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नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ किसे उतारेगी बीजेपी?

#delhi_elections_bjp_embroiled_in_the_question_of_kejriwal_vs_who

दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों का लान तो अब तक नहीं हा है। हालांकि, फरवरी में संभावित चुनाव को लेकर सियासत गरमाने लगी है। नई दिल्ली विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट बनने जा रही है। इस सीट पर एक पूर्व मुख्यमंत्री का मुकाबला दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से हो सकता है। पूरी संभावना है कि बीजेपी नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को उतारे। वहीं कांग्रेस यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को पहले ही अपना उम्मीदवार बना चुकी है। अब सबको बीजेपी की पहली सूची का इंतजार है, जो इस सप्ताह के आखिर तक आने की संभावना है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही बीजेपी अब आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को घेरने की रणनीति में जुटी है। पार्टी ऐसे तगड़े नाम खोज रही है, जिनके जरिए न सिर्फ अरविंद केजरीवाल बल्कि दिल्ली सरकार के मौजूदा मंत्रियों को भी तगड़ी टक्कर दी जा सके। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार की योजनाओं के दम पर मजबूत स्थिति में हैं। वहीं बीजेपी के पास अब तक मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं है जिससे पार्टी की रणनीति सवालों के घेरे में है।

केजरीवाल के लिए ये जाल बुन रही बीजेपी

बीजेपी ने अब तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल को तगड़ी टक्कर देना चाहती है और इस तरह की रणनीति बना रही है ताकि केजरीवाल चुनाव प्रचार में अपने ही क्षेत्र में फंसे रहें और दूसरे इलाकों में प्रचार के लिए उन्हें वक्त निकाले में दिक्कत हो। पार्टी की नजर केजरीवाल के मुकाबले में पार्टी के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा पर है। फिलहाल जो पैनल बनाया गया है, उसमें नई दिल्ली विधानसभा सीट पर प्रवेश वर्मा का नाम उपर रखा गया है। इसके अलावा पार्टी सुनील यादव के नाम पर भी विचार कर रही है। यादव दिल्ली ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष हैं।

भाजपा के पास न चेहरा, न एजेंडा : केजरीवाल

वहीं केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी के पास दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए न तो कोई चेहरा है न ही कोई एजेंडा। उन्होंने कहा कि हम पांच साल के काम गिना रहे और जनता को बता रहे हैं कि अगले पांच साल क्या काम करेंगे। उन्‍होंने कहा कि भाजपा झूठ बोल रही है और लोगों को बहका रही है। उन्‍होंने कहा कि भाजपा के पास यह चुनाव लड़ने के लिए कोई एजेंडा नहीं है, कोई प्‍लानिंग नहीं है। वो दिल्‍ली के लोगों को यह बताएं कि पांच साल में दिल्‍ली के लिए भाजपा ने क्‍या काम किया है।

साथ ही केजरीवाल ने महिला सम्मान और संजीवनी योजना के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत अपने चुनाव क्षेत्र नई दिल्ली से की है। हालांकि सवाल ये है कि क्या ये नई योजनाएं जीत की गारंटी बनेंगी? क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी ने जिस तरह से केजरीवाल की घेराबंदी शुरू की है, इस हाई प्रोफाइल सीट को बचाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होता दिख रहा है।

स्पेस में फंसी सुनीता विलियम्स ने सेलिब्रेट किया सेलिब्रेशन, सोशल मीडिया शुरू हुआ नया विवाद, नासा को देनी पड़ी सफाई

#sunitawilliamscelebratingchristmasinspacestartedanew_controversy

नासा की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अपने साथी क्रू मेंबर्स के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर क्रिसमस का जश्न मनाया। नासा ने इसका एक वीडियो भी शेयर किया है। जिसमें सुनीता विलियम्स को अपने साथियों के साथ जश्न मनाते हुए देखा जा रहा है। विलियम्स और उनके साथी आईएसएस के कोलंबस प्रयोगशाला मॉड्यूल के अंदर सांता टोपी पहने पूरी धरती को क्रिसमस और न्यू ईयर की बधाई देते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि, इन तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर खुशी के साथ-साथ विवाद भी पैदा कर दिया। यूजर्स कहने लगे कि क्या सुनीता विलियम्स अपने साथ क्रिसमस की टोपी और सेलिब्रेशन के बाकी सामान लेकर गई थीं। इसका मतलब तो यह हुआ कि उन्हें लंबे मिशन पर ही भेजा गया था और यह बात छिपाई गई। अब नासा को इस विवाद पर जवाब देना पड़ा है।

सुनीता और बुच, जिन्हें सिर्फ आठ दिनों के मिशन के लिए भेजा गया था, तकनीकी बाधाओं के चलते लगभग एक साल से अंतरिक्ष में हैं। उनकी उत्सव मनाते हुए तस्वीरें जैसे ही सामने आईं, सोशल मीडिया पर लोगों ने कई सवाल खड़े किए। कुछ ने पूछा, "क्या ये सैंटा हैट और सजावट अपने साथ लेकर गए थे? एक अन्य यूजर ने कहा, ये वही लोग हैं जो जून में 8-दिवसीय मिशन के लिए गए थे? वहीं, अन्य ने इसे 'षड्यंत्र' करार देते हुए दावा किया कि ये तस्वीरें स्टूडियो में बनाई गई हैं।

नासा ने क्या कहा

नासा ने कथित तौर पर इस बयानबाजी पर प्रतिक्रिया दी है। नासा ने एक पोस्ट में कहा कि स्पेस में मौजूद आईएसएस चालक दल के सदस्यों के लिए सभी उत्सव की सजावट, विशेष उपहार और क्रिसमस का खाना नवंबर के अंत में भेजे गए तीन टन स्पेसएक्स डिलीवरी में शामिल थे। यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि ये लगातार होने वाली डिलीवरी आईएसएस को साल भर में बार-बार ताजा आपूर्ति से भर देती है। वर्तमान में सात अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर हैं।

अफगानिस्तान में पाक की एयर स्ट्राइक, अब तक 15 की मौत, क्या उठ रहे सवाल?

#pakistanlaunchesairattackonafghanistan15_killed

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से की गई ये एयर स्ट्राइक पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में कई गई है। इस एयरस्ट्राइक में महिलाओं और बच्चों समेत 15 लोगों के मारे जाने की खबर है। तालिबान ने पाकिस्तान के हमले की कड़ी निंदा की है और उसने जवाबी कार्रवाई की बात कही है।तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि बमबारी में ‘वजीरिस्तानी शरणार्थियों’ को निशाना बनाया गया। ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे थे। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने अफगानिस्तान के इलाकों में बमबारी की है। इन हवाई हमलों में बड़े पैमाने पर तबाही मची है। पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के बाद क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान की इस एयर स्ट्राइक में अभी तक 15 लोगों के मारे जाने की बात सामने आ रही है। मरने वालों में खास तौर पर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। भी भी कई इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी है। जबकि कई घायलों की हालत बेहद गंभीर है, जिनका फिलहाल अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस एयर स्ट्राइक की वजह से कई लोगों की इलाज के दौरान भी मौत हो सकती है।

हमले का करारा जवाब देने की चेतावनी

तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बरमल, पक्तिका पर रात में पाकिस्तान की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। अफगानिस्तानी मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा। हालांकि मंत्रालय ने अपनी भूमि और संप्रभुता की रक्षा के अधिकार पर जोर दिया है। मंत्रालय की कहा, ‘पाकिस्तान की एय़र स्ट्राइक में वजीरिस्तानी शरणार्थियों को निशाना बनाया गया है। ये वो लोग हैं जो पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में अफगानिस्तान पहुंचे थे। इस हमले में मरने वालों में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमला कर अपने ही लोगों क मार दिया है।

पाकिस्तान और तालिबान के बीच क्यों तनाव?

तालिबान वजीरिस्तानी शरणार्थियों को आदिवासी क्षेत्रों से आए आम नागरिक मानता है, जो पाकिस्तानी सेना की ओर से सैन्य अभियानों के कारण विस्थापित हुए हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि दर्जनों टीटीपी कमांडर और लड़ाके अफगानिस्तान भाग गए हैं और सीमावर्ती प्रांतों में अफगान तालिबान उनकी सुरक्षा कर रहे हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांतों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की मौजूदगी को लेकर, जबकि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर टीटीपी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। तालिबान इन दावों को खारिज करता आया है और जोर देकर कहता रहा है कि वे समूह के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।

