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क्या बांग्लादेश में फिर होने वाला है तख्तापलट? जानें क्यों उठ रहे ऐसे सवाल

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बांग्लादेश में तख्तापलट की अफवाहों का बोलबाला है।पड़ोसी देश में सेना की बैठकों की रिपोर्ट ने इन अटकलों को और पुख्ता कर दिया है। आशंका जताई जा रही है कि आर्मी मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार का तख्तापलट कर शासन की बागडोर अपने हाथ में ले सकती है। चर्चा इस बात की भी है कि सेना प्रमुख वकार उज जमान ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक भी की है।ऐसा भी दावा किया गया था कि सेना ने ढाका समेत कई शहरों में सैनिकों को तैनात किया है और उन्होंने सड़कों पर बंकर बनाकर पोजिशन ले ली है।

देश के मौजूदा हालातों के चलते सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमन सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का एक बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 5 लें.जनरल रैंक के अधिकारी, 8 मेजर जनरल और कई इंडीपेंडेंट ब्रिगेड के कमांडिग अफसर शामिल थे। इस बैठक में अंदहरूनी सुरक्षा हालातों की समीक्षा की। रिपोर्ट के मुताबित बांग्लादेश में आने वाले दिनों में बड़े आतंकी हमलों की आशंका जताई जा रहा है।इसे लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।

हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने देश में तख्तापलट की खबरों को अफवाह बताया। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने के लिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है और झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं।

मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा, लोगों को गुमराह करने के लिए एक के बाद एक झूठी जानकारी फैलाई जा रही है ताकि देश में अस्थिरता पैदा की जा सके। अफवाहें फैलाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। एक तस्वीर को दूसरी तस्वीर से जोड़ा जा रहा है, एक घटना का फोटोकॉर्ड बनाया जा रहा है और दूसरे देशों की घटनाओं को इस देश की घटनाओं के रूप में पेश कर सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई जा रही है।

सेना का तख्तापलट की आशंकाओं से इनकार

वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश सेना ने मंगलवार को उस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। सेना ने इस खबर को झूठा और मनगढ़ंत बताया और इसे पत्रकारिता की गंभीर चूक बताया।

सेना ने कहा कि तख्तापलट की संभावना को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। बयान में आगे कहा गया कि यह पहली बार नहीं है जब संबंधित मीडिया संगठन ने बांग्लादेश सेना के खिलाफ झूठी खबरें फैलाई हैं। इससे पहले भी इसी मीडिया समूह ने गलत जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे बांग्लादेश सेना ने 11 मार्च को जारी एक बयान में खारिज किया था।

भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना

बांग्लादेश सेना ने भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए सनसनीखेज खबरें फैलाना गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता का उदाहरण है। सेना ने कहा कि ऐसी भ्रामक रिपोर्टों से दोनों देशों के लोगों के बीच अविश्वास और तनाव पैदा हो सकता है। बयान में साफ किया गया कि यह एक सामान्य बैठक थी, जिसे अनावश्यक रूप से गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

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बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

तुलसी गबार्ड पर क्यों भड़का बांग्लादेश? यूनुस सरकार ने कहा-हमारी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश


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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अतंरिम सरकार ने अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड के प्रति नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड के एक बयान पर बांग्लादेश भड़क गया है। भारत दौरे पर पहुंची तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न की बात कही। इस पर बांग्लादेश ने कहा है कि गबार्ड के बयान तथ्य से परे हैं और दुनिया में उसकी छवि खराब करते हैं। बता दें कि तुलसी गबार्ड भारत के तीन दिन के दौरे पर हैं।

