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रायगढ़ के 6 राइस मिलों में जिला प्रशासन व खाद्य विभाग की संयुक्त टीम ने दी दबिश, दो मिलों को किया सील…
रायगढ़- अनुबंध के बाद भी धान उठाव करने में रुचि नहीं दिखा रहे राइस मिलर्स पर अब सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है. इस कड़ी में प्रदेश के अन्य जिलों की तरह रायगढ़ जिले में भी खाद्य विभाग के साथ जिला प्रशासन के संयुक्त दल ने छह राइस मिलों का औचक निरीक्षण किया. अनियमितता और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर खरसिया के दो राइस मिल्स, आनंदी और नारायण राइस मिल को सील करने का निर्देश दिया. 

जिला प्रशासन व खाद्य विभाग की संयुक्त टीम ने डोंगीतराई स्थित सत्यम बालाजी राइस मिल सहदेवपाली, व्योम राइस मिल, एनएस राइस इंडस्ट्रीज और जीएस राइस इंडस्ट्रीज के अलावा खरसिया स्थित आनंदी और नारायण राइस मिल की जांच की.

जिला खाद्य अधिकारी खुमेश्वर सिंह ने बताया कि संयुक्त जांच टीम द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2023- 24 के कस्टम मिलिंग के बाद चावल जमा का स्टॉक वेरिफिकेशन किया जा रहा है. खरसिया के आनंदी राइस मिल में बीते वर्ष के धान कस्टम मिलिंग के स्टॉक का मिलान किया जा रहा है. प्रारंभिक जांच में स्टॉक में अंतर मिलने पर जांच प्रक्रिया पूरी होने तक आनंदी राइस मिल को सील कर नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई की जा रही है.

वहीं खरसिया के नारायण राइस मिल में बीते वर्ष के कस्टम मिलिंग के लेखों की जांच की जा रही है, साथ ही इस वर्ष कस्टम मिलिंग में रुचि नहीं लेने के चलते जांच की प्रक्रियाधीन कार्रवाई पूरी होने तक नारायण राइस मिल को भी सील किया गया है.

जिला खाद्य अधिकारी ने आगे बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में कस्टम मिलिंग के लिए कई मिलर्स ने पंजीयन नहीं कराया है, वहीं कई मिलर्स पंजीयन कराने के पश्चात भी अनुमति एवं अनुबंध का निष्पादन नहीं करते हुए शासकीय धान के उठाव में रुचि कम दिखा रहा है. यह छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 का उल्लंघन है. कायदे से मिलर को मिलिंग क्षमता के 50 प्रतिशत का शासकीय धान का कस्टम मिलिंग करना अनिवार्य है.

इस कड़ी में राइस मिलों में जांच टीम ने दबिश देते हुए नियमानुसार जांच में जुटी है. वहीं मिलर को पंजीयन कराने और बैंक गारंटी व एफडीआर करवा कर धान का उठाव करने और कस्टम मिलिंग भी शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. खाद्य विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा आगामी समय में प्रतिदिन आंकड़ों के आधार पर इस स्थिति पर नजर रखी जाएगी और समय- समय पर आवश्यकतानुसार युक्तियुक्त कार्रवाई की जाएगी.

विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर मुख्यमंत्री साय ने जताया शोक, कहा- ‘संगीत की दुनिया में अपूरणीय क्षति’

रायपुर-  विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है. अमेरिका में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. उन्होंने सेन फ्रांसिसको में अंतिम सांस ली. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि उस्ताद जाकिर हुसैन एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिनका भारतीय संगीत जगत में अमूल्य योगदान रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके निधन से संगीत की दुनिया में अपूरणीय क्षति हुई है. श्री साय ने दिवंगत आत्मा को शांति और उनके परिवार को इस कठिन समय में संबल देने की कामना की है.

फैंस और बॉलीवुड में भी शोक की लहर

गौरतलब है कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने करियर में तीन ग्रैमी अवॉर्ड ही नहीं जीते थे, बल्कि उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था. जाकिर को पिछले हफ्ते हार्ट से जुड़ी समस्या हुई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनके निधन की खबर सुनकर न केवल फैंस बल्कि, बॉलीवुड में भी शोक की लहर है. वहीं सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है. 

