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दिल्ली चुनाव खत्म होते ही क्या मिटने लगी इंडिया गठबंधन में दूरी

लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ आए थे, जिसका नाम इंडिया गठबंधन दिया था. गठबंधन ने 2024 के चुनाव में बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए थे. इसका नतीजा रहा है कि बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर हो गई थी और पीएम मोदी को तीसरी बार सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की टेंशन बढ़ा देने वाला इंडिया गठबंधन दिल्ली चुनाव में बिखरा हुआ नजर आया. कांग्रेस पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई थी लेकिन फिर से इंडिया गठबंधन के सुर बदलने लगे हैं.

दिल्ली चुनाव में टीएमसी से लेकर सपा, आरजेडी, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) तक ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी और सभी अरविंद केजरीवाल को जिताने की मशक्कत भी करते नजर आए. वहीं, दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के आक्रामक तरीके से उतरने और प्रचार करने ने इंडिया गठबंधन को लेकर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे. इसके बाद सवाल उठने लगे थे कि क्या इंडिया गठबंधन खत्म हो गया?

अखिलेश यादव का केजरीवाल के साथ दिल्ली चुनाव में प्रचार करना और समर्थन देने के बाद कहा जाने लगा कि क्या कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई, मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंकने का ऐलान करने वाला इंडिया गठबंधन पूरी तरह बिखर गया है. लेकिन दिल्ली चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही फिर से सुर बदलने लगे हैं और अब कांग्रेस से किनारा करने वाले इंडिया गठबंधन के घटक दल फिर से एकजुट नजर आ रहे हैं. पिछले दो दिनों में तीन ऐसे मामले हुए हैं, जब इंडिया गठबंधन एक साथ खड़ा नजर आया है.

संसद में फिर इंडिया गठबंधन एकजुट

दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग बुधवार को हुई है. दिल्ली चुनाव में जो इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस से दूरी बनाए हुए थे, वो वोटिंग के दूसरे दिन ही एक साथ खड़े नजर आए. अमेरिका द्वारा प्रवासी भारतीयों के वापस लौटाने के तौर-तरीके को लेकर इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. संसद में विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ खड़े नजर आए. यही नहीं इंडिया गठबंधन के नेता भी एकजुट खड़े थे, जिसमें कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी भी शामिल थी.

यूजीसी ड्राफ्ट के मुद्दे पर एक साथ आए

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के ड्राफ्ट नियमों को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन एकजुट होकर सड़क पर उतर गया है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर डीएमके द्वारा यूजीसी नियमों के मसौदे के खिलाफ धरना प्रदर्शन आयोजित की थी, जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और डीएमके के सभी सांसद शामिल थे. राहुल-अखिलेश ने डीएमके की स्टूडेंट इकाई को आश्वासन दिया है कि वो मजबूती से उनकी लड़ाई को लड़ेंगे. दोनों ही नेताओं ने बीजेपी और संघ पर जमकर हमले किए. यूजीसी ड्राफ्ट के बहाने राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ आने से इंडिया गठबंधन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है.

राहुल-सुप्रिया-संजय राउत एक साथ आए

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ शुक्रवार को प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान एनसीपी (एसपी) की सांसद अध्यक्ष सुप्रिया सूले और शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत एक साथ नजर आए. दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के डिप्टी स्पीकर हॉल में तीनों ही नेताओं ने एक साथ प्रेस कॉफ्रेंस करके चुनाव आयोग को निशाने पर लिया. राहुल ने कहा कि हम इस टेबल पर महाराष्ट्र में पिछला चुनाव लड़ने वाले पूरे विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने विवरण का अध्ययन किया है- मतदाताओं और मतदान सूची का. हमारी टीमें काम कर रही हैं. हमें कई अनियमितताएं मिली हैं.

उन्होंने कहा कि हमें महाराष्ट्र के मतदाताओं के नाम और पते वाली मतदाता सूची चाहिए. हमें लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची चाहिए. हमें विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची चाहिए. हम यह समझना चाहते हैं कि ये नए नाम कौन-कौन से हैं. बहुत सारे मतदाता हैं, जिनके नाम हटा दिए गए हैं. एक बूथ के मतदाता दूसरे बूथ पर स्थानांतरित कर दिए गए हैं. इनमें से ज्यादातर मतदाता दलित समुदायों, आदिवासी समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों से आते हैं. हमने चुनाव आयोग से बार-बार अनुरोध किया है. उन्होंने हमें कोई जवाब नहीं दिया है.

राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा 2019 और लोकसभा 2024 के बीच पांच साल में 32 लाख नए मतदाता जोड़े गए. लोकसभा 2024 और विधानसभा 2024 के बीच 5 महीने में 39 लाख नए मतदाता जोड़े गए. सवाल ये है कि 5 महीने के अंदर पिछले 5 साल से ज्यादा मतदाता कैसे जोड़े गए? यह हिमाचल प्रदेश के कुल मतदाताओं के बराबर हैं, दूसरा मुद्दा यह है कि महाराष्ट्र में राज्य की पूरी मतदाता आबादी से ज्यादा मतदाता क्यों हैं? किसी तरह से अचानक ही महाराष्ट्र में मतदाता बनाए गए हैं. राहुल गांधी अपने साथ सुप्रिया सूले और संजय राउत एक साथ आकर साफ संदेश दिया है कि इंडिया गठबंधन एकजुट है.

इंडिया गठबंधन में खत्म हो रही दूरियां

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए तमाम विपक्षी दल अपने-अपने मतभेद भुलाकर एक साथ आए थे. इस तरह ‘इंडिया गठबंधन’ की बुनियाद पड़ी थी. बीजेपी को बहुमत के आंकड़े से दूर कर दिया था. कांग्रेस की सीटें बढ़कर दोगुनी हो गई थीं. लोकसभा चुनाव के खत्म होने के साथ ही इंडिया गठबंधन में दरार पड़ने लगी, हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं रह सका. सपा को सीटें नहीं मिलीं. इसके बाद महाराष्ट्र में भी सपा को कांग्रेस ने पूरी तरह से दरकिनार कर दिया था. इसके जवाब में सपा ने भी यूपी उपचुनाव में कांग्रेस को इग्नोर कर दिया.

इंडिया गठबंधन की नाव कांग्रेस के हरियाणा और महाराष्ट्र में हारने के बाद ही हिचकोले लेने लगी थी लेकिन दिल्ली चुनाव ने तो उसे डुबा ही दिया है. कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ इंडिया ब्लॉक के सभी दल केजरीवाल के झाड़ू के पीछे खड़े हो गए. ममता की टीएमसी हो या अखिलेश यादव की सपा, उद्धव की शिवसेना हो या इंडिया के बाकी दल.

टीएमसी और सपा ने AAP के लिए प्रचार भी किया

ममता बनर्जी ने सबसे पहले सवाल खड़े किए. इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की जिम्मेदारी कांग्रेस के बजाय किसी और दल के नेता को देने की बात उठाई. सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, शरद पवार जैसे नेता ममता बनर्जी के पक्ष में खड़े नजर आए. इसके बाद रही कसी कसर दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूरी हो गई, जब इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों ने कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी के पक्ष में अपना समर्थन दिया. इतना ही नहीं टीएमसी और सपा के नेताओं ने आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी किया.

इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने एक-एक कर कांग्रेस के नेतृत्व और उसके मुद्दों पर सवाल उठाए. ये तय है कि ये गठबंधन फिलहाल बस नाम का ही बचा है. कहा जाता है कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, इसलिए राजनीति के बनते-बिगड़ते रिश्तों का ये सीरियल चलता रहेगा. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह अलग-थलग पड़ी नजर आई. इंडिया गठबंधन के घटक दल केजरीवाल के साथ खड़े थे तो कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार कर सियासी मोर्चा खोल रखा था. ऐसे में कहा जाने लगा कि इंडिया गठबंधन खत्म हो गया है, लेकिन दिल्ली चुनाव की वोटिंग होने के साथ ही फिर से कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ने लगी हैं.