क्या दिल्ली की सीएम आतिशी होने वाली हैं गिरफ्तार, केजरीवाल के दावे के पीछे की क्या है वजह?
#arvind_kejriwal_claims_atishi_arrested_in_fake_case_within_few_days *
* दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल को एक बड़ा डर सता रहा है। केजरीवाल को डर है आम आदमी पार्टी के सीनियर नेताओं के घर रेड होगी और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। दिल्ली के पूर्व सीएम और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक्स पोस्ट पर ये बड़ा दावा किया है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना से ये लोग बुरी तरह से बौखला गए हैं। अगले कुछ दिनों में फर्जी केस बनाकर आतिशी जी को गिरफ्तार करने का इन्होंने प्लान बनाया है। उसके पहले “आप” के सीनियर नेताओं पर रेड की जायेंगी। केजरीवाल ने ऐसे वक्त में यह आशंका जाहिर की है, जब दिल्ली सरकार की ओर से शुरू की गई महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को लेकर बवाल हो गया है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने अलग-अलग पब्लिक नोटिस जारी कर कहा है कि दिल्ली में अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं है। ऐसे में कोई भी नागरिक अपनी निजी जानकारी किसी व्यक्ति के साथ साझा न करे। वहीं, आप ने अपने आधिकारिक एक्स पोस्ट पर लिखा, "महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को जनता का जबरदस्त Response मिल रहा है। उसे देखकर बीजेपी वाले बुरी तरह से घबरा गए हैं। बीजेपी वाले चाहे जितनी साजिश कर लें। दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल और CM आतिशी के साथ खड़ी है। हम बाबा साहेब अंबेडकर और भगत सिंह के चेले हैं। हम ना डरेंगे और ना ही झुकेंगे।
वाजपेयी ने दी भारत को नव विकास की गारंटी”, अटल जी को पीएम मोदी ने यूं किया याद
#pm_moditribute_to_atal_bihari_vajpayee_on_100th_birthday

* आज यानी 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का 100वां जन्म दिवस है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता अटल बिहारी जन्‍म के शताब्दी वर्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें याद करते हुए देश के लिए उनके योगदान को याद किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी कविताओं की साहसिक लाइन को याद किया। उन्होंने लिखा कि मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं…लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? अटल जी के ये शब्द कितने साहसी, कितने गूढ़ हैं? अटल जी, कूच से नहीं डरे, उन जैसे व्यक्तित्व को किसी से डर लगता भी नहीं था। पीएम मोदी ने आगे लिखा है, वह यह भी कहते थे...जीवन बंजारों का डेरा आज यहां, कल कहां कूच है..कौन जानता किधर सवेरा। आज अगर वह हमारे बीच होते, तो अपनी जन्मतिथि पर नया सवेरा देख रहे होते। मैं वह दिन नहीं भूलता, जब उन्होंने मुझे पास बुलाकर अंकवार में भर लिया था और जोर से पीठ पर धौल जमा दी थी। वह स्नेह, वह अपनत्व, वह प्रेम मेरे जीवन का बहुत बड़ा सौभाग्य रहा है। पीएम मोदी ने राजनितिक अस्थिरता के दौर में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व की सरहना की और कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए उनकी एनडीए सरकार ने जो कदम उठाए, उसने देश को एक नई दिशा, नई गति दी। 1998 के जिस काल में उन्होंने पीएम पद संभाला, उस दौर में पूरा देश राजनीतिक अस्थिरता से घिरा हुआ था। 9 साल में देश ने चार बार लोकसभा के चुनाव देखे थे। लोगों को शंका थी कि ये सरकार भी उनकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाएगी। ऐसे समय में एक सामान्य परिवार से आने वाले अटल जी ने, देश को स्थिरता और सुशासन का मॉडल दिया। भारत को नव विकास की गारंटी दी। *ऐसे नेता, जिनका प्रभाव भी आज तक अटल-पीएम मोदी* वो ऐसे नेता थे, जिनका प्रभाव भी आज तक अटल है। वो भविष्य के भारत के परिकल्पना पुरुष थे। उनकी सरकार ने देश को आईटी, टेलीकम्यूनिकेशन और दूरसंचार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ाया। उनके शासन काल में ही, एनडीए ने टेक्नॉलजी को सामान्य मानवी की पहुंच तक लाने का काम शुरू किया। भारत के दूर-दराज के इलाकों को बड़े शहरों से जोड़ने के सफल प्रयास किये गए। वाजपेयी जी की सरकार में शुरू हुई जिस स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने भारत के महानगरों को एक सूत्र में जोड़ा वो आज भी लोगों की स्मृतियों पर अमिट है। *लोकल कनेक्टिविटी को बढ़ाया-पीएम मोदी* लोकल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए भी एनडीए गठबंधन की सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए। उनके शासन काल में दिल्ली मेट्रो शुरू हुई, जिसका विस्तार आज हमारी सरकार एक वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के रूप में कर रही है। ऐसे ही प्रयासों से उन्होंने ना सिर्फ आर्थिक प्रगति को नई शक्ति दी, बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़कर भारत की एकता को भी सशक्त किया। *अटल सरकार में भाई-भतीजावाद में फंसी देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिली-पीएम मोदी* जब भी सर्व शिक्षा अभियान की बात होती है, तो अटल जी की सरकार का जिक्र जरूर होता है। शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानने वाले वाजपेयी जी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर व्यक्ति को आधुनिक और गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले। वो चाहते थे भारत के वर्ग, यानि ओबीसी, एससी, एसटी, आदिवासी और महिला सभी के लिए शिक्षा सहज और सुलभ बने। उनकी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई बड़े आर्थिक सुधार किए। इन सुधारों के कारण भाई-भतीजावाद में फंसी देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिली। उस दौर की सरकार के समय में जो नीतियां बनीं, उनका मूल उद्देश्य सामान्य मानवी के जीवन को बदलना ही रहा।
अब केजरीवाल के संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना पर उठे सवाल, जानें क्या है पूरा मामला?

