/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png StreetBuzz s:trump_clarified_his_stance_on_transgenders
पनामा नहर की क्या है अहमियत, अमेरिका के कंट्रोल की दी धमकी, ट्रंप के बयान से मची खलबली

#donaldtrumppanamacanalcontrol

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।

ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है।इससे पहले ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।

एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने ये बातें कहीं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पनामा कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप के बयान को खारिज कर कहा, 'नहर और उसके आसपास का हर वर्ग मीटर पनामा का है और पनामा का ही रहेगा। पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं। इसलिए नहर का नियंत्रण पनामा का है और यह कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा।'

पनामा नहर अहम क्यों?

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है। इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं। पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है। पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है। पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है। हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है।

अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपी थी नहर

अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था। उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।

पनामा नहर विवादों में क्यों?

यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।

ट्रांसजेंडर को लेकर क्या है ट्रंप का रूख? बोले- कार्यकाल संभालते ही सबसे पहले सेना और स्कूलों से हटाऊंगा

#trump_clarified_his_stance_on_transgenders

अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले डोनाल्‍ड ट्रंप अपने इरादे साफ कर रहे हैं। ट्रंप ने लगभग हर क्षेत्र में अपनी नीतियों को लेकर खुलासा कर दिया है। ब अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रांसजेंडरों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के पहले ही दिन ट्रांसजेंडरों का पागलपन रोकने का काम करेंगे। ट्रंप ने कहा है कि वह पद संभालते ही अमेरिकी सेना से ट्रांसजेंडरों को बाहर करेंगे। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में सिर्फ दो ही जेंडर हैं।

एरिजोना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि "मैं बाल यौन उत्पीड़न को समाप्त करने, ट्रांसजेंडर को सेना और हमारे प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों और उच्च विद्यालयों से बाहर करने के लिए कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करूंगा।"

इसके अलावा उन्होंने कहा कि महिलाओं के खेलों से पुरुषों को भी दूर किया जाएगा। यूएसए सरकार की नीति के तहत यहां केवल दो ही लिंग होंगे। इसके अलावा ट्रंप ने प्रवासी अपराधों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का वादा दोहराया। साथ ही ड्रग्स तस्करी करने वाले गिरोहों को आतंकी संगठन घोषित करने और पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण की बात भी कही।

डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से ट्रांसजेंडर समुदाय के सेना में शामिल किए जाने का विरोध करते रहे हैं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह इस बारे में बच्चों के सामने नस्लीय सिद्धांत या किसी तरह के लैंगिक-राजनीतिक सामग्री को आगे बढ़ाने वाले स्कूलों की आर्थिक मदद रोक देंगे। इतना ही नहीं ट्रंप खेलों से भी ट्रांसजेंडर्स एथलीट्स को बाहर रखने पर मुखर रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने नशीली दवाओं के उपयोग पर लगाम लगाने की तैयारी की है। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले लैटिन अमेरिकियों के खिलाफ सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू किया जाएगा। साथ ही ड्रग तस्करों के समूहों को आतंकी संगठन घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी धरती पर सक्रिय आपराधिक नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया जाएगा, निर्वासित कर दिया जाएगा और खत्म कर दिया जाएगा।

सरकारी शटडाउन पर ट्रंप समर्थित बिल को नहीं मिला पूर्ण बहुमत, 38 रिपब्लिकंस ने भी विरोध में की वोटिंग

#americagovernmentshutdowntrumpbackedbillfailed

अमेरिका पर इस समय आर्थिक संकट आ गया है। उसके पास इतना पैसा नहीं बचा है कि वह सरकारी कर्मचारियों को सैलरी दे सके। हालात शटडाउन जैसे हो चुके हैं। सरकार को फंड जुटाने के लिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थित बिल गुरुवार रात अमेरिकी संसद में गिर गया।इससे बचने के लिए अमेरिका के पास 24 घंटे से भी कम का समय बचा है।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की फेडरल ऑपरेशन को फंड देने और गवर्नमेंट शटडाउन से एक दिन पहले कर्ज सीमा को बढ़ाने या सस्पेंड करने के प्लान को खारिज कर दिया है। गुरुवार रात अमेरिकी संसद में सरकारी शटडाउन से बचने के लिए बिल लाया गया था। इस बिल को ट्रंप का समर्थन था। करीब 3 दर्जन रिपब्लिकन ने डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर ट्रंप समर्थित इस बिल के खिलाफ वोटिंग की। संसद में यह बिल 174-235 से गिर गया और बहुमत वोट भी हासिल करने में विफल रहा।

दरअसल, डेमोक्रेट्स ट्रंप को उनके नए कार्यकाल के पहले साल के दौरान बातचीत का फायदा नहीं देना चाहते। इस वजह से उन्होंने इस बिल का विरोध किया। ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से जीते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी शटडाउन को रोकने के लिए देश की कर्ज सीमा को बढ़ाने या निलंबित करने का प्रावधान को कानून में शामिल किए जाने की मांग की थी, खास बात यह है कि इस कदम का उनकी अपनी पार्टी नियमित तौर पर विरोध करती रही है। उन्होंने बुधवार को एक बयान में कहा कि इसके अलावा कुछ भी हमारे देश के साथ विश्वासघात है।

क्या होता है सरकार का शटडाउन?

अमेरिकी सरकार में शटडाउन तब होता है, जब सरकार के खर्च संबंधी विधेयक अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले लागू नहीं हो पाते हैं। शटडाउन के चलते संघीय सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है और गैर जरूरी सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना पड़ता है। इस दौरान सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली जरूरी एजेंसियों के कर्मचारी ही काम करते हैं। शटडाउन के चलते संघीय और राज्य सरकारों के बीच का समन्वय भी बाधित होता है। फंडिंग में अंतराल के चलते साल 1980 में अमेरिका में शटडाउन को लेकर पहली बार कानूनी राय दी गई थी। साल 1990 से शटडाउन लागू होने लगे और फरवरी 2024 तक अमेरिका में 10 फंडिंग शटडाउन हो चुके हैं।

क्यों जरूरी है इसका पास होना?

