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भारत के 53वें सीजेआई बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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जस्टिस सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई भूषण आर. गवई के उत्तराधिकारी बने हैं। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।

राष्ट्रपति ने सीजेआई गवई की सिफारिश के बाद 'संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (2) से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए' जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। जस्टिस गवई ने रविवार को 65 साल की उम्र में सीजेआई का पद छोड़ दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को अपना उत्तराधिकारी बनाने की परंपरा को बनाए रखा।

9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल 23 नवंबर, 2025 को समाप्त हो गया। वह साढ़े छह महीनों के लिए इस पद पर रहे। जस्टिस सूर्यकांत का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल करीब डेढ़ साल का होगा। वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे।

हरियाणा के गांव से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

सीजेआई सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी लॉ यात्रा शुरू की। सीजेआई सूर्यकांत ने 1981 में हिसार के गवर्मेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन की और फिर 1984 में लॉ में बेचलर की डिग्री ली। उन्होंने 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1984 में हिसार में ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी और 1985 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। साल 2000 में वह हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। साल 2011 में सीजेआई सूर्यकांत ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया, जिसे उन्होंने डिस्टिंक्शन के साथ 'फर्स्ट क्लास फर्स्ट' से पास किया। वह 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए और इसके बाद 2019 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज अपॉइंट किए गए।

महत्वपूर्ण मामले

1. चुनाव आयोग को बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।

2. उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था।

3. ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) को संविधानिक रूप से वैध माना और भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसरों का समर्थन किया।

4. जस्टिस कांत उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने असम से संबंधित नागरिकता के मुद्दों पर धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा था।

5. जस्टिस कांत दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाली पीठ के सदस्य थे। हालांकि, उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को जायज ठहराया था।

जस्टिस सूर्यकांत का शपथ ग्रहण होगा ऐतिहासिक, 6 देशों के जज होंगे शामिल

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सोमवार यानी 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के नए और 53वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। राष्ट्रपति भवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया के सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल होंगे। पहली बार ऐसा हो रहा कि राष्ट्रपति भवन में नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के शपथग्रहण के दौरान 6 देशों के चीफ जस्टिस, जज और उनके परिजन उपस्थित रहेंगे

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भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहला मौका

बार एंड बेंच की रिपोर्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत के शपथग्रहण समारोह में इस बार 6 देशों के एक दर्जन से ज्यादा जज और चीफ जस्टिस मौजूद रहेंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत के प्रधान न्यायाधीश के शपथग्रहण समारोह में न्यायपालिका से जुड़ा इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल उपस्थित रहेगा।

जस्टिस कांत के शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन शामिल होंगे?

डेलीगेशन में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका से चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के जज और उनके साथ आए परिवार के सदस्य शामिल होंगे। यहां देखिए पूरी लिस्ट

1. भूटान

• जस्टिस ल्योनपो नोरबू शेरिंग, भूटान के चीफ जस्टिस

• ल्हाडेन लोटे, भूटान के चीफ जस्टिस की पत्नी

2. केन्या

• जस्टिस मार्था कूमे, केन्या के सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस और प्रेसिडेंट

• जस्टिस सुसान न्जोकी न्दुंगु, केन्या के सुप्रीम कोर्ट की जज

3. मलेशिया

• जस्टिस टैन श्री दातुक नलिनी पथमनाथन, मलेशिया के फेडरल कोर्ट की जज

• पशुपति शिवप्रगसम, मलेशिया के फेडरल कोर्ट के जज की पत्नी

4. मॉरिशस

• जस्टिस बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल, मॉरिशस की चीफ जस्टिस

• रेबेका हन्ना बीबी गुलबुल, मॉरिशस के चीफ जस्टिस की बेटी

5. नेपाल

• जस्टिस प्रकाश मान सिंह राउत, नेपाल के चीफ जस्टिस

• जस्टिस सपना प्रधान मल्ला, जज, सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ नेपाल

• अशोक बहादुर मल्ला, जस्टिस सपना प्रधान मल्ला के पति

• अनिल कुमार सिन्हा, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और अभी नेपाल सरकार में कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री;

