहम मामलों की सुनवाई की थी।

सर्प संरक्षणकर्मी शिव खनाल सम्मानित

Parvathy Ananthanarayanan Mangala: Spreading Ancient Wisdom for Modern Living

In the sacred city of Ayodhya, where timeless wisdom meets modern aspiration, Parvathy Ananthanarayanan Mangala is crafting a unique literary legacy through her initiative, Ram SwaRajya Library. A writer, thinker, and believer in the transformative power of spirituality, Parvathy has dedicated herself to bridging the gap between ancient Indian values and contemporary life.Through her collection of short spiritual fiction books, written under the pen name Ram SwaRajya, she weaves stories that draw inspiration from Lord Rama’s ideals of truth, compassion, and righteousness. Each story — designed to be read in just 15 to 20 minutes — offers readers a spark of inspiration, reminding them that age-old wisdom still holds the key to peace and purpose in the 21st century.

The vision behind the Ram SwaRajya Library was born from Parvathy’s personal journey through emotional pain and resilience. Despite facing misunderstandings and life’s challenges, she chose not to surrender but to transform her experiences into meaningful stories that could uplift others walking similar paths. Her goal is simple yet profound: to make spirituality accessible and relevant to everyone, regardless of age or background.

Parvathy’s journey is one of courage and conviction. Leaving behind her home in Dombivli, Maharashtra, she moved to Ayodhya in July 2025, funding her dream entirely through personal savings, credit loans, and the generosity of a few well-wishers. In just 60 days, she wrote 11 books, two of which are already available on Amazon. Her dedication stands as a powerful example of what faith and determination can achieve.

Digital technology, including tools like WhatsApp, online publishing, and AI, played a vital role in turning her vision into reality—proving how tradition and technology can coexist harmoniously for a greater purpose.

Looking ahead, Parvathy envisions expanding the Ram SwaRajya Library to include 1,000 books that celebrate Indian culture, spirituality, and human values. Her mission is not just to write books but to build a global repository of wisdom that inspires readers to live more meaningful, compassionate lives.

In every sense, Parvathy’s work embodies the essence of humanity—using words as her instrument to heal, inspire, and elevate the collective consciousness of society.

Readers can visit this link to know about her initiative -

www.wiseom.co.in/2025/10/welcome-to-ram-swarajya-library-journey.html

*जगतगुरू राम भद्राचार्य बोले,CJI पर जूता फेकना गलत,चीफ जस्टिस भी अपनी मर्यादाओं से हटे,आई लव महादेव ट्रेंड की किया प्रशंसा*
सुल्तानपुर,जगतगुरू राम भद्राचार्य नौ दिवसीय बाल्मीकि रामायण कथा का प्रवचन करने सुल्तानपुर के बिजेथुआ महावीरन धाम पहुंचे हैं। शुक्रवार को यहां मीडिया से बात करते हुए CJI पर कोर्ट में जूते से हमले के प्रयास को गलत ठहराया। वही राम भद्राचार्य CJI पर भी टिप्पणी की। राम भद्राचार्य ने कहा, हमला नहीं होना चाहिए उन्होंने जो किया वो बहुत ग़लत है। उसके बाद वे कहते हैं, मैं पूरा केस जानता हूं। चीफ जस्टिस ने अपनी मर्यादाओं से हटकर ऐसा किया। आज तक बहुत से चीफ जस्टिस मैंने देखे आज तक इतना किसी ने नहीं किया था। यद्पि जूता फेकना ग़लत है लेकिन उनकी भी बात बहुत गलत है। वही आरक्षण के सवाल पर राम भद्राचार्य ने कहा मैं तो प्रारम्भ से कह रहा हूं जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के कदम की सराहना किया और अपील किया सभी स्वदेशी सामान अपनाए। आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर उन्होंने कहा आरएसएस ने बहुत अच्छा काम किया है, वो शताब्दी वर्ष मना रहे हैं हमने उनको वीडियो भेजा है। वही आई लव मोहम्मद के विरोध में आई लव महादेव ट्रेंड चलाने की राम भद्राचार्य ने प्रशंसा की है। उधर सवाल हुआ कि बिजेथुआ महोत्सव में अबकी बार प्रधानमंत्री आने वाले थे इस पर क्या कहेंगे तो जवाब में उन्होंने कहा हम लोग प्रयास कर रहे हैं। इस बार जरा हम जल्दी आ गए, इसलिए कि हनुमान जी ने सपना दिया,हमारी योजना में था किहम दो वर्ष बाद बाल्मीकि रामायण करे लेकिन हनुमान जी का मन था। बता दें कि यहां भव्य शोभा यात्रा और कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। बीते दो वर्षों से लगातार रामभद्रा चार्य यहां कथा के लिए पहुंच रहे हैं। कादीपुर के सूरापुर स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम के प्रांगण में सत्या माइक्रो फाइनेंस के सीईओ विवेक तिवारी के संयोजन और कादीपुर विधायक राजेश गौतम की अध्यक्षता में यहां कार्यक्रम कराया जा रहा है।Report/LalJi
सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील पर बड़ा एक्शन, बार एसोसिएशन मेंबरशिप, सुप्रीम कोर्ट में एंट्री भी बैन