बस्तर ओलंपिक इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, विकास और नई उम्मीदों की नींव डालने का काम करेगा

रायपुर-  केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बस्तर ओलंपिक समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि आज यहां ऐतिहासिक बस्तर ओलंपिक-2024 का समापन हो रहा है। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक यहां मौजूद डेढ़ लाख बच्चों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बस्तर के सभी सातों ज़िलों की उम्मीदों की पहचान बनने वाला है। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक आने वाले दिनों में बस्तर के विकास की यशगाथा बनने वाला और नक्सलवाद पर अंतिम प्रहार करने वाला है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज बस्तर बदल रहा है लेकिन जब 2026 में बस्तर ओलंपिक का आयोजन होगा तब हम कहेंगे कि हमारा बस्तर बदल गया है। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक ने “बदल रहा से बदल गया है” की प्रक्रिया की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक की सकारात्मक ऊर्जा लाखों आदिवासी किशोरों को गलत रास्ते पर जाने से रोकेगा, उन्हें भारत के निर्माण की प्रक्रिया के साथ जोड़ेगी और लाखों ग्रामीणों और आदिवासियों के कल्याण का माध्यम भी बनेगी। श्री शाह ने कहा कि बस्तर ओलंपिक इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, विकास और नई उम्मीदों की नींव डालने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में मिलने वाले पदकों में से आधे पदक हमारे आदिवासी बच्चे लाते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बस्तर ओलंपिक खेलों और इनके माध्यम से विकास की शुरूआत आने वाले दिनों में बस्तर के आदिवासी बच्चों के लिए विश्व के क्षितिज को खोलने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद की हिंसा से प्रभावित दिव्यांगजनों की व्हीलचेयर रेस बस्तर के विकास की रफ्तार का प्रतीक बनेगी।

अमित शाह ने कहा कि एक ज़माना था कि जब बस्तर में बिजली, पानी नहीं था, भुखमरी थी, स्कूल जला दिए गए थे और दवाखाने और अस्पताल बंद थे। उन्होंने कहा कि लेकिन पिछले एक साल में राज्य सरकार ने हमारे बस्तर में गांवों को बदलने का बहुत बड़ा अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि विगत 5 साल में केन्द्र सरकार को राज्य सरकार का समर्थन नहीं मिला, लेकिन हमारी पार्टी की सरकार बनी और नक्सलवाद के खिलाफ हमारा अभियान तेज़ हो गया। उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर 287 नक्सलियों को मारा गया, लगभग 1000 नक्सली गिरफ्तार हुए और 837 ने आत्मसमर्पण किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर विकास के रास्ते पर अग्रसर होने और छत्तीसगढ़ के विकास में अपना योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे भारत में सबसे आकर्षक सरेंडर पॉलिसी बनाई है। श्री शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के हर गांव में भारत सरकार और राज्य सरकार की सभी 300 से अधिक जनकल्याण की योजनाओं को ज़मीन पर उतारने के प्रति कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि नियद नेल्लानार (Niyad Nellanar) योजना, गावों को स्वर्ग बनाने वाली योजना है। उन्होंने कहा कि आज बस्तर में स्कूल चल रहे हैं, बिजली पहुंची है, फोन की कनेक्टिविटी है, सड़कें बन रही हैं, पीने का पानी पहुंच रहा है, हर आदिवासी भाई-बहन को 5 किलो अनाज प्रति माह मिलता है और मोदी सरकार उनका पांच लाख रूपए का इलाज मुफ्त करा रही है।

अमित शाह ने कहा कि पिछले 10 साल में मोदी सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ दोनों मोर्चे पर काम किया है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां हिंसा में लिप्त नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा घेरा सख्त कर उन पर नकेल कसी गई है, वहीं दूसरी ओर आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों को बसाने का काम भी किया गया है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र, जो विकास की दौड़ में पिछड़ गए थे, उन्हें विकसित करने का काम भी मोदी सरकार ने किया है। श्री शाह ने कहा कि इसी कारण 1983 से जो क्षेत्र नक्सलवाद से पीड़ित थे, वहां सुरक्षाबलों की मृत्यु में 73 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में 70 प्रतिशत की कमी आई है। गृह मंत्री ने 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह से समाप्त कर देने की मोदी सरकार की कटिबद्धता को दोहराया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद समाप्त होने पर कश्मीर से ज्यादा पर्यटक हमारे बस्तर में आएंगे, बस्तर में इतना कुदरती सौंदर्य है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार यहां पर्यटन, लघु उद्योगों, कोऑपरेटिव क्षेत्र में डेयरी सेक्टर आदि को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी किसान द्वारा उगाए गए धान को भी सरकार ₹3100 मूल्य पर खरीदकर उसकी समृद्धि के प्रयास कर रही है। श्री शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में तेंदू पत्ता की खरीद के लिए भी इस प्रकार की योजना लाई जाएगी जिससे न तो किसानों के साथ अन्याय हो और न ही उससे नक्सलवाद का वित्त पोषण हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मसमर्पण करने वाले, नक्सली हिंसा के कारण दिव्यांग बने और नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 15 हज़ार अतिरिक्त आवासों को मंज़ूरी दी है जिनमें से 9000 से ज्यादा आवास बस्तर में बनने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ये बताता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र के प्रति कितनी संवेदना है।

अमित शाह ने कहा कि जब 2036 में भारत में ओलंपिक खेलों का आयोजन होगा तब यहां मौजूद बच्चों में से ही कोई भारत के लिए पदक जीतेगा और उस समय पूरा देश स पर गर्व करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का मूल मंत्र है Sports For All, Sports For Excellence और इस मंत्र को हम बस्तर में चरितार्थ करना चाहते हैं। श्री शाह ने कहा कि बस्तर में विकास, पर्यटन, शांति, विकास और सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत सैचुरेशन होगा और छत्तीसगढ़ जल्द ही नक्सलवाद से मुक्त होगा।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 साल में जल, जंगल और जमीन की रक्षा के साथ-साथ सुरक्षा, सम्मान और समावेशी विकास को भी आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि मोदी ने नक्सलवाद को समाप्त कर शांति और स्थिरता स्थापित करने के प्रयास किए हैं, आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैकड़ो आदिवासी स्वतंत्रतासेनानियों की याद में देशभर में संग्रहालय बनाए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है। श्री शाह ने कहा कि 2013-2014 में आदिवासी कल्याण का बजट 28000 करोड़ रूपए का था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने 2024-2025 में बढ़ाकर 1,33,000 करोड़ रूपए करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार विकास की स्पर्धा में पिछड़ गए आदिवासी क्षेत्रों, गांवों और आदिवासी युवाओं के विकास के प्रति समर्पित सरकार है।

अमित शाह ने कहा कि पहले डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड का पैसा उद्योगों में जाता था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस फंड का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी गांवों के विकास पर खर्च किया और बजट के अतिरिक्त 97 हजार करोड़ रूपए 10 साल में आदिवासी क्षेत्रों पर खर्च किया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में 6400 करोड़ रूपए की लागत से 708 एकलव्य रेजिडेंशियल स्कूल बने, जो पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल के मुकाबले 27 गुना अधिक है। उन्होंने कहाकि आदिवासी आदर्श ग्राम योजना के लिए मोदी सरकार ने 7000 करोड़ रूपए दिए, प्रधानमंत्री पीवीटीजीटी डेवलपमेंट मिशन के लिए 15000 करोड़ रूपए दिए और जनजातीय उन्नत ग्राम योजना में 63000 गांव के 5 करोड़ जनजातीय लोगों को सभी सुविधाएं प्रदान कराईं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि बस्तर में शांति स्थापित करने, यहां के कुदरती सौंदर्य को संभालते हुए इसे विकसित करने और दुनियाभर के पर्यटन को यहां लाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। उन्होंने कहा कि ये तभी संभव है जब सड़कें बनेंगी, रेल आएगी, बिजली और पानी उपलब्ध होंगे और सबसे महत्वपूर्ण शांति स्थापित होगी और शांति तभी स्थापित होगी जब नक्सलवाद को हम पूर्णतया समाप्त कर देंगे।

छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर अब तक हो चुकी 50 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर अब तक कुल 50 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन कियाजा चुका है। रायपुर संभाग में 14.52 लाख मीट्रिक टन, बिलासपुर संभाग में 9.76 लाख मीट्रिक टन, दुर्ग संभाग में 17.79 लाख मीट्रिक टन, बस्तर संभाग में 4.13 लाख मीट्रिक टन और सरगुजा संभाग में 3.80 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया है।

प्रदेश में कुल 27.78 लाख पंजीकृत किसानों में से अब तक 10.66 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा है। इनमें 2.92 लाख लघु एवं सीमांत कृषक और 6.26 लाख दीर्घ कृषक शामिल हैं। किसानों को उनकी फसल का भुगतान तेजी से किया जा रहा है। अब तक विपणन संघ द्वारा 10,770 करोड़ रुपये की राशि अपेक्स बैंक को अंतरित की जा चुकी है। इसके तहत, संबंधित किसानों के बैंक खातों में नियमित रूप से राशि स्थानांतरित की जा रही है।किसानों की सुविधा हेतु उपार्जन केंद्रों पर माइक्रो एटीएम की व्यवस्था की गई है। साथ ही, जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

धान उपार्जन के लिए बारदानों की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत सरकार की नीति के अनुसार, पुराने और नए बारदानों का उपयोग 50ः50 अनुपात में किया जा रहा है। प्रदेश में अनुमानित 160 लाख मीट्रिक टन धान के उपार्जन के लिए 4 लाख गठान नए बारदानों की आवश्यकता है, जिसमें से अब तक 3.65 लाख गठान उपलब्ध कराए जा चुके हैं। शेष बारदान अगले 15-20 दिनों में प्राप्त हो जाएंगे।

अब तक पीडीएस बारदानों के रूप में 54,153 गठान, मिलर बारदानों के रूप में 1,40,924 गठान और किसान बारदानों के रूप में 12,747 गठान उपयोग किए जा चुके हैं। सभी उपार्जन केंद्रों में बारदानों की कोई कमी नहीं है।

