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ईसाई समाज को लेकर ऐसा क्या बोल गए मोहन भागवत, बिफर गए बिशप

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। अब मोहन भागवत के धर्मांतरण और आदिवासी समुदायों से संबंधित एक बयान पर बवाल मच गया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया है कि भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए उनसे कहा था कि अगर संघ द्वारा धर्मांतरण पर काम नहीं किया गया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग राष्ट्र-विरोधी हो गया होता। कैथोलिक बिशपों के एक निकाय ने भागवत के इस बयान की निंदा की है।

कैथोलिक बिशपों की संस्था सीबीसीआई ने जारी एक बयान में उन खबरों का हवाला दिया, जिनमें कथित तौर पर कहा गया है कि भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में दावा किया था कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए 'घर वापसी' की सराहना की थी और उनसे कहा था कि यदि संघ ने धर्मांतरण पर काम नहीं किया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ हो गया होता। सीबीसीआई ने इन खबरों को चौंकाने वाला बताया। संस्था ने सवाल किया कि मुखर्जी के जीवित रहते भागवत ने इस बारे में कुछ क्यों नहीं बोला। सीबीसीआई कहा, हम 2.3 प्रतिशत ईसाई भारतीय नागरिक इस तरह के छलपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रचार से बहुत आहत महसूस कर रहे हैं।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार के वितरण समारोह में कही है। भागवत ने कहा, डॉ प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, तब मैं पहली बार उनसे मिलने गया। संसद में घर वापसी को लेकर बहुत बड़ा हल्ला चल रहा थाय़ मैं तैयार हो कर गया कि वे बहुत कुछ पूछेंगे, बहुत बताना पड़ेगा। लेकिन उन्होंने कहा कि आप लोगों ने कुछ लोगों को वापस लाया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की.. ऐसा कैसे करते हो आप? ऐसा करने से हो-हल्ला होता है क्योंकि वो राजनीति है। मैं भी अगर आज कांग्रेस पार्टी में होता, राष्ट्रपति नहीं होता, तो मैं भी संसद में यही करता।

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा, प्रणब मुखर्जी ने फिर कहा लेकिन आप लोगों ने ये जो काम किया है उसके कारण भारत के 30% आदिवासी… मैंने उनकी लाइन पकड़ ली और उनके बोलने के अंदाज से मुझे बहुत खुशी हुई। इस पर मैंने कहा ये लोग ईसाई बन जाते, तो वो बोले ईसाई नहीं, देशद्रोही बन जाते।

बता दें कि ‘घर वापसी’ शब्द का इस्तेमाल आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों मुसलमानों और ईसाइयों के हिंदू धर्म में लौटने के लिए करते हैं।संघ का मानना ये है कि सभी भारतीय मूल रूप से हिंदू हैं और इस प्रकार इस धर्मांतरण का अर्थ अनिवार्य रूप से ‘घर वापसी’ है।

मोहन भागवत के बयान से अलग है आरएसएस के मुखपत्र की राय, विवादित स्थलों के सर्वे पर जताई सहमति

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राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है। ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है। देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है। हालांकि, मोहवन भागवत की राय आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइजर' के लेख से बिल्कुल अलग है। 'ऑर्गेनाइजर' में लिखे लेख की माने तो विवादित स्थलों का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है।

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की है। जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है। पत्रिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है।

कई सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र

जिसमें दावा किया गया है कि कैसे संभल में शाही जामा मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद था। इसमें संभल के सांप्रदायिक इतिहास का भी वर्णन किया गया है। इसके अलावा पत्रिका में पिछले सालों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। इस लेख में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर संघ प्रमुख की सलाह या चेतावनी को पूरी तरीके से नजरअंदाज कर दिया गया है।

अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा

पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर के लिखे संपादकीय में कहा गया है, धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बाबासाहेब आंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे समाप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय प्रदान किए। तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें और इससे इनकार करने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।

लड़ाई राष्ट्रीय पहचान को साबित करने की

संपादकीय में कहा गया कि सोमनाथ से लेकर संभल और उसके आगे के सच को जानने की यह लड़ाई धार्मिक श्रेष्ठता के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को साबित करने और सभ्यतागत न्याय के बारे में है। लेख में ऐतिहासिक घावों को भरने की भी बात कही गई है।

मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर जताई चिंता, बोले-ऐसे आप हिंदुओं के नेता नहीं बन जाएंगे

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काशी, मथुरा में मंदिर मस्जिद का विवाद जहां अदालतों में लंबित में है वहीं संभल का प्रकरण सुर्खियों में बना हुआ है। इस बीच ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां धार्मिक ढांचों को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग यह मानने लगे हैं कि वे इस तरह के मुद्दों को उठाकर 'हिंदुओं के नेता' बन सकते हैं।

पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर बोलते हुए आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर ‘हिंदुओं के नेता’ बन सकते हैं। संघ प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत करते हुए कहा कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है।

भारतीय समाज की बहुलता को रेखांकित करते हुए भागवत ने कहा कि रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है। राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।’’

राम मंदिर का निर्माण हिंदुओं की आस्था का विषय-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था। उन्होंने किसी विशेष स्थल का उल्लेख किए बिना कहा, ‘‘हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता। भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं।’’ हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों तक पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए।

कट्टरता सही नहीं- भागवत

हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों में पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए हैं और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आए

Comic Street – An exciting new initiative by TVAGA and ICA at Indiajoy

The Comic Street Awards 2024 debuted at the prestigious India Joy Digital Entertainment Festival at the Hyderabad International Convention Center (HICC). A collaboration between the Telangana VFX, Animation, and Gaming Association (TVAGA) and the Indian Comics Association (ICA), the awards celebrated exceptional talent in the Indian comics industry, marking a new chapter in the legacy of India Joy. The awards were presented by former beauty queen and Bollywood actress Ruhi Singh, whose presence added a touch of glamour and star power to the event. In recognition of her contributions to the creative industry, Himanshu Singhal, PR & Industry Head of ICA, presented a memento to Ruhi Singh.

The Lifetime Achievement Award was presented to the legendary cartoonist Abid Surti for his immense contributions to the Indian comics landscape. A true pioneer, Abid Surti is the creative genius behind Bahadur, India’s first-ever superhero, and has significantly shaped the Indian comics industry.