दरअसल, अमेरिका को अपने खर्च चलाने के लिए फंड की जरूरत होती है। यह फंड कर्ज लेकर पूरा किया जाता है। इसके लिए एक बिल अमेरिकी संसद हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में लाया जाता है। मौजूदा बिल को ट्रंप की ओर से लाया गया था, जिसे विपक्ष से खारिज कर दिया। इसका सीधा का मतलब है कि अमेरिका को खर्च के लिए पैसा नहीं मिलेगा। अमेरिका इस पैसे से ही न केवल सरकारी अधिकारियों को सैलरी देती है बल्कि दूसरे खर्च भी चलते हैं।

तो अमेरिका में हो जाएगा शटडाउन

इस बिल को पास कराने के लिए शुक्रवार रात तक का ही समय है। यानी अमेरिकी सरकार के पास 24 घंटे खर्च चलाने लायक पैसा भी नहीं है। अगर यह पास नहीं हो पाया तो अमेरिका में शटडाउन लग जाएगा। ऐसा होने पर अमेरिका पर बड़ी मुसीबत आ जाएगी। उसकी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। इसका सबसे ज्यादा असर ट्रंप पर पड़ेगा

हश मनी केस में ट्रंप की बढ़ीं ट्रंप की मुश्किलें, सजा बरकरार, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

#donaldtrumpinhushmoney_case

हश मनी मामले में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। हश मनी मामले में जज ने डोनाल्ड ट्रंप की हश मनी केस की सजा को खारिज करने की मांग को ही खारिज कर दिया है। जज ने फैसले में कहा है कि स्कैंडल को छुपाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई और इसलिए डोनाल्ड ट्रंप की सजा बरकरार रहनी चाहिए। बता दे कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गुप्त धन (हश मनी केस) समेत 34 मामलों में दोषी ठहराया गया था।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क के एक न्यायाधीश ने सोमवार को कहा कि हश मनी मामले में उन्हें राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलेगी और उनकी मई की सजा बरकरार रहेगी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश जुआन मर्चेन ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रपतियों को आधिकारिक कामों के लिए व्यापक प्रतिरक्षा देने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय लागू नहीं होता क्योंकि मुकदमे में गवाही "पूरी तरह से अनाधिकारिक आचरण से संबंधित थी, जिसके लिए कोई प्रतिरक्षा संरक्षण का अधिकार नहीं था।" न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी यही जानकारी दी है।

दरअसल ट्रंप ने याचिका दायर कर अपने खिलाफ चल रहे हश मनी मामले को खारिज करने की मांग की थी। ट्रंप के वकीलों ने याचिका में तर्क दिया था कि केस के बरकरार रहने से राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की क्षमताएं बाधित होंगी और वह अच्छी तरह से सरकार नहीं चला पाएंगे। हालांकि जज ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से यह संभावना बढ़ गई है कि ट्रंप, जूरी के फैसले के खिलाफ अपील लंबित रहने तक, एक गंभीर अपराध के साथ व्हाइट हाउस में जाने वाले पहले राष्ट्रपति बन सकते हैं।

क्या है हश मनी केस?

एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप का संबंध 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में खूब चर्चा में रहा था। वहीं स्टॉर्मी डेनियल्स ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें गुपचुप तरीके से पैसे दिए। जिसके बाद ट्रंप को डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यावसायिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है।

ट्रंप ने जज पर लगाया था आरोप

बता दें कि 77 साल के ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें अपराधी घोषित किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने अपने खिलाफ चलाए जा रहे इस मुकदमे को धांधलीपूर्ण बताया था। मैनहट्टन कोर्ट रूम के बाहर हाल ही में ट्रंप ने जज पर पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जज बहुत भ्रष्ट हैं। उन्होंने कहा था कि मुकदमे में धांधली हुई।

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

#donaldtrumpelectedamericagovernorinchina

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

41 साल के अरबपति को ट्रंप ने सौंपी नासा की कमान, जानिए कौन हैं जेरेड इसाकमैन

#trumpchosenewheadofnasanominatedthisbillionaire_businessman

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण से पहले ही अपनी 'ड्रीम टीम' बनाने में जुटे हैं। इस दौरान डोनाल़्ड ट्रंप लगातार अपने फैसलों से सभी को हैरान कर रहे हैं। ट्रंप ने अपनी कैबिनेट में भी कई ऐसे लोगों को शामिल किया, जिनके नाम सुनकर सब चौंक गए। अब डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क की स्पेसएक्स से अंतरिक्ष की पहली निजी अंतरिक्ष यात्रा करने वाले अरबपति जेरेड इसाकमैन को नासा का नेतृत्व करने के लिए नामित किया।

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने एक्स पर कहा, "मैं एक कुशल बिजनेस लीडर, परोपकारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री जेरेड इसाकमैन को नासा चीफ के रूप में नामित करते हुए प्रसन्न हूं। जेरेड नासा के खोज और प्रेरणा के मिशन को आगे बढ़ाएंगे, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्वेषण में अभूतपूर्व उपलब्धियां मिलेंगी।"

सीनेट यदि उनकी नियुक्ति की पुष्टि कर देती है तो वह फ्लोरिडा के पूर्व डेमोक्रेटिक सीनेटर 82 वर्षीय बिल नेल्सन का स्थान लेंगे, जिन्हें राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नामित किया था।

एलन मस्क से भी खास नाता

इसाकमैन का दिग्गज कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से भी खास नाता है। दरअसल, इसाकमैन स्पेसएक्स के सहयोग से ही अंतरिक्ष में स्पेसवॉक करने वाले पहले निजी अंतरिक्षयात्री बने थे। कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी के सीईओ और संस्थापक 41 वर्षीय जेरेड इसाकमैन ने 2021 की उस यात्रा पर प्रतियोगिता विजेताओं को साथ अंतरिक्ष की यात्रा की और सितंबर में एक मिशन के साथ भी अंतरिक्ष में गए, जहां पर उन्होंने स्पेसएक्स के नए स्पेसवॉकिंग सूट का परीक्षण करने के लिए कुछ समय के लिए अंतरिक्ष में विचरण किया।

एलन मस्क ने इसाकमैन को दी बधाई

एलन मस्क ने एक्स पर इसाकमैन को बधाई देते हुए उन्होंने उच्च क्षमता वाला ईमानदार शख्स बताया है। जेरेड इसाकमैन एक प्रमुख अमेरिकी कारोबारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अब दुनिया की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष एजेंसी की कमान संभालेंगे। ट्रंप के ऐलान के बाद इसाकमैन ने कहा कि वह काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वह दुनिया के अविश्वसनीय साहसिक कार्य का नेतृत्व करने के लिए उत्साहित हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चिंता, जानें क्या सलाह दी?