उपार्जित धान के संग्रहण और भंडारण का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। इस वर्ष भंडारण क्षमता को बढ़ाकर 37.25 लाख मी.टन कर दिया गया है। जिन केंद्रों में भंडारण क्षमता से अधिक धान जमा हो रहा है, वहां परिवहन आदेश जारी कर निकटतम संग्रहण केंद्रों में धान का परिवहन किया जा रहा है। अब तक 9.09 लाख मीट्रिक टन धान के परिवहन आदेश जारी किए जा चुके हैं।

कस्टम मिलिंग के लिए 2133 मिलरों के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 1672 राइस मिलरों का पंजीकरण हो चुका है। इन मिलरों को 3.37 लाख मीट्रिक टन धान के वितरण आदेश जारी किए गए हैं।

धान उपार्जन में रिसाइक्लिंग रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जा रही है । अब तक 733 प्रकरण दर्ज कर 41,303 क्विंटल अवैध धान जब्त किया गया है। सीमावर्ती जिलों में 273 चेकपोस्ट स्थापित किए गए हैं, जहां नियमित निगरानी की जा रही है। नोडल अधिकारियों द्वारा उपार्जन केंद्रों पर भौतिक सत्यापन और पोर्टल पर डेटा अपलोड करने का कार्य भी जारी है।

खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राइस मिलर और घोषित हड़ताल से वापस आ रहे हैं। राइस मिलों के पंजीयन, अनुमति अनुबंध एवं मिलिंग अनुबंध में लगातार वृद्धि हो रही है।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में हथियार छोड़ मुख्यधारा में शामिल हुए लोगों से मुलाकात की

रायपुर-   केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और असम के उन लोगों से मुलाकात की जो हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मुलाकात के बाद अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि 2019 में कश्मीर, उत्तरपूर्व और नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में देश के युवा हथियार लेकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे थे, हिंसा कर रहे थे और पूरे क्षेत्र को विकास से दूर रखते थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ये तय किया गया था कि जो लोग हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें ये मौका दिया जाए। श्री शाह ने कहा कि 2019 से 2024 तक सिर्फ नॉर्थईस्ट में ही 9000 से अधिक लोगों ने हथियार छोड़कर सरेंडर किया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में भी कई युवाओं ने सरेंडर किया है और अब भारत सरकार ऐसे लोगों और नक्सलवाद से पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए समग्र योजना बना रही है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में 15 हज़ार मकान बनाने को मंज़ूरी दी है। इसके साथ ही, नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में हर परिवार को एक गाय या भैंस देकर डेयरी कोऑपरेटिव बनाने की शुरूआत भी की जा रही है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प लिया गया था। उन्होंने कहा कि हिंसा रास्ता नहीं है, बल्कि जिन लोगों ने हथियार उठा रखे हैं, उन्हें मेनस्ट्रीम में वापिस लाना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सबसे अच्छी सरेंडर पॉलिसी बनाई है और इसे पूरे देश में रेप्लिकेट करके हथियार छोड़ने वाले युवाओं को समाज में पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।

अमित शाह ने हिंसा में लिप्त युवाओं से अपील की कि वे हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में आ जाएं। उन्होंने बस्तर ओलंपिक के बारे में बात करते हुए कहा कि बस्तर के होनहार बच्चे भारत का भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि 2025 से 2036 के ओलंपिक तक बस्तर के बच्चों को पदक जीतने के योग्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि जब बस्तर की एक बच्ची 2036 के ओलंपिक में पदक जीतेगी, वो नक्सलवाद को एक मज़बूत जवाब और पूरी दुनिया को संदेश होगा कि हिंसा रास्ता नहीं है बल्कि विकास रास्ता है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अब बहुत कम क्षेत्र नक्सलवाद से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि जो हिंसा में लिप्त हैं, वे भी हमारे अपने ही लोग हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के नागरिकों को स्कूल, दवाखाने, अस्पताल, मुफ्त अनाज, बिजली, शौचालय, पानी चाहिए और इन सभी सुविधाओं को आपके गांवों तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी छत्तीसगढ़ सरकार की है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं की सबसे पहली प्राथमिकता बस्तर है। उन्होंने कहा कि हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में आने वाले लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा किया है और उनका ये भरोसा टूटेगा नहीं और ऐसे लोगों को देखकर कई युवा हथियार छोड़कर विकास की यात्रा में शामिल होंगे।

9 साल की बच्ची के शव से दुष्कर्म: हाईकोर्ट ने दिया कानून का हवाला, आरोपी को नहीं मिली सजा
रायपुर-   छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 9 साल की बच्ची के शव से दुष्कर्म के आरोपी को सजा नहीं दी। मामले में लोअर कोर्ट ने आरोपी को केवल सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि जीवित और मृतक दोनों को गरिमा और उचित व्यवहार का अधिकार है, लेकिन मौजूदा कानून में शव से दुष्कर्म (नेक्रोफीलिया) के लिए सजा का प्रावधान नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी।

