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पीएम मोदी के पॉडकास्ट पर कांग्रेस का तंज, जयराम रमेश ने कहा-8 महीने पहले खुद को बताया था नॉन बायोलॉजिकल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ अपना पॉडकास्ट डेब्यू किया, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया गया है। अपने पहले पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने निखिल कामथ के कई सवालों का जवाब दिया है। प्रधानमंत्री के इस पॉडकास्ट पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए इसे 'डैमेज कंट्रोल' बताया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर प्रधानमंत्री की इस बातचीत को लेकर निशाना साधा है।

पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में कहा, ‘जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो मैंने एक भाषण दिया था जिसमें मैंने कहा था, मैं कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटूंगा और अपने लिए मैं कुछ नहीं करूंगा और मैं इंसान हूं जो गलतियां कर सकता हूं, लेकिन मैं बुरे इरादों से कभी कुछ गलत नहीं करूंगा। यह मेरे जीवन का मंत्र है। हर कोई गलती करता है, जिसमें मैं भी शामिल हूं। आखिरकार, मैं एक इंसान हूं, कोई भगवान नहीं।

पीएम मोदी के इस बयान पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने रिएक्शन दिया है। राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा, 'यह उसी व्यक्ति का बयान है जिसने 8 महीने पहले अपना 'नॉन-बायोलॉजिकल' स्टेटस घोषित किया था। यह स्पष्ट रूप से डैमेज कंट्रोल है।

बता दें कि पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें महसूस होता है कि वह जैविक नहीं बल्कि भगवान द्वारा भेजे गए हैं। उनकी यह टिप्पणी सुर्खियों में रही। इस टिप्पणी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं ने कई बार कोट किया और उनका मजाक भी उड़ाया। कांग्रेस ने उन्हें “गैर जैविक” और “दिव्य” कहा।

इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ मीम्‍स, पॉडकास्ट में हंसते हुए क्‍या बोले पीएम मोदी?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की दोस्ती अक्सर चर्चाओं में रहती है। मेलोनी ने कई मौकों पर पीएम मोदी के नेतृत्व और विजन की सराहना की है। वहीं, सोशल मीडिया पर दोनों को लेकर बनने वाले मीम्‍स भी खूब वायरल होते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में जेरोधा के फाउंडर निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट में अपने ऊपर बने 'मेलोडी मीम्स' पर रिएक्ट किया। यह मीम्स इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ उनकी मुलाकात के बाद वायरल हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इन मीम्स पर हंसते हुए कहा कि वो तो चलता रहता है।

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ पॉडकास्ट निखिल कामथ ने बड़े सहज तरीके से कई रोचक सवाल पूछे हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा चर्चा इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी से संबंधित सवाल की हो रही है। दरअसल, निखिल कामथ ने इंटरव्यू के दौरान पूछा, लोग इंटरनेट पर कहते हैं कि आपको इटली के बारे में बहुत कुछ पता है। यह सवाल दागकर निखिल मुस्कुराने लगे। कुछ सेंकेड रुके फिर बोले कि आप इसके बारे में कुछ कहना चाहेंगे। कामथ ने पीएम मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के 'मेलोडी मीम्स' को लेकर सवाल किया। पूछा कि क्या उन्होंने ये मीम्स देखे हैं, तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि वो तो चलता रहता है। पीएम मोदी ने आगे बताया कि वो ऑनलाइन चर्चाओं या मीम्स पर समय बर्बाद नहीं करते।

