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ब्रेकिंग/ चक्रधरपुर रेल मंडल के बामड़ा स्टेशन पर लोगों ने किया रेल का चक्का जाम ,ट्रेनों का परिचालन वाधित

चक्रधरपुर रेल मंडल के बामड़ा स्टेशन पर फिर से लोगों ने रेल चक्का जाम कर दिया है. जिसके कारण दर्जनों ट्रेनों का परिचालन बूरी तरह प्रभावित हो गया है.

चक्रधरपुर मंडल के अंतर्गत बामड़ा स्टेशन पर जन आंदोलन के कारण ट्रेन संख्या 18176 / 18175 झाड़सुगुड़ा - हटिया - झारसुगुड़ा मेमु एक्सप्रेस ट्रेन यात्रा प्रारंभ दिनांक 23/02/2023 को रद्द रहेगी.

बता दें कि ओड़िशा के बामड़ा स्टेशन पर ग्रामीणों ने यात्री सुविधा की मांग पर रेल चक्का जाम किया है. जहां-तहां यात्री ट्रेन रुकने से यात्री परेशान हैं.

ब्रेकिंग/ ईडी ने अरगोड़ा थाना प्रभारी और चंदन यादव को पूछताछ के लिए आज सम्मन देकर बुलाया

ईडी द्वारा जारी नोटिस के आलोक में पंकज के सहयोगी सूरज पंडित से बुधवार को पूछताछ हुई. पूछताछ के दौरान उसके मोबाइल से मिले ब्योरे से संबंधित जानकारी मांगी गयी.

उसने पंकज मिश्रा से रिम्स में मिलने और उसे फोन की सुविधा उपलब्ध कराने से संबंधित आरोपों को स्वीकार कर लिया है.

23 फरवरी को अरगोड़ा थाना प्रभारी विनोद कुमार और पंकज के सहयोगी चंदन यादव को समन भेज कर बुलाया गया है. अरगोड़ा थाना प्रभारी इडी के पहले समन पर हाजिर नहीं हुए थे. उन्होंने इडी को पत्र लिख कर यह सूचित किया था कि समन के अनुपालन के सिलसिले में वह अपने वरीय अधिकारियों से दिशा निर्देश मांग रहे हैं. वरीय अधिकारियों के दिशा निर्देश पर ही वह काम करेंगे.

रांची के इटकी में गुस्साए गजराज ने 4 लोगों की ली जान, एक का शव हाथी के पास ही ,नही आने दे रहा है हाथी किसी को शव के पास...।

झारखंड में जंगली हाथियों का उत्पात जारी है। बीते 1 सप्ताह में पूरे राज्य में अब तक दर्जन भर से ज्यादा लोगों की जान हाथियों के कुचलने से हो गई है। ताजा मामला रांची के इटकी थाना क्षेत्र से है जहां एक जंगली हाथी ने 4 लोगों की जान ले ली है। वहीं 1 गंभीर रूप से घायल हैं। इटकी थानेदार ने बताया कि घायल को रिम्स में भर्ती कराया गया है।

बताया जा रहा है कि इटकी थाना क्षेत्र में जंगल से दो हाथी गांव की ओर निकले थे लेकिन रास्ते में दोनों बिछड़ गए। एक हाथी इटकी के गढ़गांव में ही रह गया। मृतकों में पुनई उरांव का शव अभी तक हाथी के पास ही पड़ा है। गुस्साया हाथी किसी को शव ले जाने नहीं दे रहा है। वह लोगों पर हमला कर रहा है। घटना की सूचना के बाद वन विभाग और पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची है। इधर हाथियों को देखने के लिए पूरा गांव जमा हो गया है। प्रशासन उनसे अपील कर रही है कि वह हाथी से दूरी बनाए रखें। हाथी काफी गुस्से में है। मृतकों में राधा देवी, गोविंदा उरांव, सुखवीर किंडो शामिल है।

युवाओं पर लाठियों का प्रहार हेमंत सरकार की ताबूत में अंतिम कील साबित होगा.......दीपक प्रकाश

रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश ने आज रिम्स जाकर पंचायत स्वयंसेवक संघ के जख्मी एवम घायल सदस्यों से मुलाकात की।

मीडिया से बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश ने हेमंत सरकार पर कड़ा प्रहार किया। प्रकाश ने कहा कि पंचायत स्वयंसेवक संघ के सदस्यों पर कल पुलिस द्वारा हुआ बर्बर लाठीचार्ज हेमंत सरकार की ताबूत अंतिम कील साबित होगा।

उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार युवाओं को झूठे आश्वासन केलिए करोड़ों रुपए विज्ञापनों पर खर्च कर रही वहीं अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे अनशनकारियों से सरकार बात करना भी उचित नहीं समझती। 

उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से धरने पर बैठे थे। जब उनकी मांगों को सरकार अनसुनी करने लगी तो उन्होंने लोकतांत्रिक प्रदर्शन का सहारा लिया। ऐसे में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बर्बर लाठी चार्ज आपातकाल एवम हिटलर शाही की याद ताजा कर रही है।

उन्होंने कहा कि ऐसी सूचना मिल रही है कि पुलिस कर्मियों के साथ सादे लिबास में सत्ताधारी गठबंधन के अराजक तत्वों ने भी पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों पर लाठियां बरसाईं हैं।

उन्होंने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि हेमंत सरकार के इशारे पर पंचायत स्वयंसेवको की पिटाई की गई है जिसमे सैकड़ों लोग बुरी तरह घायल एवम जख्मी हुए हैं।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारों,नौजवानों पर यह कोई पहली पुलिसिया कार्रवाई नहीं है। बल्कि इस सरकार ने इसके पूर्व में भी चाहे सहायक पुलिस कर्मी हों या आंगनबाड़ी सेविका सहायिका या अन्य इस सरकार ने सबकी आवाज को दबाने केलिए पुलिसिया दमन का सहारा लिया है। यह सरकार सदन से सड़क तक संवाद से भागती है। संवाद से समाधान नहीं चाहती। इसकी नियत और नीति में दमनकारी सोच है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नाकामियों , विफलताओं कोआज राज्य का आदिवासी मूलवासी समाज पूरी तरह समझ चुका है।

प्रकाश ने कहा कि यदि राज्य सरकार जनसमस्याओं के निदान में सक्षम नहीं है तो इसे गद्दी छोड़ देना चाहिए नही तो भाजपा कार्यकर्ता इस भ्रष्ट निकम्मी सरकार को गद्दी छोड़ने केलिए बाध्य कर देंगे।

मस्जिदों के लिए वक्फ बोर्ड, तो मंदिरों के लिए सनातन बोर्ड क्यों नहीं ?’ विषय पर विशेष संवाद !


सरकारीकृत मंदिरों को भक्तों को सौंपकर उनका संचालन करने के लिए हिन्दू विभाग का गठन किया जाए !- महंत सुधीरदासजी महाराज

रांची डेस्क: मस्जिदों के लिए ‘वक्फ बोर्ड’ है, चर्च के लिए भी ‘स्वतंत्र चर्च समिति’ (डाइसेशन बोर्ड) है । उसी प्रकार हिन्दुओं के मंदिरों के लिए भी समिति अथवा विभाग का गठन होना चाहिए । हिन्दुओं के मंदिरों का सुव्यवस्थापन हो, इसके लिए हिन्दुओं की समिति की आवश्यकता है । जो मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं, उन्हें भक्तों को सौंपकर उसका संचालन उक्त समिति को सौंपा जाए ।

नासिक के कालाराम मंदिर के आचार्य महामंडलेश्वर महंत श्री सुधीरदासजी महाराज ने यह आवाहन किया है । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मस्जिदों के लिए वक्फ बोर्ड, तो मंदिरों के लिए‘सनातन बोर्ड’ क्यों नहीं ? विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे ।

