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दूल्हे के नाम के ऊपर राहुल गांधी की तस्वीर, शादी का कार्ड देखते ही मेहमान भी रह गए सन्न

देश के मोस्ट एलिजिबल बैचलर्स में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम भी शामिल है. लोगों को हमेशा से ही यह जिज्ञासा रहती है कि राहुल बाबा शादी कब और किससे करेंगे. इस बीच शादी के एक कार्ड ने खलबली मचा दी है. इसमें दूल्हे के नाम के ठीक ऊपर राहुल गांधी की तस्वीर लगी है. जिस किसी ने भी यह कार्ड देखा वो सन्न रह गया. लेकिन इसके पीछे का कारण कुछ और ही है.

दरअसल, ये कार्ड मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव के परिवार में हो रही शादी का है. शादी के इस कार्ड पर राहुल गांधी का और उनकी मां सोनिया गांधी के फोटो छपे हैं. ग्वालियर के रहने वाले प्रदेश महासचिव योगेश दंडोतिया ने अपनी बहन की शादी का खास कार्ड छपवाया है. कार्ड पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी की फोटो फ्रंट कवर पर छपवाई है. उनके साथ संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की फोटो भी मौजूद है. यह कार्ड सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है.

क्यों छपवाया ऐसा कार्ड?

कार्ड छपवाने वाले युवक कांग्रेस प्रदेश महासचिव योगेश दंडोतिया का कार्ड पर राहुल सोनिया के फोटो छपवाने को लेकर कहना है कि संविधान बनाकर दलितों को समाज मे बराबरी का स्थान डॉ. भीमराव अंबेडकर ने दिलाया. वहीं आज के दौर में संविधान की रक्षा करने के लिए लड़ाई राहुल गांधी कर रहे हैं. इसलिए जिस तरह बाबा साहब दलितों के लिये भगवान है, उसी तरह अब राहुल गांधी भी बाबा साहब की तरह उनके भगवान तुल्य है. इसलिए उनके फोटो को बाबा साहब के साथ छपवाया है. राहुल गांधी जैसे बेटे को जन्म सोनिया गांधी ने दिया, इसलिए उनके फोटो को भी कार्ड पर बराबरी का स्थान दिया है.

BJP ने ली चुटकी

शादी के कार्ड राहुल गांधी का फोटो छपने पर बीजेपी चुटकी लेकर तंज कस रही है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रामेश्वर भदौरिया का कहना है कि योगेश दंडोतिया ने राहुल औऱ सोनिया गांधी को सम्मान दिया, ऐसे में बीजेपी उनकी भावनाओं का आदर करती है, तंज कसते हुए साथ मे यह भी कहा कि राहुल गांधी की शादी का कार्ड अभी तक नहीं छपा है लेकिन कम से कम राहुल गांधी का शादी के कार्ड पर फोटो तो छप ही गया. भगवान से प्रार्थना करते हैं कि यह कार्ड राहुल गांधी तक पहुंचे और जल्द राहुल गांधी शादी करें औऱ उनकी शादी का कार्ड छपे, जिससे सभी को खुशी होगी.

राजस्थान में होंगी पुलिस कांस्टेबल के 6500 पदों पर भर्तियां, जानें नोटिफिकेशन पर क्या है अपडेट

राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के 6500 पदों पर भर्तियां की जाएंगी.पुलिस भर्ती बोर्ड को प्रशासन से इसकी मंजूरी मिल गई है. सिपाही भर्ती के लिए जल्द ही राजस्थान पुलिस भर्ती प्रोन्नत बोर्ड की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है. राज्य सरकार ने बजट में 5500 पुलिस कांस्टेबल भर्ती की घोषणा कि थी. पदों की संख्या बढ़ाने के लिए पीएचक्यू ने प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है. आइए जानते हैं कि आवेदन प्रक्रिया कब से शुरू हो सकती है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगले माह से पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकती है. सीईटी रिजल्ट जारी होने के बाद आवेदन प्रक्रिया शुरू होने की संभावना जताई जा रही है. भर्ती प्रोन्नति बोर्ड के एडीजी बिपिन कुमार पांडेय ने सभी जिलों से कांस्टेबल पदों की जानकारी मांगी है.