निख‍िल कामथ के साथ पॉडकास्‍ट में पीएम मोदी ने कहा, एक दौर वो भी था जब अमेर‍िकन सरकार ने मेरा वीजा रद्द कर द‍िया था। व्‍यक्‍त‍ि के रूप में मेरा अमेर‍िका जाना नहीं जाना, कोई बड़ी बात नहीं थी। लेकिन एक चुनी हुई सरकार के मुख‍िया का अपमान, ये मैं महसूस करता था। मुझे मन में कसक थी। क्‍या हो रहा है। कुछ लोगों ने झूठ चला द‍िया और दुन‍िया ने ये मान ल‍िया। इस तरह के निर्णय होने लगे। क्‍या ऐसे चलती है दुन‍िया। तभी मैंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, मैं अब ऐसा ह‍िन्‍दुस्‍तान देखता हूं क‍ि दुन‍िया वीजा के ल‍िए लाइन में खड़ी रहेगी। पीएम मोदी ने कहा-ये 2005 का मेरा स्‍टेटमेंट है। आज 2025 है, देख लीजिए। मुझे द‍िख रहा है क‍ि अब समय भारत का है।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति होंगे गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट, लेकिन पाकिस्तान को लेकर फंस रहा पेच

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इस बार भारत सरकार ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबावो सुबियांतो को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। मगर अब तक सरकार की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इसी बीच इस मामले में एक पेच फंस गया है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि राष्ट्रपति सुबियांतो 26 जनवरी को पाकिस्तान भी जाएंगे।इस पेच को दूर करने में भारत सरकार जुटी है। इसको दूर करने के बाद ही उनके आधिकारिक भारत दौरे की घोषणा हो सकती है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने आधिकारिक सूत्र के हवाले से लिखा है कि सुबियंतो 26 जनवरी की परेड में मुख्य अतिथि होंगे। मगर अब तक यात्रा के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। आम तौर पर इस तरह की घोषणा महीनों पहले ही कर दी जाती है। घोषणा में देरी की वजह यह है कि पाक मीडिया में यह खबर है कि इंडोनेशियाई राष्ट्रपति 26 जनवरी को तीन दिवसीय यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं।

सुबियांतो को न्योते की बात भी पिछले साल नवंबर में सामने आ गई थी लेकिन आधिकारिक ऐलान में देरी हो रही है। इस देरी के बीच, पाकिस्तानी मीडिया में खबरें आईं कि इंडोनेशियाई राष्ट्रपति 26 जनवरी को तीन दिन की यात्रा के लिए इस्लामाबाद पहुंच सकते हैं। हालांकि, सुबियांतों को मनाने की चल रही कोशिशों के बीच सूत्रों का कहना है कि गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि तो सुबियांतो ही होंगे।

भारत ने हाल ही में दूसरे देशों के नेताओं को प्रोत्साहित किया है कि वे भारत यात्रा के दौरान पाकिस्तान को अपने कार्यक्रम में शामिल न करें और दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग रखें। ऐसा माना जा रहा है कि भारत ने इस मुद्दे को इंडोनेशिया के साथ कूटनीतिक रूप से उठाया है, और सुबियांतो को गणतंत्र दिवस समारोह के बाद सीधे इस्लामाबाद जाने से रोकने की कोशिश कर रहा है।

ऐसा माना जाता है कि भारतीय सैन्य परेड के तुरंत बाद इस्लामाबाद की यात्रा भारत के लिए नकारात्मक संकेत दे सकती है, खासकर पाकिस्तान के साथ सीमा पार आतंकवाद जैसे विवादित मुद्दों के चलते।

दिल्ली में चुनाव से पहले पूर्वांचली वोटर्स पर बीजेपी और आप आमने-सामने, जानें किन सीटों पर पूर्वांचलियों का दबदबा

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दिल्ली में वोटर लिस्ट के नाम पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार आपस में भिड़े हुए हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों को जोड़ा जा रहा है। केजरीवाल ने कहा है, एक लाख की छोटी सी विधानसभा सीट है, उसमें पिछले 15 दिन में 13 हजार नए वोटर बनने की एप्लिकेशन कहां से आ गई? जाहिर तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार से ला लाकर, आस-पास के स्टेट से लाकर फर्जी वोट बनवा रहे हैं ये लोग। आम आदमी के इस आरोप को बीजेपी ने पूर्वांचली वोटरों से अपमान से जोड़ा है।

