/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif StreetBuzz बीजेपी के पूर्व सांसद दिलीप घोष खड़गपुर में सड़क के उद्घाटन के दौरान महिलाओं पर भड़के. उन्हें धमकियां दीं और आपत्तिजनक शब्दों का किया इस्तेमाल Swarup
बीजेपी के पूर्व सांसद दिलीप घोष खड़गपुर में सड़क के उद्घाटन के दौरान महिलाओं पर भड़के. उन्हें धमकियां दीं और आपत्तिजनक शब्दों का किया इस्तेमाल

डेस्क :–बीजेपी के पूर्व सांसद दिलीप घोष पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में सड़क के उद्घाटन के दौरान महिलाओं पर भड़क उठे. उन्हें धमकियां दीं और आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. पूरा मामला खड़गपुर नगरपालिका के वार्ड नंबर 6 के माठ पाड़ा इलाके का है. घोष यहां एक नवनिर्मित कंक्रीट सड़क का उद्घाटन करने पहुंचे थे. प्रदर्शनकारी महिलाओं ने उनका विरोध किया.

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि जब वो सांसद थे, तब वो उस समय यहां क्यों नहीं आए. हमने आपको कभी नहीं देखा. अब, जब हमारे पार्षद ने सड़क बनवा दी है तो आप यहां उद्घाटन करने आए हैं. इस पर घोष भड़क उठे और कहा कि यह किसी के बाप का पैसा नहीं है. मैंने सांसद रहते हुए इसके लिए फंड दिया था. जाकर प्रदीप सरकार से इसके बारे में पूछिए.

इस पर महिलाओं ने कहा कि आप हमारे पिता को बीच में क्यों ला रहे हैं? इस पर घोष ने कहा किमैं तुम्हारी चौदह पीढ़ियों को याद दिलाऊंगा. इसके बाद माहौल और गरम हो गया और प्रदर्शनकारी महिलाओं ने घोष की गाड़ी को घेर लिया. इसके बाद वो बुरी तरह नाराज हो गए और उन्हें अपना आपा खो दिया. घोष ने कहा किइस तरह चिल्लाओ मत, मैं तुम्हारा गला घोंट दूंगा.

वार्ड नंबर 6 के टीएमसी पार्षद और खड़गपुर के पूर्व विधायक प्रदीप सरकार ने इस घटना की निंदा की. उन्होंने घोष की आलोचना करते हुए कहा कि वह अब सांसद नहीं हैं, तो वह सड़क का उद्घाटन करने क्यों गए? नगरपालिका ने सड़क का काम पूरा किया है. वह वहां गए और अपना आपा खो बैठे, महिलाओं के पिता का नाम लेकर उनका अपमान किया. मैं वहां नहीं था, लेकिन उन्होंने मेरे पिता का भी अपमान किया. उन्हें माफी मांगनी चाहिए. मैं उनकी टिप्पणी की निंदा करता हूं. एक पूर्व सांसद के रूप में उनकी भाषा ऐसी नहीं होनी चाहिए.
पंजाब पुलिस ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग के कुख्यात गैंगस्टर लविश ग्रोवर को किया गिरफ्तार

डेस्क:–पंजाब पुलिस ने बड़ा एक्शन लेते हुए लॉरेंस बिश्नोई गैंग के कुख्यात को गिरफ्तार कर लिया है. यह चंडीगढ़ के पास बड़ी वारदात को अंजाम देने वाला था, लेकिन पुलिस ने अब इसके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया है. पंजाब के मोहाली के जीरकपुर में पंजाब पुलिस ने एक मुठभेड़ के बाद गैंगस्टर लविश ग्रोवर को गिरफ्तार किया है. ग्रोवर पर हत्या और हत्या के प्रयास सहित कई अन्य मामले दर्ज हैं. वो जीरकपुर में एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था. पुलिस को सूचना मिलने पर जब वो उसके ठिकाने पर पहुंची तो उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी.

इसने पुलिस पर तीन फायर किए थे. पुलिस ने जवाबी फायरिंग की तो एक गोली बदमाश की टांग पर लग गई. इसके बाद ये घायल हो गया था. पुलिस ने घायल अवस्था में इसे अस्पताल पहुंचाया. जहां पर इसकी हालत ठीक बताई जा रही है. आरोपी अभी डेराबस्सी के सिविल अस्पताल में भर्ती है.