• उर्सिला सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा की पत्नी।

6. श्रीलंका

• जस्टिस पी पद्मन सुरसेना, श्रीलंका के चीफ जस्टिस

• सेपालिका सुरसेना, श्रीलंका के चीफ जस्टिस की पत्नी

• जस्टिस एस. थुरैराजा, PC, जज, श्रीलंका- सुप्रीम कोर्ट

• शशिकला थुरैराजा, जस्टिस एस. थुरैराजा की पत्नी

• जस्टिस अहमद नवाज़, जज, सुप्रीम कोर्ट ऑफ श्रीलंका

• रिज़ान मोहम्मद धलिप नवाज़, जस्टिस अहमद नवाज़ की पत्नी

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

जस्टिस सूर्यकांत सीजेआई बीआर गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं और उन्हें देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में नामित किया गया है। 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था। इससे पहले वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। जस्टिस सूर्यकांत 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएट हुए। 1984 में उन्होंने रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली। इसके तुरंत बाद ही उन्होंने हिसार जिला अदालत से ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी।

जस्टिस सूर्यकांत के अहम फैसले

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है। जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में SIR से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए

बौद्ध धर्म मानने वाला हूं लेकिन सभी धर्मों में विश्वास, सुप्रीम कोर्ट में अपने आखिरी दिन बोले सीजेआई गवई

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने गुरुवार को एक फेयरवेल प्रोग्राम में कहा, मैं बौद्ध धर्म को मानने वाला हूं, लेकिन वास्तव में एक सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) व्यक्ति हूं। हिंदू, सिख, इस्लाम समेत सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं।उन्होंने अपने पिता से ये चीजें सीखी हैं, जो खुद एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी थे।

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मैं धर्मनिरपेक्ष हूं-सीजेआई

सीजेआई सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोल रहे थे। सीजेआई गवई 23 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी कार्यदिवस होगा। इसी दौरान एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, बौद्ध पृष्ठभूमि के बावजूद मैं धर्मनिरपेक्ष हूं और सभी धर्मों हिंदू, सिख, इस्लाम और ईसाई धर्म में विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा-मैं बौद्ध धर्म का पालन करता हूं, लेकिन किसी भी धार्मिक अध्ययन में मेरी गहरी रुचि नहीं है। मैं सचमुच धर्मनिरपेक्ष हूं और हिंदू, सिख, इस्लाम और ईसाई धर्म... हर चीज में विश्वास करता हूं।

सभी धर्मों का सम्मान करते हुए बड़ा हुआ-सीजेआई

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने सीजेआई बी आर गवई के रिटायरमेंट से पहले फेयरवेल का आयोजन किया था, जहां उन्होंने ये बातें कहीं। सीजेआई बी आर गवई ने कहा, मेरे पिता भी धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे। वह डॉ. भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी थे और मैंने बचपन में हमेशा देखा है कि जब भी वह राजनीतिक कार्यक्रमों में जाते थे और उनके दोस्त उनसे कहते थे- सर यहां चलो, यहां बहुत प्रसिद्ध दरगाह है, यहां का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। तो मैं इस तरह सभी धर्मों का सम्मान करते हुए बड़ा हुआ हूं।

रविवार को पूरा हो रहा कार्यकाल

चीफ जस्टिस बीआर गवई का आज आखिरी वर्किंग डे है। हालांकि, उनका कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को पूरा हो रहा है। यानी कि सीजेआई सुप्रीम कोर्ट से रविवार को रिटायर होंगे। चूंकि कोर्ट शनिवार और रविवार को बंद रहता तो आज उनका आखिरी वर्किंग डे रहेगा। इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट परिसर में उनके फेयरवेल का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

झारखंड का रजत पर्व: मोरहाबादी में भव्य समारोह, ₹8,799 करोड़ की 1087 योजनाओं की सौगात

रांची: देश के मानचित्र पर 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया झारखंड राज्य आज अपने स्थापना के रजत जयंती वर्ष (25वीं वर्षगांठ) का भव्य समारोह मना रहा है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में दो दिवसीय राज्यस्तरीय महोत्सव का पहला दिन उत्साह और भव्यता के साथ आयोजित किया गया।

₹8,799 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास

समारोह के मुख्य आकर्षण में राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की उपस्थिति में राज्य की जनता को ₹8,799 करोड़ की कुल 1087 योजनाओं की सौगात दी गई।

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शिलान्यास: ₹4,475 करोड़ की 209 नई योजनाओं का शिलान्यास किया गया।

उद्घाटन: ₹4,324 करोड़ की 878 योजनाओं का उद्घाटन किया गया।

उद्घाटित प्रमुख योजनाओं में विधानसभा सदस्यों के लिए कोर कैपिटल एरिया में आवासीय परिसर, देवघर और लोहरदगा में नए समाहरणालय भवन, गिरिडीह नगर पालिका भवन और सिमडेगा में नए अंतरराष्ट्रीय स्ट्रैटर्फ हॉकी स्टेडियम शामिल हैं।

जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई बीआर गवई ने सरकार से की सिफारिश