#putinsayshedoesnotbelievetrumpissafe

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप के खिलाफ हत्या के प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप अब भी सुरक्षित नहीं हैं। पुतिन ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क रहेंगे। इसके साथ ही पुतिन ने ट्रंप की तारीफ भी की। उन्होंने ट्रंप एक अनुभवी और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ हैं।

समाचार एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान के दौरे पर गए रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिकी चुनाव प्रचार को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह असभ्य तरीके अपनाए गए। यहां तक कि उनकी जान लेने की भी कोशिश हुई. वो भी एक नहीं दो-दो बार. मेरा मानना है कि ट्रंप की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं लेकिन मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप समझदार हैं और मुझे लगता है कि वह खतरों के प्रति सचेत हो गए हैं

ट्रंप की चिंता कर रहे हैं पुतिन

पुतिन ने आगे कहा कि अमेरिकी चुनाव में जिस तरह से ट्रंप के परिवार और बच्चों को घसीटा गया, उसको देखकर वह और ज्यादा अचंभित हो गए। राजनीतिक विरोधियों ने ट्रंप के बच्चों और परिवार की खूब आलोचना की।

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच जुलाई में पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इसके बाद सितंबर में फ्लोरिडा गोल्फ कोर्स में एक एक शख्स ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम हो गया।

यूक्रेन के साथ जंग पर कही बड़ी बात

वहीं, अमेरिका द्वारा यूक्रेन के साथ जंग को और भड़काने संबंधी सवाल पर पुतिन ने कहा कि यह एक चाल हो सकती है। पुतिन ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर कहा, बाइडेन प्रशासन जानबूझकर ट्रम्प के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। हालांकि ट्रम्प एक ‘होशियार राजनेता’ हैं जो जंग खत्म करने के लिए कोई न कोई समाधान ढूंढ़ लेंगे। हम भी ट्रम्प से बातचीत के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडेन के फैसले से क्या रूस-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा, पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ट्रम्प के आने के बाद चीजें बेहतर हो सकती हैं।

भारत के प्रति अचानक क्यों प्रेम दिखाने लगा चीन, कहीं ट्रंप की वापसी का तो नहीं है असर?

#indiachinarelationsanddonaldtrumpfactor

अमेरिका में फिर से डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी का वैश्विक असर देखा जा रहा है। हर देश ट्रंप के साथ अपने हितों को साधने के लिए कोशिश कर रहा है। चीन को सबसे ज्यादा डर कारोबार को लेकर है। माना जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप चीन पर लगने वाला टैरिफ शुल्क बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही धीमी आर्थिक गति की मार झेल रहे चीन के लिए यह बड़ा धक्का होगा। ऐसे में चीन की अकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। खासकर भारत के साथ ड्रैगन के तेवर में तेजी से बदलाव हुए हैं।

भारत-चीन के बीच कम हो रही कड़वाहट

भारत और चीन के बीच संबंधों की बात करें तो सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ अक्सर उसके संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे है, लेकिन अचनाक से भारत और चीन के बीच कड़वाहट कम होती दिख रही है। पहले दोनों देशों के बीच एलएसी पर सहमति बनी है। बीते माह दोनों देशों ने एलएसी के विवाद वाले हिस्से से अपनी-अपनी सेना वापस बुला ली। फिर रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत हुई। अब दोनों देश के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने पर जोर बढ़ रहा है। अब ब्राजील में जी20 देशों की बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई। भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदियों के जल बंटवारे और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने के मुद्दों पर बात बढ़ी है। चीन की ओर से भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में काम हो रहा है।

चीन के ढीले पड़े तेवर की क्या है वजह?

चीन के ढीले पड़े तेवर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है। दरअसल, जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता है, तब से चीन डरा हुआ है। अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर नकेल कसने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही वजह है कि अब चीन ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमेरिका के साथ मधुर संबंधों को बनाए रखने की बातें करने लगा है। इसके लिए वह भारत से भी तनाव कम करने के लिए तैयार है। अमेरिका में आगामी ट्रंप प्रशासन का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है।यह बात अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कही।

ट्रंप का वापसी से डरा ड्रैगन

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को चीन के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने वाला नेता माना जाता है। उन्होंने सत्ता संभालने से पहले ही इसकी झलक दे दी है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनते ही वह चीन से होने वाले सभी आयात पर टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करेंगे। उनका कहना है कि वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलते हुए अमेरिका को चीनी माल के लिए डंपिंग स्थन नहीं बनने देंगे।

भारत के साथ संबंध सुधारने की ये है वजह

शी जिनपिंग समझ चुके हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था पहले से हिली हुईं है। चीन का विकास दर घटता जा रहा है। 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में चीन की विकास दर गिरावट के साथ 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि भारत का जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रह सकता है। अमेरिका की ओर से दवाब बढ़ने की आशंकाओं में चीन के पास भारत के साथ संबंधों को सुधराने के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं बचता। भारत में चीनी निवेश के सख्त नियम है, और भारत जैसे बढ़ते बाजार में चीन अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। ऐसे में संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहा है।

यूएस से होने वाले नुकसान की यहां होगी भरपाई

इस वक्त भारत को चीनी निर्यात 100 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। चीन के लिए भारत दुनिया का एक बड़ा बाजार है। वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है। वैसे चीन एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। बीते साल 2023 में उसका कुल निर्यात 3.38 ट्रिलियन डॉलर का रहा। भारत की कुल अर्थव्यवस्था ही करीब 3.5 ट्रिलिनय डॉलर की है। चीन और अमेरिका के बीच करीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है। यूरोपीय संघ भी उसका एक सबसे बड़ा साझेदार है। लेकिन भारत दुनिया में एक उभरता हुआ बाजार है।चीन आने वाले दिनों में अमेरिका में होने वाले नुकसान की कुछ भरपाई भारत को निर्यात बढ़ाकर कर सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भारत और चीन के रिश्ते में नरमी का कहीं यही राज तो नहीं है।

‘तीसरा विश्व युद्ध होगा शुरू': ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से पहले ‘आक्रामक’ नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप

#worldwarthreepredictedtrumpaccusedofagressivepolicies

Donald Trump and Joe Biden

डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने बिडेन प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह जनवरी में अपने पिता के व्हाइट हाउस में लौटने से पहले तनाव को बढ़ावा दे रहा है, जो “तीसरा विश्व युद्ध” का कारण बन सकता है। यह दावा राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा यूक्रेनी सेना को रूसी क्षेत्र को निशाना बनाने के लिए अमेरिकी आपूर्ति की गई लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करने के बाद किया गया है, एक ऐसा कदम जो अमेरिका और रूस के बीच तनाव को बढ़ा सकता है - ट्रम्प का दावा है कि तनाव को आसानी से संभाला जा सकता है।

