लोग धीरे धीरे अपने पूर्खो की बात भूलते जा रहे हैं:जयराम महतो
_हूल क्रान्ति दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन_
गिरिडीह। हूल क्रान्ति दिवस पर आज शुक्रवार को गिरिडीह में बगोदर प्रखण्ड के अडवारा पंचायत के बेलगांय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
शहीद सिदो कान्हो की तश्वीर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टाइगर जयराम महतो ने पुष्पांजलि अर्पित कर इसकी शुरुआत की।
वहीं इस मौके पर कई समाजसेवी सहित कार्यक्रम में आयें अतिथियाँ ने पुष्प अर्पित किया। पूजा महतो ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है। किंतु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में ‘संथाल हूल’ और ‘संथाल विद्रोह’ के द्वारा अंग्रेजों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिदो तथा कान्हो दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून वर्ष 1855 को वर्तमान साहेबगंज जिले के भगनाडीह गांव से प्रारंभ हुई।
इस विद्रोह के मौके पर सिदो ने घोषणा की थी कि करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो। आज ऐसे शहीदों के पद चिह्नों पर चलने की जरूरत है। वहीं लोगों को संबोधित करते हुए कहा,किसी भी आन्दोलन मे महिलाओ की भूमिका अहम होती है । इस लिए महिलाओं को जगने की जरूरत है तभी हम लोगों का आन्दोलन और धारदार बनेगा, और अपने हक अधिकार के लिए हमें आगे आना होगा ।
मोतीलाल महतो ने कहा कि आज विद्रोह करने का समय है, क्योकि 23 वर्षो मे हमलोगों का अधिकार नही मिला, इसलिए अन्दोलन करना चाहिए । झारखण्ड में चार सर्वे किया गया है । हमलोगों की यही मांग है कि सरकार झाखण्डियों को परिभाषित करे।1932 का खतियान झारखण्डियो को घोरना है, जैसे किसान घोरना घोर कर अपना फसल बचाते है। उन्होने कहा कि सी और डी ग्रुप में 95% झारखण्डियों के लिए आरक्षण हो । बेटा हो या बेटी सभी को समान शिक्षा का अधिकार दिजीए । लोगों को बदलाव करने की जरूरत है, खाली पाव चलिए लेकिन अपने बच्चो को जरूर पढाईए। एक एक वोट की कीमत समझनी चाहिए। चुप रहने का वक्त नही है दोस्तों, आन्दोलन करने की जरूरत है।
मुख्य अतिथि झारखण्डी भाषा खतियान संघर्ष समिति के नेता जयराम महतो ने कहा कि हाल के दिनो मे लगभग 3600 से अधिक शिक्षकों की बहाली हुई उसमें बाहरियों की अधिक बहाली हुई इसी का आन्दोलन है। सबसे दुर्भाग्य की बात है कि झारखण्ड प्रदेश में बगोदर व विष्णुगढ क्षेत्र के लिए सबसे अधिक प्रवासी मजदुर इस क्षेत्र से आते है। उन्होने झारखण्ड की संस्कृति पर चर्चा करते हुए कहा कि लोग धीरे धीरे अपने पूर्खो की बात को भूलते जा रहे है। अंग्रेज के शासन को मानता है लेकिन झारखण्ड मे 1932 नही चलेगा। आज के झारखण्ड के नव निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका है । पिछले डेढ साल से अन्दोलन चल रहा है। हमलोग ने मुखिया बनने का भी सपना नही देखे थे । लेकिन सरकार ने मुझे नेता बनने के लिए मौका दिया । आपने हमे बुलाया है, आपके मर्जी से आयें तो जायेगें अपनी मर्जी से।भूखे शोषित लोग अगर झुमरा पहाड पर चले जाते हैं तो इसका दोष सरकार की होगी।बताया जाता है कि इनका इशारा नक्सलवाद की ओर था।
मौके पर अडवारा मुखिया संगीता कुमारी डेगलाल महतो, धानेश्वर मरांडी लखेन्द्र सिंह कुंजलाल साव बहादुर हेम्ब्रम प्रकाश टुडु, सोहनलाल महतो छोटन प्रसाद छात्र श्यामदेव मरांडी, प्रकाश महतो मनोज महतो, भुनेश्वर महतो लखन महतो, संजय महतो दिनेश साहू सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।
Jul 01 2023, 18:42