भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे श्रीलंकाई जमीन का इस्तेमाल', एक ही लाइन से दो देशों को अलग-अलग संदेश
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भारत दौरे पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भरोसा दिलाया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत की सुरक्षा के खिलाफ करने की अनुमति नहीं देंगे। दिसानायके का आश्वासन ऐसे समय में आया है, जब भारत ने 2022 में कोलंबो के समक्ष चीनी शोध पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की इजाजत देने पर आपत्ति जताई थी। बता दें कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए हैं। इस दौरान उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की है।
भारत दौरे पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने दिल्ली में रक्षा सहयोग पर चर्चा के दौरान संयुक्त बयान में भरोसा दिलाया कि वह अपनी जमीन का किसी भी तरह से भारत की सुरक्षा के खिलाफ उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे।भारतीय प्रधानमंत्री के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिसानायके ने कहा, मैंने भारत के प्रधानमंत्री को यह आश्वासन भी दिया है कि हम अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह से ऐसे काम के लिए नहीं होने देंगे जो भारत के हित के लिए हानिकारक हो। भारत के साथ श्रीलंका का सहयोग निश्चित रूप से फलेगा-फूलेगा और मैं आपको भारत के लिए हमारे निरंतर समर्थन के बारे में आश्वस्त करना चाहता हूं।
दरअसल श्रीलंका में चीन के बढ़ते दखल से भारत की चिंता बढ़ी हुई है। दो साल पहले जब श्रीलंका कर्ज चुकाने में विफल रहा था तो चीन ने उसके हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था। चीन ने यहां पर अपने नौसैनिक निगरानी और जासूसी जहाज को खड़ा किया। अगस्त 2022 में चीनी नौसेना के जहाज युआन वांग 5 ने दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में डॉक किया। इसके बाद दो चीनी जासूसी जहाजों को नवंबर 2023 तक 14 महीने के भीतर श्रीलंका के बंदरगाहों में डॉक करने की अनुमति दी गई थी। चीनी शोध जहाज 6 अक्टूबर 2023 में श्रीलंका पहुंचा और उसने कोलंबो बंदरगाह पर डॉक किया। इस जहाज के डॉक करने का उद्देश्य समुद्री पर्यावरण पर रिसर्च थी।
भारत और अमेरिका ने इसे लेकर चिंता जताई थी। नई दिल्ली ने आशंका जताई थी कि चीनी जहाज जासूसी जहाज हो सकते हैं और कोलंबो से ऐसे जहाजों को अपने बंदरगाहों पर डॉक करने की अनुमति न देने का आग्रह किया था। भारत द्वारा चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने जनवरी में अपने बंदरगाह पर विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब श्रीलंका और भारत के बीच हुए रक्षा समझौते के बाद श्रीलंका ने अपना रुख साफ किया है।





Dec 17 2024, 12:01
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