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सर्पदंश से मौत पर खेला गया मुआवजे का खेल, भाजपा विधायक ने अधिकारियों पर लगाया मिलीभगत का आरोप, मंत्री ने की जांच की घोषणा…

रायपुर- सर्पदंश से होने वाली मौतों पर मुआवजे के नाम पर अधिकारियों ने करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया. सदन में भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला द्वारा लगाए गए आरोप पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जांच की घोषणा की. 

विधायक सुशांत शुक्ला ने विभाग की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर कहा कि सर्पलोक कहे जाने वाले जशपुर में 96 लोगों की सर्पदंश से मौत हुई, जबकि बिलासपुर में 431 लोगों की मौत हो जाती है, जो संभव नहीं. मुआवजे में करोड़ों की गड़बड़ी हुई है, फर्जीवाड़ा किया गया है.

विधानसभा अध्यक्ष ने आसंदी से कहा कि सांप फर्जी था कि आदमी फर्जी था. मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि पहली बार ये जानकारी में आया है. ऐसा है तो विधायक जानकारी दें, इसकी जांच कराई जाएगी.

सुशांत शुक्ला ने कहा कि पहले जांच हुई है क्या? जबकि पहले भी शिकायत हुई है. राजस्व और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला हुआ है. इसकी सचिव स्तर के अधिकारी से जांच करायेंगे क्या?

मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि मुझे शिकायत नहीं मिली है. शिकायत मिलने पर जांच और कार्रवाई दोनों होगी. इसके साथ मंत्री टंकराम वर्मा की सदन में घोषणा कि बिलासपुर में सर्पदंश से 431 मौत की जांच कराई जाएगी.

आईएएस अधिकारियों का तबादला, अभिजीत सिंह बने दुर्ग कलेक्टर, अबिनाश मिश्रा को धमतरी की कमान

रायपुर-  छत्तीसगढ़ सरकार ने आज बड़े प्रशासनिक फेरबदल के तहत कई आईएएस अधिकारियों के तबादले किए हैं। राज्य शासन ने विशेष सचिव अभिजीत सिंह को दुर्ग का नया कलेक्टर नियुक्त किया है, वहीं रायपुर नगर निगम के आयुक्त अबिनाश मिश्रा को धमतरी कलेक्टर बनाया गया है।

देखें आदेश-

सहकारी शक्कर कारखाना में ठेकेदारों और अधिकारियों की मनमानी, अनियमित भर्ती, वेतन गड़बड़ी और श्रमिक शोषण का आरोप

रायपुर- छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के एक सहकारी शक्कर कारखाना में ठेकेदारों और अधिकारीयों की मिलीभगत से नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. यहां टेंडर प्रावधानों को दरकिनार कर मनमर्जी से पदोन्नति और वेतन बढ़ोतरी का खेल जारी है. वहीं ठेका कंपनी केस्टेक और ओम एंटरप्राइजेस पर ठेंगा दिखाककर शोषण करने का आरोप है. 

दरअसल, पण्डरिया वि.ख. के ग्राम विशेषरा स्थित लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना में कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमों के खिलाफ ऊंचे पदों पर प्रमोशन दिया जा रहा है. ठेका श्रमिकों को टेंडर रेट के अनुसार भुगतान करने के बजाए एक तरफ कुछ को मनमाने तरीके से मोटी रकम दी जा रही है. वहीं कुछ को कम वेतन पर रखा जा रहा है. केस्टेक कंपनी और ओम एंटरप्राइजेस पर श्रमिकों का शोषण करने और ठेका शर्तों की अवहेलना करने के आरोप लगे हैं. 

विनीत सिंह ठाकुर – 11,400 रूपये वेतन पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में भर्ती, फिर नियमों को तोड़ते हुए दो साल में 40,000 रूपये सैलरी पर कंप्यूटर प्रोग्रामर बना दिया गया.

सतानंद साहू – 10,000 रूपये वेतन पर भर्ती, फिर बिना किसी प्रक्रिया के 25,000 रूपये तक प्रमोशन दिया गया. 

मोहन द्विवेदी – 11,000 रूपये पर भर्ती, फिर लेखापाल के पद पर प्रमोशन देकर 20,000 रूपये सैलरी.