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दिल्ली में केजरीवाल सरकार की महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषणा की गई योजना को लेकर एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के जारी किए जाने के बाद अब संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना पर अब सवाल खड़े हो गए हैं।दिल्ली के सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने एक पब्लिक नोटिस जारी कर कहा है कि राज्य में अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं है। ऐसे में कोई भी नागरिक अपनी निजी जानकारी किसी व्यक्ति के साथ साझा न करें।

दिल्ली सरकार के महिला और स्वास्थ्य विभाग ने महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को लेकर कहा है कि ये योजनाएं उनके पास अधिसूचित नहीं हैं। अधिसूचित होने पर दिल्ली सरकार स्वयं इसके लिए पोर्टल शुरू करेगी और पंजीकरण कराएगी। इन योजनाओं को लेकर जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली सरकार को मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि एक राजनीतिक पार्टी दिल्ली की महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत प्रति माह 2100 रुपये देने का दावा कर रही है। यह स्पष्ट किया जाता है कि दिल्ली सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना अधिसूचित नहीं की गई है। यदि और जब ऐसी कोई योजना अधिसूचित की जाती है, तो महिला एवं बालविकास विभाग, दिल्ली सरकार पात्र व्यक्तियों के लिए एक डिजिटल पोर्टल लॉन्च करेगा, ताकि वे अनुमोदित दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी आवेदन ऑनलाइन प्रस्तुत कर सकें। पात्रता की शर्ते और कार्यविधि विभाग द्वारा समय-समय पर स्पष्ट रूप से अधिसूचित की जाएंगी।

नोटिस में कहा गया है कि ऐसी कोई योजना अस्तित्व में नहीं है, इसलिए इस गैर- मौजूद योजना के तहत पंजीकरण के लिए फॉर्म/आवेदन के स्वीकार का सवाल ही नहीं उठता। कोई भी निजी व्यक्ति/राजनीतिक पार्टी जो इस योजना के नाम पर फॉर्म आवेदन एकत्रित कर रहा है या आवेदकों से जानकारी एकत्र कर रहा है, वह धोखाधड़ी कर रहा है और उसके पास कोई अधिकार नहीं है। नागरिकों को सावधान किया जाता है कि इस योजना के नाम पर व्यक्तिगत विवरण जैसे बैंक खाता जानकारी, वोटर आईडी कार्ड, फोन नंबर, आवासीय पता या कोई अन्य संवेदनशील जानकारी साझा करना सार्वजनिक डोमेन में जानकारी लीक होने का खतरा पैदा कर सकता है, जो अपराध/साइबर अपराध बैंकिंग धोखाधड़ी का कारण बन सकता है। इस स्थिति में नागरिक पूरी तरह से अपने जोखिम पर होंगे और उन्हें किसी भी तरह के परिणामों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

हाल ही में केजरीवाल ने की थी घोषणा

इस योजना के तहत अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली की मुख्यमंत्री अतिशि की सरकार केंद्र शासित प्रदेश की महिलाओं को हर माह एक हजार रुपये की सहायता करेगी। इसके साथ ही दिल्ली में आप की दोबारा सरकार बनने के साथ इस योजना के तहत सहायता राशि बढ़ाकर 2100 रुपये कर दी जाएगी।

इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बुजुर्गों के इलाज के लिए संजीवनी योजना शुरू की गई है। इस योजना के लिए 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पूरी तरह मुफ्त ईलाज की व्यवस्था है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी नोटिस में इस योजना को लेकर भी सचेत किया गया है।

