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उत्तर प्रदेश के बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान संगीत बजाने को लेकर एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या

#disputebreaksoutinuponeman_dies

Bikes set on fire after dispute (PTI)

उत्तर प्रदेश के बहराइच में रविवार को जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक संघर्ष में गोली लगने से 22 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई।

अधिकारियों ने बताया कि पथराव और गोलीबारी में करीब आधे दर्जन लोग घायल हो गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

यह घटना उस समय हुई जब विसर्जन के लिए देवी दुर्गा की प्रतिमा लेकर जा रहा जुलूस मंसूर गांव के महाराजगंज बाजार से गुजरा। रेहुआ मंसूर गांव के निवासी राम गोपाल मिश्रा को समूह के साथ चलते समय गोली मार दी गई। परिवार के एक सदस्य के अनुसार, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। हत्या के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया, जिसके कारण फखरपुर कस्बे और अन्य स्थानों पर इसी तरह के जुलूस रद्द कर दिए गए।

हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को निर्देश दिया कि मूर्ति विसर्जन जारी रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए धार्मिक संगठनों के साथ समन्वय करना चाहिए कि यह समय पर हो। उन्होंने विसर्जन स्थलों पर पुलिस बल बढ़ाने के निर्देश दिए और गांव में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई

बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए उपद्रव के बाद हरदी थानाध्यक्ष एसके वर्मा और महसी चौकी प्रभारी शिव कुमार को निलंबित कर दिया गया। पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने घटना के दौरान लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है। यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने घटना में एक व्यक्ति के हताहत होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि गोंडा और बलरामपुर समेत पड़ोसी जिलों में आगजनी की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। डीजीपी ने कहा, "स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एडीजी गोरखपुर जोन केएस प्रताप कुमार और डीआईजी देवीपाटन अमरेंद्र प्रताप सिंह को अतिरिक्त बलों के साथ घटनास्थल पर भेजा गया है।"

बहराइच में अशांति

इस बीच, राम गोपाल मिश्रा की मौत की खबर से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने महाराजगंज बाजार में वाहनों में तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया। गांव में पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) की भारी टुकड़ी तैनात की गई थी, साथ में एसपी बहराइच वृंदा शुक्ला, डीआईजी अमरेंद्र प्रसाद सिंह और मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सहित वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं...'यूएस में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर बयान दिया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर सफाई दी है। जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

'समझौते का उल्लंघन किया'

न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन साथ एलएसी पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

'अगला कदम तनाव कम करना'

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

'भारत-चीन संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर न केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों का ‘‘समानांतर विकास’’ आज की वैश्विक राजनीति में ‘‘बहुत अनोखी समस्या’’ पेश करता है।

'भारत-चीन का समानांतर विकास अनोखी समस्या'

जयशंकर ने कहा कि आपके पास दो ऐसे देश हैं जो आपस में पड़ोसी हैं, वे इस दृष्टि से अनोखे भी हैं कि वे ही एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भी हैं, दोनों वैश्विक व्यवस्था में उभर रहे हैं और उनकी सीमा अक्सर अस्पष्ट हैं तथा साथ ही उनकी एक साझा सीमा भी है। इसलिए यह बहुत जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति में देखें तो भारत और चीन का समानांतर विकास बहुत, बहुत अनोखी समस्या है।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है। जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।

जयशंकर के बयान पर भड़का पाकिस्तान, कहा-कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है*
#pakistan_says_kashmir_dispute_an_internationally_recognised_issue *
पाकिस्तान आए दिन कश्मीर के रास्ते भारत में आतंकियों को भेजता है और भारत में अशांति फैलाने का मंसूबा रखता है। हालांकि,भारत उसके हर नापाक मंसूबे पर पानी फेर देता है। एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगला है।पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार हल करना चाहिए। पाकिस्तान की ये प्रतिक्रिया भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर के हाल के बयान के बाद आई है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के विवाद को एकतरफा तरीक से नहीं सुलझाया जा सकता है। यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित है। इसे सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीर के अवाम की इच्छाओं के मुताबिक हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनसुलझे विवाद का समाधान दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। बलूच ने कहा कि पाकिस्तान कूटनीति और बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का वह दृढ़ता से जवाब देगा। *क्या बोले थे विदेश मंत्री* इससे पहले जयशंकर ने शुक्रवार को कहा था कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो गया है। कार्रवाई के परिणाम होते हैं, और जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, मुझे लगता है कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो गया है। आज मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्ते पर विचार कर सकते हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि हम निष्क्रिय नहीं हैं और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं, हम किसी भी तरह से प्रतिक्रिया करेंगे। भारत ने पाकिस्तान से कई बार इस बात को दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।भारत ने इस बात को भी हमेशा दोहराया रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है।
जयशंकर के बयान पर भड़का पाकिस्तान, कहा-कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है

