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आदित्यपुर थाना के टोल प्लाजा के निकट एक युवक का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी, हादसा या हत्या जाँचकर रही पुलिस जांच


जमशेदपुर: सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर थाना अंतर्गत, टोल प्लाजा के निकट एक युवक का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई है। मृतक की पहचान सलडीह बस्ती निवासी रतन गोराई के रूप में हुई है। सूचना मिलते ही आदित्यपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मृतक के शव को कब्जे में लेकर जांच में जुट गई है। 

बताया जा रहा है कि मृतक कल शाम से ही गायब था। मृतक की पत्नी ने थाने में इसकी सूचना भी दी थी। बताया जाता है कि मृतक किसी कंपनी में काम करता था किन्तु उस दिन रात में काम के पश्चात वह घर ही नहीं लौटा। यह हत्या है या हादसा पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

दुनिया फिर एक तूफानी चक्रवात इओविन से प्रभावित,इस तूफान के कारण झारखंड में भी बढेगा ठंड का असर

झा. डेस्क 

एक बार फिर से झारखंड सहित कई राज्यों में ठंड कंपकंपाने वाली है। तूफान इओविन की वजह से देश में भी असर देखने को मिलेगा। हालांकि इससे बहुत ज्यादा प्रभाव झारखंड के मौसम में नहीं पड़ेगा, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिल सकता है। 

ब्रिटिश द्वीपों और विशेष रूप से आयरलैंड और स्कॉटलैंड में तेज और भीषण हवाएं चली हैं।

24 घंटों में तूफान के केंद्र में हवा का दबाव 50 मिलीबार कम हो गया, जिससे यह और भी खतरनाक हो गया। जब चक्रवाती तूफान घड़ी की सुइयों के विपरीत दिशा में घूमता है तो और भी खतनाक हो गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि भीषण चक्रवाती तूफान की वजह से खुले स्थानों पर 80-90 मील प्रति घंटे और अधिकतम 100 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चल सकती हैं।

चक्रवाती तूफान इओविन को भारी बारिश ने और भी खतरनाक बना दिया है. बारिश के कारण तूफान विस्फोटक रूप से विकसित हो रहा है। तूफान एओविन को इसकी तबाही वाले स्वरूप के कारण ‘बॉम्ब साइक्लोन’ कहा जा रहा है। इस तूफान ने ब्रिटेन और उसके आसपास के हिस्सों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

जानिये क्यों है खतरनाक ये साइक्लोन

तूफान एओविन की वजह से ब्रिटिश द्वीपों और विशेष रूप से आयरलैंड और स्कॉटलैंड में तेज और भीषण हवाएं चली हैं. चौबीस जनवरी की आधी रात तक 24 घंटों में तूफान के केंद्र में हवा का दबाव 50 मिलीबार कम हो गया. यह “विस्फोटक चक्रवात” की परिभाषा में आवश्यक से दोगुना से भी अधिक है, दूसरे शब्दों में, चक्रवाती तूफान (घड़ी की सुइयों के विपरीत दिशा में घूमना) का विकास जो तेज और गंभीर दोनों है, बम फटने की तरह है. नतीजतन, इओविन को “बम चक्रवात” कहा जा सकता है।

भीषण तबाही मचा सकता है चक्रवात

दुनिया के इस हिस्से में सर्दियों के तूफानों का बम चक्रवात की स्थिति तक पहुंचना कोई असामान्य बात नहीं है. हालांकि, हाल के वर्षों में बहुत कम तूफानों ने ही तूफान इओविन के मुकाबले दबाव को गहरा किया है. इससे लोगों को यह पता चलता है कि सबसे ज्यादा खुले स्थानों पर 80-90 मील प्रति घंटे और अधिकतम 100 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चल सकती हैं. आयरलैंड के पश्चिमी तट पर मेस हेड में आज सुबह 114 मील प्रति घंटे की रिकॉर्ड-तोड़ हवाएं चलने की सूचना मिली है.

इसी तरह के भीषण तूफानों ने व्यापक क्षति पहुंचाई है और लोगों की जान ली है. जैसे कि 1987 का भीषण ‘ग्रेट स्टॉर्म’.

