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अमेरिका से 119 प्रवासी भारतीयों को लेकर आ रहा एक और विमान, क्या फिर बेड़ियों-हथकड़ियों में होगी वापसी?

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अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का सिलसिला जारी है। डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के तहत एक और अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर-III 16 फरवरी को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। इसमें करीब 119 भारतीय नागरिक होंगे, जो अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे।यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यहां से निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का दूसरा जत्था होगा। इससे पहले महीने की शुरुआत में 104 अवैध अप्रवासियों का एक बैच अमृतसर पहुंचा था। दूसरे जत्थे के निर्वासित लोगों में पंजाब से 67, हरियाणा से 33, गुजरात से आठ, उत्तर प्रदेश से तीन, राजस्थान-महाराष्ट्र से दो-दो और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।

पीएम मोदी ने कहा-अवैध अप्रवासी को भारत स्वीकार करेगा

पीएम मोदी की दो दिवसीय यूएस यात्रा कल यानी शुक्रवार को ही संपन्न हुई है। एक ओर जहां पीएम मोदी अमेरिका से वापस भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासी भारतीयों की दूसरी खेप को डिपोर्ट करने की तैयारी में लगा था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूएस दौरे के दौरान ट्रंप के सामने साफ किया कि अमेरिका में रहने वाले अवैध अप्रवासी नागरिकों को भारत स्वीकार करेगा। यह केवल भारत का मुद्दा नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है। जो लोग अवैध तरीके से दूसरे देशों में रह रहे हैं, उन्हें वहां रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। हम अवैध अप्रवासी भारतीयों को वापस लेने के लिए तैयार हैं।

क्या दिखेगा पीएम मोदी के दौरे का असर?

डिपोर्टेशन पर संसद में मचे हल्ले के बाद भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से इस मामले में बात की है। पीएम मोदी के यूएस दौरे पर भी इस मुद्दे को उठाया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है? उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी की ट्रंप से मुलाकात का असर इस डिपोर्टेशन पर दिख सकता है। यानी अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां नहीं लगनी चाहिए।

10 दिन पहले आया था पहला जत्था

अमेरिका से ऐसे अवैध प्रवासी भारतीयों का पहला जत्था 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचा था। तब 104 लोगों को अमेरिकी सैन्य विमान में हथकड़ी और बेड़ियों से जकड़कर लाया गया था। इस पर सड़कों से लेकर संसद तक हंगामा भी मचा था। भारतीयों के प्रति इस तरह के अमानवीय व्यवहार की निंदा हुई थी। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की कूटनीति तक पर सवाल खड़े किए थे। विपक्षी दलों का कहना था कि अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन पहले भी होता आया है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इन्हें सैन्य विमान में अमानवीय परिस्थितियों में भेजा जाए। विपक्षी नेताओं की मांग थी कि मोदी सरकार को इस मामले में अमेरिका से बात करनी चाहिए।

फ्रांस-अमेरिका की यात्रा के बाद देश लौटे पीएम मोदी, दिल्ली में सरकार गठन की सुगबुगाहट हुई तेज

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस और अमेरिका की अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद शुक्रवार को दिल्ली लौट आए। उनकी फ्लाइट शुक्रवार देर रात पालम हवाई अड्डे पर लैंड हुई। अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने फ्रांस में एआई शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की और अमेरिका में उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। पीएम के स्वदेश लौटते ही दिल्ली में सरकार गठन की सुगबुगाहट तेज हो गई है।

द‍िल्‍ली का सीएम कौन होगा? इस पर फैसला आज या कल हो सकता है। शुक्रवार को बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने द‍िल्‍ली के संगठन नेताओं की बैठक ली, जिसमें सरकार का खाका तय क‍िया गया। इस बैठक में बी एल संतोष, वीरेंद्र सचदेवा, हर्ष मल्होत्रा, पवन राणा मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में 48 विधायकों में से 15 विधायकों की एक लिस्ट तैयार कर ली गई है और इसी लिस्ट से 9 विधायकों का चुनाव किया जाएगा जो दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री होंगी। प्रधानमंत्री मोदी के अमेर‍िका से लौट के बाद आज इस पर बैठक होगी और पीएम मोदी इस पर आख‍िरी फैसला ले सकते हैं।