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है। वकील राकेश किशोर की मेंबरशिप तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी।एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उनके टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री पास) भी निरस्त कर दिया है।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकील का व्यवहार पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है। यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।

बता दें कि राकेश ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। जूता सीजेआई तक नहीं पहुंच सका था। घटना के समय सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़कर बाहर किया। इस दौरान उसने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग

वहीं, गुरुवार को एक वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश पर हमले के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी। याचिका में यह भी कहा गया कि घटना के बाद भी राकेश किशोर ने मीडिया में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया और अपने कार्यों का बचाव किया।

घटना वाले दिन ही हुआ वकील का लाइसेंस रद्द

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि सुप्रीम अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था।

वकील राकेश ने कहा था- जो किया, उसका अफसोस नहीं

इस घटना के बाद आरोपी वकील राकेश ने 7 अक्टूबर को मीडिया से बात की और बताया कि वे भगवान विष्णु पर सीजेआई के बयान से आहत थे। इसी के कारण उनपर हमला करने की कोशिश की। वकील राकेश ने कहा, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। वकील ने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात

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सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।

सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा

वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।

नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र

राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।

“मुझे कोई पछतावा नहीं है”

एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।

चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश, आरोपी वकील ने लगाया- ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा

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सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई पर हमला करने की कोशिश की। सोमवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की। इस घटना के तुरंत पर वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मी एक्शन में आ गए और उसके अदालत कक्ष से बाहर निकाल दिया। इस घटना के बाद कुछ समय तक अदालत की कार्रवाई स्थगित रही। बाद में कार्रवाई सुचारु रूप से शुरू हो सकी।

जानकारी के मुताबिक, वकील भरी अदालत में ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा लगाने लगा और फिर सीजेआई गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की। आरोपी की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है। यह पूरी घटना सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में हुई। बाद में कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर निकाला। इससे कुछ देर के लिए कोर्ट की कार्यवाही बाधित रही।

सीजेआई गवई की प्रतिक्रिया आई सामने

यह घटना उस वक्त हुई जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी। बताया जा रहा है कि वकील राकेश किशोर जज के डाइस के करीब पहुंचा और जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीजेआई शांत बने रहे। बाद में उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

भगवान विष्णु की मूर्ति पर की थी टिप्पणी

माना जा रहा है कि यह घटना खजुराहो में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति से जुड़े एक पुराने मामले में सीजेआई की टिप्पणी को लेकर हुई है, टिप्पणी का कई हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया था। दरअसल, खजुराहो में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की एक शख्स की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा था कि, जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।