दुमका : झांकी ने मन मोहा, परेड में एनसीसी बालिका +2 तो झांकी में महिला बाल विकास विभाग अव्वल, सीएम ने किया सम्मानित

दुमका : गणतंत्र दिवस पर रविवार को दुमका के पुलिस लाइन मैदान में विभिन्न विभागों द्वारा निकाली गयी झांकी और परेड आकर्षण का केंद्र रही। सीएम हेमंत सोरेन ने उत्कृष्ट झांकी निकालने वाले विभागों और परेड में शामिल प्लाटून को पुरस्कृत भी किया।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर समारोह में जिले के स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत पतरू राय की आश्रित पत्नी परवतिया देवी को सम्मानित किया। उन्होंने परेड में हिस्सा लेने वाली एनसीसी +2 (बालिका) दुमका को प्रथम , आईआरबी- 01 जामताड़ा महिला प्लाटून को द्वितीय और गृह रक्षा वाहिनी दुमका को तृतीय पुरस्कार से नवाजा। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने फर्स्ट इन कमांड, परीक्ष्यमान सहायक पुलिस अधीक्षक दुमका डॉ. मोहम्मद सैयद मुस्तफा हाशमी एवं सेकंड इन कमांड, परीक्ष्यमान सहायक पुलिस उपाधीक्षक दुमका आकाश भारद्वाज और राष्ट्रगान में संत टेरेसा उच्च विद्यालय दुमका और बैंड में हजारीबाग पुलिस अकादमी को सम्मानित किया। 

इन विभागों की झांकियों को मिला पुरस्कार 

प्रथम पुरस्कार- महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग

द्वितीय पुरस्कार- वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, जिला ग्रामीण विकास शाखा, दुमका

तृतीय पुरस्कार- पुलिस विभाग दुमका

मुख्यमंत्री के हाथों इन कर्मियों को मिला प्रशस्ति पत्र

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न विभागों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। जिसमें रानी सोरेन, स्वाती राज, राजू बांद्रा, मेघा बेसरा, पवन कुमार मिश्रा, बासुकीनाथ चतुर्वेदी, अर्पिता प्रसाद, बसंती हेंब्रम शामिल है।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पुलिस लाइन मैदान स्थित शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर अमर वीर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि दी। फिर सीएम श्री सोरेन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस लाइन में आयोजित समारोह में तिरंगा फहराया एवं सलामी दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने परेड का निरीक्षण कर राज्य की जनता को संबोधित किया। मौके पर विधायक बसंत सोरेन, विधायक आलोक कुमार सोरेन, विधायक डॉ० लुईस मरांडी, पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख, जिला परिषद अध्यक्ष जॉयस बेसरा, संताल परगना के आयुक्त लालचंद दादेल, आईजी क्रांति कुमार, डीआईजी अंबर लकड़ा, उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे, पुलिस अधीक्षक पीतांबर सिंह खेरवार सहित अन्य वरीय पदाधिकारी एवं कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)

लोहरदगा के बलदेव साहु कालेज स्टेडियम में मंत्री नेहा शिल्पी तिर्की ने किया झंडोत्तोलन

 लोहरदगा के बलदेव साहु कालेज स्टेडियम में झारखंड सरकार की मंत्री नेहा शिल्पी तिर्की ने झंडोत्तोलन किया। इस मौके मंत्री ने झांकी का भी अवलोकन किया। मंत्री ने खेल शिक्षा और विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वालों को सम्मानित किया।

मंत्री ने कहा की हमें गर्व है कि हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। हम स्वतंत्रता सेनानियों के आभारी हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे कर हमें आजादी दिलाई है।

उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार राज्य का विकास कर रही हैं। मंईयां सम्मान योजना के तहत राज्य की महिलाओं को सशक्त बनाने का काम सरकार कर रही है। राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का काम किया जा रहा है। खेती में पारम्परिक चीजों से लोग अलग होते जा रहे हैं। उच्च उत्पादकों के क्षेत्र में ध्यान दिया जाए। कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में हमें खुश को सशक्त करना है।

इस अवसर पर डीसी, एसपी सहित जिले के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे।

76 वें गणतंत्र दिवस पर PVUN पतरातू टाउनशिप के सीईओ आर.के. सिंह ने झंडारोहण किया, प्लांट के कार्यों एवं उपलब्धियां को बताया


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : 76वें गणतंत्र दिवस आज पतरातू के PVUN टाउनशिप में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। मुख्य कार्यक्रम में PVUN के सीईओ आर.के. सिंह ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने अपने संबोधन में PVUN प्लांट के द्वारा किए जा रहे कार्यों के साथ साथ आस-पास के गांवों में CSR गतिविधियों और आगामी योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।  