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भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई का रिटायरमेंट नजदीक है। इस कारण अगले सीजेआई के चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीजेआई गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया है। गवई अगले महीने 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं।

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23 अक्टूबर से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू

केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ही नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और सीजेआई गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सुझाने का अनुरोध किया था। संविधान के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर’ से तय होती है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को, अगर वे उपयुक्त माने जाएं, मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।

कैसे होती है सीजेआई की नियुक्ति

परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से पद छोड़ने से लगभग 30 दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को 'पद धारण करने के लिए उपयुक्त' मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।

23 नवंबर को रिटायर हो रहे सीजेआई गवई

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे।न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख बनने की कतार में अगले स्थान पर हैं। नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे।

हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 मई 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया। साल 2000 में वह हरियाणा के महाधिवक्ता बने और साल 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। वह उसी साल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद वह साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

कई ऐतिहासिक फैसलों की कर चुके हैं सुनवाई

पिछले दो दशकों में अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण, लैंगिक समानता और अनुच्छेद 370 से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। वे उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (सिडिशन लॉ) को निलंबित किया था। उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची से बाहर किए गए नामों का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था और बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया था। जस्टिस सूर्यकांत उन पीठों में भी शामिल रहे हैं जिन्होंने पेगासस जासूसी मामले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक, और वन रैंक-वन पेंशन जैसे अहम मामलों की सुनवाई की थी।

सर्प संरक्षणकर्मी शिव खनाल सम्मानित

Parvathy Ananthanarayanan Mangala: Spreading Ancient Wisdom for Modern Living

In the sacred city of Ayodhya, where timeless wisdom meets modern aspiration, Parvathy Ananthanarayanan Mangala is crafting a unique literary legacy through her initiative, Ram SwaRajya Library. A writer, thinker, and believer in the transformative power of spirituality, Parvathy has dedicated herself to bridging the gap between ancient Indian values and contemporary life.Through her collection of short spiritual fiction books, written under the pen name Ram SwaRajya, she weaves stories that draw inspiration from Lord Rama’s ideals of truth, compassion, and righteousness. Each story — designed to be read in just 15 to 20 minutes — offers readers a spark of inspiration, reminding them that age-old wisdom still holds the key to peace and purpose in the 21st century.

The vision behind the Ram SwaRajya Library was born from Parvathy’s personal journey through emotional pain and resilience. Despite facing misunderstandings and life’s challenges, she chose not to surrender but to transform her experiences into meaningful stories that could uplift others walking similar paths. Her goal is simple yet profound: to make spirituality accessible and relevant to everyone, regardless of age or background.

Parvathy’s journey is one of courage and conviction. Leaving behind her home in Dombivli, Maharashtra, she moved to Ayodhya in July 2025, funding her dream entirely through personal savings, credit loans, and the generosity of a few well-wishers. In just 60 days, she wrote 11 books, two of which are already available on Amazon. Her dedication stands as a powerful example of what faith and determination can achieve.

Digital technology, including tools like WhatsApp, online publishing, and AI, played a vital role in turning her vision into reality—proving how tradition and technology can coexist harmoniously for a greater purpose.

Looking ahead, Parvathy envisions expanding the Ram SwaRajya Library to include 1,000 books that celebrate Indian culture, spirituality, and human values. Her mission is not just to write books but to build a global repository of wisdom that inspires readers to live more meaningful, compassionate lives.

In every sense, Parvathy’s work embodies the essence of humanity—using words as her instrument to heal, inspire, and elevate the collective consciousness of society.