आरोपी के कब्जे से पुलिस ने तीन हथियार और नशीले पदार्थ बरामद किए हैं. इनमें से कुछ हथियार ऐसे हैं जोकि भारत में प्रतिबंधित हैं. पुलिस अपनी सूचना के हिसाब से पिछले कई दिनों से इसके पीछे लगी हुई थी. ये जीरकपुर इलाके में अपना पिछले कई दिनों से नेटवर्क चला रहा था. आरोपी लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. पुलिस अस्पताल से इसको लेकर आगे की पूछताछ करेगी.

एसपी रूरल मनप्रीत सिंह के अनुसार, आरोपी लविश लुधियाना का रहने वाला है और जीरकपुर में फ्लैट किराए पर लेकर रह रहा था. आरोपी पर हत्या, लूट, आर्म्स एक्ट समेत 10 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. एसपी मनप्रीत सिंह के मुताबिक, पुलिस को लविश के शिवा एन्क्लेव में छिपे होने की गुप्त सूचना मिली थी, जिसके बाद विशेष टीम ने इलाके को घेर लिया. जब फ्लैट का दरवाजा खटखटाया तो वे पुलिस को देख कर हैरान रह गया. उसने पिस्टल उठाई और पुलिस पर तीन फायर किए.
आइए जान लेते हैं कि भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजन से क्या फायदा होगा,200 करोड़ के खर्च पर तेलंगाना में सियासी बवाल

डेस्क:–मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजन की तैयारियां जोर पकड़ चुकी हैं. इस बार इसका आयोजन हैदराबाद में किया जा रहा है. सात से 31 मई तक होने वाली इस प्रतियोगिता की मेजबानी पर तेलंगाना सरकार की ओर से 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का अनुमान है. इस खर्च को लेकर तेलंगाना में सियासी घमासान शुरू हो गया है. आइए जान लेते हैं कि भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजन से क्या फायदा होगा, इससे पहले भारत में कब-कब इंटरनेशनल ब्यूटी कॉम्पिटिशन का आयोजन और विवाद हुआ?

तेलंगाना इस साल 72वीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की मेजबानी करेगा. इसके आयोजन पर होने वाले खर्च पर राज्य में विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की सरकार पर निशाना साधा है. बीआरएस नेता केटी रामाराव ने कहा है कि यह सरकारी धन का दुरुपयोग है.

विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने खुद माना है कि उनकी सरकार पर कर्ज का बोझ है और वह नकदी संकट का सामना कर रही है. ऐसे में ब्यूटी कॉन्टेस्ट पर इतना धन कहां से खर्च हो रहा है. तेलंगाना विधानसभा में वार्षिक बजट पेश किए जाने के दौरान विपक्ष के विधायकों ने प्रदर्शन भी किया.

*तेलंगाना क्यों कर रहा है आयोजन?*

तेलंगाना इस मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की मेजबानी इसलिए कर रहा है, जिससे राज्य को एक प्रमुख टूरिस्ट सेंटर के रूप में स्थापित कर सके. इस कार्यक्रम के जरिए तेलंगाना को अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, कला और व्यंजनों को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा. यहां 120 देशों की प्रतिभागी करीब एक महीना रहेंगी और इस दौरान इन देशों से अन्य लोग भी आवागमन करेंगे. मौजूदा मिस वर्ल्ड क्रिस्टीना पिस्जकोवा नई विजेता को ताज पहनाएंगी.

*देश को होंगे ये फायदे*

इसके अलावा मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के भारत में आयोजन से देश की ब्रांडिंग होगी. टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और निवेश के लिए कंपनियां आगे आ सकती है. ऐसे प्रतिष्ठित आयोजन से तेलंगाना के साथ ही भारत को पूरी दुनिया के सामने ढंग से पेश किया जा सकेगा. इस प्रतियोगिता के बहाने तेलंगाना आने वाले विदेशी देश के दूसरे हिस्सों में भी भ्रमण के लिए जा सकते हैं, जिससे देश के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इस आयोजन के कारण रेस्टोरेंट-होटल और परिवहन आदि उद्योगों को आर्थिक लाभ भी हो सकता है. अलग-अलग देशों के साथ भारतीय संस्कृति का आदान-प्रदान होगा. साथ ही प्रतियोगिता के आयोजन से जुड़े कई क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

*इससे पहले दो बार हो चुका आयोजन*

भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार साल 1996 में बेंगलुरु में किया गया था. तब इसका आयोजन बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन की कंपनी एबीसीएल द्वारा किया गया था. इसके 28 साल बाद साल 2024 में एक बार फिर से भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता हुई.

*विवादों में भी घिरी थी प्रतियोगिता*

साल 1996 में भारत में हुई मिस वर्ल्ड की मेजबानी विवादों में घिर गई थी. उस वक्त भारत में आर्थिक उदारीकरण शुरू ही हुआ था और वैश्वीकरण को लेकर लोग चिंतित थे. ऐसे में इस तरह के आयोजन को लेकर कुख्यात दस्यु सुंदरी फूलन देवी से लेकर महिला संगठनों, रूढ़िवादी दक्षिणपंथी समूहों, वामपंथी दलों, धार्मिक समूहों और किसानों तक ने भारी विरोध प्रदर्शन किया था.

*अब तक छह बार ताज जीत चुका भारत*

भारत मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता अब तक छह बार जीत चुका है. साल 1966 में पहली बार रीता फारिया मिस वर्ल्ड बनी थीं. इसके लंबे अंतराल के बाद साल 1994 में ऐश्वर्या राय, साल 1997 में डायना हेडन, 1999 में युक्ता मुखी, 2000 में प्रियंका चोपड़ा और साल 2017 में मानुषी छिल्लर यह खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. इस साल भारत की ओर से फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2023 नंदिनी गुप्ता मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी.
सवाल है कि तलाक के मामले में एलिमनी यानी गुजारा भत्ता कैसे तय होता है और क्या पुरुष इसके लिए हकदार है?

डेस्क:–क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा ने तलाक ले लिया है. दोनों गुरुवार को बांद्रा फैमिली कोर्ट पहुंचे और मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुए. वकील ने पुष्टि की है कि दोनों का तलाक हो गया है और शादी टूट गई है. तलाक पर सहमति की शर्तों के मुताबिक, चहल ने अपनी कोरियोग्राफर पत्नी धनश्री वर्मा को 4 करोड़ 75 लाख रुपए की एलिमनी देने पर सहमति जताई थी. चहल अब तक 2 करोड़ 37 लाख और 55 हजार रुपए दे चुके हैं. बाकी राशि का भुगतान अब करना होगा.

देश में तलाक के कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब पत्नी को एक बड़ी राशि गुजारा भत्ते के तौर पर दी गई है. ऐसे में सवाल है कि तलाक के मामले में एलिमनी यानी गुजारा भत्ता कैसे तय होता है.

*कैसे तय होती है तलाक की एलिमनी?*


सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, भारतीय कानून में तलाक के मामले में गुजारा भत्ता देने का कोई फिक्स फॉर्मूला नहीं है. गुजारा भत्ता तय करने में कई बातों का ध्यान रखा जाता है, उसके आधार पर कोर्ट एक राशि तय करता है. गुजारा भत्ता तय करने में पति पत्नी की वित्तीय स्थिति, उनकी कमाई की क्षमता जैसे कई फैक्टर्स पर विचार किया जाता है.

जैसे- अगर कोई महिला 10 साल से एक गृहिणी है और वो अपने पति को तलाक देती है तो कोर्ट उसकी एलिमनी तय करते वक्त पति की आय को ध्यान में रखेगा. चूंकि, महिला सिर्फ गृहिणी है और उसने बच्चों-परिवार की देखभाल के लिए नौकरी नहीं की और अपना करियर त्याग दिया, इसलिए ऐसा गुजारा भत्ता तय किया जाएगा कि उसका सामान्य जीवन चलता रहे.

मान लीजिए कोई पति और पत्नी दोनों ही नौकरी से 50-50 हजार रुपए हर माह कमा रहे हैं. तो जरूरी नहीं है कि कोर्ट गुजारा भत्ता देने का आदेश दे क्योंकि दोनों की आर्थिक स्थिति एक जैसी है. अगर पत्नी या पति में से किसी एक पर बच्चों की देखभाल से ज्यादा वित्तीय बोझ है तो कोर्ट वित्तीय सहायता का आदेश दे सकता है.

इसे तय करने में यह देखा जाता है कि दोनों की सामाजिक और वित्तीय स्थिति क्या है, पत्नी और आश्रित बच्चों की जरूरतें क्या हैं, क्या दोनों रोजगार से जुड़े हैं. उनकी योग्यताएं क्या हैं, इसका ध्यान रखा जाता है. इसके अलावा आवेदक की स्वतंत्र आय क्या है, कितनी सम्पत्ति पहले से उसके पास है. विवाह के दौरान किस तरह का जीवन स्तर रहा है, पारिवारिक जिम्मेदारी को निभाने के लिए कितना त्याग किया गया. गैर-कामकाजी जीवनसाथी ने कानूनी प्रक्रिया के लिए कितना खर्च किया, गुजारा भत्ता तय करते वक्त यह भी ध्यान रखा जाता है. अगर पति पर कर्ज है तो इसे भी कानूनी फैसले का हिस्सा बनाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि गुजारा भत्ता आश्रित पति या पत्नी की मदद करने के लिए है न कि दूसरे पक्ष को दंडित करने के लिए.

*क्या पुरुष एलिमनी का हकदार?*

तलाक के ज्यादातर मामलों में पत्नियों को वित्तीय सहायता मिलती है, लेकिन भारतीय कानून में पुरुषों को भी गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में धारा 24 और 25 के तहत पति गुजारा भत्ता की मांग कर सकता है. हालांकि, कुछ खास स्थितियों में ही पति को गुजारा भत्ता मिलता है. इसके लिए पति को यह साबित करना होगा कि वो किसी खास वजह से आर्थिकतौर पर पत्नी पर निर्भर था. जैसे- उसे विकलांगता या कोई ऐसी स्थिति से जूझ रहा था जिसके कारण वो कमाई करने में असक्षम था.

झारखंड सरकार के मंत्री का फेसबुक पेज हैक, आपत्तिजनक पोस्ट से मचा हड़कंप

डेस्क:–झारखंड सरकार के नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू का फेसबुक पेज हैक हो गया है. गुरुवार को उनके ऑफिशियल पेज से अश्लील और आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किए गए, जिससे उनके समर्थक और आम जनता हैरान रह गई, मंत्री के फेसबुक पेज पर 24 हजार से अधिक फॉलोअर्स हैं. जैसे ही मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू और उनकी टीम को इस घटना की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत फेसबुक पेज को रिकवर करने की कोशिश शुरू कर दी. लेकिन, उन्हें अपना एडमिन एक्सेस नहीं मिल पाया.

इसे लेकर रांची स्थित लालपुर साइबर थाने में लिखित शिकायत की गई है. मंत्री के फेसबुक पेज का ऑपरेशन संभालने वाले रांची के कोकर निवासी ओमप्रकाश रमण ने शिकायत में कहा है कि इस पेज में सुदिव्य कुमार सोनू और गोपाल विश्वकर्मा को एडमिन का पावर था. अचानक सभी एडमिन का पावर खत्म कर दिया गया. साइबर पुलिस से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.

गुरुवार तक मंत्री के फेसबुक पेज पर किया गया अश्लील पोस्ट भी नहीं हटाया जा सका था. शुक्रवार को यानि आज पोस्ट हटाने की कोशिश जारी है. इस पर शाम सात बजे तक 130 से ज्यादा लोगों के कमेंट आए हैं. मंत्री के समर्थक तमाम यूजर्स से पोस्ट को नजरअंदाज करने और इस संबंध में फेसबुक को रिपोर्ट करने का अनुरोध कर रहे हैं.

पिछले महीने भी साइबर अपराधियों ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता का फोटो इस्तेमाल कर फर्जी फेसबुक अकाउंट बना लिया था और इसके जरिए आम लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजे गए थे. मामला तब उजागर हुआ जब इस फर्जी फेसबुक अकाउंट में डीजीपी अनुराग गुप्ता के नाम की स्पेलिंग गलत होने पर कुछ लोगों ने पुलिस का ध्यान आकृष्ट कराया.

पुलिस का साइबर सेल इस मामले की तहकीकात कर रहा है. झारखंड के पूर्व डीजीपी आईपीएस नीरज सिन्हा के साथ-साथ कुछ आईएएस अधिकारियों के भी फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर ठगी की कोशिश के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन किसी मंत्री का सोशल मीडिया पेज हैक कर लिए जाने की यह पहली घटना है.
5 हजार से भी अधिक पदों पर मेडिकल ऑफिसर की बंपर भर्ती
डेस्क:–ओडिशा लोक सेवा आयोग यानी ओपीएससी (OPSC) ने मेडिकल ऑफिसर के बंपर पदों पर भर्तियां निकली हैं, जिसके लिए आवेदन मांगे गए हैं. योग्य और इच्छुक उम्मीदवार ओपीएससी की ऑफिशियल वेबसाइट opsc.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 25 मार्च से शुरू होगी, जो 25 अप्रैल 2025 तक चलेगी. इस भर्ती अभियान के तहत ओडिशा लोक सेवा आयोग कुल 5,248 पदों को भरेगा.

*OPSC Medical Officer Vacancy Details: वैकेंसी डिटेल्स*

सामान्य वर्ग: 411 पद

एसईबीसी वर्ग: 736 पद

अनुसूचित जाति: 1620 पद

अनुसूचित जनजाति: 2481 पद

*पात्रता मानदंड क्या हैं?*

*शैक्षणिक योग्यता*- मेडिकल ऑफिसर के इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज या संस्थान से एमबीबीएस या समकक्ष डिग्री होनी चाहिए.

*उम्र सीमा*- अभ्यर्थी की उम्र सीमा 1 जनवरी 2025 तक 21 से 32 साल के बीच होनी चाहिए यानी उसका जन्म 2 जनवरी 1993 से पहले और 1 जनवरी 2004 के बाद नहीं हुआ होना चाहिए.

*आवेदन कैसे करें?*

सबसे पहले ओपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट opsc.gov.in पर जाएं.

फिर होमपेज पर उपलब्ध ऑनलाइन आवेदन लिंक पर क्लिक करें.

उसके बाद अपना रजिस्ट्रेशन कराएं और मेडिकल ऑफिसर भर्ती लिंक पर क्लिक करें.

अब अपना आवेदन पत्र भरें और जरूरी डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें.

जब ये सब हो जाए तो सबमिट पर क्लिक करें और पेज को डाउनलोड कर लें.

आगे की जरूरत के लिए इसकी एक हार्ड कॉपी अपने पास जरूर रख लें.

*चयन प्रक्रिया क्या है?*

इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा शामिल है. यह परीक्षा 11 मई 2025 को कटक/भुवनेश्वर में आयोजित की जाएगी. लिखित परीक्षा में 200 अंकों का एक पेपर होगा, जिसमें कुल 200 प्रश्न होंगे और प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा. परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप के बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे, जिनका ओएमआर मूल्यांकन किया जाएगा. इस परीक्षा की अवधि 3 घंटे होगी और सबसे जरूरी बात कि परीक्षा में निगेटिव मार्किंग भी होगी यानी गलत उत्तर देने पर अंक काटे भी जाएंगे.

अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार ओपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट opsc.gov.in देख सकते हैं.
Oppo F29 Pro 5G ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन किया लॉन्च,जानिए इसके डिजाइन, बैटरी और प्रोसेसर की पूरी डिटेल्स

डेस्क:–Oppo F29 Pro 5G ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है। आज हम आपको इस फोन के डिजाइन, डिस्प्ले, कैमरा, प्रोसेसर, और कीमत के बारे में सारी जानकारी देंगे। अगर आप भी इस फोन को खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए काफी मददगार साबित होगी।

*Oppo F29 Pro 5G के अलग-अलग वेरिएंट्स की कीमत*

8GB RAM + 128GB स्टोरेज – ₹27,999
8GB RAM + 256GB स्टोरेज – ₹29,999
12GB RAM + 256GB स्टोरेज – ₹31,999

*Oppo F29 के वेरिएंट्स की कीमत:*

8GB RAM + 128GB स्टोरेज – ₹23,999
8GB RAM + 256GB स्टोरेज – ₹25,999

*बैटरी और चार्जिंग*

Oppo F29 Pro 5G में 6000 mAh की बड़ी बैटरी दी गई है, जो पूरे दिन बिना किसी परेशानी के बैकअप दे सकती है। इसके साथ ही, 80W फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट भी है, जिससे फोन जल्दी चार्ज होता है।

*स्टोरेज और रैम*

Oppo F29 Pro 5G में आपको 12GB RAM और 256GB स्टोरेज मिलेगा। इसका मतलब है कि फोन की स्पीड काफी बेहतरीन होगी और आप एक साथ कई ऐप्स को बिना किसी परेशानी के चला पाएंगे।

*प्रोसेसर*

इसमें MediaTek Dimensity 7300 SoC प्रोसेसर दिया गया है, जो फोन को बेहतरीन परफॉर्मेंस देता है। शुरुआती अनुभव के अनुसार, फोन में कोई लैगिंग नहीं होती और इसकी स्पीड काफी तेज है।

*IP रेटिंग और अंडरवॉटर फोटोग्राफी*

Oppo F29 Pro 5G IP66, IP68 और IP69 रेटिंग के साथ आता है, जिससे यह पानी, धूल और झटकों से सुरक्षित रहेगा। इसके अलावा, इसमें अंडरवॉटर फोटोग्राफी का भी सपोर्ट मिलेगा, जिससे आप पानी के अंदर भी शानदार तस्वीरें ले सकेंगे।

*सेल और उपलब्धता*

Oppo F29 Pro 5G Flipkart, Amazon और OPPO India e-store पर उपलब्ध होगा। आप इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके आसानी से घर बैठे ले सकते हैं।

*Oppo F29*

Oppo F29 Pro के साथ ही Oppo F29 भी लॉन्च किया गया है, जिसमें 6500 mAh की बैटरी दी गई है। इस फोन में 45W SuperVOOC चार्जिंग का भी सपोर्ट है, जो फास्ट चार्जिंग में मदद करता है।

*सिग्नल बूस्ट*

Oppo ने फोन में एक विशेष सिग्नल बूस्ट एंटीना दिया है, जिससे आपको बेहतर नेटवर्क सिग्नल मिलेंगे। यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या से जूझते हैं।

*बॉडी और डिजाइन*

Oppo F29 Pro 5G में 360 डिग्री आर्मर बॉडी दी गई है, जो डैमेज प्रूफ है और फोन को झटकों से बचाती है। इसके अलावा, इस फोन में 300% नेटवर्क बूस्ट की सुविधा भी है। मार्बल व्हाइट कलर में यह फोन देखने में बेहद स्टाइलिश लगता है।

*शुरुआती अनुभव*

हमारा शुरुआती अनुभव Oppo F29 Pro 5G के साथ काफी अच्छा रहा है। फोन को इस्तेमाल करते वक्त हमें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आई। फोन का डिजाइन सबसे आकर्षक और पॉजिटिव पहलू है। बता दें कि इस प्रकार, Oppo F29 Pro 5G एक बेहतरीन स्मार्टफोन है, जो अच्छी बैटरी, तेज प्रोसेसर, और शानदार डिजाइन के साथ आता है। अगर आप एक नया स्मार्टफोन खरीदने की सोच रहे हैं तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
फिल्म ‘छावा'' पर प्रतिबंध लगाने की मांग, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने शाह को लिखा पत्र

डेस्क:–ऑल इंडिया मुस्लिम जमात, दरगाह आला हजरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर फिल्म ‘‘छावा'' पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। |

उनका आरोप है कि ‘‘यह फिल्म सांप्रदायिक तनाव भड़का रही है और नागपुर में हाल ही में हुए दंगों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है।'' शाह को लिखे पत्र में मौलाना रजवी ने फिल्म के निर्देशक, निर्माता और लेखक के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया। मौलाना का दावा है कि फिल्म में बादशाह औरंगजेब को इस तरह से दिखाया गया है, जिससे हिंदू युवा भड़क गए हैं। रजवी ने अपने पत्र में कहा, ‘‘फिल्म ‘छावा' की रिलीज के बाद से देश का माहौल खराब हो रहा है। फिल्म में बादशाह औरंगजेब की छवि हिंदू विरोधी के रूप में दिखाकर हिंदू युवाओं को भड़काया गया है। यही कारण है कि हिंदू संगठनों के नेता जगह-जगह औरंगजेब के बारे में नफरत भरे भाषण दे रहे हैं।''

उन्होंने कहा, ‘‘इसी कारण 17 मार्च को नागपुर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जो बेहद खेदजनक है।'' मौलाना रजवी ने कहा, ‘‘मैंने तुरंत मीडिया के माध्यम से शांति की अपील की और माहौल को शांत करने के लिए नागपुर की मस्जिद के उलेमा और इमामों से रात भर संपर्क बनाए रखा।'' उन्होंने औरंगजेब के बारे में मुस्लिम समुदाय के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘भारत के मुसलमान बादशाह औरंगजेब को अपना आदर्श और नेता नहीं मानते। हम उन्हें केवल एक शासक मानते हैं, इससे अधिक कुछ नहीं।''
50 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे गुलाब यादव

डेस्क:–रमजान माह पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए बेहद मुकद्दस होता है लेकिन अन्य धर्मों को मानने वाले कुछ लोगों की भी इससे गहरी वाबस्तगी (जुड़ाव) है। आजमगढ़ के कौड़िया गांव के गुलाब यादव भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं। जिनकी पुकार रोज भोर में रोजेदारों को सहरी (रमजान के दिनों में भोरकालीन भोजन) के लिए जगाती हैं। बनारसी साड़ियों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मुबारकपुर कस्बे के निकट के गांव कौड़िया में भोर में जब सभी लोग सो रहे होते हैं तब गुलाब यादव और उनके 12 वर्षीय बेटे रात एक बजे से अगले दो से तीन घंटों तक गांव के मुस्लिम परिवारों को रमजान में सहरी के लिए जगाने निकल पड़ते हैं।

किसी ने खूब कहा है कि ‘‘दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि मजहब बीच में न आये कभी। तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो, वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आये कभी।'' यादव के यह जज्बात इसी का अक्स हैं। वैसे तो रमजान के दिनों में मस्जिदों से ऐलान करके लोगों को सहरी के लिए उठाया जाता रहा है लेकिन उच्चतम न्यायालय के लाउडस्पीकर को लेकर जारी किए गए निर्देशों का सरकार द्वारा कड़ाई से पालन कराये जाने के बाद अब गुलाब यादव की इस जिम्मेदारी भरी कवायद का महत्व और बढ़ गया है।

गुलाब यादव ने बुधवार को मीडियो को बताया कि वह अपने परिवार की 50 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिसकी शुरुआत 1975 में उनके पिता चिरकिट यादव ने की थी। यादव कहते हैं, ‘‘उस वक्त मैं काफी छोटा था और तब मुझे पिताजी की इस कवायद की वजह भी समझ नहीं आती थी। मगर वक्त के साथ मैंने इसके पीछे की भावना को समझा।'' अब यादव कहते हैं कि उन्हें इस काम से बहुत सुकून मिलता है। पेशे से दिहाड़ी मजदूर गुलाब यादव (45) ज्यादातर वक्त दिल्ली में रहते हैं, लेकिन रमजान आने पर वह अपने परिवार की पांच दशक पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए अपने गांव लौट आते हैं।

*50 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे गुलाब यादव*

गुलाब यादव अपने पिता द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को लेकर अपनी अगली पीढ़ी में भी जिम्मेदारी का भाव पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए मैं रोज अपने 12 साल के बेटे अभिषेक को भी साथ लेकर जाता हूं।'' एक हाथ में टॉर्च और दूसरे हाथ में आवारा कुत्तों से बचने के लिए डंडा लिये यादव और उनका बेटा अभिषेक गांव के सभी मुस्लिम लोगों के घरों पर दस्तक देते हैं और उन लोगों के जागने तक वहां से नहीं हटते हैं। यादव ने बताया, "मेरे पिता की मृत्यु के बाद मेरे बड़े भाई ने कुछ वर्षों तक यह काम किया लेकिन उनकी आंखों की रोशनी कम होने के बाद उन्हें मजबूरन यह काम छोड़ना पड़ा। उनके बाद मैंने यह जिम्मा उठाया है और अब मैं हर रमजान में इसी काम के लिए यहां लौट आता हूं।''

गुलाब यादव के इस नेक काम की पूरे इलाके में सराहना होती है। यादव के पड़ोसी शफीक ने कहा, ‘‘रोजेदारों को सहरी के लिए जगाना बेहद सवाब (पुण्य) का काम है।'' उन्होंने कहा, ‘‘गुलाब भाई लोगों को जगाने के लिए पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं। इसमें दो घंटे का वक्त लगता है। इसके बाद वह यह पक्का करने के लिए एक बार फिर पूरे गांव में घूमते हैं कि कोई भी रोजेदार सहरी करने से बाकी न रहे। इससे ज्यादा मुकद्दस जज्बा और क्या हो सकता है।'' ‘‘जब मोहब्बत लिखी हुई है गीता और कुरान में, फिर ये कैसा झगड़ा हिन्दू और मुसलमान में'' दोहे का जिक्र करते हुए शफीक कहते हैं, ‘‘रमजान इस्लाम के प्रमुख कर्तव्यों में से एक है। उस फर्ज को निभाने में इतनी शिद्दत से मदद करके गुलाब यादव हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं।''
''मैं 7 दारोगा का हाथ-पैर तुड़वाकर यहां तक पहुंचा हूं'', संजय निषाद का विवादित बयान वायरल

डेस्क::–उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह मंच से एक विवादित बयान देते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने पुलिसवालों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं यहां ऐसे नहीं पहुंचा हूं, 7 दारोगा का हाथ-पैर तुड़वाकर और उन्हें गड्ढे में फेंकवाकर यहां तक पहुंचा हूं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह बयान उस समय सामने आया जब मंत्री संजय निषाद सुल्तानपुर जिले में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके समुदाय के कई लोगों को झूठे मामलों में फंसाया गया है। उन्होंने पुलिस से कहा कि हमारे लड़कों के ऊपर से सभी फर्जी केस हटा दो, नहीं तो हम आंदोलन करेंगे। दारोगा सस्पेंड हो जाएगा और मैं मुख्यमंत्री से भी शिकायत करूंगा। मैं ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा हूं, मैंने कई दारोगाओं का हाथ-पैर तुड़वाकर यहां तक पहुंचा हूं।

बताया जा रहा है कि संजय निषाद ने आगे कहा कि अगर किसी निषाद को झूठे मामले में फंसाया गया तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। दारोगा अगर ज्यादा ड्रामा करेगा तो उसे जेल में डाल देंगे, और उसे बेल भी नहीं मिलेगी। जरूरत पड़ी तो दारोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करेंगे। यह विवादित बयान तब आया जब संजय निषाद अपनी निषाद पार्टी की जनाधिकार यात्रा के दौरान सुल्तानपुर जिले में पहुंचे थे। उन्होंने चांदा इलाके के मदारडीह गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह बयान दिया।

दरअसल, 14 मार्च को होली के दिन जिले के दोस्तपुर थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव में रंग खेलने को लेकर एक विवाद हुआ था। इस विवाद में एक दलित और निषाद परिवार के बीच मारपीट हो गई थी, जिससे 65 वर्षीय दलित महिला सुनरा देवी की मौत हो गई थी। पुलिस ने मृतक महिला के परिजनों की शिकायत के आधार पर शाहपुर गांव के ग्राम प्रधान कृष्णा कुमार निषाद समेत 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इनमें से 4 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

बताया जा रहा है कि जब यह जानकारी मंत्री संजय निषाद को मिली, तो उन्होंने मंच से पुलिस के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि निषाद समाज के लोग निर्दोष हैं और उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया गया है। उन्होंने पुलिस से मांग की कि इन लोगों को छोड़ा जाए, वरना वे कड़ी कार्रवाई करेंगे। अब संजय निषाद के इस बयान के बाद यह मामला और भी विवादों में घिर गया है, और यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।