कितनी होनी चाहिए आवेदन के लिए उम्र?

कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की उम्र 18 वर्ष से 28 वर्ष होनी चाहिए. अधिकतम उम्र सीमा में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को छूट भी दी जा सकती है. भर्ती प्रोन्नति बोर्ड के एडीजी के अनुसार सीईटी रिजल्ट घोषित होने के बाद कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

कैसे करना होगा आवेदन?

आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आधिकारिक वेबसाइट

police.rajasthan.gov.in पर जाएं.

होम पेज पर दिए गए रिक्रूटमेंट सेक्शन में जाएं.

यहां कांस्टेबल भर्ती आवेदन लिंक पर क्लिक करें.

रजिस्ट्रेशन करें और फाॅर्म भरें.

डाक्यूमेंट्स अपलोड करें और फीस जमा कर सबमिट करें.

कैसे होगा चयन?

पुलिस कांस्टेबल पदों पर आवेदकों का चयन लिखित परीक्षा, फिजिकल टेस्ट और डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के जरिए किया जाएगा. लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को फिजिकल टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा.फिजिकल टेस्ट और डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद फाइनल मेरिट लिस्ट तैयारी होगी और उसी के अनुसार चयन किया जाएगा.

दिल्ली में AIMIM का दो सीटों पर कैसा है हाल? जानें अपडेट

दिल्ली में आठवीं विधानसभा के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं. वोटों की गिनती शुरु हो चुकी है. 5 फरवरी को हुए मतदान में 60 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई है. दिल्ली चुनाव में इस बार कांटे की टक्कर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही है. मगर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM पार्टी भी मैदान है. फिलहाल शुरुआती रुझानों में पार्टी दोनों सीटों पर पीछे चल रही है.

असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा है. उन्होंने ओखला विधानसभा सीट और मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से उम्मीदवार उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया. ओखला सीट से शिफा-उर-रहमान और मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन चुनाव मैदान में थे. दोनों दिल्ली दंगों के आरोपी हैं. शिफा-उर-रहमान का मुकाबला आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह खान हैं.

ओखला विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है. यहां 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. बीते दो चुनाव में यहां आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुकाबला रहा है. इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की वजह से चुनाव दिलचस्प हो गया है.

मुस्तफाबाद विधानसभा सीट भी बहुत पुरानी नहीं है और साल 2008 के परिसीमन के बाद ही यह अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर अब तक हुए 4 बार के चुनाव में 2 बार कांग्रेस और एक-एक बार भाजपा व आम आदमी पार्टी को जीत हासिल हुई है. इस बार के चुनाव में भी मुस्तफाबाद की 69 फीसदी जनता ने वोट डाले हैं.

नजफगढ़ विधानसभा सीट के शुरुआती रुझान, बीजेपी की नीलम पहलवान आगे

दिल्ली में विधानसभा चुनाव में 8 फरवरी यानी आज का दिन बेहद अहम है, क्योंकि आज मतों की गिनती हो रही है. दिल्ली की सभी 70 सीटों पर शुरुआती रुझान आने लगे हैं. नजफगढ़ विधानसभा सीट (Najafgarh Assembly Seat) पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. आम आदमी पार्टी ने तरुण यादव (Tarun Yadav), बीजेपी ने नीलम पहलवान (Neelam Pahalwan) और कांग्रेस ने सुषमा यादव (Sushma Yadav) को चुनावी मैदान में खड़ा किया है.

