दुमका : अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री ने कहा - लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं
दुमका :- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री ने कहा कि मैं अपने मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन में सम्मिलित हुई।
जिला प्रशासन का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि लेखक के लिए हास्य मध्य होता है। लेखक के लिए ऊंची मंजिल पर बैठा कोई लेखक नहीं होता। लेखक को हमेशा उतर कर ही रहना होता है। तभी वह लेखन कर सकेगा। शनिवार को कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहां आना मेरे लिए मध्य के आना और जाना है जो लोग बड़े शहर चले गए हैं लंदन, न्यूयॉर्क को अपने शहर से बेहतर जानते हैं।
अपने बगल के प्रदेश को नहीं जानते। हमारी सोच और समझ में बहुत बड़ी कमी है। आप लोग उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। कहा कि मेरे लिए यह बहुत बहुमूल्य घड़ी है। मैं नहीं आती तो आपका शायद कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाता।
मैं यहां आप सब से सीखने आई हूं आपसे कुछ लेने आई हूं। लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं।गीतांजलि श्री द्वारा लिखी उपन्यास ' रेत समाधि ' प्रतिष्ठित 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने वाला पहला हिंदी उपन्यास है।
उनका जन्म गीतांजलि पांडे के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी माँ का पहला नाम 'श्री' लिया और इसे अपना अंतिम नाम बना लिया।
उन्होंने अब तक कई लघु कथाएँ और कुल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उनकी पहली कहानी ' बेल पत्र ' (1987) थी, जो साहित्यिक पत्रिका हंस में प्रकाशित हुई थी। रेत समाधि (2018) उनका पांचवां और नवीनतम उपन्यास है।
इन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार की प्राप्तकर्ता भी रही हैं। उन्होंने महाराज सयाजी राव विवि, वडोदरा से प्रेमचंद और उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर शोध की उपाधि प्राप्त की। कुछ दिनों तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि में अध्यापन के बाद सूरत के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में पोस्ट-डॉ टरल रिसर्च के लिए गईं।
वहीं रहते हुए उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू कीं। उनका परिवार मूल रूप से गाजीपुर जिले के गोडउर गाँव का रहने वाला है । राजकीय पुस्तकालय साहित्य महोत्सव के पांचवें चरण में हिन्दी की जानी मानी कथाकार और उपन्यासकार गीतांजलि श्री ने "रेत समाधि, कहानी के बारे में कहानी तथा अनुवाद की चुनौतियां" विषय पर परिचर्चा प्रस्तुत की।
इस परिचर्चा के दौरान कवि एवं लेखक नीता गुप्ता मॉडरेटर के रूप में उपस्थित थी।
इस परिचर्चा के दौरान गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा का चयन मैंने अपने लेखन में इसलिए चुना है क्योंकि मुझे अपनी मातृभाषा में ही अब सबसे सहज और सहल से उतर पाई। मैंने हिंदी भाषा का चयन नहीं किया बल्कि हिंदी भाषा में मेरा चयन किया है। उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों को कहा कि आप अपना परिचय अच्छे से समझ कर भी जीवन में किसी भी बड़े काम को आसानी से कर पाएंगे। इस दौरान उन्होंने अपने लिखे हुए किताब, उपन्यास से जुड़ी विभिन्न पहलुओं की जानकारी उपस्थित लोगों तक प्रेषित की।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Mar 19 2023, 19:47