प्रयागराज में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश
- कोर्ट ने 2021 की बुलडोजर कार्रवाई को अवैध करार देते हुए मंगलवार को सुनाया फैसला
- एससी ने माना, नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिराना गलत था और अवैध भी
प्रयागराज। 2021 में प्रयागराज में हुई बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट ऑथोरिटी को आदेश दिया कि वह पांच याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा छह सप्ताह के भीतर दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्रवाई को अवैध और गलत ठहराते हुए कहा कि नोटिस मिलने के महज 24 घंटे के भीतर मकान गिराना संविधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। कोर्ट ने इसे एक गंभीर मामले के रूप में लिया और मुआवजे का आदेश दिया ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
यह मामला उस समय की बुलडोजर कार्रवाई से जुड़ा है, जब राज्य सरकार ने पांच व्यक्तियों की जमीन को गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मान लिया था, जिसके कारण एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को गिरा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के साथ यह भी कहा है कि यह मुआवजा इसलिए जरूरी है ताकि भविष्य में सरकारें बिना उचित प्रक्रिया के लोगों के मकान गिराने से बचें। जजों ने हाल ही में सामने आए एक वीडियो का भी हवाला दिया, जिसमें गिरती हुई झोपड़ी से एक बच्ची अपनी किताबें लेकर भाग रही थी। जजों ने इस दृश्य को "हमारी अंतरात्मा को झकझोरने वाला" बताते हुए कहा कि "राइट टू शेल्टर" और "उचित प्रक्रिया" के सिद्धांत का उल्लंघन करना बिल्कुल गलत है।
गौरतलब है कि 23 मार्च को अम्बेडकर नगर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो में बुलडोजर की कार्रवाई हो रही है। इसी दौरान एक बच्ची बुलडोजर की तरफ दौड़ती हुई नजर आ रही है। जिसमें दिखाया गया था कि एक बच्ची झोपड़ी के पास से अपनी किताबें लेकर बाहर भाग रही थी। इस दृश्य ने पूरे देश को गहरे तरीके से प्रभावित किया।
-- सपा प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस फैसले को स्वागत योग्य बताया और कहा, "सच तो यह है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता और न ही उसके टूटने का दर्द पैसों से भरा जा सकता है। परिवारों के लिए घर एक भावना का प्रतीक होता है, और उसके टूटने पर जो भावनाएं आहत होती हैं, उनका मुआवजा किसी भी तरीके से पूरा नहीं किया जा सकता।"
Apr 01 2025, 19:54