सीजेआई की टिप्पणी की जमकर हुई आलोचना

सितंबर में जस्टिस बीआर गवई की भगवान विष्णु की प्रतिमा के पुनर्निर्माण के मामले में टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई थी। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके विरोध की बाढ़ आ गई थी और कई लोगों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। जिसके बाद आलोचना के मद्देनजर सीजेआई ने कहा था कि वह 'सभी धर्मों' का सम्मान करते हैं।

स्वच्छता ही सेवा 2025 : 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत आज“एक दिन एक घन्टा एक साथ”विशेष कार्यक्रम के साथ 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ हुआ।महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने हरी झण्डी दिखाकर नगर निगम प्रयागराज की सुसज्जित सफाई वाहनो को रवाना किया और लगातार 156 घन्टे तक चलने वाले इस ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान की शुरुआत की।

अभियान की प्रमुख विशेषताएं।

नगर निगम की सभी गाड़ियो को विशेष सजावट के साथ रोस्टर के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया।156 घन्टे तक निरंतर सफाई कार्य चलाने हेतु नाला-नाली पार्क, सार्वजनिक स्थल GVP, CTU घाट शौचालय स्कूल- कॉलेज सड़क जलाशय सहित डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण एवं पृथक्करण की व्यापक व्यवस्था की गई।इस अवसर पर 3000 से अधिक नागरिकों ने स्वच्छता की शपथ लेकर अभियान में भागीदारी सुनिश्चित की।

नागवासुकी मंदिर परिसर में सामूहिक श्रमदान “एक दिन एक घंटा एक साथ” कार्यक्रम के तहत महापौर, पार्षदगण और नगर निगम की पूरी टीम ने नागवासुकी मंदिर पर भव्य श्रमदान किया।मंदिर परिसर को पूर्णतः कचरा-मुक्त किया गया।नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सफाई मित्रों की महत्ता और शहर को स्वच्छ रखने में जनभागीदारी का संदेश दिया गया।

महापौर का उद्बोधन

श्रमदान के पश्चात अपने सम्बोधन में उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने कहा-

> प्रयागराज की धरती हमेशा से जनसहभागिता और सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण रही है।आज हमने 156 घंटे के इस निरंतर सफाई अभियान की शुरुआत की है।यह केवल सफाई का नही बल्कि मानसिकता बदलने का संकल्प है। बापू के स्वच्छ भारत के सपने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के आदर्शों को साकार करने में हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। मैं हर नागरिक से आह्वान करता हूँ कि न केवल इन 156 घंटों के दौरान बल्कि हर दिन अपने आस-पास की स्वच्छता बनाए रखने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाएं।

महापौर ने अपने हाथों से रंगोली बनाकर स्वच्छता का संदेश भी दिया।विशेष उपस्थिति इस अवसर पर अपर नगर आयुक्त दीपेन्द्र कुमार यादव कर निर्धारण अधिकारी संजय ममगाई सभी जोनल अधिकारी स्वच्छता एवं खाद्य निरीक्षक नगर निगम प्रयागराज के अधिकारी कर्मचारी और बड़ी संख्या में सम्मानित नागरिक मौजूद रहे।नगर निगम प्रयागराज सभी नागरिकों से अपील करता है कि 2 अक्टूबर तक चलने वाले 156 घन्टे महासफाई अभियान में सक्रिय सहयोग दे और “स्वच्छ प्रयागराज स्वस्थ प्रयागराज”के संकल्प को साकार करे।

क्या आवारा कुत्तों पर बदल जाएगा सुप्रीम कोर्ट का आदेश? चीफ जस्टिस की टिप्पणी से मिल रहे संकेत

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दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नई बहस छिड़ गई है। कोर्ट ने 8 हफ्ते के अंदर शहर के सारे आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में डालने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डॉग लवर्स नाराज हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित जगहों पर रखने का मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) गवई के सामने भी उठाया गया है। इस मुद्दे पर सीजेआ ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर गौर करेंगे।

