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शिवसेना में नाम-सिंबल की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट से उद्धव गुट को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने कहा- प्रक्रिया के तहत कल आइए


शिवसेना के कब्जे की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उद्धव गुट ने आज सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर मामले पर अर्जेंट सुनवाई की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अर्जेंट मेंशनिंग की एक प्रक्रिया है, उन्हें इसका पालन करना चाहिए।

शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह निर्वाचन आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने अर्जेंट बेसिस पर सुनवाई की गुजारिश की। उनकी मांग पर सीजेआई ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि याचिका को अर्जेंट मेंशन करने की एक प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जाना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने SC में चुनाव आयोग के आदेश का उल्लेख किया। इस पर CJI ने कहा कि अर्जेंट मैटर के मेंशन का सिस्टम बनाया गया है। सबको उसे मानना पड़ेगा। इसलिए उन्हें कल आना चाहिए. दरअसल, यह याचिका मेंशनिंग लिस्ट में नहीं थी। इसलिए कोर्ट ने इसे कल मेंशन करने के लिए कहा। उद्धव ठाकरे गुट ने निर्वाचन आयोग के आदेश को दोषपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्टे लगाने की गुहार लगाई है।

उद्धव गुट इस कोशिश में लगा हुआ था कि याचिका को तुरंत सुनवाई के लिए लिस्ट कर लिया जाए। उद्धव गुट के इस कदम की भनक शिंदे गुट को पहले ही थी। इसलिए उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया था।

दरअसल, चुनाव आयोग ने अपने फैसले में शिवसेना का नाम और तीर-कमान का चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को देने का निर्णय लिया था। इस फैसले के बाद एक तरफ शिंदे गुट में खुशी की लहर दौड़ गई थी तो वहीं उद्धव गुट ने इस फैसले को सुनियोजित और पक्षपातपूर्ण बताया था।

शिंदे गुट ने दाखिल की थी कैविएट

शिवसेना का नाम और निशान मिलने से उत्साहित शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर ये मांग कर दी थी कि बिना उनका पक्ष सुने कोई भी एकतरफा आदेश पारित न किया जाए। उद्धव गुट की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के बयान ने पहले ही कयास लगने लगे थे कि उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि अब लोकतंत्र की रक्षा सुप्रीम कोर्ट को ही करनी होगी।

छत्तीसगढ़ में ईडी का बड़ा एक्श, कई कांग्रेसी नेताओं के घर छापा, कांग्रेस के तीन दिवसीय पूर्ण अधिवेशन से पहले कार्रवाई

#edraidspremisesofcongressleadersinraipurchhattisgarh

रायपुर में कांग्रेस नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने ने प्रदेश में 12 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं के घर छापा मारा है। यह छापेमारी राज्य की राजधानी रायपुर में 24-26 फरवरी तक कांग्रेस के तीन दिवसीय पूर्ण अधिवेशन से पहले हुई है।

सोमवार सुबह 5 बजे ईडी की टीम राजधानी रायपुर में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के घर पहुंची और दस्तावेजों को खंगालने का काम कर रही है। जिन नेताओं के यहां छापे की खबर है, उनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, श्रम कल्याण मंडल अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव, प्रवक्ता आरपी सिंह, विनोद तिवारी , कांग्रेस के मीडिया प्रवक्ता आरपी सिंह आदि शामिल हैं।

सीएम भूपेश बघेन ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला

ईडी की कार्रवाई के बाद एक बार फिर सियासत गरमा गई है। राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले बड़े स्तर पर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के घर ईडी की रेड से प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। छापे को लेकर प्रदेश के मुखिया सीएम भूपेश बघेन ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष, पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष और एक विधायक सहित मेरे कई साथियों के घरों पर आज ईडी ने छापा मारा है। चार दिनों के बाद रायपुर में कांग्रेस का महाधिवेशन है। तैयारियों में लगे साथियों को इस तरह रोककर हमारे हौसले नहीं तोड़े जा सकते। 'भारत जोड़ो यात्रा' की सफलता से और अडानी की सच्चाई खुलने से भाजपा हताश है। यह छापा ध्यान भटकाने का प्रयास है। देश सच जानता है। हम लड़ेंगे और जीतेंगे।