गणतंत्र दिवस के इस कार्यक्रम में DAV स्कूल के बच्चों, CISF और DGR परेड का निरीक्षण किया और सलामी दी। वही इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियो का भी आयोजन किया गया। जिसमें बाल भवन और सृजन के बच्चों ने अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किए। कस्तूरबा गांधी स्कूल की छात्राओं ने उत्कृष्ट बैंड ड्रिल का प्रदर्शन किया, जबकि DAV स्कूल के छात्रों ने परेड में भाग लिया। बेहतर प्रदर्शन के लिए कस्तूरबा गांधी स्कूल की छात्राओं को तीरंदाजी के उपकरण भी प्रदान किए गए।  

76 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां कई लोगों को सम्मानित भी किया गया। जिसमें CEO मेरिटोरियस अवार्ड, स्पर्श ई-वॉइस और अन्य उपलब्धियों के लिए व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में PVUN के वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें देवदीप बोस (जीएम, ओएंडएम), अनुपम मुखर्जी (जीएम, प्रोजेक्ट्स), मनीष खेतरपाल (जीएम, एफएम एंड मेंटेनेंस), और जियाउर रहमान (एचओएचआर) शामिल थे। स्वर्णरेखा महिला समिति की अध्यक्ष रीता सिंह ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर CEO PVUNL द्वारा 10 बैटरी ऑपरेटेड ट्री साइकिल भी दिव्यांग जनों को दिया गया।  

राष्ट्रीय ध्वज फहराने का कार्यक्रम O&M बिल्डिंग, प्रोजेक्ट ऑफिस बिल्डिंग और PVUNL अस्पताल में भी आयोजित किया गया। सभी अधिकारी, कर्मचारी और उनके परिवार इस देशभक्ति के पर्व में सक्रिय रूप से शामिल हुए और कार्यक्रम को सफल बनाया।

इस बार झारखंड के झोली में नही आया एक भी बीरता पदक,केवल सराहनीय सेवा पदक से ही करना पड़ेगा संतोष


झा.डेस्क

गणतंत्र दिवस पर उलेखनीय कार्य करने वाले पुलिस बल और सुरक्षा सेवा में लगे लोगों को राष्ट्रपति द्वारा पदक देकर सम्मानित किया जाता है। लेकिन इस बार पहली बार है जब 26 जनवरी पर राष्ट्रपति के हाथों झारखंड की झोली में न वीरता पदक आया है और न हीं विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक ही मिला है। इस बार केवल सराहनीय सेवा पदक ही मिला है। सराहनीय सेवा पदक के लिए राज्य के 12 पुलिस अधिकारियों-जवानों के नामों का चयन हुआ है।

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति के हाथों यह पदक मिलेगा। उक्त पदक से 15 अगस्त या अगले वर्ष गणतंत्र दिवस पर मोरहाबादी मैदान में संबंधित अधिकारियों को अलंकृत किया जाएगा

इस बार वीरता के लिए पुलिस पदक भी देश में सिर्फ 78 अधिकारियों-जवानों को मिला है। इनमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआरपीएफ व एसएसबी के जवान अधिकारी शामिल हैं।

इन्हें मिलेगा सराहनीय सेवा पदक

डा. माइकल राज एस (आइजी, बोकारो), 

ए. विजयालक्ष्मी (आइजी प्रशिक्षण), 

नीरज कुमार (डीएसपी),

 मोहम्मद इकबाल (हवलदार),

 बिंद्रे मुंडरी (हवलदार), 

अरविंद कुमार पालित(एएसआइ), 

बशिष्ट कुंवर (एएसआइ), 

संजीव कुमार झा (एएसआइ),

 विजय कुमार (एएसआइ),

 मानती खलखो (सिपाही), 

प्रभा देवी (सिपाही) व अरुण कुमार (इंस्पेक्टर)।

मोहम्मद इकबाल (हवलदार)।

केंद्र की तरफ से 942 नामों की घोषणा

बता दें कि केंद्र सरकार ने शनिवार को गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर वीरता और सेवा पदक के लिए पुलिस, अग्निशमन, होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा (एचजी एंड सीडी) और सुधारात्मक सेवाओं के 942 कर्मियों के नामों की घोषणा की।

942 कर्मियों में से पांच को मरणोपरांत वीरता पदक से सम्मानित किया गया है। इनमें जम्मू-कश्मीर पुलिस से पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल, सीमा सुरक्षा बल से हेड कांस्टेबल गिरजेश कुमार उदय, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से कांस्टेबल सुनील कुमार पांडे, सशस्त्र सीमा बल से हेड कांस्टेबल रवि शर्मा और चयन ग्रेड फायरमैन शामिल हैं।

