राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
गिरिडीह:राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गिरिडीह के बिरनी थाना क्षेत्र में घटित घटना को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए जिले के एसपी से तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगा है।
उक्त संबंध में जिले के एसपी को प्रेषित पत्र में लिखा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 13(1) (जे) के अंतर्गत उन सभी शिकायतों की जांच करना है, जो बाल अधिकारों का हनन अथवा उनकों वंचित करती है।
आयोग को पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 44 एवं नियम 12 पोक्सो नियम 2020 के अंतर्गत अधिनियम के क्रियान्वयन को निगरानी का अध्यादेश दिया गया है। सीपीसीआर अधिनियम 2005 की धारा 14 के अंतर्गत आयोग को धारा 13 की उपधारा (1) के खण्ड (J) में निर्दिष्ट किसी विषय की जांच करते समय वे सभी शक्तिया है जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी बाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को होती है।
साथ ही लिखा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार झारखण्ड के गिरिडीह जिलें को मिडिया के माध्यम से जानकारी मिली है कि वहां की रहने वाली नाबालिग बालिका के साथ कथित आरोपी मोहम्मद कैफ अंसारी व मोहम्मद आशिक असारी ने रेप किया। रेप करने के बाद आरोपियों ने नाबालिग बालिका को कुएं में फेंक दिया जब स्थानीय लोगों को कुएं में गिरी नाबालिग बालिका की जानकारी मिली तो उन्होंने नाबालिग को अस्पताल ले जाने के लिए बाहर निकाला | अस्पताल ले जाने के दौरान नाबालिग की मौत हो गई।
इस संबंध में आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम 2005 की धारा 13 (1) (i) के अंतर्गत उपरोक्त विषय में स्वतः संज्ञान लिया है।उपरोक्त संबंध में अनुरोध किया है कि उपरोक्त मामले में पीडिता की पहचान की गोपनीयता हर स्तर पर सुनिश्चित करते हुए प्रकरण में वैधानिक कार्रवाई कर की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट दस्तावेजों सहित आयोग को तीन कार्यदिवस में प्रेषित करें।
Jun 03 2023, 09:09