कयास :पिछले 12 साल से चल रहे फरार सुरेश सिंह हत्याकांड के आरोपी शशि सिंह की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस रेस
धनबाद के कोयला कारोबारी रहे सुरेश सिंह हत्याकांड में एक दशक से अधिक समय से फरार चल रहे शशि सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार फिर एक बार लटक गई है. सूत्र बताते हैं कि धनबाद पुलिस शशि सिंह की गिरफ्तारी के लिए तरीके में बदलाव किया है. शशि सिंह के समर्थक भी पुलिस के निशाने पर है. झरिया गोलीकांड के बाद धनबाद पुलिस एक बार फिर गिरफ्तारी के लिए सक्रिय हो गई है. अभी हाल ही में झरिया में विधायक रागिनी सिंह के कार्यालय के बाहर हुई फायरिंग में लगभग 12 साल से फरार शशि सिंह एक बार फिर चर्चा में आये हैं. सुरेश सिंह हत्याकांड का वह मुख्य आरोपी है. जानकारी के अनुसार एसएसपी ने शशि सिंह की गिरफ्तारी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाया है. इस टास्क फाॅर्स को विशेष जिम्मेवारी दी गई है. शशि सिंह के पिता सह बलिया (यूपी) के पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रामधीर सिंह ,विनोद सिंह हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे है. बात सिर्फ सुरेश सिंह हत्याकांड के आरोपी होने की नहीं है.
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विधायक रागिनी सिंह के कार्यालय के बाहर फायरिंग में भी शशि सिंह का नाम आया है
विधायक रागिनी सिंह के कार्यालय के बाहर फायरिंग में भी शशि सिंह का नाम आया है. विधायक रागिनी सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई है. पुलिस ने जांच-पड़ताल के बाद शशि सिंह और उसके एक साथी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. बताया जा रहा है कि शशि सिंह की जगह-जगह पर तलाश भी शुरू हो गई है. धनबाद से लेकर बलिया तक पुलिस तलाश रही है. पता चला है कि शशि सिंह के करीबियों की पुलिस सूची बना रही है. बता दें कि 7 दिसंबर 2011 को धनबाद में सुरेश सिंह की हत्या कर दी गई थी. यह हत्या तब हुई थी जब सुरेश सिंह धनबाद क्लब में आयोजित एक रिसेप्शन पार्टी में पहुंचे थे. आरोप है कि शशि सिंह ने सुरेश सिंह के नजदीक पहुंचकर कई फायरिंग की. सुरेश सिंह की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी. उसके बाद शशि सिंह क्लब परिसर से बाहर निकला और फरार हो गया. इस घटना के बाद धनबाद में हलचल मच गई थी. इसके पहले भी पुलिस ने शशि सिंह की गिरफ्तारी के प्रयास किये लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. शशि सिंह की गिरफ्तारी नहीं होने से पुलिस की भी किरकिरी होती रही है.
कब और कैसे हुई थी विनोद सिंह की हत्या
विनोद सिंह हत्याकांड के बारे में बताया जाता है कि 15 जुलाई "1998 की उस सुबह को कतरास और धनबाद के लोग कभी भूल नहीं सकते है. विनोद सिंह के भाई दून बहादुर सिंह ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि विनोद सिंह उस दिन कोल् डंप जाने के लिए अपनी नई एंबेसडर कार से निकले थे. कार चालक मन्नू अंसारी चला रहा था. पीछे-पीछे उनकी कार भी चल रही थी. सुबह 8:40 बजे वह लोग भगत सिंह चौक पर जैसे ही पहुंचे, एक सफेद रंग की मारुति कार ने दोनों गाड़ियों को ओवर टेक कर रोक दिया. मारुति से तीन लोग उतरे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. फायरिंग के बाद तीनों मारुति में बैठे और राजगंज की ओर भाग गए. दून बहादुर सिंह ने बताया था कि उन्होंने गोली चलाने वालों को अच्छे से देखा था. उसमें एक रामधीर सिंह और दूसरा राजीव रंजन सिंह थे. विनोद सिंह हत्याकांड में ही रामधीर सिंह को आजीवन कारावास की सजा हुई है.
Feb 14 2025, 14:38