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पाकिस्तान आए दिन कश्मीर के रास्ते भारत में आतंकियों को भेजता है और भारत में अशांति फैलाने का मंसूबा रखता है। हालांकि,भारत उसके हर नापाक मंसूबे पर पानी फेर देता है। एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगला है।पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार हल करना चाहिए। पाकिस्तान की ये प्रतिक्रिया भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर के हाल के बयान के बाद आई है।

पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के विवाद को एकतरफा तरीक से नहीं सुलझाया जा सकता है। यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित है। इसे सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीर के अवाम की इच्छाओं के मुताबिक हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनसुलझे विवाद का समाधान दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। बलूच ने कहा कि पाकिस्तान कूटनीति और बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का वह दृढ़ता से जवाब देगा।

क्या बोले थे विदेश मंत्री

इससे पहले जयशंकर ने शुक्रवार को कहा था कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो गया है। कार्रवाई के परिणाम होते हैं, और जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, मुझे लगता है कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो गया है। आज मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्ते पर विचार कर सकते हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि हम निष्क्रिय नहीं हैं और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं, हम किसी भी तरह से प्रतिक्रिया करेंगे।

भारत ने पाकिस्तान से कई बार इस बात को दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।भारत ने इस बात को भी हमेशा दोहराया रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है।

“हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव की आशंका”, जानें एस जयशंकर के इस बयान के पीछे का संकेत

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हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। पिछले तीन साल से ये और भी ज़्यादा गहरा गया है। जानकारों की मानें तो ये तनाव हिन्द महासागर में भी महसूस हो रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच भारतीय विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है।एस जयशंकर का कहवा है कि हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।

एक विचारक संस्था (थिंक टैंक) के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोस में जो प्रतिस्पर्धा देखी गई है, वह निश्चित रूप से हिंद महासागर में भी होगी। विदेश मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की और कहा, ‘‘इस बारे में विलाप करने का कोई औचित्य नहीं है’’ क्योंकि भारत को प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है और वह वास्तव में यही करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा के लिए उसी तरह तैयार है, जिस तरह वह बाकी पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है

जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिंद महासागर में समुद्री मौजूदगी नजर आ रही है, जो पहले नहीं थी। इसलिए यह एक विध्वंसकारी परिवर्तन के लिए तैयारी है। मुझे लगता है कि हमें इसका पूर्वानुमान लगाने (और) हमें इसके लिए तैयारी करने की जरूरत है।' 

बता दें कि पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेज़ी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है। चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है। पिछले 20-25 वर्षों पर नज़र डालें तो हिंद महासागर में चीनी नौसैनिकों की मौजूदगी और गतिविधि में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और बढ़ते प्रभाव को लेकर एस जशंकर ने ऐसा बयान पहली बार नहीं दिया है। इस बात को लेकर उन्होंने पहले भी आगाह किया है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच मतभेद सीमा विवाद से कहीं आगे तक जाते हैं। यह निर्विवाद रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तृत है। पिछले साल सितंबर में, विदेश मंत्री ने कहा था, ‘चीनी नौसेना के आकार और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती में बहुत तेज वृद्धि हुई है। हमारे लिए तैयारी करना बहुत उचित है। हमने पहले की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चीनी उपस्थिति देखी है।

कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को लगाना होगा नेम प्लेट, जारी रहेगी यूपी सरकार के आदेश पर रोक

# kanwar_yatra_route_name_plate_dispute_supreme_court 

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नेम प्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड और एमपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। उसके बाद याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद अगले सोमवार को सुनवाई की जाएगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नाम लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब राज्य सरकार का हलफनामा मिलने के बाद भी अदालत ने आदेश पर रोक जारी रखने का फैसला किया है।

कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, जानें क्या बताई वजह

#kanwaryatranameplatedisputeupgovtfiledreplyinsupremecourt 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के अपने आदेश का बचाव किया है। सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए यूपी सरकार ने कहा, यह आदेश इसीलिए लागू किया गया था जिससे गलती से भी कांवड़िए किसी दुकान से कुछ ऐसा न खा लें जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो।

उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर मौजूद दुकानों में मालिक के नाम की नेम प्लेट लगाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। यह मामला मुजफ्फरनगर से शुरू हुआ था जिसके बाद योगी सरकार के आदेश देने के बाद यह पूरे प्रदेश में लागू हो गया था। इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से शुक्रवार (26 जुलाई) तक जवाब मांगा था और राज्यों के जवाब देने तक इस आदेश पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद इस मामले में अगली सुनवाई आज 26 जुलाई को होगी।

आदेश का उद्देश्य पारदर्शिता कायम करना

इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो। 

+संभावित भ्रम से बचने का उपाय

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने किया याचिकाओं का विरोध

उत्तर प्रदेश सरकार ने नेमप्लेट विवाद में दाखिल याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि, हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते, प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाता है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं।

कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

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कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

BIG NEWS  Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

He has finally left the country.

He claimed that the presence of PM Modi at the Pran Pratishtha ceremony was against the secular fabric of the country

He also published a report where he claimed that archaeologists had never been able to prove that the disputed structure was built after destr0ying a Hindu temple.

He is now crying fouI on Social Media
रवींद्र जडेजा के पिता ने बहु रिवाबा पर लगाए गंभीर आरोप, बचाव में उतरे क्रिकेटर ने कहा-पत्नी को बदनाम मत करो

#ravindra_jadeja_family_dispute

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा और उनकी पत्नी रिवाबा पर उनके पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने गंभीर आरोप लगाए हैं।अन‍िरुद्ध सिंह ने इस इंटरव्यू में बेटे रवींद्र जडेजा और उनकी विधायक पत्नी र‍िवाबा पर कई संगीन आरोप लगाए। इसके बाद जडेजा का भी रिएक्शन आया। जडेजा ने इन आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और एक बयान जारी करते हुए इन आरोपों को गलत और एकतरफा बताया है।

रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्धसिंह जडेजा ने एक गुजराती अखबार को दिए इंटरव्यू में भारतीय ऑलराउंडर पर संगीन आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि दोनों में रिश्ते खराब हैं और काफी वक्त से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने साथ ही दावा किया कि रवींद्र की पत्नी रिवाबा से शादी के बाद ही रिश्तों में दरार पड़ने लगी थी।

अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने अखबार को दिए इंटरव्यू में आरोप लगाया कि 2016 में रिवाबा से शादी के बाद से ही उनका बेटा पूरी तरह बदल गया था। उन्होंने रवींद्र की पत्नी रिवाबा पर आरोप लगाया कि शादी के 2-3 महीनों बाद ही वो सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करने का दबाव बनाने लगीं। उन्होंने ये भी कहा कि रवींद्र और उनकी पत्नी परिवार से अलग रहते हैं और उनसे बातें भी नहीं करते।अनिरुद्ध जडेजा का कहना है कि उनकी बहू को सिर्फ पैसों से मतलब है।

अनिरुद्ध जडेजा ने कहा सच, बोलूं तो मेरा रवि या उसकी पत्नी रिवाबा से कोई संबंध नहीं है। हम एक दूसरे को नहीं बुलाते हैं। हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। मैंने 5 साल से अपनी पोती का चेहरा भी नहीं देखा है। बेटे की शादी ना होती तो अच्छा होता। क्योंकि हम इस हाल में आज ना होते। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहिए था।