रिपोर्ट बताती हैं कि उत्तर कोरिया ने कुर्स्क क्षेत्र में 15,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जबकि कीव कथित तौर पर रूस के भीतर महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमला करने के लिए उन्नत मिसाइलों का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है।

ट्रम्प जूनियर ने बिडेन की नीतियों और सैन्य-औद्योगिक परिसर की आलोचना की

"सैन्य औद्योगिक परिसर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मेरे पिता को शांति स्थापित करने और लोगों की जान बचाने का मौका मिलने से पहले ही वे तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर दें," ट्रम्प जूनियर, 46, ने 18 नवंबर को ट्वीट किया, कुछ ही समय पहले रिपोर्टों ने पुष्टि की थी कि यूक्रेनी सेना को रूस को निशाना बनाने के लिए पूर्वोत्तर सीमा पर सेना की सामरिक मिसाइल प्रणालियों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। यह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के महीनों के अनुरोधों के बाद हुआ है, जबकि ट्रम्प ने बिडेन के उत्तराधिकारी बनने के बाद युद्ध को समाप्त करने की कसम खाई थी। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने अभियान के दौरान कहा है, वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो शांति वार्ता के लिए दोनों पक्षों को एक साथ ला सकते हैं, और युद्ध को समाप्त करने और हत्या को रोकने की दिशा में काम कर सकते हैं," ट्रम्प के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने पहले NY पोस्ट को बताया था।

तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?

जवाब में, रूस के फेडरेशन काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य आंद्रेई क्लिशास ने टेलीग्राम के माध्यम से चेतावनी दी कि पश्चिम की ओर से की गई कार्रवाई "सुबह तक" यूक्रेनी राज्य के पूर्ण पतन का कारण बन सकती है, रॉयटर्स के अनुसार।

रूस के ऊपरी सदन अंतर्राष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रथम उप प्रमुख व्लादिमीर दज़बारोव ने चेतावनी दी कि मॉस्को की प्रतिक्रिया तेज़ होगी, उन्होंने इस कार्रवाई को "तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की ओर एक बहुत बड़ा कदम" बताया। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सितंबर में पहले कहा था कि यूक्रेन को पश्चिम से मिसाइलों के साथ रूसी भूमि पर हमला करने देने से पश्चिम और रूस के बीच सीधी लड़ाई होगी, जिससे पूरे संघर्ष की प्रकृति बदल जाएगी।

बाइडेन के इस फैसले ने ऑनलाइन भी भारी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों ने इस कृत्य को "मूर्खतापूर्ण" करार दिया है। "बाइडेन तीसरा विश्व युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। यह रोगात्मक और पूरी तरह से पागलपन है। अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के अंदरूनी हिस्सों में गोलीबारी करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए! कल्पना कीजिए कि अगर रूस ने अमेरिका में मिसाइलें दागने के लिए आपूर्ति की होती!" MAGA समर्थक चार्ली किर्क ने कहा। "अमेरिकी लोगों ने शांति लाने के लिए ट्रम्प को भारी मतों से वोट दिया, और अब बिडेन हमें तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा रहे हैं," एक अन्य नेटिजन ने टिप्पणी की।

'ट्रम्प और पुतिन की फ़ोन वार्ता है काल्पनिक ': रूस ने यूक्रेन युद्ध को लेकर डोनाल्ड - पुतिन की बातचीत की खबरों का किया खंडन

#thetelephonicconversationisafictionalnewssayskremlin

Vladimir Putin & Donald Trump

रूस ने सोमवार को यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के बारे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच निजी बातचीत की खबरों का खंडन किया। क्रेमलिन ने इस रिपोर्ट को "पूरी तरह से काल्पनिक" और "झूठी जानकारी" बताया। यह अब प्रकाशित की जा रही जानकारी की गुणवत्ता का सबसे स्पष्ट उदाहरण है। यह पूरी तरह से झूठ है। यह पूरी तरह से काल्पनिक है। यह सिर्फ झूठी जानकारी है," राज्य के स्वामित्व वाली स्पुतनिक न्यूज ने क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले से कहा।

रविवार को, द वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि ट्रम्प ने गुरुवार को फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट से पुतिन के साथ एक निजी टेलीफोन पर बातचीत की। इसने बिना विवरण के यह भी दावा किया कि ट्रम्प ने यूक्रेन में रूस द्वारा कब्जा की गई "भूमि के मुद्दे को संक्षेप में उठाया"। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने पुतिन को यूरोप में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति की याद दिलाई और संघर्ष को हल करने के लिए आगे की बातचीत में रुचि व्यक्त की।

यूक्रेन पर ट्रंप का रुख

चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि अगर वे अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो वे कभी युद्ध शुरू नहीं होने देते और उन्होंने युद्ध को जल्द खत्म करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कीव के लिए वाशिंगटन के बहु-अरब डॉलर के समर्थन पर भी सवाल उठाया है, जो यूक्रेन के लिए लड़ाई जारी रखने के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। ट्रंप और उनके अभियान ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन के लिए जारी अमेरिकी सहायता बिडेन प्रशासन में रक्षा कंपनियों और विदेश नीति के पक्षधरों के "भ्रष्ट" युद्ध समर्थक गठजोड़ को वित्तपोषित करने में मदद करती है।

यूक्रेन में युद्ध लगभग तीन साल से चल रहा है। पिछले सप्ताहांत, युद्ध के मोर्चे पर दोनों पक्षों की ओर से अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमले हुए। रूस ने रात भर में यूक्रेन पर 145 ड्रोन दागे, जबकि मॉस्को ने राजधानी शहर को निशाना बनाकर 34 यूक्रेनी ड्रोन गिराने का दावा किया। हमलों में हालिया वृद्धि को नए अमेरिकी प्रशासन के तहत संभावित वार्ता से पहले दोनों देशों द्वारा बढ़त हासिल करने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।

पनामा नहर की क्या है अहमियत, अमेरिका के कंट्रोल की दी धमकी, ट्रंप के बयान से मची खलबली

#donaldtrumppanamacanalcontrol

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।

ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है।इससे पहले ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।

एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने ये बातें कहीं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पनामा कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप के बयान को खारिज कर कहा, 'नहर और उसके आसपास का हर वर्ग मीटर पनामा का है और पनामा का ही रहेगा। पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं। इसलिए नहर का नियंत्रण पनामा का है और यह कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा।'

पनामा नहर अहम क्यों?