The ICA proudly hosted a panel discussion at Comic Street featuring prominent figures such as Sanjay Gupta (Raj Comics by Sanjay Gupta), Preeti Vyas (Amar Chitra Katha), Ajay Krishna (Forbidden Verse), and Ajitesh Sharma (Cinemics). The panel delved into various aspects of storytelling, industry evolution, and comic industry opportunities, offering invaluable insights and fostering engaging discussions among industry pioneers and enthusiasts.

Ajitesh Sharma, president of ICA, interacted with Prashant Varma, the visionary director of the highly acclaimed movie Hanu-Man, on Comics IP & Cinema. Ajay Krishna, Executive Member of ICA, presented a special memento to Prashant Varma, acknowledging his remarkable contributions to storytelling, creativity, and the growing universe of Indian superheroes.

Adding to the event's excitement, two new comic titles were launched: Chandrakanta, an Indian epic adapted into Comics by Cinemics, and Soul Contract, an Indian manga by Cosmics. These latest releases generated a buzz and showcased the vibrant creativity and innovation within the Indian comics industry.

 

An ICA Pavilion exhibiting Indian Comics was set up at Comics Street, and Ravi Tanwer, Anadi Abhilash, Mohamad Shabaz, Himanshu Singhal, Vasu Gupta, Saahil Sharma, Varun Malhotra, and Neelesh Makwane from ICA led the initiative. Moreover, ICA promoted the upcoming Comics Creator Championship, set to take place during Waves 2025, further engaging the community and encouraging creators to showcase their talent in this Create in India Challenge.

The event underscores India Joy’s commitment to fostering a thriving ecosystem for the AVGC sector. Telangana IT Minister KT Rama Rao highlighted that the festival embodies the state’s vision to position Hyderabad as a global hub, attracting more than 25,000 attendees globally and showcasing India's potential as a global media and entertainment industry leader.

 

Comic Street Award 2024

 

1. Best Comics

· Platinum: Professor Ashwatthama 3 (Cheeseburger Comics)

· Diamond: Ad Infinitum - Sisyphus (Chitragaatha Comics)

· Gold: Celestial Beings (Amar Chitra Katha)

2. Best Comics Writer

· Platinum: Bijoy Raveendran, Codename Alpha '97 (Yali Dream Works)

· Diamond: Saahil S Sharma, Operation Ganga (Alpha Comics)

· Gold: Soumya Das, Violated Series (The Hierophant Entertainment)

3. Best Artist

· Platinum: Dildeep Singh, Rakt katha Series (RCSG)

· Diamond: Caio Pegado, Soormas (Curious Bit Publication)

· Gold: Harsho Mohan Chattoraj, Al-Zebra (Alpha Comics)                      

4. Best Colorist

· Platinum: Valeria Verdi, Soormas (Curious Bit Publication)

· Diamond: Shadab Siddiqui & Sunil Dasturia, Rakt katha Series (RCSG)

· Gold: Jyoti Singh, Dvij: Born from Fire (Radiant Comics)                            

5. Best Cover Design

· Platinum: Violated Issue 1 (The Hierophant Entertainment)

· Diamond: Guddu Bomb Issue 1 (Chitragaatha Comics)

· Gold: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

6. Best Kids Comics

· Platinum: Chahal Pahal (Alpha Comics)

· Diamond: Weatherman (Cinemics)

· Gold: Tinkle Holiday Special 54 (Amar Chitra Katha)

7. Best Manga

· Platinum: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

· Diamond: Trio (Vaibhavi Studios)

8. Best Rising Talent

· Platinum: Ajay Krishna (Forbidden Verse)

· Diamond: Vasu Gupta (Alpha Comics)

· Gold: Prathamesh Gandhi (Colorist: Yali Dream Works)

9. Fan Favourite Comics

· Platinum: Tinkle 800 (Amar Chitra Katha)

· Diamond: FORBIDDEN VERSE: LEO'S CIVIL WAR (Forbidden Verse)

· Gold: The Legend of Watakattu - Claws of Justice (Alpha Comics)

10. Best Comics (Student Category)

· Platinum: Beaver And The Boy (Abin Antony)

 

About ICA

The Indian Comics Association (ICA) promotes and nurtures the Indian comics industry. Through various initiatives, events, and collaborations, ICA aims to foster creativity, support comic creators, and elevate the art of storytelling through comics in India. The association plays a crucial role in bridging the gap between industry, government, creators, and audiences, ensuring that the rich tradition of Indian comics continues to thrive and inspire future generations.

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संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, हिंदुओं को 3-3 बच्‍चे पैदा करने की सलाह, जानें क्या वजह बताई

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है।उन्होंने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।

मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में कठाले कुल सम्मेलन में एक सभा में बोलते हुए कहा, कुटुंब समाज का हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई है। हालांकि जनसंख्‍या वृद्ध‍ि को देखते हुए सालों से ‘बच्‍चे 2 ही अच्‍छे’ का नारा सरकार की तरफ से लगाया जाता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर को सही बनाए रखना देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

आधुनिक जनसंख्या विज्ञान का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, किसी भी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वो समाज दुनिया से खत्म हो जाता है। भागवत ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, वो ये कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में), जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए।' यहां 2.1 जनसंख्या से उनका आशय प्रजनन दर से था।

भारत में हिंदू आबादी गिरी

इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।

चंद्रबाबू नायडू भी कर चुके अधिक बच्चों की वकालत

मोहन भागवत से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी दो से अधिक बच्चा पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत है। दक्षिण में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। गांव खाली हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले परिवारों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार यह भी कानून बनाने की तैयारी में है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग ही स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। नायडू का कहना है कि गांवों से युवाओं के पलायन की वजह से समस्या और विकराल हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 है। जबकि दक्षिण के राज्यों में 1.6 फीसदी है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को क्या नसीहत दी, भागवत की किस सलाह का दिया हवाला?