तुलसी गबार्ड ने भारत दौरा के दौरान एक टीवी चैनल पर बातचीत की। एनडीटीवी को दिए इंटरव्‍यू के दौरान तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर अमेरिकी सरकार की गहरी चिंता दोहराई। उन्होंने विश्व स्तर पर चरमपंथी समूहों द्वारा अपनाए जा रहे इस्लामी खिलाफत की विचारधारा की निंदा की और “इस्लामी आतंकवादियों” द्वारा हिंसा के माध्यम से इस तरह के शासन की स्थापना के लिए उत्पन्न खतरे पर प्रकाश डाला।

गबार्ड ने कहा, बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनकी हत्याओं के साथ देश में इस्लामिक आतंकियों का खतरा इस्लामी खलीफा के साथ शासन करने की विचारधारा में डूबा हुआ है। गबार्ड ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे पर चिंतित हैं। अमेरिकी सरकार बांग्लादेश के साथ बातचीत भी कर रही है। उन्होंने आगे कहा, इस्लामिक आतंकवादियों के खतरा और अन्य सभी आतंकवादी समूहों की कोशिश पूरे विश्व में एक ही विचारधारा और उद्देश्य के लिए है। यह एक इस्लामी खिलाफत के आधार पर ही पूरे विश्व पर शासन करने की इच्छा रखते हैं।

बांग्लादेश ने क्या कहा?

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने गबार्ड के बयानों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि गबार्ड के पास अपने दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सको लेकर बयान जारी किया है। अंतरिम सरकार ने कहा, हम तुलसी गबार्ड के टिप्पणियों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। उनका बयान पूरी तरह से भ्रामक और बांग्लादेश की छवि और उसकी प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाने वाला है। एक ऐसा देश जिसकी पारंपरिक इस्लाम प्रथा समावेशी और शांतिपूर्ण रही है और जिसने उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्रगति की है।

“गबार्ड का बयान पूरी तरह से बेतुका”

सरकार ने आगे कहा, तुलसी गबार्ड का बयान पूरी तरह से बेतुका है। यह किसी ठोस सबूत पर आधारित न होकर सिर्फ बेतुका आरोप है, जिसने बांग्लादेश को आरोपों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। अंतरिम सरकार ने कहा, दुनिया में कई देश आज चरमपंथ का सामना कर रहे हैं। बांग्लादेश भी उन्हीं देशों में से एक है। लेकिन हम अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदायों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और चरमपंथ के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।

स्‍वराज्‍य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।

यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।

बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया

वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।

वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक

वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का यूनुस सरकार पर फूटा गुस्सा, आतंक के आरोपों पर बढ़ी रार

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पिछले साल अगस्त में हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था। शेख हसीना अब भारत में रह रही हैं। उसके बाद देश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। अब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्तमान में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। हसीना ने कहा कि यूनुस ने बांगलादेश को आतंकवाद और अराजकता का केंद्र बना दिया है। पांच अगस्त 2024 को छात्रों के विद्रोह के बाद हसीना की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई और उन्हें बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने का आरोप

हसीना ने सोमवार को यूनुस सरकार पर हमला बोला। शेख हसीना ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए एक संदेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा, यूनुस ने खुद कहा था कि उसे देश चलाने का कोई अनुभव नहीं है, फिर उसे सरकार चलाने से क्यों नहीं रोका गया? उनका आरोप था कि जब छात्रों के नेतृत्व में सरकार के कोटा सुधारों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे और कई पुलिसकर्मी मारे गए थे, तब यूनुस ने चुप्पी साधी। हसीना ने यह भी कहा कि यूनुस ने सभी जांच समितियों को खत्म कर दिया और आतंकवादियों को खुली छूट दे दी, जो देश को बर्बाद कर रहे हैं।

मैं वापस आउंगी और शहीदों का बदला लूंगी-हसीना

शेख हसीना ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ चल रही सरकार को जल्द ही समाप्त किया जाएगा। उन्होंने पांच शहीद पुलिसकर्मियों की विधवाओं और उनके बच्चों से वर्चुअल बैठक के दौरान कहा, मैं लौटकर हमारे पुलिसकर्मियों की मौत का बदला लूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि बांगलादेश में कुछ आतंकवादी तत्वों ने जो अराजकता फैलाई है, उसे अब खत्म करना होगा।