केरीवाल ने दी प्रतिक्रिया

दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नोटिस को लेकर अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट लिखा है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना से ये लोग बुरी तरह से बौखला गए हैं। अगले कुछ दिनों में फ़र्ज़ी केस बनाकर आतिशी जी को गिरफ्तार करने का इन्होंने प्लान बनाया है उसके पहले “आप” के सीनियर नेताओं पर रेड की जायेंगी आज 12 बजे इस पर प्रेस कांफ्रेंस करूंगा।

मुझे ज़ोमैटो बहुत पसंद है लेकिन’: दिल्ली के ग्राहक की डिलीवरी एजेंट से बातचीत के बाद दीपिंदर गोयल से अपील

ज़ोमैटो डिलीवरी एग्जीक्यूटिव और दिल्ली के एक निवासी के बीच हुई दिल को छू लेने वाली मुलाकात ने सोशल मीडिया का ध्यान खींचा है। दिल्ली में रहने वाले हिमांशु बोहरा, शिवा सरकार नामक एक युवा डिलीवरी एग्जीक्यूटिव से मिलने के बाद बहुत दुखी हुए, जो अपने पिता के निधन के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अथक परिश्रम करता है।

यह कहानी बोहरा द्वारा लिंक्डइन पर पोस्ट की गई, जिसका शीर्षक था “शिव सरकार की कहानी।” उन्होंने बताया कि एक रात, सुबह 3 बजे काम खत्म करने के बाद, उन्होंने ज़ोमैटो के ज़रिए खाना ऑर्डर किया। जब दरवाज़े की घंटी बजी, तो उन्होंने दरवाज़ा खोला और पाया कि शिवा सरकार बाहर कड़ाके की ठंड के बावजूद एक गर्मजोशी भरी मुस्कान के साथ उनका ऑर्डर डिलीवर कर रहे थे। फिर भी, बोहरा को उस युवक के व्यवहार में एक अनकही भारीपन महसूस हुआ।

त्याग का जीवन

सरकार को अंदर बुलाते हुए, बोहरा ने उन्हें पानी दिया और धीरे से उनका हालचाल पूछा। तब उस युवक ने अपने संघर्षों के बारे में बताया। अपने पिता को खोने के बाद, उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कक्षा 8 में ही स्कूल छोड़ना पड़ा। अब, वह अपनी छोटी बहनों की शादी के लिए पैसे बचाने के लिए डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के तौर पर लंबे समय तक काम करते हैं।

बोहरा ने लिखा, "मैं उनकी ताकत देखकर दंग रह गया।" "यह युवक, जिसे अपनी आकांक्षाओं का पीछा करना चाहिए, इसके बजाय अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए समय के खिलाफ़ दौड़ रहा है, और वह भी ऐसे दृढ़ संकल्प के साथ जिसकी केवल प्रशंसा की जा सकती है।" बोहरा ने सरकार जैसे कई युवा व्यक्तियों के बारे में बताया, जो अपने परिवारों को पालने के लिए अपने सपनों का त्याग करते हैं। उन्होंने एक मार्मिक सवाल भी उठाया: समाज ऐसे व्यक्तियों की कैसे मदद कर सकता है?

बदलाव की अपील

अपने पोस्ट में ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल को संबोधित करते हुए, बोहरा ने डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के लिए अपस्किलिंग प्रोग्राम, स्कॉलरशिप या आसान लोन जैसी पहल का सुझाव दिया। उन्होंने पूछा, "क्या होगा अगर ये डिलीवरी एग्जीक्यूटिव फिर से सपने देख सकें? क्या वे ऐसे कौशल सीख सकें जो जीविकोपार्जन करते हुए उज्जवल भविष्य के द्वार खोल सकें?"

वायरल पोस्ट और प्रतिक्रियाएं

सरकार की एक तस्वीर (उनकी सहमति से शेयर की गई) के साथ पोस्ट तेज़ी से वायरल हो गई। ज़ोमैटो ने जवाब दिया, बोहरा की कहानी को उजागर करने के

लिए धन्यवाद दिया और डिलीवरी पार्टनर को सीधे प्रशंसा व्यक्त करने के लिए ऑर्डर आईडी का अनुरोध किया। सोशल मीडिया उपयोगकर्ता भी उतने ही भावुक थे। “यही कारण है कि मानवता मायने रखती है,” एक ने लिखा। दूसरे ने टिप्पणी की, “शिव की कहानी हम सभी को कड़ी मेहनत को महत्व देने के लिए प्रेरित करती है।” एक उपयोगकर्ता ने प्रणालीगत बदलावों का आह्वान करते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि कंपनियाँ अपने फ्रंटलाइन कर्मचारियों में निवेश करें।”