8.30 AM: दिल्ली में एक बार फिर कांटे की टक्कर चल रही है.

8.17 AM: शुरुआती रुझान में बीजेपी की नीलम पहलवान आगे चल रही हैं.

8 AM: वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है.

राजधानी की हाई प्रोफाइल नजफगढ़ सीट पर AAP का कब्जा है, लेकिन पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कैलाश गहलोत 2025 के चुनाव से कुछ महीने भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. ऐसे में यहां के मुकाबले पर सभी की नजर लगी हुई है. जनरल कैटेगरी के तहत आने वाली नजफगढ़ विधानसभा सीट साउथ वेस्ट दिल्ली जिले में स्थित है.

2020 में किसके बीच रहा मुकाबला

साल 2020 के चुनाव में नजफगढ़ सीट पर AAP के टिकट पर कैलाश गहलोत को जीत मिली थी. तब अरविंद केजरीवाल के बेहद खास रहे कैलाश ने बीजेपी के प्रत्याशी अजित सिंह खारखारी को 6,231 वोटों के अंतर से हराया था. कांग्रेस के साहब सिंह तीसरे नंबर पर रहे.

इससे पहले नजफगढ़ सीट पर पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव कराए गए. तब सूरज प्रसाद पालीवाल को जीत मिली थी. वह बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. फिर 1998 में कांग्रेस के कंवल सिंह यादव को जीत मिली. फिर 2003 के चुनाव में एक और निर्दलीय प्रत्याशी रणबीर सिंह खरब के खाते में जीत आई.

निर्दलीय प्रत्याशी को मिली जीत

साल 2008 के चुनाव में एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में जीत आई. इस बार भरत सिंह विधायक चुने गए. बीजेपी को यहां पर चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा. 2013 में नजफगढ़ सीट पर बीजेपी के अजित सिंह खारखारी ने इंडियन नेशलन लोक दल के टिकट पर लड़ने वाले भरत सिंह को शिकस्त दी थी.

फिर 2015 में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश गहलोत ने इंडियन नेशलन लोक दल के भरत सिंह को 1,555 मतों से हराया. 2020 के चुनाव में कैलाश गहलोत ने फिर से यहां से जीत हासिल की.

चलती ट्रेन में गर्भवती महिला से रेप की कोशिश, विरोध करने पर ट्रेन से बाहर फेंका

तमिलनाडु के काटपाड़ी के पास चलती ट्रेन में एक महिला का रेप करने की कोशिश की गई. वहीं महिला ने जब इसका विरोध किया तो आरपियों ने उसे ट्रेन से फेंकने के लिए धक्का दिया. जानकारी की मुताबिक, पीड़ित महिला चार महीने की गर्भवती है. वहीं पुलिस ने इस मामले में एक 31 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि जिस व्यक्ति को पीड़िता के साथ रेप करने और ट्रेन से धक्का देने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. 2022 में उसके खिलाफ गुंडा अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था.

काटपाडी के पास चलती ट्रेन में चार महीने की गर्भवती एक महिला के यौन उत्पीड़न का प्रयास करने और उसे बोगी से धक्का देने के आरोप में 31 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बताया कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर की रहने वाली 36 वर्षीय पीड़िता बृहस्पतिवार रात महिला डिब्बे में अकेले यात्रा कर रही थी. इस दौरान एक हिस्ट्रीशीटर जोलारपेट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ा और महिला से यौन उत्पीड़न का प्रयास किया.

चलती ट्रेन में महिला से रेप की कोशिश

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि महिला विरोध करते हुए खुद को बंद करने के लिए शौचालय की ओर भागी, लेकिन आरोपी ने पीछा कर उसे ट्रेन से धक्का दे दिया, जिसकी वजह से पीड़िता के हाथ और पैर में फ्रैक्चर हो गया. घटनास्थल से गुजर रहे लोगों ने उसे ट्रेन से गिरते देखा और वेल्लोर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर केवी कुप्पम निवासी हेमराज गिरफ्तार किया गया है. वहीं आरोपी को हाल ही में चेन्नई में एक महिला की हत्या के मामले में जमानत पर रिहा किया गया था.

