ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने, ओबीसी आरक्षण की क्रीमीलेयर शर्तों में साजिशन बदलाव करने पर भड़की ओबीसी महासभा
मिर्ज़ापुर। उत्तर प्रदेश में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने का मुद्दा पुनः जोर पकड़ रहा है. इसे मुद्दे को जोर देते हुए ओबीसी महासभा ने मिर्ज़ापुर मुख्यालय पर प्रदर्शन करते हुए महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश को संबोधित 19 सूत्रीय मांगों से संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपकर कार्रवाई की मांग की है.
हाथों में तख्तियां और बैनरों के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करते हुए महासभा के मोहन यादव ने कहा कि
ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने एवं ओबीसी आरक्षण की क्रीमीलेयर शर्तों में साजिशन बदलाव कर ओबीसी आरक्षण से बड़ी संख्या में बाहर किये जाने का कुचक्र रचा गया है. जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.
इस दौरान ओबीसी महासभा द्वारा बिंदूवार मांगों को रखतें हुए कहा गया कि भारत के राष्ट्रपति, भारत के संविधान के अनुच्छेद 258 का अनुपालन करते हुए राज्यों को निर्देशित करें कि राज्य सरकार कैबिनेट एवं विधानसभा सत्र बुलाकर ओबीसी की जातिगत जनगणना कराये जाने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजते हुए ओबीसी महासभा की मांग से अवगत कराये.
संघ सरकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 घ के खण्ड 6 एवं 243 न के खण्ड 6 तथा अनुच्छेद 330 और 332 खण्ड 3 का अनुपालन करें और तदनुसार ओबीसी के लिए व्यवस्था बनाने हेतु मंडल आयोग की अनुशंसाओं को पूर्णतः लागू करते हुए राज्यवार विधानसभाओं में सीटें और लोकसभा में 353 सीटे आरक्षित की जाए.
कहा संघ सरकार अनुच्छेद 340 का पालन करे और ओबीसी आरक्षण में असंवैधानिक क्रीमीलेयर की शर्तों में साजिशन सैलरी, कृषि आय को जोड़कर भविष्य में ओबीसी वर्ग की बहुत बड़ी आबादी को ओबीसी आरक्षण से बाहर किये जाने की सरकार की मंशा अनुरूप बीपी शर्मा रिपोर्ट पर रोक लगाते हुए असंवैधानिक क्रीमीलेयर को हटाया जाए. इसी प्रकार जो प्राधिकारी विभाग में अनुच्छेद 38 और 39 मूलभाबना के विरूद्ध कार्य कर रहें है उन्हें बंद किया जाये और लगातार शासकीय विभागों के किये जा रहे निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल बंद किया जाए संगठन इसका पुरजोर विरोध दर्ज कराता है.
अनुच्छेद 46 के विरूद्ध लागू EWS को समाप्त किया जाये और देशभर में EWS प्रक्रिया लागू होने के पश्चात 50% आरक्षण सीमा की बाध्यता समाप्त होने के कारण 54% से अधिक संख्या वाले पिछड़े वर्ग को सरकार द्वारा दिए गए 27% आरक्षण के विरूद्ध प्रस्तुत याचिकाओं में शासन का पक्ष मजबूती से रखते हुए, संविधान के अनु. 16 (4) के तहत शासकीय, अशासकीय, न्ययायपालिका सहित समस्त क्षेत्रों में 54% ओबीसी आरक्षण लागू कराया जाना सुनिश्चित किया जाए. अनुच्छेद 309 का उलंघ्मन करने वाले प्राधिकारियों को दण्डित किया जाये तथा सहारा इंडिया एवं पर्ल्स इंश्योरेंस में फंसा हुआ जनता का धन तत्काल दिलाया जाए.
अनुच्छेद 15 के विरूद्ध ओबीसी वर्ग के पिछड़े, अतिपिछड़े कर्मचारियों-अधिकारियों, अधिवक्ताओं के साथ सामान्य वर्ग अधिकारियों द्वारा जातिगत भेदभाव के कारण शोषण, अन्याय अत्याचार के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिये उन्हें दण्डित किया जाये,
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों सहित देशभर में किसानों की वर्तमान उपज मूल्य बढ़ाकर तीन गुना किया जाए, स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट को लागू किया जाए, कोलेजियम सिस्टम के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया के समाप्त कर न्यायिक सेवा आयोग का गठन कर उसके माध्यम से परीक्षा के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्तियां की जायें.
ओबीसी महासभा के प्रदेश महासचिव मिथिलेश कुमार ने कहा
बेरोजगार युवक-युवतियों के समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिये मासिक बेरोजगारी भत्ता, न्यूनतम आवेदन शुल्क, किराया भत्ता जैसी सुविधओं के साथ "रोजगार गारंटी बिल" लाया जाए. केंद्र एवं राज्य सरकार में ओबीसी के रिक्त पदों (बैकलॉग) को अतिशीघ्र भरा जाए,
ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को शासकीय नौकरियों से बंचित रखने की जातिवादी अधिकारियों की साजिशन मुहिम पर रोक लगाई जाए,
अग्निवीर नियुक्ति प्रक्रिया को समाप्त कर पूर्व की भांति पूर्णकालिक नियुक्तियां करने का प्रविधान लागू किया जाए
केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत केंद्रीय विद्यालय समकक्ष देशभर के विकासखण्ड में प्रस्तावित हज़ारों मॉडल स्कूल को बनाया जाना सुनिश्चित किया जाए, भारतीय सेना में अग्निवीर नियुक्ति प्रक्रिया को समाप्त करके पूर्व की भांति पूर्णकालिक नियुक्तिर्या करने का प्रविधान लागू किया जाये, केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 A में संशोधन करके महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का सम्बन्धित विधेयक के वर्तमान स्वरूप का ओबीसी महासभा प्रबल विरोध करती है तथा यह मांग करती है कि ओबीसी महिलाओं को भी संख्यात्मक सहभागिता के अनुरूप आरक्षण का प्रावधान किया जायें.
कहां वर्तमान समय में संविधान पर हो रहे प्रहार का ओबीसी महासभा प्रबल विरोध करती है संविधान रक्षा के लिए ओबीसी महासभा बृहत आन्दोलन के लिए बाध्य होगी. इसी तरह से मत्सय पालन के लिए आंवटित की जाने वाली जल प्रणालियों का आवंटन मछुआ समुदाय को ही किया जाये, सुप्रीमकोर्ट द्वारा एससी एसटी वर्ग के आरक्षण को वर्गीकृत किये जाने एवं असंवैधानिक क्रीमीलेयर लागू किये जाने सम्बन्धी निर्णय पारित किया गया है, जिसका ओबीसी महासभा प्रबल विरोध करती है.
भारत का संविधान के अनुच्छेद 43 के प्रावधानों के अनुसार कर्मकारों, मजदूरों का न्यूनतम पारिश्रमिक शिष्ट जीवन स्तर ज्ञापन करने वाली स्थितियों के अनुरूप 50,000 रुपया मासिक निर्धारित किया जाये.
अंत में सभी ने एक स्वर में उपरोक्त मांगों पर तत्काल कार्यवाही कर पिछड़े वर्ग को संख्या के अनुपात प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए ओबीसी समाज के साथ किये जा रहे अन्याय अत्याचार पर अंकुश लगाने के लिये कठोरतम कदम उठाए जाने की मांग
करते हुए कहा कि मांगों पर विचार न होने की दशा में ओबीसी महासभा आगामी दिवस में देशभर में आंदोलन के लिये विवश होगी जिसकी
जवाबदेही शासन-प्रशासन की होगी.
Dec 28 2024, 15:53