इस इंटरव्यू के आने के बाद से ही बवाल मचा हुआ है और अब जडेजा ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। पिता के आरोपों से बौखलाए जडेजा ने गुजराती में अपना बयान जारी किया और इंटरव्यू को ‘स्क्रिप्टेड’ बताते हुए इसे अनदेखा करने की अपील की। अपने बयान में जडेजा ने लिखा कि अखबार में आया हालिया आर्टिकल बकवास और झूठा है और बिल्कुल एकतरफा है। भारतीय ऑलराउंडर ने आगे लिखा कि उसमें कही बातें सही नहीं हैं और वो इससे सहमत नहीं हैं। रिवाबा पर लगे आरोपों से जडेजा और भी ज्यादा खफा नजर आए और कहा कि ये उनकी पत्नी की छवि को खराब करने की कोशिश है।

उत्तर प्रदेश के बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान संगीत बजाने को लेकर एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या

#disputebreaksoutinuponeman_dies

Bikes set on fire after dispute (PTI)

उत्तर प्रदेश के बहराइच में रविवार को जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक संघर्ष में गोली लगने से 22 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई।

अधिकारियों ने बताया कि पथराव और गोलीबारी में करीब आधे दर्जन लोग घायल हो गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

यह घटना उस समय हुई जब विसर्जन के लिए देवी दुर्गा की प्रतिमा लेकर जा रहा जुलूस मंसूर गांव के महाराजगंज बाजार से गुजरा। रेहुआ मंसूर गांव के निवासी राम गोपाल मिश्रा को समूह के साथ चलते समय गोली मार दी गई। परिवार के एक सदस्य के अनुसार, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। हत्या के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया, जिसके कारण फखरपुर कस्बे और अन्य स्थानों पर इसी तरह के जुलूस रद्द कर दिए गए।

हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को निर्देश दिया कि मूर्ति विसर्जन जारी रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए धार्मिक संगठनों के साथ समन्वय करना चाहिए कि यह समय पर हो। उन्होंने विसर्जन स्थलों पर पुलिस बल बढ़ाने के निर्देश दिए और गांव में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई

बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए उपद्रव के बाद हरदी थानाध्यक्ष एसके वर्मा और महसी चौकी प्रभारी शिव कुमार को निलंबित कर दिया गया। पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने घटना के दौरान लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है। यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने घटना में एक व्यक्ति के हताहत होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि गोंडा और बलरामपुर समेत पड़ोसी जिलों में आगजनी की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। डीजीपी ने कहा, "स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एडीजी गोरखपुर जोन केएस प्रताप कुमार और डीआईजी देवीपाटन अमरेंद्र प्रताप सिंह को अतिरिक्त बलों के साथ घटनास्थल पर भेजा गया है।"

बहराइच में अशांति

इस बीच, राम गोपाल मिश्रा की मौत की खबर से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने महाराजगंज बाजार में वाहनों में तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया। गांव में पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) की भारी टुकड़ी तैनात की गई थी, साथ में एसपी बहराइच वृंदा शुक्ला, डीआईजी अमरेंद्र प्रसाद सिंह और मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सहित वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

'चीन के साथ सब कुछ ठीक नहीं...'यूएस में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

#sjaishankaronborderdisputetalkswith_china

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन के साथ संबंधों को लेकर बयान दिया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ 75% विवाद हल होने वाले बयान को लेकर सफाई दी है। जयशंकर ने चीन के साथ भारत के 'कठिन इतिहास' को स्वीकार करते हुए कहा कि जब मैंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का 75 प्रतिशत हल होने की बात कही, तो वह केवल 'सैनिकों के पीछे हटने' वाले हिस्से के बारे में थी। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी दूसरे पहलुओं में चुनौती बनी हुई है।

'समझौते का उल्लंघन किया'

न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ भारत का इतिहास मुश्किलों से भरा रहा है। जयशंकर ने कहा कि चीन साथ एलएसी पर हमारा साफ समझौता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई सैनिकों को तैनात कर समझौते का उल्लंघन किया। इसके बाद आशंका थी कि कोई हादसा होगा और ऐसा हुआ भी। झड़प हुई और दोनों तरफ के लोग हताहत हुए।

'अगला कदम तनाव कम करना'

जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के इस फैसले से दोनों तरफ के रिश्ते प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि अब हम टकराव वाले बिंदुओं पर पीछे हटने के ज्यादातर मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। लेकिन गश्त से जुड़े कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है। अब अगला कदम तनाव कम करना होगा।