पुलिस ने किया गिरफ्तार

पुलिस अधिकारी ने कहा कि महिला के साथ बदसलूकी करने में मामले में जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है 2022 में उसके खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. पीड़िता कई साल से तमिलनाडु के तिरुपुर में दर्जी का काम करने वाले अपने पति और बेटे के साथ रह रही है. वह चित्तूर में अपनी मां के घर जाने के लिए बृहस्पतिवार रात अकेले कोयंबटूर-तिरुपति इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार हुई थी.

वो पोस्ट आपने की थी या नहीं? अरविंद केजरीवाल के 15 करोड़ वाले आरोप पर ACB के 5 सवाल

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने उनकी पार्टी के नेताओं को कॉल की और पार्टी में आने के लिए 15-15 करोड़ रुपये देने की पेशकश की. साथ ही मंत्री पद देने की भी बात कही है. इस आरोप पर एलजी ने जांच के आदेश दिए और एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम जांच और पूछताछ के लिए पहुंची. अरविंद केजरीवाल को भेजे नोटिस में एसीबी ने उनसे पांच सवाल किए हैं.

एसीबी ने नोटिस में कहा, दिल्ली सरकार की एसीबी आम आदमी पार्टी के विधायकों को रिश्वत देने के आरोपों की जांच कर रही है. आपसे अनुरोध है कि 7 फरवरी को किसी भी समय पर इन पांच सवालों पर जानकारी देने के लिए मौजूद रहें.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की गई पोस्ट (जो अरविंद केजरीवाल ने किया था) आपके द्वारा की गई है या नहीं? ये सवाल पूछने के साथ ही एसीबी ने पोस्ट का यूआरएल भी दिया है.

आम आदमी पार्टी के विधायक पद के उन 16 उम्मीदवारों का जानकारी दें, जिन्हें रिश्वत की पेशकश के संबंध में फोन कॉल आई.

रिश्वत की पेशकश के संबंध में उन विधायकों से संपर्क करने वाले फोन नंबरों/व्यक्तियों की जानकारी दें.

आप और आपकी पार्टी के सदस्यों द्वारा विभिन्न मीडिया/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाए गए रिश्वत की पेशकश के दावे/आरोपों के समर्थन में साक्ष्य दें.

बताएं कि मीडिया/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी जानकारी फैलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए, जो दिल्ली के लोगों में दहशत और अशांति की स्थिति पैदा करने के समान है.

बिना किसी नोटिस के केजरीवाल के आवास पर आए थे

इससे पहले जब एसीबी की टीम अरविंद केजरीवाल के घर जांच और पूछताछ करने पहुंची तो पार्टी के वकील ने कहा, एसीबी के अधिकारी डेढ़ घंटे पहले बिना किसी नोटिस के अरविंद केजरीवाल के आवास पर आए थे. उनके पास न तो नोटिस था और न ही स्टांंप.जब हमने उनसे कहा कि वो हमसे कानूनी तौर पर पूछताछ कर सकते हैं और हम उनके साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं तो उन्होंने हमें नोटिस देने में डेढ़ घंटे लगा दिए.

इन्होंने जांच एजेंसियों को मजाक बना दिया है

वकील ने आगे कहा, उन्होंने हमें जो नोटिस दिया है, उसमें शिकायतकर्ता के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उसमें केवल अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए पोस्ट का जिक्र है. किसी के घर में जांच या तलाशी के लिए घुसने से पहले लिखित आदेश होना चाहिए. हम डेढ़ घंटे से पूछ रहे हैं कि नोटिस कहां है लेकिन एसीबी के पास कोई जवाब नहीं. एसीबी अधिकारियों को उनके आका ने केजरीवाल के घर पहुंचने के लिए कहा और ये बिना किसी आधिकारिक दस्तावेज के यहां पहुंच गए. इन्होंने जांच एजेंसियों को मजाक बना दिया है

दिल्ली चुनाव खत्म होते ही क्या मिटने लगी इंडिया गठबंधन में दूरी

लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ आए थे, जिसका नाम इंडिया गठबंधन दिया था. गठबंधन ने 2024 के चुनाव में बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए थे. इसका नतीजा रहा है कि बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर हो गई थी और पीएम मोदी को तीसरी बार सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की टेंशन बढ़ा देने वाला इंडिया गठबंधन दिल्ली चुनाव में बिखरा हुआ नजर आया. कांग्रेस पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई थी लेकिन फिर से इंडिया गठबंधन के सुर बदलने लगे हैं.