पाकिस्तान और BRICS: रणनीतिक रिश्ते और भविष्य की संभावनाएँ

पाकिस्तान का BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) के साथ संबंध जटिल रहा है, जिसमें देश सदस्य नहीं है, लेकिन विभिन्न तरीकों से इस समूह के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ इस संबंध का एक अवलोकन है:

1. गैर-सदस्य स्थिति:

पाकिस्तान BRICS का सदस्य नहीं है। इस समूह की शुरुआत 2006 में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRIC) से हुई थी, और दक्षिण अफ्रीका 2010 में शामिल हुआ। हालांकि पाकिस्तान ने इस समूह में शामिल होने की इच्छा जताई है, खासकर इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्व के कारण, लेकिन इसे अब तक पूर्ण सदस्य बनने का निमंत्रण नहीं मिला है। यह सदस्यता न मिलने की एक बड़ी वजह भारत के साथ क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा है, जो BRICS का एक मुख्य सदस्य है।

2. आर्थिक संलिप्तता:

सदस्य न होने के बावजूद, पाकिस्तान BRICS के कई देशों के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध बनाए रखता है। यह चीन, जो BRICS के भीतर प्रमुख साझेदार है, के साथ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के ढांचे में जुड़ा हुआ है, जो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिनजियांग क्षेत्र से जोड़ता है। यह रणनीतिक गठबंधन पाकिस्तान को क्षेत्रीय आर्थिक गतिवधियों में महत्वपूर्ण बनाता है, जिससे यह अप्रत्यक्ष रूप से चीन के माध्यम से BRICS से जुड़ा हुआ है।

3. भारत के साथ संबंध:

BRICS में भारत की सदस्यता पाकिस्तान के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर लंबी प्रतिस्पर्धा रही है। इस प्रतिस्पर्धा के कारण, पाकिस्तान का BRICS में शामिल होने का प्रयास अक्सर विफल होता है। भारत के साथ कूटनीतिक और भू-राजनीतिक तनाव की वजह से पाकिस्तान के लिए BRICS में सदस्यता पाना मुश्किल है।

4. कूटनीतिक और रणनीतिक हित:

पाकिस्तान ने विभिन्न तरीकों से BRICS के साथ जुड़ने की कोशिश की है। यह कुछ BRICS आउटरिच सम्मेलनों में दक्षिण एशियाई क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के रूप में शामिल हुआ है, लेकिन जब भी भारत से जुड़ी संवेदनशील समस्याएँ उठती हैं, तो इसे अक्सर मुख्य चर्चाओं से बाहर रखा जाता है। रूस के साथ पाकिस्तान के संबंधों में वृद्धि हो रही है, और दोनों देशों ने रक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने में रुचि दिखाई है। यह बढ़ता हुआ संबंध BRICS से पाकिस्तान की अप्रत्यक्ष भागीदारी के लिए अवसर खोल सकता है।

5. चीन की भूमिका:

BRICS में चीन का प्रभाव पाकिस्तान के इस समूह के साथ संबंधों में एक महत्वपूर्ण कारक है। पाकिस्तान ने चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है, और यह रणनीतिक साझेदारी पाकिस्तान के व्यापक कूटनीतिक रुख को प्रभावित करती है। जबकि BRICS स्वयं पाकिस्तान को औपचारिक रूप से शामिल नहीं करता है, पाकिस्तान का चीन के साथ संबंध अक्सर इसे विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संदर्भों में समूह के करीब लाता है।

6. भविष्य की संभावनाएँ:

भविष्य में BRICS के विस्तार को लेकर चर्चा रही है, और पाकिस्तान, ईरान जैसे देशों ने इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है। हालांकि, BRICS के निर्णय लेने की प्रक्रिया जटिल है, और कोई भी विस्तार मौजूदा सदस्य देशों के हितों को संतुलित करना होगा, खासकर भारत और चीन के, जो इस समूह की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पाकिस्तान का BRICS के साथ संबंध मुख्य रूप से अप्रत्यक्ष है, लेकिन यह चीन के साथ उसकी रणनीतिक साझेदारी और भारत के साथ उसकी प्रतिस्पर्धा से प्रभावित होता है। जबकि यह औपचारिक संरचना से बाहर है, पाकिस्तान व्यापार, ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से BRICS देशों के साथ द्विपक्षीय आधार पर जुड़ा हुआ है, खासकर चीन के साथ। पाकिस्तान की BRICS में भागीदारी के लिए भविष्य की संभावनाएँ व्यापक भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर निर्भर करती हैं, जिसमें चीन, भारत और अन्य प्रमुख वैश्विक खिलाड़ियों के बीच बदलते हुए रिश्ते शामिल हैं।