संजय कुमार राठौर – 10,000 रूपये पर भर्ती, फिर 14,000, 15,000 और 18,000 रूपये तक सैलरी बढ़ाई गई. 

अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर ठेकेदार मनमानी संभव नहीं : शिकायतकर्ता

शिकायतकर्ता संजय कुमार राठौर ने कहा कि अधिकारियों की मिली भगत के बगैर ठेकेदार की मनमानी का कार्य संभव नहीं है. इसमें अधिकारी और ठेकेदार दोनों की मिलीभगत है. ठेका नियमानुसार कर्मचारियों को भुगतान नहीं हो रहा है. चेहरा देखकर पदों का आवंटन हो रहा है. जिन लोगों के पास जिस पद के लिए योग्यता नहीं है, डिग्री नहीं हैं, अनुभव नहीं है. वहां बैठकर निर्धारित दर से कम राशि देकर काम लिया जा रहा है. कांग्रेस सरकार में इसकी शिकायत मैंने मुख्यमंत्री के जनदर्शन में किया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. विभागीय मंत्री का पास भी शिकायत लेकर पहुंचे थे. फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया, जो भी वहां जाते हैं उनको मैनेज कर लिया जाता है. कार्रवाई नहीं होती है, इसलिए अब मैं BJP सरकार से उम्मीद है कि इस भ्रष्टाचार करप्शन को रोके और जिम्मेदारों पर कार्रवाई करे. जब मैं इन मुद्दों पर सवाल किया तो मुझे नौकरी से बाहर निकाल दिया गया है. 

शिकायत में बताया गया कि 2500 टी सी डी का प्लांट में स्टापिंग पैटर्न 2020 के अनुसार स्थाई पद 210 और सीजनल पद 153 कुल 372 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 314 पद रिक्त है. श्रम कानूनों की अनदेखी हुई है. स्थानीय कर्मचारियों का टेंडर के माध्यम से शोषण किया गया. मेसर्स ओम इंटरप्रजेस द्वारा कर्मचारियों के वेतन में 25-50% कटौती हुई. तकनीकी कर्मचारियों के टेंडर निकालकर भारी कमीशन की गड़बड़ी की गई. अपात्र कर्मचारियों को प्रमोशन और ज्यादा वेतन दिया गया, वहीं योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी की गई. गन्ना पेराई सीजन 2023-24 में ऑन लाइन टेण्डर में 150 कर्मचारियों के लिए निकाला गया था, जिसमें मेसर्स ओम इंटरप्रजेस द्वारा सिर्फ 114 कर्मचारियों की आपूर्ति किया गया. कुछ कर्मचारियों को मनमाने ढंग से 10,000 रुपए से बढ़ाकर 40,000 रुपए वेतन दिया गया. बिना योग्यता वाले कर्मचारी चीफ इंजीनियर जैसे अहम पदों पर तैनात है. शुगर हाउस में चोरी का आरोप गरीब कर्मचारियों पर, जबकि रसूखदार बचाए गए. कारखाने में अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा. कर्मचारियों की मांग है कि उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार चल रहा है। अब बीजेपी सरकार से न्याय की उम्मीद जताई गई है.

मेरे आने से पहले का मामला : सहकारी शक्कर कारखाना के MD

उत्तर कुमार कौशिक MD सरदार लौह पुरुष वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारख़ाना पंडरिया ने कहा ये मामला मेरे आने से पहले का है, वर्ष 2023-24 है. अगर ऐसा कुछ मामला है, तो जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही अपने उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दी जाएगी.

वन विभाग की नई पहल : अब हाई-टेक मुनारों से होगी जंगलों की पहचान, QR कोड स्कैन कर मिलेगी पूरी जानकारी

खैरागढ़- अब जंगलों की सीमाएं सिर्फ पहचान के लिए नहीं होंगी, बल्कि वहां खड़े मुनारे ही उस क्षेत्र की पूरी जानकारी देंगे. वन विभाग ने जंगलों की पहचान और संरक्षण को अधिक सुलभ और आधुनिक बनाने के लिए हाई-टेक मुनारे बनाने की अनूठी पहल शुरू की है. परंपरागत पत्थरों के ढेर से बने मुनारों की जगह अब मजबूत और टिकाऊ मुनारे बनाए जाएंगे, जिन पर QR कोड लगाया जाएगा. यह QR कोड स्मार्टफोन से स्कैन करने पर उस वन क्षेत्र की पूरी जानकारी तुरंत उपलब्ध कराएगा.