कांग्रेसी नेताओं पर निशाना

राज्य में पहले भी ईडी की टीम कई बार कार्रवाई कर चुकी है, लेकिन पहली बार सीधे तौर पर कांग्रेसी नेताओं के घर पर टीम ने छापा मारा है। इस साल यह पहली बार होगा कि ईडी ने सीधा किसी कांग्रेसी नेता के घर धावा बोला है। लगातार प्रदेश में कोल लेवी के मामले में कार्रवाई चल रही थी। जिसमें कई आईएस और कोयले से जुड़े व्यापारी जेल में ईडी की रिमांड में हैं। माना जा रहा है कि ये कार्रवाई कोयला घोटाले को लेकर की जा रही है। ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में प्रत्येक टन कोयला ढुलाई पर 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी। मामले में अब तक राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और एक कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

नीतीश की नसीहत के बाद केसी वेणुगोपाल ने बड़ा बयान, बोले-अकेले मोदी सरकार का सामना नहीं कर सकती कांग्रेस

#kcvenugopalsayspartyalonecantfightmodigovernment 

2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। इस चुनाव में बीजेपी तीसरी बार सत्ता अपने पास बनाए रखने के लिए जोर लगाएगी। वहीं दूसरे विपक्षी दल इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए लडेंगे। जी हां, ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए, सत्ता के लिए नहीं। क्योंकि इन्हें भी मालूम है कि अभी केन्द्र की मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करना मुश्किल है। इस बात को कांग्रेस ने भी मान लिया है। कांग्रेस का माना है कि 2024 के आम चुनाव में पार्टी के लिए मोदी सरकार का अकेले सामना करना काफी मुश्किल होगा।

हमें चोटों का अनुभव, लेकिन सब कुछ भूलने को तैयार-वेणुगोपाल

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए गंभीर है। हालांकि, उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा में विपक्षी नेताओं के न पहुंचने को लेकर टीस भी जाहिर की और कहा कि वह सब कुछ भूलने को तैयार हैं। वेणुगोपाल ने कहा, विपक्षी एकता के लिए हमारा प्रयास बहुत ईमानदार है। भले ही हमारे पास बहुत सारे अनुभव हैं, जिन्होंने हमें चोट पहुंचाई है, लेकिन हम इस तानाशाही सरकार को हटाने के लिए सब कुछ भूलने को तैयार हैं। हम पूरी तरह से विपक्ष में एकता के लिए हैं।

तानाशाही सरकार से लड़ने के लिए विपक्षी एकता की जरूरत-वेणुगोपाल

वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा के विरोध में पड़ने वाले वोटों को बिखरने से रोकने के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता सबसे अहम मानक है। उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस भी विपक्षी एकता को लेकर चिंतित है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने कई मौकों पर मौजूदा स्थिति को बयां किया है कि कांग्रेस अकेले इस सरकार का सामना नहीं कर सकती। कांग्रेस हर कीमत पर लड़ेगी। लेकिन हमें इस अलोकतांत्रिक, तानाशाही सरकार से लड़ने के लिए विपक्षी एकता की जरूरत होगी।

नीतीश कुमार ने क्या कहा था?

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में विपक्ष की एकता को लेकर कांग्रेस को बड़ी सलाह दी थी। नीतीश कुमार ने शनिवार यानी 18 फरवरी को पटना में आयोजित सीपीआ-एमएल के राष्ट्रीय कन्वेंशन में बीजेपी को 100 सीटों के नीचे समेटने का प्लान बताया था। नीतीश कुमार ने कहा था, अगर साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों का गठबंधन हो जाए, तो बीजेपी को 100 सीटों के नीचे समेटा जा सकता है। नीतीश कुमार ने सम्मेलन में कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब कांग्रेस को आगे आना चाहिए और विपक्षी एकजुटता में देरी नहीं करनी चाहिए। नीतीश ने आगे कहा कि मैंने राहुल और सोनिया गांधी से दिल्ली में भी मुलाकात की थी। हम तो इंतजार कर रहे हैं। अगर सब एकजुट हो जाएं तो बीजेपी 100 सीटों के अंदर खिसक जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शिवसेना का ‘नाम और निशान’ विवाद, चुनाव आयोग के फैसले को उद्धव गुट ने दी चुनौती