महंत श्री सुधीरदासजी महाराज ने आगे कहा, ‘‘अनेक प्रसिद्ध देवस्थानों के परिसर में मद्य एवं मांसाहारी पदार्थाें की दुकानें हाती हैं, उन्हें बंद किया जाना चाहिए । कुछ प्रसिद्ध देवस्थानों के यहां पर्यटन की दृष्टि से भले ही सरकार ने विकास एवं सुविधाएं की हों, तब भी उन देवस्थानों की परंपराओं एवं आध्यात्मिकता को अक्षुण्ण रखने का दायित्व संबंधित देवस्थानों के पुजारियों एवं व्यवस्थापन का है ।

 साथ ही ‘वक्फ बोर्ड’ ‘लैंड जिहाद’ के माध्यम से लाखों एकड भूमि हडप रहा है । इसके आगे भी अनेक अचल संपत्ति ‘वक्फ बोर्ड’ अपने नियंत्रण में ले लेगा; इसलिए सरकार को ‘वक्फ बोर्ड’ पर अंकुश रखना चाहिए ।’’

देवस्थान सेवा समिति’ के विदर्भ सचिव श्री अनुप जयसवाल ने कहा कि, मंदिरों एवं धार्मिक संस्थाओं को अब एकत्र आना चाहिए, साथ ही मंदिरों के लिए ‘सनातन बोर्ड’ का गठन किया जाना चाहिए । मंदिर क्षेत्र के लोगों में कुछ मतभेद भी हों, तो उनका बातचीत से समाधान निकाला जाना चाहिए । साथ ही सरकार मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर कुछ समाजोपयोगी काम करती है; इसलिए वह सरकार अच्छी है, ऐसा नहीं कहा जा सकता; क्योंकि सरकारीकृतरहित मंदिर एवं मंदिरों के भक्त भी ऐसे अनेक समाजोपयोगी उपक्रम चलाते हैं । इससे हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं भी संजोई जाती हैं ।

रांची के बड़े न्यूरोलॉजिस्ट में शुमार डॉक्टर उज्ज्वल जो संगीत से करते हैं इलाज


रांची : भारत में चिकित्सा सेवा दिन-प्रतिदिन आधुनिक होती जा रही है. विभिन्न विधाओं से डॉक्टर मरीज का इलाज कर रहे हैं.विदेशों में पहले से प्रचलित इलाज के इस पद्धति का अब रांची के चिकित्सक भी उपयोग कर रहे हैं. इससे मरीजों को आराम भी मिल रहा है. आयुर्वेद पद्धति हो, होमियोपैथ पद्धति हो या फिर एलोपैथ पद्धति हो हर पद्धति में मरीज को लाभ पहुंचना किसी भी डॉक्टर का अंतिम लक्ष्य होता है, ताकि मरीज को बीमारी से निजात मिल सके, लेकिन रांची में एक ऐसे चिकित्सक हैं जो संगीत के माध्यम से मरीजों का इलाज करते हैं. रांची के बरियातू के पास अपना निजी क्लिनिक चला रहे राजधानी के बड़े न्यूरोलॉजिस्ट में शुमार डॉक्टर उज्ज्वल बताते हैं कि जिस प्रकार से अन्य पद्धति के माध्यम से मरीजों का इलाज होता है, उसी प्रकार म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से भी मरीजों का इलाज किया जाता है. 

विदेशों में पहले से प्रचलित है म्यूजिक थेरेपीः डॉक्टर उज्ज्वल ने बताया कि इस थेरेपी के माध्यम से विदेशों में मरीजों का पहले से इलाज हो रहा है और और म्यूजिक थेरेपी का उपयोग धीरे-धीरे भारत में भी शुरू हो रहा है. न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर उज्ज्वल राय बताते हैं कि जिस प्रकार से फिजियोथैरेपी के डॉक्टर अपने मरीज का इलाज करते हैं, उसी प्रकार से म्यूजिक थेरेपी से भी इलाज होता है. इस इलाज में सिर्फ म्यूजिक एक मात्र इलाज करने का एक साधन होता है. जिससे डॉक्टर मरीज के दिमाग को रिहेबिलिटेट कर पाते हैं. भारत में फिलहाल दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में म्यूजिक थेरेपी से मरीजों का इलाज शुरू हो रहा है. कई मरीज इससे लाभ पाकर स्वस्थ भी हुए हैं.