22 देशों की नदियों के जल से होगा महाकाल का अभिषेक, उज्जैन में पंचतत्वों पर होगा मंथन

धार्मिक नगरी उज्जैन में 14 फरवरी से 16 फरवरी तक एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है. इस तीन दिवसीय यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव में 22 देशों के योग गुरु, आध्यात्मिक विचारक, शिक्षाविद, और प्रमुख लीडर्स भाग लेंगे. यह आयोजन वैश्विक शांति और एकता के संदेश को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य एकजुट होकर पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के माध्यम से समग्र चेतना और पृथ्वी की एकता को बढ़ावा देना है.

बाबा महाकाल का होगा अभिषेक

इस दौरान सभी भागीदार 22 देशों की नदियों का जल लाकर बाबा महाकाल का अभिषेक करेंगे, जिससे जल के महत्व और उसके संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी. इसके साथ ही वे 100 ग्राम मिट्टी लेकर एक विशेष मॉडल तैयार करेंगे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया जाएगा. यह मॉडल धरती की एकता और समग्र चेतना का प्रतीक होगा.

कैलाश खेर का संगीत संध्या

14 फरवरी को शाम 7 बजे, पद्मश्री कैलाश खेर की प्रस्तुति होगी. यह विशेष संगीत संध्या ‘एकात्म चेतना अनहद नाद’ के नाम से कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन में आयोजित होगी. कैलाश खेर की यह संगीतमय प्रस्तुति सभी को एकजुट होने और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होने का संदेश देगी.

कॉन्क्लेव के आयोजन का कारण

यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन G20 के सिद्धांत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अनुरूप किया जा रहा है. इसका उद्देश्य शांति, तनाव मुक्ति, और संबंध सुधार पर मंथन करना है. यह आयोजन सभी भागीदारों को एक वैश्विक मंच प्रदान करेगा, जहां वे सामाजिक प्रगति, शारीरिक ऊर्जा, मानसिक शांति, और आध्यात्मिकता पर चर्चा करेंगे.

कॉन्क्लेव में विशेष सत्रों का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें विद्यार्थियों को आध्यात्मिकता, योग, पर्यावरण, शिक्षा और स्थायी अर्थव्यवस्था पर मार्गदर्शन मिलेगा. इस आयोजन में भाग लेने वाले विद्वान और विचारक यह प्रयास करेंगे कि वैश्विक स्तर पर शांति, समृद्धि और पर्यावरण का संरक्षण हो सके.

आयोजन की आयोजक संस्थाएं

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन, कालिदास संस्कृत अकादमी, और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा किया जा रहा है. यह आयोजन निश्चित रूप से सभी के लिए एक प्रेरणा बनेगा और एकजुटता, शांति, और विकास का संदेश देगा.

6 महीने की बच्ची को लगाया बेहोशी का इंजेक्शन, फिर उठ नहीं सकी मासूम; मौत पर मचा बवाल

कर्नाटक के चामराजनगर के गुंडलपेट में एक 6 महीने की बच्ची की मौत हो गई. उसके माता-पिता ने आरोप लगाया है कि बच्ची की मौत अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि बच्ची को एनेस्थीसिया की ओवरडोज दी गई, जिसके बाद बच्ची होश में ही नहीं आई और उसकी मौत हो गई. परिजनों ने डॉक्टरों को नौकरी से निकाले जाने की मांग की है

दरअसल चामराजनगर के गुंडलपेट में माता-पिता अपनी 6 महीने की बच्ची के कान छिदवाने के लिए एक क्लीनिक पर लेकर गए थे. कान छिदवाने में अक्सर बच्चों को दर्द होता है. इसी दर्द से बचने के लिए बच्ची को पहले एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया. ये एक तरह का बेहोशी का इंजेक्शन होता है. इस इंजेक्शन के लगने से मरीज को कम दर्द होता है. इसे ज्यादातर किसी सर्जरी से पहले मरीज को दिया जाता है.

एनेस्थीसिया की ओवरडोज देने का आरोप

क्लीनिक में जब बच्ची को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया गया. वह बेहोश हो गई. काफी समय बीत जाने के बाद भी वह होश में नहीं आई तो बच्ची को गुंडलपेट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेफर कर दिया गया. फिर तुरंत बच्ची को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बच्ची की जान नहीं बचाई जा सकी. माता-पिता का आरोप है कि बच्ची को एनेस्थीसिया की ओवरडोज दी गई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पता चलेगी वजह

हंगला गांव के रहने वाले आनंद और सुभा का उनकी 6 महीने की बच्ची की मौत के बाद रो-रोकर बुरा हाल हो गया. सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि एनेस्थीसिया की ओवरडोज दिए जाने के बाद बच्ची को दौरे पड़ने लगे. डॉक्टर अलीम पाशा ने कहा कि बच्चे को बचाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. अधिकारियों ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि बच्ची की मौत की असल वजह क्या है. अगर डॉक्टर्स की लापरवाही सामने आती है, तो उन पर एक्शन लिया जाएगा.