#uddhavthackerayfactionmovessupremecourtagainst_eci 

शिवसेना के नाम और निशान पर चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में सियासत गर्म है। इस बीच उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव चिह्न् ‘तीर-कमान’ को एकनाथ शिंदे गुट को देने के चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिन्ह धनुष और बाण आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।सुप्रीम कोर्ट ने वकील को इस मामले को कल मेंशन करने के लिए कहा है। 

उद्वव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की है। इस पर शीर्ष अदालत ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें इस मैटर का जिक्र कल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा -आपने अपनी अर्जी को जल्द सुनवाई की मांग के लिए ;(मेंशनिंग लिस्ट) में शामिल नहीं किया है। बिना लिस्ट में शामिल किए कोई तारीख अदालत की ओर से नहीं दी जा सकती। आप पहले जरूरी औपचारिकता पूरी करके कल आइए।

उद्धव गुट ने कहा- ईसीआई ने गलत मानदंड अपनाया

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे तर्कों को पूरी तरह नजरअंदाज किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है। इस मुद्दे को तय करने के लिए ईसीआई द्वारा गलत मानदंड अपनाया गया। 

शिंदे गुट भी शांत नहीं

वहीं उद्धव गुट से पहले शिदें गुट ने अपनी चाल चल दी है। एक दिन पहले ही शिंदे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गई है। दरअसल शिवसेना की कमान, उसका नाम और चुनाव चिह्न मिलने के बाद शिंदे गुट चुनाव आयोग के फैसले को कायम रखना चाहती है। जिसके लिए पूरी कोशिश पहले ही शुरू कर दी गई है।

उद्धव ठाकरे को एक बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह आवंटित किया था, क्योंकि एकनाथ शिंदे गुट के पास 55 में से 40 विधायकों और 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 का समर्थन प्राप्त है।

जेएनयू में फिर बवाल, अब शिवाजी महाराज की तस्वीर को लेकर छात्र संघ और एबीवीपी के बीच झड़प

#clasheruptsbetweenabvpandjnustudentsunionagain 

दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी एक बार फिर ‘अखाड़ा’ बना है।वामपंथी और एबीवीपी छात्रों के बीच झड़प के बाद कैंपस में तनाव का महौल है।जेएनयू के छात्र संघ कार्यालय में शिवाजी जयंती के मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वामपंथी सदस्यों के बीच झड़प हो गई। रविवार को जेएनयू में छात्र संघ कार्यालय में वामपंथियों के द्वारा वीर शिवाजी के चित्र से माला उतारी गई। इसके साथ ही तोड़-फोड़ कर वहां लगे महापुरुषों की तस्वीरों को फेंक दिया गया। जिसके बाद से कैंपस में तनाव का महौल है।

एबीवीपी ने घटना का वीडियो ट्वीट किया

एबीवीपी ने एक बयान में कहा कि उसने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम के तुरंत बाद वामपंथी छात्र वहां आ गए और माला उतारकर शिवाजी की तस्वीर नीचे फेंक दी। एबीवीपी ने इस घटना पर ट्वीट भी किया है।वीडियो में एबीवीपी का एक छात्र कह रहा है, यहां अभी-अभी लेफ्ट के गुंडो द्वारा हमारे बीच शिवाजी और महाराणा प्रताप जी के चित्र से माला को उतार दिया गया। इसके साथ ही यहां जेएनयूएसयू पर तोड़फोड़ की गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस घटना का निंदा करती है।

जेएनयू छात्रसंघ का एबीवीपी पर आरोप

वहीं, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के महासचिव ने कहा- एबीवीपी सदस्यों ने शिवाजी का फोटो जेएनयू स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) के दफ्तर पर रखा था, जिसके लिए जेएनयूएसयू की ओर से अनुमति चाहिए होती है। फिर भी उन्होंने वहां उसे अवैध तरीके से रखा। कुछ और स्टूडेंट्स वहां पहुंचे और उन्होंने स्क्रीनिंग प्रोग्राम के लिए सभी पोट्रेट्स हटा दिए, जिसके बाद दोनों गुटों के बीच लड़ाई हो गई।वहीं वाम के समर्थन वाले जेएनयू छात्र संघ का आरोप था कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बॉम्बे) के स्टूडेंट के लिए न्याय की मांग को लेकर निकाले गए मार्च के बाद अखिल एबीवीपी ने कुछ छात्रों पर हमला किया, जबकि एबीवीपी ने इसे सिरे से खारिज किया है।