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बड़ी नसीहत दी है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह का हवाला भी दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी पर देश की हर मस्जिद में सर्वेक्षण कराकर समाज को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि ऐसा कर सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह की अवहेलना कर रहा है। खरगे की टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल में एक मस्जिद में यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है कि क्या वहां कोई मंदिर था।

सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे रविवार को दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक महासंघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी से मोहन भागवत के 2022 के बयान पर ध्यान देने को कहा। खरगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, आज देश में हर जगह सर्वे वाले ये पता लगा रहे हैं कि कहां पहले मंदिर थे और कहां मस्जिद थी, लेकिन 2023 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारा लक्ष्य राम मंदिर बनाने का था, हर मस्जिद के नीचे शिवालय ढूंढना गलत है। जब बीजेपी-आरएसएस वाले ही ये बातें कह रहे हैं, तो फिर सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा है। हम सभी तो एक हैं।

क्या लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार भी ध्वस्त होगा-खरगे

खरगे ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं 'एक हैं तो सेफ हैं', लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देते हैं। आपके नेता मोहन भागवत ने कहा है कि अब जब राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों की तलाश करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा करते हैं?' खरगे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देगी, जो मुसलमानों की तरफ से बनवाई गई थीं।

आखिर भागवत ने क्या कहा था

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जून 2022 में ज्ञानवापी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भागवत ने कहा था कि इतिहास वो है जिसे हम बदल नहीं सकते। उनका कहना था कि इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा.... हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? उनका कहना था कि अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है। संघ प्रमुख नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान बोल रहे थे।

बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

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अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

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“बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

मोहन भागवत को मिलेगी पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सिक्योरिटी, जानें सुरक्षा Z+ से क्यों बढ़ाई गई

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केद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुरक्षा प्रोटोकॉल को जेड-प्लस से बढ़ा दिया गया है। उन्हें अब वही सुरक्षा घेरा मिलेगा जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मिली हुई है।यह सुरक्षा घेरा एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (एएसएल) कहा जाता है।एएसएल सुरक्षा पीएम और गृह मंत्री को मिलती है।

क्यों बढ़ाई गई भागवत की सुरक्षा?

मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर उनको किससे खतरा है कि उनको पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सुरक्षा दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर एक पखवाड़े पहले सुरक्षा बढ़ाने को अंतिम रूप दिया गया था। कथित तौर पर गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में मोहन भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा 'ढीली' पाई गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।

भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं भागवत!

सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखने को मिली थी, जिसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर काम किया गया और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि वह कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। बढ़ती चिंता और तमाम एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। सुरक्षा बढ़ाए जाने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दी गई है।

क्या है एएसएल सिक्योरिटी?

सिक्यॉरिटी का यह बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इसमें हेलीकॉप्टर यात्रा भी केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में दी जाती है और तयशुदा प्रोटोकॉल इस पर लागू किया जाता है। नए प्रोटोकॉल के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भागवत की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगी और सक्रिय भूमिका में होंगी। इस रणनीति में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा, सख्त तोड़फोड़ विरोधी उपाय और किसी भी दौरे से पहले समीक्षा और रिहर्सल शामिल हैं।

AP Govt: వైఎస్ జగన్‌ భద్రతపై ఏపీ ప్రభుత్వం కీలక ప్రకటన

వైసీపీ అధినేత, మాజీ ముఖ్యమంత్రి వైఎస్ జగన్ మోహన్ రెడ్డి (YS Jagan Mohan Reddy) భద్రతపై ప్రభుత్వం తీవ్ర నిర్లక్ష్యం వహిస్తోందని ఆ పార్టీ నేతలు విమర్శలు గుప్పించిన సంగతి తెలిసిందే.

వినుకొండ పర్యటన నేపథ్యంలో అర్ధరాత్రి నుంచే జగన్ భద్రత తగ్గించారని.. క్యాంపు ఆఫీస్ వద్ద భద్రతా సిబ్బందిని సైతం ప్రభుత్వం తొలగించిందని లేనిపోని ఆరోపణలు చేశారు నేతలు. అంతేకాదు.. 

ఆఖరికి వైఎస్ జగన్‌కు పాత బుల్లెట్ ప్రూఫ్ వాహనం ఇచ్చినట్లు, రిపేర్‌లో ఉన్న వాహనం ఇవ్వడంతో ప్రయాణానికి ఇబ్బందులు తలెత్తాయని..

వినుకొండ వెళ్తుండగా పలుమార్లు మొరాయించిందని అటు సోషల్ మీడియాలో సైతం వైసీపీ కార్యకర్తలు పెద్ద ఎత్తున హడావుడి చేశారు. ఈ ఆరోపణలు, విమర్శలన్నింటిపైనా ప్రభుత్వం ఓ ప్రకటన రూపంలో స్పందించింది.

కండిషన్‌లో లేని వాహనాలు ఇచ్చారనే మాజీ సీఎం వైఎస్ జగన్, వైసీపీ పార్టీ నేతల ప్రచారాన్ని ఏపీ ప్రభుత్వం తీవ్రంగా తప్పుబట్టింది. భద్రత తగ్గించారనే ప్రచారాన్ని కూడా ప్రభుత్వం ఖండించింది. జగన్‌కు ప్రస్తుతం జడ్ ప్లస్ సెక్యూరిటీకి ఇచ్చే భద్రత ఉందని పోలీసు శాఖ నిర్థారించినది.

వాహనం ఫిట్‌నెస్‌పై వైసీపీ చేస్తున్న ఆరోపణల్లో ఏ మాత్రం వాస్తవాల్లేవని.. ఆరోపణలను ప్రభుత్వం కొట్టిపారేసింది. జగన్‌కు కేటాయించి వాహనం పూర్తి ఫిట్‌నెస్‌తో ఉందని కండిషన్ చూసిన తరువాతనే వీఐపీకి కేటాయించామని ఉన్నతాధికారులు స్పష్టం చేశారు.

వైఎస్ జగన్‌కు సౌకర్యంగా లేదని కారు దిగారని.. దానికి వాహనం ఫిట్‌గా లేదని ప్రచారం చేయడం తగదని అధికారులు ఒకింత ఆగ్రహం వ్యక్తం చేస్తున్న పరిస్థితి.జగన్ కారు దిగిన తరువాత అదే కాన్వాయ్‌లో ఆ వాహనం వెళ్లిందని, ఎటువంటి ఇబ్బంది లేదని అధికారులు తేల్చి చెప్పారు. ఇక జగన్ వెంట వచ్చిన వాహనాలు నిలిపివేశారనే ప్రచారాన్ని కూడా అధికారులు కొట్టేశారు. ర్యాలీలకు, సభలకు అనుమతి లేదని.. జగన్ వెళ్లే పరామర్శ కార్యక్రమానికి ఇబ్బందులు రాకుండా చర్యలు తీసుకున్నామని పోలీసు ఉన్నతాధికారులు ప్రకటించారు. కాగా

వినుకొండ వెళ్తున్న జగన్ కాన్వాయ్‌లోని ఎమ్మెల్సీ, మాజీ ఎమ్మెల్యేల వాహనాలను ఎక్కడికక్కడ అడ్డుకుని పోలీసులు ఆపేసినట్లు వైసీపీ నేతలు విమర్శలు చేసిన సంగతి తెలిసిందే. అయితే.. ఎల్లో బుక్ ప్రకారమే ప్రస్తుతం జగన్‌కు భద్రత ఇచ్చామని ఏపీ ప్రభుత్వం క్లియర్‌ కట్‌గా ఓ ప్రకటన రూపంలో క్లారిటీ ఇచ్చేసింది.