विदेशों में वेस्टर्न म्यूजिक से मरीजों को दी जाती है

थेरेपी :* म्यूजिक थेरेपी का उपयोग न्यूरोलॉजिकल बीमारी या फिर साइकेट्रिक बीमारी में किया जाता है. डॉ उज्ज्वल बताते हैं इस विधि का उपयोग अमेरिका में खूब होता है और अमेरिका में कई डॉक्टरों म्यूजिक थेरेपी से मरीजों को ठीक भी किया है. वहीं उन्होंने बताया कि अभी तक इस थेरेपी में जितने भी म्यूजिक का उपयोग किया जाता था, वो वेस्टर्न कल्चर से जुड़े होते थे. क्योंकि इसमें ज्यादातर रिसर्च अमेरिका या फिर अन्य विदेशों में हुए हैं, लेकिन धीरे-धीरे अब भारत में भी इस पद्धति को अपनाया जा रहा है.

भारत के चिकित्सक अब हिंदी संगीत का इस्तेमाल मरीजों के इलाज में कर रहे हैंः भारतीय चिकित्सकों के द्वारा भी कई ऐसे संगीत का चयन किया जा रहा है जो भारतीय और हिंदी संगीत हैं और इसमें भी म्यूजिक के कई नोट निर्धारित किए जा रहे हैं, ताकि हर नोट के माध्यम से मरीजों के दिमाग की खोई हुई शक्ति को ठीक किया जा सके. डॉक्टर उज्ज्वल बताते हैं कि न्यूरो से जुड़े कई तरह के मरीज आते हैं. जैसे भूलने की आदत वाले मरीज या फिर याददाश्त भूल जाने वाले मरीज इत्यादि. इन सभी तरह के बीमारियों में म्यूजिक थेरेपी का उपयोग हो सकता है. मरीजों की बीमारी के हिसाब से संगीत का भी चयन किया गया है, ताकि संगीत की धुन को दिमाग की खोई हुई शक्ति पकड़ सके. 

न्यूरोलॉजिकल समस्या के साथ कई तरह के दर्द में कारगर है म्यूजिक थेरेपीः डॉक्टर उज्ज्वल बताते हैं कि म्यूजिक से सिर्फ न्यूरोलॉजिकल ही नहीं, बल्कि कई तरह के दर्द को भी आराम दिया जा सकता है. म्यूजिक सुनने के बाद मरीज कई तरह के दर्द को भूल जाते हैं. न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर उज्ज्वल बताते हैं कि कई बार युवाओं में नशे की लत भी देखने को मिलती है. म्यूजिक थेरेपी से युवाओं में नशे की लत को छुड़ाया जा सकता है. 

रांची में डॉक्टर उज्ज्वल कर रहे म्यूजिक थेरेपी से मरीजों का इलाजः रांची के डॉक्टर उज्ज्वल बताते हैं कि म्यूजिक थेरेपी से लोगों का इलाज कराने की परंपरा उनकी तरफ से रांची में शुरू की गई है. उनका मानना है कि म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से न्यूरो की गंभीर से गंभीर बीमारी को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि संगीत से सभी को प्यार होता है. ऐसे में जब संगीत की धुन व्यक्ति के दिमाग में जाती है तो भूलने वाले न्यूरॉन को मरने से बचाता है. इसलिए म्यूजिक थेरेपी से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है.