महाकुंभ से चले गए नागा साधु, 7 अखाड़ों का ये है अगला ठिकाना… यहां करेंगे तीन काम

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का आज यानि शुक्रवार को 27वां दिन है, अभी इसका आयोजन 19 दिन तक और होना है. 26 फरवरी को महाकुंभ का अंतिम दिन है. नागा साधुओं के तीनों अमृत स्नान भी पूरे हो चुके हैं. जिसके बाद नागा साधु वापसी करने लगे है. गुरुवार को कुछ अखाड़ों के नागा साधुओं ने यहां से प्रस्थान कर लिया है. जबकि, कुछ अखाड़े के नागा 12 फरवरी से प्रस्थान करेंगे. वहीं, कुछ अखाड़ों के साधु बसंत पंचमी के स्नान के बाद ही चले गए थे. 7 अखाड़ों के नागा साधु अब सीधे काशी विश्वनाथ जाएंगे.

बताया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के चलते 7 अखाड़ों के नागा काशी विश्वनाथ जाएंगे. यहां पर वे 26 तारीख यानी महाशिवरात्रि तक अपना डेरा जमाएंगे. इसके बाद वे अपने-अपने अखाड़ों में वापस लौटेंगे. महाशिवरात्रि के मौके पर नागा बनारस में शोभायात्रा निकालेंगे, मसाने की होली खेलेंगे और गंगा स्नान करेंगे. यानि तीन कार्य पूरा करने के बाद नागा वापसी कर लेंगे.

महाकुंभ और नागा साधु

नागा साधु सभी सुख-सुविधाओं को छोड़ हमेशा साधना में लीन रहते हैं. यह जंगलों, पहाड़ों में तपस्या करते पाए जाते हैं. मगर जब कुंभ मेला आता है तो सभी नागा साधु और संत उस ओर निकल पड़ते हैं. वे अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को था. इस दिन मकर संक्रांति थी. वहीं दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या और तीसरा बसंत पंचमी पर था.

तीनों शाही स्नान खत्म होते ही आगे बढ़े

साधु-संतों के लिए अमृत स्नान काफी अहम होता है. ऐसी मान्यता है कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बाराबर का पुण्य मिलता है. महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान में लीन हो जाते हैं. आखिरी अमृत स्नान करने के बाद सभी नागा अपने आखाड़ों की ओर बढ़ने लगते हैं.

अब यहां पर दिखेंगे नागा साधु

नागा साधु महाकुंभ के वक्त एकत्र होंगे. अब यह अगले महाकुंभ यानि वर्ष 2027 में नासिक होने वाले मेले में नजर आएंगे. नासिक में महाकुंभ का आयोजन गोदावरी नदी के किनारे पर होगा. यहां पर हजारों नागा साधु एक साथ एकत्र होंगे.

बिहार में सरकार बनाएगी 1 लाख घर, जानें किन लोगों को मिलेंगे ये आवास

बिहार में सरकार ने प्रधानमंत्री आवास विकास योजना के तहत बनने वाले घरों की संख्या को दोगुना कर दिया. अब हर साल 50 हजार नहीं बल्कि 1 लाख घर बनाए जाएंगे. ये घर उन लोगों के लिए बनाए जाएंगे, जिनके पास रहने के लिए मकान नहीं हैं. इस महीने 50 हजार परिवार को चिन्हित किया जाएगा. नगर विकास और आवास विभाग की ओर से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है.