*RICE Education Shines Bright at its 15th Convocation, 2024*

SB News bureau: RICE Education, an epitome of educational excellence, is poised to host its 15th Convocation Ceremony today at Adamas Knowledge City, Barasat, Barrackpore Road, Kolkata, marking a significant milestone in its journey of fostering academic brilliance and shaping future leaders. With a legacy deeply rooted in dedication and innovation, RICE Education has consistently been a guiding force for aspirants preparing for state and central government competitive exams. 

We are the largest group in the whole of Eastern India in the domain of education. The Group started its journey around 40 years back with a small tutorial for State Level Competitive Examinations. Reaping the benefits of the courses at RICE, countless candidates from the state have managed to secure government jobs. Today, the name RICE Group is synonymous with success in Bengal.

Over the years, RICE Education has carved a niche for itself by providing comprehensive and meticulously designed courses that empower students to not only crack exams but also excel in their chosen fields. The institution's unwavering commitment to quality education is evident through the remarkable achievements of its students who consistently secure top ranks in various competitive examinations.

At the 15th Convocation, RICE Education takes pride in celebrating the success stories of its students, honoring those who have cracked state and central government exams with distinction. This convocation not only symbolizes academic achievement but also stands as a tribute to the institution's vision of creating a community of empowered individuals ready to make a positive impact on society.

Starting from WBCS to Railway, Banking, Insurance, School Service, LIC, Upper Division Clerk, PSC Miscellaneous, SSC, CGL, and various job exams, those who have studied at RICE and achieved success in their careers will be honoured with various awards from the institution's side.

The commencement of the 15th convocation will be marked by the ceremonial lighting of lamps, scheduled for Sunday, February 11th. Notable figures, including Professor Dr. Samit Ray, Chairman of the RICE Group, and other esteemed personalities, will grace the occasion with their presence at the Adamas Knowledge City campus.

Joining us as esteemed guests of honor are Mr. Debasish Sen, Ex-Additional Chief Secretary to the Govt. of West Bengal, IT & Electronics Dept; Ex-Chairman-Managing Director, WBHIDCO; Founder, New Bengal Consulting; Mr. Goutam Mohan Chakroborty, IPS (RETD), Former Commissioner of Police, Kolkata.

The event is set to be a momentous occasion celebrating the achievements of more than 1000 RICE successful alumni. Over 4000 students from different RICE Education branches are coming together at Adamas Knowledge City. Joined by their proud families, this event reflects the shared journey of learning, perseverance and achievement. 

The atmosphere is buzzing with excitement and pride as these hardworking students get ready to be acknowledged for their efforts. In the midst of eager faces, 200 special gifts represent appreciation for their dedication. 

RICE Education is proud to announce the felicitation of two exceptional achievers during the 15th Convocation. These top two outstanding students, showcasing remarkable excellence, will be felicitated with a significant reward—a brand new car. This goes beyond just a valuable gift; it's a sincere recognition of their outstanding achievements, inspiring not only them but also motivating the entire student community.

Amidst the festivities of the 15th Convocation at RICE Education, attendees are looking forward to a soul-stirring music performance by the renowned artist, Lagnajita Chakraborty. Her captivating melodies will add an extra layer of enchantment to the event and create an atmosphere of celebration and joy. RICE Education has organized captivating dance and music performances to celebrate the achievements of its students. 

Convocation is also an effort to inspire and motivate aspiring students. The interaction with the seniors provides a unique opportunity for attendees to gain insights into the journey of these high-achieving individuals. As they share their experiences, challenges, and success stories, this interaction aims to encourage and guide the next generation of learners towards their own paths of excellence.

As the ceremony goes on, you can feel the happiness and success all around. This momentous event, graced by the distinguished bureaucrats, and everyone coming together marks a meaningful moment. RICE Education is all about cheering on success and making sure everyone feels proud of what they have achieved.

The ceremony marks a significant milestone for RICE Education, which has grown exponentially since its inception in 1985. Today, it stands as an inspiration for aspirants seeking government jobs, impacting lives and transforming dreams into realities. Chairman Samit Ray's visionary leadership has played a pivotal role in steering RICE towards unprecedented success. 

In his inspiring words, he emphasizes how RICE has impacted countless lives across the country and has become a catalyst for positive change in the educational and professional landscape.

He expresses, “RICE has touched the lives of thousands, empowering them to reach for their dreams in the realm of government jobs. Our commitment to excellence has left an indelible mark on the aspirations of individuals from all walks of life. I invite everyone to join us and witness the culmination of these impactful journeys at the 15th convocation on February 11, 2024, Sunday, at the Adamas Knowledge City.”

Over the years, RICE has undergone a remarkable transformation. It all started back in 1985, in a modest room in Jatin Das Nagar, Belghoria. From those humble beginnings, we moved to a classroom on Feeder Road, and today, we proudly occupy the five-storey 'Dishari Bhawan'—a hub of offices and cutting-edge technology classrooms.

Our journey is intricately woven with the evolution of modernization and the triumphs in government job placements. As our success story unfolded, so did our footprint, reaching various corners of the state. With every new branch, our success stories became more diverse. From Kolkata to Darjeeling, the name of RICE resonates far and wide.

RICE has not only emerged as a premier institution for competitive exam coaching but has also earned trust as an esteemed educational establishment, etching a distinctive mark on the educational landscape of West Bengal.