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है। इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं। पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है। पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है। पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है। हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है।

अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपी थी नहर

अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था। उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।

पनामा नहर विवादों में क्यों?

यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।

ट्रांसजेंडर को लेकर क्या है ट्रंप का रूख? बोले- कार्यकाल संभालते ही सबसे पहले सेना और स्कूलों से हटाऊंगा

#trump_clarified_his_stance_on_transgenders

अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले डोनाल्‍ड ट्रंप अपने इरादे साफ कर रहे हैं। ट्रंप ने लगभग हर क्षेत्र में अपनी नीतियों को लेकर खुलासा कर दिया है। ब अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रांसजेंडरों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के पहले ही दिन ट्रांसजेंडरों का पागलपन रोकने का काम करेंगे। ट्रंप ने कहा है कि वह पद संभालते ही अमेरिकी सेना से ट्रांसजेंडरों को बाहर करेंगे। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में सिर्फ दो ही जेंडर हैं।

एरिजोना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि "मैं बाल यौन उत्पीड़न को समाप्त करने, ट्रांसजेंडर को सेना और हमारे प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों और उच्च विद्यालयों से बाहर करने के लिए कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करूंगा।"

इसके अलावा उन्होंने कहा कि महिलाओं के खेलों से पुरुषों को भी दूर किया जाएगा। यूएसए सरकार की नीति के तहत यहां केवल दो ही लिंग होंगे। इसके अलावा ट्रंप ने प्रवासी अपराधों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का वादा दोहराया। साथ ही ड्रग्स तस्करी करने वाले गिरोहों को आतंकी संगठन घोषित करने और पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण की बात भी कही।

डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से ट्रांसजेंडर समुदाय के सेना में शामिल किए जाने का विरोध करते रहे हैं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह इस बारे में बच्चों के सामने नस्लीय सिद्धांत या किसी तरह के लैंगिक-राजनीतिक सामग्री को आगे बढ़ाने वाले स्कूलों की आर्थिक मदद रोक देंगे। इतना ही नहीं ट्रंप खेलों से भी ट्रांसजेंडर्स एथलीट्स को बाहर रखने पर मुखर रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने नशीली दवाओं के उपयोग पर लगाम लगाने की तैयारी की है। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले लैटिन अमेरिकियों के खिलाफ सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू किया जाएगा। साथ ही ड्रग तस्करों के समूहों को आतंकी संगठन घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी धरती पर सक्रिय आपराधिक नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया जाएगा, निर्वासित कर दिया जाएगा और खत्म कर दिया जाएगा।

सरकारी शटडाउन पर ट्रंप समर्थित बिल को नहीं मिला पूर्ण बहुमत, 38 रिपब्लिकंस ने भी विरोध में की वोटिंग

#americagovernmentshutdowntrumpbackedbillfailed

अमेरिका पर इस समय आर्थिक संकट आ गया है। उसके पास इतना पैसा नहीं बचा है कि वह सरकारी कर्मचारियों को सैलरी दे सके। हालात शटडाउन जैसे हो चुके हैं। सरकार को फंड जुटाने के लिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थित बिल गुरुवार रात अमेरिकी संसद में गिर गया।इससे बचने के लिए अमेरिका के पास 24 घंटे से भी कम का समय बचा है।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की फेडरल ऑपरेशन को फंड देने और गवर्नमेंट शटडाउन से एक दिन पहले कर्ज सीमा को बढ़ाने या सस्पेंड करने के प्लान को खारिज कर दिया है। गुरुवार रात अमेरिकी संसद में सरकारी शटडाउन से बचने के लिए बिल लाया गया था। इस बिल को ट्रंप का समर्थन था। करीब 3 दर्जन रिपब्लिकन ने डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर ट्रंप समर्थित इस बिल के खिलाफ वोटिंग की। संसद में यह बिल 174-235 से गिर गया और बहुमत वोट भी हासिल करने में विफल रहा।

दरअसल, डेमोक्रेट्स ट्रंप को उनके नए कार्यकाल के पहले साल के दौरान बातचीत का फायदा नहीं देना चाहते। इस वजह से उन्होंने इस बिल का विरोध किया। ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से जीते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी शटडाउन को रोकने के लिए देश की कर्ज सीमा को बढ़ाने या निलंबित करने का प्रावधान को कानून में शामिल किए जाने की मांग की थी, खास बात यह है कि इस कदम का उनकी अपनी पार्टी नियमित तौर पर विरोध करती रही है। उन्होंने बुधवार को एक बयान में कहा कि इसके अलावा कुछ भी हमारे देश के साथ विश्वासघात है।

क्या होता है सरकार का शटडाउन?

अमेरिकी सरकार में शटडाउन तब होता है, जब सरकार के खर्च संबंधी विधेयक अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले लागू नहीं हो पाते हैं। शटडाउन के चलते संघीय सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है और गैर जरूरी सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना पड़ता है। इस दौरान सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली जरूरी एजेंसियों के कर्मचारी ही काम करते हैं। शटडाउन के चलते संघीय और राज्य सरकारों के बीच का समन्वय भी बाधित होता है। फंडिंग में अंतराल के चलते साल 1980 में अमेरिका में शटडाउन को लेकर पहली बार कानूनी राय दी गई थी। साल 1990 से शटडाउन लागू होने लगे और फरवरी 2024 तक अमेरिका में 10 फंडिंग शटडाउन हो चुके हैं।

क्यों जरूरी है इसका पास होना?

दरअसल, अमेरिका को अपने खर्च चलाने के लिए फंड की जरूरत होती है। यह फंड कर्ज लेकर पूरा किया जाता है। इसके लिए एक बिल अमेरिकी संसद हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में लाया जाता है। मौजूदा बिल को ट्रंप की ओर से लाया गया था, जिसे विपक्ष से खारिज कर दिया। इसका सीधा का मतलब है कि अमेरिका को खर्च के लिए पैसा नहीं मिलेगा। अमेरिका इस पैसे से ही न केवल सरकारी अधिकारियों को सैलरी देती है बल्कि दूसरे खर्च भी चलते हैं।

तो अमेरिका में हो जाएगा शटडाउन

इस बिल को पास कराने के लिए शुक्रवार रात तक का ही समय है। यानी अमेरिकी सरकार के पास 24 घंटे खर्च चलाने लायक पैसा भी नहीं है। अगर यह पास नहीं हो पाया तो अमेरिका में शटडाउन लग जाएगा। ऐसा होने पर अमेरिका पर बड़ी मुसीबत आ जाएगी। उसकी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। इसका सबसे ज्यादा असर ट्रंप पर पड़ेगा