पहले मुनारों पर सिर्फ सीमित जानकारी लिखी जा सकती थी, लेकिन अब QR कोड जोड़ने से वन क्षेत्र का पूरा ब्योरा दो पन्नों में डिजिटल रूप से उपलब्ध होगा. स्कैन करने पर वन क्षेत्र का नाम, सीमाएं, क्षेत्रफल, वन्यजीवों और वनस्पतियों की जानकारी, तथा अन्य महत्वपूर्ण तथ्य मोबाइल स्क्रीन पर दिखेंगे. इससे न केवल वन विभाग को अपनी कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि आम नागरिक भी जंगलों के बारे में अधिक जागरूक हो सकेंगे.

मजबूत संरचना और लंबी उम्र

इन नए मुनारों को पहले से ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनाया गया है. इनके निर्माण में 6mm और 8mm के TMT सरिए और विशेष मिश्रण (1:3:6 रेशियो) का उपयोग किया गया है. इससे ये मुनारे 40 से 50 साल तक सुरक्षित रह सकते हैं और यदि सही देखभाल की जाए, तो इनकी उम्र 100 साल तक भी हो सकती है. पहले के मुनारे महज 3-4 साल में खराब हो जाते थे, जिससे बार-बार नए मुनारे लगाने की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब यह समस्या खत्म हो जाएगी. वन विभाग के डीएफओ आलोक तिवारी के अनुसार, यह डिजिटल मुनारा प्रणाली जंगलों की सुरक्षा और अवैध कटाई पर नजर रखने में भी मददगार होगी. डिजिटल जानकारी उपलब्ध होने से वन क्षेत्र की पहचान करना आसान होगा, जिससे अवैध अतिक्रमण, जंगल की कटाई और वन्यजीवों के लिए खतरे पर नजर रखना आसान हो जाएगा.

इस पहल से पर्यटकों, शोधकर्ताओं और स्थानीय लोगों को भी जंगलों की सटीक जानकारी आसानी से मिल सकेगी. इससे आम लोगों की जंगलों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण को नया बल मिलेगा. वन विभाग की इस हाई-टेक पहल से जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण को नई दिशा मिलेगी, जिससे वन क्षेत्र की सीमाएं स्पष्ट होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.

भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी: नेता प्रतिपक्ष ने प्रश्न पूछे जाने के आधे घंटे पहले मिले जवाब पर जताई आपत्ति

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा में सातवें दिन प्रश्नकाल में पहला प्रश्न भारतमाला परियोजना में प्रभावितों को मुआवजा में गड़बड़ी से जुड़ा हुआ था. प्रश्नकर्ता नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने अध्यक्ष के निर्देश के बावजूद प्रश्न का उत्तर आधे घंटे पहले मिलने पर आपत्ति जताई. मुद्दे पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने नेता प्रतिपक्ष का साथ दिया. 

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने व्यवस्था पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि मुझे प्रश्न का उत्तर अभी आधे घंटे पहले मिला, इसे इतनी देर में पढ़ा भी नहीं जा सकता, जबकि पिछले हफ्ते का प्रश्न था, जिसे आज के लिए लेना तय किया गया है. पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी इसे व्यवस्था का प्रश्न बताते हुए नेता प्रतिपक्ष का साथ दिया.

मामले में आसंदी से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है. संसदीय कार्य मंत्री को निर्देशित करता हूँ कि सभी अधिकारियों को निर्देशित करें कि सर्वोच्च प्राथमिकता पर रख कर उत्तर मुहैया कराया जाए. इसके साथ ही इसे अगले हफ़्ते के पहले प्रश्न के तौर पर लिया जाएगा.

सामने आ रही निर्भय साहू की कारगुजारियां

बता दें कि रायपुर-विशाखापटनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भारतमाला परियोजना भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में गड़बड़ी पर निलंबित हुए तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान में जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय साहू (राप्रसे) की कारगुजारियां धीरे-धीरे सामने आ रही हैं. निर्भय साहू ने नियमों में खामियों का जिस तरीके से इस्तेमाल किया है, वह अपने आप में नायाब है.