भाजपा का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचली वोटर का अपमान किया है। इसे लेकर दिल्ली में शुक्रवार को खूब बवाल हुआ। भाजपा ने केजरीवाल का घेराव किया। इस दौरान खूब गहमागहमी दिखी। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के बयान पर यह प्रदर्शन किया।

दिल्ली में वोटर लिस्ट और पूर्वांचलियों पर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नेता लगातार आपस में भिड़े हुए हैं। दिल्ली में पूर्वांचली वोटर सियासी लिहाज से काफी अहम हैं। पूर्वी यूपी और बिहार के वोटरों को पूर्वांचली वोटर कहते हैं। उनकी तादाद दिल्ली में अच्छी खासी है। आंकडों में देखें तो करीब 25 से 30 फीसदी पूर्वांचली वोटर दिल्ली में रहते हैं।25 से 30 फीसदी वाले ये पूर्वांचली वोटर्स दिल्ली की कई सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करते हैं।

पहले भी यूपी-बिहार पर कर चुके हैं टिप्पणी

केजरीवाल की जुबान से पहली बार बिहार-यूपी को केंद्र कर प्रतिकूल प्रभाव वाली टिप्पणी नहीं निकलती है। इससे पहले 2019 में भी केजरीवाल ने कुछ ऐसा कह दिया था, जिससे काफी बवेला मचा था। पहली बार केजरीवाल ने कहा था कि बिहार जैसे राज्यों से लोग 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आ जा रहे हैं और 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराते हैं। उनके इस बयान पर भाजपा और जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी।केजरीवाल अब कह रहे हैं कि भाजपा बिहार-यूपी से लोगों को दिल्ली लाकर वोटर बनवा रही

दिल्ली की पूर्वांचल बहुल सीट

दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ प्रवासियों का शहर कहा जाता है। दिल्ली की आबादी में करीब 40 फीसदी प्रवासी ही हैं जो उत्तर प्रदेश, बिहार और देश के अलग अलग राज्यों में रोज़गार की तलाश में आते हैं। पूर्वांचली लगभग 70 सीटों में आधे पर जीत हार में फर्क डालते हैं। बुराड़ी, लक्ष्मी नगर, पड़पड़गंज, राजेंद्र नगर, बादली, मॉडल टाउन, घोंडा, करावल नगर, किराड़ी, रिठाला, छतरपुर, द्वारका, पालम, विकासपुरी, बदरपुर, संगम विहार और जनकपुरी दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में वो प्रमुख सीटे हैं जहां पर पूर्वांचली वोटर जिधर जाता है उसी की जीत तय मानी जाती है।

दिल्ली में पूर्वांचल का प्रभाव

दिल्ली में बसे पूर्वांचल के लोग तकरीबन दो दर्जन सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। यही वजह है कि बिहार मूल की राजनीतिक पार्टियां भी दिल्ली चुनाव में ताल ठोंकने के लिए बेचौन दिखती हैं। जेडीयू और आरजेडी के अलावा एलजेपी भी पिछले चुनावों में किस्मत आजमा चुकी हैं। इस बार भी तीनों पार्टियों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने तो बाजाप्ता प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली में एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ने की बात कुछ ही दिनों पहले कही थी।

हिंदी भाषा को लेकर रविचंद्रन अश्विन ने ऐसा क्या कहा, मच गया बवाल

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बीच में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। उनके इस फैसले से सभी को हैरानी हुई थी। इसके बाद अब अश्विन ने एक और हैरान करने वाली बात कही है जिससे विवाद खड़ हो गया है। अश्विन एक कॉलेज में ग्रेजुएशन सेरेमनी में पहुंचे थे जहां उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है।उनके हिंदी भाषा को लेकर दिए गए बयान पर देशभर में बहस छिड़ गई है।