कुल 942 वीरता और सेवा पदकों में से 95 वीरता पदक हैं, 101 विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक (पीएसएम) हैं, और 746 सराहनीय सेवा पदक (एमएसएम) हैं।

101 जवानों को विशिष्ट सेवा पदक

101 जवानों को विशिष्ट सेवा (पीएसएम) के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जाएगा। इनमें से 85 पुलिस कर्मियों को, पांच अग्निशमन सेवा कर्मियों को, सात नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड सेवा को और चार सुधारात्मक सेवा पुरस्कार दिए गए हैं।

इसके अलावा जिन कर्मियों को 746 सराहनीय सेवा पदक (एमएसएम) दिए गए, उनमें से 634 पुलिस सेवा,

 37 अग्निशमन सेवा, 

39 नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षक सेवा तथा 

36 सुधारात्मक सेवा को दिए जाएंगे।

इन्हें मिलेगा सराहनीय सेवा पदक

आईजी ए. विजयालक्ष्मी।

डॉ. माईकेलराज एस.।

बिंद्रे मुंडरी।

अरविंद कुमार पालित।

वशिष्ठ कुंवर।

संजीव कुमार झा।

विजय कुमार।

मानती खलखो।

डॉ. एसपी नीरज कुमार।

किताबों का जादू या नींद का बुखार? पढ़ते ही क्यों घिर जाता है आलस!


पढ़ाई के समय नींद आना या आलस महसूस करना एक सामान्य अनुभव है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? क्या यह किताबों का जादू है या हमारे शरीर की प्रतिक्रिया? आइए इस विषय को गहराई से समझते हैं।

1. मस्तिष्क की थकान

जब हम पढ़ते हैं, तो हमारा मस्तिष्क नई जानकारी को प्रोसेस करता है। यह प्रक्रिया ऊर्जा की खपत करती है, जिससे थकान महसूस हो सकती है। खासकर जब विषय उबाऊ या कठिन हो, तो मस्तिष्क जल्दी थक जाता है और हमें नींद आने लगती है।

2. शरीर की मुद्रा का प्रभाव

पढ़ाई के दौरान यदि आप झुककर या लेटकर पढ़ते हैं, तो यह स्थिति शरीर को आराम का संकेत देती है। आरामदायक मुद्रा में पढ़ने से मस्तिष्क को लगता है कि यह आराम का समय है, और धीरे-धीरे नींद आने लगती है।

3. आंखों की थकावट

लंबे समय तक किताबों या स्क्रीन पर देखने से आंखें थक जाती हैं। आंखों की मांसपेशियों को आराम की जरूरत होती है, और यह थकावट पूरे शरीर में आलस का कारण बनती है।

4. रक्त प्रवाह में कमी

पढ़ाई के दौरान यदि आप लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहते हैं, तो शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इससे ऊर्जा की कमी महसूस होती है, और नींद का अहसास होता है।

5. सामान्य नींद की कमी

यदि आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है, तो पढ़ाई के समय मस्तिष्क आराम की तलाश में होता है। इस वजह से किताब खोलते ही आपको नींद आने लगती है।

6. सामग्री का प्रभाव

यदि पढ़ाई की सामग्री रूचिकर नहीं है, तो मस्तिष्क उसे जल्दी समझने में रुचि नहीं लेता। इसके परिणामस्वरूप आलस और नींद हावी हो जाती है।

उपाय: पढ़ते समय नींद और आलस से बचने के तरीके

1मोटिवेशनल सामग्री से शुरुआत करें:  

रुचिकर विषय पढ़ने से मस्तिष्क सक्रिय रहता है।

2 ब्रेक लें:

हर 30-40 मिनट में 5-10 मिनट का ब्रेक लें।

3 अच्छी रोशनी का प्रयोग करें: मंद रोशनी से आंखें जल्दी थकती हैं।

4 शारीरिक मुद्रा बदलें:

 पढ़ाई के दौरान सीधा बैठें और हर थोड़ी देर में टहलें।

5 हाइड्रेटेड रहें: 

पानी पीने से शरीर ऊर्जावान रहता है।

6 गहरी सांस लें: 

ऑक्सीजन की कमी से आलस बढ़ता है, गहरी सांस लेने से मस्तिष्क सतर्क रहता है।

निष्कर्ष*

पढ़ाई के समय आलस या नींद आना कोई जादू नहीं, बल्कि हमारे शरीर और मस्तिष्क की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। सही आदतें अपनाकर आप इस समस्या से बच सकते हैं और पढ़ाई को प्रभावी बना सकते हैं। तो अगली बार जब किताबों के साथ बैठें, तो इन उपायों को अपनाएं और पढ़ाई का आनंद लें!