दिल्ली चुनाव में टीएमसी से लेकर सपा, आरजेडी, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) तक ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी और सभी अरविंद केजरीवाल को जिताने की मशक्कत भी करते नजर आए. वहीं, दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के आक्रामक तरीके से उतरने और प्रचार करने ने इंडिया गठबंधन को लेकर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे. इसके बाद सवाल उठने लगे थे कि क्या इंडिया गठबंधन खत्म हो गया?

अखिलेश यादव का केजरीवाल के साथ दिल्ली चुनाव में प्रचार करना और समर्थन देने के बाद कहा जाने लगा कि क्या कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई, मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंकने का ऐलान करने वाला इंडिया गठबंधन पूरी तरह बिखर गया है. लेकिन दिल्ली चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही फिर से सुर बदलने लगे हैं और अब कांग्रेस से किनारा करने वाले इंडिया गठबंधन के घटक दल फिर से एकजुट नजर आ रहे हैं. पिछले दो दिनों में तीन ऐसे मामले हुए हैं, जब इंडिया गठबंधन एक साथ खड़ा नजर आया है.

संसद में फिर इंडिया गठबंधन एकजुट

दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग बुधवार को हुई है. दिल्ली चुनाव में जो इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस से दूरी बनाए हुए थे, वो वोटिंग के दूसरे दिन ही एक साथ खड़े नजर आए. अमेरिका द्वारा प्रवासी भारतीयों के वापस लौटाने के तौर-तरीके को लेकर इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. संसद में विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ खड़े नजर आए. यही नहीं इंडिया गठबंधन के नेता भी एकजुट खड़े थे, जिसमें कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी भी शामिल थी.

यूजीसी ड्राफ्ट के मुद्दे पर एक साथ आए

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के ड्राफ्ट नियमों को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन एकजुट होकर सड़क पर उतर गया है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर डीएमके द्वारा यूजीसी नियमों के मसौदे के खिलाफ धरना प्रदर्शन आयोजित की थी, जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और डीएमके के सभी सांसद शामिल थे. राहुल-अखिलेश ने डीएमके की स्टूडेंट इकाई को आश्वासन दिया है कि वो मजबूती से उनकी लड़ाई को लड़ेंगे. दोनों ही नेताओं ने बीजेपी और संघ पर जमकर हमले किए. यूजीसी ड्राफ्ट के बहाने राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ आने से इंडिया गठबंधन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है.

राहुल-सुप्रिया-संजय राउत एक साथ आए

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ शुक्रवार को प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान एनसीपी (एसपी) की सांसद अध्यक्ष सुप्रिया सूले और शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत एक साथ नजर आए. दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के डिप्टी स्पीकर हॉल में तीनों ही नेताओं ने एक साथ प्रेस कॉफ्रेंस करके चुनाव आयोग को निशाने पर लिया. राहुल ने कहा कि हम इस टेबल पर महाराष्ट्र में पिछला चुनाव लड़ने वाले पूरे विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने विवरण का अध्ययन किया है- मतदाताओं और मतदान सूची का. हमारी टीमें काम कर रही हैं. हमें कई अनियमितताएं मिली हैं.

