आज देवघर के बाबा मंदिर में पंचशूल की विशेष पूजा-अर्चना व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ
देवघर में शिवरात्रि के लिए पौराणिक परंपरा का निर्वहन कार्य शुरू हो गया है आज देवघर के बाबा मंदिर में पंचशूल की विशेष पूजा-अर्चना व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सुबह शुरू किया गया 2 घंटे से ज्यादा चली इस विशेष पूजा के बाद पहले बाबा मंदिर और पार्वती मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल स्थापित किया गया इसके बाद बारी-बारी से सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल को स्थापित किया गया।
गौरतलब है कि शिवरात्रि के 2 दिन पहले सभी मंदिरों के पंचशूल उतारे जाते हैं और फिर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करके इसे पुनः मंदिर के शीर्ष पर स्थापित कर दिया जाता है देवघर बाबा मंदिर के सरदार पंडा गुलाब आनंद झा ने बताया कि पंचशूल उतारने से लेकर पंचशूल चढ़ाने तक पार्वती और शिव मंदिर के बीच गठबंधन बंद कर दिया जाता है ।
आज विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के बाद मंदिरों पर पंचशूल स्थापित किया गया और इनके द्वारा पहला गठबंधन माता पार्वती और शिव मंदिर के बीच किया गया इसके बाद आम श्रद्धालु इसमें गठबंधन कर सकते हैं पंचशूल स्थापित करने वाले तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि यह काफी पुरानी परंपरा रही है क्योंकि यहां शक्तिपीठ है ऐसे में शिव और पार्वती का मिलन कराने के उपरांत शिवरात्रि के एक दिन पहले मंदिर के शीर्ष पर स्थापित किया जाता है इस बीच गठबंधन बंद रहता है और आज से गठबंधन शुरू कर दिया गया है कल चार प्रहर में बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना होगी गौरतलब है कि देवघर बाबा मंदिर विश्व का इकलौता मंदिर है जहां त्रिशूल की जगह पंचशूल होता है जो पांच तत्वों का परिचायक है बताया जाता है कि रावण के लंका में भी इसी पंचशूल का इस्तेमाल किया जाता था जो शहर की सुरक्षा के लिए होता था देवघर में शिवरात्रि के मौके पर पंचशूल उतारने और फिर इसे स्थापित करने की परंपरा रही है।
Feb 18 2023, 13:50