चेन्नई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में स्टूडेंट्स से बातचीत के दौरान अश्विन ने उनसे सवाल किया। अश्विन ने एक इवेंट में कहा, “यहां पर अंग्रेजी के छात्र मुझे ‘हां’ कहें। फिर अश्विन ने कहा, तमिल। जब अश्विन ने तमिल कहा तो भीड़ से काफी आवाज आई। जब अश्विन ने हिंदी कहा तो भीड़ से कोई आवाज नहीं आई। इसपर अश्विन ने कहा, हां, हिंदी एक आधिकारिक भाषा है न कि राष्ट्रीय भाषा।

अश्विन का यह बयान ऐसे समय में आया जब 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ मनाया जा रहा है। अश्विन के इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। कई विरोधी पार्टियां जिसमें तमिलनाडु में सरकार चला रही डीएमके ने केंद्र पर ये आरोप लगाए हैं कि वह जानबूझकर हिंदी थोप रही है। अश्विन के बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया है। कई लोग उनके खिलाफ में उतर आए हैं तो। सोशल मीडिया पर अश्विन को जमकर ट्रोल किया जा रहा है।

बता दें कि रविचंद्रन अश्विन ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बीच में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का तीसरा मैच जो कि ब्रिसबेन में खेला गया था इसके बाद अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। अश्विन ने भारत के लिए 287 मैच खेलें और कुल 765 विकेट चटकाए। उन्होंने सभी फॉर्मेट में अपनी गेंदबाजी का जादू दिखाया लेकिन खासकर टेस्ट में वे खूब कामयाब हुए। टेस्ट में अश्विन अनिल कुंबले (619) के बाद दूसरे सबसे ज्यादा विकेट (537) लेने वाले भारतीय बॉलर हैं।

एक - दो दिन के अंदर मौसम में फिर आने वाला है बड़ा बदलाव


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

एक - दो दिन में ही मौसम में फिर बड़ा बदलाव आने वाला है। उत्तर भारत में तापमान में हल्की वृद्धि के बाद फिर गिरावट होने जा रही है। इस महीने का तीसरा बड़ा पश्चिमी विक्षोभ आज पहाड़ों पर पहुंचने वाला है। इसी दौरान बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर से नमी लेकर हवाएं भी आने वाली हैं।

दोनों तरह की हवाएं मैदानी क्षेत्र में संघनित होंगी, जिसके असर से अगले एक-दो दिनों के भीतर उत्तर भारत के बड़े क्षेत्र में बारिश का दौर शुरू हो जाएगा। राजस्थान में इसका असर तो दिखने भी लगा है। वहां चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बन चुका है, जो धीरे-धीरे दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की ओर खिसक रहा है।

भारत मौसम विभाग (आइएमडी) ने चक्रवातीय हवा के रूप में पश्चिमी विक्षोभ के असर से 11-12 जनवरी को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। उसके असर से मैदानी क्षेत्रों में हवा की दिशा में परिवर्तन होगा। इस दौरान उत्तरी-पश्चिमी हिस्से में छिटपुट वर्षा हो सकती है।आइएमडी के अनुसार 11 जनवरी को हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर गरज के साथ बारिश होगी। साथ ही दक्षिण हरियाणा एवं राजस्थान के कुछ हिस्सों में ओले भी गिर सकते हैं। पंजाब के पश्चिमी क्षेत्र एवं राजस्थान के क्षेत्रों में 11 जनवरी से बादल पहुंचने लगेंगे।मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि दस जनवरी के बाद अगले दो सप्ताह तक उत्तर-पश्चिम में कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना नहीं है। ऐसे में मौसम सामान्य रह सकता है। किंतु बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर से नमी लेकर आने वाली हवाओं का विस्तार मध्य प्रदेश के बैतूल जिले तक हो सकता है। इसके असर से 14 एवं 15 जनवरी को मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश हो सकती है।

