द्रेशद्रोह कानून खत्म होगा या नहीं? विधि आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट
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भारत के विधि आयोग ने द्रेशद्रोह कानून पर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है।आयोग का कहना है कि देशद्रोह से निपटने के लिए आईपीसी की धारा 124ए को बनाए रखने की आवश्यकता है। साथ ही आयोग ने कुछ संशोधन के साथ राजद्रोह कानून को बनाए रखने की सिफारिश की है।इससे जुड़ी एक रिपोर्ट कानून मंत्रालय को भेजी गई है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने कवरिंग लेटर में 22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने कुछ सुझाव भी दिए हैं। भारतीय विधि आयोग का कहना है कि भारतीय दंड संहिता के राजद्रोह अपराध (धारा 124ए) को कुछ संशोधनों के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए।आयोग ने अधिक स्पष्टता लाने के लिए कानून ममें संशोधन की सिफारिश की है। विधि आयोग ने कहा है कि उसका सुविचारित मत है कि भारतीय दंड संहिता में धारा I24ए को बनाए रखने की आवश्यकता है। हालांकि, केदार नाथ सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तथ्यों को शामिल कर कुछ संशोधन किए जा सकते हैं, ताकि प्रावधान के उपयोग के संबंध में अधिक स्पष्टता लाई जा सके।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ‘आईपीसी की धारा 124ए को केवल इस आधार पर निरस्त करना कि कुछ देशों ने ऐसा किया है ये ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा करना भारत में मौजूद जमीनी हकीकत से आंखें मूंद लेने की तरह होगा।’ आयोग ने यह भी कहा कि ‘‘औपनिवेशिक विरासत’’ होने के आधार पर राजद्रोह को निरस्त करना उचित नहीं है। इसे निरस्त करने से देश की अखंड़ता और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है।
इसमें कहा गया कि आईपीसी की धारा 124ए जैसे प्रावधान की अनुपस्थिति में, सरकार के खिलाफ दंगा भड़काने वाले किसी भी अभिव्यक्ति पर निश्चित रूप से विशेष कानूनों और आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, जिसमें अभियुक्तों से निपटने के लिए कहीं अधिक कड़े प्रावधान हैं।रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सभी देश अपनी स्थिती को देखकर फैसला लेते हैं। इसलिए आईपीसी की धारा 124ए को केवल इस आधार पर निरस्त करना कि कुछ देशों ने ऐसा किया है, ये ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा करना भारत में मौजूद जमीनी हकीकत से आंखें मूंद लेने की तरह होगा।
एक मई को राजद्रोह कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि सरकार ने राजद्रोह के प्रावधानों का परीक्षण शुरू किया है। इसके लिए हितधारकों से परामर्श चल रहा है।ये अभी एडवांस चरण में है जिसमें समय लगेगा। संसद के मानसून सत्र में बिल लाया जा सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगस्त के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा। तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक राजद्रोह के मामलों पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या राजद्रोह पर 1962 के पांच जजों के फैसले की समीक्षा के लिए सात जजों के संविधान पीठ भेजा जाए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि इस मामले में उसका क्या रुख है? केंद्र की कमेटी की क्या प्रगति है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि केंद्र का रूख जानने के बाद फैसला करेंगे
Jun 02 2023, 13:23