महाकुंभ 2025: बच्चों के साथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जाने ये 5 जरूरी उपाय


महाकुंभ 2025 जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में लाखों लोग शामिल होते हैं, जिससे भीड़भाड़ का माहौल रहता है। बच्चों के साथ यात्रा करना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यहां 5 ऐसे जरूरी कदम बताए गए हैं, जो आपकी यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाएंगे।

1. बच्चों को पहचानने योग्य बनाएं

बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाएं जो दूर से पहचान में आ सकें। उनके कपड़ों में एक पहचान पत्र (ID) लगाएं, जिसमें उनका नाम, माता-पिता का नाम, फोन नंबर और पता लिखा हो। यह गुम होने की स्थिति में मददगार साबित होगा।

2. भीड़ से बचने के लिए समय और स्थान का चयन करें

महाकुंभ के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ स्नान पर्व पर होती है। बच्चों के साथ यात्रा के लिए सुबह जल्दी या शाम को कम भीड़भाड़ वाले समय का चयन करें। बच्चों को मुख्य घाटों की भीड़ में ले जाने से बचें।

3. बच्चों को सुरक्षा नियम समझाएं

यात्रा से पहले बच्चों को सिखाएं कि अगर वे गुम हो जाएं तो क्या करें। उन्हें बताएँ कि वे किसी पुलिसकर्मी, सुरक्षा कर्मी या आयोजन स्थल के वॉलंटियर की मदद लें।

4. GPS ट्रैकर या स्मार्टवॉच का इस्तेमाल करें

बच्चों को GPS ट्रैकर या स्मार्टवॉच पहनाएं, जिससे आप उनकी लोकेशन ट्रैक कर सकें। यह तकनीक गुम होने की स्थिति में बहुत उपयोगी होती है।

5. योजना बनाकर यात्रा करें

यात्रा से पहले महाकुंभ के नक्शे का अध्ययन करें। बच्चों के लिए एक निश्चित मिलन स्थल तय करें और उन्हें इसके बारे में जानकारी दें। इसके अलावा, भीड़भाड़ वाले स्थानों में हमेशा बच्चों का हाथ पकड़े रहें।

इन सावधानियों को अपनाकर आप महाकुंभ 2025 की यात्रा को बच्चों के साथ सुरक्षित और यादगार बना सकते हैं।

पिंगली वेंकैया ने किया तिरंगे का डिजाइन, जानें इसके रंगों और चक्र का रहस्य


भारत का राष्ट्रीय ध्वज न केवल हमारे देश की स्वतंत्रता का प्रतीक है, बल्कि यह देश की एकता, विविधता और सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। आइए जानते हैं इसके डिजाइन, रंगों का अर्थ और इसके इतिहास के बारे में विस्तार से।

1. राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन किसने तैयार किया?

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था।

पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक थे।

उन्होंने 1916 में भारतीय ध्वज के लिए कई डिजाइनों पर काम किया।

1931 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उनके डिजाइन को संशोधित रूप में स्वीकार किया।

22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया।

2. ध्वज का स्वरूप और रंगों का रहस्य

राष्ट्रीय ध्वज को "तिरंगा" कहा जाता है क्योंकि इसमें तीन क्षैतिज पट्टियां हैं। हर रंग का अपना विशेष महत्व है:

केसरिया रंग (ऊपरी पट्टी)

यह साहस, बलिदान और शक्ति का प्रतीक है।

यह देशवासियों को निस्वार्थ सेवा और समर्पण का संदेश देता है।

सफेद रंग (मध्य पट्टी)

यह शांति, सच्चाई और पवित्रता का प्रतीक है।

यह देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने का संदेश देता है।

हरा रंग (निचली पट्टी)

यह समृद्धि, हरियाली और प्रगति का प्रतीक है।

यह पर्यावरण और कृषि के महत्व को दर्शाता है।

3. अशोक चक्र का महत्व

सफेद पट्टी के केंद्र में अशोक चक्र स्थित है।

यह सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है।

चक्र में 24 तीलियां हैं, जो समय, प्रगति और सतत विकास का प्रतीक हैं।

यह धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

4. राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

1906: पहला भारतीय ध्वज (वंदे मातरम ध्वज) कोलकाता में फहराया गया।.