“हसीना को भारत से वापस लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता”

अब शेख हसीना के पलटवार में यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश की सरकार ने भी एक स्टेटमेंट जारी किया है। इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि शेख हसीना को भारत से वापस लाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है, जिसे हम जरूर करेंगे।

बांग्लादेश और पाकिस्तान की सेना में साझेदारी! भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के बेदखल होने के बाद उसकी पाकिस्तान से करीबी बढ़ती ही जा रही है। भारत से दूर होने की पूरी कोशिश में लगे बांग्लादेश के अधिकारी चीन और पाकिस्तान के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं और यात्राओं का दौर जारी है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों के बीच पाकिस्तानी सेना की खुफिया विंग आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ की यह दशकों पर पहली ढाका यात्रा थी, जिसने भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर नई सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बीते करीब एक साल से संबंध पहले की तरह नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच के संबंध अभी भी हर बीतते दिन के साथ तनावपूर्ण होते दिख रहे हैं। वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद आ मोहम्मद युनूस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध गहरा कर रही है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच न केवल द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर बात हो रही है बल्कि दोनों देश सैन्य सहयोग बढ़ाने में भी लगे हैं।

बुधवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ जनरल आसिफ मलिक ढाका पहुंचे हैं। दुबई के रास्ते ढाका पहुंचे मलिक का स्वागत बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान ने किया, जिनके लिए माना जाते है कि उनके इस्लामवादियों और पाकिस्तान से कथित संबंध हैं।आईएसआई चीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब बीते सप्ताह ही बांग्लादेश का एक उच्च स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की यात्रा करके लौटा है।

आईएसआई के इस दौरे से भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि इस यात्रा का मकसद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खुफिया जानकारी साझा करना है। जानकार इस यात्रा को भारत के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में भी देख रहे हैं।

बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों ने भी किया था पाकिस्तान का दौरा

इसके पहले बांग्लादेश के एक टॉप जनरल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर से मुलाकात की थी। बांग्लादेश के सशस्त्र बल के प्रिंसिपल स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन कई वर्षों इस्लामाबाद की यात्रा करने वाले पहले शीर्ष बांग्लादेशी जनरल थे। हसन बांग्लादेश की सेना में दूसरे नंबर के अधिकारी भी हैं। उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आगे बढ़ने का साफ संकेत देती है।

भारत की बढ़ सकती है टेंशन

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियों का असर भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध पर भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि 1971 के बाद ये पहली बार हो रहा है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान इतने करीब आ रहे हैं। ऐसे में ये भारत के साथ बांग्लादेश के पुराने संबंध को नुकसान जरूर पहुंचाएगा। पाकिस्तान अपनी सीमा पर आए दिन आतंकवादियों को बढ़ावा देकर भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहा है। बांग्लादेश के साथ सैन्य करीबी के बाद भारत को बांग्लादेश बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या बांग्लादेश में फिर होने वाला है तख्तापलट? जानें क्यों उठ रहे ऐसे सवाल

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बांग्लादेश में तख्तापलट की अफवाहों का बोलबाला है।पड़ोसी देश में सेना की बैठकों की रिपोर्ट ने इन अटकलों को और पुख्ता कर दिया है। आशंका जताई जा रही है कि आर्मी मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार का तख्तापलट कर शासन की बागडोर अपने हाथ में ले सकती है। चर्चा इस बात की भी है कि सेना प्रमुख वकार उज जमान ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक भी की है।ऐसा भी दावा किया गया था कि सेना ने ढाका समेत कई शहरों में सैनिकों को तैनात किया है और उन्होंने सड़कों पर बंकर बनाकर पोजिशन ले ली है।