1 लाख मकानों के लिए इस महीने 50 हजार परिवार को चिन्हित करने के बाद मार्च में भी 50 हजारों परिवारों की एक लिस्ट तैयार की जाएगी. नगर विकास और आवास विभाग तीन महीने से पात्र परिवारों को देखने के लिए सर्वे कर रहा है क्योंकि विभाग को पात्र परिवारों की जानकारी केंद्र सरकार को देनी होती है. सर्वे में अब तक 2, 37, 139 परिवारों का आंकड़ा सामने आ चुका है, जो इस योजना के लिए पात्र हैं.

पात्र परिवारों की लिस्ट

इस तरह बड़ी संख्या में पात्र परिवारों के आंकड़े आने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र परिवारों के बारे में स्थानीय स्तर पर जांच की जाएगी. इसके बाद भौतिक सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद अंत में पात्र परिवारों की लिस्ट तैयार की जाएगी. अभी 261 शहरी स्थानीय निकायों में बेघर परिवारों का सर्वे का काम चल रहा है. ये काम शहरी स्थानीय निकाय कर रहे हैं. इस महीने के आखिर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा.

कौन लोग होंगे पात्र?

इस योजना के तहत वह परिवार पात्र होंगे, जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं है. उन्हें 2 लाख रुपये दिए जाएंगे. इसमें से 1.5 लाख रुपये केंद्र सरकार देगी. इसके अलावा जिन परिवारों के पास जमीन नहीं है और वह सरकारी जमीन पर स्लम में रहते हैं. वहां पर लोगों के लिए घर बनाए जाएंगे. EWS-LIG श्रेणी के परिवारों को सरकारी नीति के तहत बनाए जाने वाले घरों को सस्ते में बेचा जाएगा. ऐसे बेघर परिवारों को सरकारी आवास दिए जाएंगे.

महाकुंभ’ में 10 रुपये का दातून बेचती, बनारस के घाट पर चाय… कौन है ये फिनलैंड की लड़की? इंस्टाग्राम पर मचा रही धूम

महाकुंभ को खत्म होने में अभी 19 दिन बाकी हैं. इस बार के महाकुंभ में कई लोगों ने अपने अनोखे अंदाज के कारण सुर्खियां बटोरीं. इनमें IIT बाबा अभय सिंह, सुंदर साध्वी हर्षा, माला बेचने वाली मोनालिसा और बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी समेत कई लोग शामिल रहे. लेकिन एक विदेशी यूट्यूबर भी इन दिनों खूब सुर्खियों में हैं. हालांकि, वो महाकुंभ नहीं आईं. लेकिन उन्होंने महाकुंभ को लेकर कई मोटिवेशनल वीडियो डाले. इसमें भारतीय संस्कृति की उन्होंने जमकर तारीफ की.

इनका नाम कैसा ओलजक्का (Kaisa Oljakka) है. कैसा फिनलैंड की रहने वाली हैं. वो भारतीय संस्कृति से इतना प्रभावित हैं कि यहीं आकर बस गई हैं. वो एक फेमस यूट्यूबर और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर हैं. कैसा अंकित कुमार नाम के युवक के साथ कई सारे वीडियो डालती हैं. कई वीडियो फनी तो कई ऐसे होते हैं जिनमें भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों को बताया जाता है.

कैसा खुद भी भारतीय परिधानों में ही नजर आती हैं. कैसा के इंस्टाग्राम अकाउंट (videshi__indian) पर 3 लाख 36 हजार से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं. यूट्यूब और फेसबुक पर भी उन्हें हजारों लोग फॉलो करते हैं. कैसा ने हाल ही में बनारस के घाट पर भी वीडियो बनाए. इसमें वो चाय बेचती नजर आईं. वहीं, महाकुंभ को लेकर भी उन्होंने एक वीडियो बनाया. इसमें हाथ में नीम की दातून लिए बोलीं- यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. वीडियो में कहती नजर आईं कि मैं इन्हें 10 रुपये में बेच रही हूं. उन्होंने लोगों से कहा कि आप भी महाकुंभ जाएं और पावन गंगा मैया में डुबकी लगाएं.

क्रिकेट-बॉलीवुड पर वीडियो

इंस्टाग्राम पर अगर आप उनके वीडियो को देखें तो यकीन नहीं कर पाएंगे कि उन्हें भारतीय संस्कृति का कितना ज्यादा ज्ञान है. वो और भी लोगों को भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेरित करती रहती हैं. इसके अलावा वो क्रिकेट और बॉलीवुड को लेकर भी कई वीडियो बनाती हैं.