निर्भय साहू की कारगुजारियों से वाकिफ जानकार बताते हैं कि निर्भय साहू अभनपुर में कमोबेश तीन साल 15 अक्टूबर 2020 से लेकर 1 जून 2023 तक एसडीएम रहे. इसी दौरान भारतमाला प्रोजेक्ट में घोटाला हुआ. केंद्र से मिले मुआवजे का ऐसा बंदरबांट हुआ कि एक तरफ पूरा राजस्व अमला तो दूसरी तरफ जमीन के मालिक पूरे लाल हो गए.

निर्भय साहू की कारगुजारियों से वाकिफ जानकार बताते हैं कि निर्भय साहू अभनपुर में कमोबेश तीन साल 15 अक्टूबर 2020 से लेकर 1 जून 2023 तक एसडीएम रहे. इसी दौरान भारतमाला प्रोजेक्ट में घोटाला हुआ. केंद्र से मिले मुआवजे का ऐसा बंदरबांट हुआ कि एक तरफ पूरा राजस्व अमला तो दूसरी तरफ जमीन के मालिक पूरे लाल हो गए.

बताया जाता है कि अभनपुर में 9.38 किलोमीटर के एरिया में 50.28 हेक्टेयर प्रायवेट लैंड अधिग्रहित किया, उसके लिए 248 करोड़ का मुआवजा बांट दिया. इसमें अभी भी 78 करोड़ का क्लेम बचा है. वहीं धमतरी जिले के कुरूद में 51.97 किलोमीटर की सड़क के लिए 207.57 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई, उसके एवज में मात्र 108.75 करोड़ का मुआवजा बंटा. यह अंतर समझने के लिए पर्याप्त है कि निर्भय साहू किस स्तर के खिलाड़ी बताया जाता है कि सिक्स लेन एक्सप्रेस वे के लिए जिस जमीन का अधिग्रहण किया जाना था, उसके लिए एसडीएम कार्यालय से 3ए का प्रकाशन भी हो गया था. कायदे से 3ए के प्रकाशन के बाद उस इलाके में जमीनों की रजिस्ट्री, खसरा और बटांकन का काम नहीं हो सकता. लेकिन इसके बाद भी 32 प्लाटों को 247 छोटे प्लॉटों में बांटकर करोड़ों रुपए का मुआवजा ले लिया. केवल निजी ही नहीं 51 हेक्टेयर सरकारी घास जमीन को निजी कर मुआवजे का बंदरबाट कर लिया।


दिल्ली से दबाव के बाद खुला मामला

बताया जाता है कि कमोबेश 300 करोड़ रुपए के इस घोटाले का खुलासा दिल्ली से दबाव पड़ने के बाद हुआ. मुआवजे के तौर पर 248 करोड़ रुपए देने के बाद 78 करोड़ के और क्लेम सामने आने पर नेशनल हाईवे अथारिटी के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा था. लेकिन जांच सालों तक अटकी रही. दिल्ली से पड़े दबाव के बाद कलेक्टर ने जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसमें यह बात स्पष्ट हुई कि मूल मुआवजा 35 करोड़ के आसपास बनता था, जिसे 213 करोड़ रुपए ज्यादा कर बांट दिया गया.या.

थे.

जिला पंचायत में BJP का कब्जा: पहली बार निर्वाचित जनपद सदस्य गौरी शंकर बने अध्यक्ष

गरियाबंद-  जिला पंचायत सदस्य के कुल 11 सीटों में से 8 सदस्यों के साथ पहली बार पूर्ण बहुमत बनाने वाली भाजपा का गरियाबंद जिला पंचायत पर भी अब पूरी कंट्रोल होगी. भाजपा समर्थित गौरी शंकर कश्यप निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए, वहीं लालिमा ठाकुर उपाध्यक्ष चुनी गईं हैं. अध्यक्ष का पद एसी केटेगिरी के लिए आरक्षित था. इस वर्ग से चुनाव जीत कर जिला पंचायत सदस्य बनने वाले दोनों सदस्य भाजपा के ही थे. बावजूद उसके नाम फाइनल करने में संगठन में जम कर माथा पच्ची हुई.

बिंद्रा नवागढ़ को मिला युवा नेतृत्व

बिंद्रा नवागढ़ विधान सभा क्षेत्र में चुने गए बड़े जनप्रतिनिधि नहीं थे.जो है उनकी बात सरकार कम सुन रही है, ऐसे में क्षेत्रीय समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने बिन्द्रानवागढ़ विधान सभा क्षेत्र को सत्तासीन संगठन की ओर से एक मजबूत कंधा मिल गया है.

संघ की विलुप्त मोर्चा बंदी से मिली सफलता

32 साल का युवा गौरी शंकर संघ से जुड़ा हुआ है, विहिप के कई दायित्व का निर्वहन कर रहा था. देवभोग के गोहकेला ग्राम में जन्मे गौरी के पिता कृषक व भाई व्यापारी है. ममेरा गांव मैनपुर ब्लॉक का सरगीगुड़ा है, बचपन इसी गांव में बीता था. लिहाजा सरगीगुड़ा सीट में आसानी से जीत दर्ज कर लिया. मध्यम वर्गीय परिवार के इस होनहार युवक ने अपने कार्य क्षमता का परिचय दिया था, लिहाजा संघ व विहिप ने गौरी को अधिकृत प्रत्याशी बनाने से लेकर अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाने अहम भूमिका निभाया है. भाजपा का बहुमत का आंकड़ा इन्हीं दोनों नाम पर शुरू से सहमत थे,लेकिन जिम्मेदार नए नाम थोप रहे थे. नाम तय होने से पहले सदस्यों से सांसद रूपकुमारी चौधरी और राजिम विधायक रोहित साहू ने वन टू वन किया. इस चर्चा के बाद सदस्यों के सुझाए नाम पर संगठन की सहमति बन पाई.

गौरी शंकर कश्यप

पद की गरिमा के अनुरूप कुर्सी के साथ न्याय करूंगा. सरकार की जन कल्याण कारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में जिला पंचायत की भूमिका हमेशा से अग्रणी रहे. इसी भाव विचार को लेकर अनुभवी सदस्यों के मार्गदर्शन में विकास के लिए काम करेंगे.

शासकीय भूमि के आवंटन का मामला सदन में गूंजा : भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा- 56 करोड़ की जमीन 9 करोड़ में कैसे दे दी? मंत्री बोले-

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के सातवें दिन की कार्यवाही जारी है. सदन में प्रश्नकाल के दौरान अमलीडीह की शासकीय भूमि के आबंटन का मामला गरमा गया. भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से सवाल किया कि इस भूमि का आबंटन निरस्त करने का कारण क्या था. राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि नियमों में बदलाव के कारण यह आबंटन रद्द कर दिया गया था.

प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा कि जमीन आबंटन निरस्त होने का कारण क्या है?

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में नियम में बदलाव की वजह से आबंटन निरस्त कर दिया गया था.

धरमलाल कौशिक ने पूछा कि जब भूमि का आबंटन निरस्त किया गया तब बाजार की दर क्या थी? चराई की भूमि का आबंटन नहीं किया जा सकता है. 56 करोड़ रुपए पटाया जाना था लेकिन सिर्फ 9 करोड़ रुपए की राशि जमा की गई थी. अधिकारियों ने जो इस तरह से काम किया था उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?

इस पर जवाब देते हुए राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि भूमि का आबंटन की प्रक्रिया चल रही थी. राशि नहीं पटाई गई थी. शासन ने आबंटन निरस्त कर दिया था.

विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा कि भूमि रिकॉर्ड में किसके नाम पर है?

राजस्व मंत्री ने बताया कि आबंटन कलेक्टर के द्वारा किया जाता है, जब राशि पटाई जाती है. राशि जमा करने के पूर्व ही आबंटन रद्द कर दिया गया था. रिकॉर्ड में भूमि शासन के नाम पर ही दर्ज है. कलेक्टर द्वारा डिमांड लेटर दिया ही नहीं गया था.

विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा कि भूमि रिकॉर्ड में किसके नाम पर है?