Readers can visit this link to know about her initiative -

www.wiseom.co.in/2025/10/welcome-to-ram-swarajya-library-journey.html

*जगतगुरू राम भद्राचार्य बोले,CJI पर जूता फेकना गलत,चीफ जस्टिस भी अपनी मर्यादाओं से हटे,आई लव महादेव ट्रेंड की किया प्रशंसा*
सुल्तानपुर,जगतगुरू राम भद्राचार्य नौ दिवसीय बाल्मीकि रामायण कथा का प्रवचन करने सुल्तानपुर के बिजेथुआ महावीरन धाम पहुंचे हैं। शुक्रवार को यहां मीडिया से बात करते हुए CJI पर कोर्ट में जूते से हमले के प्रयास को गलत ठहराया। वही राम भद्राचार्य CJI पर भी टिप्पणी की। राम भद्राचार्य ने कहा, हमला नहीं होना चाहिए उन्होंने जो किया वो बहुत ग़लत है। उसके बाद वे कहते हैं, मैं पूरा केस जानता हूं। चीफ जस्टिस ने अपनी मर्यादाओं से हटकर ऐसा किया। आज तक बहुत से चीफ जस्टिस मैंने देखे आज तक इतना किसी ने नहीं किया था। यद्पि जूता फेकना ग़लत है लेकिन उनकी भी बात बहुत गलत है। वही आरक्षण के सवाल पर राम भद्राचार्य ने कहा मैं तो प्रारम्भ से कह रहा हूं जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के कदम की सराहना किया और अपील किया सभी स्वदेशी सामान अपनाए। आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर उन्होंने कहा आरएसएस ने बहुत अच्छा काम किया है, वो शताब्दी वर्ष मना रहे हैं हमने उनको वीडियो भेजा है। वही आई लव मोहम्मद के विरोध में आई लव महादेव ट्रेंड चलाने की राम भद्राचार्य ने प्रशंसा की है। उधर सवाल हुआ कि बिजेथुआ महोत्सव में अबकी बार प्रधानमंत्री आने वाले थे इस पर क्या कहेंगे तो जवाब में उन्होंने कहा हम लोग प्रयास कर रहे हैं। इस बार जरा हम जल्दी आ गए, इसलिए कि हनुमान जी ने सपना दिया,हमारी योजना में था किहम दो वर्ष बाद बाल्मीकि रामायण करे लेकिन हनुमान जी का मन था। बता दें कि यहां भव्य शोभा यात्रा और कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। बीते दो वर्षों से लगातार रामभद्रा चार्य यहां कथा के लिए पहुंच रहे हैं। कादीपुर के सूरापुर स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम के प्रांगण में सत्या माइक्रो फाइनेंस के सीईओ विवेक तिवारी के संयोजन और कादीपुर विधायक राजेश गौतम की अध्यक्षता में यहां कार्यक्रम कराया जा रहा है।Report/LalJi
सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील पर बड़ा एक्शन, बार एसोसिएशन मेंबरशिप, सुप्रीम कोर्ट में एंट्री भी बैन

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है। वकील राकेश किशोर की मेंबरशिप तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी।एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उनके टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री पास) भी निरस्त कर दिया है।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकील का व्यवहार पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है। यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।

बता दें कि राकेश ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। जूता सीजेआई तक नहीं पहुंच सका था। घटना के समय सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़कर बाहर किया। इस दौरान उसने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग

वहीं, गुरुवार को एक वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश पर हमले के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी। याचिका में यह भी कहा गया कि घटना के बाद भी राकेश किशोर ने मीडिया में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया और अपने कार्यों का बचाव किया।

घटना वाले दिन ही हुआ वकील का लाइसेंस रद्द

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि सुप्रीम अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था।

वकील राकेश ने कहा था- जो किया, उसका अफसोस नहीं

इस घटना के बाद आरोपी वकील राकेश ने 7 अक्टूबर को मीडिया से बात की और बताया कि वे भगवान विष्णु पर सीजेआई के बयान से आहत थे। इसी के कारण उनपर हमला करने की कोशिश की। वकील राकेश ने कहा, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। वकील ने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात

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सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।

सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा

वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।

नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र

राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।

“मुझे कोई पछतावा नहीं है”

एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।

भारत के 53वें सीजेआई बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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जस्टिस सूर्यकांत ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई भूषण आर. गवई के उत्तराधिकारी बने हैं। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।

राष्ट्रपति ने सीजेआई गवई की सिफारिश के बाद 'संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (2) से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए' जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। जस्टिस गवई ने रविवार को 65 साल की उम्र में सीजेआई का पद छोड़ दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को अपना उत्तराधिकारी बनाने की परंपरा को बनाए रखा।

9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल 23 नवंबर, 2025 को समाप्त हो गया। वह साढ़े छह महीनों के लिए इस पद पर रहे। जस्टिस सूर्यकांत का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल करीब डेढ़ साल का होगा। वह 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे।

हरियाणा के गांव से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

सीजेआई सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उन्होंने 1984 में हिसार से अपनी लॉ यात्रा शुरू की। सीजेआई सूर्यकांत ने 1981 में हिसार के गवर्मेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन की और फिर 1984 में लॉ में बेचलर की डिग्री ली। उन्होंने 1984 में रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1984 में हिसार में ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी और 1985 में वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। साल 2000 में वह हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने। साल 2011 में सीजेआई सूर्यकांत ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया, जिसे उन्होंने डिस्टिंक्शन के साथ 'फर्स्ट क्लास फर्स्ट' से पास किया। वह 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए और इसके बाद 2019 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज अपॉइंट किए गए।