बता दें कि यह घटना 18 अक्टूबर साल 2018 की है। गरियाबंद निवासी महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह एक अफसर के यहां काम करती थी, उस दिन भी वह काम पर गई थी। घर पर उसकी नौ साल की बेटी और मां थीं। काम के बाद दोपहर में जब वह घर आई तो बेटी नहीं मिली। आसपास खोजबीन के बाद रिश्तेदारों व पहचानवालों से भी बेटी के संबंध में पूछताछ की, लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला।

महिला की शिकायत पर पुलिस मामला दर्ज कर अपहृत बच्ची की तलाश में जुट गई थी। 20 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक एमआर आहिरे के मार्गदर्शन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नेहा पांडे के निर्देशन व अनुविभागीय अधिकारी गरियाबंद संजय ध्रुव के पर्यवेक्षण में सुबह क्राइम स्क्वाड और डॉग स्क्वाड के साथ बच्ची की पतासाजी में पुलिस जुट गई। तभी डॉग स्क्वाड को एक गड्ढे में संदेहास्पद वस्तु होने का संकेत मिला। गड्ढे की सफाई की गई तो उक्त गुम बच्ची का शव मिट्टी में दबा हुआ मिला। मौके पर कार्यपालिका दंडाधिकारी और एफएसएल फोरेंसिक टीम रायपुर को सूचित कर उनकी उपस्थिति में पहचान कार्यवाही एवं घटनास्थल का निरीक्षण किया गया, जिसमें परिजनों द्वारा उनकी बेटी का ही शव होने की पुष्टि की गई।

पुलिस ने मामले में संदेह के आधार पर नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश और नितिन यादव से सघन पूछताछ की, जिसके बाद आरोपियों ने नाबालिग का अपहरण, दुष्कर्म और हत्या करना स्वीकार किया। पुलिस ने आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश (22) पिता गोरेलाल निवासी डाकबंगला और नितिन यादव (23) पिता आनंदराम निवासी दरीपारा थाना गरियाबंद को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

हाईकोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज की

मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने मुख्य आरोपी नितिन यादव को आईपीसी की धारा 376 (3) के तहत उम्रकैद, धारा 363 के तहत दो वर्ष, धारा 302 के तहत उम्रकैद, धारा 201 के तहत सात वर्ष और एट्रोसिटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं, नीलकंठ को साक्ष्य छिपाने के आरोप में ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 201 के तहत सात वर्ष कैद की सजा सुनाई है।

फैसले को बच्ची की मां ने हाईकोर्ट में दी चुनौती

बता दें कि ट्रायल कोर्ट के फैसले को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने सही ठहराते हुए निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा है। याचिका में कहा गया था कि महिलाओं के जीवित रहते हुए उनकी गरिमा की रक्षा के लिए कई कानून हैं, लेकिन मृत्यु के बाद उनकी गरिमा की रक्षा करने के लिए कोई कानून नहीं है।

विकास की यशोगाथा बनेगा बस्तर ओलंपिक : अमित शाह

रायपुर-     केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज बस्तर जिले के जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि बस्तर ओलंपिक आने वाले दिनों में बस्तर के विकास की यशोगाथा बनेगा और शांति, सुरक्षा, विकास और नई उम्मीद की नींव डालने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि हम देश से नक्सलवाद को पूर्ण रूप से 31 मार्च 2026 तक समाप्त करेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बस्तर से नक्सलवाद समाप्त होने पर यहां कश्मीर से ज्यादा पर्यटक आएंगे। मां दंतेश्वरी की कृपा से बस्तर को प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का वरदान मिला है। हम यहां पर पर्यटन को आगे बढ़ाएंगे। हम यहां पर छोटे-छोटे उद्योगों को आगे बढ़ाकर रोजगार के अवसरों का सृजन करेंगे। उन्होंने बस्तर के युवाओं से कहा कि हार मानने वाला कभी नहीं जीतता। जीतता वह है जो कभी हार नहीं मानता। बस्तर के अंदर अनेक संभावनाएं हैं। यहां जो 3000 बच्चे मेरे सामने बैठे हैं उसमें से कोई बच्चा अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक में गोल्ड मेडल लेकर आएगा तो पूरा भारत इस पर गर्व करेगा।

उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ हमने दोनों मोर्चे पर काम किया है। एक ओर वह नक्सली जो सरेंडर नहीं हुए और जो हिंसा करते थे उनके खिलाफ सुरक्षा बलों को खड़ा करके उनको मार गिराने का काम किया। जो सरेंडर हुए उनको बसाने का काम किया और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जो विकास से पिछड़ गए थे, उनको विकसित करने का अभियान भी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों के आशीर्वाद से राज्य में डबल इंजन की सरकार बनी और नक्सलवाद के खिलाफ हमारा अभियान तेज हुआ और नक्सल उन्मूलन की दिशा में हमें लगातार सफलता मिल रही है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तरवासियों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि आप सभी ने पूरे उत्साह के साथ बस्तर ओलंपिक में भाग लेकर इसे ऐतिहासिक रूप से सफल बनाया है। इस आयोजन में 1 लाख 65 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इतनी बड़ी संख्या में खिलाड़ियों के लिए प्रबंधन करना एक चुनौती थी, बस्तर संभाग के सातों जिलों की पूरी टीम ने इसे बखूबी पूरा किया, इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूँ।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मुझे यह कहते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि बस्तर ओलम्पिक के माध्यम से हम सभी बस्तर अंचल के युवाओं की ऊर्जा को खेल के माध्यम से एक सकारात्मक दिशा देने में सफल रहे हैं। बस्तर ओलंपिक का यह आयोजन केवल खेल नहीं है, बल्कि बस्तर की संस्कृति, उत्साह, और प्रतिभा का उत्सव है। यह आयोजन एक संदेश देता है कि बस्तर का असली चेहरा इसकी सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता है, न कि माओवाद की हिंसा।

इस आयोजन के माध्यम से हमने युवाओं को शासन-प्रशासन से जोड़कर विकास के कार्याें में सहभागी बनने की ओर उन्मुख किया है। आज जब लाखों युवा इस ओलंपिक में भाग लेते हैं और अपनी ऊर्जा को खेलों में लगाते हैं, तो यह हमारे लिए एक सुखद संकेत है। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलम्पिक का सफल आयोजन हमें विश्वास दिलाता है कि बस्तर के युवाओं की क्षमता और उनकी शक्ति को अगर सही दिशा में प्रेरित किया जाए, तो विकास और खुशहाली का रास्ता कोई नही रोक सकता है। ओलंपिक में शामिल खिलाड़ियोें ने यह संदेश भी दिया कि बस्तर में बदलाव की बयार चल पड़ी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से हमने न केवल बस्तर के युवाओं की छुपी प्रतिभा को देखा, बल्कि उन आत्मसमर्पित भाइयों और बहनों की प्रतिभा को भी देखा, जिन्होंने हिंसा की माओवादी विचारधारा को छोड़कर मुख्यधारा में वापसी की। नक्सलवाद का समाधान केवल पुलिस कार्रवाई से नहीं, बल्कि शिक्षा, खेल, रोजगार और सकारात्मक अवसर प्रदान करने से होगा और बस्तर ओलंपिक इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आज आपके चेहरों पर जो मुस्कान है, वह एक खुशहाल और शांतिपूर्ण बस्तर का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि माओवादी हिंसा से प्रभावित दिव्यांगजनों ने भी इन खेलों में हिस्सा लिया। उनकी हिम्मत और जज्बा ने दिखा दिया है कि बस्तर के लोग कभी हार नहीं मानते। बस्तर ने लम्बे समय से माओवाद के दंश को झेला है। लेकिन आज, बस्तर शांति और विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह उपलब्धि हमारे केंद्रीय गृह मंत्री के सतत मार्गदर्शन और हर संभव सहयोग के कारण संभव हो पाई है। उनके बेहतर अंतरराज्यीय समन्वय और निरंतर प्रोत्साहन से हम माओवाद को जड़ से समाप्त करने की ओर अग्रसर हैं। बस्तर ओलंपिक में बच्चों-युवाओं ने उत्साह से हिस्सा लिया, और बुजुर्गों ने भी इन खेलों का आनंद लेकर अपने बचपन और स्कूली जीवन की यादें ताजा कीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में माओवाद की जड़ें कमजोर हुई हैं, और यह सब हमारे सुरक्षा बलों की बहादुरी, बेहतर रणनीति, और आप सभी की लोकतांत्रिक आस्था के कारण संभव हुआ है। पिछले एक साल में माओवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में बड़ी सफलता मिली है। इस दौरान 220 से अधिक माओवादियों को ढेर किया गया है, 937 माओवादी गिरफ्तार हुए तथा 812 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। अभी हाल ही मैंने बस्तर के सुरक्षा कैंप में जवानों के साथ रात गुजारी। यह मेरे जीवन का सबसे सुखद अनुभव था। जवानों का बढ़ा हुआ हौसला और आत्मविश्वास देखकर मैंने भी अपने भीतर नयी ऊर्जा का महसूस की है।

हमारे नक्सल पीड़ित परिवारों के परिजन भी इस मौके पर यहां मौजूद हैं। मैं उनके साहस की भी प्रशंसा करना चाहूंगा। उन्होंने रायपुर से दिल्ली तक आज हर फोरम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इनके माध्यम से दुनिया को पता चला कि माओवाद का वास्तविक चेहरा कितना क्रूर है।