1921: महात्मा गांधी ने पिंगली वेंकैया के डिजाइन को कांग्रेस के अधिवेशन में प्रस्तुत किया।

1931: तिरंगे को स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बनाया गया।

1947: भारत के स्वतंत्र होने पर इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।

5. राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार किया जाना चाहिए।

इसे हमेशा सम्मान के साथ फहराया जाना चाहिए।

ध्वज को जमीन पर गिराना, फाड़ना या किसी अनुचित तरीके से इस्तेमाल करना अपराध है।

इसे केवल खादी या हाथ से बुने कपड़े से बनाया जा सकता है।

6. राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

राष्ट्रीय ध्वज न केवल भारत की आजादी का प्रतीक है, बल्कि यह हर भारतीय के गर्व, एकता और देशभक्ति का प्रतीक भी है। यह हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।

निष्कर्ष:

भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारी आजादी और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। इसके रंग और अशोक चक्र हमें साहस, शांति और सतत विकास की प्रेरणा देते हैं। तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है।

वॉकिंग या घरेलू काम जानें किसमें होती हैं ज्यादा कैलोरी बर्न


फिटनेस और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि वॉकिंग और घरेलू कामों में से कौन-सी गतिविधि ज्यादा कैलोरी बर्न करती है। दोनों ही एक्टिविटीज़ आपके शरीर को सक्रिय रखने में मदद करती हैं, लेकिन इनमें कैलोरी बर्न करने की क्षमता अलग-अलग होती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

1. वॉकिंग से कैलोरी बर्न

वॉकिंग एक लो-इंटेंसिटी एक्सरसाइज है, जो हर उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है।

औसत कैलोरी बर्न:

30 मिनट की सामान्य गति से (4-5 किमी/घंटा) चलने पर 120-150 कैलोरी बर्न होती है।

तेज वॉकिंग (ब्रिस्क वॉक):

अगर आप तेज़ी से चलते हैं, तो यह आंकड़ा 200 कैलोरी तक पहुंच सकता है।

फायदे:

हृदय स्वास्थ्य में सुधार

वजन घटाने में मदद

मांसपेशियों की मजबूती

2. घरेलू कामों से कैलोरी बर्न

घरेलू काम जैसे झाड़ू-पोंछा, बर्तन धोना, खाना बनाना, या कपड़े धोना भी कैलोरी बर्न करने में सहायक होते हैं।

औसत कैलोरी बर्न:

झाड़ू-पोंछा: 150-200 कैलोरी/घंटा

बर्तन धोना: 100-120 कैलोरी/घंटा

खाना बनाना: 80-100 कैलोरी/घंटा

फायदे:

. पूरे शरीर की गतिविधि होती है

 

. घर साफ-सुथरा रहता है

. मानसिक संतोष मिलता है

3. कौन बेहतर है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस उद्देश्य से गतिविधि कर रहे हैं।

अगर फिटनेस और वजन घटाना प्राथमिकता है, तो वॉकिंग ज्यादा प्रभावी है।

तेज वॉकिंग या हाइकिंग जैसी गतिविधियां ज्यादा कैलोरी बर्न करती हैं और हृदय को स्वस्थ रखती हैं।

अगर समय की कमी है और मल्टीटास्किंग करना चाहते हैं, तो घरेलू काम बेहतर विकल्प हैं।

ये आपको सक्रिय रखते हैं और साथ ही घर को व्यवस्थित भी करते हैं।

4. दोनों को कैसे संतुलित करें?

सुबह या शाम को 20-30 मिनट की वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

दिन के दौरान घरेलू काम करते समय खुद को एक्टिव रखें।

झाड़ू-पोंछा जैसे काम करते समय तेज़ी से मूव करें, ताकि अधिक कैलोरी बर्न हो सके।

वॉकिंग और घरेलू काम, दोनों ही अपने-अपने तरीके से फायदेमंद हैं। अगर आप ज्यादा कैलोरी बर्न करना चाहते हैं, तो वॉकिंग को प्राथमिकता दें। लेकिन अगर आप समय का बेहतर उपयोग करना चाहते हैं, तो घरेलू काम भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। दोनों को मिलाकर करने से आप फिट और स्वस्थ रह सकते हैं।

याद रखें: कोई भी गतिविधि तभी असरदार होगी, जब आप इसे नियमित रूप से करेंगे।