आवारा कुत्तों से जुड़े एक मामले को बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया। याचिका कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) नाम के एक संगठन की ओर से 2024 में दायर की गई थी। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियमों के अनुसार दिल्ली में आवारा कुत्तों के नसबंदी और टीकाकरण के निर्देश देने की मांग वाली उनकी जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था। आज जब यह याचिका सामने लाई गई तो कोर्ट ने कहा कि वह इस पर विचार करेगी।

एक वरिष्ठ वकील ने सीजेआई गवई के समक्ष इस मामले को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी। वकील ने इस मुद्दे पर अदालत के एक पुराने फैसले की तरफ ध्यान दिलाया। पिछले आदेश में बिना वजह कुत्तों को मारने पर रोक लगाई गई थी और सभी जीवों के प्रति करुणा बरतने की बात कही गई थी। इस पर सीजेआई गवई ने कहा, लेकिन दूसरी पीठ पहले ही आदेश दे चुकी है। मैं इस पर गौर करूंगा। वे न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से 11 अगस्त को दिल्ली में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के आदेश का जिक्र कर रहे थे।

वकील की दलील पप क्या बोले सीजेआई?

इसके बाद वकील ने न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से मई 2024 में पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत आवारा कुत्तों के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित कर दिया गया था। वकील ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ की ओर से पारित आदेश का का जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती। अधिकारियों को मौजूदा कानूनों और भावना के अनुसार कार्रवाई करनी होगी। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी जीवों के प्रति करुणा प्रदर्शित करना संवैधानिक मूल्य और जनभावना है। इसे बनाए रखना अधिकारियों का दायित्व है। तब मुख्य न्यायाधीश गवई ने जवाब दिया, 'मैं इस पर गौर करूंगा।'

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश?

दरअसल जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने से हो रहे रेबीज मामलों, खासकर बच्चों की मौत, को बेहद गंभीर बताते हुए सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द शेल्टर होम में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। अदालत ने शुरुआती चरण में 5,000 कुत्तों के लिए 6-8 हफ्तों में शेल्टर बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने इसके साथ ही डॉग लवर्स को चेतावनी दी कि इसमें बाधा डालने पर सख्त कार्रवाई होगी, यहां तक कि अवमानना की कार्यवाही भी हो सकती है।

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका सुनने को सुप्रीम कोर्ट बनाएगा स्पेशल बेंच, CJI गवई ने खुद को किया मामले से अलग

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कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खुद को अलग कर लिया। जस्टिस वर्मा ने 'कैश-एट-रेजिडेंस' (घर से बड़ी मात्रा में नोट बरामद होने) मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने संबंधी याचिका की सुनवाई के लिए वह अलग से एक पीठ गठित कर देंगे। सीजेआई ने कहा कि नैतिक तौर पर यह सही नहीं है कि मामले की सुनवाई मेरे समक्ष हो।

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस बी आर गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं।चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे एक बेंच गठित करनी होगी।"

बता दें कि, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे सीनियर वकील सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना पैनल ने प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल लिए। इसके साथ ही पैनल पर पूर्वाग्रह के साथ काम करने और बिना पर्याप्त सबूतों के उन पर आरोप लगाने का आरोप लगाया गया।

जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई बीआर गवई ने सरकार से की सिफारिश

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भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई का रिटायरमेंट नजदीक है। इस कारण अगले सीजेआई के चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीजेआई गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया है। गवई अगले महीने 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं।

23 अक्टूबर से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू

केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ही नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और सीजेआई गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सुझाने का अनुरोध किया था। संविधान के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर’ से तय होती है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को, अगर वे उपयुक्त माने जाएं, मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।

कैसे होती है सीजेआई की नियुक्ति

परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से पद छोड़ने से लगभग 30 दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को 'पद धारण करने के लिए उपयुक्त' मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।

23 नवंबर को रिटायर हो रहे सीजेआई गवई

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे।न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख बनने की कतार में अगले स्थान पर हैं। नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे।

हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 मई 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया। साल 2000 में वह हरियाणा के महाधिवक्ता बने और साल 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। वह उसी साल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद वह साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