हमारी एक बड़ी कामयाबी यह भी है कि हम ’नियद नेल्ला नार योजना’ के माध्यम से बस्तर के अंदरूनी गांव तक लोकतंत्र और विकास की किरणों को पहुंचाने में सफल हुए। नियद नेल्ला नार योजना के माध्यम से हम सड़क, पुल-पुलिया, स्कूल, अस्पताल, आंगनवाड़ी, पेयजल, बिजली, मोबाइल टॉवर जैसी अधोसंरचनाएं अंदरूनी गांवों तक पहुंचा रहे हैं। वर्षाें से बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरू किया गया है। वनवासी भाईयों की आय में वृद्धि के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रूपए हमने किया है।

आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास की भी बेहतर व्यवस्था और विशेष प्रावधान सरकार द्वारा किए गए हैं। भारत सरकार नीति के अनुरूप हिंसा का रास्ता छोड़ आत्मसमर्पण करने वालों को तत्काल ट्रांजिट कैम्प में रखने की व्यवस्था की जा रही है। उनको मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विविध कौशल विकास का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

प्रदेश के आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और उन्हें एक सुरक्षित जीवन प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 15,000 पक्के आवासों के निर्माण का लक्ष्य प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण में निर्धारित किया है।

नई औद्योगिक नीति में भी हमने बस्तर के विकास के साथ ही नक्सल पीड़ित तथा आत्म समर्पित लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। आज डबल इंजन की सरकार में बस्तर सहित पूरे प्रदेश में सड़क, रेल और एयर कनेक्टिविटी में तेजी से विस्तार हुआ है। नगरनार स्टील प्लांट और रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारे से बस्तर अंचल के विकास को नई गति मिलेगी। पूरे अंचल में वाणिज्य और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इससे युवाओं के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के नये मौके भी सृजित होंगे। पर्यटन के क्षेत्र में भी बस्तर ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कांगेर घाटी में स्थित गांव धुड़मारास को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के अपने अपग्रेड प्रोग्राम फॉर बेस्ट टूरिज्म विलेज के अंतर्गत पर्यटन के विकास के लिए चुन लिया है। हमारे लिए गौरव की बात यह है कि भारत का यह एकमात्र गांव है, जिसे 60 देशों के 20 गांवों की सूची में स्थान मिला है। इसके साथ ही विश्व पर्यटन के नक्शे में छत्तीसगढ़ और बस्तर का स्थान सुनिश्चित हो गया है।

आने वाले दिनों में पर्यटन भी बस्तर की बड़ी ताकत बनेगा। रोजगार के नये मौके खुलेंगे। लोगों की आय में बढ़ोतरी होगी। हम यहां पर्यटन के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं सभी विजेताओं को बधाई देता हूँ और कहना चाहूंगा कि आपकी प्रतिभा को निखारने के लिए हर संभव संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि बस्तर की मिट्टी में जो साहस, सामर्थ्य और जज्बा है, वह इस क्षेत्र को विकास और शांति की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा। नक्सलवाद का अंत सुनिश्चित है, और बस्तर की यह जीत खेलों के माध्यम से एक नए युग का आगाज है।

बस्तर ओलंपिक की सबसे खास बात ये रही कि इसमें 300 से अधिक नुवा बाट (आत्म समर्पित माओवादी) ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इसके साथ ही 18 से अधिक माओवादी हिंसा में प्रभावित दिव्यांग खिलाड़ी भी शामिल हुए। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा, लोकसभा सांसद बस्तर महेश कश्यप सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, बड़ी संख्या में आम नागरिक और खेल प्रेमी उपस्थित थे।

रायपुर में जमीन विवाद पर हवा में फायरिंग का मामला, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष नवाज खान पर दर्ज हुई FIR

रायपुर-  राजधानी रायपुर के रवि नगर के शुक्ला कॉलोनी में जमीन विवाद को लेकर 11 दिसंबर को हुई लायसेंसी गन से फायरिंग के बाद पुलिस ने दूसरे पक्ष के लोगों के खिलाफ भी जुर्म दर्ज किया गया है. अब इस मामले में यूथ कांग्रेस के उत्तर विधानसभा अध्यक्ष नवाज खान समेत अन्य पर भी एफआईआर दर्ज की गई है.

इस मामले में पुलिस ने गोली चलाने के आरोप में रवि नगर निवासी बुजुर्ग हरदयाल सिंह (68 वर्ष) को उसी दिन गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. जानकारी के मुताबिक मामले में रिपोर्ट मोहम्मद तबरेज मेमन ने लिखाई थी. अब हरदयाल सिंह के पुत्र नवदीप सिंह की रिपोर्ट पर मोहम्मद तबरेज मेमन एवं मोहम्मद नवाज समेत अन्य लोगों के खिलाफ धारा 296-3 (5) 351 (2) बीएनएस के तहत जुर्म दर्ज कर लिया गया है.

इस एफआईआर में बताया गया है कि 11 दिसंबर को सुबह 10 बजे तबरेज मेमन अपने 7-8 साथियों के साथ उनके घर के पीछे स्थित बाउंड्री से घिरी उनकी जमीन में ताला तोड़कर घुस गए. जबरदस्ती उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करने लगे. इसकी जानकारी मिलने पर पिता के साथ रिपोर्टकर्ता पहुंचा तो तबरेज मेमन एवं उसके साथ आये लोगों ने गाली-गलौज कर धमकाते हुए मारपीट की. अब पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है.