महत्वपूर्ण मामले

1. चुनाव आयोग को बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।

2. उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था।

3. ओआरओपी (वन रैंक वन पेंशन) को संविधानिक रूप से वैध माना और भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसरों का समर्थन किया।

4. जस्टिस कांत उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने असम से संबंधित नागरिकता के मुद्दों पर धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा था।

5. जस्टिस कांत दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाली पीठ के सदस्य थे। हालांकि, उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी को जायज ठहराया था।

जस्टिस सूर्यकांत का शपथ ग्रहण होगा ऐतिहासिक, 6 देशों के जज होंगे शामिल

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सोमवार यानी 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के नए और 53वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। राष्ट्रपति भवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में दुनिया के सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल होंगे। पहली बार ऐसा हो रहा कि राष्ट्रपति भवन में नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के शपथग्रहण के दौरान 6 देशों के चीफ जस्टिस, जज और उनके परिजन उपस्थित रहेंगे

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भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहला मौका

बार एंड बेंच की रिपोर्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत के शपथग्रहण समारोह में इस बार 6 देशों के एक दर्जन से ज्यादा जज और चीफ जस्टिस मौजूद रहेंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत के प्रधान न्यायाधीश के शपथग्रहण समारोह में न्यायपालिका से जुड़ा इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल उपस्थित रहेगा।

जस्टिस कांत के शपथ ग्रहण समारोह में कौन-कौन शामिल होंगे?

डेलीगेशन में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका से चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के जज और उनके साथ आए परिवार के सदस्य शामिल होंगे। यहां देखिए पूरी लिस्ट

1. भूटान

• जस्टिस ल्योनपो नोरबू शेरिंग, भूटान के चीफ जस्टिस

• ल्हाडेन लोटे, भूटान के चीफ जस्टिस की पत्नी

2. केन्या

• जस्टिस मार्था कूमे, केन्या के सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस और प्रेसिडेंट

• जस्टिस सुसान न्जोकी न्दुंगु, केन्या के सुप्रीम कोर्ट की जज

3. मलेशिया

• जस्टिस टैन श्री दातुक नलिनी पथमनाथन, मलेशिया के फेडरल कोर्ट की जज

• पशुपति शिवप्रगसम, मलेशिया के फेडरल कोर्ट के जज की पत्नी

4. मॉरिशस

• जस्टिस बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल, मॉरिशस की चीफ जस्टिस

• रेबेका हन्ना बीबी गुलबुल, मॉरिशस के चीफ जस्टिस की बेटी

5. नेपाल

• जस्टिस प्रकाश मान सिंह राउत, नेपाल के चीफ जस्टिस

• जस्टिस सपना प्रधान मल्ला, जज, सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ नेपाल

• अशोक बहादुर मल्ला, जस्टिस सपना प्रधान मल्ला के पति

• अनिल कुमार सिन्हा, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और अभी नेपाल सरकार में कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री;

• उर्सिला सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा की पत्नी।

6. श्रीलंका

• जस्टिस पी पद्मन सुरसेना, श्रीलंका के चीफ जस्टिस

• सेपालिका सुरसेना, श्रीलंका के चीफ जस्टिस की पत्नी

• जस्टिस एस. थुरैराजा, PC, जज, श्रीलंका- सुप्रीम कोर्ट

• शशिकला थुरैराजा, जस्टिस एस. थुरैराजा की पत्नी

• जस्टिस अहमद नवाज़, जज, सुप्रीम कोर्ट ऑफ श्रीलंका

• रिज़ान मोहम्मद धलिप नवाज़, जस्टिस अहमद नवाज़ की पत्नी

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

जस्टिस सूर्यकांत सीजेआई बीआर गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं और उन्हें देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में नामित किया गया है। 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था। इससे पहले वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। जस्टिस सूर्यकांत 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएट हुए। 1984 में उन्होंने रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली। इसके तुरंत बाद ही उन्होंने हिसार जिला अदालत से ही लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी।

जस्टिस सूर्यकांत के अहम फैसले

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है। जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में SIR से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए

बौद्ध धर्म मानने वाला हूं लेकिन सभी धर्मों में विश्वास, सुप्रीम कोर्ट में अपने आखिरी दिन बोले सीजेआई गवई

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने गुरुवार को एक फेयरवेल प्रोग्राम में कहा, मैं बौद्ध धर्म को मानने वाला हूं, लेकिन वास्तव में एक सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) व्यक्ति हूं। हिंदू, सिख, इस्लाम समेत सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं।उन्होंने अपने पिता से ये चीजें सीखी हैं, जो खुद एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी थे।