पीएम के साथ गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी। आज या कल पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग होने वाली है और इसमें मंथन के बाद दिल्ली के नए सीएम का नाम सामने आ जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, 17 या 18 फरवरी को विधायक दल की मीटिंग हो सकती है और 19 या 20 फरवरी को शपथ ग्रहण संभव है। यानी दिल्ली को नई सरकार अगले हफ्ते मिलने की संभावना है।

भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि पीएम मोदी के आते ही भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। राजौरी गार्डन से विधायक सिरसा खुद भी मंत्री-मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि नई सरकार 19-20 फरवरी के आसपास काम करना शुरू कर देगी। सिरसा ने कहा, उम्मीद है कि भाजपा विधायक दल की बैठक 18-19 फरवरी के आसपास होगी। मुझे लगता है कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद 20 फरवरी तक नई सरकार का गठन हो जाएगा।

गृह मंत्रालय ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस चलाने की राष्ट्रपति से मांगी अनुमति, जानें पूरा मामला

#homeministryseekspermissionfrompresidenttoprosecutesatyendar_jain 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगी है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुबातिक, सूत्रों से खबर मिली है कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत मंजूरी मांगी गई है। इसके साथ ही आप नेता सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ गई है।

क्यों मांगी गई इजाजत

आप नेता सत्येंद्र जैन पर ट्रायल चलाने के लिए राष्ट्रपति से इजाजत इसीलिए मांगी गई है क्योंकि धारा 218, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत, न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों, पब्लिक सर्वेंट और सशस्त्र बलों के सदस्यों को आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए किए गए अपराधों के अभियोजन के लिए सुरक्षा देते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे बिना उचित जांच-पड़ताल और सरकारी मंजूरी के न चलाए जाएं। हालांकि, कुछ मामलों में समय सीमा और अपवाद दिए गए हैं ताकि न्याय में देरी न हो।

सत्येंद्र जैन पर क्या मामला था दर्ज*

आप नेता सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अगस्त 2017 के उस केस से जुड़ा है, जिसमें सीबीआई ने आप नेता पर आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद दिसंबर 2018 में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि आप नेता की संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के बीच जैन की इनकम सोर्सेंज से लगभग 217 फीसदी ज्यादा थी।

सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशायल (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया था। दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट ने 18 अक्तूबर, 2024 को उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि केस का ट्रायल जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं है। तब से वो जमानत पर रिहा हैं। जैन के तिहाड़ जेल में रहते मसाज करने का वीडियो वायरल हुआ था।

आज हुए लोकसभा चुनाव तो किसकी बनेगी सरकार, जानें किसको मिलेंगी कितनी सीटें?

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हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं। दिल्ली में 27 साल के बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने के बाद बीजेपी अब तक 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। जिसमें हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली शामिल है। इस बीच इंडिया टुडे और सी-वीटर ने लोकसभा की 543 सीटों पर सर्वे किया है। सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। अगर आज लोकसभा चुनाव होते तो एनडीए एक बार फिर 300 पार कर जाएगा।

इंडिया टुडे-सी वोटर ने एक ओपिनियन पोल किया है। नाम दिया है मूड ऑफ द नेशन। इस सर्वे के जरिए उसने देश की जनता के मूड को जानने की कोशिश की है। इस सर्वे के मुताबिक, मोदी सरकार पर अब भी जनता को भरोसा है। सर्वे के नतीजे भाजपा के पक्ष में आए हैं।

