दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में हाथी के अलावे भैसों का झुंड भी विचारण करते देखे जाते हैं
सरायकेला : जिला के चांडिल अनुमंडल स्थित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के 193.22 वर्ग किलो मीटर में फैले यह सेंचुरी के बीहड़ों में जंगली भैंसा का झुंड विभिन्न जल स्रोत में देखने को मिलेगा ।
कई बार इस झुंड के नजदीक आने पर पर्यटकों को आक्रमण कर दिया था। 365 दिन ,बारह महीना यह जंगली भैसों का झुंड बड़का बांध ,मझला बांध , छोटका बाध ,साथ ही निचला बांध क्षेत्र में विचरण करते देखा जाता । यह भैसों का झुंड में छोटे बच्चे भी रहते हैं।
दलमा गजराज का झुंड के साथ यह जंगली भैंसा का झुंड केसे रहते हे। गर्मी के समय यह झुंड गजराज को देखते ही तलाव के पानी एवं किनारे से उठ जाते है ।ओर हाथी झुंड तलाब में प्रवेश करते है।
कई बार भैसों का झुंड और हाथियों का झुंड आपस में लड़ते देखा गया । यह भैसों का झुंड में नर, मादा दोनो एक साथ रहते । लगभग 25 से 30 छोटे बड़े भैसों रहते ।
यह कहा से इस जंगल में पहुंचे जंगली भैसों का झुंड
गज परियोजना ,सेंचुरी के तराई में बसे पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड क्षेत्र के बोटा टोला कोंकादासा ,कुयानी ,कोयरा, खोकरो आदि गांव के ग्रामीणों द्वारा यह भैंसा की जोड़ी एब मादा को दलमा पाठ , कोटाशिन्नी माता व दलमा बूढ़ा बाबा की पूजा अर्चना करके मन्नत मांग कर जंगल में छोड़ देते हे ।यह प्राचीन काल से आदिवासी समुदाय के लोगो द्वारा चले आ रहे है। भैंसा की देख रैक करना मुस्कित था ओर सुरक्षित भी रहता है।
उस समय इस जंगल में रॉयल बंगाल टाईगर रहते थे । फिर भी यह लोग के ऊपर देवी माता की असीम कृपा रहते है। जिसका जीता जागता यह उदाहरण है।आजतक इन लोगो के पालतू जानवर को निशाचर जीवों ने क्षति नही पहुंचाया । मजे की बाते यह की कृषि करने के समय भैंसा की जोड़ी को हल जोतने के समय ले जाते हैं।ओर खेती करने के बाद पून जंगल में झुंड के साथ छोड़ देते है।न दूध भैंसा से लेते है। दलमा वन क्षेत्र के पदाधिकारी को जानकारी रहने के बाबजूद कोई कारवाई नही किया न जंगल से भैंसा की झुंड को भगाया गया।
और पर्यटकों को जंगली भैसों की झुंड देखने को मिल जाते है।आज तक विभाग संज्ञान में नहीं लिया भैंसा की झुंड का मालिक कोन है।
Mar 18 2023, 17:01