UP के इस गांव में लड़कों की नहीं हो रही शादी,ऐसा भी क्या हो गया?

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक ऐसा गांव भी है जहां कोई भी अपनी बेटी का ब्याह नहीं करवाना चाह रहा. यहां तक कि गांव वालों के रिश्तेदार भी उनके यहां आने से कतराते हैं. इसके पीछे का कारण है एक छोटा सा कीट. दरअसल, यहां मक्खियां इतनी ज्यादा हैं कि गांव वालों का जीना दुभर हो रखा है. मक्खियों के आतंक के चलते गांव वाले न तो सही से कुछ खा सकते हैं न सो सकते हैं. जब वो खाने के लिए बैठते हैं तो हजारों की तादाद में मक्खियां खाने पर बैठ जाती हैं. इसके चलते बच्चे बीमारी का शिकार हो रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि कई बार शिकायत किए जाने पर भी अभी तक किसी अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया है.

हम बात कर रहे हैं नवाबगंज विकासखंड के रूदवारा गांव की. मक्खियों के आतंक से यहां की स्थिति बहुत बदतर गई है. गांववालों का कहना है, जब से गांव में पोल्ट्री फॉर्म खुला है, तब से गंदगी व बदबू के कारण मक्खियां आ गई हैं. इसके चलते जीना दुश्वार हो गया है. लगभग 5 हजार की आबादी वाले गांव के लोग इतना डरे हुए हैं कि खाना-पीना भी मच्छरदानी के अंदर बैठकर करते हैं.

‘मक्खियों के डर से रिश्तेदार आने से कतराते हैं’

गांव की महिलाओं ने बताया कि अब तो गांव में लोग रिश्ता करने के लिए भी तैयार नहीं हैं. जिनकी शादी हो चुकी है वो यहां रहने को तैयार नहीं हैं. मक्खियों के डर से रिश्तेदार आने से कतराते हैं. खाना बनाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

‘खानापूर्ति करके चले जाते हैं अधिकारी’

गांववालों का आरोप है कि बिना एनओसी के अवैध तरीके से चल रहे पोल्ट्री फार्म हाउस पर सालों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अधिकारी आते भी हैं तो बस खानापूर्ति करके वापस चले जाते हैं. पहले तो पोल्ट्री फॉर्म वाले गांव में दवा छिड़कते थे. इससे मक्खियां कम हो जाती थीं. मगर, इधर कुछ सालों से उन्होंने वो भी करना बंद कर दिया है. इसकी शिकायत जब पोल्ट्री फॉर्म हाउस वालों से की तो वो धमकी देते हैं कि जाओ, अब दवा नहीं डालेंगे.

मरी हुई मुर्गियों को खेत में फेंक देते हैं

लोगों का कहना है कि कोई अधिकारी हमारा हाल तक देखने नहीं आता. पोल्ट्री फार्म हाउस से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी की वजह से मक्खियां नहीं आती हैं. जबकि गांव का मानना है कि पोल्ट्री फार्म से ही मक्खियां आती हैं. जब यहां मुर्खियां मरती हैं तो उन्हें दफनाया नहीं जाता. बल्कि, खेतों में फेंक दिया जाता है. इसी कारण यहां मक्खियां होती हैं.

Hotel Room में होते हैं हिडन कैमरा, स्मार्टफोन की ये ट्रिक मिनटों में करेगी बेनकाब

भारत में नई जगह को एक्सप्लोर करने का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. अब फूड ब्लॉगर, बाइकर्स और फैमिली नई-नई जगह एक्सप्लोर करने के लिए महीने-दो महीने में वैकेंशन प्लान करते हैं. ये सभी लोग अपनी जर्नी के दौरान आराम करने और रात काटने के लिए होटल बुक करते हैं. आपने अक्सर कई ऐसी खबर पढ़ी और सुनी होगी, जिसमें बताया गया होता है कि फला होटल के रूम में हिडन कैमरा मिला.