देश के मौजूदा हालातों के चलते सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमन सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का एक बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में 5 लें.जनरल रैंक के अधिकारी, 8 मेजर जनरल और कई इंडीपेंडेंट ब्रिगेड के कमांडिग अफसर शामिल थे। इस बैठक में अंदहरूनी सुरक्षा हालातों की समीक्षा की। रिपोर्ट के मुताबित बांग्लादेश में आने वाले दिनों में बड़े आतंकी हमलों की आशंका जताई जा रहा है।इसे लेकर अलर्ट रहने को कहा गया है।

हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने देश में तख्तापलट की खबरों को अफवाह बताया। मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने के लिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है और झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं।

मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा, लोगों को गुमराह करने के लिए एक के बाद एक झूठी जानकारी फैलाई जा रही है ताकि देश में अस्थिरता पैदा की जा सके। अफवाहें फैलाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। एक तस्वीर को दूसरी तस्वीर से जोड़ा जा रहा है, एक घटना का फोटोकॉर्ड बनाया जा रहा है और दूसरे देशों की घटनाओं को इस देश की घटनाओं के रूप में पेश कर सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई जा रही है।

सेना का तख्तापलट की आशंकाओं से इनकार

वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश सेना ने मंगलवार को उस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि सेना के शीर्ष अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई थी। सेना ने इस खबर को झूठा और मनगढ़ंत बताया और इसे पत्रकारिता की गंभीर चूक बताया।

सेना ने कहा कि तख्तापलट की संभावना को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। बयान में आगे कहा गया कि यह पहली बार नहीं है जब संबंधित मीडिया संगठन ने बांग्लादेश सेना के खिलाफ झूठी खबरें फैलाई हैं। इससे पहले भी इसी मीडिया समूह ने गलत जानकारी पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे बांग्लादेश सेना ने 11 मार्च को जारी एक बयान में खारिज किया था।

भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना

बांग्लादेश सेना ने भारतीय मीडिया संगठन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिना तथ्यों की जांच किए सनसनीखेज खबरें फैलाना गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता का उदाहरण है। सेना ने कहा कि ऐसी भ्रामक रिपोर्टों से दोनों देशों के लोगों के बीच अविश्वास और तनाव पैदा हो सकता है। बयान में साफ किया गया कि यह एक सामान्य बैठक थी, जिसे अनावश्यक रूप से गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया।

बांग्लादेश में नया विवाद, हसीना विरोधी छात्र नेता ने सेना को लेकर किया बड़ा दावा, भारत का भी आया नाम

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बांग्लादेश में एक नया विवाद शुरू हो गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं और सेना के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।बांग्लादेश की नई गठित जातीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के मुख्य आयोजक हसनत अब्दुल्ला ने देश के सेना प्रमुख के बारे में एक बड़ा दावा किया है। एक वीडियो में हसनत ने कहा कि सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे।

एक वायरल वीडियो में हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना प्रमुख ने मोहम्मद यूनुस की साख पर सवाल उठाते हुए उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त नहीं माना। जनरल जमान ने यह भी कहा कि यूनुस का नोबेल पुरस्कार विजेता होना और उनकी सुधारवादी छवि के बावजूद, वह इस जिम्मेदारी के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। सेना प्रमुख ने देश की बागडोर सही हाथों में सौंपने की जरूरत पर जोर दिया था।

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल सिटिजन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ढाका यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करते हुए सेना पर आरोप लगाया कि सेना, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने की कोशिश कर रही है। हसनत ने दावा किया कि पाँच अगस्त को अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश का सैन्य नेतृत्व भारत के प्रभाव में अवामी लीग को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि अवामी लीग शेख़ हसीना की पार्टी है और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश समेत कई राजनीतिक धड़े अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।अब्दुल्ला ने फेसबुक पर लिखा कि भारत के इशारे पर अवामी लीग की मदद की जा रही है। अब्दुल्ला ने सेना को चेताते हुए कहा कि आर्मी को छावनी के अंदर तक ही रहना चाहिए। बांग्लादेश में सेना का राजनीति में कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा।

