न्यूज़ अपडेट: पेड़ के नीचे सुखलाल पहाड़िया की इलाज के बाद इस क्षेत्र में आदिम जनजातियों के लिए जरूरी है एक स्वास्थ्य उप केंद्र की
सरायकेला जिला के चांडिल अनुमंडल के आसनवनी पंचायत स्थित दलना जंगल की तराई बसे खड़िया बस्ती के आदिम जनजाति समुदाय के 45 वर्षीय सुखलाल पहाड़िया की इलाज एक पेड़ के नीचे ग्रामीण चिकित्सक को करना पड़ा।इस खबर से जहां झारखंड के ग्रामीण इलाके के आदिम जाति के स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है वहीं झारखंड के कई इलाकों में स्वास्थ्य की बदहाली क्या है इसका भी खुलासा हुआ।वैसे यह न्यूज़ इस क्षेत्र में चर्चा का विषय हुआ।वैसे पहाड़िया जनजाति की समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही हो पाने के कारण लगातार इनकी जनसंख्यां घटती जा रही है।इसके वाबजूद इन्हें इलाज़ नही मिल पाना और मृत्यु दर बढ़ना भी उनके जंसख्यां कम होना एक वजह हो सकता है।
इस खबर के बाद जो बातें सामने आई उसके अनुसार तबियत बिगड़ी जिसे देखते हुए ,परिवार के लोग में परेशानी बढ़ गयी, उसे उपस्वास्थ्य केंद्र बिरिगोड़ा एन एच 33 हाईवे स्थित भवन ले जाया गया जहां कोई सरकारी चिकित्सक नही मिले एवं एएनएम नर्स भी उपस्थित नही रहते।
इस बंद पड़े ही स्वास्थ्य केंद्र ईश्वर की भोरोसे चल रहा है। वर्षो से कोई सरकारी डॉक्टर यहां नही रहते है। जिसके कारण पहाड़िया का इलाज महूआ पेड़ के नीचे ग्रामीण चिकित्सक, डॉ० सत्यनारायण मुर्मू ने निजी स्तर पर लोगों का इलाज करते हैं।
एक तरफ भीषण गर्मी दूसरी ओर गरीबी और लाचार को देखते हुए चांडिल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए 20 किलोमीटर दूरी जाना पड़ेगा ना घर में रुपया रहता और ना कोई साधन, फिर इलाज़ कैसे हो पायेगा।
इस लिए इस क्षेत्र में एक उप स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत है।तभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में ईलाज हो पायेगा । समय पर ग्रामीण ,आर एम पी ,चिकित्सक के बल ही गांव के लोगो जिंदा रहने को विवश हैं। सरकारी सुविधा नकारा देखा गया । करोड़ों रुपया का उपस्वास्थ्य केंद्र बनाया गया मगर ड्राक्टर की कमी नजर आए । स्वास्थ्य केंद्र दिन में खुला रहना चाहिए ।गरीब ग्रामीण कहा जायेगा ।
चांडिल प्रखण्ड अंतर्गत आसनबनी पंचायत के पहाड़धार के (पिटीजीवी ) के आदिम जनजाति समुदाय के सुखलाल पहाड़िया ने गरीबी की लाचार को देखते हुए । कुछ दिन पूर्व इन परिवार के लोगो को चेचक बीमारी के चपेट आए थे उसके बाद तावियत बिगड़ गया था । ग्रामीण चिकित्सक द्वारा समय पर ईलाज करने पर स्वास्थ्य लाभ मिला।
आज भी गांव के गरीब असहाय लोगों ग्रामीण चिकित्सक के बल पर ही जिंदा है। गांव में बेहतर स्वास्थ्य बहाल में ग्रामीण चिकित्सक का भुमिका अहम है। सरकार इन लोगों को समय समय प्रशिक्षण दीया जाये सरकारी अपेक्षा यह लोगो खारा उतरेगा ।
इनकी सेवा ली जाए तो ,एन आर एच एम भुमिका और बेहतर होगी। सुकलाल पहरिया विगत एक सप्ताह से बीमार रहने लगा , आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण गांव के ग्रामीण चिकित्सक से ही अपना उपचार कराया , वर्तमान मे सुकलाल पहरिया ठीक है। एक तरफ केंद्र सरकार दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जगह पर उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया ।लेकिन ड्रक्टरो की नजर आए । आज आदिम जनजाति के लोग विलुप्त होने की कगार पर । सरकार की प्रयास की क्वी नजर आए ।दूसरी ओर कुछ पदाधिकारी की अनदेखी के कारण यह परिवार विलुप्त की कगार पर पहुंचे हे।आज भी दिन दयाल आवास पर रहने पर मजबूर हे। दलमा सेंचुरी जंगल पर इन परिवार आपने आपने जीवन निर्भर करते देखा गया ।
आसनबनी पंचायत के लकड़ाडीह पहाड़ियां के सात परिवार अलग अलग बसबास करते हैं। ओर जंगल से पत्ता , कंद मूल ,दांतुन, सूखे लड़की आदि लाकर ,क्षेत्रीय मार्केट में बेच कर अपना जीवन बसर करते हैं
इन सभी की आज भी स्वास्थ्य सेवा ग्रामीण डॉक्टर पर निर्भर है।इस लिए इस क्षेत्र में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र की जरूरत है ताकि इन सभी का इलाज हो सके।
May 17 2023, 17:35