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मैं धर्मनिरपेक्ष हूं-सीजेआई

सीजेआई सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोल रहे थे। सीजेआई गवई 23 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी कार्यदिवस होगा। इसी दौरान एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, बौद्ध पृष्ठभूमि के बावजूद मैं धर्मनिरपेक्ष हूं और सभी धर्मों हिंदू, सिख, इस्लाम और ईसाई धर्म में विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा-मैं बौद्ध धर्म का पालन करता हूं, लेकिन किसी भी धार्मिक अध्ययन में मेरी गहरी रुचि नहीं है। मैं सचमुच धर्मनिरपेक्ष हूं और हिंदू, सिख, इस्लाम और ईसाई धर्म... हर चीज में विश्वास करता हूं।

सभी धर्मों का सम्मान करते हुए बड़ा हुआ-सीजेआई

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने सीजेआई बी आर गवई के रिटायरमेंट से पहले फेयरवेल का आयोजन किया था, जहां उन्होंने ये बातें कहीं। सीजेआई बी आर गवई ने कहा, मेरे पिता भी धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे। वह डॉ. भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी थे और मैंने बचपन में हमेशा देखा है कि जब भी वह राजनीतिक कार्यक्रमों में जाते थे और उनके दोस्त उनसे कहते थे- सर यहां चलो, यहां बहुत प्रसिद्ध दरगाह है, यहां का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। तो मैं इस तरह सभी धर्मों का सम्मान करते हुए बड़ा हुआ हूं।

रविवार को पूरा हो रहा कार्यकाल

चीफ जस्टिस बीआर गवई का आज आखिरी वर्किंग डे है। हालांकि, उनका कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को पूरा हो रहा है। यानी कि सीजेआई सुप्रीम कोर्ट से रविवार को रिटायर होंगे। चूंकि कोर्ट शनिवार और रविवार को बंद रहता तो आज उनका आखिरी वर्किंग डे रहेगा। इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट परिसर में उनके फेयरवेल का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

झारखंड का रजत पर्व: मोरहाबादी में भव्य समारोह, ₹8,799 करोड़ की 1087 योजनाओं की सौगात

रांची: देश के मानचित्र पर 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया झारखंड राज्य आज अपने स्थापना के रजत जयंती वर्ष (25वीं वर्षगांठ) का भव्य समारोह मना रहा है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में दो दिवसीय राज्यस्तरीय महोत्सव का पहला दिन उत्साह और भव्यता के साथ आयोजित किया गया।

₹8,799 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास

समारोह के मुख्य आकर्षण में राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की उपस्थिति में राज्य की जनता को ₹8,799 करोड़ की कुल 1087 योजनाओं की सौगात दी गई।

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शिलान्यास: ₹4,475 करोड़ की 209 नई योजनाओं का शिलान्यास किया गया।

उद्घाटन: ₹4,324 करोड़ की 878 योजनाओं का उद्घाटन किया गया।

उद्घाटित प्रमुख योजनाओं में विधानसभा सदस्यों के लिए कोर कैपिटल एरिया में आवासीय परिसर, देवघर और लोहरदगा में नए समाहरणालय भवन, गिरिडीह नगर पालिका भवन और सिमडेगा में नए अंतरराष्ट्रीय स्ट्रैटर्फ हॉकी स्टेडियम शामिल हैं।

जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई बीआर गवई ने सरकार से की सिफारिश

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भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई का रिटायरमेंट नजदीक है। इस कारण अगले सीजेआई के चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीजेआई गवई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया है। गवई अगले महीने 23 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं।

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23 अक्टूबर से ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू

केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को ही नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और सीजेआई गवई से उनके उत्तराधिकारी का नाम सुझाने का अनुरोध किया था। संविधान के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर’ से तय होती है, जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को, अगर वे उपयुक्त माने जाएं, मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।

कैसे होती है सीजेआई की नियुक्ति

परंपरा के अनुसार, कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग एक महीने पहले उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस औपचारिक रूप से पद छोड़ने से लगभग 30 दिन पहले, सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को 'पद धारण करने के लिए उपयुक्त' मानते हुए उनकी सिफारिश करते हैं।

23 नवंबर को रिटायर हो रहे सीजेआई गवई

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे।न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख बनने की कतार में अगले स्थान पर हैं। नियुक्ति के बाद, न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 महीने तक इस पद पर बने रहेंगे।