उन्होंने कहा कि हमें महाराष्ट्र के मतदाताओं के नाम और पते वाली मतदाता सूची चाहिए. हमें लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची चाहिए. हमें विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची चाहिए. हम यह समझना चाहते हैं कि ये नए नाम कौन-कौन से हैं. बहुत सारे मतदाता हैं, जिनके नाम हटा दिए गए हैं. एक बूथ के मतदाता दूसरे बूथ पर स्थानांतरित कर दिए गए हैं. इनमें से ज्यादातर मतदाता दलित समुदायों, आदिवासी समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों से आते हैं. हमने चुनाव आयोग से बार-बार अनुरोध किया है. उन्होंने हमें कोई जवाब नहीं दिया है.

राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा 2019 और लोकसभा 2024 के बीच पांच साल में 32 लाख नए मतदाता जोड़े गए. लोकसभा 2024 और विधानसभा 2024 के बीच 5 महीने में 39 लाख नए मतदाता जोड़े गए. सवाल ये है कि 5 महीने के अंदर पिछले 5 साल से ज्यादा मतदाता कैसे जोड़े गए? यह हिमाचल प्रदेश के कुल मतदाताओं के बराबर हैं, दूसरा मुद्दा यह है कि महाराष्ट्र में राज्य की पूरी मतदाता आबादी से ज्यादा मतदाता क्यों हैं? किसी तरह से अचानक ही महाराष्ट्र में मतदाता बनाए गए हैं. राहुल गांधी अपने साथ सुप्रिया सूले और संजय राउत एक साथ आकर साफ संदेश दिया है कि इंडिया गठबंधन एकजुट है.

इंडिया गठबंधन में खत्म हो रही दूरियां

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए तमाम विपक्षी दल अपने-अपने मतभेद भुलाकर एक साथ आए थे. इस तरह ‘इंडिया गठबंधन’ की बुनियाद पड़ी थी. बीजेपी को बहुमत के आंकड़े से दूर कर दिया था. कांग्रेस की सीटें बढ़कर दोगुनी हो गई थीं. लोकसभा चुनाव के खत्म होने के साथ ही इंडिया गठबंधन में दरार पड़ने लगी, हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं रह सका. सपा को सीटें नहीं मिलीं. इसके बाद महाराष्ट्र में भी सपा को कांग्रेस ने पूरी तरह से दरकिनार कर दिया था. इसके जवाब में सपा ने भी यूपी उपचुनाव में कांग्रेस को इग्नोर कर दिया.

इंडिया गठबंधन की नाव कांग्रेस के हरियाणा और महाराष्ट्र में हारने के बाद ही हिचकोले लेने लगी थी लेकिन दिल्ली चुनाव ने तो उसे डुबा ही दिया है. कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ इंडिया ब्लॉक के सभी दल केजरीवाल के झाड़ू के पीछे खड़े हो गए. ममता की टीएमसी हो या अखिलेश यादव की सपा, उद्धव की शिवसेना हो या इंडिया के बाकी दल.

टीएमसी और सपा ने AAP के लिए प्रचार भी किया

ममता बनर्जी ने सबसे पहले सवाल खड़े किए. इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की जिम्मेदारी कांग्रेस के बजाय किसी और दल के नेता को देने की बात उठाई. सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, शरद पवार जैसे नेता ममता बनर्जी के पक्ष में खड़े नजर आए. इसके बाद रही कसी कसर दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूरी हो गई, जब इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों ने कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी के पक्ष में अपना समर्थन दिया. इतना ही नहीं टीएमसी और सपा के नेताओं ने आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी किया.

इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने एक-एक कर कांग्रेस के नेतृत्व और उसके मुद्दों पर सवाल उठाए. ये तय है कि ये गठबंधन फिलहाल बस नाम का ही बचा है. कहा जाता है कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, इसलिए राजनीति के बनते-बिगड़ते रिश्तों का ये सीरियल चलता रहेगा. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह अलग-थलग पड़ी नजर आई. इंडिया गठबंधन के घटक दल केजरीवाल के साथ खड़े थे तो कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार कर सियासी मोर्चा खोल रखा था. ऐसे में कहा जाने लगा कि इंडिया गठबंधन खत्म हो गया है, लेकिन दिल्ली चुनाव की वोटिंग होने के साथ ही फिर से कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ने लगी हैं.

