*मिर्ज़ापुर: बेसिक शिक्षा अधिकारी के अधिकारों पर भारी पड़ते खंड शिक्षा अधिकारी नारायनपुर*
मिर्ज़ापुर। जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारियों से कहीं ज्यादा दागदार शिक्षकों के हनक को देखा जा सकता है। इस मामले में नारायनपुर ब्लाक का कुछ पूछना ही नहीं है। जहां बेसिक शिक्षा अधिकारी से ज्यादा एबीएसए और प्रभारी प्रधानाध्यापक की पकड़ और हनक देखी जा रही है। हनक ऐसी की विभाग के कायदे-कानून भी ताक पर नजर आ रहे हैं। हद की बात तो यह है कि इनके खिलाफ की गई शिकायतों का भी कोई असर इनकी सेहत पर नहीं पड़ रहा है।
बताते चलें कि पिछले महीने से कंपोजिट विद्यालय कंदवा के प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरज सिंह शिकायतों और आरोप प्रत्यारोप के घेरे में होने के साथ ही अपनी तैनाती को लेकर भी चर्चाओं में बने हुए हैं। कहां जाता है कि एक माननीय के यह करीबी हैं जिससे इनके उपर लगने वाले 'दाग' (शिकायत) भी अच्छे साबित होते हुए आएं हैं। बीआरसी नारायनपुर में आधार बनाने के नाम पर धन उगाही की शिकायतों के साथ ही यह कंपोजिट विद्यालय कंदवा में शिक्षिकाओं की शिकायतों के घेरे में रहें हैं जिन्हें बीआरसी से हटा तो जरूर दिया गया है, लेकिन इन्हीं अभी भी उसी विद्यालय पर तैनात किया गया है जहां उनके खिलाफ शिकायत रही है। मजे की बात है कि विद्यालय के जीर्णोद्धार, मरम्मत इत्यादि कार्य के नाम पर प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरज सिंह ने ₹50 हजार की रकम जो सरकारी धन रहा है उसे अपनी पत्नी के नाम जारी कर दिया था। इस मामले में अभी भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि विभाग के ही एक अधिकारी नाम ना छापे जाने की शर्त पर बताते हैं कि इन पर तो तुरंत कार्रवाई करते हुए इन्हें जेल भेजना चाहिए था, लेकिन न जाने क्यों इन पर रहम बरता जा रहा है।
आधार बनाने के नाम पर लाखों का किया गया गोलमाल
बताया जा रहा है कि पूर्व में बेसिक शिक्षा परिषद व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा अपने पत्राक संख्या 2791-96, दिनांक 04/08/2023 में
आधार ऑपरेटरों को पत्र जारी किया गया था जिसमें आधार कार्य के समस्त शुल्क को प्रति सप्ताह विभाग के खाते में जमा करने का निर्देश दिया गया है, किंतु इनके द्वारा न ही रजिस्टर बनाया गया न ही खाते में धनराशि जमा की गई है। ऐसे में समझा जा सकता है कि यह किस हद तक मनमानी करने के आदती हैं।
आरोप है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक
धीरज सिंह के द्वारा आधार बनाने में विभाग द्वारा निर्धारित जो भी शुल्क है उसे बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा उपलब्ध कराए गए खाते में प्रत्येक सप्ताह जमा करने तथा एक रजिस्टर बनाकर उनके द्वारा किए गए सभी नामांकन, अपडेट के कार्य को दर्ज करने का निर्देश बेसिक शिक्षा परिषद और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दिया गया था। जबकि सूत्रों की मानें तो उनके द्वारा लगभग 9000 आधार अपडेट, नामांकन किया गया है, लेकिन किसी का भी विवरण रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया है और न ही निर्धारित शुल्क को विभाग के खाते में जमा किया गया है। इस प्रकार लगभग 3 से 4 लाख रुपए का विभाग को चुना लगाया गया है।
जबकि बीआरसी पर परिषदीय बच्चों का आधार बनाने के लिए विभाग से आधार मशीन दिया गया है। साथ ही ऑपरेटर को यह निर्देशित किया गया है कि नए नामांकन में कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसी तरह डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक अपडेट हेतु यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित शुल्क ही लिया जाएगा। ऑपरेटर एक रजिस्टर बनाकर सभी नामांकन, अपडेट को दर्ज करेगा और प्रत्येक सप्ताह उसके द्वारा किए गए नामांकन, अपडेट का विवरण खंड शिक्षा अधिकारी से प्रतिहस्ताक्षरित कराकर विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए रजिस्ट्रार के खाते में निर्धारित शुल्क को जमा किया जाएगा। जमा राशि के रसीद का विवरण भी सुरक्षित रखा जाएगा। समय समय पर डीसी और बीएसए द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। किंतु नारायनपुर बीआरसी पर इसकी जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। बताया जा रहा है कि एक अधिवक्ता ने जब भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो गोल-मटोल रवैया अपनाएं जाने के साथ आरटीआई अधिनियम की अवहेलना की जा रही है। इस सम्पूर्ण प्रकरण में बीआरसी नारायनपुर के एबीएसए की भूमिका भी संदिग्ध होनी बताई जा रही है। जिनके क्रियाकलापों से न केवल सरकार और विभाग की नीतियों को ठेस पहुंचाया जा रहा है बल्कि उनकी दोहरी भूमिका के भी जांच की मांग उठने लगी है।
गौरतलब हो कि कुछ इसी प्रकार के मामलों में प्रदेश के कुछ जिलों में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए ठोस कार्रवाई की है, लेकिन मिर्ज़ापुर के नारायनपुर में दरियादिली दिखाते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है।
Apr 22 2025, 15:10