हरियाणा के रहने वाले हैं जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 मई 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने 1981 में हरियाणा के हिसार स्थित सरकारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय से अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और अगले वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में कामकाज शुरू किया। साल 2000 में वह हरियाणा के महाधिवक्ता बने और साल 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। वह उसी साल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। इसके बाद वह साल 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

कई ऐतिहासिक फैसलों की कर चुके हैं सुनवाई

पिछले दो दशकों में अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण, लैंगिक समानता और अनुच्छेद 370 से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। वे उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (सिडिशन लॉ) को निलंबित किया था। उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची से बाहर किए गए नामों का विवरण सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था और बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया था। जस्टिस सूर्यकांत उन पीठों में भी शामिल रहे हैं जिन्होंने पेगासस जासूसी मामले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक, और वन रैंक-वन पेंशन जैसे अहम मामलों की सुनवाई की थी।

सर्प संरक्षणकर्मी शिव खनाल सम्मानित

Parvathy Ananthanarayanan Mangala: Spreading Ancient Wisdom for Modern Living

In the sacred city of Ayodhya, where timeless wisdom meets modern aspiration, Parvathy Ananthanarayanan Mangala is crafting a unique literary legacy through her initiative, Ram SwaRajya Library. A writer, thinker, and believer in the transformative power of spirituality, Parvathy has dedicated herself to bridging the gap between ancient Indian values and contemporary life.Through her collection of short spiritual fiction books, written under the pen name Ram SwaRajya, she weaves stories that draw inspiration from Lord Rama’s ideals of truth, compassion, and righteousness. Each story — designed to be read in just 15 to 20 minutes — offers readers a spark of inspiration, reminding them that age-old wisdom still holds the key to peace and purpose in the 21st century.

The vision behind the Ram SwaRajya Library was born from Parvathy’s personal journey through emotional pain and resilience. Despite facing misunderstandings and life’s challenges, she chose not to surrender but to transform her experiences into meaningful stories that could uplift others walking similar paths. Her goal is simple yet profound: to make spirituality accessible and relevant to everyone, regardless of age or background.

Parvathy’s journey is one of courage and conviction. Leaving behind her home in Dombivli, Maharashtra, she moved to Ayodhya in July 2025, funding her dream entirely through personal savings, credit loans, and the generosity of a few well-wishers. In just 60 days, she wrote 11 books, two of which are already available on Amazon. Her dedication stands as a powerful example of what faith and determination can achieve.

Digital technology, including tools like WhatsApp, online publishing, and AI, played a vital role in turning her vision into reality—proving how tradition and technology can coexist harmoniously for a greater purpose.

Looking ahead, Parvathy envisions expanding the Ram SwaRajya Library to include 1,000 books that celebrate Indian culture, spirituality, and human values. Her mission is not just to write books but to build a global repository of wisdom that inspires readers to live more meaningful, compassionate lives.

In every sense, Parvathy’s work embodies the essence of humanity—using words as her instrument to heal, inspire, and elevate the collective consciousness of society.

Readers can visit this link to know about her initiative -

www.wiseom.co.in/2025/10/welcome-to-ram-swarajya-library-journey.html

*जगतगुरू राम भद्राचार्य बोले,CJI पर जूता फेकना गलत,चीफ जस्टिस भी अपनी मर्यादाओं से हटे,आई लव महादेव ट्रेंड की किया प्रशंसा*
सुल्तानपुर,जगतगुरू राम भद्राचार्य नौ दिवसीय बाल्मीकि रामायण कथा का प्रवचन करने सुल्तानपुर के बिजेथुआ महावीरन धाम पहुंचे हैं। शुक्रवार को यहां मीडिया से बात करते हुए CJI पर कोर्ट में जूते से हमले के प्रयास को गलत ठहराया। वही राम भद्राचार्य CJI पर भी टिप्पणी की। राम भद्राचार्य ने कहा, हमला नहीं होना चाहिए उन्होंने जो किया वो बहुत ग़लत है। उसके बाद वे कहते हैं, मैं पूरा केस जानता हूं। चीफ जस्टिस ने अपनी मर्यादाओं से हटकर ऐसा किया। आज तक बहुत से चीफ जस्टिस मैंने देखे आज तक इतना किसी ने नहीं किया था। यद्पि जूता फेकना ग़लत है लेकिन उनकी भी बात बहुत गलत है। वही आरक्षण के सवाल पर राम भद्राचार्य ने कहा मैं तो प्रारम्भ से कह रहा हूं जाति के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वदेशी अपनाने के कदम की सराहना किया और अपील किया सभी स्वदेशी सामान अपनाए। आरएसएस के सौ साल पूरे होने पर उन्होंने कहा आरएसएस ने बहुत अच्छा काम किया है, वो शताब्दी वर्ष मना रहे हैं हमने उनको वीडियो भेजा है। वही आई लव मोहम्मद के विरोध में आई लव महादेव ट्रेंड चलाने की राम भद्राचार्य ने प्रशंसा की है। उधर सवाल हुआ कि बिजेथुआ महोत्सव में अबकी बार प्रधानमंत्री आने वाले थे इस पर क्या कहेंगे तो जवाब में उन्होंने कहा हम लोग प्रयास कर रहे हैं। इस बार जरा हम जल्दी आ गए, इसलिए कि हनुमान जी ने सपना दिया,हमारी योजना में था किहम दो वर्ष बाद बाल्मीकि रामायण करे लेकिन हनुमान जी का मन था। बता दें कि यहां भव्य शोभा यात्रा और कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हुए। बीते दो वर्षों से लगातार रामभद्रा चार्य यहां कथा के लिए पहुंच रहे हैं। कादीपुर के सूरापुर स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम के प्रांगण में सत्या माइक्रो फाइनेंस के सीईओ विवेक तिवारी के संयोजन और कादीपुर विधायक राजेश गौतम की अध्यक्षता में यहां कार्यक्रम कराया जा रहा है।Report/LalJi
सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील पर बड़ा एक्शन, बार एसोसिएशन मेंबरशिप, सुप्रीम कोर्ट में एंट्री भी बैन