कई ऐतिहासिक फैसलों की कर चुके हैं सुनवाई

पिछले दो दशकों में अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण, लैंगिक समानता और अनुच्छेद 370 से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। वे उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (सिडिशन लॉ) को निलंबित किया था। उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची से बाहर किए गए नामों का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था और बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया था। जस्टिस सूर्यकांत उन पीठों में भी शामिल रहे हैं जिन्होंने पेगासस जासूसी मामले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक, और वन रैंक-वन पेंशन जैसे अहम मामलों की सुनवाई की थी।

सर्प संरक्षणकर्मी शिव खनाल सम्मानित

Parvathy Ananthanarayanan Mangala: Spreading Ancient Wisdom for Modern Living

In the sacred city of Ayodhya, where timeless wisdom meets modern aspiration, Parvathy Ananthanarayanan Mangala is crafting a unique literary legacy through her initiative, Ram SwaRajya Library. A writer, thinker, and believer in the transformative power of spirituality, Parvathy has dedicated herself to bridging the gap between ancient Indian values and contemporary life.Through her collection of short spiritual fiction books, written under the pen name Ram SwaRajya, she weaves stories that draw inspiration from Lord Rama’s ideals of truth, compassion, and righteousness. Each story — designed to be read in just 15 to 20 minutes — offers readers a spark of inspiration, reminding them that age-old wisdom still holds the key to peace and purpose in the 21st century.

The vision behind the Ram SwaRajya Library was born from Parvathy’s personal journey through emotional pain and resilience. Despite facing misunderstandings and life’s challenges, she chose not to surrender but to transform her experiences into meaningful stories that could uplift others walking similar paths. Her goal is simple yet profound: to make spirituality accessible and relevant to everyone, regardless of age or background.

Parvathy’s journey is one of courage and conviction. Leaving behind her home in Dombivli, Maharashtra, she moved to Ayodhya in July 2025, funding her dream entirely through personal savings, credit loans, and the generosity of a few well-wishers. In just 60 days, she wrote 11 books, two of which are already available on Amazon. Her dedication stands as a powerful example of what faith and determination can achieve.

Digital technology, including tools like WhatsApp, online publishing, and AI, played a vital role in turning her vision into reality—proving how tradition and technology can coexist harmoniously for a greater purpose.

Looking ahead, Parvathy envisions expanding the Ram SwaRajya Library to include 1,000 books that celebrate Indian culture, spirituality, and human values. Her mission is not just to write books but to build a global repository of wisdom that inspires readers to live more meaningful, compassionate lives.

In every sense, Parvathy’s work embodies the essence of humanity—using words as her instrument to heal, inspire, and elevate the collective consciousness of society.