'भारत-चीन संबंध पूरी दुनिया के लिए अहम'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम है और इसका असर न केवल इस महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों का ‘‘समानांतर विकास’’ आज की वैश्विक राजनीति में ‘‘बहुत अनोखी समस्या’’ पेश करता है।

'भारत-चीन का समानांतर विकास अनोखी समस्या'

जयशंकर ने कहा कि आपके पास दो ऐसे देश हैं जो आपस में पड़ोसी हैं, वे इस दृष्टि से अनोखे भी हैं कि वे ही एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भी हैं, दोनों वैश्विक व्यवस्था में उभर रहे हैं और उनकी सीमा अक्सर अस्पष्ट हैं तथा साथ ही उनकी एक साझा सीमा भी है। इसलिए यह बहुत जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति में देखें तो भारत और चीन का समानांतर विकास बहुत, बहुत अनोखी समस्या है।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को जेनेवा में एक समिट में कहा था कि भारत ने चीन के साथ सीमा वार्ता में सफलता मिल रही है और लगभग 75% विवाद सुलझ गए हैं। उन्होंने कहा था कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के करीब होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है। जयशंकर ने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।

जयशंकर के बयान पर भड़का पाकिस्तान, कहा-कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है*
#pakistan_says_kashmir_dispute_an_internationally_recognised_issue *
पाकिस्तान आए दिन कश्मीर के रास्ते भारत में आतंकियों को भेजता है और भारत में अशांति फैलाने का मंसूबा रखता है। हालांकि,भारत उसके हर नापाक मंसूबे पर पानी फेर देता है। एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगला है।पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार हल करना चाहिए। पाकिस्तान की ये प्रतिक्रिया भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर के हाल के बयान के बाद आई है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के विवाद को एकतरफा तरीक से नहीं सुलझाया जा सकता है। यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित है। इसे सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीर के अवाम की इच्छाओं के मुताबिक हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनसुलझे विवाद का समाधान दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। बलूच ने कहा कि पाकिस्तान कूटनीति और बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का वह दृढ़ता से जवाब देगा। *क्या बोले थे विदेश मंत्री* इससे पहले जयशंकर ने शुक्रवार को कहा था कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो गया है। कार्रवाई के परिणाम होते हैं, और जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, मुझे लगता है कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो गया है। आज मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्ते पर विचार कर सकते हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि हम निष्क्रिय नहीं हैं और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं, हम किसी भी तरह से प्रतिक्रिया करेंगे। भारत ने पाकिस्तान से कई बार इस बात को दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।भारत ने इस बात को भी हमेशा दोहराया रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है।
जयशंकर के बयान पर भड़का पाकिस्तान, कहा-कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है

#pakistansayskashmirdisputeaninternationallyrecognised_issue

पाकिस्तान आए दिन कश्मीर के रास्ते भारत में आतंकियों को भेजता है और भारत में अशांति फैलाने का मंसूबा रखता है। हालांकि,भारत उसके हर नापाक मंसूबे पर पानी फेर देता है। एक बार फिर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगला है।पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि कश्मीर विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार हल करना चाहिए। पाकिस्तान की ये प्रतिक्रिया भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर के हाल के बयान के बाद आई है।

पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के विवाद को एकतरफा तरीक से नहीं सुलझाया जा सकता है। यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित है। इसे सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीर के अवाम की इच्छाओं के मुताबिक हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनसुलझे विवाद का समाधान दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। बलूच ने कहा कि पाकिस्तान कूटनीति और बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का वह दृढ़ता से जवाब देगा।

क्या बोले थे विदेश मंत्री

इससे पहले जयशंकर ने शुक्रवार को कहा था कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो गया है। कार्रवाई के परिणाम होते हैं, और जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, मुझे लगता है कि अनुच्छेद 370 समाप्त हो गया है। आज मुद्दा यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस तरह के रिश्ते पर विचार कर सकते हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि हम निष्क्रिय नहीं हैं और चाहे घटनाएं सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जाएं, हम किसी भी तरह से प्रतिक्रिया करेंगे।

भारत ने पाकिस्तान से कई बार इस बात को दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।भारत ने इस बात को भी हमेशा दोहराया रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है।

“हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव की आशंका”, जानें एस जयशंकर के इस बयान के पीछे का संकेत