खाद्य विभाग की टीम द्वारा रायपुर, धमतरी, महासमुंद, राजनांदगांव सहित अन्य जिलों में स्थित राईस मिलों का किया गया आकस्मिक निरीक्षण

रायपुर-     खाद्य विभाग की टीम द्वारा आज रायपुर, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव जिले में स्थित राईस मिलों का औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें आर.टी. राईस मिल (प्रो. प्रमोद जैन) के परिसर पर विधिक कार्यवाही की गई। आर.टी. राईस मिल द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में कस्टम मिलिंग हेतु पंजीयन कराने के उपरांत भी अनुमति एवं अनुबंध का निष्पादन नहीं कराया गया है। शासकीय धान का उठाव नहीं किया जा रहा है। मिल परिसर में 390 क्विंटल उसना चावल एवं 1200 क्विंटल धान फ्री सेल प्रयोजन हेतु पाया गया, जो कि प्रथम दृष्टया छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश, 2016 का उल्लंघन है। मिल परिसर को सील कर धान एवं चावल को जब्त कर लिया गया है। जांच दल में तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे, नायब तहसीलदार राजेन्द्र चन्द्राकर, सहायक खाद्य अधिकारी बिन्दु प्रधान सम्मिलित थे।

इसके अतिरिक्त जिला महासमुंद में श्रीवास्तव राईस मिल, नारायण राईस मिल, माँ लक्ष्मी राईस मिल, जिला धमतरी में आकांक्षा राईस मिल, जिला राजनांदगांव में अतुल राईस मिल में जांच टीम द्वारा दबिश दी गई है एवं नियमानुसार जांच किया जा रहा है।

NHM के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में लंबित मांगों को लेकर आक्रोश, 19 दिसंबर को सभी जिलों में करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस

रायपुर-    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत हैं, लेकिन अब तक उन्हें किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिला है, जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है. लगातार झूठे वादों से त्रस्त NHM कर्मचारी अपने व्यथा बताने के लिए प्रदेश के सभी 33 जिला मुख्यालयों में 19 दिसंबर को प्रेस के माध्यम से प्रेस कांफ्रेंस करने का फैसला लिया है.

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी द्वारा बताया गया कि कोरोना कॉल में इन कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया गया था, जो प्रदेश के आम जनता को आज भी मालूम हैं. उक्त कर्मचारियों द्वारा अपने जान को जोखिम में डाल कर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के इन कर्मचारियों ने रात दिन काम करके प्रदेश की आम जनता की सेवा इलाज स्वास्थ्य व्यवस्था देखरेख लगन से किया था.

कोरोना योद्धा द्वारा अपनी व्यथा समस्याओं को आम जनता तक पहुंचाने के लिए सभी 33 जिलों प्रेस कांफ्रेस कर अपनी व्यथा को फिर से आम जनता को बताएंगे. पूरे प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी द्वारा आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला अस्पतालों सहित मेडिकल कालेजों में 20 वर्षों से भी ज्यादा समय से अल्प वेतन एवं कम सुविधा के बावजूद प्रदेश के आम जनता को सेवा देते आ रहे हैं, एनएचएम संविदा कर्मचारियों के अच्छे कार्यों के कारण पुरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था गुणवत्ता में लगातार वृद्धि भी हो रहा है. अच्छे कार्यों के कारण इन अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता मानक व्यवस्था पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा रहा है.

कर्मचारियों ने बताया कि उनका वेतन इतना काम है कि अपने परिवार के लालन-पालन दैनिक दिनचर्या की वस्तु खरीदने के लिए भी असमर्थ रहते हैं. खुद की जान को जोखिम में डालकर इन कर्मचारियों ने कोरोना काल प्रदेश की जनता की सेवा किया हैं जो आज भी आम जनता के दिलों में बसी हुई है.

कुछ दिन पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मीडिया के सामने इन कर्मचारियों के वेतन में 27 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी, लेकिन वह भी उन्हें नहीं मिली है. कर्मचारी लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा सहित सभी मंत्रियों को आवेदन देकर उन्हें अपना वादा याद दिलाते रहे हैं.

बता दें कि पिछली सरकार के 31 दिन के आंदोलन में इन कर्मचारियों के मंच पर भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी डॉ. रमन सिंह, अरुण साव, विजय शर्मा, ओपी चौधरी, केदार कश्यप सहित अन्य प्रमुख नेता धरना स्थल पर आए थे और भाजपा सरकार बनने के 100 दिन के भीतर मामले के निराकरण करने की बात कही थी. इन कर्मचारियों ने भाजपा सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है और पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 16 हजार से ज्यादा है.