राजस्व मंत्री ने बताया कि आबंटन कलेक्टर के द्वारा किया जाता है, जब राशि पटाई जाती है. राशि जमा करने के पूर्व ही आबंटन रद्द कर दिया गया था. रिकॉर्ड में भूमि शासन के नाम पर ही दर्ज है. कलेक्टर द्वारा डिमांड लेटर दिया ही नहीं गया था.

भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा कि आबंटन की प्रक्रिया गलत थी. इस पर क्या कार्रवाई की जाएगी? सरकार की जमीन की अफरा तफरी करेंगे? 56 करोड़ की जमीन को 9 करोड़ रुपए में कर देंगे?

इस पर जवाब देते हुए राजस्व मंत्री ने कहा कि आबंटन किया ही नहीं गया.

भाजपा विधायक कौशिक ने पूछा कि सरकारी जमीन में बंदरबांट की गई है. यह सिर्फ एक प्रकरण नहीं है. मंत्री सदन में असत्य कथन कर रहे हैं.

जिसपर भाजपा विधायक मोतीलाल साहू ने कहा कि मेरी ही शिकायत पर रामा बिल्डकॉन को आबंटित जमीन निरस्त की गई थी, लेकिन सदन में दिये गए जवाब में रिकॉर्ड में जमीन बिल्डकॉन के नाम पर ही दर्ज दिख रहा है.

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि निरस्त कर दिया गया है.

रायपुर में पेट्रोल पंप मालिक से लूट, बदमाशों ने पहले कार को मारी टक्कर, फिर मारपीट कर नगदी लूटकर हुए फरार

रायपुर- राजधानी रायपुर में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. लगातार अलग-अलग थाना क्षेत्रों में मारपीट और लूट की वारदातें सामने आ रही हैं. ताजा मामला माना थाना क्षेत्र का है, जहां पेट्रोल पंप के मालिक को बदमाशों ने लूट लिया. वारदात को अंजाम देने के लिए दो बदमाशों ने पहले व्यापारी की कार को टक्कर मारी और फिर मारपीट कर 76 हजार रुपए छीनकर फरार हो गए. मामले की शिकायत के बाद पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है.

मिली जानकारी के अनुसार, पेट्रोल पंप व्यापारी हरीश अग्रवाल ने माना थाने में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने बताया कि वह एस फ्यूल से अपने घर समता कॉलोनी लौट रहे थे. रास्ते में कमल विहार चौक के पास जैसे ही उनकी कार एक ब्रेकर के पास पहुंची, तो दो बाइक सवार बदमाशों ने पीछे से उनकी गाड़ी को टक्कर मार दी. इसके बाद हरीश अग्रवाल गाड़ी से उतरकर देखने लगे और बदमाशों से गाड़ी सही तरीके से चलाने की बात कही, तभी दोनों बाइक सवारों ने हरीश अग्रवाल के साथ मारपीट शुरू कर दी और उन्हें जमीन पर गिरा दिया. इसके बाद उनके जेब में रखे 76 हजार रुपये लूटकर फरार हो गए. इस हमले में हरीश अग्रवाल को हल्की चोटें आई हैं.

घटना के बाद व्यापारी ने माना थाना पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की तलाश में जुट गई है.

राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट हुए IAS अफसरों को बैच हुआ अलॉट, देखें सूची …

रायपुर- राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में पदोन्नत हुए अधिकारियों को उनके बैच का आवंटन कर दिया गया है. केंद्र सरकार के आदेशानुसार 2021 से 2023 की चयन सूची में शामिल अधिकारियों की वरिष्ठता और बैच निर्धारण किया गया है. इस संबंध में जारी किये गए आदेश के अनुसार कुल 10 अधिकारी हीना अनिमेष नेताम, अश्विनी देवांगन, डॉ. रेणुका श्रीवास्तव, आशुतोष पांडे, अजय कुमार अग्रवाल, रीता यादव, लोकेश कुमार, प्रकाश कुमार, गजेन्द्र सिंह ठाकुर और तनुजा सलाम का नाम शामिल है.

जारी आदेश के अनुसार-

- 2021 चयन सूची में हीना अनिमेष नेताम को 2016 बैच और अश्विनी देवांगन को 2018 बैच मिला.

- 2022 चयन सूची में डॉ. रेणुका श्रीवास्तव और आशुतोष पांडे को 2019 बैच में स्थान दिया गया.