Readers can visit this link to know about her initiative -

www.wiseom.co.in/2025/10/welcome-to-ram-swarajya-library-journey.html

*जगतगुरू राम भद्राचार्य बोले,CJI पर जूता फेकना गलत,चीफ जस्टिस भी अपनी मर्यादाओं से हटे,आई लव महादेव ट्रेंड की किया प्रशंसा*
सुल्तानपुर,जगतगुरू राम भद्राचार्य नौ दिवसीय बाल्मीकि रामायण कथा का प्रवचन करने सुल्तानपुर के बिजेथुआ महावीरन धाम पहुंचे हैं। शुक्रवार को यहां मीडिया से बात करते हुए CJI पर कोर्ट में जूते से हमले के प्रयास को गलत ठहराया। वही राम भद्राचार्य CJI पर भी टिप्पणी की। राम भद्राचार्य ने कहा, हमला नहीं होना चाहिए उन्होंने जो किया वो बहुत ग़लत है। उसके बाद वे कहते हैं, मैं पूरा केस जानता हूं। चीफ जस्टिस ने अपनी मर्यादाओं से हटकर ऐसा किया। आज तक बहुत से चीफ जस्टिस मैंने देखे आज तक इतना किसी ने नहीं किया था। यद्पि जूता फेकना ग़लत है लेकिन उनकी भी बात बहुत गलत है। वही आरक्षण के सवाल पर राम भद्राचार्य ने कहा मैं तो प्रारम्भ से कह रहा हूं जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के कदम की सराहना किया और अपील किया सभी स्वदेशी सामान अपनाए। आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर उन्होंने कहा आरएसएस ने बहुत अच्छा काम किया है, वो शताब्दी वर्ष मना रहे हैं हमने उनको वीडियो भेजा है। वही आई लव मोहम्मद के विरोध में आई लव महादेव ट्रेंड चलाने की राम भद्राचार्य ने प्रशंसा की है। उधर सवाल हुआ कि बिजेथुआ महोत्सव में अबकी बार प्रधानमंत्री आने वाले थे इस पर क्या कहेंगे तो जवाब में उन्होंने कहा हम लोग प्रयास कर रहे हैं। इस बार जरा हम जल्दी आ गए, इसलिए कि हनुमान जी ने सपना दिया,हमारी योजना में था किहम दो वर्ष बाद बाल्मीकि रामायण करे लेकिन हनुमान जी का मन था। बता दें कि यहां भव्य शोभा यात्रा और कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। बीते दो वर्षों से लगातार रामभद्रा चार्य यहां कथा के लिए पहुंच रहे हैं। कादीपुर के सूरापुर स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम के प्रांगण में सत्या माइक्रो फाइनेंस के सीईओ विवेक तिवारी के संयोजन और कादीपुर विधायक राजेश गौतम की अध्यक्षता में यहां कार्यक्रम कराया जा रहा है।Report/LalJi
सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील पर बड़ा एक्शन, बार एसोसिएशन मेंबरशिप, सुप्रीम कोर्ट में एंट्री भी बैन

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है। वकील राकेश किशोर की मेंबरशिप तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी।एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उनके टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री पास) भी निरस्त कर दिया है।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकील का व्यवहार पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है। यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।

बता दें कि राकेश ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। जूता सीजेआई तक नहीं पहुंच सका था। घटना के समय सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़कर बाहर किया। इस दौरान उसने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग

वहीं, गुरुवार को एक वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश पर हमले के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी। याचिका में यह भी कहा गया कि घटना के बाद भी राकेश किशोर ने मीडिया में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया और अपने कार्यों का बचाव किया।

घटना वाले दिन ही हुआ वकील का लाइसेंस रद्द

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि सुप्रीम अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था।

वकील राकेश ने कहा था- जो किया, उसका अफसोस नहीं

इस घटना के बाद आरोपी वकील राकेश ने 7 अक्टूबर को मीडिया से बात की और बताया कि वे भगवान विष्णु पर सीजेआई के बयान से आहत थे। इसी के कारण उनपर हमला करने की कोशिश की। वकील राकेश ने कहा, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। वकील ने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात

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सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।

सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा

वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।

नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र

राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।

“मुझे कोई पछतावा नहीं है”

एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।

चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश, आरोपी वकील ने लगाया- ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा

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सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई पर हमला करने की कोशिश की। सोमवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की। इस घटना के तुरंत पर वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मी एक्शन में आ गए और उसके अदालत कक्ष से बाहर निकाल दिया। इस घटना के बाद कुछ समय तक अदालत की कार्रवाई स्थगित रही। बाद में कार्रवाई सुचारु रूप से शुरू हो सकी।

जानकारी के मुताबिक, वकील भरी अदालत में ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ का नारा लगाने लगा और फिर सीजेआई गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की। आरोपी की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है। यह पूरी घटना सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में हुई। बाद में कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर निकाला। इससे कुछ देर के लिए कोर्ट की कार्यवाही बाधित रही।

सीजेआई गवई की प्रतिक्रिया आई सामने

यह घटना उस वक्त हुई जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी। बताया जा रहा है कि वकील राकेश किशोर जज के डाइस के करीब पहुंचा और जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीजेआई शांत बने रहे। बाद में उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