ईसाई समाज को लेकर ऐसा क्या बोल गए मोहन भागवत, बिफर गए बिशप

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। अब मोहन भागवत के धर्मांतरण और आदिवासी समुदायों से संबंधित एक बयान पर बवाल मच गया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया है कि भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए उनसे कहा था कि अगर संघ द्वारा धर्मांतरण पर काम नहीं किया गया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग राष्ट्र-विरोधी हो गया होता। कैथोलिक बिशपों के एक निकाय ने भागवत के इस बयान की निंदा की है।

कैथोलिक बिशपों की संस्था सीबीसीआई ने जारी एक बयान में उन खबरों का हवाला दिया, जिनमें कथित तौर पर कहा गया है कि भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में दावा किया था कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए 'घर वापसी' की सराहना की थी और उनसे कहा था कि यदि संघ ने धर्मांतरण पर काम नहीं किया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ हो गया होता। सीबीसीआई ने इन खबरों को चौंकाने वाला बताया। संस्था ने सवाल किया कि मुखर्जी के जीवित रहते भागवत ने इस बारे में कुछ क्यों नहीं बोला। सीबीसीआई कहा, हम 2.3 प्रतिशत ईसाई भारतीय नागरिक इस तरह के छलपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रचार से बहुत आहत महसूस कर रहे हैं।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार के वितरण समारोह में कही है। भागवत ने कहा, डॉ प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, तब मैं पहली बार उनसे मिलने गया। संसद में घर वापसी को लेकर बहुत बड़ा हल्ला चल रहा थाय़ मैं तैयार हो कर गया कि वे बहुत कुछ पूछेंगे, बहुत बताना पड़ेगा। लेकिन उन्होंने कहा कि आप लोगों ने कुछ लोगों को वापस लाया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की.. ऐसा कैसे करते हो आप? ऐसा करने से हो-हल्ला होता है क्योंकि वो राजनीति है। मैं भी अगर आज कांग्रेस पार्टी में होता, राष्ट्रपति नहीं होता, तो मैं भी संसद में यही करता।

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा, प्रणब मुखर्जी ने फिर कहा लेकिन आप लोगों ने ये जो काम किया है उसके कारण भारत के 30% आदिवासी… मैंने उनकी लाइन पकड़ ली और उनके बोलने के अंदाज से मुझे बहुत खुशी हुई। इस पर मैंने कहा ये लोग ईसाई बन जाते, तो वो बोले ईसाई नहीं, देशद्रोही बन जाते।

बता दें कि ‘घर वापसी’ शब्द का इस्तेमाल आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों मुसलमानों और ईसाइयों के हिंदू धर्म में लौटने के लिए करते हैं।संघ का मानना ये है कि सभी भारतीय मूल रूप से हिंदू हैं और इस प्रकार इस धर्मांतरण का अर्थ अनिवार्य रूप से ‘घर वापसी’ है।

मोहन भागवत के बयान से अलग है आरएसएस के मुखपत्र की राय, विवादित स्थलों के सर्वे पर जताई सहमति

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राम मंदिर के साथ हिंदुओं की श्रद्धा है लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वो नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं का नेता बन सकते हैं। ये स्वीकार्य नहीं है। ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसे समय पर कही है जब पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है। देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है। हालांकि, मोहवन भागवत की राय आरएसएस से जुड़ी पत्रिका 'ऑर्गेनाइजर' के लेख से बिल्कुल अलग है। 'ऑर्गेनाइजर' में लिखे लेख की माने तो विवादित स्थलों का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है।

आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की है। जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है। पत्रिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है।

कई सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र

जिसमें दावा किया गया है कि कैसे संभल में शाही जामा मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद था। इसमें संभल के सांप्रदायिक इतिहास का भी वर्णन किया गया है। इसके अलावा पत्रिका में पिछले सालों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं का भी जिक्र किया गया है। इस लेख में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर संघ प्रमुख की सलाह या चेतावनी को पूरी तरीके से नजरअंदाज कर दिया गया है।

अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा

पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर के लिखे संपादकीय में कहा गया है, धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बाबासाहेब आंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे समाप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय प्रदान किए। तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें और इससे इनकार करने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा।

लड़ाई राष्ट्रीय पहचान को साबित करने की

संपादकीय में कहा गया कि सोमनाथ से लेकर संभल और उसके आगे के सच को जानने की यह लड़ाई धार्मिक श्रेष्ठता के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को साबित करने और सभ्यतागत न्याय के बारे में है। लेख में ऐतिहासिक घावों को भरने की भी बात कही गई है।

मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर जताई चिंता, बोले-ऐसे आप हिंदुओं के नेता नहीं बन जाएंगे

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काशी, मथुरा में मंदिर मस्जिद का विवाद जहां अदालतों में लंबित में है वहीं संभल का प्रकरण सुर्खियों में बना हुआ है। इस बीच ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां धार्मिक ढांचों को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग यह मानने लगे हैं कि वे इस तरह के मुद्दों को उठाकर 'हिंदुओं के नेता' बन सकते हैं।

पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर ‘भारत-विश्वगुरु’ विषय पर बोलते हुए आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर ‘हिंदुओं के नेता’ बन सकते हैं। संघ प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत करते हुए कहा कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है।

भारतीय समाज की बहुलता को रेखांकित करते हुए भागवत ने कहा कि रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है। राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।’’

राम मंदिर का निर्माण हिंदुओं की आस्था का विषय-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था। उन्होंने किसी विशेष स्थल का उल्लेख किए बिना कहा, ‘‘हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता। भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं।’’ हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों तक पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए।

कट्टरता सही नहीं- भागवत

हाल के दिनों में मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की कई मांगें अदालतों में पहुंची हैं, हालांकि भागवत ने अपने व्याख्यान में किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए हैं और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आए

Comic Street – An exciting new initiative by TVAGA and ICA at Indiajoy

The Comic Street Awards 2024 debuted at the prestigious India Joy Digital Entertainment Festival at the Hyderabad International Convention Center (HICC). A collaboration between the Telangana VFX, Animation, and Gaming Association (TVAGA) and the Indian Comics Association (ICA), the awards celebrated exceptional talent in the Indian comics industry, marking a new chapter in the legacy of India Joy. The awards were presented by former beauty queen and Bollywood actress Ruhi Singh, whose presence added a touch of glamour and star power to the event. In recognition of her contributions to the creative industry, Himanshu Singhal, PR & Industry Head of ICA, presented a memento to Ruhi Singh.

The Lifetime Achievement Award was presented to the legendary cartoonist Abid Surti for his immense contributions to the Indian comics landscape. A true pioneer, Abid Surti is the creative genius behind Bahadur, India’s first-ever superhero, and has significantly shaped the Indian comics industry.