पनामा नहर की क्या है अहमियत, अमेरिका के कंट्रोल की दी धमकी, ट्रंप के बयान से मची खलबली

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से कहा है कि वह पनामा नहर की फीस कम करे या तो उस पर नियंत्रण अमेरिका को वापस कर दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि मध्य अमेरिकी देश पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाज़ों से ज़्यादा क़ीमत वसूल रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।

ट्रंप के पास अगले महीने अमेरिका की कमान आने वाली है।इससे पहले ट्रंप ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास कर सकता है जिसे अमेरिका ने ‘मूर्खतापूर्ण’ तरीके से अपने मध्य अमेरिकी सहयोगी को सौंप दिया था। ट्रंप ने अपनी इस बात के पीछे तर्क दिया कि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस अहम नहर से गुजरने के लिए जहाजों से ‘बेवजह’ शुल्क वसूला जाता है।

एरिजोना में ‘टर्निंग प्वाइंट यूएसए अमेरिकाफेस्ट’ में समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने ये बातें कहीं। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इस धारणा को अपने देश की संप्रभुता का अपमान बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पनामा कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप के बयान को खारिज कर कहा, 'नहर और उसके आसपास का हर वर्ग मीटर पनामा का है और पनामा का ही रहेगा। पनामा के लोगों के कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन जब हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की बात आती है तो हम सभी एकजुट हैं। इसलिए नहर का नियंत्रण पनामा का है और यह कभी भी सौदेबाजी का विषय नहीं होगा।'

पनामा नहर अहम क्यों?

82 किलोमीटर लंबी पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है। इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं। पनामा की तरक़्क़ी का इंजन उसकी यही नहर है। पनामा के पास जब से नहर का नियंत्रण आया है, तब से उसके संचालन की तारीफ़ होती रही है। पनामा की सरकार को इस नहर से हर साल एक अरब डॉलर से ज़्यादा की ट्रांजिट फीस मिलती है। हालांकि पनामा नहर रूट से कुल वैश्विक ट्रेड का महज पाँच फ़ीसदी करोबार ही होता है।

अमेरिका ने पनामा को क्यों सौंपी थी नहर

अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण किया था। उसका मकसद अपने तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना था। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। इसके बाद पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ लेकिन 1999 में इस पर पूरा नियंत्रण पनामा का हो गया था। अमेरिका ने 1977 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत 31 दिसंबर 1999 को जलमार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।

पनामा नहर विवादों में क्यों?

यह नहर जलाशयों पर निर्भर है और 2023 में पड़े सूखे से यह काफी प्रभावित हुई थी, जिसके कारण देश को इससे गुजरने वाले जहाजों की संख्या को सीमित करना पड़ा था। इसके अलावा नौकाओं से लिया जाने वाला शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। इस वर्ष के बाद के महीनों में मौसम सामान्य होने के साथ नहर पर पारगमन सामान्य हो गया है लेकिन शुल्क में वृद्धि अगले वर्ष भी कायम रहने की उम्मीद है।

पाकिस्तान को बड़ा झटकाः ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज की लिस्ट में भी नहीं मिली जगह, भारत के वीटो के आगे हुआ पस्त

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ब्रिक्स में सदस्यता पाने का ख्वाब देखने वाले पाकिस्तान का सपना चूर हो गया है। पाकिस्तान की ब्रिक्स की सदस्यता पाने की उम्मीदों को भारत के सख्त विरोध ने चकनाचूर कर दिया है। भारत के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान न सिर्फ ब्रिक्स की सदस्यता से वंचित हुआ, बल्कि उसे पार्टनर कंट्रीज की सूची में भी जगह नहीं मिल पाई। इस बीच, तुर्किए ने खुद को ब्रिक्स पार्टनर कंट्रीज की सूची में शामिल कराकर महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किया है।

रूस ने हाल ही में 13 नए पार्टनर कंट्रीज की घोषणा की है। रूस ने इन 13 देशों को ब्रिक्‍स में पार्टनर कंट्री बनने का न्‍योता भेजा है जिसमें से 9 ने इसकी पुष्टि कर दी है। ये नौ देश हैं- बेलारूस, बोलविया, इंडोनेशिया, कजाखस्‍तान, क्‍यूबा, मलेशिया, थाइलैंड, यूगांडा, उज्‍बेकिस्‍तान। ये पार्टनर कंट्रीज आगे चलकर ब्रिक्‍स के सदस्‍य बनेंगे। ये देश 1 जनवरी 2025 से ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज बनेंगे