सर्वे के मुताबिक आज लोकसभा चुनाव होते हैं तो बीजेपी को 281 सीटें मिल सकती हैं। यानी भगवा पार्टी अपने दम पर सरकार बना सकती है।वहीं कांग्रेस को 78 सीटें मिल सकती हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं, जो अब घटती दिख रही हैं। अन्य के खाते में 184 सीटें आ सकती हैं। वहीं, पूरे एनडीए की बात करें तो एनडीए 343 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन कर सकती है। पोल बताता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन अगर आज चुनाव होते हैं तो 188 सीटों पर सिमट जाएगा।2024 के लोकसभा चुनावों में इस गठबंधन ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 232 सीटें जीती थीं।

नरेंद्र मोदी को पीएम के तौर पर पहली पसंद

सर्वे में कुल 1 लाख 25 हजार 123 लोगों की राय ली गई है। सर्वे में लोगों से प्रधानमंत्री की पसंद को लेकर सवाल पूछा गया, तो 51.2 प्रतिशत लोग नरेंद्र मोदी को पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं। वहीं 24.9 प्रतिशत लोग राहुल गांधी को पीएम के तौर पसंद करते हैं। ममता बनर्जी को 4.8 प्रतिशत, अमित शाह को 2.1 प्रतिशत और अरविंद केजरीवाल को 1.2 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।

बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट

वहीं बात करें वोट शेयर की तो एनडीए को 46.9 प्रतिशत वोट मिल सकता है। जबकि इंडिया ब्लॉक को 40.6 प्रतिशत और अन्य को 12.5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। बीजेपी को व्यक्तिगत तौर पर 41 प्रतिशत वोट मिल सकता है जबकि कांग्रेस को 20 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है। हालांकि, इंडिया गठबंधन के वोट शेयर में सिर्फ 1% की बढ़ोतरी का अनुमान है।

मोदी के अमेरिकी दौरे के बीच तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन पहुंचे पाकिस्तान, अलापा कश्मीर राग


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एक तरफ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे, तो दूसरी तरफ तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन पाकिस्तान दौरे पर पहुंचे। पाकिस्तान पहुंचे एर्दोगन ने एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा। एर्दोगन का कहना है कि तुर्किए कश्मीर के मसले को सुलझाने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन करते हैं। उन्होंगे कहा कि कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए।

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने गुरुवार को इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बैठक की। दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर बातचीत की। इस दौरान राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कश्मीर मुद्दे को भी सुलझाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए, जिसमें कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं पर उचित विचार किया जाना चाहिए।

एर्दोगन ने कहा, हमारा राष्ट्र, अतीत की तरह आज भी हमारे कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। अपने बयान में राष्ट्रपति एर्दोआन ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बढ़ावा देने में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने कहा, हमारी काउंसिल के सातवें सेशन में, जिसे हमने अभी-अभी समाप्त किया है, हम अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए हैं। 

बता दे कि भारत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश का अभिन्न अंग थे, हैं और ‘हमेशा रहेंगे’। भारत की ओर से 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है।

शशि थरूर ने की पीएम मोदी के यूएस दौरे की तारीफ, जानें क्या कहा ?


#shashi_tharoor_happy_with_pm_modi_us_visit 

प्रधानमंत्री का दो दिवसीय अमेरिका दौरा खत्म हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी दौरा भारत के लिए काफी खास रहा है। इस दौरे में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात की। पीएम मोद के इस दौरे पर ट्रंप के साथ कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इसके अलावा कई बड़े अमेरिकी शीर्ष अधिकारियों से भी पीएम मोदी ने मुलाकात की।कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे की सराहना की है। शशि थरूर ने कहा कि पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे की काफी चर्चा हो रही है। इसके नतीजे भी बहुत अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच हुई बातचीत का मैं स्वागत करता हूं।

