सराईकेला:संसाधन और सेविकाओं को सही से मानदेय नही मिलने से आंगनवाड़ी संकट में
सरायकेला : झारखंड सरकार मद से दो महीना का मानदेय और भावचार के चार महीना का पैसा आंगनवाड़ी सेविकाओं को नही मिला है।
दूसरी ओर वृद्धि निगारानी समिति गठन करके आंगन बाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया जा रहा है ओर स्कूल बंद है।
केंद्र में भीषण गर्मी में तीन बर्ष से छ बर्ष छोटे छोटे बच्चे कैसे रह पाएंगे सेंटर में । ईस बीच जिला के टीम निरीक्षण करने केन्फर पर पहुंचते हैं।
7 बजे से 11बजे की बीच इस गर्मी में छोटे छोटे बच्चे कैसे रह पाएंगे । गर्मी के कारण बच्चों को लू लाग्ने की खतरा है ।सरकार की सभी स्कूलों में गर्मी छूटी हो गयी है ।लेकिन आंगन बाड़ी केंद्र चलाया जा रहा है।
सरायकेला खरसवां जिला के चांडिल अनुमंडल के चारो प्रखण्ड जैसे चांडिल प्रखंड 156 केंद्र , ईचागढ़ प्रखंड 218, नीमडीह प्रखंड 230,कुकडु प्रखण्ड 85 आंगनबाड़ी केंद्र हैं।
झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका एब कर्मचारी संघ के चांडिल प्रखंड अध्यक्ष सुकुंतला महतो ने जानकारी देते हुए कहा कि आज के समय जीवन गुजारा करना मुस्किल हो गया ।समय पर सरकार द्वारा मानदेय भावचार का विल चार महीना से रुपया नही मिला ।
आंगनबाड़ी केंद्र वि एच सी एन डी , दिन प्रतिमाह चौथा गुरुवार का प्रतिदिन मेनु % चना ,गुड, बदाम, सुजी का मीठा हलुवा ,चावल , दाल, हरी सब्जी आदि सामग्री लाकर बच्चे को खिलाना पड़ता है।
जो हर घडी केसे भी परिस्थिति में देना होगा आज हम लोग उधार करके समान खरीदारी करना पड़ता है ।दूसरी ओर डर लगा रहता है।
जिला में कमिटी का गठन किया गया। स्कूल ओर आंगनबाड़ी में निरक्षण करके रिपोर्ट जिला को भेजने का निर्देश जिला डी एस डव्लू , श्रीप्रा सिंहा एवं पदाधिकारी द्वारा जांच टीम घटित किया गया। गर्मी के समय सेंटर में बच्चे देर तक नही रहते हैं।
किया नही मिला
आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को केंद्रीय मद का मानदेय और झारखंड राज्य सरकार की मत का दो महीना का मानदेय नहीं मिला।
किया मिलता था
प्रत्येक वर्ष केंटीजेंसी फंड मिलता था । जिस फंड से बच्चे को थाली ,गिलास , बक्सा, न्नकटर,झाड़ू , दरी,विभिन्न प्रकार के रजिस्टर आदि साथ ही अन्य सामग्री दिया जाता था।
नए नियुक्ति सेविका को मिल रहा है पुराना सेविका को नाही ।परंतु तीन बर्ष से नही मिला है। साथ ही कुछ सेंटर में 10से 12 बर्ष हो गया ।केसे बच्चे को भोजन दिया जायेगा । राज्य सरकार द्वारा इन सेविकाओं को मरने के लिए छोड़ दिया ।सेंटर चलाने के साथ साथ डोर टू डोर जाकर 0से 6 बर्ष की बच्चे ,किशोरी,गभर्वती मां,धात्री मां,जिसका सर्वे करके जानकारी उपलब्ध करके तीनो पन्नो की फार्म में भरकर नजदीकी बाल विकास परियोजना कार्यालय में जमा करने का आदेश दिया गया आंगन बाड़ी सेविका को।
सेविका का कहना है, रजिस्टर खरीदारी करने का रुपया नही है। प्रतिदिन मार्केट में हरा सब्जी कहा से लाएं उसका पैसा भी नही है ।एक तरफ परिवार की भरण पोसन का जिंबेबार रहा दूसरी ओर सेंटर चलाने की टेंशन बना रहता है।
May 19 2023, 14:50