सराईकेला: हूल विद्रोह के महानायक सिद्धू -कान्हू की मनायी गयी जंयती
सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के टाटा रांची मुख्य राज्यमार्ग एन एच 33 स्थित गोलचक्कर में सिद्धू -कान्हू के आदमकद मुर्ती पर जो कि 11 अप्रैल हूल क्रांति के महानायक व जनक वीर अमर शहीद सिद्धू -कान्हू का जंयती झारखण्ड दिशोम बाहा (सरहुल) जाहेरगाढ समिति व विभिन्न समाजिक संगठनों द्वारा सिद्धू कान्हू की आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण कर मनायी गयी।
मौके पर जाहेरगाढ समिति के प्रवक्ता सुदामा हेम्ब्रम ने कहा की संथाल हुल सन् 1855 में सिद्धू -कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। उसके बाद हजारों लोग ने सिद्धू-कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता, साहुकारों, व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ हूल - हूल के नारा के साथ सशस्त्र युद्ध का शुरूआत किया, जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
संथाल विद्रोह का नारा था- "करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो था। इस अवसर पर जाहेरगाढ समिति के कोषाध्यक्ष बैधनाथ टुडू, मोती सोरेन, बाबु राम सोरेन, बीरु टुडू, राजू किस्कू, कले हेम्ब्रम, रविंद्र नाथ सिंह, सुफल किस्कू, बाबलू सोरेन, सोनाराम बेसरा आदि उपस्थित थे।
Apr 11 2023, 21:48