The ICA proudly hosted a panel discussion at Comic Street featuring prominent figures such as Sanjay Gupta (Raj Comics by Sanjay Gupta), Preeti Vyas (Amar Chitra Katha), Ajay Krishna (Forbidden Verse), and Ajitesh Sharma (Cinemics). The panel delved into various aspects of storytelling, industry evolution, and comic industry opportunities, offering invaluable insights and fostering engaging discussions among industry pioneers and enthusiasts.

Ajitesh Sharma, president of ICA, interacted with Prashant Varma, the visionary director of the highly acclaimed movie Hanu-Man, on Comics IP & Cinema. Ajay Krishna, Executive Member of ICA, presented a special memento to Prashant Varma, acknowledging his remarkable contributions to storytelling, creativity, and the growing universe of Indian superheroes.

Adding to the event's excitement, two new comic titles were launched: Chandrakanta, an Indian epic adapted into Comics by Cinemics, and Soul Contract, an Indian manga by Cosmics. These latest releases generated a buzz and showcased the vibrant creativity and innovation within the Indian comics industry.

 

An ICA Pavilion exhibiting Indian Comics was set up at Comics Street, and Ravi Tanwer, Anadi Abhilash, Mohamad Shabaz, Himanshu Singhal, Vasu Gupta, Saahil Sharma, Varun Malhotra, and Neelesh Makwane from ICA led the initiative. Moreover, ICA promoted the upcoming Comics Creator Championship, set to take place during Waves 2025, further engaging the community and encouraging creators to showcase their talent in this Create in India Challenge.

The event underscores India Joy’s commitment to fostering a thriving ecosystem for the AVGC sector. Telangana IT Minister KT Rama Rao highlighted that the festival embodies the state’s vision to position Hyderabad as a global hub, attracting more than 25,000 attendees globally and showcasing India's potential as a global media and entertainment industry leader.

 

Comic Street Award 2024

 

1. Best Comics

· Platinum: Professor Ashwatthama 3 (Cheeseburger Comics)

· Diamond: Ad Infinitum - Sisyphus (Chitragaatha Comics)

· Gold: Celestial Beings (Amar Chitra Katha)

2. Best Comics Writer

· Platinum: Bijoy Raveendran, Codename Alpha '97 (Yali Dream Works)

· Diamond: Saahil S Sharma, Operation Ganga (Alpha Comics)

· Gold: Soumya Das, Violated Series (The Hierophant Entertainment)

3. Best Artist

· Platinum: Dildeep Singh, Rakt katha Series (RCSG)

· Diamond: Caio Pegado, Soormas (Curious Bit Publication)

· Gold: Harsho Mohan Chattoraj, Al-Zebra (Alpha Comics)                      

4. Best Colorist

· Platinum: Valeria Verdi, Soormas (Curious Bit Publication)

· Diamond: Shadab Siddiqui & Sunil Dasturia, Rakt katha Series (RCSG)

· Gold: Jyoti Singh, Dvij: Born from Fire (Radiant Comics)                            

5. Best Cover Design

· Platinum: Violated Issue 1 (The Hierophant Entertainment)

· Diamond: Guddu Bomb Issue 1 (Chitragaatha Comics)

· Gold: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

6. Best Kids Comics

· Platinum: Chahal Pahal (Alpha Comics)

· Diamond: Weatherman (Cinemics)

· Gold: Tinkle Holiday Special 54 (Amar Chitra Katha)

7. Best Manga

· Platinum: Whispers of Void: Midnight Mist (Cosmics)

· Diamond: Trio (Vaibhavi Studios)

8. Best Rising Talent

· Platinum: Ajay Krishna (Forbidden Verse)

· Diamond: Vasu Gupta (Alpha Comics)

· Gold: Prathamesh Gandhi (Colorist: Yali Dream Works)

9. Fan Favourite Comics

· Platinum: Tinkle 800 (Amar Chitra Katha)

· Diamond: FORBIDDEN VERSE: LEO'S CIVIL WAR (Forbidden Verse)

· Gold: The Legend of Watakattu - Claws of Justice (Alpha Comics)

10. Best Comics (Student Category)

· Platinum: Beaver And The Boy (Abin Antony)

 

About ICA

The Indian Comics Association (ICA) promotes and nurtures the Indian comics industry. Through various initiatives, events, and collaborations, ICA aims to foster creativity, support comic creators, and elevate the art of storytelling through comics in India. The association plays a crucial role in bridging the gap between industry, government, creators, and audiences, ensuring that the rich tradition of Indian comics continues to thrive and inspire future generations.

For more details visit website

संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, हिंदुओं को 3-3 बच्‍चे पैदा करने की सलाह, जानें क्या वजह बताई

#mohanbhagwatstressesneedformorechildrentosave_hindu

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है।उन्होंने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।

मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में कठाले कुल सम्मेलन में एक सभा में बोलते हुए कहा, कुटुंब समाज का हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई है। हालांकि जनसंख्‍या वृद्ध‍ि को देखते हुए सालों से ‘बच्‍चे 2 ही अच्‍छे’ का नारा सरकार की तरफ से लगाया जाता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर को सही बनाए रखना देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

आधुनिक जनसंख्या विज्ञान का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, किसी भी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वो समाज दुनिया से खत्म हो जाता है। भागवत ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, वो ये कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में), जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए।' यहां 2.1 जनसंख्या से उनका आशय प्रजनन दर से था।

भारत में हिंदू आबादी गिरी

इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।

चंद्रबाबू नायडू भी कर चुके अधिक बच्चों की वकालत

मोहन भागवत से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी दो से अधिक बच्चा पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत है। दक्षिण में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। गांव खाली हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले परिवारों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार यह भी कानून बनाने की तैयारी में है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग ही स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। नायडू का कहना है कि गांवों से युवाओं के पलायन की वजह से समस्या और विकराल हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 है। जबकि दक्षिण के राज्यों में 1.6 फीसदी है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को क्या नसीहत दी, भागवत की किस सलाह का दिया हवाला?