मेघालय में चुनाव से पहले बीजेपी पदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान, कहा-मैं बीफ खाता हूं और बीजेपी में हूं, इसमें कोई दिक्कत नहीं

#bjpmeghalayachiefernestmawriesaidheeatsbeefandstillhecaninbjp

मेघालय में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी पार्टियां जोर शोर से प्रचार में जुटी हुई हैं। नेता अलग-अलग मुद्दों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं। हालांकि, मतदान से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने बड़ा दिया है, जो नया चुनावी मुद्दा बन सकता है। दरअसल अर्नेस्ट मावरी ने कहा कि भगवा पार्टी ने गोमांस खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और वह बीफ खाते हैं और इसमें कोई समस्या नहीं है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी कहा- जब से बीजेपी सत्ता के केंद्र में आई है, तब से चर्चों पर कोई हमला नहीं हुआ है और न ही पार्टी बीफ खाने पर किसी तरह का कोई बैन लगाती है।मावरी ने कहा, मैं बीफ खाता हूं और बीजेपी में भी हूं। इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं है। पार्टी किसी जाति, पंथ या धर्म के बारे में नहीं सोचती है। हम जो चाहें खा सकते हैं, यह हमारी खाने की आदतों में शामिल है।किसी राजनीतिक दल को इससे समस्या क्यों होनी चाहिए?

पार्टी में गोमांस को लेकर कोई निर्देश नहीं-मावरी

जब मावरी से पूछा गया कि हिंदू धर्म में तो गाय को पवित्र माना जाता है। इस पर उन्होंने कहा कि वे अपनी भोजन की आदतों का पालन करते हैं और इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसे लेकर हमें कोई निर्देश नहीं मिला है।उन्होंने कहा कि मेघालय में हर कोई बीफ खाता है और राज्य में इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

कम से कम 34 सीटें जीतने का दावा

वहीं, मेघालय बीजेपी चीफ ने चुनाव में जीत कादावा किया। उन्होंने कहा, मेघालय के लोग इस बार बीजेपी के साथ हैं। यह आप दो मार्च को देख लेंगे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आगामी चुनावों में उनकी पार्टी कम से कम 34 सीटें जीतेगी।

मेघालय विधानसभा चुनाव 27 फरवरी को विधान सभा के सभी 60 सदस्यों के चुनाव के लिए निर्धारित हैं।नतीजे 2 मार्च को घोषित किए जाएंगे।

महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर हमला, कहा- मुसलमान नहीं करते मुगलों की बात, बाप-दादा का जिक्र औलादें करती है

#mehboobamuftitargets_bjp

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बिना नाम लिए बीजेपी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला। मुफ्ती ने बीजेपी को लेकर विवादित बयान दिया है। पीडीपी प्रमुख ने बीजेपी के लोगों को मुगलों का औलाद बताया है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि जो लोग सबसे ज्यादा मुगलों की बात करते हैं, उनकी औलादें लगती हैं।

मुफ्ती ने पूछा- बाप-दादा का कौन जिक्र करता है?

महबूबा मुफ्ती ने रविवार को जम्मू कश्मीर में कहा कि मैं जम्मू के लोगों से कहना चाहूंगी कि अगर उन्हें लगता है कि ये(बीजेपी) मुसलमानों के पीछे पड़े हैं तो आप इस ख्वाब से बाहर निकल जाइए। ये कोई राष्ट्र नहीं बनाना चाहते ये बस बीजेपी राष्ट्र बनाना चाहते हैं। पीडीपी प्रमुख ने बीजेपी का नाम लिए बगैर कहा कि जब कोई दुश्मन नहीं मिलता तब ये लोग मुगलों की बात करते हैं। मुसलमान मुगलों की बात नहीं करते हैं। ये (बीजेपी) लोग जितना कर रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है कि ये उन्हीं की औलाद हों। महबूबा में सवाल करते हुए कहा कि बाप-दादा का कौन जिक्र करता है? जो औलाद होती है वहीं करती हैं।