भगवान विष्णु की मूर्ति पर की थी टिप्पणी

माना जा रहा है कि यह घटना खजुराहो में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति से जुड़े एक पुराने मामले में सीजेआई की टिप्पणी को लेकर हुई है, टिप्पणी का कई हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया था। दरअसल, खजुराहो में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति को पुनर्स्थापित करने की एक शख्स की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा था कि, जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।

सीजेआई की टिप्पणी की जमकर हुई आलोचना

सितंबर में जस्टिस बीआर गवई की भगवान विष्णु की प्रतिमा के पुनर्निर्माण के मामले में टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई थी। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके विरोध की बाढ़ आ गई थी और कई लोगों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी। जिसके बाद आलोचना के मद्देनजर सीजेआई ने कहा था कि वह 'सभी धर्मों' का सम्मान करते हैं।

स्वच्छता ही सेवा 2025 : 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत आज“एक दिन एक घन्टा एक साथ”विशेष कार्यक्रम के साथ 156 घन्टे महासफाई अभियान का भव्य शुभारम्भ हुआ।महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने हरी झण्डी दिखाकर नगर निगम प्रयागराज की सुसज्जित सफाई वाहनो को रवाना किया और लगातार 156 घन्टे तक चलने वाले इस ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान की शुरुआत की।

अभियान की प्रमुख विशेषताएं।

नगर निगम की सभी गाड़ियो को विशेष सजावट के साथ रोस्टर के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया।156 घन्टे तक निरंतर सफाई कार्य चलाने हेतु नाला-नाली पार्क, सार्वजनिक स्थल GVP, CTU घाट शौचालय स्कूल- कॉलेज सड़क जलाशय सहित डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण एवं पृथक्करण की व्यापक व्यवस्था की गई।इस अवसर पर 3000 से अधिक नागरिकों ने स्वच्छता की शपथ लेकर अभियान में भागीदारी सुनिश्चित की।

नागवासुकी मंदिर परिसर में सामूहिक श्रमदान “एक दिन एक घंटा एक साथ” कार्यक्रम के तहत महापौर, पार्षदगण और नगर निगम की पूरी टीम ने नागवासुकी मंदिर पर भव्य श्रमदान किया।मंदिर परिसर को पूर्णतः कचरा-मुक्त किया गया।नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सफाई मित्रों की महत्ता और शहर को स्वच्छ रखने में जनभागीदारी का संदेश दिया गया।

महापौर का उद्बोधन

श्रमदान के पश्चात अपने सम्बोधन में उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने कहा-

> प्रयागराज की धरती हमेशा से जनसहभागिता और सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण रही है।आज हमने 156 घंटे के इस निरंतर सफाई अभियान की शुरुआत की है।यह केवल सफाई का नही बल्कि मानसिकता बदलने का संकल्प है। बापू के स्वच्छ भारत के सपने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के आदर्शों को साकार करने में हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। मैं हर नागरिक से आह्वान करता हूँ कि न केवल इन 156 घंटों के दौरान बल्कि हर दिन अपने आस-पास की स्वच्छता बनाए रखने की आदत को जीवन का हिस्सा बनाएं।

महापौर ने अपने हाथों से रंगोली बनाकर स्वच्छता का संदेश भी दिया।विशेष उपस्थिति इस अवसर पर अपर नगर आयुक्त दीपेन्द्र कुमार यादव कर निर्धारण अधिकारी संजय ममगाई सभी जोनल अधिकारी स्वच्छता एवं खाद्य निरीक्षक नगर निगम प्रयागराज के अधिकारी कर्मचारी और बड़ी संख्या में सम्मानित नागरिक मौजूद रहे।नगर निगम प्रयागराज सभी नागरिकों से अपील करता है कि 2 अक्टूबर तक चलने वाले 156 घन्टे महासफाई अभियान में सक्रिय सहयोग दे और “स्वच्छ प्रयागराज स्वस्थ प्रयागराज”के संकल्प को साकार करे।