इस पर सेना ने अपने बयान कहा कि एनसीपी के आरोप सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट हैं। सेना पर राजनीतिक हस्तक्षेप के इस आरोप से बांग्लादेश में सियासी तनाव बढ़ गया है।

बता दें कि बांग्लादेश की सेना के अंदर दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का समर्थन करता है, जबकि दूसरा अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है। इन गुटों के बीच उभरे तनाव ने सेना के अंदर मतभेदों को और गहरा दिया है, जिससे स्थिति अस्थिर हो गई है।

ढीली पड़ी बांग्लादेश की ऐंठन, पीएम मोदी से मुलाकात चाहते हैं मोहम्मद यूनुस

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बांग्लादेश एक तरफ तो भारत के दुश्मनों से नजदीकियां बढ़ा रहा है, वहीं भारत के साथ बेवजह की दुश्मनी पाल रहा है। अल्पसंख्यकों पर हिंसा और भारत के साथ संबंधों में तनाव के बीच बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है। बांग्लादेश की तरफ से इच्छा जाहिर की गई है कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हो जाए। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस अगले महीने थाईलैंड में आमने-सामने होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच औपचारिक मुलाकात की संभावना नहीं है। मुलाकात को लेकर भारत की तरफ से इस बारे में कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश ने अप्रैल के पहले हफ्ते में बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच एक द्विपक्षीय बैठक कराने को लेकर भारत से संपर्क किया है। दरअसल, दोनों देशों के नेता 2 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक में आयोजित 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। इसे देखते हुए बांग्लादेश ने दोनों नेताओं के बीच बैठक आयोजित कराने के लिए संपर्क किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहिद हुसैन ने कहा, हमने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित कराने को लेकर भारत के साथ कूटनीतिक संपर्क किया है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव

बता दें कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही भारत के साथ रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। भारत ने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों के साथ ही बिगड़ती कानून व्यवस्था और चरमपंथियों की जेलों से रिहाई को लेकर चिंताओं को अंतरिम सरकार के सामने रखा है। वहीं, यूनुस सरकार ने भारत में मौजूद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है और उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इसके अलावा नदियों के पानी बंटवारे और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने जैसे मुद्दों को लेकर दोनों के बीच गतिरोध है।

तुलसी गबार्ड पर क्यों भड़का बांग्लादेश? यूनुस सरकार ने कहा-हमारी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश


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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अतंरिम सरकार ने अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड के प्रति नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया विभाग की प्रमुख तुलसी गबार्ड के एक बयान पर बांग्लादेश भड़क गया है। भारत दौरे पर पहुंची तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न की बात कही। इस पर बांग्लादेश ने कहा है कि गबार्ड के बयान तथ्य से परे हैं और दुनिया में उसकी छवि खराब करते हैं। बता दें कि तुलसी गबार्ड भारत के तीन दिन के दौरे पर हैं।

तुलसी गबार्ड ने भारत दौरा के दौरान एक टीवी चैनल पर बातचीत की। एनडीटीवी को दिए इंटरव्‍यू के दौरान तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर अमेरिकी सरकार की गहरी चिंता दोहराई। उन्होंने विश्व स्तर पर चरमपंथी समूहों द्वारा अपनाए जा रहे इस्लामी खिलाफत की विचारधारा की निंदा की और “इस्लामी आतंकवादियों” द्वारा हिंसा के माध्यम से इस तरह के शासन की स्थापना के लिए उत्पन्न खतरे पर प्रकाश डाला।

गबार्ड ने कहा, बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनकी हत्याओं के साथ देश में इस्लामिक आतंकियों का खतरा इस्लामी खलीफा के साथ शासन करने की विचारधारा में डूबा हुआ है। गबार्ड ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे पर चिंतित हैं। अमेरिकी सरकार बांग्लादेश के साथ बातचीत भी कर रही है। उन्होंने आगे कहा, इस्लामिक आतंकवादियों के खतरा और अन्य सभी आतंकवादी समूहों की कोशिश पूरे विश्व में एक ही विचारधारा और उद्देश्य के लिए है। यह एक इस्लामी खिलाफत के आधार पर ही पूरे विश्व पर शासन करने की इच्छा रखते हैं।

बांग्लादेश ने क्या कहा?