चीन-रूस का समर्थन भी नहीं आया काम

हालांकि, इन 13 देशों में पाकिस्‍तान का नाम नहीं है। पाकिस्तान, जो चीन और रूस के समर्थन से ब्रिक्स में प्रवेश की कोशिश कर रहा था, इस सूची में अपनी जगह बनाने में असफल रहा।

ब्रिक्स में भारत का सख्त रुख

भारत का विरोध पाकिस्तान की ब्रिक्स में सदस्यता के प्रयासों के लिए सबसे बड़ा अवरोध साबित हुआ। पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए चीन और रूस से समर्थन प्राप्त किया था, लेकिन भारत ने साफ तौर पर इसका विरोध किया। ब्रिक्स के नए सदस्य देशों को शामिल करने के लिए सभी संस्थापक सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। भारत ने पाकिस्तान की दावेदारी का कड़ा विरोध किया, जिससे उसके लिए दरवाजे बंद हो गए। भारत का यह विरोध पाकिस्तान की विदेश नीति के कमजोर पक्ष को उजागर करता है। भारत के सख्त रुख के कारण पाकिस्तान के लिए ब्रिक्स का दरवाजा बंद हो गया।

कश्‍मीर को लेकर तुर्की के बदले रूख का असर?

ब्रिक्‍स के 13 नए पार्टनर कंट्रीज का ऐलान हो गया है जिसमें सबसे बड़ा फायदा तुर्की को हुआ है। इन दिनों कश्‍मीर मुद्दे को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उठाने से परहेज कर रहे तुर्की को पार्टनर कंट्रीज में जगह मिल गई है। माना जा रहा है कि कश्‍मीर को लेकर तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगन के रुख में आए बदलाव की वजह से भारत ने ब्रिक्‍स में उसकी दावेदारी का विरोध नहीं किया।

राजनयिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन

विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की की ब्रिक्‍स में भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कूटनीतिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन के माध्यम से देशों को महत्वपूर्ण कूटनीतिक लाभ मिल सकता है। तुर्की ने अपने कूटनीतिक रिश्तों में लचीलापन दिखाते हुए भारत के साथ अपने पुराने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने तुर्की के पक्ष में सहमति जताई। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपने राजनयिक प्रयासों में उस लचीलापन और समायोजन का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे उसे इस अवसर का लाभ मिल सकता था। पाकिस्तान को अब अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।

ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान की बड़ी व‍िफलता

ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज में भी पाकिस्तान को जगह नहीं मिलने की बड़ी वजह उसकी विदेश नीति है। कुछ पाकिस्‍तानी विश्लेषकों भी ये बात मानते हैं। पाकिस्‍तान की विदेश मामलों की जानकार और चर्चित पत्रकार मरियाना बाबर ने एक्‍स पर लिखा', ' यह पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय की पूरी तरह से विफलता है। वह भी तब जब इशाक डार विदेश मंत्री हैं जिनकी विदेशी मामलों में सबसे कम रुच‍ि है। यहां तक कि नाइजीरिया ने पाकिस्‍तान से बेहतर किया है। पाकिस्‍तान को रूस, चीन और भारत ने ब्रिक्‍स से बाहर रखा।' बता दें कि इशाक डार नवाज शरीफ के समधी और मरियम नवाज के ससुर हैं। इशाक डार पहले वित्‍त मंत्री हुआ करते थे लेकिन अब उन्‍हें शहबाज शरीफ के विरोध के बाद मजबूरन विदेश मंत्रालय से संतोष करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के लिए क्यों जरूरी थी ब्रिक्स की सदस्यता

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को अगर ब्रिक्स में सदस्यता मिल जाती, तो इसके माध्यम से उसे कई लाभ मिल सकते थे। ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ पाकिस्तान को व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नए अवसर मिल सकते थे। ब्रिक्स का सदस्य बनने से पाकिस्तान को विभिन्न वैश्विक मंचों पर भी अधिक प्रभाव मिल सकता था। इसके अलावा, ब्रिक्स के सदस्य देशों से आर्थिक सहायता और सहयोग पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता था।

विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है। इसे अपनी विदेश नीति को अधिक लचीला और समायोजनीय बनाना होगा, ताकि भविष्य में इसे इस तरह के अवसरों से वंचित नहीं होना पड़े।