पूर्वांचलियों को बीजेपी ने नहीं दिया सम्मान, काटे जा रहे उनके वोट”, केजरीवाल के इस बयान पर दिल्ली में बवाल

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दिल्ली में पूर्वांचल वोटरों को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है। अरविंद केजरीवाल के पूर्वांचलियों वाले बयान पर दिल्ली में बवाल मच गया है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। यह मार्च अशोक रोड से केजरीवाल के घर तक निकाला गया। बीजेपी ने इसे पूर्वांचल सम्मान मार्च नाम दिया है। सांसद मनोज तिवारी इसे लीड किया। बड़ी संख्या में बीजेपी के कार्यकर्ता केजरीवाल के घर पर प्रदर्शन करने पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर काबू पाने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया है। कई प्रदर्शनकारी बैरिकेड पर चढ़ गए।पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है।

विरोध मार्च को लेकर अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्वांचलियों का सबसे ज्यादा अपमान बीजेपी करती है। प्रदर्शन को लेकर केजरीवाल बोले कि वे अपने घर के बाहर एक टेंट लगा देता हूं। बीजेपी के अपने 100 लोगों को वहीं बैठा दे। बस आरोप वाले बैनर रोज बदल दिया करे।

इससे पहले बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सत्ता जाने के भय से अरविंद केजरीवाल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। अपनी सत्ता खोने का बदला केजरीवाल जी आप दिल्ली वालों से ले रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, भाजपा ने दिल्ली को भारत की अपराध राजधानी बना दिया है। दिल्ली में डकैती, चेन स्नैचिंग, गैंगवार हो रहे हैं, महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। भाजपा दिल्ली के लोगों से नफरत करती है। अपनी नफरत के कारण ही वे पिछले 25 सालों से दिल्ली की सत्ता में वापस नहीं आए हैं। मैंने दिल्ली के लोगों को भरोसा दिलाया है कि आप की सरकार बनने पर आरडब्ल्यूए को दिल्ली सरकार से फंड मिलेगा, ताकि वे अपने-अपने इलाकों में निजी सुरक्षा गार्ड नियुक्त कर सकें। भाजपा अब धरना पार्टी बन गई है। कल मैं चुनाव आयोग में शिकायत करने गया था कि भाजपा रोहिंग्या के नाम पर पूर्वांचल और दलितों के वोट काट रही है।'

पत्नी को कितनी देर निहारोगे, एक हफ्ते में 90 घंटे काम करें” L&T चेयरमैन सुब्रह्मण्यन की नसीहत पर बढ़ा विवाद

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इंजीनियरिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन और एमडी एसएन सुब्रह्मण्यम सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं। एसएन सुब्रह्मण्यम ने लोगों को 90 घंटे काम करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि अगर संभव हुआ तो कंपनी आपसे रविवार को भी काम करवाएगी। छुट्टी के दिन घर में बीवी को कितने देर तक घूरेंगे।

उनका एक वीडियो आया है जिसमें वह कर्मचारियों को 90 घंटे काम करने की नसीहत दे रहे हैं। सुब्रह्मण्यन को रेडिट पर सामने आए एक वीडियो में कर्मचारियों से यह कहते हुए सुना गया कि, मुझे खेद है कि मैं आपको रविवार को काम नहीं करवा सकता। अगर मैं आपको रविवार को काम करवा सकता हूं, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं। आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूर सकते हैं? पत्नी अपने पति को कितनी देर तक घूर सकती है?”