इटखोरी के प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर का होगा जीर्णोद्धार,500 करोड़ की मास्टर प्लान तैयार


(झारखंड डेस्क)

चतरा: इटखोरी का प्राचीन धार्मिक स्थल मां भद्रकाली पर श्रद्धालूओं को असीम आस्था है।अब सरकार भी इस मंदिर के भव्यता और पर्यटन महत्व को बढ़ाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है।

इस मंदिर के जीर्णोद्धार करने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा 500 करोड़ की लागत से योजना तैयार की है।सरकार का इस कदम से इस मंदिर की भव्यता बढ़ेगी और पूरे झारखंड के लिए यह एक मील का पत्थर साबित होगा ।

इटखोरी का ऐतिहासिक महत्व

यह क्षेत्र पुरातात्विक महत्व और प्राचीन अवशेष को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है।यह भद्रकाली मंदिर काफी पुराना है।जिसकी ऐतिहासिकता को लेकर हमेशा चर्चा होती रही है।इस ओर सरकार का ध्यान कई अवसरों पर  दिलाया जाता रहा है।इसके वाबजूद इस दिशा में अभी तक ठोस कदम नही उठाया गया।इसके लिए मास्टर प्लान भी बने लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह फाइल ऑफिस के अलमारी में धूल फांकती रही।लेकिन अभी सरकार इस दिशा में फिर पहल शुरू की ओर इसके विकास और जीर्णोद्धार के लिये योजना भी बनाने का निर्देश दिया है।अब देखना है कि यह धरातल पर कितना उतड़ पाता है।

9 वीं 10वीं शताब्दी में यह मंदिर एक समृद्ध धार्मिक स्थल था

यह सर्व विदित है कि 9वीं 10वीं शताब्दी कालखंड में मां भद्रकाली मंदिर परिसर एक समृद्ध धार्मिक स्थल था। यहां के मठ मंदिर विकसित शिल्प कला से बने थे। इसका प्रमाण मंदिर के म्यूजियम में आज भी मौजूद हैं।

कलाकृतियों से सुसज्जित पत्थरों से त्रिरथ पद्धति से नागर शैली में बनाए गए थे मंदिर

रेड सेंडस्टोन को तराश कर बनाई गई कलाकृतियों से सुसज्जित पत्थरों से यहां उस कालखंड में मंदिरों का निर्माण हुआ था। यहां के मठ और मंदिर त्रिरथ पद्धति से नागर शैली में बनाए गए थे। इस बात की पुष्टि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के द्वारा भी की जा चुकी है।

12 वीं 13 वीं शताब्दी तक विकसीत था यह मंदिर

पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 9वीं-10वीं शताब्दी कालखंड से लेकर 12 वीं 13 वीं शताब्दी तक यह पवित्र स्थल काफी विकसित था। एक विध्वंस के बाद यह धार्मिक नगरी पूरी तरह ध्वस्त होकर दुनिया की नजरों से ओझल हो गई।

चरवाहों ने विध्वंस में तबाह हुई इस धार्मिक नगरी की खोज की

18 वीं शताब्दी में चरवाहे ने खोजी विध्वंस धार्मिक नगरी

18 वीं शताब्दी कालखंड में जंगल में पशु चराने वाले चरवाहों ने विध्वंस में तबाह हुई इस धार्मिक नगरी की खोज की। इसके बाद शुरू हुआ इस स्थल को पुनस्थापित करने का अनवरत सिलसिला जो आज तक जारी है। मां भद्रकाली मंदिर परिसर के विकास में 1968,1983, 2007 तथा 2015 काफी महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।

1968 के बाद फिर मंदिर परिसर का हुआ विकास

1968 में चोरी होने के बाद मां भद्रकाली की प्रतिमा की वापसी से क्षेत्र के लोगों में माता के प्रति काफी आस्था बढ़ गई। इसके बाद लोगों ने धीरे-धीरे मंदिर परिसर का विकास करना शुरू किया।

1983 में ऐतिहासिक सहस्त्र चंडी महायज्ञ के आयोजन से इस स्थल को अपनी एक पहचान मिली। पहले मां भद्रकाली विकास समिति तथा इसके बाद मां भद्रकाली मंदिर प्रबंधन समिति के सौजन्य से विध्वंस में ध्वस्त हुए मंदिरों को पुनस्थापित किया गया।