हश मनी केस में ट्रंप की बढ़ीं ट्रंप की मुश्किलें, सजा बरकरार, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

#donaldtrumpinhushmoney_case

हश मनी मामले में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। हश मनी मामले में जज ने डोनाल्ड ट्रंप की हश मनी केस की सजा को खारिज करने की मांग को ही खारिज कर दिया है। जज ने फैसले में कहा है कि स्कैंडल को छुपाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की गई और इसलिए डोनाल्ड ट्रंप की सजा बरकरार रहनी चाहिए। बता दे कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गुप्त धन (हश मनी केस) समेत 34 मामलों में दोषी ठहराया गया था।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क के एक न्यायाधीश ने सोमवार को कहा कि हश मनी मामले में उन्हें राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलेगी और उनकी मई की सजा बरकरार रहेगी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश जुआन मर्चेन ने अपने फैसले में कहा कि राष्ट्रपतियों को आधिकारिक कामों के लिए व्यापक प्रतिरक्षा देने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय लागू नहीं होता क्योंकि मुकदमे में गवाही "पूरी तरह से अनाधिकारिक आचरण से संबंधित थी, जिसके लिए कोई प्रतिरक्षा संरक्षण का अधिकार नहीं था।" न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी यही जानकारी दी है।

दरअसल ट्रंप ने याचिका दायर कर अपने खिलाफ चल रहे हश मनी मामले को खारिज करने की मांग की थी। ट्रंप के वकीलों ने याचिका में तर्क दिया था कि केस के बरकरार रहने से राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की क्षमताएं बाधित होंगी और वह अच्छी तरह से सरकार नहीं चला पाएंगे। हालांकि जज ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से यह संभावना बढ़ गई है कि ट्रंप, जूरी के फैसले के खिलाफ अपील लंबित रहने तक, एक गंभीर अपराध के साथ व्हाइट हाउस में जाने वाले पहले राष्ट्रपति बन सकते हैं।

क्या है हश मनी केस?

एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के साथ डोनाल्ड ट्रंप का संबंध 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में खूब चर्चा में रहा था। वहीं स्टॉर्मी डेनियल्स ट्रंप के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक करने की धमकी दे रही थीं। इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें गुपचुप तरीके से पैसे दिए। जिसके बाद ट्रंप को डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर के भुगतान को छिपाने के लिए व्यावसायिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में दोषी ठहराया गया है।

ट्रंप ने जज पर लगाया था आरोप

बता दें कि 77 साल के ट्रंप पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्हें अपराधी घोषित किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने अपने खिलाफ चलाए जा रहे इस मुकदमे को धांधलीपूर्ण बताया था। मैनहट्टन कोर्ट रूम के बाहर हाल ही में ट्रंप ने जज पर पक्षपात और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जज बहुत भ्रष्ट हैं। उन्होंने कहा था कि मुकदमे में धांधली हुई।

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

#donaldtrumpelectedamericagovernorinchina

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

41 साल के अरबपति को ट्रंप ने सौंपी नासा की कमान, जानिए कौन हैं जेरेड इसाकमैन

#trumpchosenewheadofnasanominatedthisbillionaire_businessman

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण से पहले ही अपनी 'ड्रीम टीम' बनाने में जुटे हैं। इस दौरान डोनाल़्ड ट्रंप लगातार अपने फैसलों से सभी को हैरान कर रहे हैं। ट्रंप ने अपनी कैबिनेट में भी कई ऐसे लोगों को शामिल किया, जिनके नाम सुनकर सब चौंक गए। अब डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क की स्पेसएक्स से अंतरिक्ष की पहली निजी अंतरिक्ष यात्रा करने वाले अरबपति जेरेड इसाकमैन को नासा का नेतृत्व करने के लिए नामित किया।

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने एक्स पर कहा, "मैं एक कुशल बिजनेस लीडर, परोपकारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री जेरेड इसाकमैन को नासा चीफ के रूप में नामित करते हुए प्रसन्न हूं। जेरेड नासा के खोज और प्रेरणा के मिशन को आगे बढ़ाएंगे, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्वेषण में अभूतपूर्व उपलब्धियां मिलेंगी।"

सीनेट यदि उनकी नियुक्ति की पुष्टि कर देती है तो वह फ्लोरिडा के पूर्व डेमोक्रेटिक सीनेटर 82 वर्षीय बिल नेल्सन का स्थान लेंगे, जिन्हें राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नामित किया था।

एलन मस्क से भी खास नाता

इसाकमैन का दिग्गज कारोबारी और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क से भी खास नाता है। दरअसल, इसाकमैन स्पेसएक्स के सहयोग से ही अंतरिक्ष में स्पेसवॉक करने वाले पहले निजी अंतरिक्षयात्री बने थे। कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी के सीईओ और संस्थापक 41 वर्षीय जेरेड इसाकमैन ने 2021 की उस यात्रा पर प्रतियोगिता विजेताओं को साथ अंतरिक्ष की यात्रा की और सितंबर में एक मिशन के साथ भी अंतरिक्ष में गए, जहां पर उन्होंने स्पेसएक्स के नए स्पेसवॉकिंग सूट का परीक्षण करने के लिए कुछ समय के लिए अंतरिक्ष में विचरण किया।

एलन मस्क ने इसाकमैन को दी बधाई

एलन मस्क ने एक्स पर इसाकमैन को बधाई देते हुए उन्होंने उच्च क्षमता वाला ईमानदार शख्स बताया है। जेरेड इसाकमैन एक प्रमुख अमेरिकी कारोबारी, पायलट और अंतरिक्ष यात्री हैं, जो अब दुनिया की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष एजेंसी की कमान संभालेंगे। ट्रंप के ऐलान के बाद इसाकमैन ने कहा कि वह काफी सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वह दुनिया के अविश्वसनीय साहसिक कार्य का नेतृत्व करने के लिए उत्साहित हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जताई ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चिंता, जानें क्या सलाह दी?