शशि थरूर ने पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मिले इनविटेशन को एक बड़ी घटना बताया था। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अगर मैं गलत नहीं हूं तो यह काफी जरूरी बात है कि हमारे प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने का समय पाने वाले पहले विश्व नेताओं में से हैं। यह देश के लिए एक अच्छा संकेत है। अभी ट्रंप प्रशासन को सरकार संभाले हुए एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है और पीएम मोदी वाशिंगटन पहुंचने वाले चौथे प्रमुख नेता हैं।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनास्ड ट्रंप द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस से जो कुछ भी हमने देखा है, वह बहुत उत्साहजनक है। हम सभी की कुछ बड़ी चिंताओं का समाधान किया गया है। थरूर ने कहा, पीएम मोदी और ट्रंप ने व्यापार और शुल्क के सवाल पर उन्होंने एक साथ बैठकर गंभीर बातचीत करने का फैसला किया है, जो सितंबर-अक्टूबर तक समाप्त हो जाएगी। अवैध प्रवासी भारतियों के इमिग्रेशन के मुद्दे पर केवल एक चीज की कमी थी कि उन्हें वापस कैसे भेजा गया? अन्यथा उनका रुख बिल्कुल सही था। ये गुमराह युवा हैं, जिन्हें अवैध रूप से प्रवास करने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित किया गया है।

चीन के साथ सीमा विवाद पर डोनाल्ड ट्रंप की 'मदद' वाली टिप्पणी पर भारत ने दी प्रतिक्रिया


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को बीजिंग के साथ अमेरिका के भविष्य के संबंधों के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया, उन्होंने चीन को "दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी" कहा। उन्होंने भारत-चीन सीमा मुद्दों में मध्यस्थता करने की भी पेशकश की। भविष्य के संबंधों के बारे में आशा व्यक्त करते हुए, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता है कि चीन के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध होंगे। कोविड तक मैं राष्ट्रपति शी के साथ बहुत अच्छे से रहा, मुझे लगता है कि चीन दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।" भारत-चीन सीमा मुद्दे पर ट्रंप। 

व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं भारत को देखता हूं, मैं सीमा पर झड़पों को देखता हूं, जो काफी क्रूर हैं, और मुझे लगता है कि वे जारी हैं। अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मैं मदद करना पसंद करूंगा, क्योंकि इसे रोका जाना चाहिए," ट्रंप ने कहा।

चीन पर ट्रंप के प्रस्ताव पर भारत की प्रतिक्रिया

इस बीच, भारत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव को अप्रत्यक्ष रूप से अस्वीकार कर दिया है, इस मामले को संभालने में द्विपक्षीय दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। मोदी की दो दिवसीय अमेरिका यात्रा के बाद एक समाचार ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "हमारे किसी भी पड़ोसी के साथ जो भी मुद्दे हैं, हमने इन मुद्दों से निपटने के लिए हमेशा द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है।"

रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में चीन की भूमिका पर डोनाल्ड ट्रंप

चीन पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए ट्रंप ने कहा कि देश रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। "मैं भोला नहीं बनना चाहता, लेकिन नेताओं के रूप में, मुझे लगता है कि हम बहुत करीब थे और मुझे लगता है कि चीन दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी है। मुझे लगता है कि वे यूक्रेन और रूस के साथ इस युद्ध को खत्म करने में हमारी मदद कर सकते हैं," उन्होंने कहा। ट्रम्प ने प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच कूटनीतिक सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। "यह लंबे समय से चल रहा है। मुझे उम्मीद है कि चीन और भारत और रूस और अमेरिका और हम सभी साथ मिल सकते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है," ट्रम्प ने कहा।

मोदी के साथ एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में, ट्रम्प ने घोषणा की कि वह और मोदी एक ऐसे सौदे पर सहमत हुए हैं जो भारत को वाशिंगटन के व्यापार घाटे को कम करने के लिए अधिक अमेरिकी तेल और गैस आयात करने की सुविधा प्रदान करेगा। प्रेस को दिए गए अपने भाषण में, ट्रम्प ने भारत द्वारा कुछ अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क को "बहुत अनुचित" और "कठोर" कहा।