2007 में वन विभाग ने कराए कई विकास कार्य

2007 में पर्यटन विभाग के द्वारा निर्गत एक करोड़ साठ लाख रुपए की राशि से वन विभाग ने मंदिर परिसर में विकास के कई काम किए। वहीं 2015 में शुरू हुए इटखोरी महोत्सव के माध्यम से मंदिर परिसर में अनवरत विकास का एक महा अनुष्ठान ही शुरू कर दिया गया।

महोत्सव का आयोजन शुरू होने के बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म की इस संगम स्थली को विकसित करने का बीड़ा उठाया। इसके तहत मंदिर परिसर में तीन करोड़ रुपये की लागत से डाक बंगला, ढाई करोड़ रुपए की लागत से विद्युत की व्यवस्था की गई।

साढ़े चार करोड़ की लागत से अत्याधुनिक म्यूजियम का निर्माण

साथ ही साढ़े चार करोड़ रुपए की लागत से अत्याधुनिक म्यूजियम का भी निर्माण शुरू किया गया। लेकिन राज्य में सरकार बदलने के बाद मां भद्रकाली मंदिर परिसर में पर्यटन विकास के लिए बनाए गए मास्टर प्लान योजना की फाइल संदूक में बंद हो गई।

जबकि मास्टर प्लान के तहत मंदिर परिसर में 200 करोड़ रुपए की लागत से दुनिया का सबसे ऊंचा प्रेयर व्हील, मेगा प्लाजा गेट, आडिटोरियम, रिवर फ्रंट आदि का निर्माण किया जाना है।

रांची:झारखंड के नवनियुक्त माननीय राज्यपाल श्री सीपी राधाकृष्णन जी से पूर्व मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने शिष्टाचार मुलाकात की।


रांची:- झारखंड के नवनियुक्त माननीय राज्यपाल श्री सीपी राधाकृष्णन जी से पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रघुवर दास ने शिष्टाचार मुलाकात की। 

उन्होंने कहा कि झारखंड के विकास प्रति उनकी रुचि और सकारात्मकता देख कर काफी प्रभावित हुआ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके अनुभव और विजन का लाभ झारखंड को मिलेगा।

ब्रेकिंग: रांची- झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने आंदोलन स्थगित कर बंद को लिया वापस

रांची: चेंबर ऑफ कॉमर्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी है कि पिछले कुछ दिनों से चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से चल रही आंदोलन को वापस लिया गया है।

बताया गया कि सीएम आवास पर झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के बाद बंद वापस लेने का फैसला लिया गया।

बैठक में सीएम के प्रतिनिधि के रुप में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विनय चौबे हुए शामिल कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, कांग्रेस और जेएमएम के प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुए।

बैठक में सरकार की ओर से सकारात्मक रास्ता निकालने का दिया गया भरोसा । सकारात्मक भरोसा मिलने के बाद झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद को चौथे दिन लिया वापस।

सीएम हेमंत सोरेन ने पहाड़ी मंदिर में बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना की, भव्य शिव बारात को किया विदा

रांची: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन महाशिवरात्रि के अवसर पर ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर राज्य और राज्य वासियों की उन्नति, सुख शांति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की। इस मौके पर उन्होंने भव्य शिव बारात को विदा किया और लोगों को इस महापर्व की शुभकामनाएं दी।

 वर्षों से चली आ रही है परंपरा और मजबूत हो 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालुओं का पहुंचना हमारी वर्षों से चली आ रही धार्मिक आस्था का परिचायक है । आने वाली पीढ़ी भी इस परंपरा को अक्षुण्ण और मजबूती के साथ आगे बढ़ाए, हम बाबा भोलेनाथ से यह कामना करते हैं।

 इस अवसर पर शिव बारात आयोजन केंद्रीय महासमिति की ओर से मुख्यमंत्री का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया।