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आदिवासी समाज की अनोखी होली, कुंवारी पर रंग डाला तो पूरी करनी होगी शर्त, जानें क्या है परंपरा


रांची : आदिवासी समाज में अगर कोई लड़का कुंवारी लड़की पर रंग डालता है तो उसे एक शर्त पूरी करनी पड़ती है.

ऐसे सूबे में परसों से मनायी जा रही है होली।  कहीं 14 मार्च को होली खेली गयी तो कहीं 15 मार्च को. कहीं बनारस पंचांग का हवाला दिया जा रहा है, तो कहीं मिथिला पंचांग का. 

बाजार में तरह-तरह की पिचकारी, हर्बल रंग-गुलाल, मुखैटों की भरमार है. बाजार में होली की रौनक दिख रही है. इससे इतर संथाली आदिवासी समाज में बाहा पर्व शुरू होने के साथ ही होली खेलने का दौर शुरू हो गया है. खास बात है कि यहां रंगों से नहीं, बल्कि सिर्फ पानी से होली खेली जाती है. लेकिन क्या मजाल की कोई युवक किसी कुंवारी युवती पर रंग डाल दे.संथाली समाज में यह मान्यता है कि अगर कोई युवक किसी अविवाहित लड़की पर रंग डालता है, तो उसे उस लड़की से विवाह करना पड़ता है या भारी जुर्माना देना होता है. यह परंपरा समाज में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने में सहायक होती है.

 इन परंपराओं के माध्यम से संथाल समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर और प्रकृति के प्रति सम्मान को जीवित रखता है.

संथाली समाज क्यों नहीं खेलता रंगों की होली

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी में संथाली भाषा की असिस्टेंट प्रोफेसर दुमनी मई मुर्मू का कहना है कि 'अगर ईंट का धूल भी कुंवारी लड़की के माथे पर लग जाता है तो उसको सिंदूर समान माना जाता है. इसी तरह लाल रंग लगने पर भी सिंदूर से जोड़कर देखा जाता है. इसलिए सिर्फ पानी से होली खेली जाती है. क्योंकि पानी में हर रंग का समावेश होता है. एक और खास बात है कि हास्यपद वाले संबंधों में ही पानी से होली खेली जाती है. मसलन, जीजा-साली, देवर-भाभी, पति-पत्नी के बीच होली होती है. संथाली समाज में भाई-बहन के बीच पानी की भी होली नहीं खेली जाती है.'संथाल समाज में रंगों से होली न खेलने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण मान्यताएं हैं संयम और मर्यादा

परंपरा के अनुसार, अगर कोई युवक किसी अविवाहित लड़की पर रंग डालता है, तो उसे उस लड़की से विवाह करना पड़ता है या फिर भारी जुर्माना देना होता है.यह परंपरा समाज में अनुशासन, मर्यादा और सम्मान बनाए रखने का एक तरीका है.

आदिवासी समाज की प्राकृतिक जीवनशैली से प्रभावित है नियम

संथाली समाज का जीवन प्रकृति पर आधारित है. वे मानते हैं कि कृत्रिम रंग प्रकृति की पवित्रता को दूषित कर सकते हैं.इसलिए, वे सिर्फ पानी और फूलों का उपयोग करते हैं, जो प्रकृति के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है.

संथाली समाज के इस नियम का क्या है आध्यात्मिक महत्व

संथाली समाज का मानना है कि रंगों के त्योहार में संयम और पवित्रता बनाए रखना जरूरी है.उनका 'बाहा पर्व' इस बात का प्रतीक है कि वे प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखते हुए, अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहना चाहते हैं. 

हास्यप्रद रिश्ते में खेली जाती है पानी की होली

जिस रिश्ते में मजाक चलता है, पानी की होली उसी के साथ खेली जा सकती है.

 यदि किसी भी युवक ने किसी कुंवारी लड़की पर रंग डाला, तो ग्रामसभा उसी लड़की से शादी करवा देता है. अगर लड़की को शादी का प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ तो रंग डालने के जुर्म में युवक के घर से बैल, बकरी या खेत का इस्तेमाल तब तक लड़की वाले करते हैं, जबतक उसकी किसी दूसरे से शादी ना हो जाए. पूरे देश में जहां भी संथाली समाज के लोग हैं, वहां यह परंपरा चलती है. लेकिन समय के साथ शहरी क्षेत्रों में चलन में बदलाव आया है. क्योंकि शहर में सामाजिक ताना-बाना बदल जाता है.

बाहा पर्व के साथ शुरू होती है पानी की होली

असिस्टेंट प्रोफेसर दुमनी मई मुर्मू का कहना है कि 'फाल्गुन माह में चांद दिखने के पांचवे दिन से बाहा पर्व की शुरुआत होती है. पूरे फाल्गुन माह तक इस पर्व को मनाया जाता है. जाहेर (संथाली समाज का पूजा स्थल) में नया फूल, नया फल की पूजा होती है. क्योंकि ईष्ट देव को समर्पित किए बगैर नये फल और फूल का सेवन वर्जित होता है. इस पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य एक जगह जुटते हैं. इसी वजह से हर गांव में अलग-अलग तारीख तय कर बाहा पर्व मनाते हैं.'प्रकृति से तालमेल और एकजुटता का प्रतीक है बाहा पर्वबाहा पर्व के पहले दिन जाहेर (पूजा स्थल) को साफ सुथरा किया जाता है. खुद को पवित्र किया जाता है. दूसरे दिन जाहेर में पूजा होती है. तीसरे दिन देवी-देवता से संबंधित अस्त्र-शस्त्र से 'अतु सेंदरा' पर गांव के लोग निकलते हैं. खास बात है कि इस दिन गांव की चौहद्दी में ही शिकार करना होता है. शिकार का मतलब यह नहीं कि किसी जानवर को मारना जरूरी है. कद्दू, कोहड़ा भी मिल जाए तो सामूहिक भोज हो जाता है. असिस्टेंट प्रोफेसर दुमनी मई मुर्मू का कहना है कि'एक गलत नैरेटिव तैयार किया गया है कि आदिवासी समाज के लोग शिकार करते हैं. लेकिन सच यह है कि अतु सेंदरा के दौरान अगर कोई जानवर घेराबंदी में आ जाता है और प्रथम वार से बच जाता है तो फिर उसको दोबारा टारगेट नहीं किया जाता है.'कुल मिलाकर देखें तो पानी वाली होली के जरिए आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ किया जाता है. रिश्तों का मतलब समझाया जाता है. इंसान और प्रकृति के बीच तालमेल बिठाया जाता है. अतु सेंदरा के जरिए गांव में एकजुटता कायम होती है. इसलिए संथाली समाज की पानी वाली होली सबसे अनूठी है. इसमें पवित्रता है.

गुड न्यूज़ : मंईयां सम्मान योजना के आवेदकों के लिए बड़ी खुशखबरी


रांची : झारखंड सरकार ने योजना से संबंधित किसी भी समस्या या जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी जारी की है। अब आवेदक घर बैठे ही अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

हेल्पलाइन नंबरः 1800-890-0215

सरकार ने मंईयां सम्मान योजना के आवेदकों की सुविधा के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। आवेदक 1800-890-0215 पर कॉल करके योजना से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, वे फॉर्म में हुई किसी भी त्रुटि को भी सुधार सकते हैं।

हेल्पलाइन आवेदक ईमेल के माध्यम से संपर्क करना चाहते हैं, वे पर ईमेल भेज सकते हैं। इस ईमेल आईडी के माध्यम से, आवेदक योजना की टीम से संपर्क कर सकते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

पश्चिमी सिंहभूम पुलिस ने नक्सलियों की साजिश को किया नाकाम,


 सर्च अभियान में पुलिस ने पांच किलो का एक आईईडी बरामद किया



चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम पुलिस ने एक बार फिर नक्सलियों की साजिश को नाकाम कर दिया। सर्च अभियान में पुलिस ने पांच किलो का एक आईईडी बरामद किया। आईईडी को पुलिस ने डिफ्यूज कर दिया है।

एसपी आशुतोष शेखर ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस और सुरक्षाबल नक्सलियों के खिलाफ जराईकेला थाना के बाबुडेरा के आस-पास जंगली-पहाड़ी क्षेत्र में सर्च अभियान के चला रहे थे। इस दौरान पांच किलो का एक आईईडी बम बरामद किया। यह आईईडी सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लगाया गया था। सुरक्षाबलों ने बरामद आईईडी को बम निरोधक दस्ता के सहायता से डिफ्यूज कर दिया है।

एसपी ने बताया कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछू, चमन, कांडे, अजय महतो, सांगेन अगरिया और अश्विन सहित अन्य अपने दस्ता सदस्यों के साथ कोल्हान क्षेत्र में विध्वंसक गतिविधि के लिए भ्रमणशील है। इसी सूचना पर चार मार्च 2025 से पुलिस और सीआरपीएफ की अलग-अलग बटालियन अभियान चला रही है।

जानकारी : झारखंड की आधी आबादी नहीं जानती कि बेटियों के लिए चलायी जा रही मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना

बी.टेक और डिप्लोमा करने वाली छात्राओं को 15 माह तक मिलते हैं 30 हजार रुपये



रांची : बेटियों को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए झारखंड सरकार कई योजनाएं चलाती हैं. लेकिन इनमें से गिने चुने योजनाओं के बारे में ही लोगों को पता होता है. परिणाम यह होता है कि बेटियों को उच्च शिक्षा लेने के लिए भारी परेशानियों करना पड़ता है. कई तो पैसे की तंगी की वजह से या तो पढ़ाई छोड़ देती हैं या फिर अपने सपनों को ही मार देती है. ऐसे ही एक योजना है जिसके बारे में आधा झारखंड नहीं जानता. इस योजना का नाम मानकी मुंडा छात्रवृत्ति योजना है. जो खास तौर से बी.टेक करने वाली छात्राओं को दिया जाता है. इस योजना के तहत छात्राओं को हर साल छात्राओं को 30 हजार रुपये दिया जाता है. वहीं, डिप्लोमा करने वाली छात्राओं को सलाना 15 हजार रुपये मिलता है.

कौन कर सकता है आवेदन

झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा संचालित इस योजना में बी.टेक या डिप्लोमा में दाखिला ले चुकी छात्राएं आवेदन कर सकती है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य झारखंड की छात्राओं को तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने के साथ साथ आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करना और उन्हें स्वावलंबी बनाना है.

क्या है जरूरी मापदंड

आवेदिका को झारखंड की स्थायी निवासी होना चाहिए.

छात्रा बी.टेक के द्वितीय, तृतीय या चतुर्थ वर्ष में अध्ययनरत हो.

पहले से किसी अन्य राज्य या केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त कर रही छात्रा इस योजना के लिए पात्र नहीं होगी.

छात्रा को पिछले वर्ष में बिना किसी बैक पेपर के न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ पास करना अनिवार्य है .

परिवार की कुल वार्षिक आय 8,00,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

छात्रा को झारखंड राज्य में स्थित स्कूलों से 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी होगा .

लेटरल एंट्री के लिए, 10वीं के साथ डिप्लोमा/आईटीआई/बीएससी परीक्षा झारखंड के मान्यता प्राप्त संस्थान से उत्तीर्ण होना आवश्यक है . वहीं, डिप्लोमा करने वाली छात्राओं को भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 10वीं और 12वीं पास होना अनिवार्य है.

क्या है आवेदन की प्रक्रिया

छात्राओं को सबसे पहले इसकी आधिकारिक वेवसाइट जाकर आवेदन करना होगा. साथ ही आपको मांगे जा रहे सभी आवश्यक दस्तावेजों की छाया प्रति अपलोड करना होगा. इसके बाद विभागाध्यक्ष (HOD) द्वारा अनुमोदित हस्तलिखित आवेदन एकेडमिक सेक्शन में जमा करें . इसके साथ ही आपको स्व-सत्यापित दस्तावेजों की दो प्रतियां भी जमा करना अनिवार्य होगा.

किन किन आवश्यक दस्तावेजों की पड़ती है जरूरत

आय प्रमाण पत्र या वैध राशन कार्ड 

पिछले वर्ष के सेमेस्टर की मार्कशीट

10वीं और 12वीं (या समकक्ष) परीक्षा के प्रमाण पत्र

डिप्लोमा/आईटीआई/बीएससी प्रमाण पत्र (केवल लेटरल इंट्री में प्रवेश के लिए).

छात्रा द्वारा लिखा हुआ आवेदन पत्र

चिरकुंडा में होली की धूम,जम कर होली में सराबोर दिखे साहू समाज के लोग…


धनबाद: कोयलांचल में होली को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है, लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ होली मना रहे हैं, एक दूसरे को रंग अबीर लग रहे हैं और फगुआ के राग पर थिरकते नजर आ रहे हैं,चिरकुंडा में साहू समाज की ओर से भव्य होली मिलन समारोह का आयोजन चिरकुंडा के समाजसेवी दशरथ साव के आवास में किया गया जहां सैकड़ो की संख्या में समाज के लोग उपस्थित हुए.

चाहे युवा हो चाहे बच्चे हो चाहे बुजुर्ग हो चाहे महिलाएं हो, सभी अपनी-अपनी टोलियां बनाकर एक दूसरे को रंग गुलाल में सराबोर करने की होड़ मची हुई है,सभी लोग जमकर होलियाना गाने पर सभी कोई थिरकते नजर आए, रंगों के इस महापर्व होली में लोगों ने जमकर रंग-अबीर और गुलाल खेल कर एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं. 

और व्यंजनों का लुप्त उठाया,वहीं दूसरी ओर फगुआ और होली के गीतों की मस्ती के साथ रंगों का त्योहार होली मनाते लोग नजर आए रहे है. सभी के चहरे रंग और गुलाल से रंगे हुए नजर आ रहे हैं बच्चे, बूढ़े और जवान सभी होली की मस्ती में हैं, होली आई रे कन्हाई, रंग बरसे,होलिया में उड़े ले गुलाल की धुन पर लोगों ने थिरकना शुरू किया,समाजसेवी दशरथ साव ने बताया कि होली रंगों का त्यौहार है आपसी भाईचारा का त्यौहार है, एक दूसरे से मिलने और मिलाने का त्योहार है साथ ही साथ तरह-तरह के पकवान खाने का भी या त्योहार है, होली को पूरे उत्साह के साथ मना रहे हैं इस आयोजन में निरसा,मैथन,कुमारधुबी,मैथन मोड़ एव चिरकुंडा के साहू समाज उपस्थित होकर एक दूसरे को अबीर लगाकर एक दूसरे को होली की शुभकामना दिए.

झारखंड सरकार ने अपने 1.62 लाख कर्मचारियों के लिए 1 मार्च से किया एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना लागू


झारखंड सरकार ने अपने 1.62 लाख कर्मचारियों के लिए 1 मार्च से एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत कर्मचारियों और उनके परिजनों को 5 लाख रुपए तक के कैशलेस इलाज की सुविधा प्राप्त होगी। इसके साथ ही, अगर जरूरत पड़ी, तो राज्य आरोग्य सोसाइटी के माध्यम से असीमित इलाज की सुविधा भी दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना है।

मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा बंद

 स्वास्थ्य बीमा योजना लागू होने के बाद राज्य सरकार ने पहले से चल रही मेडिकल रीइंबर्समेंट (चिकित्सा प्रतिपूर्ति) की सुविधा को बंद कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, अब किसी भी चिकित्सा भुगतान पर रोक लगा दी गई है और इलाज के लिए मेडिकल एडवांस की सुविधा भी समाप्त कर दी गई है।

पंजीकरण में देरी, 1.60 लाख कर्मचारी असमंजस में

हालाँकि यह योजना कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन योजना लागू होने के 15 दिन बाद भी केवल 2000 कर्मचारियों का हेल्थ कार्ड ही बन पाया है। इस स्थिति में, लगभग 1.60 लाख कर्मचारी असमंजस में हैं कि आखिर उनका इलाज कैसे होगा। इसके अलावा, कर्मचारियों ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि बीमा योजना के तहत जिन अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख अस्पतालों जैसे मेदांता, मेडिका, और क्यूरेस्टा शामिल नहीं हैं। पहले जब अस्पतालों में इलाज होता था, तो मेडिकल बोर्ड के माध्यम से बिलों की प्रतिपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब यह व्यवस्था नहीं है। इस कारण कई कर्मचारी अधिकारियों से इसकी शिकायत कर चुके हैं।

स्वास्थ्य मंत्री का आश्वासन

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस मामले में कहा, “झारखंड सरकार ने अपने कर्मचारियों को सबसे अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई है। वे दुनिया के किसी भी कोने में इलाज करा सकते हैं। शुरुआत में कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं, जिन्हें हम जल्द ही दूर कर देंगे। जिनका हेल्थ कार्ड अभी नहीं बना है, उनके लिए हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं और हेल्थ कार्ड बनाने का काम पूरा करेंगे।”

झारखंड सरकार ने अपने 1.62 लाख कर्मचारियों के लिए 1 मार्च से एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत कर्मचारियों और उनके परिजनों को 5 लाख रुपए तक के कैशलेस इलाज की सुविधा प्राप्त होगी। इसके साथ ही, अगर जरूरत पड़ी, तो राज्य आरोग्य सोसाइटी के माध्यम से असीमित इलाज की सुविधा भी दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना है।

मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा बंद

स्वास्थ्य बीमा योजना लागू होने के बाद राज्य सरकार ने पहले से चल रही मेडिकल रीइंबर्समेंट (चिकित्सा प्रतिपूर्ति) की सुविधा को बंद कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, अब किसी भी चिकित्सा भुगतान पर रोक लगा दी गई है और इलाज के लिए मेडिकल एडवांस की सुविधा भी समाप्त कर दी गई है।

पंजीकरण में देरी, 1.60 लाख कर्मचारी असमंजस में

हालाँकि यह योजना कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन योजना लागू होने के 15 दिन बाद भी केवल 2000 कर्मचारियों का हेल्थ कार्ड ही बन पाया है। इस स्थिति में, लगभग 1.60 लाख कर्मचारी असमंजस में हैं कि आखिर उनका इलाज कैसे होगा। इसके अलावा, कर्मचारियों ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि बीमा योजना के तहत जिन अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख अस्पतालों जैसे मेदांता, मेडिका, और क्यूरेस्टा शामिल नहीं हैं। पहले जब अस्पतालों में इलाज होता था, तो मेडिकल बोर्ड के माध्यम से बिलों की प्रतिपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब यह व्यवस्था नहीं है। इस कारण कई कर्मचारी अधिकारियों से इसकी शिकायत कर चुके हैं।

स्वास्थ्य मंत्री का आश्वासन

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस मामले में कहा, “झारखंड सरकार ने अपने कर्मचारियों को सबसे अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई है। वे दुनिया के किसी भी कोने में इलाज करा सकते हैं। शुरुआत में कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं, जिन्हें हम जल्द ही दूर कर देंगे। जिनका हेल्थ कार्ड अभी नहीं बना है, उनके लिए हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं और हेल्थ कार्ड बनाने का काम पूरा करेंगे।”

बीमा कंपनी से करार, पेंशनरों को मिलेगा लाभ मई से

झारखंड सरकार ने इस स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए टाटा एआईजी बीमा कंपनी से करार किया है। योजना लागू होने के बाद कर्मचारियों को मिल रहे 1000 रुपए मासिक मेडिकल भत्ते में से 500 रुपए काटकर बीमा प्रीमियम के रूप में लिया जा रहा है। सरकार को प्रति परिवार 4850 रुपए सालाना प्रीमियम का भुगतान करना होगा, और मार्च महीने का भुगतान पहले ही कर दिया गया है।

सिर्फ राज्यकर्मियों को पहले चरण में इस योजना में शामिल किया गया है, जबकि पेंशनरों और अन्य श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए यह योजना 1 मई से लागू होगी।

पैनल में प्रमुख अस्पतालों को जोड़ने की आवश्यकता

झारखंड सचिवालय सेवा के अध्यक्ष ध्रुव प्रसाद ने इस योजना की सफलता के लिए कुछ अहम सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा, “बीमा कंपनी को अपने पैनल में रिम्स, सदर और एम्स जैसे प्रमुख अस्पतालों के साथ-साथ सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को भी जोड़ना चाहिए। ताकि गंभीर बीमारियों का समय पर और उचित इलाज हो सके। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी कर्मचारियों का हेल्थ कार्ड जल्द से जल्द बन जाए, ताकि वे इस योजना का पूरा लाभ उठा सकें।”

न बाउंड्री, न बिजली. ये है केदला के अपग्रेड हाई स्कूल का हाल.


 कसमार (बोकारो) न बाउंड्री, न बिजली. ये है केदला के अपग्रेड हाई स्कूल का हाल. बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहे जाने वाले हिसीम पहाड़ पर बसे केदला गांव में केदला उच्च विद्यालय है. कुछ वर्ष पहले ही इस विद्यालय का नया भवन बनकर तैयार हुआ है. नये भवन में बच्चों की पढ़ाई शुरू हुई. 

इस स्कूल को अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाया है. हालांकि, बिजली के कनेक्शन के लिए तत्कालीन प्राचार्य ने 16 अगस्त 2022 को ही जैनामोड़ विद्युत सब-स्टेशन के सहायक विद्युत अभियंता को पत्र लिखा था.

कंप्यूटर क्लास के लिए बच्चों को ले जाते हैं पुराने भवन में

तत्कालीन प्रधानाध्यापक ने कहा था कि नये भवन में बिजली का कनेक्शन नहीं होने के कारण बहुत सारे जरूरी कार्य नहीं हो पा रहे हैं. आवेदन के लगभग ढाई साल बीत जाने के बाद भी विभाग ने इस पर गंभीरता नहीं दिखायी है. बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण नये भवन में सीसीटीवी कैमरा, पंखा आदि चालू नहीं हो सका है. अन्य कई जरूरी काम भी बाधित हैं. इतना ही नहीं, बच्चों को कंप्यूटर क्लास के लिए विद्यालय के पुराने भवन में ले जाना पड़ता है.

चहारदीवारी नहीं होने से बच्चे हैं असुरक्षित

विद्यालय में चहारदीवारी नहीं होने के कारण बच्चे असुरक्षित हैं. ग्रामीणों ने कहा कि नये भवन का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन चहारदीवारी नहीं बनायी गयी है. ग्रामीणों ने कहा कि इस इलाके में जंगली हाथी समेत अन्य हिंसक जानवर आते रहते हैं.

अंग्रेजी की नहीं हो पा रही है स्कूल में पढ़ाई

विद्यालय में अंग्रेजी का शिक्षक नहीं होने से अंग्रेजीकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. अंग्रेजी के शिक्षक दिव्येंदु चेल का स्थानांतरण प्लस टू उच्च विद्यालय हरनाद में कर दिया गया है. नये शिक्षक की पदस्थापना नहीं हुई है. इससे अंग्रेजी की पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

बीस सूत्री अध्यक्ष ने जताया रोष

केदला गांव के निवासी प्रखंड बीस सूत्री समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार हेम्ब्रम ने विद्यालय में बिजली कनेक्शन नहीं दिये जाने पर बिजली विभाग पर रोष जताया है. दिलीप कुमार हेम्ब्रम ने कहा कि समस्या संज्ञान में आने के बाद उन्होंने खुद कई बार बिजली विभाग के अधिकारियों से बात की, लेकिन अधिकारी बेपरवाह हैं. उन्होंने कहा कि अगर जल्द स्कूल को बिजली कनेक्शन नहीं मिला, तो इसकी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री से करेंगे.

गैंगस्टर अमन साहू का करीबी सिमडेगा से मधुपुर जेल किया जाएगा शिफ्ट,


एनकाउंटर में अमन साहू के मारे जाने के बाद उसके करीबियों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसी के तहत उसके करीबी माने जानेवाले और सिमडेगा जेल में बंद आकाश राय उर्फ मानू राय को सिमडेगा से मधुपुर जेल में शिफ्ट किया जाएगा. इससे संबंधित आदेश गुरुवार को जारी किया गया गया है. कोर्ट ने सिमडेगा जेल में बंद आकाश राय को सुरक्षा व्यवस्था के बीच मधुपुर जेल में शिफ्ट करने को कहा है.

दूसरी ओर, कोर्ट की ओर से आदेश जारी होने के बाद आकाश राय भी डरा हुआ है. उसे यह भय सता रहा है कि कहीं उसका भी हाल अमन साहू जैसा न हो जाए. इसको लेकर उसने भी कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई है. सिमडेगा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेशी के दौरान आकाश राय ने कोर्ट से अपनी सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई. आकाश राय के मौखिक निवेदन और मामले के अभिलेख को देखने के बाद कोर्ट ने सिमडेगा-उपकारा अधीक्षक को निर्देश दिया कि किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें.

आपको बता दें कि आकाश राय को सिमडेगा से मधुपुर जेल में शिफ्ट करने का इससे पहले भी आदेश दिया जा चुका है. मगर वह कई कारणों का हवाला देकर सिमडेगा जेल में ही रह गया था.

संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दिए गए बयान पर भड़के इरफ़ान अंसारी

धनबाद : निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा में संथाल परगना को लेकर उठाए गए सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का बड़ा बयान सामने आया है.

धनबाद पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सांसद निशिकांत दुबे खुद झारखंडी नहीं हैं. उन्हें यहां की भावनाओं का जरा भी अंदाजा नहीं है. वे लोगों की भावनाओं का जरा भी सम्मान नहीं करते. वे बेवजह संथालों को बदनाम करते हैं.

इरफान अंसारी ने कहा कि सदन के पटल पर हम संथाल परगना के लोगों को बांग्लादेशी कहा गया. हमें बांग्लादेशी कहना पूरी तरह से अशोभनीय है. हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. सांसद को भगवान सद्बुद्धि दे.

आप लोग(भाजपा वाले) हमें बांग्लादेशी और घुसपैठिया कहकर यहां से चले गए. अब सिर्फ सांसद ही बचे हैं. इन्हें भी बांग्लादेशी का शुमार चढ़ गया है.

मंत्री ने कहा कि हमारी मांग है कि संथाल परगना हमारा अलग राज्य बने. जिस तरह झारखंड अलग राज्य बना, उसी तरह संथाल परगना भी अलग राज्य बने. ताकि हम दुमका पर ध्यान दे सकें. दुमका इसकी राजधानी बने, यही मेरी मांग है.

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि दुमका में हमारा विधानसभा बने. ताकि एक सत्र रांची में और एक सत्र दुमका में हो. मुख्य उद्देश्य दुमका का विकास है. यह दिशोम गुरु शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन और फुरकान अंसारी का सपना है. मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि सांसद ने बिना सोचे समझे बोल दिया. इससे हमारी भावनाएं आहत हुई हैं. हमें बांग्लादेशी कहा जा रहा है. अलग देश हो सकता है क्या संथाल परगना?

निशिकांत दुबे ने की थी अलग राज्य गठन की मांग

दरअसल, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग की थी. निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा था कि संथाल परगना में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए अलग राज्य का गठन जरूरी है. उन्होंने कहा था कि घुसपैठियों के कारण आगामी परिसीमन में आदिवासियों की सीटें कम हो सकती हैं.

इसलिए परिसीमन से पहले घुसपैठियों को अलग किया जाए. उन्होंने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है.

सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि 1951 से 2011 के बीच देश में मुस्लिम आबादी 4 फीसदी बढ़ी, जबकि संथाल परगना में यह आंकड़ा 15 फीसदी रहा. यह बांग्लादेशी घुसपैठ का नतीजा है. 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 45 फीसदी थी, जो 2011 में घटकर 28 फीसदी रह गई. इस दौरान मुस्लिम आबादी 9 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी हो गई. उन्होंने यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार किया जाना चाहिए.

इस सवाल के जवाब में कांग्रेस कोटे से झारखंड सरकार में मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि संथाल परगना में इतने घुसपैठिए घुस आए हैं कि हम सांसद निशिकांत दुबे से कहेंगे कि संथाल परगना को बर्बाद करा दीजिए, मरवा दीजिए, सभी को खत्म करा दीजिए. तभी उन्हें शांति और सुकून मिलेगा. उन्होंने कहा कि सांसद को ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए. सांसद की बातों से संथाल परगना के लोग बहुत नाराज हैं.

झारखंड-बिहार में लू का कहर मार्च से हीं शुरू,2 दिन में झारखंड के उच्चतम तापमान में धीरे-धीरे 2 से 3 डिग्री सेंटीग्रेड की हुई वृद्धि

झारखंड-बिहार में यूं तो लू का कहर अप्रैल मई में देखने को मिलता है, लेकिन इस बार मार्च से ही गरमी ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग ने अभी से ही प्रदेश के कई हिस्सों में लू की चेतावनी जारी कर दी है।

इस मौसम विभाग ने दावा किया है कि पारा 45 डिग्री के पार जा सकता है। मौसम विभाग ने कहा है कि 2 दिन में झारखंड के उच्चतम तापमान में धीरे-धीरे 2 से 3 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि हो सकती है. इसके बाद 3 दिन तक इसमें किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं है.

मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि होली और उसके अगले पांच दिनों तक प्रदेश का मौसम गर्म रहने वाला है। देश के पश्चिम क्षेत्र से आ रही गर्म हवा से मार्च में ही झारखंड में हीट वेव चलेगी। राज्य के विशेष कर 6 जिलों के मौसम में बड़ा बदलाव नजर आएगा।

मौसम विभाग ने इसे लेकर यलो अलर्ट भी जारी किया है। अलर्ट में बताया गया है कि 15 और 16 मार्च को कोल्हान के साथ-साथ पलामू और गढ़वा सहित इसके निकटवर्ती इलाके में लू चलने की संभावना है।

14 मार्च को कोल्हान के इलाके में अधिकतम तापमान में बेतहाशा वृद्धि होगी। मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया है कि इस इलाके का तापमान 40 डिग्री तक जा सकता है।

इन इलाके का तापमान तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाने की संभावना है।मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अभिषेक आनंद के अनुसार इन 6 जिलों के अतिरिक्त राज्य के सभी जिलों में अधिकतम तापमान में 3 से 5 डिग्री की वृद्धि होगी। मौसम विभाग ने कोल्हान सहित पलामू, गढ़वा के इलाके में यलो अलर्ट जारी किया है। साथ ही लोगों के गर्मी से बचने के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।

मौसम विभाग की चेतावनी- 14 से 17 मार्च तक चलेगी उष्ण लहर=

मौसम विभाग ने झारखंड के लिए जो चेतावनी जारी की है, उसमें कहा है कि 14 मार्च 2025 से 17 मार्च 2025 तक प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी हिस्से में कहीं-कहीं लू चलने की संभावना है. दक्षिण-पूर्वी भागों में पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां, तो उत्तर-पश्चिमी हिस्से के गढ़वा और पलामू में उष्ण लहर चलने की संभावना है.