क्या आवारा कुत्तों पर बदल जाएगा सुप्रीम कोर्ट का आदेश? चीफ जस्टिस की टिप्पणी से मिल रहे संकेत

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दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नई बहस छिड़ गई है। कोर्ट ने 8 हफ्ते के अंदर शहर के सारे आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में डालने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डॉग लवर्स नाराज हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित जगहों पर रखने का मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) गवई के सामने भी उठाया गया है। इस मुद्दे पर सीजेआ ने अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर गौर करेंगे।

आवारा कुत्तों से जुड़े एक मामले को बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया। याचिका कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) नाम के एक संगठन की ओर से 2024 में दायर की गई थी। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियमों के अनुसार दिल्ली में आवारा कुत्तों के नसबंदी और टीकाकरण के निर्देश देने की मांग वाली उनकी जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था। आज जब यह याचिका सामने लाई गई तो कोर्ट ने कहा कि वह इस पर विचार करेगी।

एक वरिष्ठ वकील ने सीजेआई गवई के समक्ष इस मामले को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी। वकील ने इस मुद्दे पर अदालत के एक पुराने फैसले की तरफ ध्यान दिलाया। पिछले आदेश में बिना वजह कुत्तों को मारने पर रोक लगाई गई थी और सभी जीवों के प्रति करुणा बरतने की बात कही गई थी। इस पर सीजेआई गवई ने कहा, लेकिन दूसरी पीठ पहले ही आदेश दे चुकी है। मैं इस पर गौर करूंगा। वे न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से 11 अगस्त को दिल्ली में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के आदेश का जिक्र कर रहे थे।

वकील की दलील पप क्या बोले सीजेआई?

इसके बाद वकील ने न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से मई 2024 में पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत आवारा कुत्तों के मुद्दे से संबंधित याचिकाओं को संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित कर दिया गया था। वकील ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ की ओर से पारित आदेश का का जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती। अधिकारियों को मौजूदा कानूनों और भावना के अनुसार कार्रवाई करनी होगी। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी जीवों के प्रति करुणा प्रदर्शित करना संवैधानिक मूल्य और जनभावना है। इसे बनाए रखना अधिकारियों का दायित्व है। तब मुख्य न्यायाधीश गवई ने जवाब दिया, 'मैं इस पर गौर करूंगा।'

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया था आदेश?

दरअसल जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने से हो रहे रेबीज मामलों, खासकर बच्चों की मौत, को बेहद गंभीर बताते हुए सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द शेल्टर होम में शिफ्ट करने का आदेश दिया था। अदालत ने शुरुआती चरण में 5,000 कुत्तों के लिए 6-8 हफ्तों में शेल्टर बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने इसके साथ ही डॉग लवर्स को चेतावनी दी कि इसमें बाधा डालने पर सख्त कार्रवाई होगी, यहां तक कि अवमानना की कार्यवाही भी हो सकती है।

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका सुनने को सुप्रीम कोर्ट बनाएगा स्पेशल बेंच, CJI गवई ने खुद को किया मामले से अलग

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कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खुद को अलग कर लिया। जस्टिस वर्मा ने 'कैश-एट-रेजिडेंस' (घर से बड़ी मात्रा में नोट बरामद होने) मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने संबंधी याचिका की सुनवाई के लिए वह अलग से एक पीठ गठित कर देंगे। सीजेआई ने कहा कि नैतिक तौर पर यह सही नहीं है कि मामले की सुनवाई मेरे समक्ष हो।

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। यह याचिका एक इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद करने के लिए दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे तुरंत सुनने की अपील की है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया। उन्होंने चीफ जस्टिस बी आर गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ अहम संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं।चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे एक बेंच गठित करनी होगी।"

बता दें कि, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे सीनियर वकील सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना पैनल ने प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल लिए। इसके साथ ही पैनल पर पूर्वाग्रह के साथ काम करने और बिना पर्याप्त सबूतों के उन पर आरोप लगाने का आरोप लगाया गया।