22 देशों की नदियों के जल से होगा महाकाल का अभिषेक, उज्जैन में पंचतत्वों पर होगा मंथन

धार्मिक नगरी उज्जैन में 14 फरवरी से 16 फरवरी तक एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है. इस तीन दिवसीय यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव में 22 देशों के योग गुरु, आध्यात्मिक विचारक, शिक्षाविद, और प्रमुख लीडर्स भाग लेंगे. यह आयोजन वैश्विक शांति और एकता के संदेश को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य एकजुट होकर पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के माध्यम से समग्र चेतना और पृथ्वी की एकता को बढ़ावा देना है.

बाबा महाकाल का होगा अभिषेक

इस दौरान सभी भागीदार 22 देशों की नदियों का जल लाकर बाबा महाकाल का अभिषेक करेंगे, जिससे जल के महत्व और उसके संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी. इसके साथ ही वे 100 ग्राम मिट्टी लेकर एक विशेष मॉडल तैयार करेंगे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया जाएगा. यह मॉडल धरती की एकता और समग्र चेतना का प्रतीक होगा.

कैलाश खेर का संगीत संध्या

14 फरवरी को शाम 7 बजे, पद्मश्री कैलाश खेर की प्रस्तुति होगी. यह विशेष संगीत संध्या ‘एकात्म चेतना अनहद नाद’ के नाम से कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन में आयोजित होगी. कैलाश खेर की यह संगीतमय प्रस्तुति सभी को एकजुट होने और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होने का संदेश देगी.

कॉन्क्लेव के आयोजन का कारण

यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन G20 के सिद्धांत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अनुरूप किया जा रहा है. इसका उद्देश्य शांति, तनाव मुक्ति, और संबंध सुधार पर मंथन करना है. यह आयोजन सभी भागीदारों को एक वैश्विक मंच प्रदान करेगा, जहां वे सामाजिक प्रगति, शारीरिक ऊर्जा, मानसिक शांति, और आध्यात्मिकता पर चर्चा करेंगे.

कॉन्क्लेव में विशेष सत्रों का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें विद्यार्थियों को आध्यात्मिकता, योग, पर्यावरण, शिक्षा और स्थायी अर्थव्यवस्था पर मार्गदर्शन मिलेगा. इस आयोजन में भाग लेने वाले विद्वान और विचारक यह प्रयास करेंगे कि वैश्विक स्तर पर शांति, समृद्धि और पर्यावरण का संरक्षण हो सके.

आयोजन की आयोजक संस्थाएं

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन, कालिदास संस्कृत अकादमी, और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा किया जा रहा है. यह आयोजन निश्चित रूप से सभी के लिए एक प्रेरणा बनेगा और एकजुटता, शांति, और विकास का संदेश देगा.

6 महीने की बच्ची को लगाया बेहोशी का इंजेक्शन, फिर उठ नहीं सकी मासूम; मौत पर मचा बवाल

कर्नाटक के चामराजनगर के गुंडलपेट में एक 6 महीने की बच्ची की मौत हो गई. उसके माता-पिता ने आरोप लगाया है कि बच्ची की मौत अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि बच्ची को एनेस्थीसिया की ओवरडोज दी गई, जिसके बाद बच्ची होश में ही नहीं आई और उसकी मौत हो गई. परिजनों ने डॉक्टरों को नौकरी से निकाले जाने की मांग की है

दरअसल चामराजनगर के गुंडलपेट में माता-पिता अपनी 6 महीने की बच्ची के कान छिदवाने के लिए एक क्लीनिक पर लेकर गए थे. कान छिदवाने में अक्सर बच्चों को दर्द होता है. इसी दर्द से बचने के लिए बच्ची को पहले एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया. ये एक तरह का बेहोशी का इंजेक्शन होता है. इस इंजेक्शन के लगने से मरीज को कम दर्द होता है. इसे ज्यादातर किसी सर्जरी से पहले मरीज को दिया जाता है.