पिता के बीजेपी के साथ गठबंधन के फैसले का किया बचाव

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बुलडोजर का इस्तेमाल किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को अहसास हो रहा है कि आर्टिकल 370 कैसे उनके लिए सुरक्षा कवच था। उन्होंने 2014 में बीजेपी से गठबंधन करने के उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि तब पीडीपी सुप्रीमो ने सफलतापूर्वक ‘जानवर को पिंजरे’ में कैद किया था। महबूबा ने कहा कि कोई नहीं समझ सकता कि मुफ्ती साहब ने जानवर को पिंजरे में बंद किया था। उन्होंने बीजेपी को पिंजरे में डाला था। मुफ्ती साहब ने बीजेपी का हाथ पकड़ा ताकि उन्हें रोका जा सके। 

बीबीसी विवाद पर भी बीजेपी पर साधा निशाना

वहीं पीडीपी प्रमुख ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर बीजेपी पर तंज कसा।उन्होंने कहा कि वो ब्रिटिश सहयोगी थे, जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के खिलाफ तब तक बात नहीं की जब तक विवाद नहीं हुआ। महबूबा मुफ्ती ने कहा, वो अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बोलते हैं, लेकिन अब जब बीबीसी विवाद छिड़ गया है, तो वो अंग्रेजों के खिलाफ बोलते हैं, क्योंकि इस फिल्म में सच्चाई है।

मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की सास कौन है..? आइये जानते हैं उनके नाम दर्ज उपलब्धियां...?
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वाईएस शर्मिला ने तालिबान से की केसीआर की तुलना, तेलंगाना को बताया भारत का अफगानिस्तान

#telangana_is_india_afghanistan_and_kcr_its_taliban_ys_sharmila_sparks

वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) प्रमुख वाईएस शर्मिला ने केसीआर की तुलना तालिबान से की है, यही नहीं उन्होंने तेलंगाना को भारत का अफगानिस्तान बताया है। वाईएस शर्मिला ने ये बातें पुलिस तेलंगाना पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के दौरान कहीं।शर्मिला को उनकी पदयात्रा के दौरान महबूबाबाद शहर में पुलिस ने गिरफ्तार किया।

वाईएस शर्मिला ने रविवार को कहा कि तेलंगाना भारत का अफगानिस्तान है और केसीआर इसका तालिबान है। महबूबाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए शर्मिला ने कहा कि वह (तेलंगाना के सीएम केसीआर) एक तानाशाह हैं। वह अत्याचारी हैं। तेलंगाना में कोई भारतीय संविधान नहीं है। केवल केसीआर का संविधान है। तेलंगाना भारत का अफगानिस्तान है और केसीआर इसका तालिबान है।

वहीं दूसरी ओर वाई. एस. शर्मिला को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक बी. शंकर नाइक के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में दर्ज एक मामले में रविवार को महबूबाबाद जिले में एहतियातन हिरासत में लिया गया। पुलिस ने कहा कि बीआरएस के एक नेता की शिकायत पर शर्मिला के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने शर्मिला पर चल रही राज्यव्यापी पदयात्रा ‘प्रजा प्रस्थानम’ के दौरान शनिवार को महबूबाबाद जिले में अपनी टिप्पणी के माध्यम से अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित विधायक का ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया। पुलिस ने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए उन्हें पदयात्रा के लिए दी गई अनुमति रद्द कर दी गई है, क्योंकि उनके बयान के बाद शर्मिला के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बीआरएस के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

इससे पहले शर्मिला ने शनिवार शाम कस्बे में एक जनसभा के दौरान महबूबाबाद के विधायक बी. शंकर नाइक के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। शर्मिला ने आरोप लगाया था कि विधायक भ्रष्टाचार में शामिल हैं और उन्होंने जमीनों पर कब्जा किया हुआ है।

बता दें कि दो महीने से अधिक के ब्रेक के बाद वाईएस शर्मिला ने इस महीने की शुरूआत में अपनी प्रजा प्रस्थानम पदयात्रा फिर से शुरू की थी। उन्होंने उस स्थान से पदयात्रा फिर से शुरू की जहां पिछले साल नवंबर में इसे रोक दिया गया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला की पदयात्रा वर्तमान में 3,800 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुकी है और खम्मम जिले के पालेर पहुंचने पर 4,111 किलोमीटर की दूरी पूरी कर लेगी। पांच मार्च को पालेर में एक विशाल जनसभा आयोजित की जानी है, जहां पदयात्रा का समापन बड़े पैमाने पर होना तय है। पदयात्रा 20 अक्टूबर, 2021 को चेवेल्ला से शुरू हुई थी।