#mallikarjunkhargesaidbjpnotpayingheedtomohanbhagwatadvice

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बड़ी नसीहत दी है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह का हवाला भी दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी पर देश की हर मस्जिद में सर्वेक्षण कराकर समाज को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि ऐसा कर सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह की अवहेलना कर रहा है। खरगे की टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल में एक मस्जिद में यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है कि क्या वहां कोई मंदिर था।

सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे रविवार को दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक महासंघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी से मोहन भागवत के 2022 के बयान पर ध्यान देने को कहा। खरगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, आज देश में हर जगह सर्वे वाले ये पता लगा रहे हैं कि कहां पहले मंदिर थे और कहां मस्जिद थी, लेकिन 2023 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारा लक्ष्य राम मंदिर बनाने का था, हर मस्जिद के नीचे शिवालय ढूंढना गलत है। जब बीजेपी-आरएसएस वाले ही ये बातें कह रहे हैं, तो फिर सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा है। हम सभी तो एक हैं।

क्या लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार भी ध्वस्त होगा-खरगे

खरगे ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं 'एक हैं तो सेफ हैं', लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देते हैं। आपके नेता मोहन भागवत ने कहा है कि अब जब राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों की तलाश करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा करते हैं?' खरगे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देगी, जो मुसलमानों की तरफ से बनवाई गई थीं।

आखिर भागवत ने क्या कहा था

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जून 2022 में ज्ञानवापी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भागवत ने कहा था कि इतिहास वो है जिसे हम बदल नहीं सकते। उनका कहना था कि इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा.... हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? उनका कहना था कि अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है। संघ प्रमुख नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान बोल रहे थे।

बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

#rsschiefmohanbhagwatwarnedindiabygivingexampleofbangladesh

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

#rsschiefmohanbhagwatwarnedindiabygivingexampleofbangladesh

“बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

मोहन भागवत को मिलेगी पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सिक्योरिटी, जानें सुरक्षा Z+ से क्यों बढ़ाई गई

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केद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुरक्षा प्रोटोकॉल को जेड-प्लस से बढ़ा दिया गया है। उन्हें अब वही सुरक्षा घेरा मिलेगा जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मिली हुई है।यह सुरक्षा घेरा एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (एएसएल) कहा जाता है।एएसएल सुरक्षा पीएम और गृह मंत्री को मिलती है।

क्यों बढ़ाई गई भागवत की सुरक्षा?

मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर उनको किससे खतरा है कि उनको पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सुरक्षा दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर एक पखवाड़े पहले सुरक्षा बढ़ाने को अंतिम रूप दिया गया था। कथित तौर पर गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में मोहन भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा 'ढीली' पाई गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।

भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं भागवत!

सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखने को मिली थी, जिसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर काम किया गया और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि वह कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। बढ़ती चिंता और तमाम एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। सुरक्षा बढ़ाए जाने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दी गई है।

क्या है एएसएल सिक्योरिटी?

सिक्यॉरिटी का यह बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इसमें हेलीकॉप्टर यात्रा भी केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में दी जाती है और तयशुदा प्रोटोकॉल इस पर लागू किया जाता है। नए प्रोटोकॉल के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भागवत की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगी और सक्रिय भूमिका में होंगी। इस रणनीति में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा, सख्त तोड़फोड़ विरोधी उपाय और किसी भी दौरे से पहले समीक्षा और रिहर्सल शामिल हैं।

AP Govt: వైఎస్ జగన్‌ భద్రతపై ఏపీ ప్రభుత్వం కీలక ప్రకటన

వైసీపీ అధినేత, మాజీ ముఖ్యమంత్రి వైఎస్ జగన్ మోహన్ రెడ్డి (YS Jagan Mohan Reddy) భద్రతపై ప్రభుత్వం తీవ్ర నిర్లక్ష్యం వహిస్తోందని ఆ పార్టీ నేతలు విమర్శలు గుప్పించిన సంగతి తెలిసిందే.

వినుకొండ పర్యటన నేపథ్యంలో అర్ధరాత్రి నుంచే జగన్ భద్రత తగ్గించారని.. క్యాంపు ఆఫీస్ వద్ద భద్రతా సిబ్బందిని సైతం ప్రభుత్వం తొలగించిందని లేనిపోని ఆరోపణలు చేశారు నేతలు. అంతేకాదు.. 

ఆఖరికి వైఎస్ జగన్‌కు పాత బుల్లెట్ ప్రూఫ్ వాహనం ఇచ్చినట్లు, రిపేర్‌లో ఉన్న వాహనం ఇవ్వడంతో ప్రయాణానికి ఇబ్బందులు తలెత్తాయని..

వినుకొండ వెళ్తుండగా పలుమార్లు మొరాయించిందని అటు సోషల్ మీడియాలో సైతం వైసీపీ కార్యకర్తలు పెద్ద ఎత్తున హడావుడి చేశారు. ఈ ఆరోపణలు, విమర్శలన్నింటిపైనా ప్రభుత్వం ఓ ప్రకటన రూపంలో స్పందించింది.

కండిషన్‌లో లేని వాహనాలు ఇచ్చారనే మాజీ సీఎం వైఎస్ జగన్, వైసీపీ పార్టీ నేతల ప్రచారాన్ని ఏపీ ప్రభుత్వం తీవ్రంగా తప్పుబట్టింది. భద్రత తగ్గించారనే ప్రచారాన్ని కూడా ప్రభుత్వం ఖండించింది. జగన్‌కు ప్రస్తుతం జడ్ ప్లస్ సెక్యూరిటీకి ఇచ్చే భద్రత ఉందని పోలీసు శాఖ నిర్థారించినది.

వాహనం ఫిట్‌నెస్‌పై వైసీపీ చేస్తున్న ఆరోపణల్లో ఏ మాత్రం వాస్తవాల్లేవని.. ఆరోపణలను ప్రభుత్వం కొట్టిపారేసింది. జగన్‌కు కేటాయించి వాహనం పూర్తి ఫిట్‌నెస్‌తో ఉందని కండిషన్ చూసిన తరువాతనే వీఐపీకి కేటాయించామని ఉన్నతాధికారులు స్పష్టం చేశారు.