अगर आप भी नई जगह एक्सप्लोर करने के लिए जा रहे हैं और रात काटने के लिए होटल बुक कर रहे हैं तो आपको रात में सोने से पहले चेक कर लेना चाहिए कि आपके रूम में हिडन कैमरा तो नहीं है. यहां हम आपको स्मार्टफोन के जरिए हिंडन कैमरा चेक करने की कुछ आसान ट्रिक बताने जा रहे हैं.

स्मार्टफोन की टॉर्च से करें पता

सभी कैमरों में लेंस होता है, ऐसे में ये लाइट को रिफ्लेक्ट करता है. इसलिए रात में होटल रूम की लाइट बंद करके आप मोबाइल की टॉर्च जलाकर उस डायरेक्शन में फोन करें जहां कैमरा छिपा होने की संभावना है. अगर इन जगहों पर कैमरा होता तो आपके मोबाइल की टॉर्च की रोशनी रिफ्लेक्ट होगी.

स्मार्टफोन के कैमरा से करें पता

सभी कैमरों से इन्फ्रारेड (IR) लाइट निकलती है. ये लाइट आंखों से दिखाई नहीं देती है. इसको पता करने के लिए आप स्मार्टफोन के बैक कैमरा का यूज कर सकते हैं. कई बार बैक कैमरा भी IR लाइट का पता नहीं लगा पता. ऐसे में स्मार्टफोन के फ्रंट कैमरा की मदद से इन्फ्रारेड लाइट का पता आसानी से लगाया जा सकता है.

कैमरा-डिटेक्शन ऐप

Android और iOS डिवाइस में यूजर्स को कई ऐसे ऐप मिलते हैं, जिससे आसानी से हिडन कैमरा का पता लगाया जा सकता है. इन ऐप को आप गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. आपको बता दें ये ऐप हिडन कैमरा का पता इन्फ्रारेड लाइट, चुंबकीय क्षेत्र और असामान्य संकेतों को स्कैन के जरिए करते हैं.

बिहार: 1997 में 2 की हत्या, 27 साल तक चला ट्रायल… अब कोर्ट ने 19 लोगों सुनाई उम्रकैद

बिहार के रोहसास में एक हत्याकांड़ के मामले में एक दो नहीं बल्कि 27 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जिसके तहत 19 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. मामला रोहसास के शिवागर थाना क्षेत्र के आलमपुर गांव का है. इस हत्याकांड के पांच आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है. वहीं बाकी बचे 19 आरोपियों को जिला जज चतुर्थ अनिल कुमार की कोर्ट ने गुरुवार को सजा का ऐलान किया.

कोर्ट ने सभी आरोपियों पर 50 हजार का जुर्माना भाी लगाया है. साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर आरोपी जुर्माना अदा नहीं करते तो उन्हें अतिरिक्त 6 माह की सजा भुगतना पड़ेगा. जिन लोगों को सजा मिली है उनमें अभियुक्तों में उमाशंकर महतो, बलि महतो, संतन महतो, रमेंद्र महतो, अर्जुन महतो, हीरा राम महतो, दशरथ महतो और रामचंद्र महतो शामिल हैं.

कोर्ट ने घटना को बताया जघन्य

इसके अलावा सुनील महतो, राजेश्वर महतो, प्रेमचंद महतो, परमानन्द महतो और विश्वनाथ महतो, अशोक महतो, गुपूत महतो, रामनाथ महतो, अरुण महतो, रामाशीष महतो, उमेश महतो को भी कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने घटना को जघन्य बताया जो असहाय लोगों के साथ किया गया था. मामले की शिकायत आलमपुर के रहने वाले संजय माली ने स्थानीय थाने में दर्ज कराई थी. सभी आरोपी ग्राम आलमपुर थाना शिवसागर के रहने वाले हैं.

अक्टूबर 1997 का है मामला

घटना अक्टूबर 1997 की है. शिकायतकर्ता संजय के मुताबिक घटना वाले दिन सुबह करीब 6 बजे हथियार से लैस कुछ लोग उसके घर आए और दरवाजे पर उसके चाचा जंगबहादुर माली की बेरहमी के साथ हत्या कर दी. इस दौरान उनके चाचा को बचाने के लिए आए मुनीर माली के साथ जमकर पिटाई की, हालांकि किसी तरह मुनीर अपनी जान बचाकर वहां से फरार हो गया. इस बीच आरोपियों ने विनोद माली को पकड़कर उसकी हत्या कर दी. उन्होंने बताया कि विनोद के सिर को धड़ से अलग कर दिया था और घसीटते ले जाकर धड़ को जगजीवन कैनाल में फेंक दिया. वहीं सिर को जंगल लेकर चले गए.