- 2023 चयन सूची में अजय कुमार अग्रवाल, रीता यादव, लोकेश कुमार, प्रकाश कुमार, गजेन्द्र सिंह ठाकुर और तनुजा सलाम को 2019 बैच में शामिल किया गया.

इस बैच आवंटन के लिए IAS (वरिष्ठता विनियमन) नियम, 1987 के तहत वेटेज फॉर्मूला लागू किया गया है, जिससे अधिकारियों को उनके तत्काल वरिष्ठों के अनुसार उचित स्थान दिया गया है.

सिकलसेल संस्थान में नहीं सिकलसेल मरीजों के इलाज की सुविधा!, भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ध्यानाकर्षण में उठाया मामला…

रायपुर-  सिकलसेल संस्थान में सिकलसेल के मरीजों की इलाज की सुविधा नहीं होने का मामला सदन में उठा. ध्यानाकर्षण के ज़रिए भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने मामला उठाया. 

अजय चंद्राकर ने कहा कि- पीड़ित मरीज अपनी मौत का इंतज़ार कर रहे हैं. प्रदेश में सिकलसेल बीमारी से 25 लाख लोग पीड़ित है. सिर्फ एक ही चिकित्सा संस्थान रायपुर में है लेकिन पर्याप्त विशेषज्ञ नहीं है. कोई रिसर्च नहीं किया जाता. संचालन के लिए स्वयं का भवन तक नहीं है. मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

स्वाथ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि- राज्य में एकमात्र सिकलसेल संस्थान है. राज्य के सरकारी चिकित्सालय में सिकलसेल प्रबंधन सेल शुरू किया गया है. सिकलसेल को लेकर वैज्ञानिकों ने 19 शोध पत्र प्रकाशित किया है. चिकित्सकों की नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. सिकलसेल सेंटर ऑफ़ एक्सिलेंस में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था शुरू की जा रही है.

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- जब मैं स्वास्थ्यमंत्री था तक सिकलसेल संस्थान शुरू किया गया था. भूपेश सरकार तो सिर्फ भवन के लिए नारियल फोड़कर चुप बैठ गई. मंत्री बताए कि संस्थान में कितने डॉक्टर और विशेषज्ञ हैं?

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा- प्रदेश में सिकलसेल के लिए बड़ा काम किया गया है. 23 जून 2023 को भूपेश सरकार ने आनन फ़ानन में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के लिए भूमिपूजन कर लिया था. हमारी सरकार आने के बाद से अब तक 11 बैठके हम कर चुके हैं. 180 का सेटअप है. 28 कार्यरत हैं. इनमें से 4 विशेषज्ञ डॉक्टर हैं. हमारा प्रयास होगा कि जल्द से जल्द डॉक्टरों की भर्ती की जाए. जब तक भर्ती नहीं होती तब तक डॉक्टरों को अटैच कर कार्यवाही की जाएगी.

अजय चंद्राकर ने पूछा- संस्थान में कितनी मशीन उपलब्ध है, और कितने मानव संसाधन है?

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि-आवश्यकतानुसार चार उन्नत मशीनें उपलब्ध हैं. जांच के लिए मानव संसाधन उपलब्ध है. प्रतिदिन 60 मरीजों की जांच की जा रही है. नौ तकनीशियन मशीनों को ऑपरेट करने के लिए हैं.

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा- सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने के लिए कितने दिनों में बोनमैरो ट्रांसप्लांट, शोध आदि की अनुमति मिल जाएगी? संस्थान के ठीक बाजू के बंगले में मंत्री रहते थे. उस बंगले की जमीन को भी संस्थान के लिए दिया जाना था. क्या किसी तरह की आर्थिक अनियमितता की शिकायत पाई गई है?

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा- करीब दो एकड़ जमीन थी. किसी भी तरह की आर्थिक अनियमिता की जानकारी नहीं है. यह दुर्भाग्य है कि किसी भी स्वास्थ्य मंत्री ने सिकलसेल संस्थान को मजबूत करने के लिए काम नहीं किया है. यह मेरी प्राथमिकता में है. अजय चंद्राकर जिस आर्थिक अनियमितता की जानकारी दे रहे हैं, उसका परीक्षण किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर जांच कराई जाएगी.