देवी चंडिका ने किया महिसासुर का वध
नवाबगंज ।क्षेत्र के महंगूपुर गाँव में चल रही श्रीमद देवी भागवत कथा में कथा व्यास पं राजेश शास्त्री ने महिसासुर वध कि कथा सुनाई. व्यास जी कहते हैं कि देवताओ के अनुनय विनय पर देवी ने अवतरित हो महिसासुर से युद्ध प्रारम्भ किया।
रण भूमि में देवी के अट्टाहस मात्र से हजारों राक्षसों कि मृत्यु हो गयीं. कितनो को देवी के सिंह ने अपने वार से निस्तेज कर दिया. अभिमानी दैत्य ने मृत्यु निकट जानकर भी देवी से युद्ध को आतुर हो सिंह का रूप धारण कर लिया,और अपने तेज ध्वनि करते हुए देवताओ को डराने लगा तब देवी ने चक्र से उस महाभिमानी का सर धड़ से अलग कर दिया. युद्ध भूमि में रक्त कि नदी बहने लगी।
महिसासुर का अंत होने पर देवता प्रसन्न हुए और दुंदुभी बजाई. पुष्प वर्षा करते हुए देवी कि वंदना की। कथा के व्यास ने कहा कि सत्य बोलो लेकिन प्रिय बोलो। जब कोई आपकी प्रशंसा करता है तो अपने मन को संभालना चाहिए।
युधिष्ठिर को अभिमान हुआ इसी कारण से उसका यज्ञ विफल हुआ। समर्पण भाव से निष्काम भाव से यज्ञ करना चाहिए। मनुष्यों के लिए बलि विधान नहीं है। आप जैसे देवता की आराधना करते हैं वैसे ही स्वभाव हो जाता है। भगवती रण चंडिका के उग्र चित्र को नहीं लगाना चाहिए। दूषित भावना से दिया गया बलि विधान लोगों कि लए नुकसानदेह है। वैकल्पिक बलि देना ज्यादा श्रेयस्कर है नारियल बलि देना चाहिए। माता तो हर हाल में प्रसन्न् होती है।
कथा में राजेश पाण्डेय, गुल्लन पाण्डेय, लल्लन पाण्डेय, अमरनाथ पाण्डेय, करुणाकर पाण्डेय, विनीत मिश्रा, रामप्रताप पाण्डेय, जगदेव पाण्डेय सुभम, कपिल, गोलू, अंकित आदि लोग रहे.
Apr 30 2023, 18:23