इस बात के सपोर्ट में सुब्रमण्यन ने एक चीन के व्यक्ति से हुई बातचीत भी शेयर की। उन्होंने कहा, 'उस व्यक्ति ने दावा किया कि चीन, अमेरिका से आगे निकल सकता है क्योंकि चीनी एम्प्लॉई हफ्ते में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि, अमेरिका में 50 घंटे काम करते हैं।'

नारायण मूर्ति ने दी थी 70 घंटे काम करने की सलाह

सुब्रह्मण्यन के इस बयान के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस पर चल रही बहस को बढ़ावा मिलने की संभावना है। इससे पहले इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने कुछ दिनों पहले देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। हालांकि, लार्सन एंड टुब्रो के चेयर मैन उनसे भी आगे निकल गए। उन्होंने 90 घंटे काम करने की बात कह दी।

वर्क-लाइफ पर अडाणी की राय

वहीं, वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अडाणी ने कहा था कि 'आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मेरे ऊपर और मेरा आपके ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसमें आनंद लेता है, तो यह उसका बैलेंस है। इसके बावजूद यदि आप आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी।'

अडाणी ने कहा था कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि उसे कभी ना कभी जाना है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है।

कितना है एसएन सुब्रह्मण्यन का वेतन?

सुब्रह्मण्यन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर छीछालेदर हो रही है। यूजर्स उनकी सैलरी तक खोज लाए हैं। कंपनी की सालना रिपोर्ट के मुताबिक सुब्रह्मण्यम को 2023-24 में 51 करोड़ रुपये की सैलरी मिली जो कंपनी को कर्मचारियों की औसत सैलरी से 534.47 गुना ज्यादा है। सुब्रह्मण्यम को इस दौरान बेस सैलरी के रूप में ₹3.6 करोड़, भत्तों के रूप में ₹1.67 करोड़ और कमीशन के रूप में ₹35.28 करोड़ रुपये मिले। साथ ही उन्हें ₹10.5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट बेनिफिट भी मिला। इस तरह उनके खाते में कुल 51.05 करोड़ रुपये आए जो साल 2022-23 की तुलना में 43.11 फीसदी अधिक है।

मौसम के मुताबिक बढ़ रहा एच‌एमपीवी, कोई खतरा नहीं: डब्ल्यूएचओ

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस यानी एचएमपीवी की बढ़ोतरी मौसम के स्वरूप के मुताबिक हो रही है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है और परेशानी की कोई बात नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उत्तरी गोलार्ध में तीव्र श्वसन संक्रमण सहित एचएमपीवी के प्रसार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कई देशों में श्वसन संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन यह इस समय के लिए सामान्य है। डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्तर पर श्वसन बीमारियों की निगरानी जारी रखता है और जरूरत पड़ने पर अपडेट देता है। डब्ल्यूएचओ इस वजह से किसी भी यात्रा या व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की सलाह नहीं दी है। इसका मतलब है कि लोग सामान्य तरीके से सफर और व्यापार कर सकते हैं, बगैर किसी अतिरिक्त पाबंदी के। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, संक्रमण में यह बढ़ोतरी आमतौर पर मौसमी वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा, रेस्पिरेटरी सिंकिशियल वायरस एचएमपीवी और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे माइकोप्लाज्मा निमोनिया की वजह से होती है। सर्दियों में कई वायरस के एक साथ प्रसार से कभी-कभी स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ सकता है। डब्ल्यूएचओ ने एचएमपीवी को लेकर कहा कि यह वायरस आमतौर पर सर्दियों और वसंत की शुरुआत में फैलता है। एचएमपीवी से संक्रमित ज्यादातर लोग हल्के लक्षण अनुभव करते हैं, जो सामान्य सर्दी जैसे होते हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है और अस्पताल में भर्ती होने जरूरत पड़ सकती है।

चीन पर नजर

डब्ल्यूएचओ चीन में एचएमपीवी के हालात को लेकर वह चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ संपर्क में है। अब तक चीन में एचएमपीवी जैसे श्वसन संक्रमण के किसी असामान्य स्वरूप या प्रकोप की रिपोर्ट नहीं मिली है। चीनी स्वास्थ्य प्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही है और वहां कोई आपात स्थिति या दबाव नहीं है। चीन के मुताबिक, एचएमपीवी सहित श्वसन संक्रमण का स्तर सर्दियों के मौसम के लिए सामान्य है। अस्पतालों का इस्तेमाल बीते साल के इसी वक्त के मुकाबले कम है और किसी आपात उपाय की जरूरत नहीं पड़ी है।