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने गबार्ड के बयानों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि गबार्ड के पास अपने दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सको लेकर बयान जारी किया है। अंतरिम सरकार ने कहा, हम तुलसी गबार्ड के टिप्पणियों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। उनका बयान पूरी तरह से भ्रामक और बांग्लादेश की छवि और उसकी प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाने वाला है। एक ऐसा देश जिसकी पारंपरिक इस्लाम प्रथा समावेशी और शांतिपूर्ण रही है और जिसने उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्रगति की है।

“गबार्ड का बयान पूरी तरह से बेतुका”

सरकार ने आगे कहा, तुलसी गबार्ड का बयान पूरी तरह से बेतुका है। यह किसी ठोस सबूत पर आधारित न होकर सिर्फ बेतुका आरोप है, जिसने बांग्लादेश को आरोपों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। अंतरिम सरकार ने कहा, दुनिया में कई देश आज चरमपंथ का सामना कर रहे हैं। बांग्लादेश भी उन्हीं देशों में से एक है। लेकिन हम अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदायों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और चरमपंथ के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

बांग्लादेशी राजदूत ने अपनी ही सरकार को घेरा, मोहम्मद यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

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शेख हसीने के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता अपने चरम पर है। मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से दुनिया भर में यूनुस सरकार की निंदा हुई है। भारत ने भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर कई बार बांग्लादेश सरकार को कड़े कदम उठाने को लेकर बोल चुका है। लेकिन यूनुस सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस बीच मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा है।

राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। रशीद का कहना है कि यूनुस बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को तोड़ने और शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं।

हारुन अल रशीद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मोहम्मद यूनुस पर जमकर निशाना साधा। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

कौन हैं हारुन अल रशीद?

बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर, 2023 में मोहम्मद हारुन अल रशीद को मोरक्को में बांग्लादेश का राजदूत नियुक्त किया था। मोहम्मद हारुन अल रशीद बांग्लादेश सिविल सेवा (विदेश मामले) कैडर के 20वें बैच से आते हैं। उन्होंने 2001 में सेवा में शामिल होने के बाद कनाडा में बांग्लादेश उच्चायोग में मंत्री और उप उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह रोम, काहिरा, मैक्सिको सिटी और मैड्रिड में बांग्लादेश मिशनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।

स्‍वराज्‍य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।

यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।

बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया

वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।

वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक

वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

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शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का यूनुस सरकार पर फूटा गुस्सा, आतंक के आरोपों पर बढ़ी रार

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पिछले साल अगस्त में हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था। शेख हसीना अब भारत में रह रही हैं। उसके बाद देश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया। अब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्तमान में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। हसीना ने कहा कि यूनुस ने बांगलादेश को आतंकवाद और अराजकता का केंद्र बना दिया है। पांच अगस्त 2024 को छात्रों के विद्रोह के बाद हसीना की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई और उन्हें बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने का आरोप

हसीना ने सोमवार को यूनुस सरकार पर हमला बोला। शेख हसीना ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए एक संदेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर आतंकियों को बढ़ावा देने और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा, यूनुस ने खुद कहा था कि उसे देश चलाने का कोई अनुभव नहीं है, फिर उसे सरकार चलाने से क्यों नहीं रोका गया? उनका आरोप था कि जब छात्रों के नेतृत्व में सरकार के कोटा सुधारों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे और कई पुलिसकर्मी मारे गए थे, तब यूनुस ने चुप्पी साधी। हसीना ने यह भी कहा कि यूनुस ने सभी जांच समितियों को खत्म कर दिया और आतंकवादियों को खुली छूट दे दी, जो देश को बर्बाद कर रहे हैं।