ट्रायल के दौरान 5 आरोपियों की मौत

इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया था. 20 नामजद के सात अन्य आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई. जिसके बाद पुलिस ने अपनी तफ्तीश शुरू की. पुलिस ने 27 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. हालांकि ट्रायल पीरियड के दौरान 5 आरेपियों की मौत हो गई. मामले में 19 आरोपी ट्रायल का सामना कर रहे थे. सुनवाई के दौरान 9 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया, बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई.

संभल में भगवान शिव का चमत्कार! जमीन से निकले तीन पत्थर, लोगों में आस्था का संचार

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक नदी के पास ऐसी घटना घटी, जिसने सभी को हैरान कर दिया. दरअसल, महावा नदी के पास अचानक जमीन से पानी की धारा फूट पड़ी और उसके बीच से तीन पत्थर निकले, जिन्हें लोगों ने शिवलिंग मान लिया.जैसे ही यह खबर फैली, इलाके में सनसनी मच गई और देखते ही देखते वहां भारी भीड़ जुटने लगी. लोग इन पत्थरों को शिवलिंग मानते हुए पूजा-अर्चना करने लगे.

वहां मौजूद कृष्णपाल नामक एक व्यक्ति ने बताया कि मटरू यादव नामक व्यक्ति ने आग की लपटें देखी थीं और जब वह वहां पहुंचे, तो पानी निकल रहा था और तीन पत्थर भी दिखे. कृष्णपाल ने कहा कि उन्होंने पहले कभी इस इलाके में पानी निकलते नहीं देखा था, क्योंकि महावा नदी पिछले 30 साल से सूखी पड़ी थी.

वहीं, मटरू यादव ने भी बताया कि सोमवार रात को उन्होंने नदी के पास से अचानक आग की लपटें देखी, लेकिन जब वह सुबह पहुंचे, तो वहां से पानी निकल रहा था. मिट्टी हटाने पर तीन पत्थर निकले, जिन्हें लोगों ने शिवलिंग मान लिया. इस इलाके में पहले हमेशा काला पानी आता था, अचानक मीठा पानी निकलना एक चमत्कार जैसा लग रहा था.

लोगों का विश्वास

लोगों का मानना है कि ये पत्थर भगवान शिव का रूप हैं. इस शिवलिंग पर लोग दूध और जल चढ़ा रहे हैं और लंबी लाइन लगाकर पूजा कर रहे हैं. एक महिला ने बताया कि उनके नाती को आंखों की समस्या थी, लेकिन शिवलिंग पर माथा टेकने और जल पीने से अब उसकी आंखों की रोशनी में सुधार हुआ है.

बनवीर नामक एक व्यक्ति ने बताया कि जब वह इन पत्थरों को अपने घर ले गए, तो उनके परिवार वालों ने इसका विरोध किया. बाद में, बनवीर ने पत्थरों को उसी स्थान पर वापस रख दिया और भगवान भोलेनाथ से माफी मांगी.

बनवीर ने कहा कि जब वह पत्थरों को वापस रखकर घर गए, तो उन्हें अचानक तेज दर्द महसूस हुआ और उनका सिर भी चकराने लगा. रात को उन्हें कुछ आवाजें सुनाई दीं और उसने खुद को शिवलिंग के पास पाया.

प्रशासन की कार्रवाई

इस घटना की जानकारी प्रशासन को भी दी गई. एसडीएम और नायब तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर जमीन की माप की. संभल के जिलाधिकारी ने बताया कि कुछ लोग नदी के इस क्षेत्र में अपने खेत बना चुके हैं, जिनकी खुदाई की जा रही है.

गांववालों की आस्था

यह घटना गांववासियों की आस्था को और मजबूत कर गई है. अब वहां भजन-कीर्तन हो रहे हैं और आसपास के ठेलेवालों ने अपनी दुकानें भी लगा ली हैं. लोग मानते हैं कि यह भगवान शिव का चमत्कार है, जिन्होंने यहां प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया है.