ज्यादा ठंडे क्षेत्रों में बरते एहतियात

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुझाव दिया है कि सर्दियों वाले क्षेत्रों में लोग खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाव के लिए उपाय करें। इसमें बीमार महसूस करने पर घर पर रहना, आराम करना, भीड़भाड़ वाली या कम हवादार जगहों पर मास्क पहनाना,हाथ धोना और खांसते या छींकते समय रुमाल या कोहनी का इस्तेमाल करना शामिल है।

दावा : फरवरी तक खत्म हो जाएगा वायरस का असर

फरवरी तक एचएमपीवी का प्रसार लगभग समाप्त हो जाएगा। लगभग दो साल तक सांस की दिक्कतों की वजह से एक अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि केवल 1.4 फीसदी बच्चे ही एचएमपीवी से प्रभावित थे। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की ओर से दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं ‘सेम सेक्स मैरिज’ पर पुनर्विचार याचिका, कहा- फैसले में कोई खामी नहीं

#supreme_court_dismisses_review_petitions_against_same_sex_marriage_judgment

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता खारिज करने के अपने ऐतिहासिक फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई खामी नहीं है। फैसले कानून के मुताबिक हैं। इसमें हस्तक्षेप ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2023 में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से दोबारा विचार की मांग की गई थी। लेकिन 5 जजों की बेंच ने माना है कि वह फैसला सही था। पहले दिए गए एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि समान-लिंग संघों को कानूनी मंजूरी देने का कोई संवैधानिक आधार नहीं था।

अपने नए फैसले में, कोर्ट ने कहा कि उसके पहले के फैसले में रिकॉर्ड के अनुसार कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं थी। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि मूल फैसले में व्यक्त विचार कानून के अनुरूप थे और इसमें किसी और हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। नतीजतन, फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली सभी समीक्षा याचिकाएं खारिज कर दी गईं, जिससे कोर्ट के पहले के रुख को बल मिला।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने पुनर्विचार याचिकाओं के लिए तय नियम के मुताबिक इसे बंद चैंबर में देखा। अगर जजों को लगता कि पहले आए फैसले में कोई कानूनी कमी है या कुछ अहम सवालों के जवाब उस फैसले में नहीं दिए गए, तब वह इसे खुली अदालत में सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश देते। लेकिन जजों को दोबारा सुनवाई की ज़रूरत नहीं लगी।

जस्टिस गवई के साथ जो 4 जज बेंच में शामिल थे, उनके नाम हैं- जस्टिस सूर्य कांत, बी वी नागरत्ना, पी एस नरसिम्हा और दीपांकर दत्ता। इनमें से सिर्फ जस्टिस नरसिम्हा ही इकलौते जज हैं, जो 2023 में फैसला देने वाली 5 जजों की बेंच के सदस्य थे। उस बेंच के बाकी 4 सदस्य जज अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

जिस फैसले पर दोबारा विचार की मांग करते हुए 13 याचिकाएं दाखिल हुई थीं, उसमें कहा गया था कि विवाह कोई मौलिक अधिकार नहीं है। समलैंगिकों को भी अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने का अधिकार है, लेकिन उनके संबंधों को शादी का दर्जा देने या किसी और तरह से कानूनी मान्यता देने का आदेश सरकार को नहीं दिया जा सकता. सरकार अगर चाहे तो ऐसे जोड़ों की चिंताओं पर विचार करने के लिए कमेटी बना सकती है। कोर्ट ने माना था कि यह विषय सरकार और सांसद के अधिकार के क्षेत्र में आता है। कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि समलैंगिक जोड़े बच्चा गोद नहीं ले सकते।