मैं वापस आउंगी और शहीदों का बदला लूंगी-हसीना

शेख हसीना ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ चल रही सरकार को जल्द ही समाप्त किया जाएगा। उन्होंने पांच शहीद पुलिसकर्मियों की विधवाओं और उनके बच्चों से वर्चुअल बैठक के दौरान कहा, मैं लौटकर हमारे पुलिसकर्मियों की मौत का बदला लूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि बांगलादेश में कुछ आतंकवादी तत्वों ने जो अराजकता फैलाई है, उसे अब खत्म करना होगा।

“हसीना को भारत से वापस लाना सबसे बड़ी प्राथमिकता”

अब शेख हसीना के पलटवार में यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश की सरकार ने भी एक स्टेटमेंट जारी किया है। इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि शेख हसीना को भारत से वापस लाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है, जिसे हम जरूर करेंगे।

बांग्लादेश और पाकिस्तान की सेना में साझेदारी! भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के बेदखल होने के बाद उसकी पाकिस्तान से करीबी बढ़ती ही जा रही है। भारत से दूर होने की पूरी कोशिश में लगे बांग्लादेश के अधिकारी चीन और पाकिस्तान के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं और यात्राओं का दौर जारी है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों के बीच पाकिस्तानी सेना की खुफिया विंग आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ की यह दशकों पर पहली ढाका यात्रा थी, जिसने भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर नई सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बीते करीब एक साल से संबंध पहले की तरह नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच के संबंध अभी भी हर बीतते दिन के साथ तनावपूर्ण होते दिख रहे हैं। वहीं, शेख हसीना के पतन के बाद आ मोहम्मद युनूस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध गहरा कर रही है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच न केवल द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर बात हो रही है बल्कि दोनों देश सैन्य सहयोग बढ़ाने में भी लगे हैं।

बुधवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ जनरल आसिफ मलिक ढाका पहुंचे हैं। दुबई के रास्ते ढाका पहुंचे मलिक का स्वागत बांग्लादेश सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान ने किया, जिनके लिए माना जाते है कि उनके इस्लामवादियों और पाकिस्तान से कथित संबंध हैं।आईएसआई चीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब बीते सप्ताह ही बांग्लादेश का एक उच्च स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान की यात्रा करके लौटा है।

आईएसआई के इस दौरे से भारत की पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमाओं पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। क्योंकि इस यात्रा का मकसद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खुफिया जानकारी साझा करना है। जानकार इस यात्रा को भारत के खिलाफ गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में भी देख रहे हैं।

बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों ने भी किया था पाकिस्तान का दौरा

इसके पहले बांग्लादेश के एक टॉप जनरल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर से मुलाकात की थी। बांग्लादेश के सशस्त्र बल के प्रिंसिपल स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन कई वर्षों इस्लामाबाद की यात्रा करने वाले पहले शीर्ष बांग्लादेशी जनरल थे। हसन बांग्लादेश की सेना में दूसरे नंबर के अधिकारी भी हैं। उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में आगे बढ़ने का साफ संकेत देती है।

भारत की बढ़ सकती है टेंशन

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियों का असर भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध पर भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि 1971 के बाद ये पहली बार हो रहा है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान इतने करीब आ रहे हैं। ऐसे में ये भारत के साथ बांग्लादेश के पुराने संबंध को नुकसान जरूर पहुंचाएगा। पाकिस्तान अपनी सीमा पर आए दिन आतंकवादियों को बढ़ावा देकर भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहा है। बांग्लादेश के साथ सैन्य करीबी के बाद भारत को बांग्लादेश बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियों का सामना करना पड़ सकता है।