వైఎస్ జగన్‌కు సౌకర్యంగా లేదని కారు దిగారని.. దానికి వాహనం ఫిట్‌గా లేదని ప్రచారం చేయడం తగదని అధికారులు ఒకింత ఆగ్రహం వ్యక్తం చేస్తున్న పరిస్థితి.జగన్ కారు దిగిన తరువాత అదే కాన్వాయ్‌లో ఆ వాహనం వెళ్లిందని, ఎటువంటి ఇబ్బంది లేదని అధికారులు తేల్చి చెప్పారు. ఇక జగన్ వెంట వచ్చిన వాహనాలు నిలిపివేశారనే ప్రచారాన్ని కూడా అధికారులు కొట్టేశారు. ర్యాలీలకు, సభలకు అనుమతి లేదని.. జగన్ వెళ్లే పరామర్శ కార్యక్రమానికి ఇబ్బందులు రాకుండా చర్యలు తీసుకున్నామని పోలీసు ఉన్నతాధికారులు ప్రకటించారు. కాగా

వినుకొండ వెళ్తున్న జగన్ కాన్వాయ్‌లోని ఎమ్మెల్సీ, మాజీ ఎమ్మెల్యేల వాహనాలను ఎక్కడికక్కడ అడ్డుకుని పోలీసులు ఆపేసినట్లు వైసీపీ నేతలు విమర్శలు చేసిన సంగతి తెలిసిందే. అయితే.. ఎల్లో బుక్ ప్రకారమే ప్రస్తుతం జగన్‌కు భద్రత ఇచ్చామని ఏపీ ప్రభుత్వం క్లియర్‌ కట్‌గా ఓ ప్రకటన రూపంలో క్లారిటీ ఇచ్చేసింది.

*RICE Education Shines Bright at its 15th Convocation, 2024*

SB News bureau: RICE Education, an epitome of educational excellence, is poised to host its 15th Convocation Ceremony today at Adamas Knowledge City, Barasat, Barrackpore Road, Kolkata, marking a significant milestone in its journey of fostering academic brilliance and shaping future leaders. With a legacy deeply rooted in dedication and innovation, RICE Education has consistently been a guiding force for aspirants preparing for state and central government competitive exams. 

We are the largest group in the whole of Eastern India in the domain of education. The Group started its journey around 40 years back with a small tutorial for State Level Competitive Examinations. Reaping the benefits of the courses at RICE, countless candidates from the state have managed to secure government jobs. Today, the name RICE Group is synonymous with success in Bengal.

Over the years, RICE Education has carved a niche for itself by providing comprehensive and meticulously designed courses that empower students to not only crack exams but also excel in their chosen fields. The institution's unwavering commitment to quality education is evident through the remarkable achievements of its students who consistently secure top ranks in various competitive examinations.

At the 15th Convocation, RICE Education takes pride in celebrating the success stories of its students, honoring those who have cracked state and central government exams with distinction. This convocation not only symbolizes academic achievement but also stands as a tribute to the institution's vision of creating a community of empowered individuals ready to make a positive impact on society.

Starting from WBCS to Railway, Banking, Insurance, School Service, LIC, Upper Division Clerk, PSC Miscellaneous, SSC, CGL, and various job exams, those who have studied at RICE and achieved success in their careers will be honoured with various awards from the institution's side.

The commencement of the 15th convocation will be marked by the ceremonial lighting of lamps, scheduled for Sunday, February 11th. Notable figures, including Professor Dr. Samit Ray, Chairman of the RICE Group, and other esteemed personalities, will grace the occasion with their presence at the Adamas Knowledge City campus.

Joining us as esteemed guests of honor are Mr. Debasish Sen, Ex-Additional Chief Secretary to the Govt. of West Bengal, IT & Electronics Dept; Ex-Chairman-Managing Director, WBHIDCO; Founder, New Bengal Consulting; Mr. Goutam Mohan Chakroborty, IPS (RETD), Former Commissioner of Police, Kolkata.

The event is set to be a momentous occasion celebrating the achievements of more than 1000 RICE successful alumni. Over 4000 students from different RICE Education branches are coming together at Adamas Knowledge City. Joined by their proud families, this event reflects the shared journey of learning, perseverance and achievement. 

The atmosphere is buzzing with excitement and pride as these hardworking students get ready to be acknowledged for their efforts. In the midst of eager faces, 200 special gifts represent appreciation for their dedication. 

RICE Education is proud to announce the felicitation of two exceptional achievers during the 15th Convocation. These top two outstanding students, showcasing remarkable excellence, will be felicitated with a significant reward—a brand new car. This goes beyond just a valuable gift; it's a sincere recognition of their outstanding achievements, inspiring not only them but also motivating the entire student community.

Amidst the festivities of the 15th Convocation at RICE Education, attendees are looking forward to a soul-stirring music performance by the renowned artist, Lagnajita Chakraborty. Her captivating melodies will add an extra layer of enchantment to the event and create an atmosphere of celebration and joy. RICE Education has organized captivating dance and music performances to celebrate the achievements of its students. 

Convocation is also an effort to inspire and motivate aspiring students. The interaction with the seniors provides a unique opportunity for attendees to gain insights into the journey of these high-achieving individuals. As they share their experiences, challenges, and success stories, this interaction aims to encourage and guide the next generation of learners towards their own paths of excellence.

As the ceremony goes on, you can feel the happiness and success all around. This momentous event, graced by the distinguished bureaucrats, and everyone coming together marks a meaningful moment. RICE Education is all about cheering on success and making sure everyone feels proud of what they have achieved.

The ceremony marks a significant milestone for RICE Education, which has grown exponentially since its inception in 1985. Today, it stands as an inspiration for aspirants seeking government jobs, impacting lives and transforming dreams into realities. Chairman Samit Ray's visionary leadership has played a pivotal role in steering RICE towards unprecedented success. 

In his inspiring words, he emphasizes how RICE has impacted countless lives across the country and has become a catalyst for positive change in the educational and professional landscape.

He expresses, “RICE has touched the lives of thousands, empowering them to reach for their dreams in the realm of government jobs. Our commitment to excellence has left an indelible mark on the aspirations of individuals from all walks of life. I invite everyone to join us and witness the culmination of these impactful journeys at the 15th convocation on February 11, 2024, Sunday, at the Adamas Knowledge City.”

Over the years, RICE has undergone a remarkable transformation. It all started back in 1985, in a modest room in Jatin Das Nagar, Belghoria. From those humble beginnings, we moved to a classroom on Feeder Road, and today, we proudly occupy the five-storey 'Dishari Bhawan'—a hub of offices and cutting-edge technology classrooms.

Our journey is intricately woven with the evolution of modernization and the triumphs in government job placements. As our success story unfolded, so did our footprint, reaching various corners of the state. With every new branch, our success stories became more diverse. From Kolkata to Darjeeling, the name of RICE resonates far and wide.

RICE has not only emerged as a premier institution for competitive exam coaching but has also earned trust as an esteemed educational establishment, etching a distinctive mark on the educational landscape of West Bengal.