यूक्रेन के चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट पर रूस का हमला, ड्रोन अटैक का वीडियो आया सामने


#russia_ukraine_war_chernobyl_reactor_shield_hit_by_drone 

रूस और यूक्रेन के बीच जंग रुकने का नाम नहीं ले रही है, पिछले कई महीने से ये जंग चल रही है और इसमें अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म कराने की वैश्विक स्तर पर कोशिशें जारी है। इसी बीच अब यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट पर हमला कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह हमला चेर्नोबिल प्लांट के पूर्व चौथे पावर यूनिट के शेल्टर पर हुआ, जिससे वहां आग लग गई। हालांकि, यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया कि आग पर काबू पा लिया गया है और अब तक रेडिएशन स्तर में कोई इजाफा दर्ज नहीं किया गया है।

जेलेंस्की ने कहा कि रूसी ड्रोन ने प्लांट के रेडिएशन शेल्टर को निशाना बनाया। यह शेल्टर पहले से ही नष्ट हो चुके रिएक्टर को ढंकने के लिए बनाया गया था। जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने एक पोस्ट में कहा, एक उच्च विस्फोटक वारहेड के साथ एक रूसी हमलावर ड्रोन ने नष्ट हो चुके चौथे पावर यूनिट पर रेडिएशन से दुनिया की रक्षा करने वाले शेल्टर पर हमला किया। 

जेलेंस्की ने बताया कि यूनिट को कवर करने वाला कंक्रीट शेल्टर क्षतिग्रस्त हो गया है, आग भी बुझा दी गई है।उन्होंने आगे कहा कि हमले के बाद रेडिएशन का लेवल नहीं बढ़ा है और लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि चेरनोबिल का यह सुरक्षात्मक आवरण यूक्रेन ने यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों के साथ मिलकर बनाया था, जो सच्ची वैश्विक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उनके अनुसार, रूस एकमात्र ऐसा देश है जो इस प्रकार के स्थलों पर हमला करने, परमाणु संयंत्रों पर कब्जा करने और युद्ध को अंजाम देने में संकोच नहीं करता, जिससे यह पूरी दुनिया के लिए एक आतंकवादी खतरा बन गया है।

इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने भी इस हमले की पुष्टि की। आईएईए ने कहा कि फायर सेफ्टी टीम कुछ ही मिनटों में घटनास्थल पर पहुंच गई थी। एजेंसी ने यह भी बताया कि हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है और संयंत्र के अंदर और बाहर रेडिएशन का स्तर सामान्य बना हुआ है। आईएईए के निदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने चेतावनी देते हुए कहा कि ‘ऐसे हमलों के बीच किसी तरह की लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है।’ उन्होंने यह भी कहा कि एजेंसी ‘हाई अलर्ट’ पर बनी हुई है।

बता दें कि चेर्नोबिल को दुनिया की सबसे बड़ी नागरिक परमाणु आपदा के लिए जाना जाता है। 1986 में इसके चार रिएक्टरों में से एक में विस्फोट हुआ था। इस दुर्घटना के बाद रेडियोएक्टिव रेडिएशन यूरोप के बड़े हिस्से में फैल गया था, जिससे लाखों लोगों की जान को खतरा हुआ था। उस रिएक्टर को अब तक प्रोटेक्टिव शेल्टर से घेर दिया गया है, ताकि विकिरण को रोका जा सके।

मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा का होगा भारत प्रत्यर्पण, ट्रंप की मंजूरी के बाद अब तक होगी वापसी


#donald_trump_approves_extradition_mumbai_terror_attack_tahawwur_rana 

मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को अमेरिका भारत को सौंपने जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि तहव्वुर राणा को भारत में न्याय का सामना करना होगा। ट्रंप ने ये ऐलान व्हाइट हाउस में पीएम मोदी के साथ एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के अमेरिका के दौरे पर थे। पीएम मोदी के वॉशिंगटन पहुंचने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी गर्मजोशी से मुलाकात हुई। मुलाकात के दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच कई अहम विषयों पर समझौते हुए। इस दौरान ट्रंप ने ऐलान किया कि मुंबई हमले के गुनहगार तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण किया जाएगा।

पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद साझा प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे प्रशासन ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। उसे भारत जाकर न्याय का सामना करना होगा।

ट्रंप के ऐलान के बाद आतंकी तहव्वुर राणा के अब बुरे दिन शुरू हो गए हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि उन्हें कुछ हफ्तों में भारत लाया जा सकता है। इसके लिए एजेंसियां तैयारी में जुट गई हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, कानूनी दस्तावेज और वारंट जारी कर अमेरिकी अधिकारियों के साथ साझा किए गए हैं।

सूत्रों ने कहा, अब जब एक राजनीतिक निर्णय लिया गया है, तो दोनों पक्ष तारीख और समय तय करेंगे। विदेश मंत्रालय अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ तारीख तय करने के लिए संपर्क में है। विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही एआईए अधिकारियों की एक टीम अमेरिका जाने की संभावना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 26/11 मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी देना दोनों के बीच सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। तहव्वुर राणा पर 2008 के मुंबई हमले में साजिश रचने का आरोप है। उस पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने का भी आरोप हैं।

आरबीआई ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर लगाया बैन, डिपॉजिटर्स के पैसे निकालने पर भी लगी रोक

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को बैन कर दिया है।बैंक के ग्राहक अपना पैसा भी नहीं निकाल सकते। यही नहीं, केंद्रीय बैंक ने इस बैंक पर नए लोन देने, पैसा जमा करने, एफडी आदि पर भी रोक लगा दी है। रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंक की स्थिति सुधरने तक ये प्रतिबंध लागू रहेंगे। बैंक के इस एक्शन के बाद बैंक के सभी शाखाओं पर लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। लोग परेशान हैं। उनकी मेहनत की कमाई बैंक में अटक गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में भारी अनियमितताओं के चलते बैंक के कामकाज पर कई तरह के बैंकिंग कारोबार से जुड़े बैन लगा दिए हैं। बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई बेस्ड न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के कामकाज पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक अब ना तो कोई लोन दे सकेगा और ना कोई डिपॉजिट ले सकेगा। 

गुरुवार 13 फरवरी 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में भारी अनियमितताओं के चलते बैंक के कामकाज पर कई तरह के बैंकिंग कारोबार से जुड़े बैन लगा दिए। आरबीआई ने घोषणा की है कि 13 फरवरी 2025 से न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक कोई भी नया लोन नहीं देगा। पुराने लोन को भी रिन्यू नहीं करेगा। नए निवेश या नई जमा राशि भी स्वीकार नहीं करेगा। किसी भी तरह का पेमेंट भी नहीं कर पाएगा। यहां तक कि अपनी कोई भी संपत्ति भी नहीं बेच पाएगा। यह पाबंदी 13 फरवरी 2025 से शुरू होकर अगले छह महीने तक लागू रहेगी।

आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंक के डिपॉजिटर्स की मुसीबत बढ़ गई है। बैंक के खाताधारक अपने खाते से पैसे नहीं निकाल सकेंगे। 6 महीनों की रोक के बीच बैंक के हालात को सुधारने की कोशिश की जाएगी। छह महीने के बाद आरबीआई बैन के फैसले को रिव्यू करेगा।

मार्च 2024 के आखिर तक इस बैंक में कुल 2436 करोड़ रुपये जमा थे। जिन लोगों का पैसा इस बैंक में जमा है, उन्हें डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम के तहत 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलेगा। मतलब, अगर बैंक डूब भी जाता है तो भी आपको 5 लाख रुपये तक वापस मिल जाएंगे।