एनेस्थीसिया की ओवरडोज देने का आरोप

क्लीनिक में जब बच्ची को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया गया. वह बेहोश हो गई. काफी समय बीत जाने के बाद भी वह होश में नहीं आई तो बच्ची को गुंडलपेट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेफर कर दिया गया. फिर तुरंत बच्ची को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बच्ची की जान नहीं बचाई जा सकी. माता-पिता का आरोप है कि बच्ची को एनेस्थीसिया की ओवरडोज दी गई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पता चलेगी वजह

हंगला गांव के रहने वाले आनंद और सुभा का उनकी 6 महीने की बच्ची की मौत के बाद रो-रोकर बुरा हाल हो गया. सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि एनेस्थीसिया की ओवरडोज दिए जाने के बाद बच्ची को दौरे पड़ने लगे. डॉक्टर अलीम पाशा ने कहा कि बच्चे को बचाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. अधिकारियों ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि बच्ची की मौत की असल वजह क्या है. अगर डॉक्टर्स की लापरवाही सामने आती है, तो उन पर एक्शन लिया जाएगा.

महाकुंभ से चले गए नागा साधु, 7 अखाड़ों का ये है अगला ठिकाना… यहां करेंगे तीन काम

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का आज यानि शुक्रवार को 27वां दिन है, अभी इसका आयोजन 19 दिन तक और होना है. 26 फरवरी को महाकुंभ का अंतिम दिन है. नागा साधुओं के तीनों अमृत स्नान भी पूरे हो चुके हैं. जिसके बाद नागा साधु वापसी करने लगे है. गुरुवार को कुछ अखाड़ों के नागा साधुओं ने यहां से प्रस्थान कर लिया है. जबकि, कुछ अखाड़े के नागा 12 फरवरी से प्रस्थान करेंगे. वहीं, कुछ अखाड़ों के साधु बसंत पंचमी के स्नान के बाद ही चले गए थे. 7 अखाड़ों के नागा साधु अब सीधे काशी विश्वनाथ जाएंगे.

बताया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के चलते 7 अखाड़ों के नागा काशी विश्वनाथ जाएंगे. यहां पर वे 26 तारीख यानी महाशिवरात्रि तक अपना डेरा जमाएंगे. इसके बाद वे अपने-अपने अखाड़ों में वापस लौटेंगे. महाशिवरात्रि के मौके पर नागा बनारस में शोभायात्रा निकालेंगे, मसाने की होली खेलेंगे और गंगा स्नान करेंगे. यानि तीन कार्य पूरा करने के बाद नागा वापसी कर लेंगे.

महाकुंभ और नागा साधु

नागा साधु सभी सुख-सुविधाओं को छोड़ हमेशा साधना में लीन रहते हैं. यह जंगलों, पहाड़ों में तपस्या करते पाए जाते हैं. मगर जब कुंभ मेला आता है तो सभी नागा साधु और संत उस ओर निकल पड़ते हैं. वे अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को था. इस दिन मकर संक्रांति थी. वहीं दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या और तीसरा बसंत पंचमी पर था.

तीनों शाही स्नान खत्म होते ही आगे बढ़े

साधु-संतों के लिए अमृत स्नान काफी अहम होता है. ऐसी मान्यता है कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बाराबर का पुण्य मिलता है. महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान में लीन हो जाते हैं. आखिरी अमृत स्नान करने के बाद सभी नागा अपने आखाड़ों की ओर बढ़ने लगते हैं.

अब यहां पर दिखेंगे नागा साधु

नागा साधु महाकुंभ के वक्त एकत्र होंगे. अब यह अगले महाकुंभ यानि वर्ष 2027 में नासिक होने वाले मेले में नजर आएंगे. नासिक में महाकुंभ का आयोजन गोदावरी नदी के किनारे पर होगा. यहां पर हजारों नागा साधु एक साथ एकत्र होंगे.