#s_jaishankar_indian_ocean_poised_for_disruptive_changes_amit_dispute_with_china

हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और गतिविधियां भारतीय नीति निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बनी हुई है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। पिछले तीन साल से ये और भी ज़्यादा गहरा गया है। जानकारों की मानें तो ये तनाव हिन्द महासागर में भी महसूस हो रहा है क्योंकि दोनों ही देश इस इलाक़े में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच भारतीय विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है।एस जयशंकर का कहवा है कि हिंद महासागर में अशांति पैदा करने वाले बदलाव होने की आशंका है और भारत को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।

एक विचारक संस्था (थिंक टैंक) के संवाद सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि भारत के पड़ोस में जो प्रतिस्पर्धा देखी गई है, वह निश्चित रूप से हिंद महासागर में भी होगी। विदेश मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की और कहा, ‘‘इस बारे में विलाप करने का कोई औचित्य नहीं है’’ क्योंकि भारत को प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है और वह वास्तव में यही करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा के लिए उसी तरह तैयार है, जिस तरह वह बाकी पड़ोस में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है

जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हिंद महासागर में समुद्री मौजूदगी नजर आ रही है, जो पहले नहीं थी। इसलिए यह एक विध्वंसकारी परिवर्तन के लिए तैयारी है। मुझे लगता है कि हमें इसका पूर्वानुमान लगाने (और) हमें इसके लिए तैयारी करने की जरूरत है।' 

बता दें कि पिछले कुछ दशकों में चीन ने तेज़ी से अपनी नौसैनिक क्षमताओं का आधुनिकीकरण किया है। चीनी नौसेना ने विमान वाहक जहाज़ों, सतही युद्धपोतों और सैन्य पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में अपने बेड़ों में शामिल किया है। पिछले 20-25 वर्षों पर नज़र डालें तो हिंद महासागर में चीनी नौसैनिकों की मौजूदगी और गतिविधि में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और बढ़ते प्रभाव को लेकर एस जशंकर ने ऐसा बयान पहली बार नहीं दिया है। इस बात को लेकर उन्होंने पहले भी आगाह किया है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच मतभेद सीमा विवाद से कहीं आगे तक जाते हैं। यह निर्विवाद रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तृत है। पिछले साल सितंबर में, विदेश मंत्री ने कहा था, ‘चीनी नौसेना के आकार और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती में बहुत तेज वृद्धि हुई है। हमारे लिए तैयारी करना बहुत उचित है। हमने पहले की तुलना में कहीं अधिक बड़ी चीनी उपस्थिति देखी है।

कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को लगाना होगा नेम प्लेट, जारी रहेगी यूपी सरकार के आदेश पर रोक

# kanwar_yatra_route_name_plate_dispute_supreme_court 

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नेम प्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हलफनामे के बाद भी आदेश पर रोक जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड और एमपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। उसके बाद याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद अगले सोमवार को सुनवाई की जाएगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानदारों को दुकान पर नाम लिखने के दिशा निर्देश जारी किए थे। सरकार के इन दिशा-निर्देशों की खूब आलोचना हुई। सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब राज्य सरकार का हलफनामा मिलने के बाद भी अदालत ने आदेश पर रोक जारी रखने का फैसला किया है।

कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, जानें क्या बताई वजह

#kanwaryatranameplatedisputeupgovtfiledreplyinsupremecourt 

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने के अपने आदेश का बचाव किया है। सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए यूपी सरकार ने कहा, यह आदेश इसीलिए लागू किया गया था जिससे गलती से भी कांवड़िए किसी दुकान से कुछ ऐसा न खा लें जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो।

उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर मौजूद दुकानों में मालिक के नाम की नेम प्लेट लगाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। यह मामला मुजफ्फरनगर से शुरू हुआ था जिसके बाद योगी सरकार के आदेश देने के बाद यह पूरे प्रदेश में लागू हो गया था। इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से शुक्रवार (26 जुलाई) तक जवाब मांगा था और राज्यों के जवाब देने तक इस आदेश पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद इस मामले में अगली सुनवाई आज 26 जुलाई को होगी।

आदेश का उद्देश्य पारदर्शिता कायम करना

इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि उसके दिशा-निर्देश कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन और पारदर्शिता कायम करने के लिए उद्देश्य से दिए गए थे। निर्देश के पीछे का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान पारदर्शिता कायम करना और यात्रा के दौरान उपभोक्ताओं/कांवड़ियों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बारे में जानकारी देना था। ये निर्देश कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर दिए गए ताकि वे गलती से कुछ ऐसा न खाएं, जो उनकी आस्थाओं के खिलाफ हो। 

+संभावित भ्रम से बचने का उपाय

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर), और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलफनामे में कहा गया है, मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने किया याचिकाओं का विरोध

उत्तर प्रदेश सरकार ने नेमप्लेट विवाद में दाखिल याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि, हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते, प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाता है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं।

कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

BIG NEWS  Anti Modi French Journalist Sebastien Farcis denied permit to work as a journalist in India after 13 years

He has finally left the country.

He claimed that the presence of PM Modi at the Pran Pratishtha ceremony was against the secular fabric of the country

He also published a report where he claimed that archaeologists had never been able to prove that the disputed structure was built after destr0ying a Hindu temple.

He is now crying fouI on Social Media
रवींद्र जडेजा के पिता ने बहु रिवाबा पर लगाए गंभीर आरोप, बचाव में उतरे क्रिकेटर ने कहा-पत्नी को बदनाम मत करो

#ravindra_jadeja_family_dispute

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा और उनकी पत्नी रिवाबा पर उनके पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने गंभीर आरोप लगाए हैं।अन‍िरुद्ध सिंह ने इस इंटरव्यू में बेटे रवींद्र जडेजा और उनकी विधायक पत्नी र‍िवाबा पर कई संगीन आरोप लगाए। इसके बाद जडेजा का भी रिएक्शन आया। जडेजा ने इन आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और एक बयान जारी करते हुए इन आरोपों को गलत और एकतरफा बताया है।

रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्धसिंह जडेजा ने एक गुजराती अखबार को दिए इंटरव्यू में भारतीय ऑलराउंडर पर संगीन आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि दोनों में रिश्ते खराब हैं और काफी वक्त से अलग-अलग रह रहे हैं। उन्होंने साथ ही दावा किया कि रवींद्र की पत्नी रिवाबा से शादी के बाद ही रिश्तों में दरार पड़ने लगी थी।

अनिरुद्ध सिंह जडेजा ने अखबार को दिए इंटरव्यू में आरोप लगाया कि 2016 में रिवाबा से शादी के बाद से ही उनका बेटा पूरी तरह बदल गया था। उन्होंने रवींद्र की पत्नी रिवाबा पर आरोप लगाया कि शादी के 2-3 महीनों बाद ही वो सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करने का दबाव बनाने लगीं। उन्होंने ये भी कहा कि रवींद्र और उनकी पत्नी परिवार से अलग रहते हैं और उनसे बातें भी नहीं करते।अनिरुद्ध जडेजा का कहना है कि उनकी बहू को सिर्फ पैसों से मतलब है।

अनिरुद्ध जडेजा ने कहा सच, बोलूं तो मेरा रवि या उसकी पत्नी रिवाबा से कोई संबंध नहीं है। हम एक दूसरे को नहीं बुलाते हैं। हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है। मैंने 5 साल से अपनी पोती का चेहरा भी नहीं देखा है। बेटे की शादी ना होती तो अच्छा होता। क्योंकि हम इस हाल में आज ना होते। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहिए था।

इस इंटरव्यू के आने के बाद से ही बवाल मचा हुआ है और अब जडेजा ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। पिता के आरोपों से बौखलाए जडेजा ने गुजराती में अपना बयान जारी किया और इंटरव्यू को ‘स्क्रिप्टेड’ बताते हुए इसे अनदेखा करने की अपील की। अपने बयान में जडेजा ने लिखा कि अखबार में आया हालिया आर्टिकल बकवास और झूठा है और बिल्कुल एकतरफा है। भारतीय ऑलराउंडर ने आगे लिखा कि उसमें कही बातें सही नहीं हैं और वो इससे सहमत नहीं हैं। रिवाबा पर लगे आरोपों से जडेजा और भी ज्यादा खफा नजर आए और कहा कि ये उनकी पत्नी की छवि को खराब करने की कोशिश है।