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने सख्त कार्रवाई की है। वकील राकेश किशोर की मेंबरशिप तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी।एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उनके टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री पास) भी निरस्त कर दिया है।

सीजेआई गवई पर हमला करने वाले वकील को लेकर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि वकील का व्यवहार पेशेवर नैतिकता, शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है। यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।

बता दें कि राकेश ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। जूता सीजेआई तक नहीं पहुंच सका था। घटना के समय सीजेआई की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुरक्षाकर्मियों ने वकील को पकड़कर बाहर किया। इस दौरान उसने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग

वहीं, गुरुवार को एक वकील ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश पर हमले के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी। याचिका में यह भी कहा गया कि घटना के बाद भी राकेश किशोर ने मीडिया में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। उसने कोई पछतावा नहीं दिखाया और अपने कार्यों का बचाव किया।

घटना वाले दिन ही हुआ वकील का लाइसेंस रद्द

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि सुप्रीम अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था।

वकील राकेश ने कहा था- जो किया, उसका अफसोस नहीं

इस घटना के बाद आरोपी वकील राकेश ने 7 अक्टूबर को मीडिया से बात की और बताया कि वे भगवान विष्णु पर सीजेआई के बयान से आहत थे। इसी के कारण उनपर हमला करने की कोशिश की। वकील राकेश ने कहा, उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। वकील ने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने तोड़ी चुप्पी, नूपुर शर्मा का जिक्र कर कही ये बात

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सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश ने इस मामले पर चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।

वकील ने कहा- वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को वकील ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंक दिया था। यह हादसा पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। सीजेआई पर हमला करने वाले वकील की पहचान 72 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, सीजेआई गवई ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया था। अब वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कहा जो मैने किया वो सिर्फ एक्शन का रिएक्शन था।

सीजेआई के इस फैसले का गुस्सा

वकील ने बताया कि वह 16 सितंबर को दिए गए मुख्य न्यायाधीश के फैसले से आहत था। दरअसल, 16 सितंबर को बीआर गवई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो। राकेश किशोर ने कहा कि जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला आता है, तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे आदेश देता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता को राहत न दें, लेकिन उसका मजाक भी न उड़ाएं।

नूपूर शर्मा मामले का किया जिक्र

राकेश किशोर ने कहा कि हम देखते हैं यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ जो दूसरे समुदाय के लोग हैं, आप सब जानते हैं वो लोग कौन हैं, उनके खिलाफ कोई केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। जैसे मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है, जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया जो आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नूपूर शर्मा का मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने मामला खराब कर दिया। ये सब जो रोक लगाते हैं वो बिल्कुल ठीक है।

“मुझे कोई पछतावा नहीं है”

एएनआई से बात करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं हिंसा करने वाला हूं, मैं खुद अहिंसा प्रेमी हूं, पढ़ा लिखा हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। न तो मुझे चोट लगी थी और न ही मैं नशे में ही था। यह उनकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डरा हुआ नहीं हूं। जो हुआ उसका मुझे कोई पछतावा नहीं है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामले पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा किया। आरोप है कि 72 वर्षीय वकील ने भारत के प्रधान न्यायाधीश की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की। उन्होंने कोर्ट में नारे भी लगाए।