#putinsayshedoesnotbelievetrumpissafe

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। पुतिन ने कहा कि अमेरिकी चुनाव कैंपेन के दौरान ट्रंप के खिलाफ हत्या के प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ट्रंप अब भी सुरक्षित नहीं हैं। पुतिन ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति ट्रंप सतर्क रहेंगे। इसके साथ ही पुतिन ने ट्रंप की तारीफ भी की। उन्होंने ट्रंप एक अनुभवी और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ हैं।

समाचार एजेंसी रायटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कजाकिस्तान के दौरे पर गए रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह अमेरिकी चुनाव प्रचार को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह असभ्य तरीके अपनाए गए। यहां तक कि उनकी जान लेने की भी कोशिश हुई. वो भी एक नहीं दो-दो बार. मेरा मानना है कि ट्रंप की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं लेकिन मेरा मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप समझदार हैं और मुझे लगता है कि वह खतरों के प्रति सचेत हो गए हैं

ट्रंप की चिंता कर रहे हैं पुतिन

पुतिन ने आगे कहा कि अमेरिकी चुनाव में जिस तरह से ट्रंप के परिवार और बच्चों को घसीटा गया, उसको देखकर वह और ज्यादा अचंभित हो गए। राजनीतिक विरोधियों ने ट्रंप के बच्चों और परिवार की खूब आलोचना की।

बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच जुलाई में पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की हत्या की कोशिश हुई थी, जिसमें वह घायल हो गए थे। इसके बाद सितंबर में फ्लोरिडा गोल्फ कोर्स में एक एक शख्स ने उनकी जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे नाकाम हो गया।

यूक्रेन के साथ जंग पर कही बड़ी बात

वहीं, अमेरिका द्वारा यूक्रेन के साथ जंग को और भड़काने संबंधी सवाल पर पुतिन ने कहा कि यह एक चाल हो सकती है। पुतिन ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति देने पर कहा, बाइडेन प्रशासन जानबूझकर ट्रम्प के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। हालांकि ट्रम्प एक ‘होशियार राजनेता’ हैं जो जंग खत्म करने के लिए कोई न कोई समाधान ढूंढ़ लेंगे। हम भी ट्रम्प से बातचीत के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडेन के फैसले से क्या रूस-अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा, पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ट्रम्प के आने के बाद चीजें बेहतर हो सकती हैं।

भारत के प्रति अचानक क्यों प्रेम दिखाने लगा चीन, कहीं ट्रंप की वापसी का तो नहीं है असर?

#indiachinarelationsanddonaldtrumpfactor

अमेरिका में फिर से डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी का वैश्विक असर देखा जा रहा है। हर देश ट्रंप के साथ अपने हितों को साधने के लिए कोशिश कर रहा है। चीन को सबसे ज्यादा डर कारोबार को लेकर है। माना जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ट्रंप चीन पर लगने वाला टैरिफ शुल्क बढ़ा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही धीमी आर्थिक गति की मार झेल रहे चीन के लिए यह बड़ा धक्का होगा। ऐसे में चीन की अकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है। खासकर भारत के साथ ड्रैगन के तेवर में तेजी से बदलाव हुए हैं।

भारत-चीन के बीच कम हो रही कड़वाहट

भारत और चीन के बीच संबंधों की बात करें तो सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ अक्सर उसके संबंध तनावपूर्ण ही रहेंगे है, लेकिन अचनाक से भारत और चीन के बीच कड़वाहट कम होती दिख रही है। पहले दोनों देशों के बीच एलएसी पर सहमति बनी है। बीते माह दोनों देशों ने एलएसी के विवाद वाले हिस्से से अपनी-अपनी सेना वापस बुला ली। फिर रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत हुई। अब दोनों देश के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने पर जोर बढ़ रहा है। अब ब्राजील में जी20 देशों की बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई। भारत-चीन के विदेश मंत्रियों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदियों के जल बंटवारे और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने के मुद्दों पर बात बढ़ी है। चीन की ओर से भारत के साथ संबंध सुधारने की दिशा में काम हो रहा है।

चीन के ढीले पड़े तेवर की क्या है वजह?

चीन के ढीले पड़े तेवर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसकी वजह क्या है। दरअसल, जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता है, तब से चीन डरा हुआ है। अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर नकेल कसने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही वजह है कि अब चीन ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले अमेरिका के साथ मधुर संबंधों को बनाए रखने की बातें करने लगा है। इसके लिए वह भारत से भी तनाव कम करने के लिए तैयार है। अमेरिका में आगामी ट्रंप प्रशासन का दबाव कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है।यह बात अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कही।

ट्रंप का वापसी से डरा ड्रैगन

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को चीन के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने वाला नेता माना जाता है। उन्होंने सत्ता संभालने से पहले ही इसकी झलक दे दी है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति बनते ही वह चीन से होने वाले सभी आयात पर टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करेंगे। उनका कहना है कि वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलते हुए अमेरिका को चीनी माल के लिए डंपिंग स्थन नहीं बनने देंगे।

भारत के साथ संबंध सुधारने की ये है वजह

शी जिनपिंग समझ चुके हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था पहले से हिली हुईं है। चीन का विकास दर घटता जा रहा है। 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में चीन की विकास दर गिरावट के साथ 4.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि भारत का जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रह सकता है। अमेरिका की ओर से दवाब बढ़ने की आशंकाओं में चीन के पास भारत के साथ संबंधों को सुधराने के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं बचता। भारत में चीनी निवेश के सख्त नियम है, और भारत जैसे बढ़ते बाजार में चीन अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। ऐसे में संबंधों को सुधारने पर जोर दे रहा है।

यूएस से होने वाले नुकसान की यहां होगी भरपाई

इस वक्त भारत को चीनी निर्यात 100 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है। चीन के लिए भारत दुनिया का एक बड़ा बाजार है। वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है। वैसे चीन एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। बीते साल 2023 में उसका कुल निर्यात 3.38 ट्रिलियन डॉलर का रहा। भारत की कुल अर्थव्यवस्था ही करीब 3.5 ट्रिलिनय डॉलर की है। चीन और अमेरिका के बीच करीब 500 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है। यूरोपीय संघ भी उसका एक सबसे बड़ा साझेदार है। लेकिन भारत दुनिया में एक उभरता हुआ बाजार है।चीन आने वाले दिनों में अमेरिका में होने वाले नुकसान की कुछ भरपाई भारत को निर्यात बढ़ाकर कर सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भारत और चीन के रिश्ते में नरमी का कहीं यही राज तो नहीं है।

‘तीसरा विश्व युद्ध होगा शुरू': ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से पहले ‘आक्रामक’ नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप

#worldwarthreepredictedtrumpaccusedofagressivepolicies

Donald Trump and Joe Biden

डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने बिडेन प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह जनवरी में अपने पिता के व्हाइट हाउस में लौटने से पहले तनाव को बढ़ावा दे रहा है, जो “तीसरा विश्व युद्ध” का कारण बन सकता है। यह दावा राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा यूक्रेनी सेना को रूसी क्षेत्र को निशाना बनाने के लिए अमेरिकी आपूर्ति की गई लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करने के बाद किया गया है, एक ऐसा कदम जो अमेरिका और रूस के बीच तनाव को बढ़ा सकता है - ट्रम्प का दावा है कि तनाव को आसानी से संभाला जा सकता है।

रिपोर्ट बताती हैं कि उत्तर कोरिया ने कुर्स्क क्षेत्र में 15,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जबकि कीव कथित तौर पर रूस के भीतर महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमला करने के लिए उन्नत मिसाइलों का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है।

ट्रम्प जूनियर ने बिडेन की नीतियों और सैन्य-औद्योगिक परिसर की आलोचना की

"सैन्य औद्योगिक परिसर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मेरे पिता को शांति स्थापित करने और लोगों की जान बचाने का मौका मिलने से पहले ही वे तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर दें," ट्रम्प जूनियर, 46, ने 18 नवंबर को ट्वीट किया, कुछ ही समय पहले रिपोर्टों ने पुष्टि की थी कि यूक्रेनी सेना को रूस को निशाना बनाने के लिए पूर्वोत्तर सीमा पर सेना की सामरिक मिसाइल प्रणालियों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। यह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के महीनों के अनुरोधों के बाद हुआ है, जबकि ट्रम्प ने बिडेन के उत्तराधिकारी बनने के बाद युद्ध को समाप्त करने की कसम खाई थी। जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने अभियान के दौरान कहा है, वह एकमात्र व्यक्ति हैं जो शांति वार्ता के लिए दोनों पक्षों को एक साथ ला सकते हैं, और युद्ध को समाप्त करने और हत्या को रोकने की दिशा में काम कर सकते हैं," ट्रम्प के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने पहले NY पोस्ट को बताया था।

तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?

जवाब में, रूस के फेडरेशन काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य आंद्रेई क्लिशास ने टेलीग्राम के माध्यम से चेतावनी दी कि पश्चिम की ओर से की गई कार्रवाई "सुबह तक" यूक्रेनी राज्य के पूर्ण पतन का कारण बन सकती है, रॉयटर्स के अनुसार।

रूस के ऊपरी सदन अंतर्राष्ट्रीय मामलों की समिति के प्रथम उप प्रमुख व्लादिमीर दज़बारोव ने चेतावनी दी कि मॉस्को की प्रतिक्रिया तेज़ होगी, उन्होंने इस कार्रवाई को "तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की ओर एक बहुत बड़ा कदम" बताया। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सितंबर में पहले कहा था कि यूक्रेन को पश्चिम से मिसाइलों के साथ रूसी भूमि पर हमला करने देने से पश्चिम और रूस के बीच सीधी लड़ाई होगी, जिससे पूरे संघर्ष की प्रकृति बदल जाएगी।

बाइडेन के इस फैसले ने ऑनलाइन भी भारी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों ने इस कृत्य को "मूर्खतापूर्ण" करार दिया है। "बाइडेन तीसरा विश्व युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। यह रोगात्मक और पूरी तरह से पागलपन है। अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल रूस के अंदरूनी हिस्सों में गोलीबारी करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए! कल्पना कीजिए कि अगर रूस ने अमेरिका में मिसाइलें दागने के लिए आपूर्ति की होती!" MAGA समर्थक चार्ली किर्क ने कहा। "अमेरिकी लोगों ने शांति लाने के लिए ट्रम्प को भारी मतों से वोट दिया, और अब बिडेन हमें तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा रहे हैं," एक अन्य नेटिजन ने टिप्पणी की।

'ट्रम्प और पुतिन की फ़ोन वार्ता है काल्पनिक ': रूस ने यूक्रेन युद्ध को लेकर डोनाल्ड - पुतिन की बातचीत की खबरों का किया खंडन

#thetelephonicconversationisafictionalnewssayskremlin

Vladimir Putin & Donald Trump

रूस ने सोमवार को यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के बारे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच निजी बातचीत की खबरों का खंडन किया। क्रेमलिन ने इस रिपोर्ट को "पूरी तरह से काल्पनिक" और "झूठी जानकारी" बताया। यह अब प्रकाशित की जा रही जानकारी की गुणवत्ता का सबसे स्पष्ट उदाहरण है। यह पूरी तरह से झूठ है। यह पूरी तरह से काल्पनिक है। यह सिर्फ झूठी जानकारी है," राज्य के स्वामित्व वाली स्पुतनिक न्यूज ने क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले से कहा।

रविवार को, द वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि ट्रम्प ने गुरुवार को फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट से पुतिन के साथ एक निजी टेलीफोन पर बातचीत की। इसने बिना विवरण के यह भी दावा किया कि ट्रम्प ने यूक्रेन में रूस द्वारा कब्जा की गई "भूमि के मुद्दे को संक्षेप में उठाया"। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प ने पुतिन को यूरोप में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति की याद दिलाई और संघर्ष को हल करने के लिए आगे की बातचीत में रुचि व्यक्त की।

यूक्रेन पर ट्रंप का रुख

चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि अगर वे अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो वे कभी युद्ध शुरू नहीं होने देते और उन्होंने युद्ध को जल्द खत्म करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कीव के लिए वाशिंगटन के बहु-अरब डॉलर के समर्थन पर भी सवाल उठाया है, जो यूक्रेन के लिए लड़ाई जारी रखने के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। ट्रंप और उनके अभियान ने आरोप लगाया था कि यूक्रेन के लिए जारी अमेरिकी सहायता बिडेन प्रशासन में रक्षा कंपनियों और विदेश नीति के पक्षधरों के "भ्रष्ट" युद्ध समर्थक गठजोड़ को वित्तपोषित करने में मदद करती है।

यूक्रेन में युद्ध लगभग तीन साल से चल रहा है। पिछले सप्ताहांत, युद्ध के मोर्चे पर दोनों पक्षों की ओर से अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमले हुए। रूस ने रात भर में यूक्रेन पर 145 ड्रोन दागे, जबकि मॉस्को ने राजधानी शहर को निशाना बनाकर 34 यूक्रेनी ड्रोन गिराने का दावा किया। हमलों में हालिया वृद्धि को नए अमेरिकी प्रशासन के तहत संभावित वार्ता से पहले दोनों देशों द्वारा बढ़त हासिल करने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है।