दुमका : गौरवशाली धरती पर बहने लगी साहित्य की रसधार, साहित्य उत्सव का दूसरा सीजन शुरू, देश भर से जुटे प्रख्यात लेखक व कवि
दुमका : पहाड़-जंगलों से घिरे, मंदिरों की भूमि और अपने दामन मे कई इतिहास को समेटे झारखण्ड की उपराजधानी दुमका में शनिवार से साहित्य की रसधार बहनी शुरू हो गयी। जिला प्रशासन द्वारा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव के दूसरे सीजन का शुभारंभ उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला, एसपी अम्बर लकड़ा और देश भर से जुटे प्रख्यात लेखक व कवि ने संयुक्त रूप से किया।
दो दिनों तक चलनेवाले इस साहित्य उत्सव में देश भर के कई प्रख्यात संपादक, लेखक, साहित्यकार, कवि एवं प्रकाशकों द्वारा कला-संस्कृति, समाज, प्रकाशन, यात्रा, वन्य जीवन, भाषा आदि विषयों पर साहित्य के प्रभाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा और संवाद करेंगे।
साहित्य उत्सव के उदघाटन के अवसर पर बीते वर्ष आयोजित प्रथम साहित्य महोत्सव पर आधारित स्मारिका का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया।
सत्र के शुभारंभ से पहले उपायुक्त श्री शुक्ला ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने स्थानीय विधायक बसंत सोरेन का संदेश पढ़कर सुनाया।साहित्य उत्सव के प्रथम सत्र में लिखने की प्रेरणा विषय पर परिचर्चा हुई। सत्र का संचालन फाउंडिंग मदर्स ऑफ द इंडियन रिपब्लिक के लेखक अच्युत चेतन ने किया।
उन्होंने दुमका का इतिहास को बताते हुए कहा कि
शेरशाह सूरी जब यहां से गुजर रहें थे तो वह एक जगह पर रुके। वहां पर अपने सिपाहियों से कहा कि इस टीले पर चढ़कर देखो कि क्या नजर आ रहा है तो टीले पर चढ़कर सिपाहियों ने कहा कि नीचे एक नदी बह रही है जिसकी आकृति मोर की तरह दिखाई दे रही है जिससे उस नदी का नाम मयूराक्षी पड़ा और हमारे चारों ओर जो जगह है वह पहाड़ों के दामन में है जिससे इसका नाम दुमका पड़ गया। उन्होंने कहा कि दुमका विस्थापितों का शहर है। यहां की युवक-युक्तियां नौकरी की तलाश में बड़े शहर चले जाते है लेकिन यहां से काफी साहित्यकार उभरकर आगे भी आए हैं।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Mar 18 2023, 19:15